2001 | पति का अनुगमन करना, इहलोक और परलोक दोनों का सुख प्राप्त करना है। |
2002 | पति की आज्ञा के बिना जो स्त्री उपवास और व्रत करती है, वह अपने पति की आयु को कम करने वाली होती है, अर्थात पति को नष्ट करके सीधे नर्क में जाती है। |
2003 | पति के लिए आदर्श पत्नी वही होती हैं, जो मन, वचन तथा कर्म से पवित्र हो, जो शरीर और अन्त:करण से शुद्ध हो, जिसके आचार-विचार स्वच्छ हो, जो गृहकार्यो तथा भोजन, पीसना, कातना, धोना, सीना-पिरोना और साज-सज्जा आदि में निपुण हो, जो मन, वचन और शरीर से पति में अनुरुक्त हो और जो उसको प्रसन्न करना ही अपना कर्तव्य-कर्म मानती हो तथा निरंतर सत्य बोलती हो। |
2004 | पति के वश में रहने वाली पत्नी ही व्यवहार के अनुकूल होती है। |
2005 | पत्थर के हर टुकड़े में एक खूबसूरत प्रतिमा छिपी है। इसकी खोज करना मूर्तिकार का काम है। |
2006 | पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है, पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य बोलती है। |
2007 | पदार्थों में समस्या नहीं है हमारे उपयोग करने में समस्या है। कभी-कभी विष की एक अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है और दवा की अत्याधिक मात्रा भी विष बन जाती है। विवेक से, संयम से, जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है। |
2008 | पब्लिक ओपिनियन जैसी कोई चीज नहीं होती , केवेल पब्लिश्ड ओपिनियन होते हैं। |
2009 | पर दुख को जो दुख न माने,पर पीड़ा में सदय न हो। सब कुछ दो पर प्रभु किसी को,जग में ऐसा हृदय न दो। |
2010 | परम तत्वज्ञान प्राप्त होने पर जब मनुष्य देह के अभिमान को छोड़ देता है अर्थात जब उसे आत्मा-परमात्मा की नित्यता और शरीर की क्षणभंगुरता का ज्ञान हो जाता है तो वह इस शरीर के मोह को छोड़ देता है। तदुपरांत उसका मन जहां-जहां भी जाता है, वहां-वहां उसे सिद्ध पुरुषों की समाधियों की अनुभूति होती है। |
2011 | परमात्मा तुमसे ये न पूछेगा कि कौन-कौन सी गलतियां तुमने की.... परमात्मा तुमसे ये पूछेगा की मैंने तुमको इतने अवसर दिए सुख भोगने के तुमने भोगे क्यों नही |
2012 | पराई वस्तु को पाने की लालसा नहीं रखनी चाहिए। |
2013 | पराए घर में रहने से कौन छोटा नहीं हो जाता ? यह देखो अमृत का खजाना, ओषधियों का स्वामी, शरीर और शोभा से युक्त यह चन्द्रमा, जब सूर्य के प्रभा-मंडल में आता है तो प्रकाशहीन हो जाता है। |
2014 | पराए धन को छीनना अपराध है। |
2015 | परिचय हो जाने के बाद दोष नहीं छिपाते। |
2016 | परिणाम! भाइयों, मुझे तो बहुत सारे परिणाम मिल गए हैं। मुझे बहुत सारे हजारो ऐसे तरीके पता चल गए हैं जो कि काम नहीं करेंगे। |
2017 | परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो। |
2018 | परिवार और करीबी दोस्त सबसे ऊपर हैं, उनको अपने जीवन में हमेशा अहम् स्थान दे। |
2019 | परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। |
2020 | परीक्षा करके विपत्ति को दूर करना चाहिए। |
2021 | परीक्षा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है। |
2022 | परीक्षा किये बिना कार्य करने से कार्य विपत्ति में पड़ जाता है। |
2023 | परेशानी के मध्य ही अवसर छिपा होता है। |
2024 | परेशानी पैदा करने वाली सोच के साथ उस समस्या का समाधान ढूंढना मुश्किल है। |
2025 | पर्यावरण में आ रहे बदलावों को देखकर बच्चे की तरह खुशी मिलनी चाहिए। मेरे साथ पूरा जीवन ऐसा ही होता रहा है। अद्भुत खुशी का अनुभव। |
2026 | पवित्र पुस्तकों में बहुत सारी अच्छी बातें पढ़ी जा सकती हैं लेकिन शायद ही कोई ऐसे पुस्तक होगी जिसे पड़कर धर्म को बनाया जा सकता हैं। |
2027 | पवित्रता, धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सारी बाधाये दूर हो जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं की महान कार्य सभी धीरे -धीरे होते है। |
2028 | पसंद की चीज़ों से ही हमारे व्यक्तित्व का पता चलता है। |
2029 | पहला धन सेहत है। |
2030 | पहली दौलत सेहत है। |
2031 | पहली बार सफलता मिलने पर निश्चिंत होकर मत बैठिए क्योंकि अगर आप दूसरी बार असफल हो गए, तो यह कहने वालों की कमी नहीं होगी कि पहली सफलता तो आपको सिर्फ अच्छी किस्मत की वजह से मिली। |
2032 | पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। |
2033 | पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें। |
2034 | पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे। |
2035 | पहले हम माहौल बनाते है फिर माहौल हमें बनता है- ब्रायन ट्रेसी |
2036 | पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है, और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है। |
2037 | पांच प्रतिशत लोग सोचते हैं, दस प्रतिशत लोग सोचते हैं कि वे सोचते हैं और बाकी बचे पचासी प्रतिशत लोग सोचने से ज्यादा मरना पसंद करते हैं। |
2038 | पांव उठाने से पहले ये देख लेना चाहिए की पांव कहाँ पड़ेगा, अंको से भली प्रकार मार्ग की परीक्षा करके उस पर ही चलना प्रारंभ करना चाहिए, वस्त्र से छान कर ही जल पीना चाहिए, शास्त्र द्वारा संशोधित सत्य, शुद्ध और मधुर वाणी बोलनी चाहिए तथा पवित्र मन से ही दूसरों के साथ व्यवहार-आचरण करना चाहिए। |
2039 | पाखंडी वह आदमी है जो सिर्फ और सिर्फ अपनी आँखों से देखता है। |
2040 | पात्र के अनुरूप दान दें। |
2041 | पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है, उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है। अंतर केवल यह है कि एक परीमीत है दूसरा अनंत है एक परतंत्र है दूसरा स्वतंत्र है। |
2042 | पानी चाहे जितना भी गहरा हो, कमल का फूल पानी के ऊपर ही खिलता है। उसी तरह से इंसान कितना महान है, ये उसकी अंदरुनी और मानसिक ताकत पर निर्भर करता है। |
2043 | पानी में तेल, दुष्ट व्यक्तियों में गोपनीय बातें, उत्तम पात्र को दिया गया दान और बुद्धिमान के पास शास्त्र-ज्ञान यदि थोड़ा भी हो तो स्वयं वह अपनी शक्ति से विस्तार पा जाता है। |
2044 | पाने से पहले दीजिये। |
2045 | पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती। |
2046 | पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो। |
2047 | पापा कहते थे की सपने मत देखो, सपने कभी पुरे नहीं होते। पर मैंने एक सपना देखा और वो भी हुआ। |
2048 | पापी की आत्मा उसके पापों को प्रकट कर देती है। |
2049 | पावर होना बुरा नहीं, किसके पास होना चाहिए यह महत्वपूर्ण है। |
2050 | पिरामिडों की इन ऊंचाइयों से चालीस सदियाँ हमे देख रही है। |
2051 | पीछे रहकर नेतृत्व करना और टीमको आगे करना सबसे अच्छा तरीका है। खास कर जब जीत की खुशियाँ मनाई जाएँ। तभी आगे आए जब खतरा दिखे या टीम गलत राह दिखे। इससे दूसरों की नज़रों में आपकी इज़्ज़त बढ़ जायेगी। |
2052 | पीठ पीछे रहकर दुसरे की बुराई करना अथवा किसी व्यक्ति के कार्यो में हानि का प्रयत्न करना और उसके मुख पर अथवा उसके सामने मीठी-मीठी बाते करना, बहुत अनुपयुक्त हैं ऐसे व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए। |
2053 | पुत्र की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। |
2054 | पुत्र के गुणवान होने से परिवार स्वर्ग बन जाता है। |
2055 | पुत्र के बिना स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती। |
2056 | पुत्र के सुख से बढ़कर कोई दूसरा सुख नहीं है। |
2057 | पुत्र को पिता के अनुकूल आचरण करना चाहिए। |
2058 | पुत्र को सभी विद्याओं में क्रियाशील बनाना चाहिए। |
2059 | पुत्र प्राप्ति के लिए ही स्त्री का वरण किया जाता है। |
2060 | पुत्र वे है जो पिता भक्त है। पिता वही है जो बच्चों का पालन-पोषण करता है। मित्र वही है जिसमे पूर्ण विश्वास हो और स्त्री वही है जिससे परिवार में सुख-शांति व्याप्त हो। |
2061 | पुत्र से पांच वर्ष तक प्यार करना चाहिए। उसके बाद दस वर्ष तक अर्थात पंद्रह वर्ष की आयु तक उसे दंड आदि देते हुए अच्छे कार्य की और लगाना चाहिए। सोलहवां साल आने पर मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए। संसार में जो कुछ भी भला-बुरा है, उसका उसे ज्ञान कराना चाहिए। |
2062 | पुत्र से ही कुल को यश मिलता है। |
2063 | पुराना होने पर भी शाल के वृक्ष से हाथी को नहीं बाँधा जा सकता। |
2064 | पुरानी गलतियाँ का ताना देने वाले लोग अच्छे नहीं होते। वे आपके विकास में रुकावट खड़ी करेंगे क्योकि उनको आपका आगे बढ़ना मंजूर नहीं। |
2065 | पुराने काम की नक़ल करने से सीखने के लिए बहुत कुछ हैं जबकि Modern-Workकी नक़ल करने से कुछ हासिल नहीं होगा। |
2066 | पुराने निशानों को खरोंचना और उनका हिसाब रखना, आपको हमेशा जो आप हैं उससे कम ही बनाता है। |
2067 | पुराने मित्र छूटते हैं , नए मित्र बनते हैं . यह दिनों की तरह ही है। एक पुराना दिन बीतता है, एक नया दिन आता है.महत्त्वपूर्ण यह है कि हम उसे सार्थक बनाएंएक सार्थक मित्र या एक सार्थक दिन। |
2068 | पुरुष के लिए कल्याण का मार्ग अपनाना ही उसके लिए जीवन-शक्ति है। |
2069 | पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का भोजन दुगना, लज्जा चौगुनी, साहस छः गुना और काम (सेक्स की इच्छा) आठ गुना अधिक होता है। |
2070 | पुरूषों में नाई धूर्त होता है, पक्षियों में कौवा, पशुओं में गीदड़ और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है। |
2071 | पुष्पहीन होने पर सदा साथ रहने वाला भौरा वृक्ष को त्याग देता है। |
2072 | पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं। |
2073 | पुस्तकों में लिखी विधा और दूसरों के हाथो में गया हुआ धन आवश्कता पड़ने पर कभी काम नहीं आता। विधा वही काम आती हैं जो मनुष्य ने सीख कर अपनी बना ली हो और पैसा वही काम आता हैं जो अपने पास हो। |
2074 | पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी। |
2075 | पूंजीवाद की बुराई है अच्छी चीजों का बराबर से ना बंटना , समाजवाद की अच्छाई है बुरी चीजों का बराबर से बंटना। |
2076 | पूरा समाज लम्बे समय तक एक ही भाषा में बातचीत नहीं कर सकता। क्योंकि यह युद्धरत समूहों में बटा हुआ है। |
2077 | पूरी दुनिया में आधी-अधूरी आज़ादी जैसी कोई बात नहीं है। |
2078 | पूर्ण धारणा के साथ बोला गया "नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है। |
2079 | पूर्ण सच्चाई जानने के बाद किया कार्य सच्चे रूप में क्षमा करना नहीं है, क्षमा करना तो एक प्रवृति है जिसके बाद आप हर क्षण में प्रवेश कर सकते हैं। |
2080 | पूर्वाग्रह से ग्रसित दंड देना लोकनिंदा का कारण बनता है। |
2081 | पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास हैं ये पेड़। |
2082 | पृथ्वी के अन्दर और ऊपर का सारा सोना भी सद्गुणों के बदले देना पर्याप्त नहीं है। |
2083 | पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाला जल शुद्ध-पवित्र होता हैं, पतिव्रता स्त्री शुद्ध-पवित्र होती हैं, प्रजा का कल्याण करने वाला राजा पवित्र अथवा श्रेष्ठ माना गया हैं और सन्तोषी यानी सहज प्राप्ति में प्रसन्न-ब्राहमण शुद्ध-पवित्र होता हैं सन्तोष सभी के लिए उत्तम हैं। |
2084 | पृथ्वी पर हर एक चीज एक खेल है। एक खत्म हो जाने वाली चीज। हम सभी एक दिन मर जाते हैं। हम सभी का एक ही अंत है , नहीं ? |
2085 | पृथ्वी सत्य के बल पर ही स्थिर हैं, सत्य की शक्ति से ही सूर्य मैं ताप हैं तेज हैं, सत्य की शक्ति से ही दिन और रात वायु चलती हैं इस प्रकार सारी सृष्टि टिकी हुई हैं। |
2086 | पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं। |
2087 | पेड़, फूल और पौधे शांति में विकसित होते हैं, सितारे, सूर्य और चंद्रमा शांति से गतिमान रहते हैं, शांति हमें नयी संभावनाएं देती है. |
2088 | पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है। |
2089 | पैर से अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कन्या, वृद्ध और बालक को कभी नहीं छूना चाहिए। |
2090 | पैरो के धोने से बचा हुआ, पीने के बाद पात्र में बचा हुआ और संध्या से बचा हुआ जल कुत्ते के मूत्र के समान है। उसे पीने के बाद ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य चंद्रायण व्रत को करे, तभी वे पवित्र हो सकते है। |
2091 | पैसा - मैं बोलता नहीं....मगर सबकी बोलती बंद करवा सकता हूँ |
2092 | पैसा - मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते |
2093 | पैसा - मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते, मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ |
2094 | पैसा - मैं कुछ भी नहीं हूँ मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है |
2095 | पैसा - मैं नमक की तरह हूँ जो जरुरी तो है, मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है |
2096 | पैसा - मैं सारे फसाद की जड़ हूँ मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं |
2097 | पैसा कमाने के लिए कई विकल्प हो सकते है, लेकिन जन्नत में जाने के लिए सिर्फ एक- अच्छे कर्म करना। |
2098 | पैसे या मौज मस्ती के जीवन से नहीं, लेकिन जो काम करते है उसी से ख़ुशी का अनुभव किया जा सकता है। |
2099 | पैसे से सब कुछ नहीं बल्कि केवल थोडा बहुत किया जा सकता. |
2100 | पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।" |
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Thursday, March 24, 2016
#2001-2100
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