2901 | राज्य को नीतिशास्त्र के अनुसार चलना चाहिए। |
2902 | राज्य नीति का संबंध केवल अपने राज्य को सम्रद्धि प्रदान करने वाले मामलो से होता है। |
2903 | राज्यतंत्र को ही नीतिशास्त्र कहते है। |
2904 | राज्यतंत्र से संबंधित घरेलु और बाह्य, दोनों कर्तव्यों को राजतंत्र का अंग कहा जाता है। |
2905 | रात में सोने से पहले हर किसी को हर किसी बात के लिए क्षमा कर देना ही एक लम्बे और सुखदायक जीवन का रहस्य है। |
2906 | रात होने पर अनेक जातियों के पक्षी कौवा, तोता कबूतर आदि एक ही वृक्ष पर आ बैठते हैं और रात्रि वही बिताते हैं और प्रभात होने पर दाना चुगने के लिए भिन्न-भिन्न दिशाओ में उड़ जाते हैं। यही स्थिति परिवार के सदस्यों की भी हैं, कुछ लोग एक परिवार रूपी वृक्ष पर आकर बैठते हैं और समय आने पर चल देते हैं इसमें दुखी होने की कोई बात नहीं आवागमन और संयोग-वियोग तो जीवो का नित्य धर्म हैं। |
2907 | रात्रि में नहीं घूमना चाहिए। |
2908 | राय, ज्ञान और ज्ञान के बीच एक माध्यम है। |
2909 | राष्ट्रभक्ति की भावना सामाजिक भेदों से पैदा होने वाली घृणा से अक्सर ज्यादा मजबूत होती है। अन्तर्राष्ट्रीयवाद तो इसके आगे हमेशा कमजोर होता है। |
2910 | राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। |
2911 | रिलायंस की सफलता का राज़ मेरी महत्वाकांक्षा और अन्य पुरुषों का मन जानना है. |
2912 | रिलायंस में विकास की कोई सीमा नहीं है। मैं हमेशा अपना vision दोहराता रहता हूँ। सपने देखकर ही आप उन्हें पूरा कर सकते हैं। |
2913 | रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो उन्हे तोङना मत क्योकि पानी चाहे कितना भी गंदा हो अगर प्यास नही बुझा सकता पर आग तो बुझा सकता है। |
2914 | रिश्ते, आजकल रोटी की तरह हो गए जरा सी आंच तेज क्या हुई जल भुनकर खाक हो जाते। |
2915 | रूप और यौवन से संपन्न तथा उच्च कुल में जन्म लेने वाला व्यक्ति भी यदि विध्या से रहित है तो वह बिना सुगंध के फूल की भांति शोभा नहीं पाता। |
2916 | रूप की शोभा गुणों से होती हैं, कुल की शोभा शील अथार्थ अच्छे आचरण से होती हैं विधा की शोभा धन प्राप्ति से होती हैं इसी प्रकार धन की शोभा उसके भोगने से होती हैं। |
2917 | रूप के अनुसार ही गुण होते है। |
2918 | रूप-यौवन से सम्पन्न, बड़े कुल में पैदा होते हुए भी, विद्याहीन पुरुष, बिना गंध के फूल पलाश के समान शोभा अर्थात आदर को प्राप्त नहीं होता। |
2919 | रोकथाम के बिना उपचार अस्थायी है। |
2920 | रोज स्टेटस बदलने से जिंन्दगी नहीं बदलती जिंदगी को बदलने के लिये एक स्टेटस काफी है. |
2921 | रोज़ाना व्यायाम करने से शरीर चुस्त रहता है, साथ ही दिमाग को भी शान्ति मिलती है। |
2922 | लक्ष्मी अनित्य और अस्थिर है, प्राण भी अनित्य है। इस चलते-फिरते संसार में केवल धर्म ही स्थिर है। |
2923 | लक्ष्मी भगवान विष्णु से कहती है 'हे नाथ ! ब्राह्मण वंश के आगस्त्य ऋषि ने मेरे पिता (समुद्र)को क्रोध से पी लिया, विप्रवर भृगु ने मेरे परमप्रिय स्वामी (श्री विष्णु) की छाती में लात मारी, बड़े-बड़े ब्राह्मण विद्वानों ने बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक मेरी शत्रु सरस्वती को अपनी वाणी में धारण किया और ये (ब्राह्मण) उमापति (शंकर) की पूजा के लिए प्रतिदिन हमारा घर (श्रीफल पत्र आदि) तोड़ते है। हे नाथ ! इन्ही कारणों से सदैव दुःखी मैं आपके साथ रहते हुए भी ब्राह्मण के घर को छोड़ देती हूं। |
2924 | लक्ष्य प्राप्त करना मायने रखता है. और जो बहादुरी भरे काम और साहसिक सपने आप पूरे करना चाहते हैं उनके बारे में लिखना उन्हें पूरा करने के लिए चिंगारी का काम करेगा. |
2925 | लकड़ी, पत्थर और धातु-सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि की बनी देवमूर्ति में देव-भावना, अथार्थ देवता को साक्षात् रूप से विधमान समझ कर ही श्रदासहित उसकी अर्चना पूजा करनी चाहिए, जो मनुष्य जिस भाव से मूर्ति का पूजन करता हैं, श्री विष्णुनारायण की कृपा से उसे वैसी ही सिद्धि प्राप्त होती हैं। |
2926 | लगन हो पक्की तो मंजिल का पता मिलता है ! चाहत हो सच्ची तो पत्थर में खुदा मिलता है।। |
2927 | लगभग सभी व्यक्ति कठिनाई को झेल सकते है, पर अगर आपको उनका चरित्र जानना हो तो उन्हें शक्ति दे दीजिए। |
2928 | लगभग हर व्यक्ति जो किसी आईडिया को विकसित करता है, उस पर तब तक काम करता है जब तक वो असंभव न लगने लगे, और उसके बाद वो निराश हो जाता है जबकि ये वो जगह नहीं जहाँ निराश हुआ जाए। |
2929 | लगातार पवित्र विचार करते रहे, बुरे संस्कारो को दबाने के लिए एकमात्र समाधान यही है। |
2930 | लगातार हो रही असफलताओ से निराश नही होना चाहिए क्योक़ि कभी-कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है। |
2931 | लम्बी बहसों से दूर रहे वाले लोग हमेशा खुश रहते हैं, क्योकि वे क्रोध को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते इसलिए आप दूसरों के नजरिये को समझिये और उनके करीब रहने का प्रयास कीजिये। |
2932 | लम्बे नाख़ून वाले हिंसक पशुओ, नदियों, बड़े बड़े सींग वाले पशुओ, शस्त्रधारियो, स्त्रियों और राज-परिवारों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए |
2933 | लम्बे-लम्बे भाषणों से कही अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना। |
2934 | लाख आदि, तेल, नील, कपडे रेंज के रंग, शहद घी मदिरा और मांस आदि का व्यापार करने वाला ब्राह्मण शुद्र कहलाता हैं। |
2935 | लाड-प्यार से पुत्र और शिष्य में दोष उत्पन्न हो जाते हैं और ताड़ना से उनमे से गुणों का विकास होता हैं उनका कहना हैं की इसलिए पुत्र और शिष्य को लाड-प्यार करने की अपेक्षा ताड़ना करनी चाहिए। |
2936 | लापरवाही अथवा आलस्य से भेद खुल जाता है। |
2937 | लाल रंग के किंशुक पुष्प दिखने में तो बहुत सुन्दर लगते हैं, परन्तु उनमे सुंगध नहीं होती, अतः कोई भी उनकी और ध्यान नहीं देता जिस प्रकार गंधरहित होने से किंशुक के पुष्प उपेक्षित ही रहते हैं और देवो-सम्राटो के सर पर चढ़ने का गौरव नहीं प्राप्त कर पाते उसी प्रकार उच्चे कुल में उत्पन्न विधा से रहित रूपवान युवक भी समाज में आदर प्राप्त नहीं कर पाते। |
2938 | लालची व्यवहार से भयानक कुछ भी नहीं। |
2939 | लाश को हाथ लगाता है तो नहाता है ...पर बेजुबान जीव को मार के खाता है |
2940 | लीडर को अपनी क्षमता के अनुरूप नेतृत्व करने के बाद हट जाना चाहिए। नहीं तो उनकी जलाई आग कहीं उनकी ही राख से बुझ न जाए। |
2941 | लेखक को मानवजाति का इंजीनियर कहना गलत नही है। |
2942 | लोक चरित्र को समझना सर्वज्ञता कहलाती है। |
2943 | लोक व्यवहार शास्त्रों के अनुकूल होना चाहिए। |
2944 | लोकतंत्र सरकार का सबसे खराब रूप है सिवाय उन सरकारों के जिन्हें इससे पहले आजमाया जा चुका है। |
2945 | लोकतंत्र तब है जब किसी अमीर की जगह कोई गरीब देश का शासक हो। |
2946 | लोकतंत्र तानाशाही में गुजरता है। |
2947 | लोग अवास्तविक, विसंगत और आत्मा केन्द्रित होते हैं फिर भी उन्हें प्यार दीजिये। |
2948 | लोग इसकी परवाह नहीं करते हैं कि आप कितना जानते हैं, वो ये जानना चाहते हैं कि आप कितना ख़याल रखते हैं। |
2949 | लोग कहते है हम मुस्कुराते बहोत है, और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते.. |
2950 | लोग धूल की तरह होते हैं। या तो वो आपको पोषण दे एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद कर सकते हैं, या वो आपका विकास रोककर और थका कर मृत कर सकते हैं। |
2951 | लोग बस वही देखते है, जो देखने के लिए वो तैयार होते है। |
2952 | लोग वही के वही बने रहते है, तब भी जबकि उनके मुखौटे निकल चुके होते है। |
2953 | लोग सबसे ज्यादा झूठ तीन बार कहते है- चुनाव से पहले, जंग के दौरान और शिकार करते वक़्त। |
2954 | लोग हमेशा ही परिवर्तन से डरते है, बिजली से भी डरे थे जब तक की उसका अविष्कार नही हुआ था। |
2955 | लोगो की हित कामना से मै यहां उस शास्त्र को कहूँगा, जिसके जान लेने से मनुष्य सब कुछ जान लेने वाला सा हो जाता है। |
2956 | लोगो को यह नहीं पता की उन्हें क्या नहीं पता |
2957 | लोगों का बड़ा समूह छोटे झूठ की अपेक्षा बड़े झूठ का आसानी से शिकार बन जाता है। |
2958 | लोगों के साथ विन्रम होना सीखे। महत्त्वपूर्ण होना अच्छा है पर अच्छा होना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। |
2959 | लोगों को काम के लिए प्रोत्साहित करना और अहसास कराना की ये उन्हीं का सुझाव था, ये सबसे समझदारी की बात है। |
2960 | लोगों में सुधार लाए बिना, सुनहरे भविष्य की कामना करना बिल्कुल गलत है। ऐसा तभी मुमकिन होगा जब हर व्यक्ति खुद को बदलने की कोशिश करें। इसी के साथ वह अपनी जिम्मेदारियों को भी समझे। |
2961 | लोभ द्वारा शत्रु को भी भ्रष्ट किया जा सकता है। |
2962 | लोभ सबसे बड़ा अवगुण है, पर निंदा सबसे बड़ा पाप है, सत्य सबसे बड़ा तप है और मन की पवित्रता सभी तीर्थो में जाने से उत्तम है। सज्जनता सबसे बड़ा गुण है, यश सबसे उत्तम अलंकार(आभूषण) है, उत्तम विद्या सबसे श्रेष्ठ धन है और अपयश मृत्यु के समान सर्वाधिक कष्टकारक है। |
2963 | लोभ से बड़ा दुर्गुण क्या हो सकता है। परनिंदा से बड़ा पाप क्या है और जो सत्य में प्रस्थापित है उसे तप करने की क्या जरूरत है। जिसका ह्रदय शुद्ध है उसे तीर्थ यात्रा की क्या जरूरत है। यदि स्वभाव अच्छा है तो और किस गुण की जरूरत है। यदि कीर्ति है तो अलंकार की क्या जरुरत है। यदि व्यवहार ज्ञान है तो दौलत की क्या जरुरत है। और यदि अपयशी या अपमानित है तो मृत्यु कि क्या जरुरत हैं अथार्थ वह व्यक्ति जीते जी ही मरा हुआ हैं। |
2964 | लोभियों का शत्रु भिखारी है, मूर्खो का शत्रु ज्ञानी है, व्यभिचारिणी स्त्री का शत्रु उसका पति है और चोरो का शत्रु चंद्रमा है। |
2965 | लोभी और कंजूस स्वामी से कुछ पाना जुगनू से आग प्राप्त करने के समान है। |
2966 | लोभी को धन से, घमंडी को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उसके अनुसार व्यवहार से और पंडित को सच्चाई से वश में करना चाहिए। |
2967 | लोभी व्यक्तियों के लिए चंदा, दान मांगने वाले व्यक्ति शत्रुरूप होते हैं, मूर्खो को भी समझाने-बुझाने वाला व्यक्ति अपने शत्रु लगता हैं। दुराचारिणी स्त्रियों के लिए पति ही उनका शत्रु होता हैं, चोर चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं इसलिए मुर्ख को सीख और लोभी से कुछ मांगने की भूल नहीं करनी चाहिए। |
2968 | लड़ना गलत नहीं, लेकिन लड़ने की सोच रखना सबसे गलत है। |
2969 | लड़ाई-झगडे ख़त्म करने के लिए समझदार होना जरुरी है, उसी तरह से अच्छा प्रदर्शन देने के लिए धैर्य रखना बहुत जरूरी है। |
2970 | वक्त बहुत कम है अगर हमे कुछ करना है तो अभी से शुरू कर देना चाहिए। |
2971 | वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते है। |
2972 | वर्ष भर नित्यप्रति मौन रह कर भोजन करने वाला करोडो चतुर्युगो तक (एक युग से चार युग –सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग होते हैं और प्रत्येक की आयु क्र्मशा 12, 10, 8, और 6 वर्ष मानी गई हैं ) स्वर्ग में निवास करता हैं और देवो द्वारा पूजा जाता हैं। |
2973 | वसंत ऋतु में यदि करील के वृक्ष पर पत्ते नहीं आते तो इसमें वसंत का क्या दोष है ? सूर्य सबको प्रकाश देता है, पर यदि दिन में उल्लू को दिखाई नहीं देता तो इसमें सूर्य का क्या दोष है ? इसी प्रकार वर्ष का जल यदि चातक के मुंह में नहीं पड़ता तो इसमें मेघों का क्या दोष है ? इसका अर्थ यही है कि ब्रह्मा ने भाग्य में जो लिख दिया है, उसे कौन मिटा सकता है ? |
2974 | वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास सीखने को कुछ नहीं है वह पहले से ही मौत के जबड़े में है। |
2975 | वह इंद्र के राज्य में जाकर क्या सुख भोगेगा, जिसकी पत्नी प्रेमभाव रखने वाली और सदाचारी है। जिसके पास में संपत्ति है। जिसका पुत्र सदाचारी और अच्छे गुण वाला है जिसको अपने पुत्र द्वारा पौत्र हुए है। |
2976 | वह काम सबसे पहले करो, जिसे करने में आपको डर लगता है। |
2977 | वह चीज जो दूर दिखाई देती है, असंभव दिखाई देती है और हमारी पहुँच से बहार दिखाई देती है, वह भी आसानी से हासिल कि जा सकती है यदि व्यक्ति तप करता है, क्यों की तप से ऊपर कुछ भी नहीं हैं। |
2978 | वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है। |
2979 | वह जो भी मनुष्य का दिमाग बना सकता है, उसे उसका चरित्र नियंत्रित कर सकता है। |
2980 | वह मनुष्य व्यर्थ ही पैदा होता है, जो बहुत ही कठिनाईयों से प्राप्त होने वाले मनुष्य जन्म को यूँ ही गवां देता हैं और अपने पुरे जीवन में भगवान का अहसास करने की कोशिश ही नहीं करता है। |
2981 | वह लोग धन्य है, जिन्होंने संसार रूपी समुद्र को पार करते हुए एक सच्चे ब्राह्मण की शरण ली। उनकी शरणागति ने नौका का काम किया। वे ऐसे मुसाफिरों की तरह नहीं है जो ऐसे सामान्य जहाज पर सवार है और जिसको डूबने का खतरा है। |
2982 | वह व्यक्ति जिसके हाथ स्वच्छ है वह कार्यालय में काम नहीं करना चाहता अर्थात् उसे किसी पद की चाहत नहीं हैं, जिस ने अपनी कामनाओ को खत्म कर दिया है वह शारीरिक श्रंगार नहीं करता, मुर्ख पुरुष प्रिय और मधुर वचन नहीं बोल पाता, स्पष्ट बोलने वाला कभी धोखेबाज, धूर्त और मक्कार नहीं होता। |
2983 | वह सब कुछ प्राप्त कर लेता हैं जो इन्तजार करने के बजाय विपरीत परिस्थियों में भी काम करता रहता हैं। |
2984 | वहां प्रेम नहीं है जहां इच्छा नहीं है . |
2985 | वही कार्य सबसे अच्छा है जिससे बहुसंख्यक लोगो को अधिक से अधिक आनंद मिल सके। |
2986 | वही जाए जहाँ सिर्फ समझदारी की बातें होती है, इसलिए बेवकूफ लोगों से भरे जन्नत से बेहतर समझदार नर्क में जाना होगा। |
2987 | वही दो लोग, करीबी दोस्त बन सकते है जो किसी एक चीज से प्रेरित होते है। |
2988 | वही राज्य जल्दी आगे बढ़ता है जहां नियम कानून कम होते है, लेकिन जितने भी कानून होते है उनका पालन बहुत सख्ती से किया जाता है। |
2989 | वही लोग सफल होते हैं जो जानते हैं कि वे सफल ही होंगे। |
2990 | वही व्यक्ति खुश रहना जानता है जो चीज़ों और घटनाओं के होने का कारण जानता है। |
2991 | वही व्यक्ति बुद्धिमान हैं जो अवसर के अनुकूल बात करें, अपनी सामर्थ्य के अनुरूप साहस करें और अपनी शक्ति के अनुरूप क्रोध करें। इसके विपरीत अवसर को बिना पहचाने उल-जुलूल बातें करने वाला, अपनी शक्ति से बढ़कर दुस्साहस करने वाला निश्चित रूप से ही संकट में पड़ जाता हैं और दुखी होता हैं। |
2992 | वही साधुता है कि स्वयं समर्थ होने पर क्षमाभाव रखे। |
2993 | वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है। |
2994 | वास्तविकता को जानने का मतलब है कि आप बदलाव के लिए ऐसी पद्धति विकसित करे जो वास्तविकता के हो। |
2995 | वाहनों पर यात्रा करने वाले पैदल चलने का कष्ट नहीं करते। |
2996 | विचार अथवा मंत्रणा को गुप्त न रखने पर कार्य नष्ट हो जाता है। |
2997 | विचार न करके कार्ये करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी त्याग देती है। |
2998 | विचार सारे भाग्य का प्रारंभिक बिंदु है। |
2999 | विचार, धन है, हिम्मत रास्ता है। कड़ी मेहनत समाधान है। |
3000 | विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है। |
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Monday, July 4, 2016
#2901-3000
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