1301 | जिंदगी मे जो हम चाहते है वो आसानी से नही मिलता लेकिन जिँदगी का सच ये है की हम भी वही चाहते है जो आसान नही होता। |
1302 | जिंदगी में अपनी तुलना किसी से भी करने का दूसरा मतलब है स्वयं की बेइज्जती करना। |
1303 | जिंदगी में मुश्किलों का जितना अंधेरा होगा, उम्मीदों के सितारे उतने ही चमक रहे होंगे। |
1304 | जिंदगी में सफल होने के लिए न तो यह जानने में ज्यादा उत्सुक हों कि दूसरे क्या सोच रहे हैं, न ही चीज़ों में रुचि दिखाएं, लेकिन नए आइडिया या किसी नए विचार की खोज करिए। कुछ नया करने से ही आगे बढ़ने का रास्ता बनेगा। प्रसिद्धि मिलेगी। |
1305 | जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता। |
1306 | जिज्ञासा रखना या उत्तेजित रहने का कोई मतलब नहीं, क्योंकि हम चीज़ों के बारे में सिर्फ इसलिए जानना चाहते है ताकि किसी बात पर चर्चा कर सके। |
1307 | जितना अधिक हम देखते है, उतने ही अधिक की कल्पना करने में सक्षम होते है और जितनी अधिक हम कल्पना करते है, उतना ही हम सोचते है कि हमने देखा। |
1308 | जितना एक मूर्ख वयक्ति किसी बुद्धिमानी भरे उत्तर से नहीं सीख सकता उससे अधिक एक बुद्धिमान एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न से सीख सकता है। |
1309 | जितना ज्यादा आप जानोगे, उतना ज्यादा आप यह जानोगे की आप कुछ भी नहीं जानते। |
1310 | जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी। |
1311 | जितना सोना धरती से निकाला गया है उससे कहीं ज्यादा लोगों के विचारों से निकाला गया है। |
1312 | जितेन्द्रिय व्यक्ति को विषय-वासनाओं का भय नहीं सताता। |
1313 | जिदंगी मे अच्छे लोगो की तलाश मत करो "खुद अच्छे बन जाओ" आपसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो जाए। |
1314 | जिदंगी मे उतार चङाव का आना बहुत जरुरी है क्योकि ECG मे सीधी लाईन का मतलब मौत ही होता है। |
1315 | जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना क्योक़ि बंद पडी घडी भी दिन में दो बार सही समय बताती है। |
1316 | जिन अंधविश्वासों के बीच हम बड़े होते है, हम नहीं जानते है कि उनका असर हम पर से कभी ख़त्म नही होता। इसी तरह से अपनी बेड़िया तोड़ देने वाले सभी लोग आज़ाद नहीं होते है। |
1317 | जिन घरों में ब्राह्मणों के पैर नहीं धोए जाते अथार्थ जहाँ उनका मान-सम्मान नहीं होता, उन्हें भोजनादि से संतुष्ट नहीं किया जाता, वेद-शास्त्रों के पाठ की ध्वनि नहीं गूंजती तथा यज्ञ-यागादी से देव-पूजन नहीं होता, वे घर, घर न होकर शमशान के सदर्श हैं। |
1318 | जिन चीजो को आप नहीं देख पाते है, लेकिन उनका यकीन रखते है, उसी को विश्वास कहते है। इसका नतीजा यह होता है कि जिन चीजो को आप देख सकते है, उन पर विश्वास करने लगते है। |
1319 | जिन चीज़ो को आप पसंद करते है, जिनसे प्यार करते है, वही आपको जन्नत तक लेकर जाएगी। |
1320 | जिन चीज़ोँ को हम प्यार करते है उन्हीं से पता चलता है की हम कौन हैं। |
1321 | जिन दिव्य द्रष्टि वाले व्यक्तियों ने सूर्य और चंद्रमा के राहू और केतु द्वारा ग्रहण की बात कही हैं वे विद्वान हैं क्योकि इस बात तो पता लगाने आकाश में न कोई दूत गया हैं और न इस सम्बन्ध में किसी से कोई बात हुई हैं। |
1322 | जिन वचनो से राजा के प्रति द्वेष उत्पन्न होता हो, ऐसे बोल नहीं बोलने चाहिए। |
1323 | जिन शब्दों से कोई फर्क नहीं पड़ता है, उन शब्दों का प्रयोग करने से कोई मतलब नहीं है। |
1324 | जिन सज्जनों के ह्रदय में परोपकार की भावना जाग्रत रहती है, उनकी तमाम विपत्तिया अपने आप दूर हो जाती है और उन्हें पग-पग पर सम्पत्ति एवं धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। |
1325 | जिनकी भक्ति यशोदा के पुत्र (श्रीकृष्ण) के चरणकमलों में नहीं है, जिनकी जिह्वा अहीरों की कन्याओं (गोपियों) के प्रिय (श्री गोविन्द) के गुणगान नहीं करती, जिनके कान परमानंद स्वरूप श्रीकृष्णचन्द्र की लीला तथा मधुर रसमयी कथा को आदरपूर्वक सुनने में नहीं है, ऐसे लोगो को मृदंग की थाप, धिक्कार है, धिक्कार है (धिक्तान्-धक्तान) कहती है। |
1326 | जिनके पास इनमे से कुछ नहीं है – विद्या, तप, ज्ञान, अच्छा स्वभाव, गुण, दया भाव । |
1327 | जिनके स्वामित्व बहुत होता है उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है। |
1328 | जिनको स्वयं बुद्धि नहीं है, शास्त्र उनके लिए क्या कर सकता है? जैसे अंधे के लिए दर्पण का क्या महत्व है ? |
1329 | जिन्दगी जख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो | हारना तो है मौत के सामने फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सीख लो |
1330 | जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है... |
1331 | जिन्दगी में कुछ भी हो जाये एक बार शादी जरुर कीजिये अगर अच्छी पत्नी मिली तो जिन्दगी खुशहाल हो जाएगी और अगर नहीं तो आप दार्शनिक जरुर बन जाओगे। |
1332 | जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पुरे नहीं होते। |
1333 | जिन्होंने तुम्हारा अपमान किया, तुम पर प्रहार किया, तुम्हे छोटा समझा या तुम्हारा महत्व नहीं समझा, उन्हें क्षमा कर दो। लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि अपने आप को क्षमा कर दो कि तुमने उन सब लोगों को ऐसा करने दिया। |
1334 | जिस क्षण मैंने यह जान लिया कि भगवान हर एक मानव शरीर रुपी मंदिर में विराजमान हैं , जिस क्षण मैं हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया और उसके भीतर भगवान को देखने लगा - उसी क्षण मैं बन्धनों से मुक्त हूँ , हर वो चीज जो बांधती है नष्ट हो गयी , और मैं स्वतंत्र हूँ। |
1335 | जिस आदमी को ब्रह्म-ज्ञान हैं उसके लिए स्वर्ग भी तुच्छ हैं, शूरवीर व्यक्ति के लिए जीवन का कोई मोह नहीं, इसी प्रकार इन्द्रियों को वश में रखने वाले व्यक्ति के लिए नारी का कोई महत्व नहीं, इसी प्रकार निः-स्परह (आसक्तिरहित) व्यक्ति के लिए संसार के भरपूर सुन्दर खज़ाने तथा अन्य वस्तुए तिनके के समान तुच्छ होती हैं। |
1336 | जिस काम की आज शुरुआत नहीं करेंगे, वह कल तक ख़त्म भी नहीं होगा। |
1337 | जिस काम को आप खुद आज कर सकते है, उसे न तो कल पर टालिए न किसी दूसरे पर। |
1338 | जिस कार्य में मर्जी शामिल है, उस कार्य को करने में कोई परेशानी नहीं होती है। |
1339 | जिस गुरु ने एक भी अक्षर पढ़ाया हो, उस गुरु को जो प्रणाम नहीं करता अर्थात उसका सम्मान नहीं करता, ऐसा व्यक्ति कुत्ते की सैकड़ो योनियों को भुगतने के उपरांत चांडाल योनि में जन्म लेता है। |
1340 | जिस घर में बेटा नहीं, वह सुनसान बियाबान के समान हैं पिता वहां अपने-आपको अकेला अनुभव करता हैं उसका वंश आगे नहीं चलता इसी प्रकार जिस व्यक्ति के कोई सम्बन्धी अथवा परिजन नहीं, वे भी अपने-आपको अकेला पाते हैं उनका सुख-दुःख बाटने वाला कोई नहीं होता। |
1341 | जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है.. |
1342 | जिस जगह पर लोग चिल्लाकर, चीख कर बात करते हैं वहां सच्ची जानकारी नहीं मिल सकती। |
1343 | जिस जगह प्रेस मुफ्त है और हर व्यक्ति पढ़ना-लिखना जानता है, वह जगह दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह होगी। |
1344 | जिस तरह गली में दो, चार सूअर के रहने से गली साफ़ बनी रहती है, उसी प्रकार आपके जीवन में दो, चार आलोचक के रहने से आप सहज, स्वच्छ व सजग बने रहते है।। |
1345 | जिस तरह एक प्रज्वलित दिपक कॉ चमकने के लीए दूसरे दीपक की ज़रुरत नहीं होती है। उसी तरह आत्मा जो खुद ज्ञान स्वरूप है उसे और क़िसी ज्ञान कि आवश्यकता नही होती है, अपने खुद के ज्ञान के लिए। |
1346 | जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है, उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है। |
1347 | जिस तरह बहादुर होना जिंदगी के लिए खतरनाक हैं, उसी तरह डर हमारी सुरक्षा करता हैं। |
1348 | जिस तरह से पानी को कभी सूखा नहीं कह सकते और लकड़ी की बनी हुई आयरन रॉड नहीं होती। ठीक उसी तरह से कूटनीति को ईमानदार नहीं कहा जा सकता है। |
1349 | जिस तरह से बातचीत करने के लिए समय होता है, उसी तरह से सोने के लिए भी समय तय करिये। |
1350 | जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है। |
1351 | जिस तरह हर प्रजाति अपने सुधार की और बढ़ती है, हर इंसान भी (पहले या बाद में) पूर्णता की और जाता है। |
1352 | जिस तालाब में पानी ज्यादा होता हैं हंस वही निवास करते हैं, यदि वहां का पानी सुख जाता हैं तो वे उन्हें छोड़ कर दुसरे स्थान पर चले जाते हैं जब कभी वर्षा अथवा नदी से उसमे पुनः पानी भर जाता हैं तो वे फिर लौट आते हैं। मनुष्य को हंस के समान व्यवहार नहीं करना चाहिए, मैत्री या सम्बन्ध स्थापित करने के बाद उन्हें भंग करना उचित नहीं अपने आश्रयदाता को बार-बार छोडना और उसके पास लौट कर आना मानवता का लक्षण नहीं हैं। |
1353 | जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये - आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है। |
1354 | जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रति प्रेम पर हावी हो जायेगी, दुनिया में अमन आ जायेगा। |
1355 | जिस दिशा में शिक्षा व्यक्ति की शुरआत करती है वही जीवन में उसके भविष्य का निर्धारण करता है। |
1356 | जिस देश में धनी-मानी व्यापारी, कर्म कांड को मानने वाले पुरोहित ब्राहमण, शासन व्यस्था में निपुण राजा, सिंचाई अथवा जल की आपूर्ति के लिए नदियां और रोगों से रक्षा के लिए वैध आदि चिकित्सक न हों अथार्त जहां पर ये पांचो सुविधांए प्राप्त न हो वहां व्यक्ति को एक दिन के लिए भी रहना उचित नहीं हैं |
1357 | जिस देश में मूर्खो का आदर सम्मान नहीं होता अथार्त जहां मुर्ख व्यक्तियों को प्रधानता नहीं दी जाती, अन्न संचित और सुरक्षित रहता हैं तथा पति-पत्नी में कभी झगडा नहीं होता, वंहा लक्ष्मी बिना बुलाये ही निवास करती हैं, उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती। |
1358 | जिस देश में व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता और आजीविका के साधन भी सुलभ न हों, जहां उसके परिवार के लोग और मित्र आदि भी न हो, उस देश में रहना उचित नहीं हैं इसके साथ ही चाणक्य ने यह महत्वपूर्ण बात भी कही हैं कि यही ऐसे देश में विद्या-प्राप्ति के साधन भी न हो तो उस देश में मनुष्य को भी नहीं रहना चाहिए वंहा कभी वास करना चाहिए |
1359 | जिस देश में सम्मान नहीं, आजीविका के साधन नहीं, बन्धु-बांधव अर्थात परिवार नहीं और विद्या प्राप्त करने के साधन नहीं, वहां कभी नहीं रहना चाहिए। |
1360 | जिस प्रकार अमूल्य रत्न को भी अपने आश्रय के लिए सोने की आवश्कता होती हैं, सोने में मढ़े जाने पर ही रत्न को धारण किया जा सकता हैं। उसी प्रकार संसार में परमात्मा की बराबरी करने वाला पुरुष भी किसी उपयुक्त आश्रय के अभाव में यश और प्रसिद्धी प्राप्त नहीं कर पाता। |
1361 | जिस प्रकार अमृत के सुलभ होने पर भी देवतागण अप्सराओ के अधर-रस को पीने के लिए लालयित रहते हैं, उसी प्रकार संस्कृत भाषा में गहरी पैठ रखता हुआ भी मैं अन्य भाषओं को जानने के लिए उत्सुक हूँ। |
1362 | जिस प्रकार आँखों को देखने के लिए रौशनी की ज़रुरत होती है, उसी प्रकार हमारे दिमाग को समझने के लिए विचारों की ज़रुरत होती है। |
1363 | जिस प्रकार इन्द्रायण का फल पक जाने पर भी अपनी कटुता को छोड़ कर मधुर नहीं हो जाता, उसी प्रकार आयु के ढल जाने पर भी दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता, दुष्टता उसका सवभाव बन जाने से कभी नहीं छूटती। |
1364 | जिस प्रकार एक अकेला चाँद अँधेरी रात को जगमगा देता हैं अँधेरा दूर कर देता हैं उसी प्रकार विधान, चरित्रवान और अच्छे स्वभाव वाला एक पुत्र सारे वंश का नाम रोशन कर देता हैं। |
1365 | जिस प्रकार एक राजा अत्यधिक अधर्म के आचरण से नष्ट हो जाता हैं, उसका पाप ही उसे समाप्त कर देता हैं ठीक उसी प्रकार अपने लोगो को छोड़ कर दूसरों को अपनाने वाला मुर्ख व्यक्ति भी अपने-आप ही नष्ट हो जाता हैं। |
1366 | जिस प्रकार एक ही अच्छा वृक्ष अपने पुष्पों की सुगंध से सारे वन को सुशोभित और सुगन्धित बना देता हैं, उसी प्रकार एक ही गुणी पुत्र अपने उज्जवल गुणों से अपने सारे कुल को लोकप्रिय और प्रसिद्ध बना देता हैं |
1367 | जिस प्रकार किरायेदार घर उपयोग करने के लिए उसका किराया देता हैं उसी प्रकार रोग के रूप में आत्मा, शरीर को प्राप्त करने के लिए टैक्स अथवा किराया देती हैं। |
1368 | जिस प्रकार कुत्ते की पूंछ गुप्त स्थानों को ढांप सकने में व्यर्थ है और मच्छरों को काटने से भी नहीं रोक पाती, उसी प्रकार बिना विद्या के मनुष्य जीवन व्यर्थ है। |
1369 | जिस प्रकार घिसने, काटने, आग में तापने-पीटने, इन चार उपायो से सोने की परख की जाती है, वैसे ही त्याग, शील, गुण और कर्म, इन चारों से मनुष्य की पहचान होती है। |
1370 | जिस प्रकार चन्द्रमा से रात्रि की शोभा होती है, उसी प्रकार एक सुपुत्र, अर्थात साधु प्रकृति वाले पुत्र से कुल आनन्दित होता है। |
1371 | जिस प्रकार जलता हुआ एक ही सुखा पेड़ सारे वन को जलाकर रख कर देता हैं उसी प्रकार एक की कुपुत्र से पूरा वंश कलंकित हो जाता हैं। |
1372 | जिस प्रकार जिस पात्र में शराब अथवा मादक द्रव्य रखा जाता हैं उसे आग से तपाये जाने पर भी उसकी गंध नहीं जाती हैं वह शुद्ध नहीं हो सकता ठीक उसी प्रकार कुटिल मन वाला व्यक्ति, जिसमे मन में पाप भरा हैं सैकड़ो तीर्थो में स्नान करने पर भी पवित्र और निष्पाप नहीं हो सकता। |
1373 | जिस प्रकार दक्षिणा प्राप्त करने के बाद पुरोहित यजमान के घर से चला जाता हैं, जिस प्रकार विधा समाप्त करने के बाद शिष्य अपने गुरु से विदाई ले लेता हैं, उसी प्रकार वन के जल जाने पर उस जंगल को छोड़ कर पक्षी –पशु किसी दुसरे जंगल की राह लेते हैं। |
1374 | जिस प्रकार दूध न देने वाली गाय का कोई लाभ नहीं, उसी प्रकार ऐसे पुत्र से भी कोई लाभ नहीं जो न तो विद्वान हैं और न ही अपने माता-पिता और परिजनों में श्रद्धा-भक्ति रखता हैं। |
1375 | जिस प्रकार नीम के वृक्ष की जड़ को दूध और घी से सीचने के उपरांत भी वह अपनी कड़वाहट छोड़कर मृदुल नहीं हो जाता, ठीक इसी के अनुरूप दुष्ट प्रवृतियों वाले मनुष्यों पर सदुपदेशों का कोई भी असर नहीं होता। |
1376 | जिस प्रकार पर-पुरुष से गर्भ धारण करने वाली स्त्री शोभा नहीं पति, उसी प्रकार गुरु के चरणो में बैठकर विद्या प्राप्त न करके इधर-उधर से पुस्तके पढ़कर जो ज्ञान प्राप्त करते है, वे विद्वानों की सभा में शोभा नहीं पाते क्योंकि उनका ज्ञान अधूरा होता है। उसमे परिपक्वता नहीं होती। अधूरे ज्ञान के कारण वे शीघ्र ही उपहास के पात्र बन जाते है। |
1377 | जिस प्रकार परपुरुष से गर्भ धारण करने वाली व्यभिचारिणी स्त्री समाज में शोभा नहीं पाती। वे मातृतव के गौरव से सर ऊँचा नहीं कर पाती, उसी प्रकार बिना गुरु के सानिध्य के विधा ग्रहण करने वाला विद्वानों की सभा में उपहास का पात्र ही बनता हैं। अत: स्पष्ट हैं कि वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया, वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है। उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती। |
1378 | जिस प्रकार पानी की एक-एक बूंद से धीरे-धीरे सारा मटका भर जाता हैं उसी प्रकार एक-एक अक्षर प्रतिदिन पढने से मनुष्य भी विद्वान बन जाता हैं प्रतिदिन एक-एक पैसा जोड़ने से व्यक्ति धनवान बन जाता तथा थोडा-थोडा धर्मानुष्ठान करने से धार्मिक बन जाता हैं। |
1379 | जिस प्रकार फावड़े से खुदाई करने वाला पृथ्वी के नीचे के जल को निकल लेता हैं, उसी प्रकार गुरु की सेवा करने वाला भी गुरु के हर्दय में स्थति विद्या को प्राप्त कर लेता हैं। |
1380 | जिस प्रकार फूल में गंध, तिलो में तेल, लकड़ी में आग, दूध में घी, गन्ने में मिठास आदि दिखाई न देने पर भी विध्यमान रहते है, उसी प्रकार मनुष्य के शरीर में दिखाई न देने वाली आत्मा निवास करती है। यह रहस्य ऐसा है कि इसे विवेक से ही समझा जा सकता है। |
1381 | जिस प्रकार बालू अपने रूखे स्वभाव नहीं छोड़ सकता, उसी प्रकार दुष्ट भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ पाता। |
1382 | जिस प्रकार मछली देख-रेख से, कछुवी चिड़िया स्पर्श से (चोंच द्वारा) सदैव अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही अच्छे लोगोँ के साथ से सर्व प्रकार से रक्षा होती है। |
1383 | जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता। |
1384 | जिस प्रकार यजमान से निमंत्रण पाना ही ब्राह्मणों के लिए प्रसन्नता का अवसर होता हैं, जैसे हरी घास मिल जाना गायो के लिए प्रसन्नता की बात होती हैं इसी प्रकार पति की प्रसन्नता स्त्रियों के लिए उत्सव होती हैं परन्तु मेरे लिए तो भीषण रण में अनुराग ही जीवन की सार्थकता अथार्त उत्सव हैं। |
1385 | जिस प्रकार वेश्या अपने प्रेमी के निर्धन हो जाने उसे त्याग देती हैं, उससे मुहँ मोड़ लेती है और पराजित व अपमानित राजा को प्रजा छोड़ देती हैं तथा जिस प्रकार सूखे हुए पेड़ को छोड़ कर पक्षी उड़ जाते हैं, उसी प्रकार अतिथि को चाहिए कि भोजन करने के बाद गृहस्थी के घर को त्याग दे। |
1386 | जिस प्रकार शराब वाला पात्र अग्नि में तपाए जाने पर भी शुद्ध नहीं हो सकता, उसी प्रकार जिस मनुष्य के ह्रदय में पाप और कुटिलता भरी होती है, सैकड़ों तीर्थ स्थानो पर स्नान करने से भी ऐसे मनुष्य पवित्र नहीं हो सकते। |
1387 | जिस मनुष्य ने अपने जीवन में कोई भी अच्छा काम नहीं किया, उसकी लाश को हिंसक पशु भी त्जाज्य समझते हैं। वन में पड़े किसी क्यक्ति के शव को खाने के इच्छुक एक गीदड़ को दूसरा वृद्ध गीदड़ समझाते हुए कहता हैं – इस शव को मत खाओ, इसे छोड़ दो क्योकि यह शरीर एकदम निक्रस्त और निन्दनीय हैं, इसने अपने हाथो से कभी कोई दान नहीं किया, कानो से कभी उत्तम शास्त्रों का अध्यन नहीं किया, नेत्रों से किसी साधु-महात्मा के दर्शन नहीं किये, पैरो से कभी तीर्थयात्रा नहीं की इस प्रकार इस व्यक्ति ने अपने जीवन काल में अपने शरीर के किसी भी अंग का सदुपयोग नहीं किया। |
1388 | जिस मनुष्य ने ईश्वर का साक्षात्कार किया हो वो कभी दूसरे के प्रति क्रूर नही बन सकता, ऐसी क्रूरता होना, ये उसकी प्रकृति के विरूद की बात है। ऐसे इंसान इंसान कभी भी ग़लत कदम नहीं उठाते और उनके मन में ग़लत विचार नहीं आते। |
1389 | जिस रास्ते पर सबसे काम रुकावटें हों, वह असफल लोगों का रास्ता होता है। |
1390 | जिस व्यक्ति कि स्त्री दुष्ट हो, जिसके मित्र नीच स्वभाव के हों और नौकर चाकर जबाब देने वाले हो और जिस घर में सांप रहता हो, ऐसे घर में रहने वाला व्यक्ति निश्चय ही मृत्यु के निकट रहता है |
1391 | जिस व्यक्ति के दिमाग में कोई मैल नहीं होती है वह सच्चाई के ज्यादा करीब होता है। उस व्यक्ति के अपेक्षा जिसके दिमाग में झूठ या गलत बातें रहती है। |
1392 | जिस व्यक्ति के पास कल्पना नहीं है उसके पास पंख नहीं हैं। |
1393 | जिस व्यक्ति के पास पैसा हैं, लोग स्वत: ही उसके मित्र बन जाते हैं, बन्धु-बान्धव भी उसे आ घेरते हैं जो धनवान है आज के युग में उसे ही विद्वान और सम्मानित व्यक्ति माना जाता हैं। धनवान व्यक्ति को ही विद्वान और ज्ञानवान माना जाता हैं। |
1394 | जिस व्यक्ति को किसी भी बात का कोई ज्ञान नहीं है, उसे कोई बात आसानी से समझाई जा सकती हैं और जो व्यक्ति सब कुछ जानता हो, चतुर हो उसे भी कोई भी बात बहुत ही सफलतापूर्वक समझाई जा सकती हैं, परन्तु जिस व्यक्ति को बहुत थोडा सा ज्ञान होता हैं उसे तो ब्रह्मा भी नहीं समझा सकता क्यों कि यह बात बिल्कुल उस तरह होती हैं जैसे एक कहावत के अनुसार चूहा हल्दी की एक गांठ लेकर पंसारी बन बैठा |
1395 | जिस व्यक्ति को कोई चाहने वाला न हो, कोई ख्याल रखने वाला न हो, जिसे हर कोई भूल चुका हो,मेरे विचार से वह किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में जिसके पास कुछ खाने को न हो,कहीं बड़ी भूख, कही बड़ी गरीबी से ग्रस्त है। |
1396 | जिस व्यक्ति को तुम अज्ञानी और तुच्छ समझते हो वो भगवान् की और से आया है , हो सकता है वो दुःख से आनंद और निराशा से ज्ञान सीख ले। |
1397 | जिस व्यक्ति को विश्वास होता है उसे किसी तरह की सफाई की जरुरत नहीं पड़ती है। जिस व्यक्ति को विश्वास नहीं होता है उसके लिए किसी तरह की कोई सफाई मुमकिन नहीं है। |
1398 | जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की। |
1399 | जिस व्यक्ति में ये तीनो चीजे हैं, वो कभी भी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता या भगवान की द्रष्टि उस पर नहीं पड़ सकती। ये तीन हैं लज्जा, घृणा और भय। |
Saturday, January 23, 2016
#1301- 1400
Friday, January 22, 2016
#1201 -1300
1201 | जब कोई काम करने का तरीका तलाश रहा होगा तो अंतिम बार जिसके बारे में उसने सोचा होगा वह ये है की किस चीज़ को आगे रखे। |
1202 | जब कोई मनुष्य भावनाओं में बहने लग जाता है तो उसका खुद पर काबू खत्म होने लग जाता है। |
1203 | जब कोई राष्ट्र हथियार युक्त देशो से घिरा हो, तो उसे भी हथियार युक्त होना पडेगा। |
1204 | जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। |
1205 | जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते। |
1206 | जब तक आप न चाहें तब तक आपको कोई भी ईर्ष्यालु, क्रोधी, प्रतिशोधी, या लालची नहीं बना सकता है। |
1207 | जब तक इच्छा लेशमात्र भी विद्यमान है जब तक ईश्वर के दर्शन नहीं हो सकते, अतएव स्वविवेक द्वारा अपनी छोटी बड़ी इच्छाओं का त्याग कर दो। |
1208 | जब तक काम कर न लिया जाए तब तक वह काम असंभव लगता है। |
1209 | जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। |
1210 | जब तक चीज़ों के साथ प्रयोग न किया जाए या उन्हें उपयोग में न लाया जाए तब तक कोई निष्कर्ष निकालना मुश्किल है। |
1211 | जब तक पुण्य फलों का अंश शेष रहता है, तभी तक स्वर्ग का सुख भोग जा सकता है। |
1212 | जब तक पूरा भारत उठकर खड़ा नहीं होगा, संसार में कोई हमारा आदर नहीं करेगा। इस दुनियाँ में डर की कोई जगह नहीं है केवल शक्ति की पूजा होती है । |
1213 | जब तक भारत दुनिया में अपने कदमो पर खड़ा नहीं है, तब तक हमे कोई आदर नहीं करेगा। इस दुनिया में डर के लिए कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है। |
1214 | जब तक मनुष्य को यह आज़ादी मिले की वह जो पूछना चाहता है पूछ सके, जो सोचता है वह कह सके और जैसा चाहता है वैसा कर पाए तो ही वह हमेशा आज़ाद रहेगा। |
1215 | जब तक यह जीवन हैं और तुम जीवित हो, सीखते रहना चाहिए। |
1216 | जब तक लाखो लोग भूखे और अज्ञानी है तब तक मै उस प्रत्येक व्यक्ति को गद्दार मानता हुँ जो उनके बल पर शिक्षित हुआ और अब वह उसकी और ध्यान नही देता। |
1217 | जब तक लोग एक ही प्रकार के ध्येय का अनुभव नहीं करेंगे, तब तक वे एकसूत्र से आबद्ध नही हो सकते। जब तक ध्येय एक न हो, तब तक सभा, समिति और वक्तृता से साधारण लोगो एक नहीं कर सकता। |
1218 | जब तक सत्य घर से बाहर निकल पाता है तब तक तो झूठ आधी दुनिया घूम चूका होता है। |
1219 | जब तक हम अपने आप से सुलह नही कर लेते तब तक हम दुनिया से भी सुलह नहीं कर सकते। |
1220 | जब तक हम कुछ न कुछ करते रहेंगे तब तक जीवित माने जाएंगे। जिस दिन शांत बैठ जाएंगे तो मृतक ही कहलाएंगे। |
1221 | जब तक हम दुःख का अनुभव पूरी तरह से न कर पाएं तब तक हम उसका समाधान भी नहीं निकाल पाएंगे। |
1222 | जब दिमाग सोच रहा होता है तो वो खुद से बात कर रहा होता है। |
1223 | जब दो या दो से ज्यादा लोग बातचीत करते है तो वे जिन बातों में विश्वास करते हैं उन्हें सही और जिन बातों को न पसंद करते है उन्हें गलत साबित करने में लग जाते है। |
1224 | जब परिवार का कोई व्यक्ति साधु बन जाता हैं, संसार के माया-मोह को छोड़ कर वैराग्य को अपना लेता हैं तो उस समय उसे उसके बन्धु-बान्धव, स्त्री –पुरुष और मित्र आदि सभी कुछ दूर तक उसके साथ जाकर उसे विदा करके लौट आते हैं इस प्रकार अपने परिवार के एक प्रबुद्ध सदस्य को मोह-माया से विरक्त देखकर भी वे पुनः अपने घर आकर माया-मोह में फंस जाते है जबकि सबको उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। |
1225 | जब परेशान होते है या थकावट ज्यादा होती है तो दो चीज़ें समझ में आती है। हंसना या रोना। हंसना इसलिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि हंसने के बाद सफाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है। |
1226 | जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है. |
1227 | जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के समान भयंकर आपत्ति एवं विपत्ति में भी अपनी मर्यादा नहीं बदलते। |
1228 | जब फूल खिलता है, मधुमक्खियों बिन बुलाए आ जाती हैं। |
1229 | जब बिलकुल अँधेरा होता है, तब इंसान सितारे देख पाता है। |
1230 | जब भी आप अपनी उम्र को खुद पर हावी होने का मौका देंगे, तब आप बहुत से अवसरों का लाभ उठाने से चूक जायेंगे फिर आप वे काम करना शुरू कर देंगे, जिन्हें करने के लिए आपका दिल कभी राजी नहीं होगा |
1231 | जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो, उसे प्रेम से जीतें। |
1232 | जब भी कोई मेरे ईमानदार होने की बात करता है तो मेरे अंदर कँपकँपी होती है। |
1233 | जब मन में सच जानने की जिज्ञासा पैदा हो जाए तो दुनियावी चीज़े अर्थहीन लगती हैं। |
1234 | जब मै कुछ अच्छा करता हूं तो मुझे अच्छा लगता है, और जब मै कुछ बुरा करता हूं तो मुझे बुरा लगता है। यही मेरा धर्म है। |
1235 | जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है। |
1236 | जब मैं छोटा था तो मैं हर रोज़ भगवान को नयी साइकिल के लिए पूजता था। तब मुझे एहसास हुआ कि भगवान इस तरह काम नहीं करे इसलिए मैंने एक साइकिल चुराई और उनसे क्षमा करने के लिए कह दिया। |
1237 | जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा। |
1238 | जब मैं पूरी तरह से तय कर लेता हूँ कि कोई परिणाम प्राप्त करने योग्य है तो मैं आगे बढ़ता हूँ और परीक्षण पर परीक्षण करते चला जाता हूँ जब तक कि इच्छित परिणाम ना आ जाये। |
1239 | जब रात को आप अपने कपडे फेंकते हैं तो उसी वक़्त अपनी चिंताओं को भी फेंक दीजिये। |
1240 | जब से मुझे पता चला की उपरवाला मेरे साथ है, तब से मैंने यह सोचना बंद कर दीया की कौन कौन मेरे खिलाफ है..........!! |
1241 | जब हम एक-दूसरे की मदद करने या उन्हें समझाने के लिए मुड़ते हैं तो हम अपने दुश्मनों की संख्या काम कर देते है। |
1242 | जब हम दैनिक समस्याओ से घिरे रहते है तो हम उन अच्छी चीज़ों को भूल जाते है जो की हम में है। |
1243 | जब हम परेशानियों में फँसे होते हैं तो हमें अहसास होता है कि एक छुपा हुआ साहस हमारे अंदर है जो हमें तब ही दिखाई देता है जब हम असफलता का सामना कर रहे होते हैं। हमें उसी छुपे हुए साहस और शक्ति को पहचानना है । |
1244 | जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते हैं, कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी और यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं। जरूरत है कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें। |
1245 | जब हम बोलना नही जानते थे, तो हमारे बोले बिना'माँ' हमारी बातो को समझ जाती थी और आज हम हर बात पर कहते है ''छोङो भी 'माँ' आप नही समझोगी''। |
1246 | जब हमारे पास सत्य को अपनाने की ताकत नहीं होती तो हम-'शायद ये हो सकता था.. . ' को ही अपना लेते है। |
1247 | जब हमारे हस्ताक्षर, ऑटोग्राफ में बदल जाये तो यह सफलता की निशानी है। |
1248 | जब हमे लगता है कि हम कोई सपना देख रहे है, तो उस वक़्त हम सच के बिलकुल करीब होते है। |
1249 | जब हवा चलने लगे तो पंखा चलाना छोड़ देना चाहिए, पर जब ईश्वर की कृपा दृष्टि होने लगे, तो प्रार्थना तपस्या नहीं छोड़नी चाहिए। |
1250 | जमीन अच्छी हो, खाद अच्छा हो परंतु 'पानी' अगर 'खारा' हो तो फूल कभी खिलते नहीं। भाव अच्छे हो विचार भी अच्छे हो मगर 'वाणी' खराब हो तो 'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं। |
1251 | जय क्षणभंगुर है, लेकिन अन्धकार हमेशा के लिए है। |
1252 | जरुरत के मुताबिक “जिंदगी” जिओ – “ख्वाहिश”….. के मुताबिक नहीं... |
1253 | जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है, और ख्वाहिशें ….. बादशाहों की भी “अधूरी रह जाती है”….. |
1254 | जरुरी नहीं की मुश्किल काम करने से ही फायदा होता है या सफलता मिलती है। |
1255 | जर्नलिज़्म का मतलब वह खबर देना है जो दूसरे छपने नहीं देना चाहते। इसके अलावा सब पब्लिक रिलेशन है। |
1256 | जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!. |
1257 | जल में तेल, दुर्जन के पास गुप्त रहस्य, सत्पात्र को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया गया उपदेशरूप में शास्त्र का ज्ञान थोडा होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं। |
1258 | जल में मूत्र त्याग न करें। |
1259 | जलदबाज़ी और तत्काल के बजाय अहमियत पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। |
1260 | जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए। यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। |
1261 | जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए।यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। |
1262 | जल्द मिलने वाली चीजे ज्यादा दिन तक नही चलती और जो चीजे ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नही मिलती । |
1263 | जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा। |
1264 | जवानी के जोश से भरे हुए अपने दिनों को सही दिशा दे और उन्हें व्यर्थ ना जाने दें। क्योंकि एक बार वे गुजर गए तो फिर आप जितनी मर्जी दौलत लुटा दें, उन्हें वापस नहीं पा सकते। |
1265 | जहाँ आयकर होता है, वहां उचित व्यक्ति अनुचित व्यक्ति की अपेक्षा उसी आय पर अधिक कर देगा। |
1266 | जहाँ जाइये प्यार फैलाइए. जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे. |
1267 | जहाँ जाइये प्यार फैलाइए। जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे। |
1268 | जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता। |
1269 | जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही, उससे कोई मुक्त नहीं है। तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए। |
1270 | जहाँ प्रकाश है वहां अँधेरा भी है। जहाँ ठंड है वहां गर्मी है। जहाँ ऊँँचाई है वहां खाई है। जहाँ शान्ति है वहां हलचल है। जहाँ समृद्धि है, वही गरीबी है। और जहाँ जीवन है, वही मृत्यु भी है। |
1271 | जहाँ प्रेम है वहां जीवन है। |
1272 | जहाँ सम्मान है वहां डर है, पर ऐसी हर जगह सम्मान नहीं है जहाँ डर है, क्योंकि संभवतः डर सम्मान से ज्यादा व्यापक है। |
1273 | जहां अच्छे विचारों की कमी होती है वहीँ पर बोरियत महसूस होने लगती है। |
1274 | जहां आजीविका अथवा लोगों में सामाजिकता- एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देने की प्रवर्ती – नहीं, ऐसे स्थान अथवा गाँव में निवास, किसी नीच व्यक्ति की नौकरी, गन्दा सडा-गला बासी अथवा अरुचिकर भोजन, झगड़ालू स्त्री, मुर्ख पुत्र और विधवा कन्या – ये छः मनुष्य के शरीर को बिना किसी आग के जलाते रहते हैं इनसे व्यक्ति के मन की सुख शान्ति जाती रहती हैं। |
1275 | जहां जानकारी साथ छोड़ देती है, वही से प्यार की शुरुआत होती है। |
1276 | जहां जीविका, भय, लज्जा, चतुराई और त्याग की भावना, ये पांचो न हों, वहां के लोगो का साथ कभी न करें। |
1277 | जहां धनी, वैदिक ब्राह्मण, राजा,नदी और वैद्य, ये पांच न हों, वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहियें। भावार्थ यह कि जिस जगह पर इन पांचो का अभाव हो, वहां मनुष्य को एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए। |
1278 | जहां बच्चे होते है,वही सुनहरे भविष्य की कामना की जा सकती है। |
1279 | जहां ब्राह्मणों के चरण नहीं धोये जाते अर्थात उनका आदर नहीं किया जाता, जहां वेद-शास्त्रों के श्लोको की ध्वनि नहीं गूंजती तथा यज्ञ आदि से देव पूजन नहीं किया जाता, वे घर श्मशान के समान है। |
1280 | जहां मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां अन्न भंडार सुरक्षित रहता है, जहां पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता, वहां लक्ष्मी बिना बुलाए ही निवास करती है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती। |
1281 | जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है। |
1282 | जहां सज्जन रहते हों, वहीं बसें। |
1283 | जहां सुख से रहा जा सके, वही स्थान श्रेष्ठ है। |
1284 | जहां हर चीज सपने की तरह होती है वहां सवाल-जवाब या बहस का कोई मतलब नहीं होता। सच्चाई और जानकारियां भी कोई भूमिका नहीं निभाते है। |
1285 | ज़रूरतमंद दोस्त की मदद करना आसान है , लेकिन उसे अपना समय देना हमेशा संभव नहीं हो पाता। |
1286 | ज़िन्दगी को प्यार करने और उसके लिए लालची होने के बीच एक बहुत बारीक रेखा है . |
1287 | ज़िन्दगी इसे जीने वाले को प्यार करती है. |
1288 | ज़िन्दगी करीब से देखने में एक त्रासदी है , लेकिन दूर से देखने पर एक कॉमेडी। |
1289 | ज़िन्दगी को एक नाटक की तरह जीना चाहिए। |
1290 | ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए। |
1291 | ज़िन्दगी बढ़िया हो सकती है अगर लोग आपको अकेला छोड़ दें। |
1292 | जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना। |
1293 | जाति-बिरादरी के लोगो को खिला-पिला कर प्रसन्न रखना चाहिए और ब्राह्मणों को आदर-सम्मानपूर्वक से प्रसन्न किया जा सकता हैं। |
1294 | जाहिर वो है जो तब तक नहीं पता चलता जब तक कि कोई उसे सरलता से व्यक्त नहीं कर देता। |
1295 | जिंदगी का मकसद खुश होना नहीं है। इसका मकसद उपयोगी, सम्माननीय, सवेदनशील होना है। इसका मकसद कुछ ऐसा अलग काम करना है, जिसमे आप जिए है और बेहतर बने है। |
1296 | जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है, जिसने जैसा मार्ग बनाया उसे वैसी ही मंज़िल मिलती है। |
1297 | जिंदगी जीने के दो तरीके है। पहला यह कि कुछ भी चमत्कार नहीं है, दूसरा यह कि दुनिया की हर चीज चमत्कार है। |
1298 | जिंदगी बहुत छोटी है, दुनिया में किसी भी चीज़ का घमंड अस्थाई है पर जीवन केवल वही जी रहा है जो दुसरो के लिए जी रहा है, बाकि सभी जीवित से अधिक मृत है। |
1299 | जिंदगी भर "सुख" कमाकर दरवाजे से घर में लाने की कोशिश करते रहे। पता ही ना चला कि कब खिड़कियों से "उम्र" निकल गई।।. |
1300 | जिंदगी मे चुनौतियाँ हर किसी के हिस्से नही आती है, क्योकि किस्मत भी किस्मत वालो को ही आज़माती है.. |
Thursday, January 21, 2016
#1101 -1200
1101 | गुणी वहीँ होता हैं जिसकी प्रशंसा अन्य लोग करें। अपने मुंह से अपनी प्रशंसा करना अच्छी बात नहीं अन्य व्यक्तियों द्वारा प्रशंसित गुण ही सच्चे अर्थो में गुण होते हैं। |
1102 | गुणी व्यक्ति का आश्रय लेने से निर्गुणी भी गुणी हो जाता है। |
1103 | गुणों की सभी जगह पूजा होती है, न की बड़ी सम्पत्तियों की। क्या पूर्णिमा के चाँद को उसी प्रकार से नमन नहीं करते, जैसे दूज के चाँद को ? |
1104 | गुणों से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। |
1105 | गुरु और देवता के पास भी खाली नहीं जाना चाहिए। |
1106 | गुरु, देवता और ब्राह्मण में भक्ति ही भूषण है। |
1107 | गुरुओं की आलोचना न करें। |
1108 | गुरुजनों की माता का स्थान सर्वोच्च होता है। |
1109 | गुरुत्वाकर्षण लोगो के प्यार में गिरने के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं। |
1110 | गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुशी बिखेरता है। उसकी खुशबु ही उसका संदेश है। |
1111 | गुस्सा ज्यादा आता हैं तो सबसे पहले अपनी इस आदत में सुधार लाने की कोशिश करें क्योकिं कई बार थोड़ी परेशानी में भी बड़ी गलती कर बैठते हैं। |
1112 | गुस्से (temper) पर नियंत्रण रखे। |
1113 | गुज़रता वक्त कभी वापस नहीं आता है। |
1114 | घमंड ऐसी चीज है जो फरिश्तों को राक्षस बना देती है और इंसानियत ऐसी चीज है जो इंसान को फ़रिश्ते का रूप देता है। |
1115 | घर आए अतिथि का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। |
1116 | घर आनंद से युक्त हो, संतान बुद्धिमान हो, पत्नी मधुर वचन बोलने वाली हो, इच्छापूर्ति के लायक धन हो, पत्नी के प्रति प्रेमभाव हो, आज्ञाकारी सेवक हो, अतिथि का सत्कार और श्री शिव का पूजन प्रतिदिन हो, घर में मिष्ठान व शीतल जल मिला करे और महात्माओ का सत्संग प्रतिदिन मिला करे तो ऐसा गृहस्थाश्रम सभी आश्रमों से अधिक धन्य है। ऐसे घर का स्वामी अत्यंत सुखी और सौभाग्यशाली होता है। |
1117 | घर के सुखो अथवा परिवार में मोह रखने वाला कभी विधा प्राप्त नहीं कर सकता, मांस खाने वाले के मन में कभी दया का भाव नहीं उपज सकता, धन का लोभी कभी सत्यभाषण नहीं कर सकता, स्त्रियों में आसक्ति रखने वाला कामी पुरुष पवित्र सदाचारी नहीं रह सकता। |
1118 | घर-गृहस्थी में आसक्त व्यक्ति को विद्या नहीं आती। मांस खाने वाले को दया नहीं आती। धन के लालची को सच बोलना नहीं आता और स्त्री में आसक्त कामुक व्यक्ति में पवित्रता नहीं होती। |
1119 | घास का तिनका हल्का है। रुई उससे भी हल्की है। भिखारी तो अनंत गुना हल्का है। फिर हवा का झोंका उसे उड़ा के क्यों नहीं ले जाता। क्योंकि वह डरता है कहीं वह भीख न मांग ले। |
1120 | घृणा, घृणा से नहीं प्रेम से खत्म होती है, यह शाश्वत सत्य है। |
1121 | चंचल चित वाले के कार्य कभी समाप्त नहीं होते। |
1122 | चंदन का कटा हुआ वृक्ष भी सुगंध नहीं छोड़ता, बूढ़ा होने पर भी गजराज क्रीड़ा नहीं छोड़ता, ईख कोल्हू में पीसने के बाद भी अपनी मिठास नहीं छोड़ती और कुलीन व्यक्ति दरिद्र होने पर भी सुशीलता आदि गुणों को नहीं छोड़ता। |
1123 | चतुरंगणी सेना (हाथी, घोड़े, रथ और पैदल) होने पर भी इन्द्रियों के वश में रहने वाला राजा नष्ट हो जाता है। |
1124 | चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते। हाथी बुढा होने पर भी अपनी विलासलीला नहीं छोड़ता। गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता। उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों(सुशीलता,उदारता तथा त्यागशीलता आदि) को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना बसर करना पड़े। |
1125 | चन्द्रमा- जो अमृत का भण्डार हैं और औषधियों में रस डालने वाला होने से उनका अधिपति हैं और अत्यन्त चमकीला हैं परन्तु सूर्य के मण्डल में पहुंचते ही एकदम निस्तेज हो जाता हैं। अथार्त दुसरे के घर में जाने से व्यक्ति का बड़प्पन बना नहीं रहता अथार्त अपना प्रयोजन लेकर किसी के घर जानें में आदमी को संकोच से काम लेना चाहिए। |
1126 | चमचमाती हुई स्वर्ण से जड़ित अनुपयोगी ढाल से गोबर की उपायोगी टोकरी अधिक सुंदर है। |
1127 | चरित्र और किस्मत एक ही सिक्के की दो साइड की तरह है। |
1128 | चरित्र का उल्लंघन कदापि नहीं करना चाहिए। |
1129 | चरित्र का निर्माण तब नहीं शुरू होता जब बच्चा पैदा होता है; ये बच्चे के पैदा होने के सौ साल पहले से शुरू हो जाता है. |
1130 | चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। |
1131 | चरित्र को अनुनय का सबसे अधिक कारगर साधन कह सकते है। |
1132 | चरित्र को हम अपनी बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं। |
1133 | चलते-चलते रास्ता भटक जाना निराशाजनक है, लेकिन लक्ष्य से भटक जाना तो अपराध है। |
1134 | चलने का तरीका ठीक करे। चलने का तरीका आपके कई रहस्यों से पर्दा उठा सकता हैं क्योकि जब आप छाती को आगे करके गर्व चलते हैं, तब यह आपकी शक्ति का प्रदर्शन करता हैं लेकिन जब आगे की और झुक करके चलते हैं तब यह आपके एक हारे हुए व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित करता हैं। |
1135 | चलने-फिरने या कूदने से अच्छी एक्सरसाइज़ कोई नहीं है। रोज़ कुछ वक़्त वॉक करने के लिए खुद को तैयार करे। |
1136 | चलिए जब भी एक दूसरे से मिलें मुस्कान के साथ मिलें, यही प्रेम की शुरुआत है। |
1137 | चलिए सुबह का पहला काम ये करें कि इस दिन के लिए संकल्प करें कि- मैं दुनिया में किसी से डरूंगा। नहीं.-मैं केवल भगवान से डरूं। मैं किसी के प्रति बुरा भाव ना रखूं। मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं। मैं असत्य को सत्य से जीतुं। और असत्य का विरोध करते हुए, मैं सभी कष्टों को सह सकूँ। |
1138 | चाहता तो हु की ये दुनिया बदल दूं .... पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती |
1139 | चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते? |
1140 | चाहे आपमें कितनी भी योग्यता क्यों न हो, केवल एकाग्रचित्त होकर ही आप महान कार्य कर सकते हैं। |
1141 | चाहे जो हो जाये शादी कीजिये। अगर अच्छी पत्नी मिली तो आपकी ज़िन्दगी खुशहाल रहेगी, अगर बुरी पत्नी मिलेगी तो आप दार्शनिक बन जायेंगे। |
1142 | चाहे वो Google हो या Apple या फ्री सौफ्टवेयर, हमारे कुछ शानदार प्रतिस्पर्धी हैं जो हमें चौकन्ना रखते हैं। |
1143 | चाहे वो गूगल हो या एप्पल या फ्री सौफ्टवेयर, हमारे कुछ शानदार प्रतिस्पर्धी हैं जो हमें चौकन्ना रखते हैं। |
1144 | चिंता करने वाले व्यक्ति के मन में चिंता उत्पन्न होने के बाद की जो स्थिति होती है अर्थात उसकी जैसी बुद्धि हो जाती है, वैसी बुद्धि यदि पहले से ही रहे तो भला किसका भाग्योदय नहीं होगा। |
1145 | चिंता से अधिक कुछ और शरीर को बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोडा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए। |
1146 | चीजो को समझने की कोशिश जितनी करोगे, डर उतना कम होगा |
1147 | चीज़ो को जानने और उन्हें पाने की ख्वाहिश ही मनुष्य को मनुष्य बनाती है। |
1148 | चीज़ों को अलग नज़रिए से देखना ही नई खोज करने जैसा है। |
1149 | चीज़ों को समझने का मतलब गलतियों को माफ़ करना होता है। |
1150 | चुगलखोर व्यक्ति के सम्मुख कभी गोपनीय रहस्य न खोलें। |
1151 | चुगलखोर श्रोता के पुत्र और पत्नी उसे त्याग देते है। |
1152 | चुनाव के माध्यम से एक महान व्यक्ति खोजने से पहले एक ऊंट सुई की आंख से निकल जायेगा। |
1153 | चूँकि हम सब भगवान के पुत्र है इसलिए हम हर उस चीज़ से बड़े है जो हममे हो सकती है। |
1154 | चोर और राजकर्मचारियों से धन की रक्षा करनी चाहिए। |
1155 | छः कानो में पड़ने से (तीसरे व्यक्ति को पता पड़ने से) मंत्रणा का भेद खुल जाता है। |
1156 | छोटा काम करना या छोटी सोच वालो के साथरहने से कोई फायदा नहीं है। आप जिस तरह का जीवन व्यतीत कर सकते है , उससे कम स्तर की ज़िन्दगी जीना गलत है। |
1157 | छोटी कक्षा में अच्छी ट्रेनिंग मिलना ही पढ़ाई-लिखाई का सबसे अहम हिस्सा होता है। |
1158 | छोटी चीजों में वफादार रहिये क्योंकि इन्ही में आपकी शक्ति निहित है। |
1159 | छोटी चीज़ों से ही दिमाग को आराम मिलता है, क्योंकि छोटी बातें ही दिमाग और दिल को परेशान कर देती है। |
1160 | छोटी छोटी बातो मे आनंद खोजना चाहिए क्योकि बङी बङी तो जीवन मे कुछ ही होती है। |
1161 | छोटी-छोटी चीज़े मिलकर महान बनाती है, लेकिन महानता कभी छोटी नहीं हो सकती। |
1162 | छोटे दिमाग वाले लोग सिर्फ एक्स्ट्राऑर्डिनरी यानी साधारण चीज़ों के बारे में सोचते है, जबकि महान लोग साधारण चीज़ों में से ही कुछ असाधारण ढूंढ निकालते हैं। |
1163 | छोटे से अंकुश से इतने बड़े हाथी को साधना, छोटे से दीपक से इतने बड़े व्यापक अन्धकार का नष्ट होना तथा छोटे से वज्र से विशाल-उन्नत पर्वतो का टूटना इस सत्य का प्रमाण हैं कि तेज-ओज की ही विजय होती हैं, तेज में ही शक्ति रहती हैं मोटापे को बल का प्रतीक नहीं समझना चाहिए अथार्थ मोटे व्यक्ति को बलवान समझना भ्रान्ति हैं। |
1164 | छोटे-छोटे मन-मुटाव को जाने दीजिए, जिन्दगी छोटी हैं बेकार बातों को लेकर परेशान होने से कोई फायदा नहीं हैं। |
1165 | जंग के समय बेहतरीन स्पीच देने से कोई मतलब नहीं है, लेकिन गोली का निशाने पर लगना महत्वपूर्ण है। |
1166 | जंग न होने का मतलब सिर्फ शांति नही होता है। यह एक खूबी है, हमारी मानसिक स्थिति है। आत्मविश्वास और कानून भी यही है। |
1167 | जगत को जिस वस्तु की आवश्यकता होती है वह है चरित्र। संसार को ऐसे लोग चाहिए जिनका जीवन स्वार्थहीन ज्वलंत प्रेम का उदाहरण है। वह प्रेम एक -एक शब्द को वज्र के समान प्रतिभाशाली बना देगा। |
1168 | जनरलस सोचते हैं कि युद्ध मध्य युग की खेल-कूद प्रतियोगिताएं की तरह छेड़े जाने चाहिए। मुझे शूरवीरों का कोई काम नहीं है, मुझे क्रांतिकारी चाहियें। |
1169 | जन्म देने वाला पिता, उपनयन संस्कार कराने वाला, विध्या देने वाला गुरु, अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला---- ये पांच 'पितर' माने जाते है। |
1170 | जन्म से अंधे को कुछ दिखाई नहीं देता, काम में आसक्त व्यक्ति को भला-बुरा कुछ सुझाई नहीं देता, मद से मतवाला बना प्राणी कुछ सोच नहीं पाता और अपनी जरूरत को सिद्ध करने वाला दोष नहीं देखा करता। |
1171 | जन्म, व्याधि, जरा और मृत्यु ये तो केवल अनुषांगिक है, जीवन में यह अनिवार्य है, इसिलिये यह एक स्वाभाविक घटना है। |
1172 | जन्म-मरण में दुःख ही है। |
1173 | जब आपको किसी को मारना ही है तो विनम्र होने में क्या जाता है. |
1174 | जब तक मैं जीवित हूँ , तब तक मैं सीखता हूँ . वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास सीखने को कुछ नहीं है वह पहले से ही मौत के जबड़े में है। |
1175 | जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो , तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं। |
1176 | जब आप उन लोगों को जिन्होंने आपको ठेस पहुंचाई हो, याद करके उनके भी भले की कामना कर पायें, वहीँ से क्षमा का प्रारंभ होता है। |
1177 | जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है। जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षता है। |
1178 | जब आप किसी को क्षमा करते हैं तो आप कभी बीते समय को नहीं बदलते लेकिन यकीकन आप भविष्य को बदल सकते हैं। |
1179 | जब आप किसी को प्यार करते है तो आपकी मुलाक़ात दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत व्यक्ति से होती है यानी खुद के साथ। |
1180 | जब आप किसी चीज से संतुष्ट नहीं होते, तब आप उसे सीखने की ओर बढ़ते हैं। |
1181 | जब आप किसी लक्ष्य का सपना देखते हैं केवल तभी आप वो लक्ष्य पा सकते हैं। |
1182 | जब आप कुछ करना चाहते है तो उसे यह सोच कर करने का प्रयास करें की पूरी दुनिया आपको देख रही है। |
1183 | जब आप कुछ गँवा बैठते है तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गवाएं। |
1184 | जब आप कुछ नया सीखते है तो सबसे पहले लगता है जैसे आपने कुछ खो दिया हो। बाद में कुछ मिलने का पता चलता हैं। |
1185 | जब आप दिल से बोलने की हिम्मत करते है तो आपको किसी तैयारी की जरूरत नहीं होती। |
1186 | जब आप पैदा हुए थे तो आप रोए थे और दुनिया हंसी थी। जिंदगी में ऐसा काम करो कि जब आप दुनिया से जाओ तो आप हंसो और दुनिया रोए। |
1187 | जब आप बोरियत की तरफ ध्यान देना शुरू कर देंगे तो वह जरुरत से ज्यादा मनोरंजक बन जाएगी। |
1188 | जब आप माफ़ करते हैं तब आप भूत को नहीं बदलते हैं– लेकिन आप निश्चित रूप से भविष्य को बदल देते हैं। |
1189 | जब आप सभी संभावनाओं से थक गए हैं, तब याद रखिये – ये आपने नहीं किया है। |
1190 | जब आप समुद्री डांकू बन सकते है तो फिर नौसेना में जाने कि क्या ज़रुरत है? |
1191 | जब आपकी इच्छाएं मजबूत होंगी तो आपको लगेगा कि आपके अन्दर उन्हें पूरा करने की अलौकिक शक्ति आ गयी है। |
1192 | जब आपके हाथ में पैसा होता है तो केवल आप भूलते है की आप कौन है लेकिन जब आपके हाथ खाली होते है तो सम्पूर्ण संसार भूल जाता है की आप कौन है। |
1193 | जब आपको पता नहीं होता कि आगे क्या करना है, उस समय आपकी समझदारी और ज्ञान ही काम आते है। |
1194 | जब कभी कोई व्यक्ति कहता है कि वो ये नहीं कर सकता है , तो असल में वो दो चीजें कह रहा होता है. या तो मुझे पता नहीं है कि ये कैसे होगा या मैं इसे करना नहीं चाहता। |
1195 | जब कभी बुरा वक़्त आए या किसी मुश्किल परिस्तिथि में फंस जाएँ तो दिल में किसी ख़ूबसूरत विचार के बारे में सोचिए। |
1196 | जब कभी संभव हो दयालु बने रहिये। यह हमेशा संभव है। |
1197 | जब कलयुग के समाप्त होने में दस हज़ार वर्ष शेष रह जाएगे तो भगवान भारत से बाहर चले जायेगे और पांच हज़ार वर्ष शेष रहने पर इस धरती पर गंगा का जल भी नहीं रहेगा तथा ढाई वर्ष पूर्व ग्रामदेवता भी ग्रामो से कूच कर जायेंगे, कहने का तात्पर्य हैं की जब अधर्म बढ़ जाता हैं तो अपने भी साथ छोड़ जाते हैं। |
1198 | जब किसी को किसी अन्य व्यक्ति का अमंगल करना हो तो उस व्यक्ति को सर्वदा मधुर और प्रिय व्यवहार करना चाहिए। उदाहरण के लिए मृग को मारने को मारने की इच्छा रखने वाल शिकारी उसे मोहित करने के लिए मधुर स्वर में बीन बजता हैं अथार्त मानव की वाणी में रस होना चाहिए, तभी वह अपनी इच्छा को पूर्ण कर सकता हैं और लाभ उठा सकता हैं। |
1199 | जब कुछ सेकण्ड की मुस्कराहट से तस्वीर अच्छी आ सकती है,तो हमेशा मुस्करा के जीने से जिन्दगी अच्छी क्यों नहीं हो सकती। |
1200 | जब कोई अकेले सफर करता है तो उसे ज्यादा जगह देखने का मौका मिलता है। |
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