1601 | जो व्यक्ति संतोषरूपी अमृत से तृप्त हैं और शान्तचित्त रहते हैं उनसे बढ़कर सुखी कौन हो सकता हैं, धन के लोभ में इधर-उधर भागने वाले को शान्ति कहां प्राप्त हो सकती हैं, ऐसे व्यक्ति सैदव तनावपूर्ण स्थिति में रहते हैं। |
1602 | जो व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है वह हर तरह की उलझनों से दूर रहता है, लेकिन जो व्यक्ति गलत तरीको से आगे बढ़ता है उसका जीवन समस्याओ और उलझनों में घिरा रहता है। |
1603 | जो व्यक्ति सिर्फ खुद के बारे में जानता है वह हक़ीक़त में काफी काम जानता है। |
1604 | जो शब्द लिखे जाते है या जो शब्द इतिहास के पन्नो में अंकित है वही सबसे ताकतवर और मज़बूत हथियार है। |
1605 | जो शिक्षक वास्तव में बुद्धिमान है वो आपको अपनी बुद्धिमता में प्रवेश करने का आदेश नहीं देता बल्कि वो आपको आपकी बुद्धि की पराकाष्ठा तक ले जाता है। |
1606 | जो श्रम से लजाता है, वह सदैव परतंत्र रहता है। |
1607 | जो सच्चो अर्थो में रत्न अथार्त मूल्यवान पदार्थ हैं, वे हैं जल, अन्न और मधुर तथा हितकारी वचन। आचार्य कहते हैं कि समझदार व्यक्ति इन तीनो की परख रखता हैं, केवल मुर्ख लोग ही पत्थर को रत्न कहते हैं। मानव को इन तीनो चीजों को ही सबसे अधिक मूल्यवान समझना चाहिए, क्योकि इनसे ही जीवन-नैया चलती हैं। |
1608 | जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगो से कहो - उससे लोगो को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति बुद्धिमान मनुष्यो के लिए यदि अत्यधिक मात्र में प्रखर प्रतीत होती है, और उन्हें बहा ले जाती है, तो ले जाने दो - वे जितना शीघ्र बह जाए उतना अच्छा ही है। |
1609 | जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं , वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं। |
1610 | जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं। |
1611 | जो सबके दिल को खुश कर देने वाली वाणी बोलता है, उसके पास दरिद्रता कभी नहीं फटक सकती। |
1612 | जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है। |
1613 | जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है। |
1614 | जो सुख मिला है, उसे न छोड़े। |
1615 | जो स्त्री अपने पति की सम्मति के बिना व्रत रखती है और उपवास करती है, वह उसकी आयु घटाती है और खुद नरक में जाती है। |
1616 | जो हमारी मदद करता हैं हमें भी उसकी मदद करनी चाहिए और जो हमारे साथ हिंसा करता हैं हमें भी उसके साथ हिंसा करनी चाहिए, इस विषय में शास्त्रों का भी यही निर्देश हैं कि “जैसे ही तैसा” व्यवहार ही सर्वथा उचित हैं। |
1617 | जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है। |
1618 | जो है उसे बेहतर बनाना उन्नति नहीं, लेकिन उसे नई मंज़िल तक लेकर जाना उन्नति है। |
1619 | ज्ञान अर्थात अपने अनुभव और अनुमान के द्वारा कार्य की परीक्षा करें। |
1620 | ज्ञान का जब उदय होता हैं तब इंसान बाहर की द्द्रष्टि से तो जैसा हैं वैसा ही रहता हैं, लेकिन जगत के प्रति उसका समग्र द्रष्टिकोण बदल जाता हैं जैसा पारसमणि के स्पर्श से लोहे की तलवार स्वर्ण में परिवर्तित हो जाती हैं, उसका आकर तो पहले की तरह ही रहता हैं परन्तु अब उसमें मारने वाली शक्ति नहीं रहती और नरम भी हो जाती हैं। |
1621 | ज्ञान की दुनिया भी अजीब है। यहां सीखाने वाले अध्यापक खुद भी सीखते है की क्या सीखना है। |
1622 | ज्ञान ज्ञान नहीं रह जाता जब वह इतना अभिमानी हो जाए कि रो भी ना सके, इतना गंभीर हो जाए कि हंस भी ना सके और इतना स्वार्थी हो जाये कि अपने सिवा किसी और का अनुसरण ना कर सके। |
1623 | ज्ञान बदलावों की वह प्रक्रिया है जो विस्तार के साथ लगातार सम्पूर्ण होती जाती है। |
1624 | ज्ञान से ज्यादा कल्पना जरूरी है। |
1625 | ज्ञान से राजा अपनी आत्मा का परिष्कार करता है, सम्पादन करता है। |
1626 | ज्ञानियों के कार्य भी भाग्य तथा मनुष्यों के दोष से दूषित हो जाते है। |
1627 | ज्ञानियों में भी दोष सुलभ है। |
1628 | ज्ञानी और छल-कपट से रहित शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही मंत्री बनाए। |
1629 | ज्ञानी पुरुषों को संसार का भय नहीं होता। |
1630 | ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है. |
1631 | ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों को लगता है की उनकी शिक्षा खत्म हो चुकी है, जबकि शिक्षा कभी खत्म नहीं होती है। |
1632 | ज्यादा लोग आप पर राज करे या आपको निर्देश दे तो यह ठीक नहीं है। |
1633 | ज्यादा शब्दों में थोड़ा कहने की बजाए कम शब्दों में ज्यादा बताने की कोशिश करे। |
1634 | ज्यादा से ज्यादा जानकारियों की ख़्वाहिश होना एक चमत्कार ही है। |
1635 | ज्यादातर लोग अपना जीवन सेन्स के आधार पर गुजारते है। रीज़न के आधार पर नहीं। |
1636 | ज्यादातर लोग अवसर गँवा देते हैं क्योंकि ये चौग़ा पहने हुए होता है और काम जैसा दिखाई देता है। |
1637 | ज्यादातर लोग इसलिए अमीर नहीं बन पाते क्योकि वो जिंदगी भर दुसरो के लक्ष्य पर काम करते रहते है |
1638 | ज्यादातर लोग समझदारी की बातें या ज्ञान तभी बांटते हैं जब वे उदास होते है। |
1639 | ज्यादातर समझदार लोग साधारण बातों को साधारण तरीके से कहने में विफल होते है। |
1640 | झुकता वही है जिसमें जान सोती है अकडना तो लाश की पहचान होती है। |
1641 | झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, छल-कपट, मूर्खता, अत्यधिक लालच करना, अशुद्धता और दयाहीनता, ये सभी प्रकार के दोष स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से मिलते है। |
1642 | झूठ भी बड़ी अजीब चीज है.. बोलना अच्छा लगता है ... सुनना बुरा... |
1643 | झूठ से बड़ा कोई पाप नहीं। |
1644 | झूठी गवाही देने वाला नरक में जाता है। |
1645 | झूठे अथवा दुर्वचन लम्बे समय तक स्मरण रहते है। |
1646 | झूठे शब्द सिर्फ खुद में बुरे नहीं होते,बल्कि वो आपकी आत्मा को भी बुराई से संक्रमित कर देते हैं। |
1647 | झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है। एकदम बराबर... सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं। जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत, वह आगे भी आएगा। |
1648 | टीम को आगे से आगे ले जाने लिए हर लीडर अपना, खुद का अलग सिस्टम तैयार करता है। |
1649 | टीवी वास्तविकता से परे है। वास्तविक जीवन में लोगों को नौकरी पर जाना पड़ता है बजाए कैफे में बैठने के। |
1650 | टुंडी फल खाने से आदमी की समझ खो जाती है। वच मूल खिलाने से लौट आती है। औरत के साथ सम्भोग करने से आदमी की शक्ति खो जाती है, दूध पीने से वापस आती है। |
1651 | टूट जाता है गरीबी मे वो रिश्ता जो खास होता है । हजारो यार बनते है जब पैसा पास होता है.। |
1652 | टेक्नोलॉजी केवल मात्र एक औजार है जो बच्चों को एक साथ काम करने के लिए पास लाते है पर जहां तक बात बच्चों को प्रेरित करने की है तो शिक्षक सबसे महत्तवपूर्ण है। |
1653 | ठंडा लोहा लोहे से नहीं जुड़ता। |
1654 | डर के कारण किसी की इज़्ज़त कर रहे है तो इससे भयानक कुछ नहीं है। |
1655 | डर के बिना उम्मीद का होना और उम्मीद के बिना डर का होना नामुमकिन है। |
1656 | डर निर्बलता की निशानी है। |
1657 | डर पर विजय पाए। डर पर विजय सफलता को जन्म देता हैं। डर पर विजय आपके दबे हुए उत्साह को बढ़ाएगा और आपको आगे बढ़ने में मदद करेगा। |
1658 | डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाला दर्द है। |
1659 | डर लगने का मतलब है कि दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। |
1660 | डर, मन की एक स्थिति के आलावा और कुछ भी नहीं है। |
1661 | डीजाइन सिर्फ यह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या महसूस होती है। डिजाइन यह है कि चीज काम कैसे करती है। |
1662 | डॉक्टर कहे की आपकी ज़िंदगी में सिर्फ छह मिनिट बचे है तो रोने-धोने या चिल्लाने न लग जाए। आप जो कुछ कर रहे हैं उस काम को और तेज़ी से करने लगें। |
1663 | ढेकुली नीचे सिर झुकाकर ही कुँए से जल निकालती है। अर्थात कपटी या पापी व्यक्ति सदैव मधुर वचन बोलकर अपना काम निकालते है। |
1664 | तक्षक (एक सांप का नाम) के दांत में विष होता है, मक्खी के सर में विष होता है, बिच्छू की पूंछ में विष होता है, परन्तु दुष्ट व्यक्ति के पूरे शरीर अर्थात सरे अंगो में विष होता है। |
1665 | तजुर्बे ने एक बात सिखाई है... एक नया दर्द ही... पुराने दर्द की दवाई है...! |
1666 | तत्त्वों का ज्ञान ही शास्त्र का प्रयोजन है। |
1667 | तथ्य कई हैं पर सत्य एक है। |
1668 | तनाव और चिंता से दूर रहने का एक आसान उपाय हैं कि खुद को दूसरों की भलाई में व्यस्त रखे ज्यादा समय दिए बिना भी आप यहाँ कार्य आसानी से कर सकते हैं। जीवन में हमेशा लेने कि बजाय कभी देने के बारें में भी सोचिये। |
1669 | तप में असीम शक्ति है। तप के द्वारा सभी कुछ प्राप्त किया जा सकता है। जो दूर है, बहुत अधिक दूर है, जो बहुत कठिनता से प्राप्त होने वाला है और बहुत दूरी पर स्थित है, ऐसे साध्य को तपस्या के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। अतः जीवन में साधना का विशेष महत्व है। इसके द्वारा ही मनोवांछित सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। |
1670 | तपस्या अकेले में, अध्ययन दो के साथ, गाना तीन के साथ, यात्रा चार के साथ, खेती पांच के साथ और युद्ध बहुत से सहायको के साथ होने पर ही उत्तम होता है। |
1671 | तपस्वियों को सदैव पूजा करने योग्य मानना चाहिए। |
1672 | तमाम गतिरोध के बावजूद अपना मनोबल ऊंचा रखे, अंत में सफलता को बाध्य होना ही पड़ेगा। |
1673 | तर्क आपको एक स्थान अ से दूसरे स्थान ब तक ले जाएगा, कल्पना आपको कहीं भी ले जा सकती है। |
1674 | तर्कशास्त्र और गणित में ज्यादा फर्क नहीं है, दोनों विशिष्ट भाषाई संरचनाएं ही है। |
1675 | तर्कों की की झड़ी, तर्कों की धूलि और अन्धबुद्धि ये सब आकुल व्याकुल होकर लौट जाती है, किन्तु विश्वास तो अपने अन्दर ही निवास करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं है। |
1676 | तलाश करने वाले की आंखे शायद ही कभी उससे ज्यादा पा सकती है, जिसकी वह उम्मीद कर करता है। |
1677 | तसल्ली के साथ ज़िन्दगी को मुड़कर देखना ही उसे फिर से जीने जैसा है। |
1678 | ताकत और समृद्धि सिर्फ लगातार प्रयत्न और संघर्ष करने से आती है। |
1679 | ताकत जरुरत से पैदा होती है जबकि सुरक्षा कमजोरी की निशानी है। |
1680 | ताकत मेरी रखैल है। मैंने उसे पाने के लिए इतनी मेहनत की है कि कोई उसे मुझसे छीन नहीं सकता। |
1681 | तानाशाह खुद को आज़ाद कर लेते हैं, लेकिन लोगों को गुलाम बना देते हैं। |
1682 | तितली की तरह उड़ो , मधुमक्खी की तरह काटो। |
1683 | तितली महीने नहीं क्षण गिनती है, और उसके पास पर्याप्त समय होता है। |
1684 | तिनका हल्का होता है, तिनके से भी हल्की रुई होती है, रुई से हल्का याचक (भिखारी) होता है, तब वायु उसे उड़ाकर क्यों नहीं ले जाती ? सम्भवतः इस भय से कि कहीं यह उससे भीख न मांगने लगे। |
1685 | तीन किस्म के लोग होते है-पहला, जो बुद्धिमान बनना चाहता है। दूसरा, जिसे अपनी प्रतिष्ठा से प्यार है और तीसरा, जो जिंदगी में कुछ हासिल करना चाहता है। |
1686 | तीन चीजें जादा देर तक नहीं छुप सकती, सूरज, चंद्रमा और सत्य. |
1687 | तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती, सूरज, चंद्रमा और सत्य। |
1688 | तीन चीजो से बनता है मनुष्य का व्यवहार-चाहत,भावनाए और जानकारी। |
1689 | तीन तरह के लोग होते हैं पहले जो देखते हैं। दुसरे जो तभी देखते हैं जब उन्हें कुछ दिखाया जाए। तीसरे जो कुछ नहीं देखते। |
1690 | तीन तरह के लोग होते हैं; ज्ञान के प्रेमी, सम्मान के प्रेमी, और लाभ के प्रेमी। |
1691 | तीन वेदों ऋग, यजु व साम को जानने वाला ही यज्ञ के फल को जानता है। |
1692 | तीर्थ करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो। |
1693 | तीव्र इच्छा हर उपलब्धियों की शुरुआत है, आशा नहीं और नहीं कामना, बल्कि तीव्र इच्छा जो सबकुछ बदल देती है। |
1694 | तुण्डी (कुंदरू) को खाने से बुद्धि तत्काल नष्ट हो जाती है, 'वच, के सेवन से बुद्धि को शीघ्र विकास मिलता है, स्त्री के समागम करने से शक्ति तत्काल नष्ट हो जाती है और दूध के प्रयोग से खोई हुई ताकत तत्काल वापस लौट आती है। |
1695 | तुम फ़ुटबाल के जरिये स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे बजाये गीता का अध्ययन करने के। |
1696 | तुम अपने आपको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है और जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है। |
1697 | तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे। |
1698 | तुम अपने पथ की यात्रा नहीं कर सकते जब तक आप खुद पथ नहीं बनते। |
1699 | तुम जो भी करोगे वो नगण्य होगा, लेकिन यह ज़रूरी है कि तुम वो करो। |
1700 | तुम जो भी कर्म प्रेम और सेवा की भावना से करते हो, वह तुम्हे परमात्मा की ओर ले जाता है। जिस कर्म में घृणा छिपी होती है, वह परमात्मा से दूर ले जाता है। |
Sunday, February 14, 2016
#1601-1700
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