2101 | पैसों के लिए की जाने वाली सभी नौकरियां हमारे दिमाग का अवशोषण और अवमूल्यन कर देती है। |
2102 | प्यार अच्छे की ख़ुशी, बुद्धिमान का आश्चर्य और भगवान का विस्मय है। |
2103 | प्यार एक पारस्परिक यातना है। |
2104 | प्यार और शक के बीच दोस्ती कभी मुमकिन नहीं है। जहाँ प्यार वहां शक नहीं होता। |
2105 | प्यार की चाहत होती है, लेकिन उससे ज्यादा शायदयह अच्छा लगता है की आपको दुनिया समझ सके। |
2106 | प्यार के बदले प्यार मिलता है। प्यार किसी तरह के नियम-कानून को नहीं समझता है और ऐसा ही सभी के साथ है। |
2107 | प्यार के बिना जीवन उस वृक्ष की तरह है जिस पर कभी फल नहीं लगते है। |
2108 | प्यार के माध्यम से एक त्याग और विवेक स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाते हैं। |
2109 | प्यार दिखाई देता तो केसा होता ? उसके हाथ हमेशा दुसरो की मदद के लिए बढ़ते, उसके पैर गरीबो का दर्द कम करने के लिए उठते, उसकी आँखे दुसरो की जरूरत को समझ पाती, उसके कान दुसरो के दर्द को सुनने के लिए तैयार रहते। यही प्यार की सही परिभाषा है। |
2110 | प्रकर्ति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है। |
2111 | प्रकृति (सहज) रूप से प्रजा के संपन्न होने से नेताविहीन राज्य भी संचालित होता रहता है। |
2112 | प्रकृति की गति अपनाएं: उसका रहस्य है धीरज। |
2113 | प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्रुत है। |
2114 | प्रकृति बेकार में कुछ नहीं करती है। |
2115 | प्रकृति या पर्यावरण हर चीज़ का कम से कम फायदा लेना पसंद करते है। |
2116 | प्रकृति से जुड़े लोगों का सिर्फ साधारण चीज़ों से लगाव होता है। |
2117 | प्रकृति से प्रेम करे। अपने आस-पास एक प्राकर्तिक वातावरण बनाये फिर ठंडी हवा के झोको और सूर्य के ताप को अपने चेहरे पर महसुसू करे, यह जैव-रासायनिक क्रिया आपको शक्ति प्रदान करेगी। |
2118 | प्रकृति से सिखो जहां सब कुछ छिपा है। |
2119 | प्रगति मृग-मरीचिका नहीं है। यह वास्तव में होती है, लेकिन इसकप्रक्रिया धीमी और निराश करने वाली होती है। |
2120 | प्रचार में कई तत्व होते है। इनमे नेतृत्व सबसे पहला है। बाकी सारे तत्व दूसरे स्थान पर है। |
2121 | प्रजा की रक्षा के लिए भ्रमण करने वाला राजा सम्मानित होता है, भ्रमण करने वाला योगी और ब्राह्मण सम्मानित होता है, किन्तु इधर-उधर घूमने वाली स्त्री भ्रष्ट होकर नष्ट हो जाती है। |
2122 | प्रजातंत्र लोगों की, लोगों के द्वारा, और लोगों के लिए बनायीं गयी सरकार है। |
2123 | प्रतिभा ईश्वर से मिलती है, आभारी रहें, ख्याति समाज से मिलती है, आभारी रहें, लेकिन मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं, सावधान रहें। |
2124 | प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत पसीना है। |
2125 | प्रत्यक्ष और परोक्ष साधनों के अनुमान से कार्य की परीक्षा करें। |
2126 | प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। |
2127 | प्रत्येक अवस्था में सर्वप्रथम माता का भरण-पोषण करना चाहिए। |
2128 | प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता। |
2129 | प्रत्येक इंसान जीनियस है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करेंगे तो वो अपनी पूरी ज़िन्दगी यह सोच कर जिएगी की वो मुर्ख है। |
2130 | प्रत्येक कलाकार एक दिन नौसिखिया ही होता है। |
2131 | प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो। |
2132 | प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता। |
2133 | प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता . |
2134 | प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है खो चुकी है। |
2135 | प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बल के कारण ही जीवित रहता हैं। उसे किसी न किसी शक्ति को आवश्कता होती हैं ब्राह्मण की शक्ति उसकी विधा हैं, राजा की शक्ति उसकी सेना हैं, वैश्य की शक्ति उसका धन हैं और शूद्र की शक्ति उसके द्वारा किया जाने वाला सेवाकार्य हैं। |
2136 | प्रत्येक व्यक्ति को यह फैसला कर लेना चाहिए कि वह रचनात्मक परोपकारिता के आलोक में चलेगा या विनाशकारी खुदगर्जी के अंधेरे मे। |
2137 | प्रभाव तो उन लोगो पर पड़ता हैं जिनमे कुछ सोचने–समझने अथवा ग्रहण करने की शक्ति होती हैं, जिस व्यक्ति के पास स्वयं सोचने समझने की बुद्धि नहीं, वह अन्य किसी के गुणों को क्या ग्रहण करेगा। |
2138 | प्रभु की मूर्ति को अपने हाथ से गुथी माला पहनाने से, अपने ही हाथ से घिसा चन्दन लग्गाने से तथा अपने हाथ से लिखे स्त्रोत्र से स्तुति करने से मनुष्य इन्द्र की सम्पदा को भी अपने वश में करने में समर्थ हो जाता हैं। |
2139 | प्रभु के भक्तो के लिए तो तीनो लोक उनके घर के समान ही हैं, श्रदालु भक्तो के लिए लक्ष्मी माता तथा श्रीविष्णु नारायण पिता हैं भगवान के भक्त ही भक्तो के बन्धु-बांधव हैं और तीनो लोक ही उनका अपना देश अथवा निवास-स्थान हैं। |
2140 | प्रयत्न न करने से कार्य में विघ्न पड़ता है। |
2141 | प्रलय काल में सागर भी अपनी मर्यादा को नष्ट कर डालते है परन्तु साधु लोग प्रलय काल के आने पर भी अपनी मर्यादा को नष्ट नहीं होने देते। |
2142 | प्रश्न करने का अधिकार मानव प्रगति का आधार है. |
2143 | प्रश्न पूछना एक अच्छे छात्र की निशानी हैं इसलिए उन्हें प्रश्न करने दो। |
2144 | प्रसन्नता अनमोल खजाना है छोटी -छोटी बातों पर उसे लूटने न दे। |
2145 | प्रसन्नता और नैतिक कर्तव्य एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं. |
2146 | प्रसन्नता करने में पाई जाती है, रखने में नहीं। |
2147 | प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है। ये आप ही के कर्मों से आती है। |
2148 | प्रसन्नता स्वयं हमारे ऊपर निर्भर करती है। |
2149 | प्राणी अपनी देह को त्यागकर इंद्र का पद भी प्राप्त करना नहीं चाहता। |
2150 | प्रातःकाल जुआरियो की कथा से (महाभारत की कथा से), मध्याह्न (दोपहर) का समय स्त्री प्रसंग से (रामायण की कथा से) और रात्रि में चोर की कथा से (श्री मद् भागवत की कथा से) बुद्धिमान लोग अपना समय काटते है। |
2151 | प्रातःकाल ही दिन-भर के कार्यों के बारें में विचार कर लें। |
2152 | प्रायः पुत्र पिता का ही अनुगमन करता है। |
2153 | प्रार्थना इस तरह कीजिये की सब कुछ भगवान पर निर्भर करता है। काम इस तरह कीजिये कि सब कुछ केवल आप पर निर्भर करता है। |
2154 | प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है। |
2155 | प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है। |
2156 | प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता। |
2157 | प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है। |
2158 | प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं . |
2159 | प्रेम एक गंभीर मानसिक रोग है। |
2160 | प्रेम एकमात्र ऐसी शक्ति है, जो शत्रु को मित्र में बदल सकती है। |
2161 | प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलासिता नहीं उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती। |
2162 | प्रेम और संदेह में कभी बात-चीत नहीं रही है। |
2163 | प्रेम करने से प्रेम मिलता है, "नफरत नहीं! |
2164 | प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। |
2165 | प्रेम की शुरुआत निकट लोगो और संबंधो की देखभाल और दायित्व से होती है, वो निकट सम्बन्ध जो आपके घर में हैं। |
2166 | प्रेम के बिना जीवन उस वृक्ष के सामान है जिसपे ना बहार आये ना फल हों . |
2167 | प्रेम के स्पर्श से सभी कवी बन जाते हैं। |
2168 | प्रेम को कारण की ज़रुरत नहीं होती. वो दिल के तर्कहीन ज्ञान से बोलता है. |
2169 | प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है। |
2170 | प्रेम मे बार बार न्यौछावर होना ही आपका सर्वोपरि और प्रथम कर्तव्य है. |
2171 | प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है। वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो। |
2172 | प्रेम हर ऋतू में मिलने वाले फल की तरह है जो प्रत्येक की पहुँच में है। |
2173 | प्रोडक्शन मॉडल पर तौयार किया गया समाज सिर्फ प्रोडक्टिव होता है, क्रिएटिव नहीं। |
2174 | प्रौद्योगिकी का जितना अधिक उपयोग कर सकते हो करो, इससे आप कल से भी एक कदम आगे रहोगे। |
2175 | प्रौढ़ता अक्सर युवावस्था से अधिक बेतुकी होती है और कई बार तो युवाओं पर अन्न्यापूर्ण भी थी। |
2176 | पढ़ते रहने से दिमाग को जानकारी बढ़ाने के लिए सामग्री मिलती है। लेकिन जो पढ़ा है उसके बारे में सोचने से ही उन जानकारियो को अपनाया जा सकता है। |
2177 | पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान।ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है। |
2178 | फल कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार होती है, तब भी बुद्धिमान लोग और महान लोग सोच-विचार करके ही कोई कार्य करते है। |
2179 | फल की कामना छोड़ कर कर्म करना ही मनुष्य का अधिकार हैं अत: कर्म के फल की इच्छा न करो तथा कर्म करने में अरुचि न रखो अथार्थ सदा कर्मशील बने रहो। |
2180 | फल मनुष्य के कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है, तथापि विद्वान और महात्मा लोग अच्छी तरह विचारकर ही कोई काम करते है। |
2181 | फलासक्ति छोड़ो और कर्म करो , आशा रहित होकर कर्म करो , निष्काम होकर कर्म करो, यह गीता की वह ध्वनि है जो भुलाई नहीं जा सकती। जो कर्म छोड़ता है वह गिरता है। कर्म करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है वह चढ़ता है। |
2182 | फायदा कमाने के लिए न्योते की ज़रुरत नहीं होती। |
2183 | फिलोसॉफी एक बीमारी की तरह है, जो हर समय हर जगह पहुंचना चाहती है। |
2184 | फूलों की इच्छा रखने वाला सूखे पेड़ को नहीं सींचता। |
2185 | फ्रैंकलिन रूजवेल्ट से मिलना शैम्पेन की अपनी पहली बोतल खोलने जैसा था ; उन्हें जानना उसे पीने के समान था। |
2186 | बंधन और मुक्ति केवल अकेले मन के विचार हैं। |
2187 | बंधन तो मन का है और स्वतंत्रता भी मन की है। यदि आप कहते हैं कि ‘मैं एक मुक्त आत्मा हूँ, मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ और वो ही मुझे बाँध सकता हूँ ‘ तो तुम निश्चय ही स्वतन्त्र हो जाओगे। |
2188 | बगावत करना और आवाज उठाना हर व्यक्ति का अधिकार है। |
2189 | बच्चों की सार्थक बातें ग्रहण करनी चाहिए। |
2190 | बच्चों को उन्हीं चीजों के बारे में सच्ची जानकारी होती है, जिन्हे वे खुद सीखते है। जब कभी हम समय से पहले उन्हें कुछ सीखाने की कोशिश करते है, उन्हें खुद सिखने का मौका नहीं देते। |
2191 | बच्चों को शिक्षित करें तो आगे चलकर व्यस्कों को दंड देने की जरुरत नहीं होगी। |
2192 | बड़प्पन सदैव ही दूसरों की कमज़ोरियों, पर पर्दा डालना चाहता है, लेकिन ओछापन, दूसरों की कमियों बताने के सिवा और कुछ करना ही नहीं जानता। |
2193 | बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं. |
2194 | बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं। |
2195 | बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो| विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है. |
2196 | बडी सफलता प्राप्त करने के लिए आपको कभी-कभी बडा Risk भी लेना पडता है। |
2197 | बदला लेने के बाद दुश्मन को क्षमा कर देना कहीं अधिक आसान होता है। |
2198 | बदलाव का सबसे ज्यादा विरोध तभी होता हैं जब उसकी सबसे ज्यादा जरुरत होती हैं। |
2199 | बदलाव लाना मुश्किल होता हैं, लेकिन यह जरुरी हैं जो विचार पुराने हो चुके हैं उनको जाने दीजिए। |
2200 | बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत की जरुरत पड़ती है। सिल्क के बने दस्ताने पहनकर कोई रेवोल्यूशन नही ला सकता है। |
Tuesday, March 29, 2016
#2101-2200
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