1201 | जब कोई काम करने का तरीका तलाश रहा होगा तो अंतिम बार जिसके बारे में उसने सोचा होगा वह ये है की किस चीज़ को आगे रखे। |
1202 | जब कोई मनुष्य भावनाओं में बहने लग जाता है तो उसका खुद पर काबू खत्म होने लग जाता है। |
1203 | जब कोई राष्ट्र हथियार युक्त देशो से घिरा हो, तो उसे भी हथियार युक्त होना पडेगा। |
1204 | जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। |
1205 | जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते। |
1206 | जब तक आप न चाहें तब तक आपको कोई भी ईर्ष्यालु, क्रोधी, प्रतिशोधी, या लालची नहीं बना सकता है। |
1207 | जब तक इच्छा लेशमात्र भी विद्यमान है जब तक ईश्वर के दर्शन नहीं हो सकते, अतएव स्वविवेक द्वारा अपनी छोटी बड़ी इच्छाओं का त्याग कर दो। |
1208 | जब तक काम कर न लिया जाए तब तक वह काम असंभव लगता है। |
1209 | जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। |
1210 | जब तक चीज़ों के साथ प्रयोग न किया जाए या उन्हें उपयोग में न लाया जाए तब तक कोई निष्कर्ष निकालना मुश्किल है। |
1211 | जब तक पुण्य फलों का अंश शेष रहता है, तभी तक स्वर्ग का सुख भोग जा सकता है। |
1212 | जब तक पूरा भारत उठकर खड़ा नहीं होगा, संसार में कोई हमारा आदर नहीं करेगा। इस दुनियाँ में डर की कोई जगह नहीं है केवल शक्ति की पूजा होती है । |
1213 | जब तक भारत दुनिया में अपने कदमो पर खड़ा नहीं है, तब तक हमे कोई आदर नहीं करेगा। इस दुनिया में डर के लिए कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है। |
1214 | जब तक मनुष्य को यह आज़ादी मिले की वह जो पूछना चाहता है पूछ सके, जो सोचता है वह कह सके और जैसा चाहता है वैसा कर पाए तो ही वह हमेशा आज़ाद रहेगा। |
1215 | जब तक यह जीवन हैं और तुम जीवित हो, सीखते रहना चाहिए। |
1216 | जब तक लाखो लोग भूखे और अज्ञानी है तब तक मै उस प्रत्येक व्यक्ति को गद्दार मानता हुँ जो उनके बल पर शिक्षित हुआ और अब वह उसकी और ध्यान नही देता। |
1217 | जब तक लोग एक ही प्रकार के ध्येय का अनुभव नहीं करेंगे, तब तक वे एकसूत्र से आबद्ध नही हो सकते। जब तक ध्येय एक न हो, तब तक सभा, समिति और वक्तृता से साधारण लोगो एक नहीं कर सकता। |
1218 | जब तक सत्य घर से बाहर निकल पाता है तब तक तो झूठ आधी दुनिया घूम चूका होता है। |
1219 | जब तक हम अपने आप से सुलह नही कर लेते तब तक हम दुनिया से भी सुलह नहीं कर सकते। |
1220 | जब तक हम कुछ न कुछ करते रहेंगे तब तक जीवित माने जाएंगे। जिस दिन शांत बैठ जाएंगे तो मृतक ही कहलाएंगे। |
1221 | जब तक हम दुःख का अनुभव पूरी तरह से न कर पाएं तब तक हम उसका समाधान भी नहीं निकाल पाएंगे। |
1222 | जब दिमाग सोच रहा होता है तो वो खुद से बात कर रहा होता है। |
1223 | जब दो या दो से ज्यादा लोग बातचीत करते है तो वे जिन बातों में विश्वास करते हैं उन्हें सही और जिन बातों को न पसंद करते है उन्हें गलत साबित करने में लग जाते है। |
1224 | जब परिवार का कोई व्यक्ति साधु बन जाता हैं, संसार के माया-मोह को छोड़ कर वैराग्य को अपना लेता हैं तो उस समय उसे उसके बन्धु-बान्धव, स्त्री –पुरुष और मित्र आदि सभी कुछ दूर तक उसके साथ जाकर उसे विदा करके लौट आते हैं इस प्रकार अपने परिवार के एक प्रबुद्ध सदस्य को मोह-माया से विरक्त देखकर भी वे पुनः अपने घर आकर माया-मोह में फंस जाते है जबकि सबको उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। |
1225 | जब परेशान होते है या थकावट ज्यादा होती है तो दो चीज़ें समझ में आती है। हंसना या रोना। हंसना इसलिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि हंसने के बाद सफाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है। |
1226 | जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है. |
1227 | जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के समान भयंकर आपत्ति एवं विपत्ति में भी अपनी मर्यादा नहीं बदलते। |
1228 | जब फूल खिलता है, मधुमक्खियों बिन बुलाए आ जाती हैं। |
1229 | जब बिलकुल अँधेरा होता है, तब इंसान सितारे देख पाता है। |
1230 | जब भी आप अपनी उम्र को खुद पर हावी होने का मौका देंगे, तब आप बहुत से अवसरों का लाभ उठाने से चूक जायेंगे फिर आप वे काम करना शुरू कर देंगे, जिन्हें करने के लिए आपका दिल कभी राजी नहीं होगा |
1231 | जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो, उसे प्रेम से जीतें। |
1232 | जब भी कोई मेरे ईमानदार होने की बात करता है तो मेरे अंदर कँपकँपी होती है। |
1233 | जब मन में सच जानने की जिज्ञासा पैदा हो जाए तो दुनियावी चीज़े अर्थहीन लगती हैं। |
1234 | जब मै कुछ अच्छा करता हूं तो मुझे अच्छा लगता है, और जब मै कुछ बुरा करता हूं तो मुझे बुरा लगता है। यही मेरा धर्म है। |
1235 | जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है। |
1236 | जब मैं छोटा था तो मैं हर रोज़ भगवान को नयी साइकिल के लिए पूजता था। तब मुझे एहसास हुआ कि भगवान इस तरह काम नहीं करे इसलिए मैंने एक साइकिल चुराई और उनसे क्षमा करने के लिए कह दिया। |
1237 | जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा। |
1238 | जब मैं पूरी तरह से तय कर लेता हूँ कि कोई परिणाम प्राप्त करने योग्य है तो मैं आगे बढ़ता हूँ और परीक्षण पर परीक्षण करते चला जाता हूँ जब तक कि इच्छित परिणाम ना आ जाये। |
1239 | जब रात को आप अपने कपडे फेंकते हैं तो उसी वक़्त अपनी चिंताओं को भी फेंक दीजिये। |
1240 | जब से मुझे पता चला की उपरवाला मेरे साथ है, तब से मैंने यह सोचना बंद कर दीया की कौन कौन मेरे खिलाफ है..........!! |
1241 | जब हम एक-दूसरे की मदद करने या उन्हें समझाने के लिए मुड़ते हैं तो हम अपने दुश्मनों की संख्या काम कर देते है। |
1242 | जब हम दैनिक समस्याओ से घिरे रहते है तो हम उन अच्छी चीज़ों को भूल जाते है जो की हम में है। |
1243 | जब हम परेशानियों में फँसे होते हैं तो हमें अहसास होता है कि एक छुपा हुआ साहस हमारे अंदर है जो हमें तब ही दिखाई देता है जब हम असफलता का सामना कर रहे होते हैं। हमें उसी छुपे हुए साहस और शक्ति को पहचानना है । |
1244 | जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते हैं, कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी और यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं। जरूरत है कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें। |
1245 | जब हम बोलना नही जानते थे, तो हमारे बोले बिना'माँ' हमारी बातो को समझ जाती थी और आज हम हर बात पर कहते है ''छोङो भी 'माँ' आप नही समझोगी''। |
1246 | जब हमारे पास सत्य को अपनाने की ताकत नहीं होती तो हम-'शायद ये हो सकता था.. . ' को ही अपना लेते है। |
1247 | जब हमारे हस्ताक्षर, ऑटोग्राफ में बदल जाये तो यह सफलता की निशानी है। |
1248 | जब हमे लगता है कि हम कोई सपना देख रहे है, तो उस वक़्त हम सच के बिलकुल करीब होते है। |
1249 | जब हवा चलने लगे तो पंखा चलाना छोड़ देना चाहिए, पर जब ईश्वर की कृपा दृष्टि होने लगे, तो प्रार्थना तपस्या नहीं छोड़नी चाहिए। |
1250 | जमीन अच्छी हो, खाद अच्छा हो परंतु 'पानी' अगर 'खारा' हो तो फूल कभी खिलते नहीं। भाव अच्छे हो विचार भी अच्छे हो मगर 'वाणी' खराब हो तो 'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं। |
1251 | जय क्षणभंगुर है, लेकिन अन्धकार हमेशा के लिए है। |
1252 | जरुरत के मुताबिक “जिंदगी” जिओ – “ख्वाहिश”….. के मुताबिक नहीं... |
1253 | जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है, और ख्वाहिशें ….. बादशाहों की भी “अधूरी रह जाती है”….. |
1254 | जरुरी नहीं की मुश्किल काम करने से ही फायदा होता है या सफलता मिलती है। |
1255 | जर्नलिज़्म का मतलब वह खबर देना है जो दूसरे छपने नहीं देना चाहते। इसके अलावा सब पब्लिक रिलेशन है। |
1256 | जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!. |
1257 | जल में तेल, दुर्जन के पास गुप्त रहस्य, सत्पात्र को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया गया उपदेशरूप में शास्त्र का ज्ञान थोडा होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं। |
1258 | जल में मूत्र त्याग न करें। |
1259 | जलदबाज़ी और तत्काल के बजाय अहमियत पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। |
1260 | जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए। यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। |
1261 | जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए।यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। |
1262 | जल्द मिलने वाली चीजे ज्यादा दिन तक नही चलती और जो चीजे ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नही मिलती । |
1263 | जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा। |
1264 | जवानी के जोश से भरे हुए अपने दिनों को सही दिशा दे और उन्हें व्यर्थ ना जाने दें। क्योंकि एक बार वे गुजर गए तो फिर आप जितनी मर्जी दौलत लुटा दें, उन्हें वापस नहीं पा सकते। |
1265 | जहाँ आयकर होता है, वहां उचित व्यक्ति अनुचित व्यक्ति की अपेक्षा उसी आय पर अधिक कर देगा। |
1266 | जहाँ जाइये प्यार फैलाइए. जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे. |
1267 | जहाँ जाइये प्यार फैलाइए। जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे। |
1268 | जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता। |
1269 | जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही, उससे कोई मुक्त नहीं है। तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए। |
1270 | जहाँ प्रकाश है वहां अँधेरा भी है। जहाँ ठंड है वहां गर्मी है। जहाँ ऊँँचाई है वहां खाई है। जहाँ शान्ति है वहां हलचल है। जहाँ समृद्धि है, वही गरीबी है। और जहाँ जीवन है, वही मृत्यु भी है। |
1271 | जहाँ प्रेम है वहां जीवन है। |
1272 | जहाँ सम्मान है वहां डर है, पर ऐसी हर जगह सम्मान नहीं है जहाँ डर है, क्योंकि संभवतः डर सम्मान से ज्यादा व्यापक है। |
1273 | जहां अच्छे विचारों की कमी होती है वहीँ पर बोरियत महसूस होने लगती है। |
1274 | जहां आजीविका अथवा लोगों में सामाजिकता- एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देने की प्रवर्ती – नहीं, ऐसे स्थान अथवा गाँव में निवास, किसी नीच व्यक्ति की नौकरी, गन्दा सडा-गला बासी अथवा अरुचिकर भोजन, झगड़ालू स्त्री, मुर्ख पुत्र और विधवा कन्या – ये छः मनुष्य के शरीर को बिना किसी आग के जलाते रहते हैं इनसे व्यक्ति के मन की सुख शान्ति जाती रहती हैं। |
1275 | जहां जानकारी साथ छोड़ देती है, वही से प्यार की शुरुआत होती है। |
1276 | जहां जीविका, भय, लज्जा, चतुराई और त्याग की भावना, ये पांचो न हों, वहां के लोगो का साथ कभी न करें। |
1277 | जहां धनी, वैदिक ब्राह्मण, राजा,नदी और वैद्य, ये पांच न हों, वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहियें। भावार्थ यह कि जिस जगह पर इन पांचो का अभाव हो, वहां मनुष्य को एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए। |
1278 | जहां बच्चे होते है,वही सुनहरे भविष्य की कामना की जा सकती है। |
1279 | जहां ब्राह्मणों के चरण नहीं धोये जाते अर्थात उनका आदर नहीं किया जाता, जहां वेद-शास्त्रों के श्लोको की ध्वनि नहीं गूंजती तथा यज्ञ आदि से देव पूजन नहीं किया जाता, वे घर श्मशान के समान है। |
1280 | जहां मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां अन्न भंडार सुरक्षित रहता है, जहां पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता, वहां लक्ष्मी बिना बुलाए ही निवास करती है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती। |
1281 | जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है। |
1282 | जहां सज्जन रहते हों, वहीं बसें। |
1283 | जहां सुख से रहा जा सके, वही स्थान श्रेष्ठ है। |
1284 | जहां हर चीज सपने की तरह होती है वहां सवाल-जवाब या बहस का कोई मतलब नहीं होता। सच्चाई और जानकारियां भी कोई भूमिका नहीं निभाते है। |
1285 | ज़रूरतमंद दोस्त की मदद करना आसान है , लेकिन उसे अपना समय देना हमेशा संभव नहीं हो पाता। |
1286 | ज़िन्दगी को प्यार करने और उसके लिए लालची होने के बीच एक बहुत बारीक रेखा है . |
1287 | ज़िन्दगी इसे जीने वाले को प्यार करती है. |
1288 | ज़िन्दगी करीब से देखने में एक त्रासदी है , लेकिन दूर से देखने पर एक कॉमेडी। |
1289 | ज़िन्दगी को एक नाटक की तरह जीना चाहिए। |
1290 | ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए। |
1291 | ज़िन्दगी बढ़िया हो सकती है अगर लोग आपको अकेला छोड़ दें। |
1292 | जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना। |
1293 | जाति-बिरादरी के लोगो को खिला-पिला कर प्रसन्न रखना चाहिए और ब्राह्मणों को आदर-सम्मानपूर्वक से प्रसन्न किया जा सकता हैं। |
1294 | जाहिर वो है जो तब तक नहीं पता चलता जब तक कि कोई उसे सरलता से व्यक्त नहीं कर देता। |
1295 | जिंदगी का मकसद खुश होना नहीं है। इसका मकसद उपयोगी, सम्माननीय, सवेदनशील होना है। इसका मकसद कुछ ऐसा अलग काम करना है, जिसमे आप जिए है और बेहतर बने है। |
1296 | जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है, जिसने जैसा मार्ग बनाया उसे वैसी ही मंज़िल मिलती है। |
1297 | जिंदगी जीने के दो तरीके है। पहला यह कि कुछ भी चमत्कार नहीं है, दूसरा यह कि दुनिया की हर चीज चमत्कार है। |
1298 | जिंदगी बहुत छोटी है, दुनिया में किसी भी चीज़ का घमंड अस्थाई है पर जीवन केवल वही जी रहा है जो दुसरो के लिए जी रहा है, बाकि सभी जीवित से अधिक मृत है। |
1299 | जिंदगी भर "सुख" कमाकर दरवाजे से घर में लाने की कोशिश करते रहे। पता ही ना चला कि कब खिड़कियों से "उम्र" निकल गई।।. |
1300 | जिंदगी मे चुनौतियाँ हर किसी के हिस्से नही आती है, क्योकि किस्मत भी किस्मत वालो को ही आज़माती है.. |
Friday, January 22, 2016
#1201 -1300
Thursday, January 21, 2016
#1101 -1200
1101 | गुणी वहीँ होता हैं जिसकी प्रशंसा अन्य लोग करें। अपने मुंह से अपनी प्रशंसा करना अच्छी बात नहीं अन्य व्यक्तियों द्वारा प्रशंसित गुण ही सच्चे अर्थो में गुण होते हैं। |
1102 | गुणी व्यक्ति का आश्रय लेने से निर्गुणी भी गुणी हो जाता है। |
1103 | गुणों की सभी जगह पूजा होती है, न की बड़ी सम्पत्तियों की। क्या पूर्णिमा के चाँद को उसी प्रकार से नमन नहीं करते, जैसे दूज के चाँद को ? |
1104 | गुणों से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। |
1105 | गुरु और देवता के पास भी खाली नहीं जाना चाहिए। |
1106 | गुरु, देवता और ब्राह्मण में भक्ति ही भूषण है। |
1107 | गुरुओं की आलोचना न करें। |
1108 | गुरुजनों की माता का स्थान सर्वोच्च होता है। |
1109 | गुरुत्वाकर्षण लोगो के प्यार में गिरने के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं। |
1110 | गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुशी बिखेरता है। उसकी खुशबु ही उसका संदेश है। |
1111 | गुस्सा ज्यादा आता हैं तो सबसे पहले अपनी इस आदत में सुधार लाने की कोशिश करें क्योकिं कई बार थोड़ी परेशानी में भी बड़ी गलती कर बैठते हैं। |
1112 | गुस्से (temper) पर नियंत्रण रखे। |
1113 | गुज़रता वक्त कभी वापस नहीं आता है। |
1114 | घमंड ऐसी चीज है जो फरिश्तों को राक्षस बना देती है और इंसानियत ऐसी चीज है जो इंसान को फ़रिश्ते का रूप देता है। |
1115 | घर आए अतिथि का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। |
1116 | घर आनंद से युक्त हो, संतान बुद्धिमान हो, पत्नी मधुर वचन बोलने वाली हो, इच्छापूर्ति के लायक धन हो, पत्नी के प्रति प्रेमभाव हो, आज्ञाकारी सेवक हो, अतिथि का सत्कार और श्री शिव का पूजन प्रतिदिन हो, घर में मिष्ठान व शीतल जल मिला करे और महात्माओ का सत्संग प्रतिदिन मिला करे तो ऐसा गृहस्थाश्रम सभी आश्रमों से अधिक धन्य है। ऐसे घर का स्वामी अत्यंत सुखी और सौभाग्यशाली होता है। |
1117 | घर के सुखो अथवा परिवार में मोह रखने वाला कभी विधा प्राप्त नहीं कर सकता, मांस खाने वाले के मन में कभी दया का भाव नहीं उपज सकता, धन का लोभी कभी सत्यभाषण नहीं कर सकता, स्त्रियों में आसक्ति रखने वाला कामी पुरुष पवित्र सदाचारी नहीं रह सकता। |
1118 | घर-गृहस्थी में आसक्त व्यक्ति को विद्या नहीं आती। मांस खाने वाले को दया नहीं आती। धन के लालची को सच बोलना नहीं आता और स्त्री में आसक्त कामुक व्यक्ति में पवित्रता नहीं होती। |
1119 | घास का तिनका हल्का है। रुई उससे भी हल्की है। भिखारी तो अनंत गुना हल्का है। फिर हवा का झोंका उसे उड़ा के क्यों नहीं ले जाता। क्योंकि वह डरता है कहीं वह भीख न मांग ले। |
1120 | घृणा, घृणा से नहीं प्रेम से खत्म होती है, यह शाश्वत सत्य है। |
1121 | चंचल चित वाले के कार्य कभी समाप्त नहीं होते। |
1122 | चंदन का कटा हुआ वृक्ष भी सुगंध नहीं छोड़ता, बूढ़ा होने पर भी गजराज क्रीड़ा नहीं छोड़ता, ईख कोल्हू में पीसने के बाद भी अपनी मिठास नहीं छोड़ती और कुलीन व्यक्ति दरिद्र होने पर भी सुशीलता आदि गुणों को नहीं छोड़ता। |
1123 | चतुरंगणी सेना (हाथी, घोड़े, रथ और पैदल) होने पर भी इन्द्रियों के वश में रहने वाला राजा नष्ट हो जाता है। |
1124 | चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते। हाथी बुढा होने पर भी अपनी विलासलीला नहीं छोड़ता। गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता। उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों(सुशीलता,उदारता तथा त्यागशीलता आदि) को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना बसर करना पड़े। |
1125 | चन्द्रमा- जो अमृत का भण्डार हैं और औषधियों में रस डालने वाला होने से उनका अधिपति हैं और अत्यन्त चमकीला हैं परन्तु सूर्य के मण्डल में पहुंचते ही एकदम निस्तेज हो जाता हैं। अथार्त दुसरे के घर में जाने से व्यक्ति का बड़प्पन बना नहीं रहता अथार्त अपना प्रयोजन लेकर किसी के घर जानें में आदमी को संकोच से काम लेना चाहिए। |
1126 | चमचमाती हुई स्वर्ण से जड़ित अनुपयोगी ढाल से गोबर की उपायोगी टोकरी अधिक सुंदर है। |
1127 | चरित्र और किस्मत एक ही सिक्के की दो साइड की तरह है। |
1128 | चरित्र का उल्लंघन कदापि नहीं करना चाहिए। |
1129 | चरित्र का निर्माण तब नहीं शुरू होता जब बच्चा पैदा होता है; ये बच्चे के पैदा होने के सौ साल पहले से शुरू हो जाता है. |
1130 | चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए। |
1131 | चरित्र को अनुनय का सबसे अधिक कारगर साधन कह सकते है। |
1132 | चरित्र को हम अपनी बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं। |
1133 | चलते-चलते रास्ता भटक जाना निराशाजनक है, लेकिन लक्ष्य से भटक जाना तो अपराध है। |
1134 | चलने का तरीका ठीक करे। चलने का तरीका आपके कई रहस्यों से पर्दा उठा सकता हैं क्योकि जब आप छाती को आगे करके गर्व चलते हैं, तब यह आपकी शक्ति का प्रदर्शन करता हैं लेकिन जब आगे की और झुक करके चलते हैं तब यह आपके एक हारे हुए व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित करता हैं। |
1135 | चलने-फिरने या कूदने से अच्छी एक्सरसाइज़ कोई नहीं है। रोज़ कुछ वक़्त वॉक करने के लिए खुद को तैयार करे। |
1136 | चलिए जब भी एक दूसरे से मिलें मुस्कान के साथ मिलें, यही प्रेम की शुरुआत है। |
1137 | चलिए सुबह का पहला काम ये करें कि इस दिन के लिए संकल्प करें कि- मैं दुनिया में किसी से डरूंगा। नहीं.-मैं केवल भगवान से डरूं। मैं किसी के प्रति बुरा भाव ना रखूं। मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं। मैं असत्य को सत्य से जीतुं। और असत्य का विरोध करते हुए, मैं सभी कष्टों को सह सकूँ। |
1138 | चाहता तो हु की ये दुनिया बदल दूं .... पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती |
1139 | चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते? |
1140 | चाहे आपमें कितनी भी योग्यता क्यों न हो, केवल एकाग्रचित्त होकर ही आप महान कार्य कर सकते हैं। |
1141 | चाहे जो हो जाये शादी कीजिये। अगर अच्छी पत्नी मिली तो आपकी ज़िन्दगी खुशहाल रहेगी, अगर बुरी पत्नी मिलेगी तो आप दार्शनिक बन जायेंगे। |
1142 | चाहे वो Google हो या Apple या फ्री सौफ्टवेयर, हमारे कुछ शानदार प्रतिस्पर्धी हैं जो हमें चौकन्ना रखते हैं। |
1143 | चाहे वो गूगल हो या एप्पल या फ्री सौफ्टवेयर, हमारे कुछ शानदार प्रतिस्पर्धी हैं जो हमें चौकन्ना रखते हैं। |
1144 | चिंता करने वाले व्यक्ति के मन में चिंता उत्पन्न होने के बाद की जो स्थिति होती है अर्थात उसकी जैसी बुद्धि हो जाती है, वैसी बुद्धि यदि पहले से ही रहे तो भला किसका भाग्योदय नहीं होगा। |
1145 | चिंता से अधिक कुछ और शरीर को बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोडा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए। |
1146 | चीजो को समझने की कोशिश जितनी करोगे, डर उतना कम होगा |
1147 | चीज़ो को जानने और उन्हें पाने की ख्वाहिश ही मनुष्य को मनुष्य बनाती है। |
1148 | चीज़ों को अलग नज़रिए से देखना ही नई खोज करने जैसा है। |
1149 | चीज़ों को समझने का मतलब गलतियों को माफ़ करना होता है। |
1150 | चुगलखोर व्यक्ति के सम्मुख कभी गोपनीय रहस्य न खोलें। |
1151 | चुगलखोर श्रोता के पुत्र और पत्नी उसे त्याग देते है। |
1152 | चुनाव के माध्यम से एक महान व्यक्ति खोजने से पहले एक ऊंट सुई की आंख से निकल जायेगा। |
1153 | चूँकि हम सब भगवान के पुत्र है इसलिए हम हर उस चीज़ से बड़े है जो हममे हो सकती है। |
1154 | चोर और राजकर्मचारियों से धन की रक्षा करनी चाहिए। |
1155 | छः कानो में पड़ने से (तीसरे व्यक्ति को पता पड़ने से) मंत्रणा का भेद खुल जाता है। |
1156 | छोटा काम करना या छोटी सोच वालो के साथरहने से कोई फायदा नहीं है। आप जिस तरह का जीवन व्यतीत कर सकते है , उससे कम स्तर की ज़िन्दगी जीना गलत है। |
1157 | छोटी कक्षा में अच्छी ट्रेनिंग मिलना ही पढ़ाई-लिखाई का सबसे अहम हिस्सा होता है। |
1158 | छोटी चीजों में वफादार रहिये क्योंकि इन्ही में आपकी शक्ति निहित है। |
1159 | छोटी चीज़ों से ही दिमाग को आराम मिलता है, क्योंकि छोटी बातें ही दिमाग और दिल को परेशान कर देती है। |
1160 | छोटी छोटी बातो मे आनंद खोजना चाहिए क्योकि बङी बङी तो जीवन मे कुछ ही होती है। |
1161 | छोटी-छोटी चीज़े मिलकर महान बनाती है, लेकिन महानता कभी छोटी नहीं हो सकती। |
1162 | छोटे दिमाग वाले लोग सिर्फ एक्स्ट्राऑर्डिनरी यानी साधारण चीज़ों के बारे में सोचते है, जबकि महान लोग साधारण चीज़ों में से ही कुछ असाधारण ढूंढ निकालते हैं। |
1163 | छोटे से अंकुश से इतने बड़े हाथी को साधना, छोटे से दीपक से इतने बड़े व्यापक अन्धकार का नष्ट होना तथा छोटे से वज्र से विशाल-उन्नत पर्वतो का टूटना इस सत्य का प्रमाण हैं कि तेज-ओज की ही विजय होती हैं, तेज में ही शक्ति रहती हैं मोटापे को बल का प्रतीक नहीं समझना चाहिए अथार्थ मोटे व्यक्ति को बलवान समझना भ्रान्ति हैं। |
1164 | छोटे-छोटे मन-मुटाव को जाने दीजिए, जिन्दगी छोटी हैं बेकार बातों को लेकर परेशान होने से कोई फायदा नहीं हैं। |
1165 | जंग के समय बेहतरीन स्पीच देने से कोई मतलब नहीं है, लेकिन गोली का निशाने पर लगना महत्वपूर्ण है। |
1166 | जंग न होने का मतलब सिर्फ शांति नही होता है। यह एक खूबी है, हमारी मानसिक स्थिति है। आत्मविश्वास और कानून भी यही है। |
1167 | जगत को जिस वस्तु की आवश्यकता होती है वह है चरित्र। संसार को ऐसे लोग चाहिए जिनका जीवन स्वार्थहीन ज्वलंत प्रेम का उदाहरण है। वह प्रेम एक -एक शब्द को वज्र के समान प्रतिभाशाली बना देगा। |
1168 | जनरलस सोचते हैं कि युद्ध मध्य युग की खेल-कूद प्रतियोगिताएं की तरह छेड़े जाने चाहिए। मुझे शूरवीरों का कोई काम नहीं है, मुझे क्रांतिकारी चाहियें। |
1169 | जन्म देने वाला पिता, उपनयन संस्कार कराने वाला, विध्या देने वाला गुरु, अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला---- ये पांच 'पितर' माने जाते है। |
1170 | जन्म से अंधे को कुछ दिखाई नहीं देता, काम में आसक्त व्यक्ति को भला-बुरा कुछ सुझाई नहीं देता, मद से मतवाला बना प्राणी कुछ सोच नहीं पाता और अपनी जरूरत को सिद्ध करने वाला दोष नहीं देखा करता। |
1171 | जन्म, व्याधि, जरा और मृत्यु ये तो केवल अनुषांगिक है, जीवन में यह अनिवार्य है, इसिलिये यह एक स्वाभाविक घटना है। |
1172 | जन्म-मरण में दुःख ही है। |
1173 | जब आपको किसी को मारना ही है तो विनम्र होने में क्या जाता है. |
1174 | जब तक मैं जीवित हूँ , तब तक मैं सीखता हूँ . वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास सीखने को कुछ नहीं है वह पहले से ही मौत के जबड़े में है। |
1175 | जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो , तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं। |
1176 | जब आप उन लोगों को जिन्होंने आपको ठेस पहुंचाई हो, याद करके उनके भी भले की कामना कर पायें, वहीँ से क्षमा का प्रारंभ होता है। |
1177 | जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है। जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षता है। |
1178 | जब आप किसी को क्षमा करते हैं तो आप कभी बीते समय को नहीं बदलते लेकिन यकीकन आप भविष्य को बदल सकते हैं। |
1179 | जब आप किसी को प्यार करते है तो आपकी मुलाक़ात दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत व्यक्ति से होती है यानी खुद के साथ। |
1180 | जब आप किसी चीज से संतुष्ट नहीं होते, तब आप उसे सीखने की ओर बढ़ते हैं। |
1181 | जब आप किसी लक्ष्य का सपना देखते हैं केवल तभी आप वो लक्ष्य पा सकते हैं। |
1182 | जब आप कुछ करना चाहते है तो उसे यह सोच कर करने का प्रयास करें की पूरी दुनिया आपको देख रही है। |
1183 | जब आप कुछ गँवा बैठते है तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गवाएं। |
1184 | जब आप कुछ नया सीखते है तो सबसे पहले लगता है जैसे आपने कुछ खो दिया हो। बाद में कुछ मिलने का पता चलता हैं। |
1185 | जब आप दिल से बोलने की हिम्मत करते है तो आपको किसी तैयारी की जरूरत नहीं होती। |
1186 | जब आप पैदा हुए थे तो आप रोए थे और दुनिया हंसी थी। जिंदगी में ऐसा काम करो कि जब आप दुनिया से जाओ तो आप हंसो और दुनिया रोए। |
1187 | जब आप बोरियत की तरफ ध्यान देना शुरू कर देंगे तो वह जरुरत से ज्यादा मनोरंजक बन जाएगी। |
1188 | जब आप माफ़ करते हैं तब आप भूत को नहीं बदलते हैं– लेकिन आप निश्चित रूप से भविष्य को बदल देते हैं। |
1189 | जब आप सभी संभावनाओं से थक गए हैं, तब याद रखिये – ये आपने नहीं किया है। |
1190 | जब आप समुद्री डांकू बन सकते है तो फिर नौसेना में जाने कि क्या ज़रुरत है? |
1191 | जब आपकी इच्छाएं मजबूत होंगी तो आपको लगेगा कि आपके अन्दर उन्हें पूरा करने की अलौकिक शक्ति आ गयी है। |
1192 | जब आपके हाथ में पैसा होता है तो केवल आप भूलते है की आप कौन है लेकिन जब आपके हाथ खाली होते है तो सम्पूर्ण संसार भूल जाता है की आप कौन है। |
1193 | जब आपको पता नहीं होता कि आगे क्या करना है, उस समय आपकी समझदारी और ज्ञान ही काम आते है। |
1194 | जब कभी कोई व्यक्ति कहता है कि वो ये नहीं कर सकता है , तो असल में वो दो चीजें कह रहा होता है. या तो मुझे पता नहीं है कि ये कैसे होगा या मैं इसे करना नहीं चाहता। |
1195 | जब कभी बुरा वक़्त आए या किसी मुश्किल परिस्तिथि में फंस जाएँ तो दिल में किसी ख़ूबसूरत विचार के बारे में सोचिए। |
1196 | जब कभी संभव हो दयालु बने रहिये। यह हमेशा संभव है। |
1197 | जब कलयुग के समाप्त होने में दस हज़ार वर्ष शेष रह जाएगे तो भगवान भारत से बाहर चले जायेगे और पांच हज़ार वर्ष शेष रहने पर इस धरती पर गंगा का जल भी नहीं रहेगा तथा ढाई वर्ष पूर्व ग्रामदेवता भी ग्रामो से कूच कर जायेंगे, कहने का तात्पर्य हैं की जब अधर्म बढ़ जाता हैं तो अपने भी साथ छोड़ जाते हैं। |
1198 | जब किसी को किसी अन्य व्यक्ति का अमंगल करना हो तो उस व्यक्ति को सर्वदा मधुर और प्रिय व्यवहार करना चाहिए। उदाहरण के लिए मृग को मारने को मारने की इच्छा रखने वाल शिकारी उसे मोहित करने के लिए मधुर स्वर में बीन बजता हैं अथार्त मानव की वाणी में रस होना चाहिए, तभी वह अपनी इच्छा को पूर्ण कर सकता हैं और लाभ उठा सकता हैं। |
1199 | जब कुछ सेकण्ड की मुस्कराहट से तस्वीर अच्छी आ सकती है,तो हमेशा मुस्करा के जीने से जिन्दगी अच्छी क्यों नहीं हो सकती। |
1200 | जब कोई अकेले सफर करता है तो उसे ज्यादा जगह देखने का मौका मिलता है। |
Wednesday, January 20, 2016
#1001-1100
1001 | क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है। |
1002 | क्रोध में न हमें कुछ बोलना चाहिए, न कोई काम करना चाहिए। |
1003 | क्रोध यमराज की मूर्ति है, लालच वैतरणी नदी (नरक में बहने वाली नदी) है, विद्या कामधेनु गाय है और संतोष इंद्र के नंदन वन जैसा सुख देने वाला है। |
1004 | क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है. |
1005 | क्रोध से अविवेक उत्पन्न होता हैं, अविवेक से स्मरण शक्ति भ्रमित हो जाती हैं, स्मरण शक्ति के भ्रमित हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता हैं और बुद्दी के नाश से व्यक्ति का ही विनाश हो जाता हैं। |
1006 | क्लिफ के कोने पर खड़े होने का साहस रखिए, क्योंकि वहां खड़े होने से ऐसी चीज़ें देखने को मिलती है जिन्हें बीच में खड़े होकर नहीं देखा जा सकता है। इसका अर्थ है- समस्याओं या परेशानियों को समझने के लिए अंदर तक उतरने की कोशिश करें। बाहर खड़े होने से सब ठीक-ठाक ही लगेगा। |
1007 | क्षमा अशक्तों के लिए गुण है और समर्थवान के लिए भूषण है। |
1008 | क्षमा एक ऐसा उपहार है जो हम स्वयं को देते हैं। |
1009 | क्षमा एक ऐसा तोहफा है जो आप स्वयं को देते हैं। |
1010 | क्षमा एक विचित्र चीज है। यह ह्रदय को सुकून देती है और डंक को ठंडा करती है। |
1011 | क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। |
1012 | क्षमा करना कार्यवाही और स्वतंत्रता के लिए महत्त्वपूर्ण है। |
1013 | क्षमा करना, एक मधुर प्रतिशोध है। |
1014 | क्षमा करने का मतलब है जो बीत गया उसे जाने देना। |
1015 | क्षमा करने वाला अपने सारे काम आसानी से कर लेता है। |
1016 | क्षमा का दान सबसे बड़ा दान है। वास्तव में क्षमा का जीवन में क्या महत्व है ? क्षमा कौन कर सकता है ? क्षमा का क्या लाभ है ? क्षमा करने वाले को क्या प्राप्त होता है ? क्षमा न करने से क्या हानि होती है ? क्षमा किसे करना चाहिए और किसे नहीं ? इन सभी प्रश्नो का शास्त्र-सम्मत विश्लेषण किया है हमारे मनीषियों एवं विश्वविख्यात चिंतको ने। |
1017 | क्षमा कोई प्रासंगिक कृत्य नहीं है। ये तो एक स्थायी प्रवृति है। |
1018 | क्षमा तेजस्वी पुरुषों का तेज है, क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है, क्षमा सत्यवादी पुरुषों का सत्य है। क्षमा यज्ञ है और क्षमा (मनोविग्रह) है। |
1019 | क्षमा दंड से अधिक पुरुषोचित है। |
1020 | क्षमा दंड से बड़ी है। दंड देता है मानव, किन्तु क्षमा प्राप्त होती है देवता से। दंड में उल्लास है पर शांति नहीं और क्षमा में शांति भी है और आनंद भी। |
1021 | क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा क्षमा करने योग्य हो जाता है। |
1022 | क्षमा पर मनुष्य का अधिकार है, वह पशु के पास नहीं मिलती। प्रतिहिंसा पाशव धर्म है। |
1023 | क्षमा प्रतिशोध से बेहतर है, क्षमा करना विनम्र व्यवहार का सूचक है लेकिन प्रतिशोध असभ्य व्यवहार का सूचक है। |
1024 | क्षमा प्रेम का अंतिम रूप है। |
1025 | क्षमा मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ तथा सर्वोच्च गुण है, क्षमा दंड देने के समान है। |
1026 | क्षमा में जो महत्ता है, जो औदार्य है, वह क्रोध और प्रतिकार में कहाँ ? प्रतिहिंसा हिंसा पर ही आघात कर सकती है, उदारता पर नहीं। |
1027 | क्षमा विश्वास की तरह है। आपको इसे जीवित रखना होता है। |
1028 | क्षमा वीरों का गुण है . |
1029 | क्षमा वो इत्र है जिसे गुलाब मसले जाने के बाद एडी पर छोड़ देता है। |
1030 | क्षमा वो उपकार नहीं है जो हम दूसरों पर करते हैं। बल्कि ये उपकार हम अपने लिए करते हैं –क्षमा करो, भूल जाओ और आगे बड़ो। |
1031 | क्षमा वो खुशबू है जो फूल उन पैरों पर बिखेरता है जिसने उसे कुचल दिया हो। |
1032 | क्षमा से बढ़कर और किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। |
1033 | क्षमावानों के लिए यह लोक है। क्षमावानों के लिए ही परलोक है। क्षमाशील पुरुष इस जगत में सम्मान और परलोक में उत्तम गति पाते है। |
1034 | क्षमाशील व्यक्ति का तप बढ़ता रहता है। |
1035 | क्षमाशीलता आपके ह्रदय का अर्थ प्रबन्धन है...क्षमा क्रोध से होने वाले खर्चे को बचाता है.घृणा के मूल्य को कम करता है और उत्साह की फ़िज़ूलखर्ची से बचाता है. |
1036 | ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों. |
1037 | ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों। |
1038 | ख़ुशी परफ्यूम की तरह है। जब तक इसे खुद पर नहीं छिड़केंगे, औरों को खुश नहीं कर सकते है। |
1039 | खाना-पीना, निंद्रा, दर, मैथुन- स्त्री-सम्भोग और संतान उत्पन्न करना अदि सभी क्रियाएं तो पशु और मनुष्यों में समान हैं, परन्तु मनुष्यों को पशुओ से अलग करने वाला गुण हैं- धर्म और नैतिकता। |
1040 | खाने पीने के पदार्थो का सुलभ होना और खाने-पीने की सामर्थ्य होना, भोग-विलास की शक्ति के साथ-साथ उसकी तृप्ति के लिए सुन्दर स्त्री का मिलना और धन-सम्पति के होने पर उसके उपभोग के साथ दान आदि की प्रवृति होना, ये बातें पूर्वजन्म के संयोग के कारण ही होती हैं। |
1041 | खाली बैठना दुनिया में सबसे थकाने वाला काम है क्योंकि सर्वस्व त्याग देना और आराम करना असंभव है। |
1042 | खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है। |
1043 | खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। |
1044 | खुद के लिए कुछ अच्छा करना और इसे खुद के अंदाज़ में करने के तरीके को तभी आज़ादी कहा जाएगा जब आप दूसरे लोगों को भी ऐसा ही करने का मौका दें। |
1045 | खुद को आगे ले जाते जाए। खुद को आगे बढ़ाते जाए। अपने जीवन में हर व्यक्ति हर तरह की गलती करता है। हर गलती के बाद आगे बढ़ते रहना बहुत जरूरी है। |
1046 | खुद को जानों यह इसलिए जरुरी हैं क्योकि एक बार खुद को जान लिया तो यह सीख जायेंगे कि खुद को आगे कैसे बढ़ाना हैं। |
1047 | खुद को परखते रहे। जब आप किसी गम्भीर मामले में गलती करते है तब खुद को उस आधार पर परखे, जिस पर आप दूसरों को परखते हैं। |
1048 | खुद को बदलने का संकल्प लें |
1049 | खुद को भीतर से खुबसूरत बनाये और प्राथना करे कि आप बाहर और भीतर से एक जैसे रहे। |
1050 | खुद जल्दी सीखते है बच्चे. जल्दबाजी करना ठीक नहीं। |
1051 | खुद पर भरोसा रखे अपना काम ठीक से करें, अच्छी आदतों को अपनाएं साथ ही अपनी छिपी हुई प्रतिभा का विकास भी करें फिर अपने व्यक्तित्व के दुसरे पहलु की खोज करें, उसके बाद आप पायंगे की आपको खुद पर भरोसा होने लगा हैं और यह आपको अपने लक्ष्य की और बढ़ने में मदद करेगा। |
1052 | खुद पर भरोसा रखें। |
1053 | खुद पर भरोसा ही सबसे सर्वश्रेष्ठ और सबसे सुरक्षित रास्ता है। |
1054 | खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है। |
1055 | खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं। |
1056 | खुबसूरत तरह से गुजारी जाने वाली जिंदगी लम्बी ही गुजरती हैं |
1057 | खुश रहना एक विशेषता है, न कि ईनाम। |
1058 | खुश रहना बहुत सरल है …लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है। |
1059 | खुश रहना शरीर के लिए जरूरी है। लेकिन नई चीज़ों को जानंने की तड़प होने से दिमाग का विकास होता है। खुशी मिलती है। |
1060 | खुश रहने का सीधा सा मंत्र. उम्मीद अपने आप से रखो किसी और से नहीं।...ज़िंदगी में कितने भी आगे निकल जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से पीछे रहेंगे। ज़िंदगी में कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे होगें। ईसीलिए आप अपनी जगह का लुत्फ़ उठाएँ, बाक़ी आगे पीछे तो दुनिया में चलता रहेंगा।!!! |
1061 | खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो । |
1062 | खुश हूं और सबको खुश रखता हुँ लापरवाह हुँ फिर भी सबकी परवाह करता हुँ मालुम है कोई मोल नही मेंरा फिर भी अनमोल लोगो से रिस्ता रखता हुँ |
1063 | खुशियां और उदासी इस बात पर निर्भर करती है कि जिन चीज़ो से हमारा जुड़ाव है या जिन चीज़ो को हम पसंद करते है, उनकी असली कीमत क्या है। |
1064 | खुशियां बड़ा काम नहीं करती है। लेकिन वे उदासी को करीब नहीं आने देती है। |
1065 | खुशी और ग़म का अनुभव करने से बहुत पहले ही हम इनका चुनाव कर चुके होते है। |
1066 | खुशी हम पर निर्भर करती है। |
1067 | खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है... |
1068 | खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते। लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते है। |
1069 | खूबसूरत लोगो में और युवाओ में समझदारी होती है, लेकिन उनमे समझदारी काफी कम होती है। |
1070 | खूबसूरत हाथ वे होते हैं जोकि अपना काम ईमानदारी, बहादुरी और सच्चाई के साथ करते हैं – हरेक पल, दिन भर। |
1071 | खेद है की टेक्नोलॉजी में विकास की रफ़्तार, लोगों में बुद्धिमानी बढ़ाने की रफ़्तार से भी ज्यादा तेज है। |
1072 | खेल में हम सदा ईमानदारी का पल्ला पकड़कर चलते है, पर अफ़सोस है कि कर्म में हम इस ओर ध्यान तक नहीं देते। |
1073 | खेलना, किस्मत के साथ प्रयोग करना है। |
1074 | खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं... |
1075 | खोज का मतलब नई चीज़ों की तलाश करना नहीं होता, लेकिन आस-पास की चीज़ों को अलग नज़रिए से देखना भी है। |
1076 | खड़े हो जाओ, हिम्मतवान बनो, ताकतवर बन जाओ, सब जवाबदारिया अपने सिर पर ओढ़ लो, और समझो की अपने नसीब के रचियता आप खुद हो। |
1077 | गंदे वस्त्र धारण करने वाले, दांतो पर मैल जमाए रखने वाले, अत्यधिक भोजन करने वाले, कठोर वचन बोलने वाले, सूर्योदय से सूर्यास्त तक सोने वाले, चाहे वह साक्षात विष्णु ही क्यों न हो, लक्ष्मी त्याग देती है। |
1078 | गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं |
1079 | गधे से ये तीन बाते सीखे 1.अपने लक्ष्य की प्राप्ति और सिद्धि के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए 2.फल की चिंता न करें 3.सदा संतुष्ट रहे। |
1080 | गन्ना और गन्ने का रस, पानी, दूध, जड़ी-बूटी, पान, फल तथा औषध आदि का सेवन करने के उपरान्त भी संध्यापुजन, दान-तर्पण आदि नित्यकर्म किये जा सकते हैं। |
1081 | गन्ना, तिल, क्षुद्र(मुर्ख व्यक्ति), स्त्री, सोना, धरती, चन्दन, दही और पान को जितना अधिक मसला जाये, उतने ही उनके गुणों में वृदि होती हैं। |
1082 | गरीबी आपको उदास करती है, तो यह बुद्धिमान भी मनाती है। |
1083 | गरीबी क्रांति और अपराध की जनक है। |
1084 | गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है । |
1085 | गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किये गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में। |
1086 | गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं। |
1087 | गलत कार्यों में लगने वाले व्यक्ति को शास्त्रज्ञान ही रोक पाते है। |
1088 | गलत चीजो पर विश्वास हैं तो उनको खुद से अलग कर दीजिए। हर कुछ समय के बाद रुकिए और खुद से पूछिए कि सच क्या हैं? |
1089 | गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो। |
1090 | गलती करने का कारण समझना ही उन्नति की राह में आगे बढ़ने जैसा है। |
1091 | गलतीयां हमेशा क्षम्य होती हैं, यदि व्यक्ति में उन्हें स्वीकार करने का साहस हो। |
1092 | गाय के पीछे चलते बछड़े के समान सुख-दुःख भी आदमी के साथ जीवन भर चलते है। |
1093 | गाय के स्वभाव को जानने वाला ही दूध का उपभोग करता है। |
1094 | गुण भी उसी व्यक्ति को फलीभूत होते हैं जो गुणी अर्थात विवेकी होते हैं। क्योकि उसी व्यक्ति में गुणों को अपनी सार्थकता नज़र आती हैं उदाहरण के लिए सोने में जड़ा हुआ रत्न ही शोभा प्राप्त करता हैं। |
1095 | गुण से रूप की शोभा होती है, शील से कुल की शोभा होती है, सिद्धि से विद्या की शोभा होती है और भोग से धन की शोभा होती है। |
1096 | गुणवत्ता का मापदंड बनिए। कुछ लोग ऐसे वातावरण के आदि नहीं होते जहाँ उत्कृष्टता की उम्मीद की जाती है। |
1097 | गुणवत्ता प्रचुरता से अधिक महत्वपूर्ण है। एक छक्का दो-दो रन बनाने से कहीं बेहतर है। |
1098 | गुणहीन पुरुष की सुन्दरता, दुराचारी पुरुष का उच्चकुल में उत्पन्न होना, आजीविका सुलभ न कराने वाली विधा और उपभोग में न आने वाला धन व्यर्थ ही हैं इनकी न कोई उपयोगिता हैं और न इनका कोई महत्व ही हैं। |
1099 | गुणहीन व्यक्ति की सुंदरता व्यर्थ है, दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति का कुल नष्ट होने योग्य है, यदि लक्ष्य की सिद्धि न हो तो विद्या व्यर्थ है, जिस धन का सदुपयोग न हो, वह धन व्यर्थ है। |
1100 | गुणी पुत्र माता-पिता की दुर्गति नहीं होने देता। |
Subscribe to:
Posts (Atom)