1001 | क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है। |
1002 | क्रोध में न हमें कुछ बोलना चाहिए, न कोई काम करना चाहिए। |
1003 | क्रोध यमराज की मूर्ति है, लालच वैतरणी नदी (नरक में बहने वाली नदी) है, विद्या कामधेनु गाय है और संतोष इंद्र के नंदन वन जैसा सुख देने वाला है। |
1004 | क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है. |
1005 | क्रोध से अविवेक उत्पन्न होता हैं, अविवेक से स्मरण शक्ति भ्रमित हो जाती हैं, स्मरण शक्ति के भ्रमित हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता हैं और बुद्दी के नाश से व्यक्ति का ही विनाश हो जाता हैं। |
1006 | क्लिफ के कोने पर खड़े होने का साहस रखिए, क्योंकि वहां खड़े होने से ऐसी चीज़ें देखने को मिलती है जिन्हें बीच में खड़े होकर नहीं देखा जा सकता है। इसका अर्थ है- समस्याओं या परेशानियों को समझने के लिए अंदर तक उतरने की कोशिश करें। बाहर खड़े होने से सब ठीक-ठाक ही लगेगा। |
1007 | क्षमा अशक्तों के लिए गुण है और समर्थवान के लिए भूषण है। |
1008 | क्षमा एक ऐसा उपहार है जो हम स्वयं को देते हैं। |
1009 | क्षमा एक ऐसा तोहफा है जो आप स्वयं को देते हैं। |
1010 | क्षमा एक विचित्र चीज है। यह ह्रदय को सुकून देती है और डंक को ठंडा करती है। |
1011 | क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। |
1012 | क्षमा करना कार्यवाही और स्वतंत्रता के लिए महत्त्वपूर्ण है। |
1013 | क्षमा करना, एक मधुर प्रतिशोध है। |
1014 | क्षमा करने का मतलब है जो बीत गया उसे जाने देना। |
1015 | क्षमा करने वाला अपने सारे काम आसानी से कर लेता है। |
1016 | क्षमा का दान सबसे बड़ा दान है। वास्तव में क्षमा का जीवन में क्या महत्व है ? क्षमा कौन कर सकता है ? क्षमा का क्या लाभ है ? क्षमा करने वाले को क्या प्राप्त होता है ? क्षमा न करने से क्या हानि होती है ? क्षमा किसे करना चाहिए और किसे नहीं ? इन सभी प्रश्नो का शास्त्र-सम्मत विश्लेषण किया है हमारे मनीषियों एवं विश्वविख्यात चिंतको ने। |
1017 | क्षमा कोई प्रासंगिक कृत्य नहीं है। ये तो एक स्थायी प्रवृति है। |
1018 | क्षमा तेजस्वी पुरुषों का तेज है, क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है, क्षमा सत्यवादी पुरुषों का सत्य है। क्षमा यज्ञ है और क्षमा (मनोविग्रह) है। |
1019 | क्षमा दंड से अधिक पुरुषोचित है। |
1020 | क्षमा दंड से बड़ी है। दंड देता है मानव, किन्तु क्षमा प्राप्त होती है देवता से। दंड में उल्लास है पर शांति नहीं और क्षमा में शांति भी है और आनंद भी। |
1021 | क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा क्षमा करने योग्य हो जाता है। |
1022 | क्षमा पर मनुष्य का अधिकार है, वह पशु के पास नहीं मिलती। प्रतिहिंसा पाशव धर्म है। |
1023 | क्षमा प्रतिशोध से बेहतर है, क्षमा करना विनम्र व्यवहार का सूचक है लेकिन प्रतिशोध असभ्य व्यवहार का सूचक है। |
1024 | क्षमा प्रेम का अंतिम रूप है। |
1025 | क्षमा मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ तथा सर्वोच्च गुण है, क्षमा दंड देने के समान है। |
1026 | क्षमा में जो महत्ता है, जो औदार्य है, वह क्रोध और प्रतिकार में कहाँ ? प्रतिहिंसा हिंसा पर ही आघात कर सकती है, उदारता पर नहीं। |
1027 | क्षमा विश्वास की तरह है। आपको इसे जीवित रखना होता है। |
1028 | क्षमा वीरों का गुण है . |
1029 | क्षमा वो इत्र है जिसे गुलाब मसले जाने के बाद एडी पर छोड़ देता है। |
1030 | क्षमा वो उपकार नहीं है जो हम दूसरों पर करते हैं। बल्कि ये उपकार हम अपने लिए करते हैं –क्षमा करो, भूल जाओ और आगे बड़ो। |
1031 | क्षमा वो खुशबू है जो फूल उन पैरों पर बिखेरता है जिसने उसे कुचल दिया हो। |
1032 | क्षमा से बढ़कर और किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। |
1033 | क्षमावानों के लिए यह लोक है। क्षमावानों के लिए ही परलोक है। क्षमाशील पुरुष इस जगत में सम्मान और परलोक में उत्तम गति पाते है। |
1034 | क्षमाशील व्यक्ति का तप बढ़ता रहता है। |
1035 | क्षमाशीलता आपके ह्रदय का अर्थ प्रबन्धन है...क्षमा क्रोध से होने वाले खर्चे को बचाता है.घृणा के मूल्य को कम करता है और उत्साह की फ़िज़ूलखर्ची से बचाता है. |
1036 | ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों. |
1037 | ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों। |
1038 | ख़ुशी परफ्यूम की तरह है। जब तक इसे खुद पर नहीं छिड़केंगे, औरों को खुश नहीं कर सकते है। |
1039 | खाना-पीना, निंद्रा, दर, मैथुन- स्त्री-सम्भोग और संतान उत्पन्न करना अदि सभी क्रियाएं तो पशु और मनुष्यों में समान हैं, परन्तु मनुष्यों को पशुओ से अलग करने वाला गुण हैं- धर्म और नैतिकता। |
1040 | खाने पीने के पदार्थो का सुलभ होना और खाने-पीने की सामर्थ्य होना, भोग-विलास की शक्ति के साथ-साथ उसकी तृप्ति के लिए सुन्दर स्त्री का मिलना और धन-सम्पति के होने पर उसके उपभोग के साथ दान आदि की प्रवृति होना, ये बातें पूर्वजन्म के संयोग के कारण ही होती हैं। |
1041 | खाली बैठना दुनिया में सबसे थकाने वाला काम है क्योंकि सर्वस्व त्याग देना और आराम करना असंभव है। |
1042 | खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है। |
1043 | खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। |
1044 | खुद के लिए कुछ अच्छा करना और इसे खुद के अंदाज़ में करने के तरीके को तभी आज़ादी कहा जाएगा जब आप दूसरे लोगों को भी ऐसा ही करने का मौका दें। |
1045 | खुद को आगे ले जाते जाए। खुद को आगे बढ़ाते जाए। अपने जीवन में हर व्यक्ति हर तरह की गलती करता है। हर गलती के बाद आगे बढ़ते रहना बहुत जरूरी है। |
1046 | खुद को जानों यह इसलिए जरुरी हैं क्योकि एक बार खुद को जान लिया तो यह सीख जायेंगे कि खुद को आगे कैसे बढ़ाना हैं। |
1047 | खुद को परखते रहे। जब आप किसी गम्भीर मामले में गलती करते है तब खुद को उस आधार पर परखे, जिस पर आप दूसरों को परखते हैं। |
1048 | खुद को बदलने का संकल्प लें |
1049 | खुद को भीतर से खुबसूरत बनाये और प्राथना करे कि आप बाहर और भीतर से एक जैसे रहे। |
1050 | खुद जल्दी सीखते है बच्चे. जल्दबाजी करना ठीक नहीं। |
1051 | खुद पर भरोसा रखे अपना काम ठीक से करें, अच्छी आदतों को अपनाएं साथ ही अपनी छिपी हुई प्रतिभा का विकास भी करें फिर अपने व्यक्तित्व के दुसरे पहलु की खोज करें, उसके बाद आप पायंगे की आपको खुद पर भरोसा होने लगा हैं और यह आपको अपने लक्ष्य की और बढ़ने में मदद करेगा। |
1052 | खुद पर भरोसा रखें। |
1053 | खुद पर भरोसा ही सबसे सर्वश्रेष्ठ और सबसे सुरक्षित रास्ता है। |
1054 | खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है। |
1055 | खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं। |
1056 | खुबसूरत तरह से गुजारी जाने वाली जिंदगी लम्बी ही गुजरती हैं |
1057 | खुश रहना एक विशेषता है, न कि ईनाम। |
1058 | खुश रहना बहुत सरल है …लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है। |
1059 | खुश रहना शरीर के लिए जरूरी है। लेकिन नई चीज़ों को जानंने की तड़प होने से दिमाग का विकास होता है। खुशी मिलती है। |
1060 | खुश रहने का सीधा सा मंत्र. उम्मीद अपने आप से रखो किसी और से नहीं।...ज़िंदगी में कितने भी आगे निकल जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से पीछे रहेंगे। ज़िंदगी में कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे होगें। ईसीलिए आप अपनी जगह का लुत्फ़ उठाएँ, बाक़ी आगे पीछे तो दुनिया में चलता रहेंगा।!!! |
1061 | खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो । |
1062 | खुश हूं और सबको खुश रखता हुँ लापरवाह हुँ फिर भी सबकी परवाह करता हुँ मालुम है कोई मोल नही मेंरा फिर भी अनमोल लोगो से रिस्ता रखता हुँ |
1063 | खुशियां और उदासी इस बात पर निर्भर करती है कि जिन चीज़ो से हमारा जुड़ाव है या जिन चीज़ो को हम पसंद करते है, उनकी असली कीमत क्या है। |
1064 | खुशियां बड़ा काम नहीं करती है। लेकिन वे उदासी को करीब नहीं आने देती है। |
1065 | खुशी और ग़म का अनुभव करने से बहुत पहले ही हम इनका चुनाव कर चुके होते है। |
1066 | खुशी हम पर निर्भर करती है। |
1067 | खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है... |
1068 | खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते। लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते है। |
1069 | खूबसूरत लोगो में और युवाओ में समझदारी होती है, लेकिन उनमे समझदारी काफी कम होती है। |
1070 | खूबसूरत हाथ वे होते हैं जोकि अपना काम ईमानदारी, बहादुरी और सच्चाई के साथ करते हैं – हरेक पल, दिन भर। |
1071 | खेद है की टेक्नोलॉजी में विकास की रफ़्तार, लोगों में बुद्धिमानी बढ़ाने की रफ़्तार से भी ज्यादा तेज है। |
1072 | खेल में हम सदा ईमानदारी का पल्ला पकड़कर चलते है, पर अफ़सोस है कि कर्म में हम इस ओर ध्यान तक नहीं देते। |
1073 | खेलना, किस्मत के साथ प्रयोग करना है। |
1074 | खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं... |
1075 | खोज का मतलब नई चीज़ों की तलाश करना नहीं होता, लेकिन आस-पास की चीज़ों को अलग नज़रिए से देखना भी है। |
1076 | खड़े हो जाओ, हिम्मतवान बनो, ताकतवर बन जाओ, सब जवाबदारिया अपने सिर पर ओढ़ लो, और समझो की अपने नसीब के रचियता आप खुद हो। |
1077 | गंदे वस्त्र धारण करने वाले, दांतो पर मैल जमाए रखने वाले, अत्यधिक भोजन करने वाले, कठोर वचन बोलने वाले, सूर्योदय से सूर्यास्त तक सोने वाले, चाहे वह साक्षात विष्णु ही क्यों न हो, लक्ष्मी त्याग देती है। |
1078 | गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं |
1079 | गधे से ये तीन बाते सीखे 1.अपने लक्ष्य की प्राप्ति और सिद्धि के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए 2.फल की चिंता न करें 3.सदा संतुष्ट रहे। |
1080 | गन्ना और गन्ने का रस, पानी, दूध, जड़ी-बूटी, पान, फल तथा औषध आदि का सेवन करने के उपरान्त भी संध्यापुजन, दान-तर्पण आदि नित्यकर्म किये जा सकते हैं। |
1081 | गन्ना, तिल, क्षुद्र(मुर्ख व्यक्ति), स्त्री, सोना, धरती, चन्दन, दही और पान को जितना अधिक मसला जाये, उतने ही उनके गुणों में वृदि होती हैं। |
1082 | गरीबी आपको उदास करती है, तो यह बुद्धिमान भी मनाती है। |
1083 | गरीबी क्रांति और अपराध की जनक है। |
1084 | गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है । |
1085 | गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किये गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में। |
1086 | गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं। |
1087 | गलत कार्यों में लगने वाले व्यक्ति को शास्त्रज्ञान ही रोक पाते है। |
1088 | गलत चीजो पर विश्वास हैं तो उनको खुद से अलग कर दीजिए। हर कुछ समय के बाद रुकिए और खुद से पूछिए कि सच क्या हैं? |
1089 | गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो। |
1090 | गलती करने का कारण समझना ही उन्नति की राह में आगे बढ़ने जैसा है। |
1091 | गलतीयां हमेशा क्षम्य होती हैं, यदि व्यक्ति में उन्हें स्वीकार करने का साहस हो। |
1092 | गाय के पीछे चलते बछड़े के समान सुख-दुःख भी आदमी के साथ जीवन भर चलते है। |
1093 | गाय के स्वभाव को जानने वाला ही दूध का उपभोग करता है। |
1094 | गुण भी उसी व्यक्ति को फलीभूत होते हैं जो गुणी अर्थात विवेकी होते हैं। क्योकि उसी व्यक्ति में गुणों को अपनी सार्थकता नज़र आती हैं उदाहरण के लिए सोने में जड़ा हुआ रत्न ही शोभा प्राप्त करता हैं। |
1095 | गुण से रूप की शोभा होती है, शील से कुल की शोभा होती है, सिद्धि से विद्या की शोभा होती है और भोग से धन की शोभा होती है। |
1096 | गुणवत्ता का मापदंड बनिए। कुछ लोग ऐसे वातावरण के आदि नहीं होते जहाँ उत्कृष्टता की उम्मीद की जाती है। |
1097 | गुणवत्ता प्रचुरता से अधिक महत्वपूर्ण है। एक छक्का दो-दो रन बनाने से कहीं बेहतर है। |
1098 | गुणहीन पुरुष की सुन्दरता, दुराचारी पुरुष का उच्चकुल में उत्पन्न होना, आजीविका सुलभ न कराने वाली विधा और उपभोग में न आने वाला धन व्यर्थ ही हैं इनकी न कोई उपयोगिता हैं और न इनका कोई महत्व ही हैं। |
1099 | गुणहीन व्यक्ति की सुंदरता व्यर्थ है, दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति का कुल नष्ट होने योग्य है, यदि लक्ष्य की सिद्धि न हो तो विद्या व्यर्थ है, जिस धन का सदुपयोग न हो, वह धन व्यर्थ है। |
1100 | गुणी पुत्र माता-पिता की दुर्गति नहीं होने देता। |
Wednesday, January 20, 2016
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