| 401 | आपको बड़ा पाना है या बड़ा बनना हैं तो बड़ा जोखिम लेना सीखो। |
| 402 | आपको लगता हैं कि आपका टीचर सख्त हैं तो अपने Boss का इंतजार करें। |
| 403 | आपको लोगों को क्षमा करना होगा, इसलिए नहीं कि वे इस के योग्य हैं बल्कि इसलिए कि आप उनसे मुक्ति के योग्य हैं। |
| 404 | आपको शक्ति (पॉवर) की तभी जरूरत होती है जब आप किसी को नुकसान पहुंचाना चाहे, अन्यथा प्यार काफी है हर काम को करने के लिए। |
| 405 | आपकों खुद की skills पर मेहनत करने की जरुरत हैं। |
| 406 | आपत्ति से बचने के लिए धन की रक्षा करे क्योंकि पता नहीं कब आपदा आ जाए। लक्ष्मी तो चंचल है। संचय किया गया धन कभी भी नष्ट हो सकता है। |
| 407 | आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ। और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ। |
| 408 | आपमें चाहे कितनी भी योग्यता क्यों ना हो, आप एकाग्रचित्त होकर ही अपना महान कार्य कर सकते हैं। |
| 409 | आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये। |
| 410 | आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है। |
| 411 | आमतौर पर महान उपलब्धियां महान बलिदानों का फल होती हैं, और कभी भी स्वार्थ का परिणाम नहीं होतीं। |
| 412 | आमतौर पर सिपाही लड़ाइयाँ जीतते हैं; सेनापति उसका श्रेय ले जाते हैं। |
| 413 | आयु सोचती है, जवानी करती है। |
| 414 | आलसी का न वर्तमान होता है, न भविष्य। |
| 415 | आलसी राजा अपने विवेक की रक्षा नहीं कर सकता। |
| 416 | आलसी राजा अप्राप्त लाभ को प्राप्त नहीं करता। |
| 417 | आलसी राजा की प्रशंसा उसके सेवक भी नहीं करते। |
| 418 | आलसी राजा प्राप्त वास्तु की रक्षा करने में असमर्थ होता है। |
| 419 | आलसी व्यक्ति से सबसे कठिन कार्य करवाओ वो उस काम को सबस आसान रास्ते से उसको हल करेगा और आपको वह कार्य करने का आसान मार्ग मिल जायेगा। |
| 420 | आलस्य के कारण तथा अभ्यास के अभाव में प्राप्त विद्या भी नष्ट हो जाती हैं, दुसरे के हाथ में गया हुआ धन काम नहीं आता और न लौट कर वापस ही आता हैं, थोडा बीज डालने से खेत फलता-फूलता नहीं है तथा सेनापतिरहित सेना विजयी नहीं होती। |
| 421 | आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। |
| 422 | आलस्य से विध्या नष्ट हो जाती है। दूसरे के पास गई स्त्री, बीज की कमी से खेती और सेनापति के न होने से सेना नष्ट हो जाती है। |
| 423 | आलस्य में दरिद्रता बसती है, लेकिन जो, व्यक्ति आलस्य नहीं करते उनकी मेहनत में लक्ष्मी का निवास होता है। |
| 424 | आलोचना से बचने का एक ही तरीका हैकुछ मत करो, कुछ मत कहो और कुछ मत बनों। |
| 425 | आवश्यकता, आविष्कार की जननी है। |
| 426 | आवाप अर्थात दूसरे राष्ट्र से संबंध नीति का परिपालन मंत्रिमंडल का कार्य है। |
| 427 | आविष्कार करने के लिए, आपको एक अच्छी कल्पना और कबाड़ के ढेर की जरूरत होती है। |
| 428 | आशा जागते हुए देखा गया स्वप्न है। |
| 429 | आशावादी बने। मैं ऐसा चाहता हूँ की जगह में आशा करता हूँ कहें यह आपके अन्दर आशावादी द्रष्टिकोण (hope) पैदा करेगा। |
| 430 | आश्चर्य , दार्शनिक की भावना है और दर्शन आश्चर्य से शुरू होता है। |
| 431 | आश्चर्य, भय, तोड़-फोड़, हत्या के ज़रिये दुश्मन को अन्दर से हतोत्साहित कर दो। यह भविष्य का युद्ध है। |
| 432 | आसमान को छूने के लिए संकल्प की जरुरत होती हैं, मेहनत की नहीं। पक्के इरादों की जरुरत होती हैं, संसाधनों की नहीं। होंसलो की जरुरत होती हैं, ताकत की नहीं। |
| 433 | आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है। |
| 434 | आज़ाद होने के लिए पूरी दुनिया में कोई भी आसान रास्ता नहीं है। |
| 435 | आज़ादी खुद को बेहतर बनाने के तरीके से ज्यादा कुछ नहीं है। |
| 436 | इंतज़ार करने वालो को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है। |
| 437 | इंतज़ार मत करिए, सही समय कभी नहीं आता। |
| 438 | इंतजार करने वाले लोगो को केवल उतना मिलता है, जितना कोशिश करने वाले लोग छोड़ देते है। |
| 439 | इंतजार करने वालो को केवल प्राप्त होता है, जो मेहनत करने वाले छोड़ जाते है। |
| 440 | इंद्रियों के अत्यधिक प्रयोग से बुढ़ापा आना शुरू हो जाता है। |
| 441 | इंसान की तरह बोलना न आये तो जानवर की तरह मौन रहना अच्छा है। |
| 442 | इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने कि लिए ये ज़रूरी हैं. |
| 443 | इंसान को जीवन में मुश्किलों की जरुरत हैं क्यूंकि यही मुश्किलें सफलता का सुख अनुभव कराती हैं। |
| 444 | इंसान को सबसे बड़ा धोखा अपने विचारो से ही मिलता हैं। |
| 445 | इंसान खुश तभी रह सकता है जब वह इस जीवन का उद्देश्य समझना छोड़ दे। |
| 446 | इंसान तब तक नहीं हारता है जब तक की वो अपने दिमाग में हार ना मान ले। |
| 447 | इंसान भीतर से जितना मजबूत होगा उतना ही उसका कद ऊंचा होगा। |
| 448 | इंसान वो है जो की उनकी माँ उन्हें बनाती है। |
| 449 | इंसानो को नियंत्रित करने के लिए यदि क़ानून जरुरी हो जाए तो फिर ऐसे कानून से स्वतंत्रता की अपेक्षा न रखे। |
| 450 | इंसानों की नफरत ख़तम हो जाएगी, तानाशाह मर जायेंगे, और जो शक्ति उन्होंने लोगों से छीनी वो लोगों के पास वापस चली जायेगी। और जब तक लोग मरते रहेंगे, स्वतंत्रता कभी ख़त्म नहीं होगी। |
| 451 | इच्छा आधा जीवन है और उदासीनता आधी मौत। |
| 452 | इच्छा और ख्वाहिशों के अनुरूप हर व्यक्ति अपना भगवान खुद बनाता है। |
| 453 | इच्छा ही सभी उपलब्धियों का प्रारंभिक बिंदु है। |
| 454 | इच्छाओं को काबू में रखने से खुशियों का अनुभव होता है। इच्छाओं को पूरा करते रहने की दौड़ में नुकसान पहुँचता है। |
| 455 | इतनी चाहत तो लाखो रु पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है....... |
| 456 | इतिहास पढ़िए ,इतिहास पढ़िए . इतिहास में ही राज्य चलाने के सारे रहस्य छिपे हैं। |
| 457 | इतिहास को पढ़ने से पता चलता है की सरकार कितनी बुरी होती है। |
| 458 | इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा गया हैं। |
| 459 | इतिहास सहमती से किया गया झूठ का संग्रह है। |
| 460 | इतिहास से हम क्या सिख सकते है, यही की कोई व्यक्ति इतिहास से कभी -कुछ नहीं सीख सकता है। |
| 461 | इतिहास, जीतेने वालों द्वारा लिखा जाता है। |
| 462 | इन छ: चीजों से सावधानी बरतनी चाहिए ये हैं आग, जल, स्त्री, मुर्ख पुरुष, सर्प और राजकुल से व्यवहार। क्योकि जहा ये अनुकूल होने पर अभीष्ट फल देती हैं, वहीँ थोड़ी सी असावधानी होने पर तक्षण प्राण भी हर लेती हैं। |
| 463 | इन सातो को जगा दे यदि ये सो जाए 1. विद्यार्थी 2. सेवक 3. पथिक 4. भूखा आदमी 5. डरा हुआ आदमी 6. खजाने का रक्षक 7. खजांची |
| 464 | इन सातो को नींद से नहीं जगाना चाहिए1. साप 2. राजा 3. बाघ 4. डंख करने वाला कीड़ा 5. छोटा बच्चा 6. दुसरो का कुत्ता 7. मुर्ख |
| 465 | इन्द्रियों को वश में करना ही तप का सार है। |
| 466 | इन्द्रियों पर विजय का आधार विनर्मता है। |
| 467 | इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए. |
| 468 | इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए। |
| 469 | इन्स्पीरेशन सोच है जबकि मोटीवेशन कार्रवाई है। |
| 470 | इरादों में मजबूती होने से आगे बढ़ना आसान होता है, लेकिन व्यर्थ बैठे रहने से कुछ भी हासील नहीं हो पाता है। |
| 471 | इस दस्तावेज़ की लम्बाई इस पढ़े जाने के जोखिम से बचाती है। |
| 472 | इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, आग नहीं जला सकती, जल गीला नहीं कर सकता और वायु सुखा नहीं सकती, इस संसार में ज्ञान के समान कोई पविता वस्तु नहीं हैं उस ज्ञान को योग से सिद्ध और समय से व्यक्ति स्वयं आत्मा में प्राप्त करता हैं। |
| 473 | इस कार्य को करने का एक बेहतर तरीका है – उसे खोजो। |
| 474 | इस खूबसूरत धरती से बेहतर स्वर्ग का रास्ता मेरे लिए नहीं हो सकता। |
| 475 | इस जगत में क्षमा वशीकरण रूप है। भला क्षमा से क्या नहीं सिद्ध होता ? जिसके हाथ में शांति रूपी तलवार है, उसका दुष्ट पुरुष क्या कर लेंगे। |
| 476 | इस जीवन को जी-जान से प्यार करना होगा दरिद्रता को आभूषण बनाकर हर एक के बीच काम करने के लिए जाना होगा भगवान के प्रति प्यार की मूर्ति ही यह कार्य हैं हमारे प्यार का स्पर्श किसी न किसी के लिए तो निर्दिर्ष्ट हैं ही |
| 477 | इस दुनिया मे कोई किसी का हम दर्द नहीं होता लोग ज़नाजे के साथ भी होते हैं तो सिर्फ अपनी हाजिरी गिनवाने केलिए |
| 478 | इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।😔"और कितना वक़्त लगेगा"... |
| 479 | इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है। |
| 480 | इस दुनिया में सम्मान से जीने का सबसे महान तरीका है कि हम वो बनें जो हम होने का दिखावा करते हैं। |
| 481 | इस धरती पर कर्म करते हुए सौ साल तक जीने की इच्छा रखो, क्योंकि कर्म करने वाला ही जीने का अधिकारी है। जो कर्मनिष्ठा छोड़कर भोगवृत्ति रखता है, वह मृत्यु का अधिकारी बनता है। |
| 482 | इस धरती पर कोई भी दो चीजे पूर्ण रूप से सामान नहीं होती |
| 483 | इस पृथ्वी पर तीन ही रत्न है -----जल, अन्न, और मधुर वचन ! बुद्धिमान व्यक्ति इनकी समझ रखता है, परन्तु मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ो को ही रत्न कहते है। |
| 484 | इस पृथ्वी पर दुर्जन व्यक्ति को सज्जन बनाने का कोई उपाय नहीं है, जैसे सैकड़ो बार धोने के उपरांत भी गुदा-स्थान शुद्ध इन्द्री नहीं बन सकता। |
| 485 | इस बात को भी खुद से जाने दीजिए कि सभी काम एक ही पल में पुरे हो जायेंगे, हर काम को करने में अलग अलग समय लगता हैं। |
| 486 | इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी ज़िन्दगी के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार मौत के बारे में सोचता हूँ तब सारी उम्मीद, सारा गर्व, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है। इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। आप पहले से ही नंगे हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने। |
| 487 | इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये. |
| 488 | इस बात में कोई सच्चाई नहीं की सभी रूढ़िवादी, बेवकूफ होते है। यह सच है की सभी बेवकूफ, रूढ़िवादी जरूर होते है। |
| 489 | इस बात से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई भी बात हो सकती जब दो लोग एक-दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर देखते है, घर को अपनेपन से भर देते है, दुश्मनो को घर से बाहर और दोस्तों को भरपूर प्यार देते है। |
| 490 | इस मक्कार दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है, यहाँ तक की हमारी परेशानिया भी नहीं। |
| 491 | इस राजनीति शास्त्र का विधिपूर्वक अध्ययन करके यह जाना जा सकता है कि कौनसा कार्य करना चाहिए और कौनसा कार्य नहीं करना चाहिए। यह जानकर वह एक प्रकार से धर्मोपदेश प्राप्त करता है कि किस कार्य के करने से अच्छा परिणाम निकलेगा और किससे बुरा। उसे अच्छे बुरे का ज्ञान हो जाता है। |
| 492 | इस विचार को खुद से अलग कर दे कि दूसरे लोगों के पास आपसे बेहतर चीजें हैं क्योकिं जैसा आप सोच रहे हैं, वैसा ही अगला व्यक्ति भी सोच रहा होगा। |
| 493 | इस विचार को भी अपने दिल से जाने दे कि आपकी तुलना में दूसरा व्यक्ति ज्यादा कमजोर हैं हर व्यक्ति मज़बूत होता हैं और कोई भी कमजोर नहीं हैं। |
| 494 | इस विचार को भी छोड़ दीजिए कि सभी लोग आपकों पसंद करें ही ये मुमकिन नहीं हैं अत: इसे छोड़ दें। |
| 495 | इस संसार के दुखो से संतप्त लोगो को तीन बातों से ही शान्ति मिल सकती हैं – अच्छी संतान, पतिवर्ता स्त्री और सज्जन महात्माओं की संगति। |
| 496 | इस संसार में आज तक किसी को भी प्राप्त धन से, इस जीवन से, स्त्रियों से और खान-पण से पूर्ण तृप्ति कभी नहीं मिली। पहले भी, अब भी और आगे भी इन चीजो से संतोष होने वाला नहीं है। इनका जितना अधिक उपभोग किया जाता है, उतनी ही तृष्णा बढ़ती है। |
| 497 | इस संसार में ऐसा कोई मूल्यवान पदार्थ नहीं हैं। जिसे गुरु को अर्पण करके शिष्य गुरु के इस ऋण (एकाक्षर का ज्ञान अथार्त मिथ्या मायामोह से हटाकर ब्रह्म से साक्षात्कार कराना) से उऋण हो सके। |
| 498 | इस संसार में कामवासना के समान कोई भयंकर रोग नहीं हैं काम एक ऐसा रोग हैं जो मनुष्य के शरीर को खोखला करके उसे सवर्था अशक्त बना देता हैं, मोह जैसा कोई अजेय-शत्रु नहीं, क्रोध जैसी कोई दूसरी आग नहीं ज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं। |
| 499 | इस संसार में कोई भाग्यशाली व्यक्ति ही मोह-माया से छूटकर मोक्ष प्राप्त करता है। उनका कहना है -----'धन-वैभव को प्राप्त करके ऐसा कौन है जो इस संसार में अहंकारी न हुआ हो, ऐसा कौनसा व्यभिचारी है, जिसके पापो को परमात्मा ने नष्ट न कर दिया हो, इस पृथ्वी पर ऐसा कौन धीर पुरुष है, जिसका मन स्त्रियों के प्रति व्याकुल न हुआ हो, ऐसा कौन पुरुष है, जिसे मृत्यु ने न दबोचा हो, ऐसा कौन सा भिखारी है जिसे बड़प्पन मिला हो, ऐसा कौनसा दुष्ट है जो अपने सम्पूर्ण दुर्गुणों के साथ इस संसार से कल्याण-पथ पर अग्रसर हुआ हो।' |
| 500 | इस संसार में कोई मनुष्य स्वभावतः किसी के लिए उदार, प्रिय या दुष्ट नहीं होता। अपने कर्म ही मनुष्य को संसार में गौरव अथवा पतन की ओर ले जाते है। |
Sunday, January 10, 2016
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