501 | इस संसार में जब तक मनुष्य का शरीर निरोग और स्वस्थ रहता हैं, जब तक मृत्यु समीप नहीं आती, तब तक मनुष्य को आत्मकल्याण अथवा मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रयत्न करना चाहिए उसे दान, तीर्थसेवन, सत्संग व्रत पूजा आदि शुभ कर्म कर लेने चाहिए क्योकि जब तक जीवन हैं और शरीर स्वस्थ है तब तक ही मनुष्य कुछ करने में समर्थ हो सकता हैं शरीर के व्याधिग्रस्थ हो जाने पर अथवा मृत्यु के निकट आने पर मनुष्य के लिए कुछ भी करना सम्भव नहीं होगा। |
502 | इस संसार में दुःखो से दग्ध प्राणी को तीन बातों से सुख शांति प्राप्त हो सकती है - सुपुत्र से, पतिव्रता स्त्री से और सद्संगति से। |
503 | इस संसार में मनुष्य की सभी इच्छाए पूरी नहीं होती। किसी को भी मनचाहा सुख नहीं मिलता वस्तुतः सुख-दुःख की प्राप्ति मनुष्य के अपने हाथ में न होकर ईश्वर के अधीन हैं। यह सोचकर मनुष्य को जितना भी मिलता हैं उतने से ही सन्तोष करना चाहिए। |
504 | इस संसार में विद्वान की ही प्रशंसा और विद्वान की ही सब कहीं पूजा होती हैं वस्तुत: विधा से संसार की सभी दुर्लभ वस्तुए भी प्राप्त हो सकती हैं यही कारण हैं कि इस संसार में विधा का और विधावान का सब कहीं आदर-सम्मान होता हैं। |
505 | इस संसार में वे ही लोग सुख और सम्मान का जीवन व्यतीत करते हैं, जो सम्बन्धियों के प्रति उदारता, सेवको के प्रति दया और दुर्जनों के प्रति कठोरता बरतते हैं जो सज्जन पुरूषों में अनुराग रखते हैं, नीच पुरूषों के प्रति अपनी श्रेष्ठता का प्रदर्शन करते हैं और विद्वानों के प्रति विनयशीलता बरतते हैं, शत्रुओं को अपनी शूरता का परिचय देते हैं, गुरुओ के प्रति सहनशीलता दिखाते हैं तो स्त्रियों पर अधिक विश्वास न करके उनके साथ चातुर्यपूर्ण व्यवहार करते हैं। |
506 | इस संसार में सबसे अधिक बलवान काल अथवा समय हैं काल का चक्र स्रष्टि के आदि से अन्त तक चलता रहता हैं वह कभी रुकता नहीं जो उनकी उपेक्षा करता हैं काल उसको पीछे छोड़ कर आगे निकल जाता हैं। |
507 | इस संसार में सभी प्रकार के दान, यज्ञ, होम तथा बलिदान कर्मफल-भोग के उपरान्त नष्ट हो जाते हैं, परन्तु सत्पात्र को दिया गया दान तथा जीवों को दिया गया अभयदान भी नष्ट नहीं होता और न ही क्षीण होता हैं। उनका फल अक्षय होता हैं। |
508 | इस संसार में.... सबसे बड़ी सम्पत्ति "बुद्धि " सबसे अच्छा हथियार "धेर्य" सबसे अच्छी सुरक्षा "विश्वास" सबसे बढ़िया दवा "हँसी" और आश्चर्य की बात कि "ये सब निशुल्क हैं " |
509 | इस संसार मैं लक्ष्मी अस्थिर हैं, प्राण अनित्य हैं, जीवन भी सदा रहने वाला नहीं, घर परिवार भी नष्ट हो जाने वाला हैं सब पदार्थ अनित्य और नश्वर हैं केवल धर्म ही नित्य और शाश्वत हैं। |
510 | इस संसार रूपी विष-वृक्ष पर दो अमृत के समान मीठे फल लगते है। एक मधुर और दूसरा सत्संगति। मधुर बोलने और अच्छे लोगो की संगति करने से विष-वृक्ष का प्रभाव नष्ट हो जाता है और उसका कल्याण हो जाता है। |
511 | इस संसार सागर को पार करने के लिए ब्राह्मण रूपी नौका प्रशंसा के योग्य है, जो उल्टी दिशा की और बहती है। इस नाव में ऊपर बैठने वाले पार नहीं होते, किन्तु नीचे बैठने वाले पार हो जाते है। अतः सदा नम्रता का ही व्यवहार करना चाहिए। |
512 | इस संसाररूपी वृक्ष के दो फल हैं, जो अमृत के समान मधुर होने से ग्रहणीय हैं प्रथम –अच्छी भाषा और अच्छे बोल और दूसरा –साधु पुरुषो का संग। |
513 | इसका मतलब है, जो लोग उच्च और जिम्मेदार पदों पर है, अगर वे धर्म के खिलाफ जाते है, तो धर्म ही एक विध्वंसक के रूप में तब्दील हो जाएगा। |
514 | इसके साथ ये लोग बचपन से ही मेरी सौत सरस्वती की उपासना करते रहते हैं। और ये लोग शंकर की उपासना करने के लिए प्रतिदिन मेरा घर (कमलपुष्प) ही उजाड़ते रहते हैं। |
515 | इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि जो जिसके गुणों के महत्त्व को नहीं जानता, वह सदैव निंदा करता है। जैसे जंगली भीलनी हाथी के गंडस्थल से प्राप्त मोती को छोड़कर गुंजाफल की माला को पहनती है। |
516 | इसलिए उम्र के लिहाज से काम करने के बारे में सोचना बंद कर दे। |
517 | इससे पहले कि आपके सपने सच हो आपको सपने देखने होगे। |
518 | इससे पहले की सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे। |
519 | इसी प्रकार मुर्ख व्यक्ति का ह्रद्य उदार भावों-दया, करुणा तथा ममता आदि से सर्वथा शून्य होता हैं। |
520 | इसीलिए राजा खानदानी लोगो को ही अपने पास एकत्र करता है क्योंकि कुलीन अर्थात अच्छे खानदान वाले लोग प्रारम्भ में, मध्य में और अंत में, राजा को किसी दशा ने भी नहीं त्यागते। |
521 | ईख, जल, दूध, मूल (कंद), पान, फल और दवा आदि का सेवन करके भी, स्नान-दान आदि क्रियाए की जा सकती है। |
522 | ईख, तिल, क्षुद्र, स्त्री, स्वर्ण, धरती, चंदन, दही,और पान, इनको जितना मसला या मथा जाता है, उतनी गुण-वृद्धि होती है। |
523 | ईमानदारी अधिकतर बेईमानी से कम लाभदायक होती है। |
524 | ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता। |
525 | ईर्ष्या आत्मा का अल्सर है। |
526 | ईर्ष्या करने वाले दो समान व्यक्तियों में विरोध पैदा कर देना चाहिए। |
527 | ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी। |
528 | ईश्वर ने ही मुझे इस मार्ग पर चलाया हैं, यह विश्वास मेरे हर्द्य में बहुत पहले ही हो गया था |
529 | ईश्वर मुझे माफ़ कर देगा। ये उसका काम है। |
530 | ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज ना होना क्योकि ईश्वर वह नही देता जो आपको अच्छा लगता है बल्कि वह देता है जो आपके लिए अच्छा होता है। |
531 | ईश्वर, मुझे ऐसी ताकत दो की मैं हासिल करने से ज्यादा की चाहत रख सकू। |
532 | उच्च कुल में उत्पन्न और गुण संपन्न व्यक्ति भी यदि दान नहीं करता तो उसे जीवन में यश नहीं मिलता। अत: इस लोक में यश और सुख तथा पारलौकिक कल्याण के लिए दान सर्वोतम साधन हैं यह सब उसी तरह से हैं, जैसे समुद्र शंख का पिता है और उसके पास सभी रत्नों का भण्डार है और देवी लक्ष्मी शंख की बहन है। लेकिन फिर भी शंख दर दर पर भीख मांगने वालो के हाथ में होता हैं। |
533 | उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है। |
534 | उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो , तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो , तुम तत्व नहीं हो , ना ही शरीर हो , तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो। |
535 | उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये। |
536 | उत्कंठा ज्ञान की शुरुआत है। |
537 | उत्कृष्टता एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है कोई संयोग नहीं। |
538 | उत्कृष्टता वो कला है जो प्रशिक्षण और आदत से आती है। हम इस लिए सही कार्य नहीं करते कि हमारे अन्दर अच्छाई या उत्कृष्टता है, बल्कि वो हमारे अन्दर इसलिए हैं क्योंकि हमने सही कार्य किया है। हम वो हैं जो हम बार बार करते हैं, इसलिए उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं बल्कि एक आदत है। |
539 | उत्तम कर्म करते हुए एक पल का जीवन भी श्रेष्ठ है, परन्तु लोक-परलोक में दुष्कर्म करते हुए हजारों वर्षो का जीना भी श्रेष्ठ नहीं है। |
540 | उत्तम स्वभाव से ही देवता, सज्जन और पिता संतुष्ट होते है। बंधु-बांधव खान-पान से और श्रेष्ठ वार्तालाप से पंडित अर्थात विद्वान प्रसन्न होते है। मनुष्य को अपने मृदुल स्वभाव को बनाए रखना चाहिए। |
541 | उत्साह कामयाबी का सबसे ताकतवर हथियार है। किसी भी काम को पुरे उत्साह से करे। पूरी आत्मा इसमें लगा दे। उस काम में आपका व्यक्तित्व झलके। ऊर्जावान रहे। विश्वास से भरे हो। बगैर उत्साह के दुनिया में कुछ भी हासिल नहीं किया गया है। |
542 | उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। |
543 | उत्साहहीन व्यक्ति का भाग्य भी अंधकारमय हो जाता है। |
544 | उदारता जितना आप दे सकते हैं उससे अधिक देना है , और गर्व जितना आप ले सकते हैं उससे कम लेना है। |
545 | उद्देश्यपूर्ण जीवन जिए। सफल जिंदगी जीने के लिए जीवन में कोई न कोई उद्देश्य अवश्य बनाएं। |
546 | उद्धयोग-धंधा करने पर निर्धनता नहीं रहती है। प्रभु नाम का जप करने वाले का पाप नष्ट हो जाता है। चुप रहने अर्थात सहनशीलता रखने पर लड़ाई-झगड़ा नहीं होता और वो जागता रहता है अर्थात सदैव सजग रहता है उसे कभी भय नहीं सताता। |
547 | उन तर्कों पर हम ज्यादा जल्दी विश्वास करते है जिनका आविष्कार खुद करते है, क्योंकि हम उनकी सच्चाई जानते है। |
548 | उन लोगो के साथ रहे, जो आपको समझते हैं जिनको यह पता हैं कि आप किन चुनौतियों से जूझ रहे हैं। |
549 | उन लोगों कि बातों पर ध्यान मत दीजिए, जो आप के काम और आचरण की प्रशंसा करते हैं बल्कि उन लोगो कि बातों पर ध्यान दीजिए जो आप के काम में कमियां निकालते हैं |
550 | उन लोगों में से एक बनिए जिन्हें कर्म में ही सुंदरता दिखती है। जैसे मुझे साइंस से ज्यादा खूबसूरत कुछ नहीं लगता है। |
551 | उनमे से हर कोई किसी न किसी भेस में भगवान है. |
552 | उन्नति और अवनति वाणी के अधीन है। |
553 | उपकार का बदला चुकाने के भय से दुष्ट व्यक्ति शत्रु बन जाता है। |
554 | उपकार का बदला उपकार से देना चाहिए और हिंसा वाले के साथ हिंसा करनी चाहिए। वहां दोष नहीं लगता क्योंकि दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना ही ठीक रहता है। |
555 | उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। |
556 | उपहार से नहीं इच्छा से आप दाता बनते है। |
557 | उपाय से सभी कार्य पूर्ण हो जाते है। कोई कार्य कठिन नहीं रहता। |
558 | उपायों को जानने वाला कठिन कार्यों को भी सहज बना लेता है। |
559 | उपार्जित धन का त्याग ही उसकी रक्षा है। अर्थात उपार्जित धन को लोक हित के कार्यों में खर्च करके सुरक्षित कर लेना चाहिए। |
560 | उम्मीदे प्रथम श्रेणी के सत्य का एक रूप है: यदि लोग कुछ होने का विश्वास करते हैं तो वह सचमुच होता है। |
561 | उम्र के अनुरूप ही वेश धारण करें। |
562 | उम्र के साथ अपना नजिरया भी विकसित करना आवश्यक हैं। अपने दिल कि आवाज सुनिए और लीक से हटकर काम कीजिये। |
563 | उम्र बढ़ना किसी निराशा से काम नहीं है। इसकी कोई दवा भी उपलब्ध नहीं है। अगर आप यह न समझे हंसना ही हर बात का इलाज़ है। |
564 | उलाहना देती हुई, एक गोपी श्रीकृष्ण को कहती हैं, हे श्रीकृष्ण! तुमने एक बार गोवर्धन नामक किसी एक छोटे से पर्वत को क्या उठा लिए की इस लोक में ही नहीं बल्कि स्वर्गलोक में भी गोवर्धनधारी के रूप में प्रसिद्ध हो गए। परन्तु आश्चर्य ही है की में तीनो लोको को धारण करने वाले तुम्हे अपने ह्रदय में धारण करती हूँ परन्तु मुझे कोई त्रिलोकधारी जैसी पदवी नहीं देता वास्तव में यश-सम्मान तो पुण्य और भाग्य से ही मिलता हैं। |
565 | उस धन-सम्पति से क्या लाभ जो कुलवधू के समान केवल स्वामी के अपने ही उपभोग में आती हैं। लक्ष्मी तो वही उत्तम हैं जो वेश्या के समान न केवल सभी नगरवासियों के उपभोग में आएं, बल्कि पथिको का भी हित करें। |
566 | उस मनुष्य का ठाट-बाट जिसे लोग प्यार नहीं करते, गांव के बीचोबीच उगे विषवृक्ष के समान है। |
567 | उस रास्ते पर मत चलो जो पहले से बना है। वहां चलो, जहां कोई नहीं चला रास्ता बनाओ। |
568 | उस लक्ष्मी (धन) से क्या लाभ जो घर की कुलवधू के समान केवल स्वामी के उपभोग में ही आए। उसे तो उस वेश्या के समान होना चाहिए, जिसका उपयोग सब कर सके। |
569 | उस वक्त तक डरने की कोई जरूरत नहीं है जब तक आप जानते हैं कि जो कर रहे हैं वह बिल्कुल सही है। उससे किसी को नुकसान नहीं पहुंच रहा है। |
570 | उस व्यक्ति के लिए कुछ भी बहुत ज्यादा नहीं होता जिसके लिए ज्यादा का मतलब ही कम होता है। |
571 | उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता। |
572 | उसकी धन दौलत से नहीं। |
573 | उसके(भगवान के) अनुग्रह की हवा दिन और रात आपके सिर के ऊपर बह रही है। अपनी नाव(मन) के पाल खोलो, यदि आप जीवन रूपी सागर के माध्यम से तेजी से प्रगति करना चाहते हैं। |
574 | उसी व्यक्ति का यकीन करिए जो वैसी ही मुश्किल से गुज़र चुका हो। |
575 | उसी व्यक्ति को हीरो कहा जा सकता है, जिसे मालूम हो की सिर्फ एक मिनट तक टंगे रहने का क्या फायदा है। |
576 | उसी वक़्त आप खुद के साथ समय गुजारना चाहते है जब आपको कई लोगो के साथ रहने को कहा जाता है। |
577 | ऋण, शत्रु और रोग को समाप्त कर देना चाहिए। |
578 | ए बुरे वक़्त ! ज़रा “अदब” से पेश आ !! “वक़्त” ही कितना लगता है “वक़्त” बदलने में……… |
579 | ए मुसीबत जरा सोच के आना मेरे करीब कही मेरी माँ की दुवा तेरे लिए मुसीबत ना बन जाये.... |
580 | एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है . |
581 | एक समय में एक काम करो , और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। |
582 | एक creative व्यक्ति के हाथो में और दिमाग में पूरी दुनिया होती हैं। |
583 | एक अकेला पहिया नहीं चला करता। |
584 | एक अच्छा इंसान और एक अच्छा नागरिक बनना एक बात नहीं है। |
585 | एक अच्छा और समझदार व्यक्ति सिर्फ knowledge की ख्वाहिश रखता हैं। |
586 | एक अच्छा दिमाग और एक अच्छा दिल हमेशा से विजयी जोड़ी रहे हैं। |
587 | एक अच्छा नॉवल, किसी फिलोसोफी को इमेजिस में डालने जैसा होता है। |
588 | एक अच्छा पेशेवर इंजीनियर बनने के लिए आपको अपनी परीक्षा की तैयारी हमेशा देर से शुरू करनी चाहिए क्योंकि यह आपको समय को मैनेज करना और इमरजेंसी को हैंडल करना सिखाएगा। |
589 | एक अच्छा शिक्षक अपने छात्रों के लिए पढ़ाई आसान बना देता है। यहां तक की शिक्षक के जाने के बाद भी छात्र उनके पढाए पाठ के बारे में हैं। |
590 | एक अच्छी पुस्तक हज़ार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्छा दोस्त एक पुस्तकालय के बराबर होता है। |
591 | एक अच्छी पुस्तक हज़ार दोस्तों के बराबर होती है जबकि एक अच्छा दोस्त एक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) के बराबर होता है |
592 | एक आदमी एक दीपक की रोशनी से भी भागवत पढ़ सकता है, और एक ओर बहुत प्रकाश में भी कोई जालसाजी कर सकता हैं इन सबसे दीपक अप्रभावित रहता है। सूरज दुष्ट और गुणी व्यक्ति के लिए प्रकाश में कोई अंतर नहीं लाता और दोनों पर समान प्रकाश डालता है। |
593 | एक आम इंसान कुछ लोगों से ज्यादा प्यार करता है। उसके लिए इसके बिना प्यार का कोई मतलब नहीं होता। |
594 | एक आवारा, एक सज्जन, एक कवि, एक सपने देखने वाला, एक अकेला आदमी, हमेशा रोमांस और रोमांच की उम्मीद करते है। |
595 | एक इंसान जो अपने हाथों से काम करता है वो एक श्रमिक है; एक इंसान जो अपने हाथों और दिमाग से काम करता है वो एक कारीगर है; लेकिन एक इंसान जो अपने हाथों, दिमाग और दिल से काम करता है वो एक कलाकार है। |
596 | एक ईमानदार आदमी हमेशा एक बच्चा होता है। |
597 | एक ईसाई होने के नाते मुझे खुद को ठगे जाने से बचाने का कोई कर्तव्य नहीं है, लेकिन सत्य और न्याय के लिए लड़ने का मेरा कर्तव्य है। |
598 | एक औंस किया गया कार्य एक टन बात करने के बराबर है। |
599 | एक कलाकार की पहचान उसके काम से होती है, न कि काम की पहचान कलाकार के नाम से। |
600 | एक कृत्य द्वारा किसी एक दिल को ख़ुशी देना, प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है। |
Monday, January 11, 2016
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