101 | अच्छी तरह देखकर पैर रखना चाहिए, कपड़े से छानकर पानी पीना चाहिए, शास्त्र से (व्याकरण से) शुद्ध करके वचन बोलना चाहिए और मन में विचार करके कार्य करना चाहिए। |
102 | अच्छी तरह से जान लीजिये आपको आपके सिवा कोई और सफलता नहीं दिला सकता। |
103 | अच्छी शुरुआत से आधा काम हो जाता है। |
104 | अच्छी संगति से दुष्टों में भी साधुता आ जाती है। उत्तम लोग दुष्ट के साथ रहने के बाद भी नीच नहीं होते। फूल की सुगंध को मिट्टी तो ग्रहण कर लेती है, पर मिट्टी की गंध को फूल ग्रहण नहीं करता। |
105 | अच्छे आदमी के साथ बुरा नहीं हो सकता, ना इस जीवन में ना मरने के बाद। |
106 | अच्छे और विनर्म शब्दों की जानकारी होने के बावजूद दूसरों के साथ अपशब्दों का इस्तेमाल करना वैसा ही है जैसे पेड़ पर पके हुए फल लगे होने के बावजूद कच्चे फल खाना। |
107 | अच्छे कर्म स्वयं को शक्ति देते हैं और दूसरों को अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देते हैं। |
108 | अच्छे कार्य करने के लिए कभी शुभ मुहूर्त मत पूछो। |
109 | अच्छे दोस्त आपको हर परिस्थिति का सामना करना सिखाते है, वे भी पुरे साहस के साथ। |
110 | अच्छे लीडर्स और लीडर्स बनाने की चेष्ठा करते हैं, बुरे लीडर्स और फालोवार्स बनाने की चेष्ठा करते हैं। |
111 | अच्छे लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करे, लेकिन मूर्खों के बीच चुप्पी अपनाएं। |
112 | अच्छे लोगों को जिम्मेदारी से रहने के लिए कहने हेतु क़ानून की ज़रुरत नहीं पड़ती, और बुरे लोग क़ानून से बच कर काम करने का रास्ता निकाल लेते हैं। |
113 | अच्छे स्वास्थ्य में शरीर रखना एक कर्तव्य है … अन्यथा हम हमारे मन को मजबूत और साफ रखने के लिए सक्षम नहीं हो पाएंगे। |
114 | अच्छे, सच्चे,ईमानदार व्यक्ति के साथ और ज्यादा अच्छे तरीके से, पूरी सच्चाई के साथ और ईमानदारी से पेश आइए। एक धोखेबाज़ व्यक्ति के साथ उससे भी ज्यादा धोखेबाज़ी करिये। |
115 | अजीब दस्तूर है ज़माने का... अच्छी यादें पेनड्राइव में. और... बुरी यादें दिल में रखते हैं...।। |
116 | अजीर्ण की स्थिति में भोजन दुःख पहुंचाता है। |
117 | अज्ञान के कारण आत्मा सीमित लगती है, लेकिन जब अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है, तब आत्मा के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान हो जाता है, जैसे बादलों के हट जाने पर सूर्य दिखाई देने लगता है। |
118 | अज्ञानता बदलाव से हमेशा डरती है. |
119 | अज्ञानता, सभी बुराइयों का मूल कारण है। |
120 | अज्ञानी आदमी एक बैल है। ज्ञान में नहीं, वह आकार में बढ़ता है। |
121 | अज्ञानी और मूढ़ पुत्र की लम्बी आयु की अपेक्षा उसका उत्पन्न होते ही मर जाना अच्छा हैं, क्योंकि जन्म लेकर मरने वाले का दुःख तो थोड़े समय के लिए होता हैं –थोड़ी देर रोने-धोने के बाद माता-पिता मन को समझा लेते हैं और सम्बन्धियों की बात मानकर अपने कार्य के लग जाते हैं, परन्तु मुर्ख पुत्र जब तक जीता हैं, तब तक सभी को कष्ट देता हैं इसलिए मुर्ख पुत्र के उत्पन्न होने से उसका न होना अच्छा। |
122 | अज्ञानी लोगों द्वारा प्रचारित बातों पर चलने से जीवन व्यर्थ हो जाता है। |
123 | अज्ञानी व्यक्ति के कार्य को बहुत अधिक महत्तव नहीं देना चाहिए। |
124 | अति आसक्ति दोष उत्पन्न करती है। |
125 | अति सुंदर होने के कारण सीता का हरण हुआ, अत्यंत अहंकार के कारण रावण मारा गया, अत्यधिक दान के कारण राजा बलि बांधा गया। अतः सभी के लिए अति ठीक नहीं है। 'अति सर्वथा वर्जयते।' अति को सदैव छोड़ देना चाहिए। |
126 | अतीत पे धयान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो। |
127 | अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो. |
128 | अत्यंत क्रोध करना, कड़वी वाणी बोलना, दरिद्रता और अपने सगे-संबन्धियों से वैर-विरोध करना, नीच पुरुषो का संग करना, छोटे कुल के व्यक्ति की नौकरी अथवा सेवा करना-----ये छः दुर्गुण ऐसे है जिनसे युक्त मनुष्य को पृथ्वीलोक में ही नरक के दुःखो का आभास हो जाता है। |
129 | अत्यंत थक जाने पर भी बोझ को ढोना, ठंडे-गर्म का विचार न करना, सदा संतोषपूर्वक विचरण करना, ये तीन बातें गधे से सीखनी चाहिए। |
130 | अत्यधिक आदर-सत्कार से शंका उत्पन्न हो जाती है। |
131 | अत्यधिक भार उठाने वाला व्यक्ति जल्दी थक जाता है। |
132 | अत्यधिक लाड़-प्यार से पुत्र और शिष्य गुणहीन हो जाते है और ताड़ना से गुनी हो जाते है। भाव यही है कि शिष्य और पुत्र को यदि ताड़ना का भय रहेगा तो वे गलत मार्ग पर नहीं जायेंगे। |
133 | अत्यन्त क्रोध करना, कड़वी वाणी बोलना, दरिद्रता और अपने सगे सम्बन्धियों से वैर-विरोध करना, नीच पुरुषो का संग करना, छोटे कुल के व्यक्ति की नौकरी अथवा सेवा करना – ये छह दुर्गुण ऐसे हैं जिनसे पृथ्वीलोक में ही नरक के दुखो का आभास हो जाता हैं। |
134 | अथार्त आदमी परदेश में जाकर धन कमाता हैं परन्तु वहां उसे अनेक कष्ट भी उठाने पड़ते हैं इसलिए व्यक्ति को चाहिए की वह अपनी आय को समय के अनुरूप ढाल लें। |
135 | अधम, नीच व छोटे व्यक्ति इस संसार में धन को ही महत्व देते हैं बीच के, मध्यम स्तर के व्यक्ति धन के साथ मान को भी महत्व देते हैं, इन दोनों के विपरीत उत्तम पुरुष धन की अपेक्षा सम्मान-प्राप्ति को ही अधिक महत्व देते हैं उनके जीवन का लक्ष्य सम्मान प्राप्त करना होता हैं और इसे ही वे सबसे बड़ा धन समझते हैं। |
136 | अधर्म बुद्धि से आत्मविनाश की सुचना मिलती है। |
137 | अधिकतर आपकी गहन इच्छाओं से ही घोर नफरत पैदा होती है। |
138 | अधिकतर मनुष्यों के पास सम्पति या ताकत अर्जित करने के साधन नहीं होते, लेकिन ज्ञान अर्जन करने की क्षमता सबके पास होती है। |
139 | अधिकतर महान लोगों ने अपनी सबसे बड़ी सफलता अपनी सबसे बड़ी विफलता के एक कदम आगे हांसिल की है। |
140 | अधिकतर लोग उतने ही खुश होते है जितना की वे होना चाहते है। |
141 | अधिकांश लोग कहते है की वो बुद्धि है जो एक महान वैज्ञानिक बनाती है। वो गलत है चरित्र ही एक महान वैज्ञानिक बनाता है। |
142 | अनकहे शब्दों के तो हम मालिक है लेकिन मुंह से फिसले शब्दों केगुलाम। |
143 | अनजानी राहो पर वीर ही आगे बड़ा करते है कायर तो परिचित राह पर ही तलवार चमकाते है। |
144 | अनुभव हमें सिखाता है कि कब्ज़ा जमाने के बाद दुश्मन को हटाने की तुलना में उसे कब्ज़ा करने से रोकना कहीं आसान है. |
145 | अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धि के बीच पुल है। |
146 | अनुशासन से स्वतंत्रता आती है। |
147 | अनेक अनर्थो की जड़ होने के कारण मुर्खता बहुत कष्ट देने वाली हैं। इसी प्रकार यौवन भी कष्टकर होता हैं, परन्तु दूसरे व्यक्ति के घर में किसी विवशता के कारण रहना सर्वाधिक कष्टकर कार्य हैं। |
148 | अनेक जन्मो से किया गया दान, अध्ययन और तप का अभ्यास, अगले जन्म में भी उसी अभ्यास के कारण मनुष्य को सत्कर्मी की ओर बढाता है, अर्थात वह दूसरे जन्म में भी शास्त्रों के अध्ययन को दान देने की प्रवृति को और तपस्यारत जीवन को दुसरो के पास तक पहुंचाता है। |
149 | अनेक बातें गुप्त रखने की होती हैं बुद्दिमान व्यक्ति को निमंलिखित छ: बातें कभी किसी से नहीं कहनी चाहिए इन्हें अपने तक ही सीमित रखना चाहिए और दूसरों से यथासम्भव छिपाने की चेष्टा करनी चाहिए – |
150 | अनेक रंग और रूपों वाले पक्षी सायं काल एक वृक्ष पर आकर बैठते है और प्रातःकाल दसों दशाओं में उड़ जाते है। ऐसे ही बंधु-बांधव एक परिवार में मिलते है और बिछुड़ जाते है। इस विषय में शौक कैसा ? |
151 | अन्न और जल का दान अप्रितम दान हैं। भूखे को भोजन करा देना और प्यासे को पानी पिला देना से बाद कोई दूसरा दान नहीं हैं। द्वादशी जैसी को उत्तम तिथि नहीं हैं और गायत्री मंत्र से बड़ा कोई दूसरा मंत्र नहीं हैं। साप के दंश में विष होता है। कीड़े के मुह में विष होता है। बिच्छू के पूंछ में विष होता है। लेकिन दुष्ट व्यक्ति तो पूर्ण रूप से विष से भरा होता है। |
152 | अन्न की अपेक्षा उसके चूर्ण अथार्थ पिसे हुए आटे में दस गुना अधिक शक्ति होती हैं, दूध में आटे से भी दस गुना ज्यादा शक्ति होती हैं, मांस में दूध से भी आठ गुना ज्यादा शक्ति होती हैं और घी में मांस से भी दस गुना ज्यादा बल हैं। |
153 | अन्न की अपेक्षा उसके चूर्ण अर्थात पिसे हुए आटे में दस गुना अधिक शक्ति होती है। दूध में आटे से भी दस गुना अधिक शक्ति होती है। मांस में दूध से भी आठ गुना अधिक शक्ति होती है। और घी में मांस से भी दस गुना अधिक बल है। |
154 | अन्न के सिवाय कोई दूसरा धन नहीं है। |
155 | अन्न दान करने से भ्रूण हत्या (गर्भपात) के पाप से मुक्ति मिल जाती है। |
156 | अन्नदान व जलदान से बड़ा कोई अन्य दान नहीं, द्वादशी तिथि के समान कोई अन्य तिथि नहीं, गायत्री मंत्र के समान कोई अन्य मंत्र नहीं और माता के समान कोई दूसरा देवता नहीं। |
157 | अन्नहीन यज्ञ राजा को, मंत्रहीन यज्ञ करने वाले ऋत्विजों को और दानहीन यज्ञ यजमान को जलाता है। यज्ञ के बराबर कोई शत्रु नहीं है। |
158 | अन्याय से उपार्जित किया गया धन दस वर्ष तक रहता है। ग्यारहवें वर्ष के आते ही जड़ से नष्ट हो जाता है। |
159 | अन्याय,धूर्तता अथवा बेईमानी से जोड़ा-कमाया धन अधिक से अधिक दस वर्षो तक रहता हैं। ग्यारवे वर्ष में वह बढ़ा हुआ धन मूल के साथ ही नष्ट हो जाता हैं। |
160 | अपच में, भोजन पच जाने पर तथा भोजन के बीच तो जल का सेवन लाभप्रद हैं, परन्तु भोजन समाप्त करते ही अधिक जल पीना हानिकारक हैं अत: ऐसा नहीं करना चाहिए। |
161 | अपच होने पर पानी दवा है, पचने पर बल देने वाला है, भोजन के समय थोड़ा-थोड़ा जल अमृत के समान है और भोजन के अंत में जहर के समान फल देता है। |
162 | अपना एक विज़न रखो। ये अदृश्य को देखने की एक आवश्यक योग्यता है। और यदि आप अदृश्य द्देख सकते है तो आप असंभव भी प्राप्त कर सकते है। |
163 | अपना काम अच्छे तरीके से करने के बाद संतुष्ट होकर आराम कीजिए। दूसरे आपके बारे में क्या बात करते है, ये उन्हीं पर छोड़ दीजिए। |
164 | अपना काम उसी वजह से करें जिस वजह से सांस लेते है, क्योंकि अगर ऐसा नहीं करेंगे तो ज़िंदा रहना मुश्किल होगा। |
165 | अपना समय औरों के लेखों से खुद को सुधारने में लगाइए, ताकि आप उन चीजों को आसानी से जान पाएं जिसके लिए औरों ने कठिन मेहनत की है। |
166 | अपनी आत्मा से द्वेष करने से मनुष्य की मृत्यु हो जाती है----दुसरो से अर्थात शत्रु से द्वेष के कारण धन का नाश और राजा से द्वेष करने से अपना सर्वनाश हो जाता है, किन्तु ब्राह्मण से द्वेष करने से सम्पूर्ण कुल ही का नाश हो जाता है। |
167 | अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए एक निश्चित योजना बनाएं, और तुरंत इसे क्रियान्वित करने की शुरुआत कर दें, चाहे आप तैयार हों या नहीं। |
168 | अपनी क्षमता का ध्यान रखकर काम करे और जब जरुरी हो तभी इसका प्रदर्शन भी करे। |
169 | अपनी क्षमताओं को जान कर और उनमे यकीन करके ही हम एक बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं। |
170 | अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है। |
171 | अपनी दासी को ग्रहण करना स्वयं को दास बना लेना है। |
172 | अपनी पहली सफलता के बाद विश्राम मत करो क्योकि अगर आप दूसरी बार में असफल हो गए तो बहुत से होंठ यह कहने के इंतज़ार में होंगे की आपकी पहली सफलता केवल एक तुक्का थी। |
173 | अपनी बुद्धिमता को लेकर बेहद निश्चित होना बुद्धिमानी नहीं है। यह याद रखना चाहिए की ताकतवर भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान से भी बुद्धिमान गलती कर सकता है। |
174 | अपनी शक्ति को जगाये। कभी भी दूसरों पर निर्भर न रहे और न चीजों को खुद अपने तरीको से अकेले में करने की कोशिश करे, जो आपको मुश्किल लगती हैं। |
175 | अपनी शक्ति को जानकार ही कार्य करें। |
176 | अपनी सर्वोत्तम क्षमताओ के अनुसार राजनितिक मामलो में दोषसिद्धि हर नागरिक का कर्तव्य है। |
177 | अपनी सीमा अथार्थ आय के साधनों की उपेक्षा करके अन्धाधुन्ध खर्च करने वाला, सहायको के न होने पर भी दूसरों से झगडा बढ़ने वाला और सभी स्त्रियों (बाला, युवती, वृदा, स्वस्थ-अस्वस्थ, सुंदरी-असुन्दरी, उच्चवर्ण तथा निम्नवर्ण ) से सम्भोग करने वाला व्यक्ति शीघ्र ही नष्ट हो जाता हैं। |
178 | अपनी सेवा से स्वामी की कृपा पाना सेवकों का धर्म है। |
179 | अपनी सोच के अलावा किसी चीज़ पर हमारा पूरा नियंत्रण नहीं होता। |
180 | अपनी स्त्री, भोजन और धन, इन तीनों में संतोष करना चाहिए और विद्या पढ़ने, जप करने और दान देने, इन तीनो में संतोष नहीं करना चाहिए। |
181 | अपने Job से प्यार करो पर अपनी Company से प्यार मत करो क्योकि आप नहीं जानते कि कब आपकी Company आपको प्यार करना बंद कर दे। |
182 | अपने अन्दर के बच्चे को जीवित रखें। ऐसा करने से आप जीवन के हर मोड़ पर मिलने वाली छोटी-बड़ी ख़ुशी का लुफ्त उठा पायेंगे और यह आपको हमेशा जवान रहने का अहसास करायेगा। |
183 | अपने अहम के प्रकाश में हम सब सम्राट है। |
184 | अपने आचरण से शोक और संताप उत्पन करने वाले बहुत से पुत्रो की अपेक्षा तो कुल को ऊँचा उठाने वाला और कुल के सदस्यों को सुख देने वाला एक ही पुत्र अच्छा होता हैं। |
185 | अपने आप की तुलना किसी से मत करो, यदि आप ऐसा कर रहे है तो आप स्वयं अपनी बेइज़्ज़ती कर रहे है। |
186 | अपने आप को क्षमा कर देना साहस का सर्वोच्च कार्य है। उन सब कार्यों के लिए जो मैं नहीं कर सकता था लेकिन मैंने किया। |
187 | अपने काम में सुन्दरता तलाशो. उससे सुंदर और कुछ हों ही नहीं सकता। |
188 | अपने कार्य की योजना बनाएं तथा अपनी योजना पर कार्य करें। |
189 | अपने कार्य की शीघ्र सिद्धि चाहने वाला व्यक्ति नक्षत्रों की परीक्षा नहीं करता। |
190 | अपने कार्य में सफल होने के लिए आपको एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना होगा । |
191 | अपने कुल अर्थात वंश के अनुसार ही व्यवहार करें। |
192 | अपने जीवन में उच्चतम एवं श्रेष्ठ लक्ष्य रखो और उसे प्राप्त करो। |
193 | अपने जॉब से प्यार करो पर अपनी कम्पनी से प्यार मत करो क्योकि आप नहीं जानते की कब आपकी कम्पनी आपको प्यार करना बंद कर दे। |
194 | अपने ज्ञान के प्रति ज़रुरत से अधिक यकीन करना मूर्खता है। यह याद दिलाना ठीक होगा कि सबसे मजबूत कमजोर हो सकता है और सबसे बुद्धिमान गलती कर सकता है। |
195 | अपने दिल में यह बात बैठा लो की आज का दिन जिंदगी का सबसे अच्छा दिन है। |
196 | अपने दुश्मन के साथ शान्ति से रेहाना चाहते हैं तो उसके साथ काम करना शुरू कर दें। इस तरह से वो आपका |
197 | अपने दुश्मनों को क्षमा कर दीजिये, पर कभी उनके नाम मत भूलिए। |
198 | अपने दुश्मनों को हमेशा माफ़ कर दीजिये। उन्हें इससे अधिक और कुछ नहीं परेशान कर सकता। |
199 | अपने धर्म के लिए ही कोई सत्पुरुष कहलाता है। |
200 | अपने प्रयोजन में द्रढ विश्वास रखने वाला एक सूक्ष्म शरीर इतिहास के रुख को बदल सकता है। |
Thursday, January 7, 2016
101-200
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