3401 | साधू पुरुष किसी के भी धन को अपना ही मानते है। |
3402 | सामजिक होना मतलब माफ़ करने वाला होना है। |
3403 | सामान्य के बीच अपनी योग्यता को साबित करना ही सफलता(Success) हैं। |
3404 | सामान्य व्यक्ति धर्म के बारें में हजारों बुराइया करता हैं, लेकिन धर्म को प्राप्त करने का प्रयास बिल्कुल नहीं करता। जबकि बुद्धिमान व्यक्ति जोकि धर्म का काफी ज्ञान रखता हैं और उसका आचरण भी धर्मअनुसार ही हैं कम ही बोलता हैं। |
3405 | सारे धर्म इंसानों द्वारा बनाये गए हैं। |
3406 | सारे भूखो के मुँह में अन्न नहीं दिया जा सकता सभी रोगियों की सेवा कर पाना भी सम्भव नहीं हैं, तब क्या सेवा ,दान, प्यार आदि को छींके पर टांग कर रख दे? नहीं, मार्ग में चलते हुए यदि आँखों के सामने कोई भूखा आ खड़ा हो, तो उसे देखना ही धर्म है, उसकी भूख मिटाने के लिए आगे बढ़ना मानवता का कर्तव्य हैं |
3407 | साहस मानवीय गुणों में प्रमुख है, क्योकि यह बाकी सभी गुणों की गारंटी देता है। |
3408 | साहस मुक्ति का एक प्रकार है। |
3409 | साहस ये जानना है कि किससे नहीं डरना है। |
3410 | साहस सभी मानवीय गुणों में प्रथम है क्योंकि यह वो गुण है जो आप में अन्य गुणों को विकसित करता है। |
3411 | साहस सिर्फ खड़े होकर बोलना ही नही, बैठकर धैर्यपूर्वक सुनना भी है। |
3412 | साहस, प्यार के समान है दोनों को आशा रूपी पोषण आवशयकता होती है। |
3413 | साहसी बनो। मैंने व्यापार में मंदी के कई दौर देखे हैं। हमेशा अमेरिका इनसे और अधिक शक्तिशाली और समृद्ध होकर निकला है। अपने पूर्वजों की तरह बहादुर बनो। विश्वास रखो ! आगे बढ़ो ! |
3414 | साहसी लोगों को अपना कर्तव्य प्रिय होता है। |
3415 | सिंह से एक गुण सीखना चाहिए कि काम छोटा हो या बड़ा , जब हाथ मे लिया जाए तो उसे पूरा करने मे सारी शक्ति लगा देनी चाहिए । किसी भी स्वीकृत कार्य को महत्वहीन समझकर उसकी उपेक्षा नही करनी चाहिए । कार्य की असफलता से प्रतिष्ठित व्यक्ति की कीर्ति कलंकित होती है । |
3416 | सिंह भूखा होने पर भी तिनका नहीं खाता। |
3417 | सिद्ध हुए कार्ये का प्रकाशन करना ही उचित कर्तव्य होना चाहिए। |
3418 | सिनेमा सनक है। दर्शक वास्तव में स्टेज पर जीवंत अभिनेताओं को देखना चाहते हैं। |
3419 | सिर्फ एक कलाकार ही जिंदगी का असली अर्थ समझ सकता है। |
3420 | सिर्फ एक ही चीज पर विश्वास रखना चाहिए। वह एक चीज है मनुष्य की ताकत, उसकी दृढ़ सोच। |
3421 | सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते। |
3422 | सिर्फ जानकारियों के आधार पर खुद को इस दुनिया में महफूज रख सकते है। |
3423 | सिर्फ जीना मायने नहीं रखता, सच्चाई से जीना मायने रखता है। |
3424 | सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है जिसमे सिर्फ ब्लेड है। यह इसका प्रयोग करने वाले के हाथ से खून निकाल देता है। |
3425 | सिर्फ दो बातें लोग एक दुसरे के बारे में याद रखते हैं.वो साथ रहते हैं, इसलिए नहीं क्यूंकि वे भूल जाते हैं, बल्कि इसलिए कि वे क्षमा कर देते हैं। |
3426 | सिर्फ स्वतंत्र लोग ही समझौता कर सकते है। कैदी लोग समझौता नहीं कर सकते। आपकी और मेरी आज़ादी अलग नहीं है। |
3427 | सीखना कोई बच्चों का खेल नहीं है, हम बिना दर्द के नहीं सीख सकते है। |
3428 | सीखना, रचनात्मकता को जन्म देता है। रचनात्मकता, विचार की ओर ले जाती है, विचार आपको ज्ञान देता है। ज्ञान आपको महान बना देता है। |
3429 | सीधे और सरल व्तक्ति दुर्लभता से मिलते है। |
3430 | सीमाओ को जाने। आप उस व्यक्ति को कुछ नहीं समझा सकते, जो आप पर विश्वास नहीं करता लेकिन सीमा में रहते हुए आप अपनी तरफ से प्रयास जरुर करें इस तरह आप खुद को बेहतर साबित कर सकते हैं। |
3431 | सुंदरता भगवान द्वारा दिया जाने वाला सबसे अमूल्य तोहफा है। भगवान यही तोहफा गंदी सोच वाले लोगो को भी देता है। |
3432 | सुकून की बात मत कर ऐ ग़ालिब.... बचपन वाला 'इतवार' अब नहीं आता . |
3433 | सुख और दुःख में समान रूप से सहायक होना चाहिए। |
3434 | सुख और दुःख सिक्के के दो पहलु है। सुख जब मनुष्य के पास आता है तो दुःख का मुकुट पहन कर आता है |
3435 | सुख का आधार धर्म है। |
3436 | सुख चाहने वालो को विधा कहाँ और विधार्थी को सुख कहाँ? सुख चाहने वाले विधा की आशा न रखे और विधार्थी सुख की इच्छा न रखे। |
3437 | सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं। |
3438 | सुख-दुःख व मान-सम्मान जीवन के दो पहलू हैं, जो उनमे लिप्त नहीं होता वह प्रसन्न रहता हैं। |
3439 | सुधार का मतलब है बदलना और परफेक्ट होने का मतलब है बार बार बदलना। |
3440 | सुन्दर रंगों को देखने के लिए आँखे है। मधुर संगीत को सुनने के लिए कान है। उसी तरह से चीज़ों को समझने के लिए दिमाग है। |
3441 | सुबह पछतावे के साथ उठाने के लिए जीवन बहुत ही छोटा है, अत: उन लोगों से प्यार कीजिये जिन्होंने आपके साथ अच्छा बर्ताव किया, उन लोगों को क्षमा कर दीजिये जिन्होंने अच्छा बर्ताव नहीं किया और ऐसा विश्वास रखिये कि सभी कुछ किसी कारण से होता है। |
3442 | सूचना ज्ञान नहीं है। |
3443 | सूर्य अपनी जगह रहता है और बाकी सभी गृह उसके इर्द-गिर्द घुमते है। इसका मतलब है की गुणी व्यक्ति या जिस व्यक्ति में कोई क्वालिटी होती है वह अपनी जगह पर या सेंटर में रहता है और बाकी दुनिया उसके इर्द-गिर्द चलती रहती है। |
3444 | सेवक को स्वामी के अनुकूल कार्य करने चाहिए। |
3445 | सेवकों को अपने स्वामी का गुणगान करना चाहिए। |
3446 | सेवा के कार्य में पग-पग पर विपति की आशंका रहती हैं हमें सदा यह बात याद रखनी होगी कि हम जो भी कुछ करें सब उनके लिए करें |
3447 | सेवानिवृत्ति का तो कोई प्रश्न ही नहीं हैं। मेरा कारोबार तो मेरा शौक हैं यह मेरे लिए एक बोझ नहीं है। रिलायंस को तो मेरे बिना भी चलाया जा सकता हैं। |
3448 | सैकड़ो अज्ञानी पुत्रों से एक ही गुणवान पुत्र अच्छा है। रात्रि का अंधकार एक ही चन्द्रमा दूर करता है, न की हजारों तारें। |
3449 | सोच भाषा को भ्रष्ट बनाती है, लेकिन भाषा भी सोच को भ्रष्ट कर सकती है। |
3450 | सोच विचार करने में समय लगाएँ, लेकिन जब काम का समय आए, तो सोचना बंद करें और आगे बढ़ें। |
3451 | सोचने का मतलब है की आपकी आत्मा खुद से बातचीत कर रही है। |
3452 | सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से.. पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला !!! |
3453 | सोने की जाँच चार प्रकार से की जाती हैं –उसे कसौटी पर घिसा जाता हैं, काट कर देखा जाता हैं, तपाया और कूटा-पीटा जाता हैं इसी प्रकार मनुष्य के कुल अर्थात् अथार्त श्रेष्ठता की जाँच भी चार प्रकार – त्याग, शील, गुण और उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यो से होती हैं। |
3454 | सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है। |
3455 | सौंदर्य अलंकारों अर्थात आभूषणों से छिप जाता है। |
3456 | सौंदर्य एक अल्पकालिक अत्याचार है। |
3457 | स्कूलों में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ऐसे महिला और पुरुष तैयार करना है जो अपने दम पर नई चीजें कर सके, न की वही चीजें दोहराएं जो पिछली पीढियां करती है। |
3458 | स्तुति करने से देवता भी प्रसन्न हो जाते है। |
3459 | स्त्रियाँ कभी भी एक व्यक्ति से प्रेम नहीं करती हैं वे बातें किसी ओर से करती हैं, विलासपूर्वक देखती किसी और को हैं तथा हर्द्य में चिंतन किसी और के विषय में करती हैं। इस प्रकार उनका प्रेम एकान्तिक न होकर बहुजनीय होता हैं, उनकी प्रत्येक चेष्टा में चतुराई छिपी होती हैं। |
3460 | स्त्रियां पुरुषो से दोगुना अधिक भोजन करती हैं इसके साथ ही चाणक्य का यह भी कहना हैं कि स्त्रियों में लज्जा पुरुष की अपेक्षा चार गुणा अधिक होती हैं यही कारण हैं कि आदमी उनके मन की कोई बात समझने में कभी पूर्णतया समर्थ नहीं होता वह कितना ही प्रयत्न करे स्त्रिया कभी भी खुलकर अपने मन की बात नहीं बताती, स्त्रिया में साहस आदमियों की अपेक्षा छह गुणा अधिक होता हैं तथा उसमे कामवासना आठ गुणा अधिक होती हैं |
3461 | स्त्रियां स्वभाव से ही झूठ बोलने वाली, अत्यंत साहसी, छली-कपटी, धोखा देने वाली, मूर्खतापूर्ण बाते करने वाली, अत्यन्त लोभी, अपवित्र और दया–माया से रहित होती हैं। |
3462 | स्त्रियो की स्थिति में सुधार न होने तक विश्व के कल्याण का कोई भी मार्ग नहीं है। |
3463 | स्त्रियों का गुरु पति है। अतिथि सबका गुरु है। ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य का गुरु अग्नि है तथा चारों वर्णो का गुरु ब्राह्मण है। |
3464 | स्त्री का आभूषण लज्जा है। |
3465 | स्त्री का वियोग, अपने लोगो से अनाचार, कर्ज का बंधन, दुष्ट राजा की सेवा, दरिद्रता और अपने प्रतिकूल सभा, ये सभी अग्नि न होते हुए भी शरीर को दग्ध कर देते है। |
3466 | स्त्री के प्रति आसक्त रहने वाले पुरुष को न स्वर्ग मिलता है, न धर्म-कर्म। |
3467 | स्त्री के बंधन से मोक्ष पाना अति दुर्लभ है। |
3468 | स्त्री न तो दान देने से, न ही उपवास से तथा न ही नाना तीर्थो के सेवन से शुद्ध होती हैं बल्कि वह तो केवल पति के चरणों को श्रदापूर्वक छु लेने से ही शुद्ध हो जाती हैं। |
3469 | स्त्री रत्न से बढ़कर कोई दूसरा रत्न नहीं है। |
3470 | स्नेह और दया रहित धर्म, विधाविहीन गुरु, क्रोधी स्वभाव की पत्नी और स्नेहरहित सम्बन्धियों को छोड़ ही देना चाहिए इन्हें अपनाने से लाभ के स्थान पर हानि होने की संभावना रहती हैं ये बातें दुःख का कारण होती हैं। |
3471 | स्नेह करने वालों का रोष अल्प समय के लिए होता है। |
3472 | स्मरण शक्ति (याददास्त) को तेज करे। यदि आपको कोई चीज याद नहीं रहती है तो उसको जोर-जोर से पढ़े फिर आप पाएंगे की वह चीज आपको 50% ज्यादा याद हो चुकी हैं अच्छी स्मरण-शक्ति व्यक्ति की personality को बढाती हैं। |
3473 | स्वजनों को तृप्त करके शेष भोजन से जो अपनी भूख शांत करता है, वाह अमृत भोजी कहलाता है। |
3474 | स्वतंत्र होने का साहस करो। जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो , और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो। |
3475 | स्वतंत्र वही है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है। |
3476 | स्वतंत्र होना , अपनी जंजीर को उतार देना मात्र नहीं है, बल्कि इस तरह जीवन जीना है कि औरों का सम्मान और स्वतंत्रता बढे। |
3477 | स्वतंत्रता की अधिकता, चाहे वो राज्यों या व्यक्तियों में निहित हो, केवल गुलामी की अधिकता में बदल जाती है। |
3478 | स्वभाव का अतिक्रमण अत्यंत कठिन है। |
3479 | स्वभाव का मूल अर्थ लाभ होता है। |
3480 | स्वभाव रखना है तो उस दीपक की तरह रखो जो बादशाह के महल में भी उतनी रोशनी देता है जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में। |
3481 | स्वयं अशुद्ध व्यक्ति दूसरे से भी अशुद्धता की शंका करता है। |
3482 | स्वयं को इस जन्म औए अगले जन्म में भी काम में लगाइए। बिना प्रयत्न के आप समृद्ध नहीं बन सकते। भले भूमि उपजाऊ हो, बिना खेती किये उसमे प्रचुर मात्र में फसले नहीं उगाई जा सकती। |
3483 | स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना। |
3484 | स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेना सबसे श्रेष्ठ और महानतम विजय होती है। |
3485 | स्वयं में बहुत सी कमियों के बावजूद अगर में स्वयं से प्रेम कर सकता हुँ तो दुसरो में थोड़ी बहुत कमियों की वजह से उनसे घृणा कैसे कर सकता हुँ। |
3486 | स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी। |
3487 | स्वर्ग की प्राप्ति शाश्वत अर्थात सनातन नहीं होती। |
3488 | स्वर्ग के बारे में सिर्फ एक बार सोचना ही सबसे बड़ी प्रार्थना है। |
3489 | स्वर्ग से इस लोक में आने पर लोगो में चार लक्षण प्रकट होते है -----दान देने की प्रवृति, मधुर वाणी, देवताओ का पूजन और ब्राह्मणों को भोजन देकर संतुष्ट करना। |
3490 | स्वर्ग से भूलोक पर उतरे हुए दिव्य पुरुष जब जन्म लेते हैं तो उनकी पहचान उनके चार प्रमुख गुणों से होती हैं उनमे दान देने की प्रवर्ती होती हैं, वे सैदव मधुर और मीठी वाणी बोलते हैं, वे देवताओ की पूजा अर्चना करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र आदि देकर उन्हें प्रसन्न करने का यत्न करते हैं। |
3491 | स्वर्ग-पतन से बड़ा कोई दुःख नहीं है। |
3492 | स्वर्ण कहता है -मुझे न तो आग से तपाने का दुःख है , न काटने पीसने से और न कसौटी पर कसने से, मेरे लिए तो जो महान दुःख का कारण है, वह है घुंघची के साथ मुझे तोलना। |
3493 | स्वर्ण मृग न तो ब्रह्मा ने रचा था और न किसी और ने उसे बनाया था, न पहले कभी देखा गया था, न कभी सुना गया था, तब श्री राम की उसे पाने (मारीच का मायावी रूप कंचन मृग) की इच्छा हुई, अर्थात सीता के कहने पर वे उसे पाने के लिए दौड़ पड़े। किसी ने ठीक ही कहा है ------'विनाश काले विपरीत बुद्धि।' जब विनाश काल आता है, तब बुद्धि नष्ट हो जाती है। |
3494 | स्वस्थ रहने के लिए, परिवार को ख़ुशी देने के लिए, सभी को शांति देने के लिए, व्यक्ति को सबसे पहले स्वयं के मन को अनुशासन में रखना होगा। अगर कोई व्यक्ति अपने मन को अनुशासन में कर लेता है तो वो ज्ञान की तरफ बढ़ता है। |
3495 | स्वस्थ्य नागरिक किसी देश के लिए सबसे बड़ी संपत्ति होते हैं। |
3496 | स्वस्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है. |
3497 | स्वाभिमानी व्यक्ति प्रतिकूल विचारों को सम्मुख रखकर दोबारा उन पर विचार करे। |
3498 | स्वामी के क्रोधित होने पर स्वामी के अनुरूप ही काम करें। |
3499 | स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है। |
3500 | स्वेट मार्डन ने भी कहा हैं था कि जैसे आपके विचार होते हैं वैसी ही आपकी शारीरिक स्थिति बन जाती हैं, स्वामी विवेकानन्द भी यही कहते थे की अच्छे विचार आपकी प्रेरणा के स्त्रोत्र होते हैं। |
Saturday, July 9, 2016
#3401-3500
Friday, July 8, 2016
#3301- 3400
3301 | सफलता की कहानियां मत पढ़ो, उससे आपको केवल एक सन्देश मिलेगा। असफलता की कहानियां पढ़ो, उससे आपको सफल होने के कुछ ideas (विचार) मिलेंगे। |
3302 | सफलता की खुशियां मनाना ठीक है लेकिन असफलताओं से सबक सीखना अधिक महत्वपूर्ण है। |
3303 | सफलता की सीढ़ियों में शिखर पर कभी भी भीड़ नहीं होती। |
3304 | सफलता क्या हैं? यह हर किसी व्यक्ति के लिए अलग-अलग परिभाषित हैं। किसी के लिए पैसा कमाना, किसी के लिए यश कमाना, किसी के लिए ज्ञान अर्जित करना और किसी के लिए सांसारिक त्याग #अपनी इच्छाओं का त्याग)। |
3305 | सफलता हासिल करने के लिए ज्यादातर लोगो को कठिन से कठिन परिश्रम करना पड़ता है। |
3306 | सब जानते है की दूसरा व्यक्ति क्या सोचता है। जो वे करते है उसी तरफ ध्यान दे। जो वे कहते है उस ओर ज्यादा ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है। |
3307 | सबका चहेता बनने की कोशिश करे। |
3308 | सबके प्रति दयावान रहो, क्योंकि जिससे भी तुम मिलते हो वह जीवन की एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है। |
3309 | सबको प्यार करके ही हम भगवान के पास पहुंच पाएंगे इसके अतिरिक्त किसी अन्य मार्ग से वहां पंहुचा जा सकता हैं या नहीं, यह मुझे नहीं मालूम |
3310 | सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना। स्वयं पर विश्वास करो। |
3311 | सबसे अच्छा वक्त, सबसे जल्दी गुजर जाता है। |
3312 | सबसे अच्छी सोच एकांत में की गयी होती है और सबसे बेकार उथल-पुथल के माहौल में। |
3313 | सबसे आसान और विनर्म तरीका यह है की आप दुसरो को कुचले नहीं बल्कि खुद में सुधार करे। |
3314 | सबसे खतरनाक फल उस नफरत से पैदा होता है जो टूटी हुई दोस्ती पर उगता है। |
3315 | सबसे गर्मजोशी वाले प्यार का सबसे ठंडा अंत होता है। |
3316 | सबसे ज्यादा खूबसूरती, सर्वाधिक स्पष्टता में ही निहित होती है। |
3317 | सबसे ज्यादा भयंकर बात क्या है? वे यह है की एक दिन आप उठते है और देखते है की दसवी की कक्षा के छात्र देश चला रहे है। |
3318 | सबसे दुखद चीज जिसकी मैं कल्पना कर सकत हूँ वो है विलासिता का आदी होना। |
3319 | सबसे बड़ा धन काम में संतोषपूर्वक जीना है। |
3320 | सबसे बड़ा रोग किसी के लिए भी कुछ न होना है। |
3321 | सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है , बल्कि अवांछित होना ही सबसे बड़ी बीमारी है। |
3322 | सबसे बड़ी त्रासदी बुरे व्यक्तियों का अत्याचार और दमन नहीं बल्कि इस पर अच्छे लोगो का मौन रहना है। |
3323 | सबसे महत्वपूर्ण बात इतिहास रचना है, न की इतिहास लिखना। |
3324 | सभा के मध्य जो दूसरों के व्यक्तिगत दोष दिखाता है, वह स्वयं अपने दोष दिखाता है। |
3325 | सभा के मध्य शत्रु पर क्रोध न करें। |
3326 | सभी के दिन आते हैं और कुछ दिन औरों से ज्यादा लम्बे होते हैं। |
3327 | सभी आदमियों की प्रकृति ज्ञान चाहने वाली होती है। |
3328 | सभी औषधियों में अमृत प्रधान है, सभी सुखो में भोजन प्रधान है, सभी इन्द्रियों में नेत्र प्रधान है सारे शरीर में सिर श्रेष्ठ है। |
3329 | सभी औषधियों में अमृत प्रधान हैं, क्योकि इसमें सभी रोगों के समन करने की अदभुत क्षमता होती हैं सभी प्रकार के सुखो में भोजन प्रधान हैं क्योकि भूख की निवृति के बिना मनुष्य को शान्ति प्राप्त हो ही नहीं पाती, सभी इन्द्रियों- आँख, कान, नाक, जिव्ह्या आदि में नेत्र प्रधान हैं क्योकि द्रष्टि के बिना तो सर्वत्र अंधकार ही अंधकार हैं तथा शरीर के सभी अंगो में सर अथार्थ चिंतनशक्ति –अंग ही प्रधान अथार्थ सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। |
3330 | सभी के साथ विनम्र रहे, पर कुछ ही के साथ अन्तरंग हों, और इन कुछ को अपना विश्वास देने से पहले अच्छी तरह परख लें. |
3331 | सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है। |
3332 | सभी प्रकार की सम्पति का सभी उपायों से संग्रह करना चाहिए। |
3333 | सभी प्रचार लोकप्रिय होने चाहिए और इन्हें जिन तक पहुचाना है उनमे से सबसे कम बुद्धिमान व्यक्ति के भी समझ में आने चाहियें . |
3334 | सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएं मूल रूप से एक ही संदेश देती हैं – प्रेम , दया,और क्षमा , महत्वपूर्ण बात यह है कि ये हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होनी चाहियें। |
3335 | सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं? |
3336 | सभी भुगतान युक्त नौकरियां दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती हैं। |
3337 | सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं। |
3338 | सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं। वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं , जो कि विनाश की देवी या लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं . |
3339 | सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं। वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं, जो कि विनाश की देवी या लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं। |
3340 | सभी मार्गों से मंत्रणा की रक्षा करनी चाहिए। |
3341 | सभी लोग ख़ुशी-ख़ुशी एक दूसरे के साथ कैसे रह सकते है ? ऐसा मुमकिन है ,अगर सभी को मालूम हो की सब लोग एक ही ईश्वर को प्रेम करते है। उससे जुड़े है। |
3342 | सभी लोगों के समान योग्यता नहीं होती, लेकिन सभी लोगों को अपनी योग्यता को विकसित करने के लिए समान अवसर अवश्य मिलता है। |
3343 | सभी लोगों में सही का अनुसरण करने का साहस होना चाहिए न की जो स्थापित है उसका। |
3344 | सभी व्यक्ति प्राकृतिक रूप से सामान हैं, एक ही मिटटी से एक ही कर्मकार द्वारा बनाये गए;और भले ही हम खुद को कितना भी धोखें में रख लें पर भगवान को जितना प्रिय एक शसक्त राजकुमार है उतना ही एक गरीब किसान। |
3345 | सभी व्यक्तियों का आभूषण धर्म है। |
3346 | सभी शरीर नाशवान है, सभी धन-संपत्तियां चलायमान है और मृत्यु के निकट है। ऐसे में मनुष्य को सदैव धर्म का संचय करना चाहिए। इस प्रकार यह संसार नश्वर है। केवल सद्कर्म ही नित्य और स्थाई है। हमें इन्हीं को अपने जीवन का अंग बनाना चाहिए। |
3347 | सभी ख़ुशी के पीछे भागते है, जबकि वे नहीं जानते की ख़ुशी उनके क़दमों के नीचे है। |
3348 | समझदार व्यक्ति इसीलिए बोलता है क्योंकि उसके पास बोलने के लिए या दुसरो से बांटने के लिए कई अच्छी बाते होती है, लेकिन एक बेवकूफ व्यक्ति इसीलिए बोलता है क्योंकि उसे कुछ न कुछ बोलना होता है। |
3349 | समझने का अर्थ है क्षमा कर देना, खुद को भी। |
3350 | समय का ज्ञान न रखने वाले राजा का कर्म समय के द्वारा ही नष्ट हो जाता है। |
3351 | समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता। |
3352 | समय के साथ अच्छे लोगो के साथ की गई दोस्ती गहरी होन लगती हैं। ठीक वैसे ही जैसे उम्र के साथ अच्छी किताब और ज्यादा पसंद आने लगती हैं। |
3353 | समय के साथ किसी भी चीज को जोड़ा जा सकता हैं तो वे सच ही हो सकता हैं। |
3354 | समय को समझने वाला कार्य सिद्ध करता है। |
3355 | समय परिवर्तन का धन है, परन्तु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं। |
3356 | समय सीमा पर काम ख़तम कर लेना काफी नहीं है ,मैं समय सीमा से पहले काम ख़तम होने की अपेक्षा करता हूँ। |
3357 | समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की मुश्किलों को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मों को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं। |
3358 | समर्थ एवं शक्तिशाली पुरुषों के लिए कुछ भी कर सकना कठिन नहीं वो जो सोचते हैं उसे कर गुजरते हैं, व्यवसायी लोगो के लिए दूरी कोई अर्थ नहीं रखती, इसी प्रकार प्रिय और मधुर बोलने वाले का कभी कोई शत्रु नहीं होता। |
3359 | समर्थ को भार कैसा ? व्यवसायी के लिए कोई स्थान दूर क्या ? विद्वान के लिए विदेश कैसा? मधुर वचन बोलने वाले का शत्रु कौन ? |
3360 | समर्थ व्यक्ति को कोई दोष देना कठिन हैं। जो बात सामर्थ्यवान के लिए सिद्धदायक हो सकती हैं, वही सामान्य व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकती हैं। देखिये अमृत पीना तो अच्छा है लेकिन राहू की मौत अमृत पीने से ही हुई। विष पीना नुकसानदायी है लेकिन भगवान् शंकर ने जब प्राणघातक विष पिया तो वह भी उनके गले का आभूषण बन गया। |
3361 | समर्थ व्यक्ति द्वारा किया गया गलत कार्य भी अच्छा कहलाता है और नीच व्यक्ति के द्वारा किया गया अच्छा कार्य भी गलत कहलाता है। ठीक वैसे, जैसे अमृता प्रदान करने वाला अमृत राहु के लिए मृत्यु का कारण बना और प्राणघातक विष भी शंकर के लिए भूषण हो गया। |
3362 | समस्त कार्य पूर्व मंत्रणा से करने चाहिए। |
3363 | समस्त दुखों को नष्ट करने की औषधि मोक्ष है। |
3364 | समस्या जितनी बड़ी होती है, उसे हल करने का स्वाद उतना ही मीठा होता है। |
3365 | समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं , कभी सुना है कि " अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो " |
3366 | समाज की सबसे अच्छी सेवा उन लोगों का चुनाव करके की जा सकती है, जो Hardworking, Intelligent हों और Long Term की सोचते हों। |
3367 | समाज में एक चीज़ जरुरी है वह है बदलाव, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले ये मत सोचिये की दुनिया कैसी है? यह जरुर सोचिए की दुनिया कैसी हो सकती है? भविष्य का ध्यान रखिए। |
3368 | समाज में से धर्म को निकाल फेंकने का प्रयत्न बांझ के पुत्र करने जितना ही निष्फल है और अगर कहीं सफल हो जाय तो समाज का उसमे नाश होता है। |
3369 | समान गुण, कर्म, स्वभाव और आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति से ही प्रेम-सम्बन्ध ठीक रहता हैं, इसी प्रकार सेवा अथवा नौकरी आदि करने हो तो सरकारी नौकरी ही करनी चाहिए, लोक –व्यहार में निपुण व्यक्ति ही समाज में श्रद्धा प्राप्त करता हैं इसी प्रकार रूपवती स्त्री की शोभा अपने घर में ही होती हैं। |
3370 | समुंद्र ने गुणी मेघ को जल का दान करके एक ओर अपने खारे जल को मीठा बना दिया, दूसरी और जड़-चेतन को जीवन प्रदान करने का पुण्य भी अर्जन किया तथा दिए गए जल से अधिक परिणाम में जल पुन: प्राप्त कर लिया इस प्रकार स्पष्ट हैं कि गुणी को दिया गया दान ही सफल होता हैं अतः गुणवान को ही दान देना चाहिए। |
3371 | समुंद्र में बादलो का बरसना व्यर्थ हैं, जिसका पेट भरा हुआ हो ऐसे आदमी को भोजन कराना बेकार हैं, धनी व्यक्ति को दान देना व्यर्थ हैं और सूर्य के प्रकाश में दिन में दीपक जलाना व्यर्थ हैं। |
3372 | समुद्र के पानी से प्यास नहीं बुझती। |
3373 | समुद्र में वर्षा का होना व्यर्थ है, तृप्त व्यक्ति को भोजन करना व्यर्थ है, धनिक को दान देना व्यर्थ है और दिन में दीपक जलाना व्यर्थ है। |
3374 | समुद्र शांत हो तो कोई भी जहाज चला सकता है. |
3375 | समृद्धता से कोई गुणवान नहीं हो जाता। |
3376 | समृद्धि की चाहत न करना और समृद्धि आने पर उदण्ड न होना महापुरुषों का लक्षण हैं, वे सदा नम्र बने रहते हैं। |
3377 | सम्पन्नता धन के कब्जे में नहीं उसके उपयोग में है। |
3378 | सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है। |
3379 | सर्वशक्तिमान तीनो लोको के स्वामी श्री विष्णु भगवान को शीश नवाकर मै अनेक शास्त्रों से निकाले गए राजनीति सार के तत्व को जन कल्याण हेतु समाज के सम्मुख रखता हूं। |
3380 | सर्वश्रेष्ठ किताबें वही बातें बताती हैं जो आप पहले से जानते है। |
3381 | सहिष्णुता के अभ्यास में, आपका शत्रु ही आपका सबसे अच्छा शिक्षक होता है। |
3382 | सही उद्यमशीलता जोखिम लेने से ही आता है। |
3383 | सही काम करना जितना जरुरी हैं, उतना ही जरुरी सही तरीके से करना हैं इसी तरह, सही काम करें न कि आसानी से होने वाला काम हर काम का shortcut ढूंढेंगे तो गलत रास्ता अख्तियार करना होगा। |
3384 | सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता है। |
3385 | सही मार्ग पर ही सही दौड़ना तो आपको ही पड़ेगा |
3386 | सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत। |
3387 | सांप में विष हो अथवा न हो, उसकी फुंकार ही डराने के लिए काफी हैं यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह लोगो के कोप का पात्र बन जाता हैं लोग उसे पत्थर मारते हैं उसकी उपेक्षा करते हैं इसी प्रकार आदमी को अपना प्रभाव स्थिर रखना चाहिए। |
3388 | सांप, राजा, सिंह, बर्र (ततैया) और बालक, दूसरे का कुत्ता तथा मूर्ख व्यक्ति, इन सातो को सोते से नहीं जगाना चाहिए। |
3389 | साख बनाने में बीस साल लगते हैं और उसे गंवाने में बस पांच मिनट. अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो आप चीजें अलग तरह से करेंगे. |
3390 | सागर की तुलना में धीर-गम्भीर पुरुष को श्रेष्ठतर माना है वे कहते है कि जिस सागर को लोग इतना गम्भीर समझते है, प्रलय आने पर वह भी अपनी मर्यादा भूल जाता हैं और किनारों को तोड़ कर जल-थल एक कर देता हैं परन्तु साधू अथवा श्रेष्ट व्यक्ति संकटों का पहाड़ टूटने पर भी श्रेष्ठ मर्यादायो का उलंघन नहीं करता। |
3391 | सात घनघोर पाप: काम के बिना धन;अंतरात्मा के बिना सुख;मानवता के बिना विज्ञान;चरित्र के बिना ज्ञान;सिद्धांत के बिना राजनीति;नैतिकता के बिना व्यापार ;त्याग के बिना पूजा। |
3392 | सादगी से जिए ताकि दूसरे भी जी सकें। |
3393 | साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैंयही वजह है कि भगवान ऐसे बहुत से लोगों का निर्माण करते हैं। |
3394 | साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं, यही वजह है कि भगवान ऐसे बहुत से लोगों का निर्माण करते हैं। |
3395 | साधारण दोष देखकर महान गुणों को त्याज्य नहीं समझना चाहिए। |
3396 | साधारण पुरुष परम्परा का अनुसरण करते है। |
3397 | साधु अर्थात महान लोगो के दर्शन करना पुण्य तीर्थो के समान है। तीर्थाटन का फल समय से ही प्राप्त होता है, परन्तु साधुओं की संगति का फल तत्काल प्राप्त होता है। |
3398 | साधु पुरुषो की रक्षा के लिए और दुष्कर्म करने वाले के नाश के लिए तथा धर्म की स्थापना करने के लिए में युग- युग में प्रकट होता हूँ। |
3399 | साधु महात्माओ के संसर्ग से पुत्र, मित्र, बंधु और जो अनुराग करते है, वे संसार-चक्र से छूट जाते है और उनके कुल-धर्म से उनका कुल उज्जवल हो जाता है। |
3400 | साधु-महात्मा साक्षात तीर्थ-स्वरुप हैं अथार्थ तीर्थो के सेवन जैसा पुण्य ही साधुओ के दर्शनों से भी प्राप्त होता हैं। तीर्थयात्रा का फल तो समय आने पर मिलता हैं परन्तु साधु-सज्जनों के संग और दर्शन से तत्काल लाभ हो जाता हैं क्योकि वे कोई अच्छी बात ही कहेंगे या कोई अच्छी सीख ही देंगे। |
Thursday, July 7, 2016
#3201-3300
3201 | शेर से यह बढ़िया बात सीखे कि कार्य छोटा हो या बड़ा उसे पूरा करने के लिए पूरा सामर्थ्य लगा देना चाहिए किसी भी कार्य को महत्वहीन समझना और उसकी उपेक्षा करना अच्छी बात नहीं। |
3202 | शौक और दुःख देने वाले बहुत से पुत्रों को पैदा करने से क्या लाभ है ? कुल को आश्रय देने वाला तो एक पुत्र ही सबसे अच्छा होता है। |
3203 | श्रदावान और जितेन्द्र्य व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता हैं, ज्ञान प्राप्त करने पर शीघ्र परम शान्ति मिलती हैं। |
3204 | श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास। |
3205 | श्रेष्ठ और सुहृदय जन अपने आश्रित के दुःख को अपना ही दुःख समझते है। |
3206 | श्रेष्ठ व्यक्ति अपने समान ही दूसरों को मानता है। |
3207 | श्रेष्ठ स्त्री के लिए पति ही परमेश्वर है। |
3208 | संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है. |
3209 | संकट में बुद्धि ही काम आती है। |
3210 | संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, लेकिन बड़ी उम्र के लोगों के लिए धिक्कार। |
3211 | संगठित होने पर क्षुद्र प्राणियों का एक छोटा समूह भी बड़े-बड़े शत्रुओ को पराजीत कर देता हैं। इसके विपरीत बलशाली होने पर भी अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। |
3212 | संतान को जन्म देने वाली स्त्री पत्नी कहलाती है। |
3213 | संतुष्टि प्रकर्ति की दौलत हैं और वैभव इंसान के द्वारा बनायीं हुई गरीबी वे ही धनवान हैं जो कम में संतुष्टि करना जानते हैं। |
3214 | संधि और एकता होने पर भी सतर्क रहे। |
3215 | संधि करने वालो में तेज़ ही संधि का हेतु होता है। |
3216 | संपन्न और दयालु स्वामी की ही नौकरी करनी चाहिए। |
3217 | संभव की सीमा जानने केवल एक ही तरीका है असम्भव से आगे निकल जाना। |
3218 | संयोग भगवान का बचा हुआ गोपनीय रास्ता है। |
3219 | संयोग से तो एक कीड़ा भी स्तिथि में परिवर्तन कर देता है। |
3220 | संविधान छोटा और अस्पष्ट होना चाहिए। |
3221 | संसार का विरोध करके कोई इससे मुक्त नहीं हुआ। बोध से ही इससे ज्ञानीजनों ने पार पाया है। संसार को छोड़ना नहीं, बस समझना है। परमात्मा ने पेड़-पौधे, फल-फूल, नदी, वन, पर्वत, झरने और ना जाने क्या- क्या हमारे लिए नहीं बनाया ? हमारे सुख के लिए, हमारे आनंद के लिए ही तो सबकी रचना की है। |
3222 | संसार की निंदा करने वाला अप्रत्यक्ष में भगवान् की ही निंदा कर रहा है। किसी चित्र की निंदा चित्र की नहीं अपितु चित्रकार की ही निंदा तो मानी जाएगी। हर चीज भगवान् की है, कब, कैसे, कहाँ, क्यों और किस निमित्त उसका उपयोग करना है यह समझ में आ जाये तो जीवन को महोत्सव बनने में देर ना लगेगी। |
3223 | संसार की प्रत्येक वास्तु नाशवान है। |
3224 | संसार के उद्धार के लिए जिन लोगो ने विधिपूर्वक परमेश्वर का ध्यान नहीं किया, स्वर्ग में समर्थ धर्म का उपार्जन नहीं किया, स्वप्न में भी सुन्दर युवती के कठोर स्तनों और जंघाओं के आलिंगन का भोग नहीं किया, ऐसे व्यक्ति का जन्म माता के यौवन रूपी वन को काटने वाली कुल्हाड़ी के समान है। |
3225 | संसार के चारो कोनो में यात्रा कीजियें, लेकिन फिर भी आपको कहीं भी कुछ भी नहीं मिलेगा। जो आप प्राप्त करना चाहते हैं वह तो यही आपके अन्दर विराजमान हैं। |
3226 | संसार के विषयों पर ज्ञान, सामान्य रूप से मनुष्य को जिद्दी बना देता हैं, ज्ञान का अभिमान एक बंधन हैं। |
3227 | संसार को चलाने के लिए पहले हमें स्वयं को चलना होगा। |
3228 | संसार में अत्यंत सरल और सीधा होना भी ठीक नहीं है। वन में जाकर देखो की सीधे वृक्ष ही काटे जाते है और टेढ़े-मेढे वृक्ष यों ही छोड़ दिए जाते है। |
3229 | संसार में आजतक कोई भी व्यक्ति धन, जीवन, स्त्रियों तथा खाने-पीने के उत्तम पदार्थों से न तो तृप्त हुआ हैं। और न ही होगा और न हो रहा हैं भूतकाल में इन विषयों में सभी प्राणी अतृप्त होकर ही गए हैं। और वर्तमान में भी अतृप्त ही दिखाई देते हैं तथा भविष्य में भी यहीं स्थिति बनी रहेगी। |
3230 | संसार में ऐसा कौन व्यक्ति है जिसके वंश में कोई न कोई दोष, या अवगुण न हो, कहीं न कहीं कोई दोष निकल ही आता हैं। संसार में कोई ऐसा प्राणी भी नहीं है जो कभी न कभी, किसी न किसी रोग से पीड़ित न हुआ हो, अथार्त रोग कभी न कभी सभी मनुष्यों को घेर ही लेता हैं। संसार में ऐसा कौन व्यक्ति हैं जिसे कोई न कोई व्यसन न हो अथार्त जब वह संकट में न पड़ा हो संसार में किसी को लगातार सुख भी नहीं मिलता, कभी न कभी कोई संकट अथवा कष्ट आ ही जाता हैं। |
3231 | संसार में ऐसे अपराध कम ही है जिन्हे हम चाहे और क्षमा न कर सके। |
3232 | संसार में कुछ दुःख ऐसे हैं जिन्हें मुनष्य अपने जीवन में सरलतापूर्वक न भुला पता हैं और न उन्हें सहन कर सकता हैं ये दुःख हैं – अपनी पत्नी से अलग होना, अपने परिवार वालें और सम्बन्धियों से अपमानित होना, क़र्ज़ का न चूका पाना, दुष्ट स्वामी की नौकरी करना तथा दरिद्र बन कर मूर्खो के समाज में रहना। |
3233 | संसार में केवल दो तत्व हैं- एक सौंदर्य और दूसरा सत्य। सौंदर्य प्रेम करने वालों के हृदय में है और सत्य किसान की भुजाओं में। |
3234 | संसार में जिसके पास धन है, उसी के सब मित्र होते है, उसी के सब बंधु-बांधव होते है, वहीं श्रेष्ठ पुरुष गिना जाता है और वही ठाठ-बाट से जीता है। |
3235 | संसार में निर्धन व्यक्ति का आना उसे दुखी करता है। |
3236 | संसार में प्रत्येक कार्य, प्रत्येक गुण, प्रत्येक बात की एक सीमा होती हैं प्रत्येक अच्छी-बुरी वस्तु अपनी सीमा में ही शोभा देती हैं जहां सीमा का अतिक्रमण होता हैं वहा अति करने वाले को दुर्गति का शिकार होता पड़ता हैं इसीलिए आचार्य ने कहा हैं कि अति का तो सभी जगह से परित्याग कर देना चाहिए। |
3237 | संसार में मानव के लिए क्षमा एक अलंकार है। |
3238 | संसार में लोग जान-बूझकर अपराध की ओर प्रवर्त्त होते हैं। |
3239 | संसार में विद्वान की ही प्रशंसा होती है, विद्वान व्यक्ति ही सभी जगह पूजे जाते है। विद्या से ही सब कुछ मिलता है, विद्या की सब जगह पूजा होती है। |
3240 | संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है. |
3241 | सकारात्मक सोच (पॉजिटिव थिंकिंग) के साथ सकारात्मक किर्या (पॉजिटिव एक्शन) का परिणाम सफलता है। |
3242 | सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति को वहां भी रोशनी दिखाई देती है जहां रोशनी का का कोई स्त्रोत नहीं होता है। लेकिन जाने क्यों एक नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा उस रोशनी को रोकने के लिए भागता है। |
3243 | सच और समय का गहरा नाता है। दोनों बातों को अपने जीवन में उतारने को लेकर कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। |
3244 | सच कहूँ तो मैं कभी आइकन , सुपरस्टार , इत्यदि विश्लेषणों के चक्कर में नहीं पड़ा. मैं हमेशा खुद को एक अभिनेता के रूप में देखता हूँ जो अपनी काबीलियत के अनुसार जितना अच्छा कर सकता है कर रहा है. |
3245 | सच में हंसने के लिए आपको अपनी पीड़ा के साथ खेलने में सक्षम होना चाहिए। |
3246 | सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। |
3247 | सच्चा ज्ञान केवल यह जानने में है की आप कुछ नहीं जानते है। |
3248 | सच्चा ज्ञान दृढ़ संकल्प है। |
3249 | सच्चाई तक पहुंचने के लिए सबसे पहले उस बात पर विश्वास मत करिए, उससे मुंह फेरिए और उस पर विश्वास भी मत करिए। |
3250 | सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता , पूर्ण रूप से निस्स्वार्थ व्यक्ति , सबसे सफल है। |
3251 | सच्ची आध्यात्मिकता, जिसकी शिक्षा हमारे पवित्र ग्रंथो में दी हुई है, वह शक्ति है, जो अंदर और बाहर के पारस्परिक शांतिपूर्ण संतुलन से निर्मित होती है। |
3252 | सच्ची क्षमा तब है जब आप कह सके – उन सारे अनुभवों के लिए धन्यवाद। |
3253 | सच्ची बुद्धिमानी उसी वक्त आ सकती हैं, जब हम यह मान ले कि हम जिन्दगी खुद के बारे में और हमारे आस-पास कि दुनिया के बारें में कितना कम जानते हैं कुछ ही जानते हैं। |
3254 | सच्ची शिक्षा का लक्ष्य चरित्र के साथ बुद्धिमता का विकास करना है। पूरी एकाग्रता से विचार करने की क्षमता देना ही शिक्षा का कार्य है। |
3255 | सच्ची ख़ुशी कैंसर को हराने से या चाँद-सितारों की चढ़ाई करने से नहीं होगी, लेकिन पुरानी सभ्यता को महफूज रखने से अद्भुत ख़ुशी का अनुभव जरुरु होगा। |
3256 | सच्चे दोस्त से तुलना करना मुश्किल है। |
3257 | सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं। |
3258 | सज्जन की राय का उल्लंघन न करें। |
3259 | सज्जन को बुरा आचरण नहीं करना चाहिए। |
3260 | सज्जन तिल बराबर उपकार को भी पर्वत के समान बड़ा मानकर चलता है। |
3261 | सज्जन थोड़े-से उपकार के बदले बड़ा उपकार करने की इच्छा से सोता भी नहीं। |
3262 | सज्जन दुर्जनों में विचरण नही करते। |
3263 | सत वाणी से स्वर्ग प्राप्त होता है। |
3264 | सतत प्रयास – न कि ताकत या बुद्धिमानी – ही हमारे सामर्थ्य को साकार करने की कुंजी है। |
3265 | सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमे अनेक फल आते हुए नजर आते है, उनका अंत ही नहीं होता। |
3266 | सत्य एक है, मार्ग कई। |
3267 | सत्य और ज्ञान की खोज में लगे रहना ही किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी विशेषता हो सकती है। |
3268 | सत्य और तथ्य में बहुत बड़ा अंतर है. तथ्य सत्य को छिपा सकते हैं. |
3269 | सत्य कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो उचित हो। |
3270 | सत्य का क्रियान्वन ही न्याय है। |
3271 | सत्य की कोई भाषा नहीं है। भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है। लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं, आविष्कार है। सत्य को बनाना या प्रमाणित नहिं करना पड़ता, सिर्फ़ उघाड़ना पड़ता है। |
3272 | सत्य की खोज इसे पाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है। |
3273 | सत्य की परिभाषा क्या है ? सत्य की इतनी ही परिभाषा है की जो सदा था, जो सदा है और जो सदा रहेगा। |
3274 | सत्य के मार्ग पे चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है; पूरा रास्ता ना तय करना, और इसकी शुरआत ही ना करना। |
3275 | सत्य को जानना चाहिए पर उसको कहना कभी-कभी चाहिए। |
3276 | सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा। |
3277 | सत्य पर पृथ्वी टिकी है, सत्य से सूर्य तपता है, सत्य से वायु बहती है, संसार के सभी पदार्थ सत्य में निहित है। |
3278 | सत्य पर संसार टिका हुआ है। |
3279 | सत्य पर ही देवताओं का आशीर्वाद बरसता है। |
3280 | सत्य बताते समय बहुत ही एक्राग और नम्र होना चाहिए क्योकि सत्य के माध्यम से भगवान का अहसास किया जा सकता हैं। |
3281 | सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है। |
3282 | सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए। |
3283 | सत्य मेरी माता है, पिता मेरा ज्ञान है, धर्म मेरा भाई है, दया मेरी मित्र है, शांति मेरी पत्नी है और क्षमा मेरा पुत्र है, ये छः मेरे बंधु-बांधव है। |
3284 | सत्य से बढ़कर कोई तप नहीं। |
3285 | सत्य से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। |
3286 | सत्संग से स्वर्ग में रहने का सुख मिलता है। |
3287 | सदा सांसारिक कार्यो में व्यस्त रहने वाला, पशुओ का पालक, व्यापार तथा कृषि-कर्म से अपनी आजीविका चलाने वाला ब्राह्मण, ब्राह्मण –कुल में उत्पन्न होकर भी वैश्य कहलाता हैं। |
3288 | सदाचार से मनुष्य का यश और आयु दोनों बढ़ती है। |
3289 | सदैव आर्यों (श्रेष्ठ जन) के समान ही आचरण करना चाहिए। |
3290 | सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे। |
3291 | सपने के बारे में ध्यान से सोचे। सुबह उठ कर सबसे पहले अपने उस सपने के बारे में सोचे, जो आपने जागने से पहले देखा था उससे आपको एक अदभुद शक्ति प्राप्त होगी फिर उनकी व्याख्या करे यदि वह आपको अच्छा लगे, तब उस पर काम करना शुरू कर दे फिर आपका वह सपना हकीकत में बदलना शुरू हो जायेगा। |
3292 | सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हो, सपने वो है जो आपको सोने नहीं देते। |
3293 | सफर करने का मतलब दूसरी दुनिया के लोगो से मिलना और उनके जैसे बनना है। |
3294 | सफल लोग और अधिक सफल होते हैं क्योकि वो सीक्रेट ऑफ़ सक्सेस / Secrets of success जानते हैं जबकि दुसरे लोग असफल हो जाते हैं और फिर उनकी स्थिति उस मकड़ी के समान हो जाती हैं, जो एक हवा के झोकें से नीचे गिर पड़ती हैं। |
3295 | सफल लोग सफलता के लिए सिर्फ काम और मेहनत ही नहीं करते हैं बल्कि उनका आकलन (Work evaluation) भी करते हैं वे अपने कामों को लगातार जांचते रहते हैं दूसरों से Advice भी लेते हैं इस तरह से उनको पता रहता की आगे क्या करना हैं और कहाँ गलती हुई हैं जब तक आप अपने काम की जांच और आकलन नहीं कर लेते, आप उसे नियंत्रित नहीं कर सकते। |
3296 | सफल व्यक्ति वही है जो बगुले के समान अपनी सम्पूर्ण इन्द्रियों को संयम में रखकर अपना शिकार करता है। उसी के अनुसार देश, काल और अपनी सामर्थ्य को अच्छी प्रकार से समझकर सभी कार्यो को करना चाहिए। बगुले से यह एक गुण ग्रहण करना चाहिए, अर्थात एकाग्रता के साथ अपना कार्य करे तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी, अर्थात कार्य को करते वक्त अपना सारा ध्यान उसी कार्य की और लगाना चाहिए, तभी सफलता मिलेगी। |
3297 | सफलता अंत नहीं है , असफलता घातक नहीं है! लगे रहने का साहस ही मायने रखता है। |
3298 | सफलता की ख़ुशी मानना अच्छा है पर उससे ज़रूरी है अपनी असफलता से सीख लेना . |
3299 | सफलता एक ऐसी चीज हैं जिसे हर एक व्यक्ति पाना चाहता हैं, लोग कैसे एक के बाद एक सफलता हासिल करते जातें हैं? वो ऐसा क्या अलग करते हैं, क्या आपने कभी जाना, वो सब भी प्रकृति द्वारा निर्मित मनुष्य हैं आइयें जानते हैं और आप कैसे उनसे प्रेरणा ले सकते हैं? |
3300 | सफलता एक घटिया शिक्षक है। यह लोगों में यह सोच विकसित कर देता है कि वो असफल नहीं हो सकते। |
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