2201 | बन्दूक या बम की तुलना में आइडिया सबसे ज्यादा ताकतवर है। अगर हम चाहते है कि हमारे दुश्मन के पास बन्दूक या हथियार न हो तो हमे यह क्यों चाहते है कि उनके पास अच्छा आइडिया हो। |
2202 | बर्तन में रखा पानी चमकता है; समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता है, महान सत्य मौन रहता है। |
2203 | बर्बाद करना(waste), नुकसान(loss) से भी बदतर है, नुकसान मतलब आपने प्रयास तो किया समय आने पर जब व्यक्ति अपनी क्षमता का दावा रखेगा, तो समय उससे बर्बादी(waste) करने के सवाल रखेगा, बचत की गुंजाइश असीम है। |
2204 | बल प्रयोग के स्थान पर क्षमा करना अधिक प्रशंसनीय होता है। |
2205 | बलवान से युद्ध करना हाथियों से पैदल सेना को लड़ाने के समान है। |
2206 | बस वही जीते हैं ,जो दूसरों के लिए जीते हैं। |
2207 | बस इसलिए कि कोई वस्तु वो काम नहीं करती, जिस काम के लिए आपने उसे बनाया था, इसका ये मतलब कतई नहीं कि वो बेकार है। |
2208 | बहुत आगे देखना गलत है। एक बार में नियति की श्रृंखला की एक कड़ी से ही निपटा जा सकता है। |
2209 | बहुत ज्यादा पैदल चलना मनुष्यों को बुढ़ापा ला देता है, घोड़ो को एक ही स्थान पर बांधे रखना और स्त्रियों के साथ पुरुष का समागम न होना और वस्त्रों को लगातार धुप में डाले रखने से बुढ़ापा आ जाता है। |
2210 | बहुत बार लोग अलग-अलग परिस्थितियों में फंस जाते है और उनके पास कोई जवाब नहीं होता है। |
2211 | बहुत बार लोगों को लगता है की दुनिया में कई चीज़ें चल रही है या कुछ ऐसा हो रहा है जो उनकी समझ से बाहर है। |
2212 | बहुत बड़ा कनेर का वृक्ष भी मूसली बनाने के काम नहीं आता। |
2213 | बहुत बड़ी आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा पैदा होते ही जो मर गया, वह अच्छा है क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए ही कष्ट देता है, परन्तु मूर्ख पुत्र जीवनभर जलाता है। |
2214 | बहुत भोजन करने की शक्ति रखने पर भी थोड़े भोजन से ही संतुष्ट हो जाए, अच्छी नींद सोए, परन्तु जरा-से खटके पर ही जाग जाए, अपने रक्षक से प्रेम करे और शूरता दिखाए, इन छः गुणों को कुत्ते से सीखना चाहिए। |
2215 | बहुत मुश्किल हैं मैं नहीं कर पाऊंगा इसे- Leave this attitude |
2216 | बहुत समय से पानी से भरे हुए तालाब को सड़ांध, दुर्गन्ध और कीचड से बचाने के लिए आवश्यक हैं कि उसके पानी को बदला जाए इसी प्रकार बहुत यत्न से जोड़े हुए धन को भी दान देने से ही बचाया जा सकता हैं। |
2217 | बहुत सारे लोग आपके साथ शानदार गाड़ियों में घूमना चाहते हैं, पर आप चाहते हैं की कोई ऐसा हो जो गाड़ी खराब हो जाने पर आपके साथ बस में जाने को तैयार रहे. |
2218 | बहुत से गुणों को एक ही दोष ग्रस लेता है। |
2219 | बहुत-सी स्त्रियाँ पुरुषों के मन को मोह लेती हैं। परंतु बिरली ही स्त्रियाँ हैं जो अपने वश में रख सकती हैं। |
2220 | बहुमत का विरोध करने वाले एक व्यक्ति का अनुगमन नहीं करना चाहिए। |
2221 | बादल के जल के समान दूसरा जल नहीं है, आत्मबल के समान दूसरा बल नहीं है, अपनी आँखों के समान दूसरा प्रकाश नहीं है और अन्न के समान दूसरा प्रिय पदार्थ नहीं है। |
2222 | बादलो से बरसते हुए जल के समान कोई दूसरा स्वच्छ पानी नहीं होता, आत्मबल के समान कोई दूसरा बल नहीं होता, आँखों की ज्योति के समान कोई दूसरा उत्कृष्ट प्रकाश नहीं होता तथा अन्न के समान कोई दूसरा कोई भोज्य पदार्थ रुचिकर नहीं हो सकता। |
2223 | बार बार असफल होने पर भी उत्साह न खोने में ही सफलता है। |
2224 | बार-बार अभ्यास न करने से विध्या विष बन जाती है। बिना पचा भोजन विष बन जाता है, दरिद्र के लिए स्वजनों की सभा या साथ और वृद्धो के लिए युवा स्त्री विष के समान होती है। |
2225 | बारात मे दुल्हे सबसे पीछे और दुनिया आगे चलती है, मय्यत मे जनाजा आगे और दुनिया पीछे चलती है.. यानि दुनिया खुशी मे आगे और दुख मे पीछे हो जाती है..! |
2226 | बारिश की दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही अवॉयड कर देते है। समस्याए कॉमन है, लेकिन आपका एटीट्यूड इनमे डिफरेंस पैदा करता है। |
2227 | बावड़ी, कूप तलब बैग और देव मंदिरों को तोड़ने –फोड़ने में संकोच न करने वाला ब्राह्मण अपने निक्रस्त कर्मो के कारण म्लेच्छ कहलाता हैं। |
2228 | बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है। |
2229 | बाहरी दुनिया के बारें में ज्ञान की शुरुआत इसी से होती है कि आप जरूरी चीजों को इस्तेमाल करने का तरीका समझ ले, लेकिन इसके साथ ही खुद को समझने की प्रक्रिया रुक जाती है। |
2230 | बाहरी सुंदरता से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। यह हमेशा नहीं रहती है। |
2231 | बिंदी 1 रुपये की आती है व ललाट पर लगायी जाती है। पायल की कीमत हजारों में आती है पर पैरों में पहनी जाती है। इन्सान आदरणीय अपने कर्म से होता है, |
2232 | बिना जोखिम कुछ नहीं मिलता . और जोखिम वही उठाते हैं जो साहसी होते हैं . |
2233 | बिना अधिकार के किसी के घर में प्रवेश न करें। |
2234 | बिना उपाय के किए गए कार्य प्रयत्न करने पर भी बचाए नहीं जा सकते, नष्ट हो जाते है। |
2235 | बिना किसी स्वार्थ के काम करने वाले आदमी, वास्तव में खुद के लिए हमेशा अच्छा करता है। |
2236 | बिना कुछ करे कल्पना का कोई मतलब नहीं है। |
2237 | बिना कोई स्पष्ट सवाल पूंछे "हाँ" में जवाब मिलने को ही लुभाना कहते है। |
2238 | बिना क्रिया के ज्ञान व्यर्थ है, ज्ञानहीन मनुष्य मृतक के समान है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है और पति के बिना स्त्रियां पतित हो जाती है, अर्थात पति के बिना उनका जीवन व्यर्थ है। |
2239 | बिना क्षमा के कोई प्रेम नहीं है, और बिना प्रेम के कोई क्षमा नहीं है। |
2240 | बिना क्षमा के कोई भविष्य नहीं है। |
2241 | बिना जोते हुए स्थान के फल, अर्थात ईश्वर की कृपा से प्राप्त हर भोजन से संतुष्ट होने वाला, निरन्तर वन से प्रेम रखने वाला और प्रतिदिन श्राद्ध करने वाला ब्राह्मण ऋषि कहलाता है। |
2242 | बिना तराशा हुआ पत्थर महान कलाकार की हर सोच को स्वरुप दे सकता है। |
2243 | बिना दिल को शिक्षित किए दिमाग को शिक्षित करना, वास्तव में शिक्षा नहीं है। |
2244 | बिना न्याय के ज्ञान को बुद्धिमानी नहीं चालाकी कहा जाना चाहिए। |
2245 | बिना पागलपन के स्पर्श के किसी भी महान दिमाग का अस्तित्व नहीं होता है। |
2246 | बिना प्रयत्न किए धन प्राप्ति की इच्छा करना बालू में से तेल निकालने के समान है। |
2247 | बिना प्रयत्न के जहां जल उपलब्ध हो, वही कृषि करनी चाहिए। |
2248 | बिना प्रयास के कभी सफलता नहीं मिलती और सच्चा प्रयास कभी असफल नहीं होता। |
2249 | बिना प्रेम के कार्य करना दासता है। |
2250 | बिना राज्य के रहना उत्तम है, परन्तु दुष्ट राजा के रहना अच्छा नहीं है। बिना मित्र के रहना अच्छा है, किन्तु दुष्ट मित्र के साथ रहना उचित नहीं है। बिना शिष्य के रहना ठीक है, परन्तु नीच शिष्य को ग्रहण करना ठीक नहीं है। बिना स्त्री के रहना उचित है, किन्तु दुष्ट और कुल्टा स्त्री के साथ रहना उचित नहीं है। |
2251 | बिना विचार कार्ये करने वालो को भाग्यलक्ष्मी त्याग देती है। |
2252 | बिना विचार के खर्च करने वाला, अकेले रहकर झगड़ा करने वाला और सभी जगह व्याकुल रहने वाला मनुष्य शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। |
2253 | बिना सत्य बोले तो भगवान को प्राप्त ही नहीं किया जा सकता, क्योकि सत्य ही भगवान हैं। |
2254 | बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है। |
2255 | बीज के ह्रदय में प्रतीक्षा करता हुआ विश्वास जीवन में एक महान आश्चर्य का वादा करता है, जिसे वह उसी समय सिद्ध नहीं कर सकता। |
2256 | बीता हुआ कल आज की स्मृति है , और आने वाला कल आज का स्वप्न है। |
2257 | बीते हुए कल से सीखना, आज में जीना, कल के लिए आशा रखना। सबसे महत्तवपूर्ण चीज़ है, प्रशन पूंछना बंद मत करना। |
2258 | बीते हुए का शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य में जो कुछ होने वाला है, उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। आए हुए समय को देखकर ही विद्वान लोग किसी कार्य में लगते है। |
2259 | बीते हुए वक़्त पर नियंत्रण है तो ही आने वाले समय पर नियंत्रण रहेगा। |
2260 | बीमारी खरगोश की तरह आती है और कछुए की तरह जाती है जबकि पैसा कछुए की तरह आता है और खरगोश की तरह जाता है! |
2261 | बीमारी में, विपत्तिकाल में,अकाल के समय, दुश्मनो से दुःख पाने या आक्रमण होने पर, राजदरबार में और श्मशान-भूमि में जो साथ रहता है, वही सच्चा भाई अथवा बंधु है। |
2262 | बुद्दिमान व्यक्तियों को चाहिए की वे अपने पुत्रो को चरित्र निर्माण करने वाले कार्यो में लगाएं, क्योकि नीति को समझने वाले, श्रदालु तथा शील सवभाव वाले व्यक्ति ही विश्व में पूज्य समझे जाते हैं। |
2263 | बुद्धि आश्चर्ये में शुरू होती है। |
2264 | बुद्धि कभी किसी से मिल नहीं सकती, न ही आप इसे किसी से ले सकते हैं। यह ऐसा सफर है जिस पर आपको खुद और अकेले ही चलना पड़ता है। |
2265 | बुद्धि का सही संकेत ज्ञान नहीं बल्कि कल्पनाशीलता है। |
2266 | बुद्धिजीवी व्यक्ति का दिमाग हर वक़्त खुद के दिमाग की तरफ ध्यान देता है। |
2267 | बुद्धिमता का अर्थ कोई गलती न करना नहीं है, बल्कि आप कितनी जल्दी गलती को सुधारते है, वह बुद्धिमता है। |
2268 | बुद्धिमान पुरूष को बगुले से एक गुण सीखना चाहिए कि अपनी सारी इन्द्रियो( चितवृतियो) को नियन्त्रण मे करके तथा स्थान , समय और अपनी शक्ति का अनुमान लगाकर कार्यसिद्धि मे जुट जाना चाहिए ।अर्थात एकाग्रता स्थान की उपयुक्तता, समय की अनुकलता तथा अपनी सामर्थ्य के नापतोल किए बिना कार्यसिद्धि संदिग्ध है।इन्द्रियाणी च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः। देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।। |
2269 | बुद्धिमान आदमी बोलता है क्योंकि उसके पास कहने के लिए कुछ होता है जबकि मुर्ख आदमी बोलता है क्योंकि उसे कुछ कहना होता है। |
2270 | बुद्धिमान का उद्देश्य ख़ुशी को सुरक्षित रखना नहीं होता है बल्कि दुःख को दूर रखना होता है। |
2271 | बुद्धिमान पुरुष अपने दिन का प्रातःकाल महाभारत के, मध्यान्ह काल रामायण के और रात्रि का समय श्रीमदभागवत पुराण के अध्ययन-श्रवण से सार्थक करते हैं। |
2272 | बुद्धिमान पुरुष को चाहिए की वह खाने-पीने की चिंता न करके एकमात्र धर्म के अनुष्ठान में ही प्रवर्त रहे, क्योंकि आहार तो मनुष्य के जन्म के साथ उत्पन्न होता हैं अथार्थ जो उसके भाग्य में हैं वह तो उसे मिलना ही हैं अत: |
2273 | बुद्धिमान पुरुष को भोजन की चिंता नहीं करनी चाहिए। उसे केवल एक धर्म का ही चिंतन-मनन करना चाहिए। वास्तव में मनुष्य का आहार (माँ का दूध)तो उसके जन्म के साथ-साथ ही पैदा होता है। |
2274 | बुद्धिमान पुरुष धन के नाश को, मन के संताप को, गृहिणी के दोषो को, किसी धूर्त ठग के द्वारा ठगे जाने को और अपमान को किसी से नहीं कहते। |
2275 | बुद्धिमान लोग बोलते हैं क्योंकि की उनके पास कुछ कहने को होता है, जबकि बेवकूफ इसलिए क्योंकि उन्हें कुछ कहना होता है। |
2276 | बुद्धिमान लोगो का कर्तव्य होता है की वे अपनी संतान को अच्छे कार्य-व्यापार में लगाएं क्योंकि नीति के जानकार व सद्व्यवहार वाले व्यक्ति ही कुल में सम्मानित होते है। |
2277 | बुद्धिमान वही है जो अति सिद्ध दवा को, धर्म के रहस्य को, घर के दोष को, मैथुन अर्थात सम्भोग की बात को, स्वादहीन भोजन को और अतिकष्टकारी मृत्यु को किसी को न बताए। भाव यह है कि कुछ बातें ऐसी होती है, जिन्हे समाज में छिपाकर ही रखना चाहिए। |
2278 | बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे। |
2279 | बुद्धिमान व्यक्ति को कुलीन घर की कन्या से ही विवाह करना चाहिए, उसे सोंदर्य के पीछे नहीं भागना चाहिए कुलीन घर की कन्या का रूप भले ही सामान्य हो, परन्तु व्यक्ति को अपना सम्बन्ध कुलीन घराने की कन्या से ही करना चाहिए इसके विपरीत नीच कुल की सुन्दर कन्या से केवल उसका रूप देखकर सम्बन्ध स्थापित करना उचित नहीं |
2280 | बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी पुत्री का विवाह अच्छे परिवार में करे उसको चाहिए कि वह अपनी संतान को अच्छी शिक्षा दे तथा उसे खूब पढाये-लिखाये चाणक्य ने यहाँ गूढ़नीति की बात कही है, कि व्यक्ति को चाहिए कि वह शत्रु को कोई ऐसी लत लगा दे जिससे उसका पिंड छुटना मुश्किल हो जाए इसी प्रकार यह भी प्रयत्न करना चाहिए कि उसका मित्र धर्माचरण करता रहे और धर्माचरण में आने वाले कष्ट भी उसे धर्य से विमुख न होने दे। |
2281 | बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए की बार-बार यह सोचता रहे कि हमारे मित्र कितने हैं, हमारा समय कैसा हैं-अच्छा हैं या बुरा और यदि बुरा हैं तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए, हमारा निवास स्थान कैसा हैं, हमारी आय कितनी हैं और व्यय कितना हैं, मैं कौन हूं आत्मा हूं अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी हैं। |
2282 | बुद्धिमान व्यक्ति को तब तक ही भय से डरना या घबराना चाहिए, जब तक भय उसके सामने नहीं आ जाता, जब एक बार भय अथवा या कष्ट आ ही जाए तो उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए भय के सामने आ जाने पर शंकित होना अथवा घबराना समझदारी का काम नहीं। |
2283 | बुद्धिमान व्यक्ति को बार-बार यह सोचना चाहिए कि हमारे मित्र कितने है, हमारा समय कैसा है-अच्छा है या बुरा और यदि बुरा है तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए। हमारा निवास-स्थान कैसा है (सुखद,अनुकूल अथवा विपरीत), हमारी आय कितनी है और व्यय कितना है, मै कौन हूं- आत्मा हूं, अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी है। |
2284 | बुद्धिमान व्यक्ति को मुर्ख, मित्र, गुरु और अपने प्रियजनों से विवाद नहीं करना चाहिए। |
2285 | बुद्धिमान व्यक्ति को मुर्ग से निम्नोक्त चार गुण सीखने चाहिए - 1 ) ठीक समय पर जागना ( 2) शत्रु से युद्ध के लिए सदा तैयार रहना । 3. अपने परिवार के लोगो मे बाँट कर खाना , (4) आक्रामक मुद्रा मे प्रेयसी का भोग करना ।प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बन्धुषु।स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्वत्वारि कुक्कुटात् ।। |
2286 | बुद्धिमान व्यक्ति वही हैं जिसमें कुछ सहन-शक्ति हो, वह अपने धन के नष्ट होने से प्राप्त दुःख, दुश्चरित्र पत्नी अथवा किसी व्यक्ति द्वारा ठगे जाने और नीच शब्दों का प्रयोग किए जाने से हुए दुःख को किसी पर प्रकट नहीं करता। |
2287 | बुद्धिमानी से जीने वाले को मौत से भी डर नही लगता है। |
2288 | बुद्धिमानों के शत्रु नहीं होते। |
2289 | बुद्धिहीन ब्राह्मण वैसे तो चारों वेदो और अनेक शास्त्रों का अध्ययन करते है, पर आत्मज्ञान को वे नहीं समझ पाते या उसे समझने का प्रयास ही नहीं करते। ऐसे ब्राह्मण उस कलछी की तरह होते है, जो तमाम व्यंजनों में तो चलती है, पर रसोई के रस को नहीं जानती। |
2290 | बुद्धिहीन व्यक्ति को अच्छे कुल में जन्म लेने वाली कुरूप कन्या से भी विवाह कर लेना चाहिए, परन्तु अच्छे रूप वाली नीच कुल की कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि विवाह संबंध समान कुल में ही श्रेष्ठ होता है। |
2291 | बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है। |
2292 | बुरा आचरण अर्थात दुराचारी के साथ रहने से, पाप दॄष्टि रखने वाले का साथ करने से तथा अशुद्ध स्थान पर रहने वाले से मित्रता करने वाला शीघ्र नष्ट हो जाता है। |
2293 | बुराई अवश्य रहना चाहिए जभी जो अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है। |
2294 | बुराई कभी भी किसी की भी मत करो। क्योकिँ बुराई नाव मे छेद समान है।। बुराई छोटी हो बडी नाव तोह डुबो ही देती है..! |
2295 | बुरी संगत में रहने से अच्छा अकेले रहना है . |
2296 | बुरे ग्राम का वास, झगड़ालू स्त्री, नीच कुल की सेवा, बुरा भोजन, मूर्ख लड़का, विधवा कन्या, ये छः बिना अग्नि के भी शरीर को जला देते है। |
2297 | बुरे दिनो का एक अच्छा फायदा अच्छे-अच्छे दोस्त परखे जाते है। |
2298 | बुरे वक़्त की अपनी एहमियत है, ये ऐसे अवसर होते है जिन्हे कोई भी अच्छा शिक्षार्थी कभी नहीं खोना चाहेगा। |
2299 | बुरे व्यक्ति और सांप में मुकाबला किया जाये या दोनों में से किसी एक को चुनना पड़े तो सांप को चुनना चाहिए। |
2300 | बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पूर्व अपने आप पर ही क्रोध करना चाहिए। |
Tuesday, March 29, 2016
#2201-2300
#2101-2200
2101 | पैसों के लिए की जाने वाली सभी नौकरियां हमारे दिमाग का अवशोषण और अवमूल्यन कर देती है। |
2102 | प्यार अच्छे की ख़ुशी, बुद्धिमान का आश्चर्य और भगवान का विस्मय है। |
2103 | प्यार एक पारस्परिक यातना है। |
2104 | प्यार और शक के बीच दोस्ती कभी मुमकिन नहीं है। जहाँ प्यार वहां शक नहीं होता। |
2105 | प्यार की चाहत होती है, लेकिन उससे ज्यादा शायदयह अच्छा लगता है की आपको दुनिया समझ सके। |
2106 | प्यार के बदले प्यार मिलता है। प्यार किसी तरह के नियम-कानून को नहीं समझता है और ऐसा ही सभी के साथ है। |
2107 | प्यार के बिना जीवन उस वृक्ष की तरह है जिस पर कभी फल नहीं लगते है। |
2108 | प्यार के माध्यम से एक त्याग और विवेक स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाते हैं। |
2109 | प्यार दिखाई देता तो केसा होता ? उसके हाथ हमेशा दुसरो की मदद के लिए बढ़ते, उसके पैर गरीबो का दर्द कम करने के लिए उठते, उसकी आँखे दुसरो की जरूरत को समझ पाती, उसके कान दुसरो के दर्द को सुनने के लिए तैयार रहते। यही प्यार की सही परिभाषा है। |
2110 | प्रकर्ति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है। |
2111 | प्रकृति (सहज) रूप से प्रजा के संपन्न होने से नेताविहीन राज्य भी संचालित होता रहता है। |
2112 | प्रकृति की गति अपनाएं: उसका रहस्य है धीरज। |
2113 | प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्रुत है। |
2114 | प्रकृति बेकार में कुछ नहीं करती है। |
2115 | प्रकृति या पर्यावरण हर चीज़ का कम से कम फायदा लेना पसंद करते है। |
2116 | प्रकृति से जुड़े लोगों का सिर्फ साधारण चीज़ों से लगाव होता है। |
2117 | प्रकृति से प्रेम करे। अपने आस-पास एक प्राकर्तिक वातावरण बनाये फिर ठंडी हवा के झोको और सूर्य के ताप को अपने चेहरे पर महसुसू करे, यह जैव-रासायनिक क्रिया आपको शक्ति प्रदान करेगी। |
2118 | प्रकृति से सिखो जहां सब कुछ छिपा है। |
2119 | प्रगति मृग-मरीचिका नहीं है। यह वास्तव में होती है, लेकिन इसकप्रक्रिया धीमी और निराश करने वाली होती है। |
2120 | प्रचार में कई तत्व होते है। इनमे नेतृत्व सबसे पहला है। बाकी सारे तत्व दूसरे स्थान पर है। |
2121 | प्रजा की रक्षा के लिए भ्रमण करने वाला राजा सम्मानित होता है, भ्रमण करने वाला योगी और ब्राह्मण सम्मानित होता है, किन्तु इधर-उधर घूमने वाली स्त्री भ्रष्ट होकर नष्ट हो जाती है। |
2122 | प्रजातंत्र लोगों की, लोगों के द्वारा, और लोगों के लिए बनायीं गयी सरकार है। |
2123 | प्रतिभा ईश्वर से मिलती है, आभारी रहें, ख्याति समाज से मिलती है, आभारी रहें, लेकिन मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं, सावधान रहें। |
2124 | प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत पसीना है। |
2125 | प्रत्यक्ष और परोक्ष साधनों के अनुमान से कार्य की परीक्षा करें। |
2126 | प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। |
2127 | प्रत्येक अवस्था में सर्वप्रथम माता का भरण-पोषण करना चाहिए। |
2128 | प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता। |
2129 | प्रत्येक इंसान जीनियस है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करेंगे तो वो अपनी पूरी ज़िन्दगी यह सोच कर जिएगी की वो मुर्ख है। |
2130 | प्रत्येक कलाकार एक दिन नौसिखिया ही होता है। |
2131 | प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो। |
2132 | प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता। |
2133 | प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता . |
2134 | प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है खो चुकी है। |
2135 | प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बल के कारण ही जीवित रहता हैं। उसे किसी न किसी शक्ति को आवश्कता होती हैं ब्राह्मण की शक्ति उसकी विधा हैं, राजा की शक्ति उसकी सेना हैं, वैश्य की शक्ति उसका धन हैं और शूद्र की शक्ति उसके द्वारा किया जाने वाला सेवाकार्य हैं। |
2136 | प्रत्येक व्यक्ति को यह फैसला कर लेना चाहिए कि वह रचनात्मक परोपकारिता के आलोक में चलेगा या विनाशकारी खुदगर्जी के अंधेरे मे। |
2137 | प्रभाव तो उन लोगो पर पड़ता हैं जिनमे कुछ सोचने–समझने अथवा ग्रहण करने की शक्ति होती हैं, जिस व्यक्ति के पास स्वयं सोचने समझने की बुद्धि नहीं, वह अन्य किसी के गुणों को क्या ग्रहण करेगा। |
2138 | प्रभु की मूर्ति को अपने हाथ से गुथी माला पहनाने से, अपने ही हाथ से घिसा चन्दन लग्गाने से तथा अपने हाथ से लिखे स्त्रोत्र से स्तुति करने से मनुष्य इन्द्र की सम्पदा को भी अपने वश में करने में समर्थ हो जाता हैं। |
2139 | प्रभु के भक्तो के लिए तो तीनो लोक उनके घर के समान ही हैं, श्रदालु भक्तो के लिए लक्ष्मी माता तथा श्रीविष्णु नारायण पिता हैं भगवान के भक्त ही भक्तो के बन्धु-बांधव हैं और तीनो लोक ही उनका अपना देश अथवा निवास-स्थान हैं। |
2140 | प्रयत्न न करने से कार्य में विघ्न पड़ता है। |
2141 | प्रलय काल में सागर भी अपनी मर्यादा को नष्ट कर डालते है परन्तु साधु लोग प्रलय काल के आने पर भी अपनी मर्यादा को नष्ट नहीं होने देते। |
2142 | प्रश्न करने का अधिकार मानव प्रगति का आधार है. |
2143 | प्रश्न पूछना एक अच्छे छात्र की निशानी हैं इसलिए उन्हें प्रश्न करने दो। |
2144 | प्रसन्नता अनमोल खजाना है छोटी -छोटी बातों पर उसे लूटने न दे। |
2145 | प्रसन्नता और नैतिक कर्तव्य एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं. |
2146 | प्रसन्नता करने में पाई जाती है, रखने में नहीं। |
2147 | प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है। ये आप ही के कर्मों से आती है। |
2148 | प्रसन्नता स्वयं हमारे ऊपर निर्भर करती है। |
2149 | प्राणी अपनी देह को त्यागकर इंद्र का पद भी प्राप्त करना नहीं चाहता। |
2150 | प्रातःकाल जुआरियो की कथा से (महाभारत की कथा से), मध्याह्न (दोपहर) का समय स्त्री प्रसंग से (रामायण की कथा से) और रात्रि में चोर की कथा से (श्री मद् भागवत की कथा से) बुद्धिमान लोग अपना समय काटते है। |
2151 | प्रातःकाल ही दिन-भर के कार्यों के बारें में विचार कर लें। |
2152 | प्रायः पुत्र पिता का ही अनुगमन करता है। |
2153 | प्रार्थना इस तरह कीजिये की सब कुछ भगवान पर निर्भर करता है। काम इस तरह कीजिये कि सब कुछ केवल आप पर निर्भर करता है। |
2154 | प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है। |
2155 | प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है। |
2156 | प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता। |
2157 | प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है। |
2158 | प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं . |
2159 | प्रेम एक गंभीर मानसिक रोग है। |
2160 | प्रेम एकमात्र ऐसी शक्ति है, जो शत्रु को मित्र में बदल सकती है। |
2161 | प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलासिता नहीं उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती। |
2162 | प्रेम और संदेह में कभी बात-चीत नहीं रही है। |
2163 | प्रेम करने से प्रेम मिलता है, "नफरत नहीं! |
2164 | प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। |
2165 | प्रेम की शुरुआत निकट लोगो और संबंधो की देखभाल और दायित्व से होती है, वो निकट सम्बन्ध जो आपके घर में हैं। |
2166 | प्रेम के बिना जीवन उस वृक्ष के सामान है जिसपे ना बहार आये ना फल हों . |
2167 | प्रेम के स्पर्श से सभी कवी बन जाते हैं। |
2168 | प्रेम को कारण की ज़रुरत नहीं होती. वो दिल के तर्कहीन ज्ञान से बोलता है. |
2169 | प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है। |
2170 | प्रेम मे बार बार न्यौछावर होना ही आपका सर्वोपरि और प्रथम कर्तव्य है. |
2171 | प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है। वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो। |
2172 | प्रेम हर ऋतू में मिलने वाले फल की तरह है जो प्रत्येक की पहुँच में है। |
2173 | प्रोडक्शन मॉडल पर तौयार किया गया समाज सिर्फ प्रोडक्टिव होता है, क्रिएटिव नहीं। |
2174 | प्रौद्योगिकी का जितना अधिक उपयोग कर सकते हो करो, इससे आप कल से भी एक कदम आगे रहोगे। |
2175 | प्रौढ़ता अक्सर युवावस्था से अधिक बेतुकी होती है और कई बार तो युवाओं पर अन्न्यापूर्ण भी थी। |
2176 | पढ़ते रहने से दिमाग को जानकारी बढ़ाने के लिए सामग्री मिलती है। लेकिन जो पढ़ा है उसके बारे में सोचने से ही उन जानकारियो को अपनाया जा सकता है। |
2177 | पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान।ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है। |
2178 | फल कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार होती है, तब भी बुद्धिमान लोग और महान लोग सोच-विचार करके ही कोई कार्य करते है। |
2179 | फल की कामना छोड़ कर कर्म करना ही मनुष्य का अधिकार हैं अत: कर्म के फल की इच्छा न करो तथा कर्म करने में अरुचि न रखो अथार्थ सदा कर्मशील बने रहो। |
2180 | फल मनुष्य के कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है, तथापि विद्वान और महात्मा लोग अच्छी तरह विचारकर ही कोई काम करते है। |
2181 | फलासक्ति छोड़ो और कर्म करो , आशा रहित होकर कर्म करो , निष्काम होकर कर्म करो, यह गीता की वह ध्वनि है जो भुलाई नहीं जा सकती। जो कर्म छोड़ता है वह गिरता है। कर्म करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है वह चढ़ता है। |
2182 | फायदा कमाने के लिए न्योते की ज़रुरत नहीं होती। |
2183 | फिलोसॉफी एक बीमारी की तरह है, जो हर समय हर जगह पहुंचना चाहती है। |
2184 | फूलों की इच्छा रखने वाला सूखे पेड़ को नहीं सींचता। |
2185 | फ्रैंकलिन रूजवेल्ट से मिलना शैम्पेन की अपनी पहली बोतल खोलने जैसा था ; उन्हें जानना उसे पीने के समान था। |
2186 | बंधन और मुक्ति केवल अकेले मन के विचार हैं। |
2187 | बंधन तो मन का है और स्वतंत्रता भी मन की है। यदि आप कहते हैं कि ‘मैं एक मुक्त आत्मा हूँ, मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ और वो ही मुझे बाँध सकता हूँ ‘ तो तुम निश्चय ही स्वतन्त्र हो जाओगे। |
2188 | बगावत करना और आवाज उठाना हर व्यक्ति का अधिकार है। |
2189 | बच्चों की सार्थक बातें ग्रहण करनी चाहिए। |
2190 | बच्चों को उन्हीं चीजों के बारे में सच्ची जानकारी होती है, जिन्हे वे खुद सीखते है। जब कभी हम समय से पहले उन्हें कुछ सीखाने की कोशिश करते है, उन्हें खुद सिखने का मौका नहीं देते। |
2191 | बच्चों को शिक्षित करें तो आगे चलकर व्यस्कों को दंड देने की जरुरत नहीं होगी। |
2192 | बड़प्पन सदैव ही दूसरों की कमज़ोरियों, पर पर्दा डालना चाहता है, लेकिन ओछापन, दूसरों की कमियों बताने के सिवा और कुछ करना ही नहीं जानता। |
2193 | बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं. |
2194 | बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं। |
2195 | बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो| विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है. |
2196 | बडी सफलता प्राप्त करने के लिए आपको कभी-कभी बडा Risk भी लेना पडता है। |
2197 | बदला लेने के बाद दुश्मन को क्षमा कर देना कहीं अधिक आसान होता है। |
2198 | बदलाव का सबसे ज्यादा विरोध तभी होता हैं जब उसकी सबसे ज्यादा जरुरत होती हैं। |
2199 | बदलाव लाना मुश्किल होता हैं, लेकिन यह जरुरी हैं जो विचार पुराने हो चुके हैं उनको जाने दीजिए। |
2200 | बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत की जरुरत पड़ती है। सिल्क के बने दस्ताने पहनकर कोई रेवोल्यूशन नही ला सकता है। |
Thursday, March 24, 2016
#2001-2100
2001 | पति का अनुगमन करना, इहलोक और परलोक दोनों का सुख प्राप्त करना है। |
2002 | पति की आज्ञा के बिना जो स्त्री उपवास और व्रत करती है, वह अपने पति की आयु को कम करने वाली होती है, अर्थात पति को नष्ट करके सीधे नर्क में जाती है। |
2003 | पति के लिए आदर्श पत्नी वही होती हैं, जो मन, वचन तथा कर्म से पवित्र हो, जो शरीर और अन्त:करण से शुद्ध हो, जिसके आचार-विचार स्वच्छ हो, जो गृहकार्यो तथा भोजन, पीसना, कातना, धोना, सीना-पिरोना और साज-सज्जा आदि में निपुण हो, जो मन, वचन और शरीर से पति में अनुरुक्त हो और जो उसको प्रसन्न करना ही अपना कर्तव्य-कर्म मानती हो तथा निरंतर सत्य बोलती हो। |
2004 | पति के वश में रहने वाली पत्नी ही व्यवहार के अनुकूल होती है। |
2005 | पत्थर के हर टुकड़े में एक खूबसूरत प्रतिमा छिपी है। इसकी खोज करना मूर्तिकार का काम है। |
2006 | पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है, पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य बोलती है। |
2007 | पदार्थों में समस्या नहीं है हमारे उपयोग करने में समस्या है। कभी-कभी विष की एक अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है और दवा की अत्याधिक मात्रा भी विष बन जाती है। विवेक से, संयम से, जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है। |
2008 | पब्लिक ओपिनियन जैसी कोई चीज नहीं होती , केवेल पब्लिश्ड ओपिनियन होते हैं। |
2009 | पर दुख को जो दुख न माने,पर पीड़ा में सदय न हो। सब कुछ दो पर प्रभु किसी को,जग में ऐसा हृदय न दो। |
2010 | परम तत्वज्ञान प्राप्त होने पर जब मनुष्य देह के अभिमान को छोड़ देता है अर्थात जब उसे आत्मा-परमात्मा की नित्यता और शरीर की क्षणभंगुरता का ज्ञान हो जाता है तो वह इस शरीर के मोह को छोड़ देता है। तदुपरांत उसका मन जहां-जहां भी जाता है, वहां-वहां उसे सिद्ध पुरुषों की समाधियों की अनुभूति होती है। |
2011 | परमात्मा तुमसे ये न पूछेगा कि कौन-कौन सी गलतियां तुमने की.... परमात्मा तुमसे ये पूछेगा की मैंने तुमको इतने अवसर दिए सुख भोगने के तुमने भोगे क्यों नही |
2012 | पराई वस्तु को पाने की लालसा नहीं रखनी चाहिए। |
2013 | पराए घर में रहने से कौन छोटा नहीं हो जाता ? यह देखो अमृत का खजाना, ओषधियों का स्वामी, शरीर और शोभा से युक्त यह चन्द्रमा, जब सूर्य के प्रभा-मंडल में आता है तो प्रकाशहीन हो जाता है। |
2014 | पराए धन को छीनना अपराध है। |
2015 | परिचय हो जाने के बाद दोष नहीं छिपाते। |
2016 | परिणाम! भाइयों, मुझे तो बहुत सारे परिणाम मिल गए हैं। मुझे बहुत सारे हजारो ऐसे तरीके पता चल गए हैं जो कि काम नहीं करेंगे। |
2017 | परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो। |
2018 | परिवार और करीबी दोस्त सबसे ऊपर हैं, उनको अपने जीवन में हमेशा अहम् स्थान दे। |
2019 | परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। |
2020 | परीक्षा करके विपत्ति को दूर करना चाहिए। |
2021 | परीक्षा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है। |
2022 | परीक्षा किये बिना कार्य करने से कार्य विपत्ति में पड़ जाता है। |
2023 | परेशानी के मध्य ही अवसर छिपा होता है। |
2024 | परेशानी पैदा करने वाली सोच के साथ उस समस्या का समाधान ढूंढना मुश्किल है। |
2025 | पर्यावरण में आ रहे बदलावों को देखकर बच्चे की तरह खुशी मिलनी चाहिए। मेरे साथ पूरा जीवन ऐसा ही होता रहा है। अद्भुत खुशी का अनुभव। |
2026 | पवित्र पुस्तकों में बहुत सारी अच्छी बातें पढ़ी जा सकती हैं लेकिन शायद ही कोई ऐसे पुस्तक होगी जिसे पड़कर धर्म को बनाया जा सकता हैं। |
2027 | पवित्रता, धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सारी बाधाये दूर हो जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं की महान कार्य सभी धीरे -धीरे होते है। |
2028 | पसंद की चीज़ों से ही हमारे व्यक्तित्व का पता चलता है। |
2029 | पहला धन सेहत है। |
2030 | पहली दौलत सेहत है। |
2031 | पहली बार सफलता मिलने पर निश्चिंत होकर मत बैठिए क्योंकि अगर आप दूसरी बार असफल हो गए, तो यह कहने वालों की कमी नहीं होगी कि पहली सफलता तो आपको सिर्फ अच्छी किस्मत की वजह से मिली। |
2032 | पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। |
2033 | पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें। |
2034 | पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे। |
2035 | पहले हम माहौल बनाते है फिर माहौल हमें बनता है- ब्रायन ट्रेसी |
2036 | पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है, और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है। |
2037 | पांच प्रतिशत लोग सोचते हैं, दस प्रतिशत लोग सोचते हैं कि वे सोचते हैं और बाकी बचे पचासी प्रतिशत लोग सोचने से ज्यादा मरना पसंद करते हैं। |
2038 | पांव उठाने से पहले ये देख लेना चाहिए की पांव कहाँ पड़ेगा, अंको से भली प्रकार मार्ग की परीक्षा करके उस पर ही चलना प्रारंभ करना चाहिए, वस्त्र से छान कर ही जल पीना चाहिए, शास्त्र द्वारा संशोधित सत्य, शुद्ध और मधुर वाणी बोलनी चाहिए तथा पवित्र मन से ही दूसरों के साथ व्यवहार-आचरण करना चाहिए। |
2039 | पाखंडी वह आदमी है जो सिर्फ और सिर्फ अपनी आँखों से देखता है। |
2040 | पात्र के अनुरूप दान दें। |
2041 | पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है, उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है। अंतर केवल यह है कि एक परीमीत है दूसरा अनंत है एक परतंत्र है दूसरा स्वतंत्र है। |
2042 | पानी चाहे जितना भी गहरा हो, कमल का फूल पानी के ऊपर ही खिलता है। उसी तरह से इंसान कितना महान है, ये उसकी अंदरुनी और मानसिक ताकत पर निर्भर करता है। |
2043 | पानी में तेल, दुष्ट व्यक्तियों में गोपनीय बातें, उत्तम पात्र को दिया गया दान और बुद्धिमान के पास शास्त्र-ज्ञान यदि थोड़ा भी हो तो स्वयं वह अपनी शक्ति से विस्तार पा जाता है। |
2044 | पाने से पहले दीजिये। |
2045 | पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती। |
2046 | पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो। |
2047 | पापा कहते थे की सपने मत देखो, सपने कभी पुरे नहीं होते। पर मैंने एक सपना देखा और वो भी हुआ। |
2048 | पापी की आत्मा उसके पापों को प्रकट कर देती है। |
2049 | पावर होना बुरा नहीं, किसके पास होना चाहिए यह महत्वपूर्ण है। |
2050 | पिरामिडों की इन ऊंचाइयों से चालीस सदियाँ हमे देख रही है। |
2051 | पीछे रहकर नेतृत्व करना और टीमको आगे करना सबसे अच्छा तरीका है। खास कर जब जीत की खुशियाँ मनाई जाएँ। तभी आगे आए जब खतरा दिखे या टीम गलत राह दिखे। इससे दूसरों की नज़रों में आपकी इज़्ज़त बढ़ जायेगी। |
2052 | पीठ पीछे रहकर दुसरे की बुराई करना अथवा किसी व्यक्ति के कार्यो में हानि का प्रयत्न करना और उसके मुख पर अथवा उसके सामने मीठी-मीठी बाते करना, बहुत अनुपयुक्त हैं ऐसे व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए। |
2053 | पुत्र की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। |
2054 | पुत्र के गुणवान होने से परिवार स्वर्ग बन जाता है। |
2055 | पुत्र के बिना स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती। |
2056 | पुत्र के सुख से बढ़कर कोई दूसरा सुख नहीं है। |
2057 | पुत्र को पिता के अनुकूल आचरण करना चाहिए। |
2058 | पुत्र को सभी विद्याओं में क्रियाशील बनाना चाहिए। |
2059 | पुत्र प्राप्ति के लिए ही स्त्री का वरण किया जाता है। |
2060 | पुत्र वे है जो पिता भक्त है। पिता वही है जो बच्चों का पालन-पोषण करता है। मित्र वही है जिसमे पूर्ण विश्वास हो और स्त्री वही है जिससे परिवार में सुख-शांति व्याप्त हो। |
2061 | पुत्र से पांच वर्ष तक प्यार करना चाहिए। उसके बाद दस वर्ष तक अर्थात पंद्रह वर्ष की आयु तक उसे दंड आदि देते हुए अच्छे कार्य की और लगाना चाहिए। सोलहवां साल आने पर मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए। संसार में जो कुछ भी भला-बुरा है, उसका उसे ज्ञान कराना चाहिए। |
2062 | पुत्र से ही कुल को यश मिलता है। |
2063 | पुराना होने पर भी शाल के वृक्ष से हाथी को नहीं बाँधा जा सकता। |
2064 | पुरानी गलतियाँ का ताना देने वाले लोग अच्छे नहीं होते। वे आपके विकास में रुकावट खड़ी करेंगे क्योकि उनको आपका आगे बढ़ना मंजूर नहीं। |
2065 | पुराने काम की नक़ल करने से सीखने के लिए बहुत कुछ हैं जबकि Modern-Workकी नक़ल करने से कुछ हासिल नहीं होगा। |
2066 | पुराने निशानों को खरोंचना और उनका हिसाब रखना, आपको हमेशा जो आप हैं उससे कम ही बनाता है। |
2067 | पुराने मित्र छूटते हैं , नए मित्र बनते हैं . यह दिनों की तरह ही है। एक पुराना दिन बीतता है, एक नया दिन आता है.महत्त्वपूर्ण यह है कि हम उसे सार्थक बनाएंएक सार्थक मित्र या एक सार्थक दिन। |
2068 | पुरुष के लिए कल्याण का मार्ग अपनाना ही उसके लिए जीवन-शक्ति है। |
2069 | पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का भोजन दुगना, लज्जा चौगुनी, साहस छः गुना और काम (सेक्स की इच्छा) आठ गुना अधिक होता है। |
2070 | पुरूषों में नाई धूर्त होता है, पक्षियों में कौवा, पशुओं में गीदड़ और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है। |
2071 | पुष्पहीन होने पर सदा साथ रहने वाला भौरा वृक्ष को त्याग देता है। |
2072 | पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं। |
2073 | पुस्तकों में लिखी विधा और दूसरों के हाथो में गया हुआ धन आवश्कता पड़ने पर कभी काम नहीं आता। विधा वही काम आती हैं जो मनुष्य ने सीख कर अपनी बना ली हो और पैसा वही काम आता हैं जो अपने पास हो। |
2074 | पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी। |
2075 | पूंजीवाद की बुराई है अच्छी चीजों का बराबर से ना बंटना , समाजवाद की अच्छाई है बुरी चीजों का बराबर से बंटना। |
2076 | पूरा समाज लम्बे समय तक एक ही भाषा में बातचीत नहीं कर सकता। क्योंकि यह युद्धरत समूहों में बटा हुआ है। |
2077 | पूरी दुनिया में आधी-अधूरी आज़ादी जैसी कोई बात नहीं है। |
2078 | पूर्ण धारणा के साथ बोला गया "नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है। |
2079 | पूर्ण सच्चाई जानने के बाद किया कार्य सच्चे रूप में क्षमा करना नहीं है, क्षमा करना तो एक प्रवृति है जिसके बाद आप हर क्षण में प्रवेश कर सकते हैं। |
2080 | पूर्वाग्रह से ग्रसित दंड देना लोकनिंदा का कारण बनता है। |
2081 | पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास हैं ये पेड़। |
2082 | पृथ्वी के अन्दर और ऊपर का सारा सोना भी सद्गुणों के बदले देना पर्याप्त नहीं है। |
2083 | पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाला जल शुद्ध-पवित्र होता हैं, पतिव्रता स्त्री शुद्ध-पवित्र होती हैं, प्रजा का कल्याण करने वाला राजा पवित्र अथवा श्रेष्ठ माना गया हैं और सन्तोषी यानी सहज प्राप्ति में प्रसन्न-ब्राहमण शुद्ध-पवित्र होता हैं सन्तोष सभी के लिए उत्तम हैं। |
2084 | पृथ्वी पर हर एक चीज एक खेल है। एक खत्म हो जाने वाली चीज। हम सभी एक दिन मर जाते हैं। हम सभी का एक ही अंत है , नहीं ? |
2085 | पृथ्वी सत्य के बल पर ही स्थिर हैं, सत्य की शक्ति से ही सूर्य मैं ताप हैं तेज हैं, सत्य की शक्ति से ही दिन और रात वायु चलती हैं इस प्रकार सारी सृष्टि टिकी हुई हैं। |
2086 | पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं। |
2087 | पेड़, फूल और पौधे शांति में विकसित होते हैं, सितारे, सूर्य और चंद्रमा शांति से गतिमान रहते हैं, शांति हमें नयी संभावनाएं देती है. |
2088 | पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है। |
2089 | पैर से अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कन्या, वृद्ध और बालक को कभी नहीं छूना चाहिए। |
2090 | पैरो के धोने से बचा हुआ, पीने के बाद पात्र में बचा हुआ और संध्या से बचा हुआ जल कुत्ते के मूत्र के समान है। उसे पीने के बाद ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य चंद्रायण व्रत को करे, तभी वे पवित्र हो सकते है। |
2091 | पैसा - मैं बोलता नहीं....मगर सबकी बोलती बंद करवा सकता हूँ |
2092 | पैसा - मैं भगवान् नहीं मगर लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते |
2093 | पैसा - मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते, मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ |
2094 | पैसा - मैं कुछ भी नहीं हूँ मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है |
2095 | पैसा - मैं नमक की तरह हूँ जो जरुरी तो है, मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है |
2096 | पैसा - मैं सारे फसाद की जड़ हूँ मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं |
2097 | पैसा कमाने के लिए कई विकल्प हो सकते है, लेकिन जन्नत में जाने के लिए सिर्फ एक- अच्छे कर्म करना। |
2098 | पैसे या मौज मस्ती के जीवन से नहीं, लेकिन जो काम करते है उसी से ख़ुशी का अनुभव किया जा सकता है। |
2099 | पैसे से सब कुछ नहीं बल्कि केवल थोडा बहुत किया जा सकता. |
2100 | पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।" |
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