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Friday, January 22, 2016

#1201 -1300


1201 जब कोई काम करने का तरीका तलाश रहा होगा तो अंतिम बार जिसके बारे में उसने सोचा होगा वह ये है की किस चीज़ को आगे रखे। 
1202 जब कोई मनुष्य भावनाओं में बहने लग जाता है तो उसका खुद पर काबू खत्म होने लग जाता है।
1203 जब कोई राष्ट्र हथियार युक्त देशो से घिरा हो, तो उसे भी हथियार युक्त होना पडेगा।
1204 जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए।
1205 जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
1206 जब तक आप न चाहें तब तक आपको कोई भी ईर्ष्यालु, क्रोधी, प्रतिशोधी, या लालची नहीं बना सकता है।   
1207 जब तक इच्छा लेशमात्र भी विद्यमान है जब तक ईश्वर के दर्शन नहीं हो सकते, अतएव स्वविवेक द्वारा अपनी छोटी बड़ी इच्छाओं का त्याग कर दो।
1208 जब तक काम कर न लिया जाए तब तक वह काम असंभव लगता है।
1209 जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
1210 जब तक चीज़ों के साथ प्रयोग न किया जाए या उन्हें उपयोग में न लाया जाए तब तक कोई निष्कर्ष निकालना मुश्किल है।
1211 जब तक पुण्य फलों का अंश शेष रहता है, तभी तक स्वर्ग का सुख भोग जा सकता है।
1212 जब तक पूरा भारत उठकर खड़ा नहीं होगा, संसार में कोई हमारा आदर नहीं करेगा। इस दुनियाँ में डर की कोई जगह नहीं है केवल शक्ति की पूजा होती है ।
1213 जब तक भारत दुनिया में अपने कदमो पर खड़ा नहीं है, तब तक हमे कोई आदर नहीं करेगा। इस दुनिया में डर के लिए कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है।
1214 जब तक मनुष्य को यह आज़ादी मिले की वह जो पूछना चाहता है पूछ सके, जो सोचता है वह कह सके और जैसा चाहता है वैसा कर पाए तो ही वह हमेशा आज़ाद रहेगा।
1215 जब तक यह जीवन हैं और तुम जीवित हो, सीखते रहना चाहिए।
1216 जब तक लाखो लोग भूखे और अज्ञानी है तब तक मै उस प्रत्येक व्यक्ति को गद्दार मानता हुँ जो उनके बल पर शिक्षित हुआ और अब वह उसकी और ध्यान नही देता।
1217 जब तक लोग एक ही प्रकार के ध्येय का अनुभव नहीं करेंगे, तब तक वे एकसूत्र  से आबद्ध नही हो सकते। जब तक ध्येय एक न हो, तब तक सभा, समिति और वक्तृता से साधारण लोगो एक नहीं कर सकता।
1218 जब तक सत्य घर से बाहर निकल पाता है तब तक तो झूठ आधी दुनिया घूम चूका होता है।
1219 जब तक हम अपने आप से सुलह नही कर लेते तब तक हम दुनिया से भी सुलह नहीं कर सकते।
1220 जब तक हम कुछ न कुछ करते रहेंगे तब तक जीवित माने जाएंगे। जिस दिन शांत बैठ जाएंगे तो मृतक ही कहलाएंगे। 
1221 जब तक हम दुःख का अनुभव पूरी तरह से न कर पाएं तब तक हम उसका समाधान भी नहीं निकाल पाएंगे। 
1222 जब दिमाग सोच रहा होता है तो वो खुद से बात कर रहा होता है।
1223 जब दो या दो से ज्यादा लोग बातचीत करते है तो वे जिन बातों में विश्वास करते हैं उन्हें सही और जिन बातों को न पसंद करते है उन्हें गलत साबित करने में लग जाते है।
1224 जब परिवार का कोई व्यक्ति साधु बन जाता हैं, संसार के माया-मोह को छोड़ कर वैराग्य को अपना लेता हैं तो उस समय उसे उसके बन्धु-बान्धव, स्त्री –पुरुष और मित्र आदि सभी कुछ दूर तक उसके साथ जाकर उसे विदा करके लौट आते हैं इस प्रकार अपने परिवार के एक प्रबुद्ध सदस्य को मोह-माया से विरक्त देखकर भी वे पुनः अपने घर आकर माया-मोह में फंस जाते है जबकि सबको उससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
1225 जब परेशान होते है या थकावट ज्यादा होती है तो दो चीज़ें समझ में आती है।  हंसना या रोना।  हंसना इसलिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि हंसने के बाद सफाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
1226 जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है.
1227 जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के समान भयंकर आपत्ति एवं विपत्ति में भी अपनी मर्यादा नहीं बदलते।
1228 जब फूल खिलता है, मधुमक्खियों बिन बुलाए आ जाती हैं।
1229 जब बिलकुल अँधेरा होता है, तब इंसान सितारे देख पाता है।
1230 जब भी आप अपनी उम्र को खुद पर हावी होने का मौका देंगे, तब आप बहुत से अवसरों का लाभ उठाने से चूक जायेंगे फिर आप वे काम करना शुरू कर देंगे, जिन्हें करने के लिए आपका दिल कभी राजी नहीं होगा
1231 जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो, उसे प्रेम से जीतें।
1232 जब भी कोई मेरे ईमानदार होने की बात करता है तो मेरे अंदर कँपकँपी होती है।
1233 जब मन में सच जानने की जिज्ञासा पैदा हो जाए तो दुनियावी चीज़े अर्थहीन लगती हैं।
1234 जब मै कुछ अच्छा करता हूं तो मुझे अच्छा लगता है, और जब मै कुछ बुरा करता हूं तो मुझे बुरा लगता है। यही मेरा धर्म है।
1235 जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है।
1236 जब मैं छोटा था तो मैं हर रोज़ भगवान को नयी साइकिल के लिए पूजता था। तब मुझे एहसास हुआ कि भगवान इस तरह काम नहीं करे इसलिए मैंने एक साइकिल चुराई और उनसे क्षमा करने के लिए कह दिया। 
1237 जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते  हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा।
1238 जब मैं पूरी तरह से तय कर लेता हूँ कि कोई परिणाम प्राप्त करने योग्य है तो मैं आगे बढ़ता हूँ और परीक्षण पर परीक्षण करते चला जाता हूँ जब तक कि इच्छित परिणाम ना आ जाये।
1239 जब रात को आप अपने कपडे फेंकते हैं तो उसी वक़्त अपनी चिंताओं को भी फेंक दीजिये। 
1240 जब से मुझे पता चला की उपरवाला मेरे साथ है, तब से मैंने यह सोचना बंद कर दीया की कौन कौन मेरे खिलाफ है..........!!
1241 जब हम एक-दूसरे की मदद करने या उन्हें समझाने के लिए मुड़ते हैं तो हम अपने दुश्मनों की संख्या काम कर देते है।
1242 जब हम दैनिक समस्याओ से घिरे रहते है तो हम उन अच्छी चीज़ों को भूल जाते है जो की हम में है।
1243 जब हम परेशानियों में फँसे होते हैं तो हमें अहसास होता है कि एक छुपा हुआ साहस हमारे अंदर है जो हमें तब ही दिखाई देता है जब हम असफलता का सामना कर रहे होते हैं। हमें उसी छुपे हुए साहस और शक्ति को पहचानना है ।
1244 जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते हैं, कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी और यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं। जरूरत है कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें।
1245 जब हम बोलना नही जानते थे, तो हमारे बोले बिना'माँ' हमारी बातो को समझ जाती थी और आज हम हर बात पर कहते है ''छोङो भी 'माँ' आप नही समझोगी''।
1246 जब हमारे पास सत्य को अपनाने की ताकत नहीं होती तो हम-'शायद ये हो सकता था.. . ' को ही अपना लेते है।
1247 जब हमारे हस्ताक्षर, ऑटोग्राफ में बदल जाये तो यह सफलता की निशानी है।
1248 जब हमे लगता है कि हम कोई सपना देख रहे है, तो उस वक़्त हम सच के बिलकुल करीब होते है।
1249 जब हवा चलने लगे तो पंखा चलाना छोड़ देना चाहिए, पर जब ईश्वर की कृपा दृष्टि होने लगे, तो प्रार्थना तपस्या नहीं छोड़नी चाहिए।
1250 जमीन अच्छी हो,  खाद अच्छा हो परंतु 'पानी' अगर 'खारा' हो तो फूल कभी खिलते नहीं। भाव अच्छे हो विचार भी अच्छे हो मगर 'वाणी' खराब हो तो 'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं।
1251 जय क्षणभंगुर है, लेकिन अन्धकार हमेशा के लिए है। 
1252 जरुरत के मुताबिक “जिंदगी” जिओ – “ख्वाहिश”….. के मुताबिक नहीं...
1253 जरुरत तो  फकीरों  की भी  पूरी  हो जाती है, और  ख्वाहिशें …..  बादशाहों   की भी “अधूरी रह जाती है”…..
1254 जरुरी नहीं की मुश्किल काम करने से ही फायदा होता है या सफलता मिलती है।
1255 जर्नलिज़्म का मतलब वह खबर देना है जो दूसरे छपने नहीं देना चाहते।  इसके अलावा सब पब्लिक रिलेशन है।
1256 जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
1257 जल में तेल, दुर्जन के पास गुप्त रहस्य, सत्पात्र को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया गया उपदेशरूप में शास्त्र का ज्ञान थोडा होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं।
1258 जल में मूत्र त्याग न करें।
1259 जलदबाज़ी और तत्काल के बजाय अहमियत पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।
1260 जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए। यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
1261 जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए।यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
1262 जल्द मिलने वाली चीजे ज्यादा दिन तक नही चलती और जो चीजे ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नही मिलती ।
1263 जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा।
1264 जवानी के जोश से भरे हुए अपने दिनों को सही दिशा दे और उन्हें व्यर्थ ना जाने दें। क्योंकि एक बार वे गुजर गए तो फिर आप जितनी मर्जी दौलत लुटा दें, उन्हें वापस नहीं पा सकते।
1265 जहाँ आयकर होता है, वहां उचित व्यक्ति अनुचित व्यक्ति की अपेक्षा उसी आय पर अधिक कर देगा।
1266 जहाँ जाइये प्यार फैलाइए. जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे.
1267 जहाँ जाइये प्यार फैलाइए। जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे।
1268 जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता। 
1269 जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही, उससे कोई मुक्त नहीं है। तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए। 
1270 जहाँ प्रकाश है वहां अँधेरा भी है।  जहाँ ठंड है वहां गर्मी है। जहाँ ऊँँचाई है वहां खाई है। जहाँ शान्ति है वहां हलचल है। जहाँ समृद्धि है, वही गरीबी है।  और जहाँ जीवन है, वही मृत्यु भी है। 
1271 जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
1272 जहाँ सम्मान है वहां डर है, पर ऐसी हर जगह सम्मान नहीं है जहाँ डर है, क्योंकि संभवतः डर सम्मान से ज्यादा व्यापक है।
1273 जहां अच्छे विचारों की कमी होती है वहीँ पर बोरियत महसूस होने लगती है।
1274 जहां आजीविका अथवा लोगों में सामाजिकता- एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देने की प्रवर्ती – नहीं, ऐसे स्थान अथवा गाँव में निवास, किसी नीच व्यक्ति की नौकरी, गन्दा सडा-गला बासी अथवा अरुचिकर भोजन, झगड़ालू स्त्री, मुर्ख पुत्र और विधवा कन्या – ये छः मनुष्य के शरीर को बिना किसी आग के जलाते रहते हैं इनसे व्यक्ति के मन की सुख शान्ति जाती रहती हैं।
1275 जहां जानकारी साथ छोड़ देती है, वही से प्यार की शुरुआत होती है।
1276 जहां जीविका, भय, लज्जा, चतुराई और त्याग की भावना, ये पांचो न हों, वहां के लोगो का साथ कभी न करें।
1277 जहां धनी, वैदिक ब्राह्मण, राजा,नदी और वैद्य, ये पांच न हों, वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहियें। भावार्थ यह कि जिस जगह पर इन पांचो का अभाव हो, वहां मनुष्य को एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए।
1278 जहां बच्चे होते है,वही सुनहरे भविष्य की कामना की जा सकती है।
1279 जहां ब्राह्मणों के चरण नहीं धोये जाते अर्थात उनका आदर नहीं किया जाता, जहां वेद-शास्त्रों के श्लोको की ध्वनि नहीं गूंजती तथा यज्ञ आदि से देव पूजन नहीं किया जाता, वे घर श्मशान के समान है।
1280 जहां मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां अन्न भंडार सुरक्षित रहता है, जहां पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता, वहां लक्ष्मी बिना बुलाए ही निवास करती है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती।
1281 जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है।
1282 जहां सज्जन रहते हों, वहीं बसें। 
1283 जहां सुख से रहा जा सके, वही स्थान श्रेष्ठ है।
1284 जहां हर चीज सपने की तरह होती है वहां सवाल-जवाब या बहस का कोई मतलब नहीं होता। सच्चाई और जानकारियां भी कोई भूमिका नहीं निभाते है।
1285 ज़रूरतमंद दोस्त की मदद करना आसान है , लेकिन उसे अपना समय देना हमेशा संभव नहीं हो पाता।
1286 ज़िन्दगी  को  प्यार  करने  और  उसके  लिए  लालची  होने  के  बीच  एक  बहुत  बारीक  रेखा  है .
1287 ज़िन्दगी इसे जीने वाले को प्यार करती है.
1288 ज़िन्दगी करीब से देखने में एक त्रासदी है , लेकिन दूर से देखने पर एक कॉमेडी।
1289 ज़िन्दगी को एक नाटक की तरह जीना चाहिए।
1290 ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए।
1291 ज़िन्दगी बढ़िया हो सकती है अगर लोग आपको अकेला छोड़ दें।
1292 जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना।
1293 जाति-बिरादरी के लोगो को खिला-पिला कर प्रसन्न रखना चाहिए और ब्राह्मणों को आदर-सम्मानपूर्वक से प्रसन्न किया जा सकता हैं।
1294 जाहिर वो है जो तब तक नहीं पता चलता जब तक कि कोई उसे सरलता से व्यक्त नहीं कर देता।
1295 जिंदगी का मकसद खुश होना नहीं है।  इसका मकसद उपयोगी, सम्माननीय, सवेदनशील होना है।  इसका मकसद कुछ ऐसा अलग काम करना है, जिसमे आप जिए है और बेहतर बने है।
1296 जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है, जिसने जैसा मार्ग बनाया उसे वैसी ही मंज़िल मिलती है।
1297 जिंदगी जीने के दो तरीके है। पहला यह कि कुछ भी चमत्कार नहीं है, दूसरा यह कि दुनिया की हर चीज चमत्कार है।
1298 जिंदगी बहुत छोटी है, दुनिया में किसी भी चीज़ का घमंड अस्थाई है पर जीवन केवल वही जी रहा है जो दुसरो के लिए जी रहा है, बाकि सभी जीवित से अधिक मृत है।
1299 जिंदगी भर "सुख" कमाकर दरवाजे से घर में लाने की कोशिश करते रहे।  पता ही ना चला कि कब खिड़कियों से "उम्र" निकल गई।।.
1300 जिंदगी मे चुनौतियाँ हर किसी के हिस्से नही आती है, क्योकि किस्मत भी किस्मत वालो को ही आज़माती है..