Saturday, January 23, 2016

#1301- 1400


1301 जिंदगी मे जो हम चाहते है वो आसानी से नही मिलता लेकिन जिँदगी का सच ये है की हम भी वही चाहते है जो आसान नही होता।
1302 जिंदगी में अपनी तुलना किसी से भी करने का दूसरा मतलब है स्वयं की बेइज्जती करना।
1303 जिंदगी में मुश्किलों का जितना अंधेरा होगा, उम्मीदों के सितारे उतने ही चमक रहे होंगे।
1304 जिंदगी में सफल होने के लिए न तो यह जानने में ज्यादा उत्सुक हों कि दूसरे क्या सोच रहे हैं, न ही चीज़ों में रुचि दिखाएं, लेकिन नए आइडिया या किसी नए विचार की खोज करिए। कुछ नया करने से ही आगे बढ़ने का रास्ता बनेगा। प्रसिद्धि मिलेगी।
1305 जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता।
1306 जिज्ञासा रखना या उत्तेजित रहने का कोई मतलब नहीं, क्योंकि हम चीज़ों के बारे में सिर्फ इसलिए जानना चाहते है ताकि किसी बात पर चर्चा कर सके। 
1307 जितना अधिक हम देखते है, उतने ही अधिक की कल्पना करने में सक्षम होते है और जितनी अधिक हम कल्पना करते है, उतना ही हम सोचते है कि हमने देखा।
1308 जितना एक मूर्ख वयक्ति किसी बुद्धिमानी भरे उत्तर से नहीं सीख सकता उससे अधिक  एक बुद्धिमान एक मूर्खतापूर्ण प्रश्न से सीख सकता है।
1309 जितना ज्यादा आप जानोगे, उतना ज्यादा आप यह जानोगे की आप कुछ भी नहीं जानते।
1310 जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।
1311 जितना सोना धरती से निकाला गया है उससे कहीं ज्यादा लोगों के विचारों से निकाला गया है।
1312 जितेन्द्रिय व्यक्ति को विषय-वासनाओं का भय नहीं सताता।
1313 जिदंगी मे अच्छे लोगो की तलाश मत करो "खुद अच्छे बन जाओ" आपसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो जाए।
1314 जिदंगी मे उतार चङाव का आना बहुत जरुरी है क्योकि ECG मे सीधी लाईन का मतलब मौत ही होता है।
1315 जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना क्योक़ि बंद पडी घडी भी दिन में दो बार सही समय बताती है।
1316 जिन अंधविश्वासों के बीच हम बड़े होते है, हम नहीं जानते है कि उनका असर हम पर से कभी ख़त्म नही होता। इसी तरह से अपनी बेड़िया तोड़ देने वाले सभी लोग आज़ाद नहीं होते है।
1317 जिन घरों में ब्राह्मणों के पैर नहीं धोए जाते अथार्थ जहाँ उनका मान-सम्मान नहीं होता, उन्हें भोजनादि से संतुष्ट नहीं किया जाता, वेद-शास्त्रों के पाठ की ध्वनि नहीं गूंजती तथा यज्ञ-यागादी से देव-पूजन नहीं होता, वे घर, घर न होकर शमशान के सदर्श हैं।
1318 जिन चीजो को आप नहीं देख पाते है, लेकिन उनका यकीन रखते है, उसी को विश्वास कहते है। इसका नतीजा यह होता है कि जिन चीजो को आप देख सकते है, उन पर विश्वास करने लगते है।
1319 जिन चीज़ो को आप पसंद करते है, जिनसे प्यार करते है, वही आपको जन्नत तक लेकर जाएगी।
1320 जिन चीज़ोँ को हम प्यार करते है उन्हीं से पता चलता है की हम कौन हैं।
1321 जिन दिव्य द्रष्टि वाले व्यक्तियों ने सूर्य और चंद्रमा के राहू और केतु द्वारा ग्रहण की बात कही हैं वे विद्वान हैं क्योकि इस बात तो पता लगाने आकाश में न कोई दूत गया हैं और न इस सम्बन्ध में किसी से कोई बात हुई हैं।
1322 जिन वचनो से राजा के प्रति द्वेष उत्पन्न होता हो, ऐसे बोल नहीं बोलने चाहिए।
1323 जिन शब्दों से कोई फर्क नहीं पड़ता है, उन शब्दों का प्रयोग करने से कोई मतलब नहीं है।
1324 जिन सज्जनों के ह्रदय में परोपकार की भावना जाग्रत रहती है, उनकी तमाम विपत्तिया अपने आप दूर हो जाती है और उन्हें पग-पग पर सम्पत्ति एवं धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
1325 जिनकी भक्ति यशोदा के पुत्र (श्रीकृष्ण) के चरणकमलों में नहीं है, जिनकी जिह्वा अहीरों की कन्याओं (गोपियों) के प्रिय (श्री गोविन्द) के गुणगान नहीं करती, जिनके कान परमानंद स्वरूप श्रीकृष्णचन्द्र की लीला तथा मधुर रसमयी कथा को आदरपूर्वक सुनने में नहीं है, ऐसे लोगो को मृदंग की थाप, धिक्कार है, धिक्कार है (धिक्तान्-धक्तान) कहती है।
1326 जिनके पास इनमे से कुछ नहीं है – विद्या, तप, ज्ञान, अच्छा स्वभाव, गुण, दया भाव ।
1327 जिनके स्वामित्व बहुत होता है उनके पास डरने को बहुत कुछ होता है।
1328 जिनको स्वयं बुद्धि नहीं है, शास्त्र उनके लिए क्या कर सकता है? जैसे अंधे के लिए दर्पण का क्या महत्व है ?
1329 जिन्दगी जख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो | हारना तो है मौत के सामने फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सीख लो
1330 जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है..सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है...
1331 जिन्दगी में कुछ भी हो जाये एक बार शादी जरुर कीजिये अगर अच्छी पत्नी मिली तो जिन्दगी खुशहाल हो जाएगी और अगर नहीं तो आप दार्शनिक जरुर बन जाओगे।
1332 जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पुरे नहीं होते।
1333 जिन्होंने तुम्हारा अपमान किया, तुम पर प्रहार किया, तुम्हे छोटा समझा या तुम्हारा महत्व नहीं समझा, उन्हें क्षमा कर दो। लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि अपने आप को क्षमा कर दो कि तुमने उन सब लोगों को ऐसा करने दिया।
1334 जिस  क्षण  मैंने  यह  जान  लिया  कि  भगवान  हर एक  मानव  शरीर  रुपी  मंदिर  में  विराजमान  हैं , जिस  क्षण  मैं  हर  व्यक्ति  के  सामने  श्रद्धा  से  खड़ा  हो  गया  और  उसके  भीतर  भगवान  को  देखने  लगा - उसी  क्षण  मैं  बन्धनों  से  मुक्त   हूँ  , हर  वो  चीज  जो  बांधती  है  नष्ट   हो  गयी , और मैं  स्वतंत्र  हूँ।
1335 जिस आदमी को ब्रह्म-ज्ञान हैं उसके लिए स्वर्ग भी तुच्छ हैं, शूरवीर व्यक्ति के लिए जीवन का कोई मोह नहीं, इसी प्रकार इन्द्रियों को वश में रखने वाले व्यक्ति के लिए नारी का कोई महत्व नहीं, इसी प्रकार निः-स्परह (आसक्तिरहित) व्यक्ति के लिए संसार के भरपूर सुन्दर खज़ाने तथा अन्य वस्तुए तिनके के समान तुच्छ होती हैं।
1336 जिस काम की आज शुरुआत नहीं करेंगे, वह कल तक ख़त्म भी नहीं होगा।
1337 जिस काम को आप खुद आज कर सकते है, उसे न तो कल पर टालिए न किसी दूसरे पर।
1338 जिस कार्य में मर्जी शामिल है, उस कार्य को करने में कोई परेशानी नहीं होती है।
1339 जिस गुरु ने एक भी अक्षर पढ़ाया हो, उस गुरु को जो प्रणाम नहीं करता अर्थात उसका सम्मान नहीं करता, ऐसा व्यक्ति कुत्ते की सैकड़ो योनियों को भुगतने के उपरांत चांडाल योनि में जन्म लेता है।
1340 जिस घर में बेटा नहीं, वह सुनसान बियाबान के समान हैं पिता वहां अपने-आपको अकेला अनुभव करता हैं उसका वंश आगे नहीं चलता इसी प्रकार जिस व्यक्ति के कोई सम्बन्धी अथवा परिजन नहीं, वे भी अपने-आपको अकेला पाते हैं उनका सुख-दुःख बाटने वाला कोई नहीं होता।
1341 जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
1342 जिस जगह पर लोग चिल्लाकर, चीख कर बात करते हैं वहां सच्ची जानकारी नहीं मिल सकती।
1343 जिस जगह प्रेस मुफ्त है और हर व्यक्ति पढ़ना-लिखना जानता है, वह जगह दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह होगी। 
1344 जिस तरह  गली में दो, चार सूअर के रहने से गली साफ़ बनी रहती है,  उसी प्रकार आपके जीवन में दो, चार आलोचक के रहने से आप सहज, स्वच्छ व सजग बने रहते है।।
1345 जिस तरह एक प्रज्वलित दिपक कॉ चमकने के लीए दूसरे दीपक की ज़रुरत नहीं होती है।  उसी तरह आत्मा जो खुद ज्ञान स्वरूप है उसे और क़िसी ज्ञान कि आवश्यकता नही होती है, अपने खुद के ज्ञान के लिए।
1346 जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है, उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है। 
1347 जिस तरह बहादुर होना जिंदगी के लिए खतरनाक हैं, उसी तरह डर हमारी सुरक्षा करता हैं।
1348 जिस तरह से पानी को कभी सूखा नहीं कह सकते और लकड़ी की बनी हुई आयरन रॉड नहीं होती। ठीक उसी तरह से कूटनीति को ईमानदार नहीं कहा जा सकता है।
1349 जिस तरह से बातचीत करने के लिए समय होता है, उसी तरह से सोने के लिए भी समय तय करिये।
1350 जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न  धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक  जाता है।
1351 जिस तरह हर प्रजाति अपने सुधार की और बढ़ती है, हर इंसान भी (पहले या बाद में) पूर्णता की और जाता है।
1352 जिस तालाब में पानी ज्यादा होता हैं हंस वही निवास करते हैं, यदि वहां का पानी सुख जाता हैं तो वे उन्हें छोड़ कर दुसरे स्थान पर चले जाते हैं जब कभी वर्षा अथवा नदी से उसमे पुनः पानी भर जाता हैं तो वे फिर लौट आते हैं। मनुष्य को हंस के समान व्यवहार नहीं करना चाहिए, मैत्री या सम्बन्ध स्थापित करने के बाद उन्हें भंग करना उचित नहीं अपने आश्रयदाता को बार-बार छोडना और उसके पास लौट कर आना मानवता का लक्षण नहीं हैं।
1353 जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये - आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है।
1354 जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रति प्रेम पर हावी हो जायेगी, दुनिया में अमन आ जायेगा।
1355 जिस दिशा में शिक्षा व्यक्ति की शुरआत करती है वही जीवन में उसके भविष्य का निर्धारण करता है।
1356 जिस देश में धनी-मानी व्यापारी, कर्म कांड को मानने वाले पुरोहित ब्राहमण, शासन व्यस्था में निपुण राजा, सिंचाई अथवा जल की आपूर्ति के लिए नदियां और रोगों से रक्षा के लिए वैध आदि चिकित्सक न हों अथार्त जहां पर ये पांचो सुविधांए प्राप्त न हो वहां व्यक्ति को एक दिन के लिए भी रहना उचित नहीं हैं
1357 जिस देश में मूर्खो का आदर सम्मान नहीं होता अथार्त जहां मुर्ख व्यक्तियों को प्रधानता नहीं दी जाती, अन्न संचित और सुरक्षित रहता हैं तथा पति-पत्नी में कभी झगडा नहीं होता, वंहा लक्ष्मी बिना बुलाये ही निवास करती हैं, उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती।
1358 जिस देश में व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता और आजीविका के साधन भी सुलभ न हों, जहां उसके परिवार के लोग और मित्र आदि भी न हो, उस देश में रहना उचित नहीं हैं इसके साथ ही चाणक्य ने यह महत्वपूर्ण बात भी कही हैं कि यही ऐसे देश में विद्या-प्राप्ति के साधन भी न हो तो उस देश में मनुष्य को भी नहीं रहना चाहिए वंहा कभी वास करना चाहिए
1359 जिस देश में सम्मान नहीं, आजीविका के साधन नहीं, बन्धु-बांधव अर्थात परिवार नहीं और विद्या प्राप्त करने के साधन नहीं, वहां कभी नहीं रहना चाहिए।
1360 जिस प्रकार अमूल्य रत्न को भी अपने आश्रय के लिए सोने की आवश्कता होती हैं, सोने में मढ़े जाने पर ही रत्न को धारण किया जा सकता हैं। उसी प्रकार संसार में परमात्मा की बराबरी करने वाला पुरुष भी किसी उपयुक्त आश्रय के अभाव में यश और प्रसिद्धी प्राप्त नहीं कर पाता।
1361 जिस प्रकार अमृत के सुलभ होने पर भी देवतागण अप्सराओ के अधर-रस को पीने के लिए लालयित रहते हैं, उसी प्रकार संस्कृत भाषा में गहरी पैठ रखता हुआ भी मैं अन्य भाषओं को जानने के लिए उत्सुक हूँ।
1362 जिस प्रकार आँखों को देखने के लिए रौशनी की ज़रुरत होती है, उसी प्रकार हमारे दिमाग को समझने के लिए विचारों की ज़रुरत होती है।
1363 जिस प्रकार इन्द्रायण का फल पक जाने पर भी अपनी कटुता को छोड़ कर मधुर नहीं हो जाता, उसी प्रकार आयु के ढल जाने पर भी दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता, दुष्टता उसका सवभाव बन जाने से कभी नहीं छूटती।
1364 जिस प्रकार एक अकेला चाँद अँधेरी रात को जगमगा देता हैं अँधेरा दूर कर देता हैं उसी प्रकार विधान, चरित्रवान और अच्छे स्वभाव वाला एक पुत्र सारे वंश का नाम रोशन कर देता हैं।
1365 जिस प्रकार एक राजा अत्यधिक अधर्म के आचरण से नष्ट हो जाता हैं, उसका पाप ही उसे समाप्त कर देता हैं ठीक उसी प्रकार अपने लोगो को छोड़ कर दूसरों को अपनाने वाला मुर्ख व्यक्ति भी अपने-आप ही नष्ट हो जाता हैं।
1366 जिस प्रकार एक ही अच्छा वृक्ष अपने पुष्पों की सुगंध से सारे वन को सुशोभित और सुगन्धित बना देता हैं, उसी प्रकार एक ही  गुणी पुत्र अपने उज्जवल गुणों से अपने सारे कुल को लोकप्रिय और प्रसिद्ध बना देता हैं
1367 जिस प्रकार किरायेदार घर उपयोग करने के लिए उसका किराया देता हैं उसी प्रकार रोग के रूप में आत्मा, शरीर को प्राप्त करने के लिए टैक्स अथवा किराया देती हैं।
1368 जिस प्रकार कुत्ते की पूंछ गुप्त स्थानों को ढांप सकने में व्यर्थ है और मच्छरों को काटने से भी नहीं रोक पाती, उसी प्रकार बिना विद्या के मनुष्य जीवन व्यर्थ है।
1369 जिस प्रकार घिसने, काटने, आग में तापने-पीटने, इन चार उपायो से सोने की परख की जाती है, वैसे ही त्याग, शील, गुण और कर्म, इन चारों से मनुष्य की पहचान होती है।
1370 जिस प्रकार चन्द्रमा से रात्रि की शोभा होती है, उसी प्रकार एक सुपुत्र, अर्थात साधु प्रकृति वाले पुत्र से कुल आनन्दित होता है।
1371 जिस प्रकार जलता हुआ एक ही सुखा पेड़ सारे वन को जलाकर रख कर देता हैं उसी प्रकार एक की कुपुत्र से पूरा वंश कलंकित हो जाता हैं।
1372 जिस प्रकार जिस पात्र में शराब अथवा मादक द्रव्य रखा जाता हैं उसे आग से तपाये जाने पर भी उसकी गंध नहीं जाती हैं वह शुद्ध नहीं हो सकता ठीक उसी प्रकार कुटिल मन वाला व्यक्ति, जिसमे मन में पाप भरा हैं सैकड़ो तीर्थो में स्नान करने पर भी पवित्र और निष्पाप नहीं हो सकता।
1373 जिस प्रकार दक्षिणा प्राप्त करने के बाद पुरोहित यजमान के घर से चला जाता हैं, जिस प्रकार विधा समाप्त करने के बाद शिष्य अपने गुरु से विदाई ले लेता हैं, उसी प्रकार वन के जल जाने पर उस जंगल को छोड़ कर पक्षी –पशु किसी दुसरे जंगल की राह लेते हैं।
1374 जिस प्रकार दूध न देने वाली गाय का कोई लाभ नहीं, उसी प्रकार ऐसे पुत्र से भी कोई लाभ नहीं जो न तो विद्वान हैं और न ही अपने माता-पिता और परिजनों में श्रद्धा-भक्ति रखता हैं।
1375 जिस प्रकार नीम के वृक्ष की जड़ को दूध और घी से सीचने के उपरांत भी वह अपनी कड़वाहट छोड़कर मृदुल नहीं हो जाता, ठीक इसी के अनुरूप दुष्ट प्रवृतियों वाले मनुष्यों पर सदुपदेशों का कोई भी असर नहीं होता।
1376 जिस प्रकार पर-पुरुष से गर्भ धारण करने वाली स्त्री शोभा नहीं पति, उसी प्रकार गुरु के चरणो में बैठकर विद्या प्राप्त न करके इधर-उधर से पुस्तके पढ़कर जो ज्ञान प्राप्त करते है, वे विद्वानों की सभा में शोभा नहीं पाते क्योंकि उनका ज्ञान अधूरा होता है। उसमे परिपक्वता नहीं होती। अधूरे ज्ञान के कारण वे शीघ्र ही उपहास के पात्र बन जाते है।
1377 जिस प्रकार परपुरुष से गर्भ धारण करने वाली व्यभिचारिणी स्त्री समाज में शोभा नहीं पाती। वे मातृतव के गौरव से सर ऊँचा नहीं कर पाती, उसी प्रकार बिना गुरु के सानिध्य के विधा ग्रहण करने वाला विद्वानों की सभा में उपहास का पात्र ही बनता हैं। अत: स्पष्ट हैं कि वह विद्वान जिसने असंख्य किताबो का अध्ययन बिना सदगुरु के आशीर्वाद से कर लिया, वह विद्वानों की सभा में एक सच्चे विद्वान के रूप में नहीं चमकता है। उसी प्रकार जिस प्रकार एक नाजायज औलाद को दुनिया में कोई प्रतिष्ठा हासिल नहीं होती।
1378 जिस प्रकार पानी की एक-एक बूंद से धीरे-धीरे सारा मटका भर जाता हैं उसी प्रकार एक-एक अक्षर प्रतिदिन पढने से मनुष्य भी विद्वान बन जाता हैं प्रतिदिन एक-एक पैसा जोड़ने से व्यक्ति धनवान बन जाता तथा थोडा-थोडा धर्मानुष्ठान करने से धार्मिक बन जाता हैं।
1379 जिस प्रकार फावड़े से खुदाई करने वाला पृथ्वी के नीचे के जल को निकल लेता हैं, उसी प्रकार गुरु की सेवा करने वाला भी गुरु के हर्दय में स्थति विद्या को प्राप्त कर लेता हैं।
1380 जिस प्रकार फूल में गंध, तिलो में तेल, लकड़ी में आग, दूध में घी, गन्ने में मिठास आदि दिखाई न देने पर भी विध्यमान रहते है, उसी प्रकार मनुष्य के शरीर में दिखाई न देने वाली आत्मा निवास करती है। यह रहस्य ऐसा है कि इसे विवेक से ही समझा जा सकता है।
1381 जिस प्रकार बालू अपने रूखे स्वभाव नहीं छोड़ सकता, उसी प्रकार दुष्ट भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ पाता।
1382 जिस प्रकार मछली देख-रेख से, कछुवी चिड़िया स्पर्श से (चोंच द्वारा) सदैव अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही अच्छे लोगोँ के साथ से सर्व प्रकार से रक्षा होती है।
1383 जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता।
1384 जिस प्रकार यजमान से निमंत्रण पाना ही ब्राह्मणों के लिए प्रसन्नता का अवसर होता हैं, जैसे हरी घास मिल जाना गायो के लिए प्रसन्नता की बात होती हैं इसी प्रकार पति की प्रसन्नता स्त्रियों के लिए उत्सव होती हैं परन्तु मेरे लिए तो भीषण रण में अनुराग ही जीवन की सार्थकता अथार्त उत्सव हैं।
1385 जिस प्रकार वेश्या अपने प्रेमी के निर्धन हो जाने उसे त्याग देती हैं, उससे मुहँ मोड़ लेती है और पराजित व अपमानित राजा को प्रजा छोड़ देती हैं तथा जिस प्रकार सूखे हुए पेड़ को छोड़ कर पक्षी उड़ जाते हैं, उसी प्रकार अतिथि को चाहिए कि भोजन करने के बाद गृहस्थी के घर को त्याग दे।
1386 जिस प्रकार शराब वाला पात्र अग्नि में तपाए जाने पर भी शुद्ध नहीं हो सकता, उसी प्रकार जिस मनुष्य के ह्रदय में पाप और कुटिलता भरी होती है, सैकड़ों तीर्थ स्थानो पर स्नान करने से भी ऐसे मनुष्य पवित्र नहीं हो सकते।
1387 जिस मनुष्य ने अपने जीवन में कोई भी अच्छा काम नहीं किया, उसकी लाश को हिंसक पशु भी त्जाज्य समझते हैं। वन में पड़े किसी क्यक्ति के शव को खाने के इच्छुक एक गीदड़ को दूसरा वृद्ध गीदड़ समझाते हुए कहता हैं – इस शव को मत खाओ, इसे छोड़ दो क्योकि यह शरीर एकदम निक्रस्त और निन्दनीय हैं, इसने अपने हाथो से कभी कोई दान नहीं किया, कानो से कभी उत्तम शास्त्रों का अध्यन नहीं किया, नेत्रों से किसी साधु-महात्मा के दर्शन नहीं किये, पैरो से कभी तीर्थयात्रा नहीं की इस प्रकार इस व्यक्ति ने अपने जीवन काल में अपने शरीर के किसी भी अंग का सदुपयोग नहीं किया।
1388 जिस मनुष्य ने ईश्वर का साक्षात्कार किया हो वो कभी दूसरे के प्रति क्रूर नही बन सकता, ऐसी क्रूरता होना, ये उसकी प्रकृति के विरूद की बात है। ऐसे इंसान इंसान कभी भी ग़लत कदम नहीं उठाते और उनके मन में ग़लत विचार नहीं आते।
1389 जिस रास्ते पर सबसे काम रुकावटें हों, वह असफल लोगों का रास्ता होता है। 
1390 जिस व्यक्ति कि स्त्री दुष्ट हो, जिसके मित्र नीच स्वभाव के हों और नौकर चाकर जबाब देने वाले हो और जिस घर में सांप रहता हो, ऐसे घर में रहने वाला व्यक्ति निश्चय ही मृत्यु के निकट रहता है
1391 जिस व्यक्ति के दिमाग में कोई मैल नहीं होती है वह सच्चाई के ज्यादा करीब होता है। उस व्यक्ति के अपेक्षा जिसके दिमाग में झूठ या गलत बातें रहती है।
1392 जिस व्यक्ति के पास कल्पना नहीं है उसके पास पंख नहीं हैं।
1393 जिस व्यक्ति के पास पैसा हैं, लोग स्वत: ही उसके मित्र बन जाते हैं, बन्धु-बान्धव भी उसे आ घेरते हैं जो धनवान है आज के युग में उसे ही विद्वान और सम्मानित व्यक्ति माना जाता हैं। धनवान व्यक्ति को ही विद्वान और ज्ञानवान माना जाता हैं।
1394 जिस व्यक्ति को किसी भी बात का कोई ज्ञान नहीं है, उसे कोई बात आसानी से समझाई जा सकती हैं और जो व्यक्ति सब कुछ जानता हो, चतुर हो उसे भी कोई भी बात बहुत ही सफलतापूर्वक समझाई जा सकती हैं, परन्तु जिस व्यक्ति को बहुत थोडा सा ज्ञान होता हैं उसे तो ब्रह्मा भी नहीं समझा सकता क्यों कि यह बात बिल्कुल उस तरह होती हैं जैसे एक कहावत के अनुसार चूहा हल्दी की एक गांठ लेकर पंसारी बन बैठा
1395 जिस व्यक्ति को कोई चाहने वाला न हो, कोई ख्याल रखने वाला न हो, जिसे हर कोई भूल चुका हो,मेरे विचार से वह किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में जिसके पास कुछ खाने को न हो,कहीं बड़ी भूख, कही बड़ी गरीबी से ग्रस्त है।
1396 जिस व्यक्ति को तुम अज्ञानी और तुच्छ समझते हो वो भगवान् की और से आया है , हो सकता है वो दुःख से आनंद और  निराशा से ज्ञान सीख ले।     
1397 जिस व्यक्ति को विश्वास होता है उसे किसी तरह की सफाई की जरुरत नहीं पड़ती है। जिस व्यक्ति को विश्वास नहीं होता है उसके लिए किसी तरह की कोई सफाई मुमकिन  नहीं है।
1398 जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की।
1399 जिस व्यक्ति में ये तीनो चीजे हैं, वो कभी भी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता या भगवान की द्रष्टि उस पर नहीं पड़ सकती। ये तीन हैं लज्जा, घृणा और भय।

Friday, January 22, 2016

#1201 -1300


1201 जब कोई काम करने का तरीका तलाश रहा होगा तो अंतिम बार जिसके बारे में उसने सोचा होगा वह ये है की किस चीज़ को आगे रखे। 
1202 जब कोई मनुष्य भावनाओं में बहने लग जाता है तो उसका खुद पर काबू खत्म होने लग जाता है।
1203 जब कोई राष्ट्र हथियार युक्त देशो से घिरा हो, तो उसे भी हथियार युक्त होना पडेगा।
1204 जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए।
1205 जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
1206 जब तक आप न चाहें तब तक आपको कोई भी ईर्ष्यालु, क्रोधी, प्रतिशोधी, या लालची नहीं बना सकता है।   
1207 जब तक इच्छा लेशमात्र भी विद्यमान है जब तक ईश्वर के दर्शन नहीं हो सकते, अतएव स्वविवेक द्वारा अपनी छोटी बड़ी इच्छाओं का त्याग कर दो।
1208 जब तक काम कर न लिया जाए तब तक वह काम असंभव लगता है।
1209 जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
1210 जब तक चीज़ों के साथ प्रयोग न किया जाए या उन्हें उपयोग में न लाया जाए तब तक कोई निष्कर्ष निकालना मुश्किल है।
1211 जब तक पुण्य फलों का अंश शेष रहता है, तभी तक स्वर्ग का सुख भोग जा सकता है।
1212 जब तक पूरा भारत उठकर खड़ा नहीं होगा, संसार में कोई हमारा आदर नहीं करेगा। इस दुनियाँ में डर की कोई जगह नहीं है केवल शक्ति की पूजा होती है ।
1213 जब तक भारत दुनिया में अपने कदमो पर खड़ा नहीं है, तब तक हमे कोई आदर नहीं करेगा। इस दुनिया में डर के लिए कोई जगह नहीं है। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है।
1214 जब तक मनुष्य को यह आज़ादी मिले की वह जो पूछना चाहता है पूछ सके, जो सोचता है वह कह सके और जैसा चाहता है वैसा कर पाए तो ही वह हमेशा आज़ाद रहेगा।
1215 जब तक यह जीवन हैं और तुम जीवित हो, सीखते रहना चाहिए।
1216 जब तक लाखो लोग भूखे और अज्ञानी है तब तक मै उस प्रत्येक व्यक्ति को गद्दार मानता हुँ जो उनके बल पर शिक्षित हुआ और अब वह उसकी और ध्यान नही देता।
1217 जब तक लोग एक ही प्रकार के ध्येय का अनुभव नहीं करेंगे, तब तक वे एकसूत्र  से आबद्ध नही हो सकते। जब तक ध्येय एक न हो, तब तक सभा, समिति और वक्तृता से साधारण लोगो एक नहीं कर सकता।
1218 जब तक सत्य घर से बाहर निकल पाता है तब तक तो झूठ आधी दुनिया घूम चूका होता है।
1219 जब तक हम अपने आप से सुलह नही कर लेते तब तक हम दुनिया से भी सुलह नहीं कर सकते।
1220 जब तक हम कुछ न कुछ करते रहेंगे तब तक जीवित माने जाएंगे। जिस दिन शांत बैठ जाएंगे तो मृतक ही कहलाएंगे। 
1221 जब तक हम दुःख का अनुभव पूरी तरह से न कर पाएं तब तक हम उसका समाधान भी नहीं निकाल पाएंगे। 
1222 जब दिमाग सोच रहा होता है तो वो खुद से बात कर रहा होता है।
1223 जब दो या दो से ज्यादा लोग बातचीत करते है तो वे जिन बातों में विश्वास करते हैं उन्हें सही और जिन बातों को न पसंद करते है उन्हें गलत साबित करने में लग जाते है।
1224 जब परिवार का कोई व्यक्ति साधु बन जाता हैं, संसार के माया-मोह को छोड़ कर वैराग्य को अपना लेता हैं तो उस समय उसे उसके बन्धु-बान्धव, स्त्री –पुरुष और मित्र आदि सभी कुछ दूर तक उसके साथ जाकर उसे विदा करके लौट आते हैं इस प्रकार अपने परिवार के एक प्रबुद्ध सदस्य को मोह-माया से विरक्त देखकर भी वे पुनः अपने घर आकर माया-मोह में फंस जाते है जबकि सबको उससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
1225 जब परेशान होते है या थकावट ज्यादा होती है तो दो चीज़ें समझ में आती है।  हंसना या रोना।  हंसना इसलिए ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि हंसने के बाद सफाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
1226 जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है.
1227 जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मर्यादा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के समान भयंकर आपत्ति एवं विपत्ति में भी अपनी मर्यादा नहीं बदलते।
1228 जब फूल खिलता है, मधुमक्खियों बिन बुलाए आ जाती हैं।
1229 जब बिलकुल अँधेरा होता है, तब इंसान सितारे देख पाता है।
1230 जब भी आप अपनी उम्र को खुद पर हावी होने का मौका देंगे, तब आप बहुत से अवसरों का लाभ उठाने से चूक जायेंगे फिर आप वे काम करना शुरू कर देंगे, जिन्हें करने के लिए आपका दिल कभी राजी नहीं होगा
1231 जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो, उसे प्रेम से जीतें।
1232 जब भी कोई मेरे ईमानदार होने की बात करता है तो मेरे अंदर कँपकँपी होती है।
1233 जब मन में सच जानने की जिज्ञासा पैदा हो जाए तो दुनियावी चीज़े अर्थहीन लगती हैं।
1234 जब मै कुछ अच्छा करता हूं तो मुझे अच्छा लगता है, और जब मै कुछ बुरा करता हूं तो मुझे बुरा लगता है। यही मेरा धर्म है।
1235 जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है।
1236 जब मैं छोटा था तो मैं हर रोज़ भगवान को नयी साइकिल के लिए पूजता था। तब मुझे एहसास हुआ कि भगवान इस तरह काम नहीं करे इसलिए मैंने एक साइकिल चुराई और उनसे क्षमा करने के लिए कह दिया। 
1237 जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते  हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो- हमेशा।
1238 जब मैं पूरी तरह से तय कर लेता हूँ कि कोई परिणाम प्राप्त करने योग्य है तो मैं आगे बढ़ता हूँ और परीक्षण पर परीक्षण करते चला जाता हूँ जब तक कि इच्छित परिणाम ना आ जाये।
1239 जब रात को आप अपने कपडे फेंकते हैं तो उसी वक़्त अपनी चिंताओं को भी फेंक दीजिये। 
1240 जब से मुझे पता चला की उपरवाला मेरे साथ है, तब से मैंने यह सोचना बंद कर दीया की कौन कौन मेरे खिलाफ है..........!!
1241 जब हम एक-दूसरे की मदद करने या उन्हें समझाने के लिए मुड़ते हैं तो हम अपने दुश्मनों की संख्या काम कर देते है।
1242 जब हम दैनिक समस्याओ से घिरे रहते है तो हम उन अच्छी चीज़ों को भूल जाते है जो की हम में है।
1243 जब हम परेशानियों में फँसे होते हैं तो हमें अहसास होता है कि एक छुपा हुआ साहस हमारे अंदर है जो हमें तब ही दिखाई देता है जब हम असफलता का सामना कर रहे होते हैं। हमें उसी छुपे हुए साहस और शक्ति को पहचानना है ।
1244 जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तो हम पाते हैं, कि हमारे भीतर साहस और लचीलापन मौजूद है जिसकी हमें स्वयं जानकारी नहीं थी और यह तभी सामने आता है जब हम असफल होते हैं। जरूरत है कि हम इन्हें तलाशें और जीवन में सफल बनें।
1245 जब हम बोलना नही जानते थे, तो हमारे बोले बिना'माँ' हमारी बातो को समझ जाती थी और आज हम हर बात पर कहते है ''छोङो भी 'माँ' आप नही समझोगी''।
1246 जब हमारे पास सत्य को अपनाने की ताकत नहीं होती तो हम-'शायद ये हो सकता था.. . ' को ही अपना लेते है।
1247 जब हमारे हस्ताक्षर, ऑटोग्राफ में बदल जाये तो यह सफलता की निशानी है।
1248 जब हमे लगता है कि हम कोई सपना देख रहे है, तो उस वक़्त हम सच के बिलकुल करीब होते है।
1249 जब हवा चलने लगे तो पंखा चलाना छोड़ देना चाहिए, पर जब ईश्वर की कृपा दृष्टि होने लगे, तो प्रार्थना तपस्या नहीं छोड़नी चाहिए।
1250 जमीन अच्छी हो,  खाद अच्छा हो परंतु 'पानी' अगर 'खारा' हो तो फूल कभी खिलते नहीं। भाव अच्छे हो विचार भी अच्छे हो मगर 'वाणी' खराब हो तो 'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं।
1251 जय क्षणभंगुर है, लेकिन अन्धकार हमेशा के लिए है। 
1252 जरुरत के मुताबिक “जिंदगी” जिओ – “ख्वाहिश”….. के मुताबिक नहीं...
1253 जरुरत तो  फकीरों  की भी  पूरी  हो जाती है, और  ख्वाहिशें …..  बादशाहों   की भी “अधूरी रह जाती है”…..
1254 जरुरी नहीं की मुश्किल काम करने से ही फायदा होता है या सफलता मिलती है।
1255 जर्नलिज़्म का मतलब वह खबर देना है जो दूसरे छपने नहीं देना चाहते।  इसके अलावा सब पब्लिक रिलेशन है।
1256 जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
1257 जल में तेल, दुर्जन के पास गुप्त रहस्य, सत्पात्र को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया गया उपदेशरूप में शास्त्र का ज्ञान थोडा होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं विस्तार को प्राप्त हो जाते हैं।
1258 जल में मूत्र त्याग न करें।
1259 जलदबाज़ी और तत्काल के बजाय अहमियत पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।
1260 जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए। यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
1261 जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल किया जाना चाहिए।यह एक बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
1262 जल्द मिलने वाली चीजे ज्यादा दिन तक नही चलती और जो चीजे ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नही मिलती ।
1263 जल्दी गुस्सा करना जल्द ही आपको मूर्ख साबित कर देगा।
1264 जवानी के जोश से भरे हुए अपने दिनों को सही दिशा दे और उन्हें व्यर्थ ना जाने दें। क्योंकि एक बार वे गुजर गए तो फिर आप जितनी मर्जी दौलत लुटा दें, उन्हें वापस नहीं पा सकते।
1265 जहाँ आयकर होता है, वहां उचित व्यक्ति अनुचित व्यक्ति की अपेक्षा उसी आय पर अधिक कर देगा।
1266 जहाँ जाइये प्यार फैलाइए. जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे.
1267 जहाँ जाइये प्यार फैलाइए। जो भी आपके पास आये वह और खुश होकर लौटे।
1268 जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता। 
1269 जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही, उससे कोई मुक्त नहीं है। तथापि शरीर को प्रभुमंदिर बनाकर उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए। 
1270 जहाँ प्रकाश है वहां अँधेरा भी है।  जहाँ ठंड है वहां गर्मी है। जहाँ ऊँँचाई है वहां खाई है। जहाँ शान्ति है वहां हलचल है। जहाँ समृद्धि है, वही गरीबी है।  और जहाँ जीवन है, वही मृत्यु भी है। 
1271 जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
1272 जहाँ सम्मान है वहां डर है, पर ऐसी हर जगह सम्मान नहीं है जहाँ डर है, क्योंकि संभवतः डर सम्मान से ज्यादा व्यापक है।
1273 जहां अच्छे विचारों की कमी होती है वहीँ पर बोरियत महसूस होने लगती है।
1274 जहां आजीविका अथवा लोगों में सामाजिकता- एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देने की प्रवर्ती – नहीं, ऐसे स्थान अथवा गाँव में निवास, किसी नीच व्यक्ति की नौकरी, गन्दा सडा-गला बासी अथवा अरुचिकर भोजन, झगड़ालू स्त्री, मुर्ख पुत्र और विधवा कन्या – ये छः मनुष्य के शरीर को बिना किसी आग के जलाते रहते हैं इनसे व्यक्ति के मन की सुख शान्ति जाती रहती हैं।
1275 जहां जानकारी साथ छोड़ देती है, वही से प्यार की शुरुआत होती है।
1276 जहां जीविका, भय, लज्जा, चतुराई और त्याग की भावना, ये पांचो न हों, वहां के लोगो का साथ कभी न करें।
1277 जहां धनी, वैदिक ब्राह्मण, राजा,नदी और वैद्य, ये पांच न हों, वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहियें। भावार्थ यह कि जिस जगह पर इन पांचो का अभाव हो, वहां मनुष्य को एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए।
1278 जहां बच्चे होते है,वही सुनहरे भविष्य की कामना की जा सकती है।
1279 जहां ब्राह्मणों के चरण नहीं धोये जाते अर्थात उनका आदर नहीं किया जाता, जहां वेद-शास्त्रों के श्लोको की ध्वनि नहीं गूंजती तथा यज्ञ आदि से देव पूजन नहीं किया जाता, वे घर श्मशान के समान है।
1280 जहां मूर्खो का सम्मान नहीं होता, जहां अन्न भंडार सुरक्षित रहता है, जहां पति-पत्नी में कभी झगड़ा नहीं होता, वहां लक्ष्मी बिना बुलाए ही निवास करती है और उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं रहती।
1281 जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है।
1282 जहां सज्जन रहते हों, वहीं बसें। 
1283 जहां सुख से रहा जा सके, वही स्थान श्रेष्ठ है।
1284 जहां हर चीज सपने की तरह होती है वहां सवाल-जवाब या बहस का कोई मतलब नहीं होता। सच्चाई और जानकारियां भी कोई भूमिका नहीं निभाते है।
1285 ज़रूरतमंद दोस्त की मदद करना आसान है , लेकिन उसे अपना समय देना हमेशा संभव नहीं हो पाता।
1286 ज़िन्दगी  को  प्यार  करने  और  उसके  लिए  लालची  होने  के  बीच  एक  बहुत  बारीक  रेखा  है .
1287 ज़िन्दगी इसे जीने वाले को प्यार करती है.
1288 ज़िन्दगी करीब से देखने में एक त्रासदी है , लेकिन दूर से देखने पर एक कॉमेडी।
1289 ज़िन्दगी को एक नाटक की तरह जीना चाहिए।
1290 ज़िन्दगी नहीं, बल्कि एक अच्छी ज़िन्दगी को महत्ता देनी चाहिए।
1291 ज़िन्दगी बढ़िया हो सकती है अगर लोग आपको अकेला छोड़ दें।
1292 जागरण का अर्थ है कर्म में अवतीर्ण करना।
1293 जाति-बिरादरी के लोगो को खिला-पिला कर प्रसन्न रखना चाहिए और ब्राह्मणों को आदर-सम्मानपूर्वक से प्रसन्न किया जा सकता हैं।
1294 जाहिर वो है जो तब तक नहीं पता चलता जब तक कि कोई उसे सरलता से व्यक्त नहीं कर देता।
1295 जिंदगी का मकसद खुश होना नहीं है।  इसका मकसद उपयोगी, सम्माननीय, सवेदनशील होना है।  इसका मकसद कुछ ऐसा अलग काम करना है, जिसमे आप जिए है और बेहतर बने है।
1296 जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है, जिसने जैसा मार्ग बनाया उसे वैसी ही मंज़िल मिलती है।
1297 जिंदगी जीने के दो तरीके है। पहला यह कि कुछ भी चमत्कार नहीं है, दूसरा यह कि दुनिया की हर चीज चमत्कार है।
1298 जिंदगी बहुत छोटी है, दुनिया में किसी भी चीज़ का घमंड अस्थाई है पर जीवन केवल वही जी रहा है जो दुसरो के लिए जी रहा है, बाकि सभी जीवित से अधिक मृत है।
1299 जिंदगी भर "सुख" कमाकर दरवाजे से घर में लाने की कोशिश करते रहे।  पता ही ना चला कि कब खिड़कियों से "उम्र" निकल गई।।.
1300 जिंदगी मे चुनौतियाँ हर किसी के हिस्से नही आती है, क्योकि किस्मत भी किस्मत वालो को ही आज़माती है..

Thursday, January 21, 2016

#1101 -1200



1101 गुणी वहीँ होता हैं जिसकी प्रशंसा अन्य लोग करें। अपने मुंह से अपनी प्रशंसा करना अच्छी बात नहीं अन्य व्यक्तियों द्वारा प्रशंसित गुण ही सच्चे अर्थो में गुण होते हैं।
1102 गुणी व्यक्ति का आश्रय लेने से निर्गुणी भी गुणी हो जाता है।
1103 गुणों की सभी जगह पूजा होती है, न की बड़ी सम्पत्तियों की। क्या पूर्णिमा के चाँद को उसी प्रकार से नमन नहीं करते, जैसे दूज के चाँद को ?
1104 गुणों से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
1105 गुरु और देवता के पास भी खाली नहीं जाना चाहिए।
1106 गुरु, देवता और ब्राह्मण में भक्ति ही भूषण है।
1107 गुरुओं की आलोचना न करें।
1108 गुरुजनों की माता का स्थान सर्वोच्च होता है।
1109 गुरुत्वाकर्षण लोगो के प्यार में गिरने के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।
1110 गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुशी बिखेरता है। उसकी खुशबु ही उसका संदेश है।
1111 गुस्सा ज्यादा आता हैं तो सबसे पहले अपनी इस आदत में सुधार लाने की कोशिश करें क्योकिं कई बार थोड़ी परेशानी में भी बड़ी गलती कर बैठते हैं।
1112 गुस्से (temper) पर नियंत्रण रखे। 
1113 गुज़रता वक्त कभी वापस नहीं आता है।
1114 घमंड ऐसी चीज है जो फरिश्तों को राक्षस बना देती है और इंसानियत ऐसी चीज है जो इंसान को फ़रिश्ते का रूप देता है।
1115 घर आए अतिथि का  विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए।
1116 घर आनंद से युक्त हो, संतान बुद्धिमान हो, पत्नी मधुर वचन बोलने वाली हो, इच्छापूर्ति के लायक धन हो, पत्नी के प्रति प्रेमभाव हो, आज्ञाकारी सेवक हो, अतिथि का सत्कार और श्री शिव का पूजन प्रतिदिन हो, घर में मिष्ठान व शीतल जल मिला करे और महात्माओ का सत्संग प्रतिदिन मिला करे तो ऐसा गृहस्थाश्रम सभी आश्रमों से अधिक धन्य है। ऐसे घर का स्वामी अत्यंत सुखी और सौभाग्यशाली होता है।
1117 घर के सुखो अथवा परिवार में मोह रखने वाला कभी विधा प्राप्त नहीं कर सकता, मांस खाने वाले के मन में कभी दया का भाव नहीं उपज सकता, धन का लोभी कभी सत्यभाषण नहीं कर सकता, स्त्रियों में आसक्ति रखने वाला कामी पुरुष पवित्र सदाचारी नहीं रह सकता।
1118 घर-गृहस्थी में आसक्त व्यक्ति को विद्या नहीं आती। मांस खाने वाले को दया नहीं आती। धन के लालची को सच बोलना नहीं आता और स्त्री में आसक्त कामुक व्यक्ति में पवित्रता नहीं होती।
1119 घास का तिनका हल्का है। रुई उससे भी हल्की है। भिखारी तो अनंत गुना हल्का है। फिर हवा का झोंका उसे उड़ा के क्यों नहीं ले जाता। क्योंकि वह डरता है कहीं वह भीख न मांग ले।
1120 घृणा, घृणा से नहीं प्रेम से खत्म होती है, यह शाश्वत सत्य है।
1121 चंचल चित वाले के कार्य कभी समाप्त नहीं होते। 
1122 चंदन का कटा हुआ वृक्ष भी सुगंध नहीं छोड़ता, बूढ़ा होने पर भी गजराज क्रीड़ा नहीं छोड़ता, ईख कोल्हू में पीसने के बाद भी अपनी मिठास नहीं छोड़ती और कुलीन व्यक्ति दरिद्र होने पर भी सुशीलता आदि गुणों को नहीं छोड़ता।
1123 चतुरंगणी सेना (हाथी, घोड़े, रथ और पैदल) होने पर भी इन्द्रियों के वश में रहने वाला राजा नष्ट हो जाता है।
1124 चन्दन कट जाने पर भी अपनी महक नहीं छोड़ते। हाथी बुढा होने पर भी अपनी विलासलीला नहीं छोड़ता। गन्ना निचोड़े जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता। उसी प्रकार ऊँचे कुल में पैदा हुआ व्यक्ति अपने उन्नत गुणों(सुशीलता,उदारता तथा त्यागशीलता आदि) को नहीं छोड़ता भले ही उसे कितनी भी गरीबी में क्यों ना बसर करना पड़े।
1125 चन्द्रमा- जो अमृत का भण्डार हैं और औषधियों में रस डालने वाला होने से उनका अधिपति हैं और अत्यन्त चमकीला हैं परन्तु सूर्य के मण्डल में पहुंचते ही एकदम निस्तेज हो जाता हैं। अथार्त दुसरे के घर में जाने से व्यक्ति का बड़प्पन बना नहीं रहता अथार्त अपना प्रयोजन लेकर किसी के घर जानें में आदमी को संकोच से काम लेना चाहिए।
1126 चमचमाती हुई स्वर्ण से जड़ित अनुपयोगी ढाल से गोबर की उपायोगी टोकरी अधिक सुंदर है।
1127 चरित्र और किस्मत एक ही सिक्के की दो साइड की तरह है।
1128 चरित्र का उल्लंघन कदापि नहीं करना चाहिए।
1129 चरित्र का निर्माण तब नहीं शुरू होता जब बच्चा  पैदा होता है; ये बच्चे के पैदा होने के  सौ  साल पहले से शुरू हो जाता है.
1130 चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए।
1131 चरित्र को अनुनय का सबसे अधिक कारगर साधन कह सकते है।
1132 चरित्र को हम अपनी बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं। 
1133 चलते-चलते रास्ता भटक जाना निराशाजनक है, लेकिन लक्ष्य से भटक जाना तो अपराध है। 
1134 चलने का तरीका ठीक करे। चलने का तरीका आपके कई रहस्यों से पर्दा उठा सकता हैं क्योकि जब आप छाती को आगे करके गर्व चलते हैं, तब यह आपकी शक्ति का प्रदर्शन करता हैं लेकिन जब आगे की और झुक करके चलते हैं तब यह आपके एक हारे हुए व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित करता हैं।
1135 चलने-फिरने या कूदने से अच्छी एक्सरसाइज़ कोई नहीं है।  रोज़ कुछ वक़्त वॉक करने के लिए खुद को तैयार करे।
1136 चलिए जब भी एक दूसरे से मिलें मुस्कान के साथ मिलें, यही प्रेम की शुरुआत है।
1137 चलिए सुबह का पहला काम ये करें कि इस दिन के लिए संकल्प करें कि- मैं दुनिया में किसी से डरूंगा। नहीं.-मैं केवल भगवान से डरूं। मैं किसी के प्रति बुरा भाव ना रखूं। मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं। मैं असत्य को सत्य से जीतुं। और असत्य का विरोध करते हुए, मैं सभी कष्टों को सह सकूँ।
1138 चाहता तो हु की ये दुनिया बदल दूं .... पर दो वक़्त की रोटी के जुगाड़ में फुर्सत नहीं मिलती 
1139 चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते?
1140 चाहे आपमें कितनी भी योग्यता क्यों न हो, केवल एकाग्रचित्त होकर ही आप महान कार्य कर सकते हैं।
1141 चाहे जो हो जाये शादी कीजिये। अगर अच्छी पत्नी मिली तो आपकी ज़िन्दगी खुशहाल रहेगी, अगर बुरी पत्नी मिलेगी तो आप दार्शनिक बन जायेंगे।
1142 चाहे वो Google हो या Apple या फ्री सौफ्टवेयर, हमारे कुछ शानदार प्रतिस्पर्धी हैं जो हमें चौकन्ना रखते हैं।
1143 चाहे वो गूगल हो या एप्पल या फ्री सौफ्टवेयर, हमारे कुछ शानदार प्रतिस्पर्धी हैं जो हमें चौकन्ना रखते हैं।
1144 चिंता करने वाले व्यक्ति के मन में चिंता उत्पन्न होने के बाद की जो स्थिति होती है अर्थात उसकी जैसी बुद्धि हो जाती है, वैसी बुद्धि यदि पहले से ही रहे तो भला किसका भाग्योदय नहीं होगा।
1145 चिंता से अधिक कुछ और शरीर को  बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोडा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए।
1146 चीजो को समझने की कोशिश जितनी करोगे, डर उतना कम होगा
1147 चीज़ो को जानने और उन्हें पाने की ख्वाहिश ही मनुष्य को मनुष्य बनाती है।
1148 चीज़ों को अलग नज़रिए से देखना ही नई खोज करने जैसा है।
1149 चीज़ों को समझने का मतलब गलतियों को माफ़ करना होता है। 
1150 चुगलखोर व्यक्ति के सम्मुख कभी गोपनीय रहस्य न खोलें।
1151 चुगलखोर श्रोता के पुत्र और पत्नी उसे त्याग देते है।
1152 चुनाव के माध्यम से एक महान व्यक्ति खोजने से पहले एक ऊंट सुई की आंख से निकल जायेगा।            
1153 चूँकि हम सब भगवान के पुत्र है इसलिए हम हर उस चीज़ से बड़े है जो हममे हो सकती है।
1154 चोर और राजकर्मचारियों से धन की रक्षा करनी चाहिए।
1155 छः कानो में पड़ने से (तीसरे व्यक्ति को पता पड़ने से) मंत्रणा का भेद खुल जाता है। 
1156 छोटा काम करना या छोटी सोच वालो के साथरहने से कोई फायदा नहीं है। आप जिस तरह का जीवन व्यतीत कर सकते है , उससे कम स्तर की ज़िन्दगी जीना गलत है।
1157 छोटी कक्षा में अच्छी ट्रेनिंग मिलना ही पढ़ाई-लिखाई का सबसे अहम हिस्सा होता है।
1158 छोटी चीजों में वफादार रहिये क्योंकि इन्ही में आपकी शक्ति निहित है।
1159 छोटी चीज़ों से ही दिमाग को आराम मिलता है, क्योंकि छोटी बातें ही दिमाग और दिल को परेशान कर देती है। 
1160 छोटी छोटी बातो मे आनंद खोजना चाहिए क्योकि बङी बङी तो जीवन मे कुछ ही होती है।
1161 छोटी-छोटी चीज़े मिलकर महान बनाती है, लेकिन महानता कभी छोटी नहीं हो सकती।
1162 छोटे दिमाग वाले लोग सिर्फ एक्स्ट्राऑर्डिनरी यानी साधारण चीज़ों के बारे में सोचते है, जबकि महान लोग साधारण चीज़ों में से ही कुछ असाधारण ढूंढ निकालते हैं। 
1163 छोटे से अंकुश से इतने बड़े हाथी को साधना, छोटे से दीपक से इतने बड़े व्यापक अन्धकार का नष्ट होना तथा छोटे से वज्र से विशाल-उन्नत पर्वतो का टूटना इस सत्य का प्रमाण हैं कि तेज-ओज की ही विजय होती हैं, तेज में ही शक्ति रहती हैं मोटापे को बल का प्रतीक नहीं समझना चाहिए अथार्थ मोटे व्यक्ति को बलवान समझना भ्रान्ति हैं।
1164 छोटे-छोटे मन-मुटाव को जाने दीजिए, जिन्दगी छोटी हैं बेकार बातों को लेकर परेशान होने से कोई फायदा नहीं हैं।
1165 जंग के समय बेहतरीन स्पीच देने से कोई मतलब नहीं है, लेकिन गोली का निशाने पर लगना महत्वपूर्ण है।
1166 जंग न होने का मतलब सिर्फ शांति नही होता है। यह एक खूबी है, हमारी मानसिक स्थिति है। आत्मविश्वास और कानून भी यही है।
1167 जगत को जिस वस्तु की आवश्यकता होती है वह है चरित्र। संसार को ऐसे लोग चाहिए जिनका जीवन स्वार्थहीन ज्वलंत प्रेम का उदाहरण है। वह प्रेम एक -एक शब्द को वज्र के समान प्रतिभाशाली बना देगा।
1168 जनरलस सोचते हैं कि युद्ध मध्य युग की खेल-कूद प्रतियोगिताएं की तरह छेड़े जाने चाहिए। मुझे शूरवीरों का कोई काम नहीं है, मुझे क्रांतिकारी चाहियें। 
1169 जन्म देने वाला पिता, उपनयन संस्कार कराने वाला, विध्या देने वाला गुरु, अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला---- ये पांच 'पितर' माने जाते है।
1170 जन्म से अंधे को कुछ दिखाई नहीं देता, काम में आसक्त व्यक्ति को भला-बुरा कुछ सुझाई नहीं देता, मद से मतवाला बना प्राणी कुछ सोच नहीं पाता और अपनी जरूरत को सिद्ध करने वाला दोष नहीं देखा करता।
1171 जन्म, व्याधि, जरा और मृत्यु ये तो केवल अनुषांगिक है, जीवन में यह अनिवार्य है, इसिलिये यह एक स्वाभाविक घटना है।
1172 जन्म-मरण में दुःख ही है।
1173 जब  आपको  किसी  को  मारना  ही  है  तो  विनम्र  होने  में  क्या  जाता  है.
1174 जब  तक  मैं  जीवित  हूँ , तब  तक  मैं  सीखता  हूँ  . वह  व्यक्ति  या  वह  समाज  जिसके  पास  सीखने  को  कुछ  नहीं  है  वह  पहले  से  ही  मौत  के  जबड़े  में  है।
1175 जब  लोग  तुम्हे  गाली  दें  तो  तुम  उन्हें  आशीर्वाद  दो।  सोचो  , तुम्हारे  झूठे  दंभ  को  बाहर निकालकर  वो  तुम्हारी  कितनी  मदद  कर  रहे  हैं।
1176 जब आप उन लोगों को जिन्होंने आपको ठेस पहुंचाई हो, याद करके उनके भी भले की कामना कर पायें, वहीँ से क्षमा का प्रारंभ होता है।
1177 जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है। जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षता है।
1178 जब आप किसी को क्षमा करते हैं तो आप कभी बीते समय को नहीं बदलते लेकिन यकीकन आप भविष्य को बदल सकते हैं।
1179 जब आप किसी को प्यार करते है तो आपकी मुलाक़ात दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत व्यक्ति से होती है यानी खुद के साथ। 
1180 जब आप किसी चीज से संतुष्ट नहीं होते, तब आप उसे सीखने की ओर बढ़ते हैं।
1181 जब आप किसी लक्ष्य का सपना देखते हैं केवल तभी आप वो लक्ष्य पा सकते हैं।
1182 जब आप कुछ करना चाहते है तो उसे यह सोच कर करने का प्रयास करें की पूरी दुनिया आपको देख रही है।
1183 जब आप कुछ गँवा बैठते है तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गवाएं।
1184 जब आप कुछ नया सीखते है तो सबसे पहले लगता है जैसे आपने कुछ खो दिया हो।  बाद में कुछ मिलने का पता चलता हैं। 
1185 जब आप दिल से बोलने की हिम्मत करते है तो आपको किसी तैयारी की जरूरत नहीं होती।
1186 जब आप पैदा हुए थे तो आप रोए थे और दुनिया हंसी थी। जिंदगी में ऐसा काम करो कि जब आप दुनिया से जाओ तो आप हंसो और दुनिया रोए।
1187 जब आप बोरियत की तरफ ध्यान देना शुरू कर देंगे तो वह जरुरत से ज्यादा मनोरंजक बन जाएगी।
1188 जब आप माफ़ करते हैं तब आप भूत को नहीं बदलते हैं– लेकिन आप निश्चित रूप से भविष्य को   बदल देते हैं। 
1189 जब आप सभी संभावनाओं से थक गए हैं, तब याद रखिये – ये आपने नहीं किया है।
1190 जब आप समुद्री डांकू बन सकते है तो फिर नौसेना में जाने कि क्या ज़रुरत है?
1191 जब आपकी इच्छाएं मजबूत होंगी तो आपको लगेगा कि आपके अन्दर उन्हें पूरा करने की अलौकिक शक्ति आ गयी है।
1192 जब आपके हाथ में पैसा होता है तो केवल आप भूलते है की आप कौन है लेकिन जब आपके हाथ खाली होते है तो सम्पूर्ण संसार भूल जाता है की आप कौन है।
1193 जब आपको पता नहीं होता कि आगे क्या करना है, उस समय आपकी समझदारी और ज्ञान ही काम आते है।
1194 जब कभी कोई व्यक्ति कहता है कि वो ये  नहीं कर सकता है , तो असल में वो दो चीजें कह रहा होता है. या तो मुझे पता नहीं है कि ये कैसे होगा या मैं इसे करना नहीं चाहता।
1195 जब कभी बुरा वक़्त आए या किसी मुश्किल परिस्तिथि में फंस जाएँ तो दिल में किसी ख़ूबसूरत विचार के बारे में सोचिए।
1196 जब कभी संभव हो दयालु बने रहिये। यह हमेशा संभव है।
1197 जब कलयुग के समाप्त होने में दस हज़ार वर्ष शेष रह जाएगे तो भगवान भारत से बाहर चले जायेगे और पांच हज़ार वर्ष शेष रहने पर इस धरती पर गंगा का जल भी नहीं रहेगा तथा ढाई वर्ष पूर्व ग्रामदेवता भी ग्रामो से कूच कर जायेंगे, कहने का तात्पर्य हैं की जब अधर्म बढ़ जाता हैं तो अपने भी साथ छोड़ जाते हैं।
1198 जब किसी को किसी अन्य व्यक्ति का अमंगल करना हो तो उस व्यक्ति को सर्वदा मधुर और प्रिय व्यवहार करना चाहिए। उदाहरण के लिए मृग को मारने को मारने की इच्छा रखने वाल शिकारी उसे मोहित करने के लिए मधुर स्वर में बीन बजता हैं अथार्त मानव की वाणी में रस होना चाहिए, तभी वह अपनी इच्छा को पूर्ण कर सकता हैं और लाभ उठा सकता हैं।
1199 जब कुछ सेकण्ड की मुस्कराहट से तस्वीर अच्छी आ सकती है,तो हमेशा मुस्करा के जीने से जिन्दगी अच्छी क्यों नहीं हो सकती।
1200 जब कोई अकेले सफर करता है तो उसे ज्यादा जगह देखने का मौका मिलता है।