Wednesday, January 20, 2016

#1001-1100


1001 क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है।
1002 क्रोध में न हमें कुछ बोलना चाहिए, न कोई काम करना चाहिए।
1003 क्रोध यमराज की मूर्ति है, लालच वैतरणी नदी (नरक में बहने वाली नदी) है, विद्या कामधेनु गाय है और संतोष इंद्र के नंदन वन जैसा सुख देने वाला है।
1004 क्रोध से  भ्रम  पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.
1005 क्रोध से अविवेक उत्पन्न होता हैं, अविवेक से स्मरण शक्ति भ्रमित हो जाती हैं, स्मरण शक्ति के भ्रमित हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता हैं और बुद्दी के नाश से व्यक्ति का ही विनाश हो जाता हैं।
1006 क्लिफ के कोने पर खड़े होने का साहस रखिए, क्योंकि वहां खड़े होने से ऐसी चीज़ें देखने को मिलती है जिन्हें बीच में खड़े होकर नहीं देखा जा सकता है।  इसका अर्थ है- समस्याओं या परेशानियों को समझने के लिए अंदर तक उतरने की कोशिश करें। बाहर खड़े होने से सब ठीक-ठाक  ही लगेगा।
1007 क्षमा अशक्तों के लिए गुण है और समर्थवान के लिए भूषण है। 
1008 क्षमा एक ऐसा उपहार है जो हम स्वयं को देते हैं। 
1009 क्षमा एक ऐसा तोहफा है जो आप स्वयं को देते हैं।
1010 क्षमा एक विचित्र चीज है। यह ह्रदय को सुकून देती है और डंक को ठंडा करती है। 
1011 क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। 
1012 क्षमा करना कार्यवाही और स्वतंत्रता के लिए महत्त्वपूर्ण है। 
1013 क्षमा करना, एक मधुर प्रतिशोध है।
1014 क्षमा करने का मतलब है जो बीत गया उसे जाने देना। 
1015 क्षमा करने वाला अपने सारे काम आसानी से कर लेता है।
1016 क्षमा का दान सबसे बड़ा दान है। वास्तव में क्षमा का जीवन में क्या महत्व है ? क्षमा कौन कर सकता है ? क्षमा का क्या लाभ है ? क्षमा करने वाले को क्या प्राप्त होता है ? क्षमा न करने से क्या हानि होती है ? क्षमा किसे करना चाहिए और किसे नहीं ? इन सभी प्रश्नो का शास्त्र-सम्मत विश्लेषण किया है हमारे मनीषियों एवं विश्वविख्यात चिंतको ने। 
1017 क्षमा कोई प्रासंगिक कृत्य नहीं है। ये तो एक स्थायी प्रवृति है।
1018 क्षमा तेजस्वी पुरुषों का तेज है, क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है, क्षमा सत्यवादी पुरुषों का सत्य है। क्षमा यज्ञ है और क्षमा (मनोविग्रह) है। 
1019 क्षमा दंड से अधिक पुरुषोचित है। 
1020 क्षमा दंड से बड़ी है। दंड देता है मानव, किन्तु क्षमा प्राप्त होती है देवता से। दंड में उल्लास है पर शांति नहीं और क्षमा में शांति भी है और आनंद भी। 
1021 क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा क्षमा करने योग्य हो जाता है। 
1022 क्षमा पर मनुष्य का अधिकार है, वह पशु के पास नहीं मिलती। प्रतिहिंसा पाशव धर्म है। 
1023 क्षमा प्रतिशोध से बेहतर है, क्षमा करना विनम्र व्यवहार का सूचक है लेकिन प्रतिशोध असभ्य व्यवहार का सूचक है।
1024 क्षमा प्रेम का अंतिम रूप है। 
1025 क्षमा मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ तथा सर्वोच्च गुण है, क्षमा दंड देने के समान है। 
1026 क्षमा में जो महत्ता है, जो औदार्य है, वह क्रोध और प्रतिकार में कहाँ ? प्रतिहिंसा हिंसा पर ही आघात कर सकती है, उदारता पर नहीं। 
1027 क्षमा विश्वास की तरह है। आपको इसे जीवित रखना होता है। 
1028 क्षमा वीरों का गुण है .
1029 क्षमा वो इत्र है जिसे गुलाब मसले जाने के बाद एडी पर छोड़ देता है।
1030 क्षमा वो उपकार नहीं है जो हम दूसरों पर करते हैं। बल्कि ये उपकार हम अपने लिए करते हैं –क्षमा करो, भूल जाओ और आगे बड़ो।
1031 क्षमा वो खुशबू है जो फूल उन पैरों पर बिखेरता है जिसने उसे कुचल दिया हो। 
1032 क्षमा से बढ़कर और किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। 
1033 क्षमावानों के लिए यह लोक है। क्षमावानों के लिए ही परलोक है। क्षमाशील पुरुष इस जगत में सम्मान और परलोक में उत्तम गति पाते है। 
1034 क्षमाशील व्यक्ति का तप बढ़ता रहता है। 
1035 क्षमाशीलता आपके ह्रदय का अर्थ प्रबन्धन है...क्षमा क्रोध से होने वाले खर्चे को बचाता है.घृणा के मूल्य को कम करता है और उत्साह की फ़िज़ूलखर्ची से बचाता है.
1036 ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों.
1037 ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों।
1038 ख़ुशी परफ्यूम की तरह है।  जब तक इसे खुद पर नहीं छिड़केंगे, औरों को खुश नहीं कर सकते है।
1039 खाना-पीना, निंद्रा, दर, मैथुन- स्त्री-सम्भोग और संतान उत्पन्न करना अदि सभी क्रियाएं तो पशु और मनुष्यों में समान हैं, परन्तु मनुष्यों को पशुओ से अलग करने वाला गुण हैं- धर्म और नैतिकता।
1040 खाने पीने के पदार्थो का सुलभ होना और खाने-पीने की सामर्थ्य होना, भोग-विलास की शक्ति के साथ-साथ उसकी तृप्ति के लिए सुन्दर स्त्री का मिलना और धन-सम्पति के होने पर उसके उपभोग के साथ दान आदि की प्रवृति होना, ये बातें पूर्वजन्म के संयोग के कारण ही होती हैं।
1041 खाली बैठना दुनिया में सबसे थकाने वाला काम है क्योंकि सर्वस्व त्याग देना और आराम करना असंभव है।
1042 खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
1043 खुद  को  कमजोर  समझना  सबसे  बड़ा  पाप  है।
1044 खुद के लिए कुछ अच्छा करना और इसे खुद के अंदाज़ में करने के तरीके को तभी आज़ादी कहा जाएगा जब आप दूसरे लोगों को भी ऐसा ही करने का मौका दें।
1045 खुद को आगे ले जाते जाए। खुद को आगे बढ़ाते जाए। अपने जीवन में हर व्यक्ति हर तरह की गलती करता है। हर गलती के बाद आगे बढ़ते रहना बहुत जरूरी है।
1046 खुद को जानों यह इसलिए जरुरी हैं क्योकि एक बार खुद को जान लिया तो यह सीख जायेंगे कि खुद को आगे कैसे बढ़ाना हैं।
1047 खुद को परखते रहे। जब आप किसी गम्भीर मामले में गलती करते है तब खुद को उस आधार पर परखे, जिस पर आप दूसरों को परखते हैं।
1048 खुद को बदलने का संकल्प लें
1049 खुद को भीतर से खुबसूरत बनाये और प्राथना करे कि आप बाहर और भीतर से एक जैसे रहे।
1050 खुद जल्दी सीखते है बच्चे. जल्दबाजी करना ठीक नहीं।
1051 खुद पर भरोसा रखे अपना काम ठीक से करें, अच्छी आदतों को अपनाएं साथ ही अपनी छिपी हुई प्रतिभा का विकास भी करें फिर अपने व्यक्तित्व के दुसरे पहलु की खोज करें, उसके बाद आप पायंगे की आपको खुद पर भरोसा होने लगा हैं और यह आपको अपने लक्ष्य की और बढ़ने में मदद करेगा।
1052 खुद पर भरोसा रखें। 
1053 खुद पर भरोसा ही सबसे सर्वश्रेष्ठ और सबसे सुरक्षित रास्ता है।
1054 खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
1055 खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं।
1056 खुबसूरत तरह से गुजारी जाने वाली जिंदगी लम्बी ही गुजरती हैं
1057 खुश रहना एक विशेषता है, न कि ईनाम।
1058 खुश रहना बहुत सरल है …लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है। 
1059 खुश रहना शरीर के लिए जरूरी है। लेकिन नई चीज़ों को जानंने की तड़प होने से दिमाग का विकास होता है। खुशी मिलती है।  
1060 खुश रहने का सीधा सा मंत्र. उम्मीद अपने आप से रखो किसी और से नहीं।...ज़िंदगी में कितने भी आगे निकल जाएँ,  फिर भी सैकड़ों लोगों से पीछे रहेंगे। ज़िंदगी में कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे होगें। ईसीलिए आप अपनी जगह का लुत्फ़ उठाएँ, बाक़ी आगे पीछे तो दुनिया में चलता रहेंगा।!!!
1061 खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो ।
1062 खुश हूं और सबको खुश रखता हुँ लापरवाह हुँ फिर भी सबकी परवाह करता हुँ मालुम है कोई मोल नही मेंरा फिर भी अनमोल लोगो से रिस्ता रखता हुँ
1063 खुशियां और उदासी इस बात पर निर्भर करती है कि जिन चीज़ो से हमारा जुड़ाव है या जिन चीज़ो को हम पसंद करते है, उनकी असली कीमत क्या है।
1064 खुशियां बड़ा काम नहीं करती है।  लेकिन वे उदासी को करीब नहीं आने देती है। 
1065 खुशी और ग़म का अनुभव करने से बहुत पहले ही हम इनका चुनाव कर चुके होते है।
1066 खुशी हम पर निर्भर करती है।
1067 खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...
1068 खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते। लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते है।
1069 खूबसूरत लोगो में और युवाओ में समझदारी होती है, लेकिन उनमे समझदारी काफी कम होती है।
1070 खूबसूरत हाथ वे होते हैं जोकि अपना काम ईमानदारी, बहादुरी और सच्चाई के साथ करते हैं – हरेक पल, दिन भर।
1071 खेद है की टेक्नोलॉजी में विकास की रफ़्तार, लोगों में बुद्धिमानी बढ़ाने की रफ़्तार से भी ज्यादा तेज है।
1072 खेल में हम सदा ईमानदारी का पल्ला पकड़कर चलते है, पर अफ़सोस है कि कर्म में हम इस ओर ध्यान तक नहीं देते। 
1073 खेलना, किस्मत के साथ प्रयोग करना है।
1074 खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...
1075 खोज का मतलब नई चीज़ों की तलाश करना नहीं होता, लेकिन आस-पास की चीज़ों को अलग नज़रिए से देखना भी है। 
1076 खड़े हो जाओ, हिम्मतवान बनो, ताकतवर बन जाओ, सब जवाबदारिया अपने सिर पर ओढ़ लो, और समझो की अपने नसीब के रचियता आप खुद हो।
1077 गंदे वस्त्र धारण करने वाले, दांतो पर मैल जमाए रखने वाले, अत्यधिक भोजन करने वाले, कठोर वचन बोलने वाले, सूर्योदय से सूर्यास्त तक सोने वाले, चाहे वह साक्षात विष्णु ही क्यों न हो, लक्ष्मी त्याग देती है।
1078 गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं
1079 गधे से ये तीन बाते सीखे 1.अपने लक्ष्य की प्राप्ति और सिद्धि के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए 2.फल की चिंता न करें 3.सदा संतुष्ट रहे।
1080 गन्ना और गन्ने का रस, पानी, दूध, जड़ी-बूटी, पान, फल तथा औषध आदि का सेवन करने के उपरान्त भी संध्यापुजन, दान-तर्पण आदि नित्यकर्म किये जा सकते हैं।
1081 गन्ना, तिल, क्षुद्र(मुर्ख व्यक्ति), स्त्री, सोना, धरती, चन्दन, दही और पान को जितना अधिक मसला जाये, उतने ही उनके गुणों में वृदि होती हैं।
1082 गरीबी आपको उदास करती है, तो यह बुद्धिमान भी मनाती है।
1083 गरीबी क्रांति और अपराध की जनक है।
1084 गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।
1085 गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किये  गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में।
1086 गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं।
1087 गलत कार्यों में लगने वाले  व्यक्ति को  शास्त्रज्ञान ही रोक पाते है।
1088 गलत चीजो पर विश्वास हैं तो उनको खुद से अलग कर दीजिए।  हर कुछ समय के बाद रुकिए और खुद से पूछिए कि सच क्या हैं?
1089 गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
1090 गलती करने का कारण समझना ही उन्नति की राह में आगे बढ़ने जैसा है।
1091 गलतीयां हमेशा क्षम्य होती हैं, यदि व्यक्ति में उन्हें स्वीकार करने का साहस हो। 
1092 गाय के पीछे चलते बछड़े के समान सुख-दुःख भी आदमी के साथ जीवन भर चलते है।
1093 गाय के स्वभाव को जानने वाला ही दूध का उपभोग करता है।
1094 गुण भी उसी व्यक्ति को फलीभूत होते हैं जो गुणी अर्थात विवेकी होते हैं। क्योकि उसी व्यक्ति में गुणों को अपनी सार्थकता नज़र आती हैं उदाहरण के लिए सोने में जड़ा हुआ रत्न ही शोभा प्राप्त करता हैं।
1095 गुण से रूप की शोभा होती है, शील से कुल की शोभा होती है, सिद्धि से विद्या की शोभा होती है और भोग से धन की शोभा होती है।
1096 गुणवत्ता  का मापदंड बनिए। कुछ लोग ऐसे वातावरण के आदि नहीं होते जहाँ उत्कृष्टता की उम्मीद की जाती है। 
1097 गुणवत्ता प्रचुरता से अधिक महत्वपूर्ण है।  एक छक्का दो-दो रन बनाने से कहीं बेहतर है। 
1098 गुणहीन पुरुष की सुन्दरता, दुराचारी पुरुष का उच्चकुल में उत्पन्न होना, आजीविका सुलभ न कराने वाली विधा और उपभोग में न आने वाला धन व्यर्थ ही हैं इनकी न कोई उपयोगिता हैं और न इनका कोई महत्व ही हैं।
1099 गुणहीन व्यक्ति की सुंदरता व्यर्थ है, दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति का कुल नष्ट होने योग्य है, यदि लक्ष्य की सिद्धि न हो तो विद्या व्यर्थ है, जिस धन का सदुपयोग न हो, वह धन व्यर्थ है।
1100 गुणी पुत्र माता-पिता की दुर्गति नहीं होने देता।

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