Monday, January 18, 2016

#801-900


801 काम को ठीक से समझने के बाद ही उसे करने के लिए आगे आएं।  काम शुरू करने के बाद उसे पूरा न कार पाना या बहाने बनाने से आपका ही अपमान होगा।  कुछ करने से पहले दस बार सोचें।
802 काम छोटा हो या बड़ा, उसे एक बार हाथ में लेने के बाद छोड़ना नहीं चाहिए। उसे पूरी लगन और सामर्थ्य के साथ करना चाहिए।  जैसे सिंह पकड़े हुए शिकार को कदापि नहीं छोड़ता। सिंह का यह एक गुण अवश्य लेना चाहिए।
803 काम में कमियाँ निकालने वालों पर ज्यादा ध्यान दें।
804 काम-वासना के समान दूसरा रोग नही, मोह के समान शत्रु नहीं, क्रोध के समान आग नहीं और ज्ञान से बढ़कर सुख नहीं।
805 काम-विषय-चिंतन, क्रोध (अभीष्ट प्राप्ति न होने पर आपने से बहार होना ), लोभ (धन प्राप्ति की तृष्णा), स्वाद(जिव्हा को प्रिय लगने वाले पदार्थो का सेवन), श्रंगार (सजना-धजना), कौतुक (खेल-तमाशे, सिनेमा, टीवी आदि देखना), अतिनिद्रा (बहुत अधिक सोना) और अतिसेवा किसी दुसरे की बहुत अधिक चाकरी करना इन आठ में से एक दुर्गुण भी उसे अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचने देगा।
806 कामनाएं समुद्र की भांति अतृप्त है, पूर्ति का प्रयास करने पर उनका कोलाहल और बढ़ता है।
807 कामयाब और सफल लोगों में हमसे कुछ खास अलग नहीं होता, अलग होता है तो बस उनके काम करने का तरीका और खुद को समय के हिसाब से बदलने की आदत ये ही Secrets of success, सफल लोग अपने अंदर कुछ सकारात्मक बदलाव (Positive attitude) करते हैं जो न सिर्फ उन्हें भीड़ से अलग करते हैं बल्कि सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाते हैं।
808 कामयाबी  और  नाकामयाबी  दोनों  ज़िन्दगी  के  हिस्से  है. दोनों   ही  स्थायी  नहीं  हैं .
809 कामी पुरुष कोई कार्य नहीं कर सकता।
810 कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।
811 कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना।
812 कार्य असफल नहीं होता, उसकी गलत दिशा सफल हो जाती है 
813 कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।
814 कार्य करते समय शत्रु का साथ नहीं करना चाहिए।
815 कार्य करने वाले के लिए उपाय सहायक होता है।
816 कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है।
817 कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता।
818 कार्य की सिद्धि के लिए उदारता नहीं बरतनी चाहिए।
819 कार्य के अनुरूप प्रयत्न करें।
820 कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।
821 कार्य के लक्षण ही सफलता-असफलता के संकेत दे देते है।
822 कार्य में प्रार्थना प्यार है, कार्य में प्यार सेवा है।
823 कार्य-अकार्य के तत्वदर्शी ही मंत्री होने चाहिए।
824 कार्य-सिद्धि के लिए हस्त-कौशल का उपयोग  करना चाहिए।
825 कार्यवाही बुद्धिमत्ता का असल मापदंड है।
826 काल (समय, मृत्यु) ही पंच भूतो (पृथ्वी,जल, वायु, अग्नि, आकाश) को पचाता है और सब प्राणियों का संहार भी काल ही करता है। संसार में प्रलय हो जाने पर वह सुप्तावस्था अर्थात स्वप्नवत रहता है। काल की सीमा को निश्चय ही कोई भी लांघ नहीं सकता।
827 काला रंग भावनात्मक रूप से बुरा होता है परन्तु हर ब्लैक बोर्ड विद्ध्यार्थियों की जिंदगी रौशन करता है।
828 काव्य इतिहास से ज्यादा सत्य के नज़दीक है। 
829 काव्य शब्दकोष के छीटों के साथ ख़ुशी , दर्द और आश्चर्य का सौदा है।
830 कितना भाग्यापूर्ण है उन सरकारों के लिए कि जिन लोगों पर वो शासन करते हैं वे सोचते नहीं। 
831 कितने दूर निकल गए, रिश्तो को निभाते निभाते.. खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते पाते..
832 कितने सही रूप से क़ानून अपराध को खत्म कर सकता है ? बहुत तेजी से कारवाई करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। नियम कुछ ऐसे हो की उन्हें पकड़ो और सजा दो। 
833 किसकी को हराना बहुत आसान है लेकिन किसी को जितना बहुत आसान है।
834 किसी  चीज  से  डरो मत।  तुम  अद्भुत  काम  करोगे।  यह  निर्भयता  ही  है  जो   क्षण  भर  में  परम  आनंद  लाती  है।
835 किसी  दिन  , जब  आपके  सामने  कोई   समस्या  ना  आये  – आप  सुनिश्चित  हो  सकते  हैं  कि  आप  गलत  मार्ग  पर  चल  रहे  हैं।
836 किसी  वृक्ष  को  काटने  के  लिए  आप  मुझे  छ:  घंटे  दीजिये  और  मैं  पहले  चार  घंटे  कुल्हाड़ी  की  धार  तेज  करने  में  लगाऊंगा।
837 किसी अंतिम निर्णय का इंतज़ार न करिए, क्योंकि हर दिन नए निर्णय आते है।
838 किसी अच्छे कार्य को बार-बार करने से किसी का कोई नुकसान नहीं होता है।
839 किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
840 किसी आदमी का असली चरित्र तब सामने आता है जब वो नशे में होता है।
841 किसी एक व्यक्ति को त्यागने से यदि कुल की रक्षा होती हो तो उस एक को छोड़ देना चाहिए। पूरे गांव की भलाई के लिए कुल को तथा देश की भलाई के लिए गांव को और अपने आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए सारी पृथ्वी को छोड़ देना चाहिए।
842 किसी काम को आप बीच में ही छोड़ देते है या आधा ही करते है तो आप अन्धो की दुनिया में काने राजा की तरह है।
843 किसी काम को करने का हुनर आप में नहीं है और आप इस बात की तरफ प्रेरित है तो कोई फायदा नहीं होगा।
844 किसी काम को करने के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचना अक्सर उसके बिगड़ जाने का कारण बनता है।
845 किसी काम को करने से अगर आपको ख़ुशी का एहसास होता है तो आपका काम ठीक है। लेकिन किसी काम को करने में दर्द मिलता है तो आप निश्चित ही कुछ गलत कर रहे है।
846 किसी कारण वश खुश होना एक दूसरे तरह का दुःख है क्योंकि कारण कभी भी हमसे छीना जा सकता है.
847 किसी कार्य को करने के लिए जो प्रिंसिपल बनाए गए है, अगर आप उन्हें सच समझ रहे है तो  मतलब है कि आप कभी उस काम को प्रैक्टिकल रूप देने का प्रयास नही करेंगे।
848 किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिये। 
849 किसी कार्यारंभ के समय को विद्वान और अनुभवी लोगों से पूछना चाहिए।
850 किसी की  संगत से आप के विचार शुद्ध होने लगें....  तो समझ लेना  वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है
851 किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर, 'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर....
852 किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
853 किसी की बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस 'मक्खी' की तरह है जो सारे खूबसूरत जिस्म कोछोडकर केवल जख्म पर ही बैठती है।
854 किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जिओ और दुसरो को भी जीने दो।
855 किसी के जीवन में उजाला लाओ।
856 किसी के साथ नफरत करना नर्क के द्वार पर खड़े होने जैसा है। यह बात उन लोगो के लिए सटीक है जो अपने दिल में किसी बात को छिपाते है और दूसरा व्यक्ति सबके सामने बोल देता है।
857 किसी को इतनी आज़ादी न दें की वह आपसे ऐसा कोई काम करवा ले या कुछ बोलने को मजबूर कर दें जो आपके लिए अच्छा नहीं है।
858 किसी को क्षमा करना या किसी से क्षमा पा लेने का अवर्णनीय आनंद एक ऐसा हर्षोन्माद विकसित करता है जो कि ईश्वर के प्रति ईर्ष्या को भी जगा सकता है।
859 किसी को क्षमा करने से इनकार करना खुद विश पीकर दुसरे के मरने का इंतज़ार करने जैसा है।
860 किसी को धोका न दे क्योकि ये आदत बन जाती है और आदत से व्यक्तित्व।
861 किसी को हरा देना बेहद आसान है, लेकन किसी को जीतना बेहद मुश्किल।
862 किसी चीज को पसंद या नापसंद करने से पहले उसे सही तरीके से समझना जरुरी हैं।
863 किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।
864 किसी चीज़ की गहराई को तभी समझ पाएंगे जब आपके पास पूरी आज़ादी हो।
865 किसी चीज़ को कितनी भी बारीकी से काटिए, उसके दो टुकड़े होते ही है।
866 किसी चीज़ को महत्तवपूर्ण होने के लिए दुनिया को बदलने की जरुरत नहीं है।
867 किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से  ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है।
868 किसी झूठ को ज्यादा बार बताया जाये तो वह सच्चाई का रूप धारण कर लेता है।
869 किसी डिग्री का ना होने दरअसल फायेदेमंद है. अगर आप इंजिनियर या डाक्टर हैं तब आप एक ही काम कर सकते हैं.पर यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है , तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
870 किसी देश का नाश केवल जूनून के तूफ़ान से रोका जा सकता है, लेकिन केवल वो जो खुद जुनूनी होते हैं दूसरों में जूनून पैदा कर सकते हैं।
871 किसी देश को जितने के लिए सबसे पहले उसके नागरिकों को काबू में करो।
872 किसी दोस्त के लिए मर मिटना मुश्किल नहीं है, लेकिन ऐसे दोस्त की तलाश करना जिसके लिए आप वाकई मरना चाहेंगे, यह मुश्किल है।
873 किसी निन्दनीय कुकर्म के करने के उपरान्त पछताने वाले मनुष्य की जैसी निर्मल बुद्धि होती हैं, यदि वह निर्मल बुद्धि कुकर्म करने से पहले रहती तो मनुष्य का कल्याण कैसे न हो जाता? फिर उसको पश्चाताप करने की आवश्कता न पड़ती।
874 किसी नेता की प्रतीक्षा मत करो, अकेले करो, व्यक्ति से व्यक्ति द्वारा।
875 किसी प्रदेश में न रहना अच्छा हैं किन्तु किसी दुष्ट राजा के राज्य में रहना अच्छा नहीं हैं दुष्ट मित्रो की अपेक्षा कोई मित्र न होना अच्छा हैं। दुष्ट शिष्यों की अपेक्षा कोई शिष्य न होना अच्छा हैं, इसी प्रकार बुरी स्त्री के बजाय बिना स्त्री के रहना अच्छा हैं।
876 किसी प्रशन को समझ लेना आधा उत्तर है।
877 किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।
878 किसी बात की साधना अथवा तप अकेले और एकांत स्थान में ही किया जा सकता हैं पढाई दो व्यक्तियों के बीच ;दो से अधिक होंगे तो बाते होंगी, पढाई नहीं होगी गाने के अभ्यास के लिए तीन की संख्या पर्याप्त हैं यात्रा के लिए चार की संख्या अपेक्षित हैं, क्योंकि 2-2 का मेल हो जायेगा तो यात्रा अच्छी तरह से कट जाएगी खेत बोने के लिए पांच व्यक्तियों की आवश्कता होती हैं और युद्ध के लिए बहुत से लोगो की आवश्कता होती हैं।
879 किसी भी इंसान को अपनों श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए हर   साल में अपनी रणनीति बदल लेनी चाहिए। 
880 किसी भी काम को लेकर इतना संकोच और डर न रखे। ज़िंदगी एक प्रयोग है। जितने ज्यादा प्रयोग करेंगे, उतने बेहतर होते जाएंगे।
881 किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब न करें। 
882 किसी भी जगह हो रहा अन्याय हर स्थान पर न्याय के लिए खतरा है।
883 किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है।
884 किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया.
885 किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया।
886 किसी भी नींव का सबसे मजबूत पत्थर सबसे निचला ही होता है।
887 किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन आसान नहीं है। फिर क्या किया जाए? इससे बाहर निकलने का एक ही रास्ता है, खुद पर विश्वास रखिए। हर व्यक्ति को सोचना चाहिए कि भगवान ने उन्हें कोई न कोई खास तोहफा दिया है और उस तोहफे को बनाए रखना है।
888 किसी भी व्यक्ति को उसके और अपने विचार में नीचा दिखाए बिना क्षमा कर देना, एक बहुत ही संवेदनशील कार्य है।
889 किसी भी शिक्षक के लिए कमांड या नियंत्रण करना, पढ़ाने से ज्यादा जरूरी होता है।
890 किसी भी स्थिति में पैसे से अच्छे गुण हासिल नहीं कियें जा सकते हैं, लेकिन अच्छे गुणों से पैसा जरुर कमाया जा सकता हैं।
891 किसी मकसद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह, गिरो तो बीज की तरह। ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए जंग कर सको।
892 किसी मनुष्य का स्वभाव ही उसे विश्वसनीय बनाता है, न कि उसकी सम्पत्ति।      
893 किसी मूर्ख व्यक्ति की पहचान उसके वाचालता से होती है, तथा बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान उसके मौन रहने से होती है।
894 किसी योग्य व्यक्ति को निम्न स्थान पर और अयोग्य व्यक्ति को उच्च पद पर रख देने से उनके मूल्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो जाता, अपितु उससे गलत स्थान पर रखने वाले व्यक्ति की ही निन्दा होती हैं।
895 किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है।
896 किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी शत्रु का साथ न करें।
897 किसी विचार का मूल्य केवल उसके उपयोग में निहित है।
898 किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।
899 किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है।
900 किसी व्यक्ति के दिल और दिमाग को समझने के लिए यह न देखिए की वह क्या हासिल कर चूका है। इस बात की तरफ ध्यान दीजिए की वह क्या हासिल करने की ख्वाहिश रख रहा है।

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