Tuesday, March 29, 2016

#2201-2300



2201 बन्दूक या बम की तुलना में आइडिया सबसे ज्यादा ताकतवर है। अगर हम चाहते है कि हमारे दुश्मन के पास बन्दूक या हथियार न हो तो हमे यह क्यों चाहते है कि उनके पास अच्छा आइडिया हो।
2202 बर्तन में रखा पानी चमकता है; समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता है, महान सत्य मौन रहता है।
2203 बर्बाद करना(waste), नुकसान(loss) से भी बदतर है, नुकसान मतलब आपने प्रयास तो किया समय आने पर जब व्यक्ति अपनी क्षमता का दावा रखेगा, तो समय उससे बर्बादी(waste) करने के सवाल रखेगा, बचत की गुंजाइश असीम है।
2204 बल प्रयोग के स्थान पर क्षमा करना अधिक प्रशंसनीय होता है।
2205 बलवान से युद्ध करना हाथियों से पैदल सेना को लड़ाने के समान है।
2206 बस  वही  जीते  हैं ,जो  दूसरों  के  लिए  जीते  हैं।
2207 बस इसलिए कि कोई वस्तु वो काम नहीं करती, जिस काम के लिए आपने उसे बनाया था, इसका ये मतलब कतई नहीं कि वो बेकार है।
2208 बहुत आगे देखना गलत है। एक बार में नियति की श्रृंखला की एक कड़ी से ही निपटा जा सकता है।
2209 बहुत ज्यादा पैदल चलना मनुष्यों को बुढ़ापा ला देता है, घोड़ो को एक ही स्थान पर बांधे रखना और स्त्रियों के साथ पुरुष का समागम न होना और वस्त्रों को लगातार धुप में डाले रखने से बुढ़ापा आ जाता है।
2210 बहुत बार लोग अलग-अलग परिस्थितियों में फंस जाते है और उनके पास कोई जवाब नहीं होता है।
2211 बहुत बार लोगों को लगता है की दुनिया में कई चीज़ें चल रही है या कुछ ऐसा हो रहा है जो उनकी समझ से बाहर है।
2212 बहुत बड़ा कनेर का वृक्ष भी मूसली बनाने के काम नहीं आता।
2213 बहुत बड़ी आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा पैदा होते ही जो मर गया, वह अच्छा है क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए ही कष्ट देता है, परन्तु मूर्ख पुत्र जीवनभर जलाता है।
2214 बहुत भोजन करने की शक्ति रखने पर भी थोड़े भोजन से ही संतुष्ट हो जाए, अच्छी नींद सोए, परन्तु जरा-से खटके पर ही जाग जाए, अपने रक्षक से प्रेम करे और शूरता दिखाए, इन छः गुणों को कुत्ते से सीखना चाहिए।
2215 बहुत मुश्किल हैं मैं नहीं कर पाऊंगा इसे- Leave this attitude
2216 बहुत समय से पानी से भरे हुए तालाब को सड़ांध, दुर्गन्ध और कीचड से बचाने के लिए आवश्यक हैं कि उसके पानी को बदला जाए इसी प्रकार बहुत यत्न से जोड़े हुए धन को भी दान देने से ही बचाया जा सकता हैं।
2217 बहुत सारे लोग आपके साथ शानदार गाड़ियों में घूमना चाहते हैं, पर आप चाहते हैं की कोई ऐसा हो जो गाड़ी खराब हो जाने पर आपके साथ बस में जाने को तैयार रहे.
2218 बहुत से गुणों को एक ही दोष ग्रस लेता है।
2219 बहुत-सी स्त्रियाँ पुरुषों के मन को मोह लेती हैं। परंतु बिरली ही स्त्रियाँ हैं जो अपने वश में रख सकती हैं।
2220 बहुमत का विरोध करने वाले एक व्यक्ति का अनुगमन नहीं करना चाहिए।
2221 बादल के जल के समान दूसरा जल नहीं है, आत्मबल के समान दूसरा बल नहीं है, अपनी आँखों के समान दूसरा प्रकाश नहीं है और अन्न के समान दूसरा प्रिय पदार्थ नहीं है।
2222 बादलो से बरसते हुए जल के समान कोई दूसरा स्वच्छ पानी नहीं होता, आत्मबल के समान कोई दूसरा बल नहीं होता, आँखों की ज्योति के समान कोई दूसरा उत्कृष्ट प्रकाश नहीं होता तथा अन्न के समान कोई दूसरा कोई भोज्य पदार्थ रुचिकर नहीं हो सकता।
2223 बार बार असफल होने पर भी उत्साह न खोने में ही सफलता है।
2224 बार-बार अभ्यास न करने से विध्या विष बन जाती है। बिना पचा भोजन विष बन जाता है, दरिद्र के लिए स्वजनों की सभा या साथ और वृद्धो के लिए युवा स्त्री विष के समान होती है।
2225 बारात मे दुल्हे सबसे पीछे और दुनिया  आगे चलती है, मय्यत मे जनाजा आगे और दुनिया पीछे चलती है..  यानि दुनिया खुशी मे आगे और दुख मे पीछे हो जाती है..!
2226 बारिश की दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही अवॉयड कर देते है। समस्याए कॉमन है, लेकिन आपका एटीट्यूड इनमे डिफरेंस पैदा करता है।
2227 बावड़ी, कूप तलब बैग और देव मंदिरों को तोड़ने –फोड़ने में संकोच न करने वाला ब्राह्मण अपने निक्रस्त कर्मो के कारण म्लेच्छ कहलाता हैं।
2228 बाहरी  स्वभाव  केवल  अंदरूनी   स्वभाव  का  बड़ा  रूप  है।
2229 बाहरी दुनिया के बारें में ज्ञान की शुरुआत इसी से होती है कि आप जरूरी चीजों को इस्तेमाल करने का तरीका समझ ले, लेकिन इसके साथ ही खुद को समझने की प्रक्रिया रुक जाती है।
2230 बाहरी सुंदरता से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। यह हमेशा नहीं रहती है।
2231 बिंदी 1 रुपये की आती है व ललाट पर लगायी जाती है। पायल की कीमत हजारों में आती है पर पैरों में पहनी जाती है। इन्सान आदरणीय अपने कर्म से होता है, 
2232 बिना  जोखिम  कुछ  नहीं  मिलता . और  जोखिम  वही  उठाते  हैं  जो  साहसी  होते  हैं .
2233 बिना अधिकार के किसी के घर में प्रवेश न करें।
2234 बिना उपाय के किए गए कार्य प्रयत्न करने पर भी बचाए नहीं जा सकते, नष्ट हो जाते है।
2235 बिना किसी स्वार्थ के काम करने वाले आदमी, वास्तव में खुद के लिए हमेशा अच्छा करता है।
2236 बिना कुछ करे कल्पना का कोई  मतलब नहीं है।
2237 बिना कोई स्पष्ट सवाल पूंछे "हाँ" में जवाब मिलने को ही लुभाना कहते है।
2238 बिना क्रिया के ज्ञान व्यर्थ है, ज्ञानहीन मनुष्य मृतक के समान है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है और पति के बिना स्त्रियां पतित हो जाती है, अर्थात पति के बिना उनका जीवन व्यर्थ है।
2239 बिना क्षमा के कोई प्रेम नहीं है, और बिना प्रेम के कोई क्षमा नहीं है। 
2240 बिना क्षमा के कोई भविष्य नहीं है। 
2241 बिना जोते हुए स्थान के फल,   अर्थात ईश्वर की कृपा से प्राप्त हर भोजन से संतुष्ट होने वाला, निरन्तर वन से प्रेम रखने वाला और प्रतिदिन श्राद्ध करने वाला ब्राह्मण ऋषि कहलाता है।
2242 बिना तराशा हुआ पत्थर महान कलाकार की हर सोच को स्वरुप दे सकता है। 
2243 बिना दिल को शिक्षित किए दिमाग को शिक्षित करना, वास्तव में शिक्षा नहीं है।
2244 बिना न्याय के ज्ञान को बुद्धिमानी नहीं चालाकी कहा जाना चाहिए।
2245 बिना पागलपन के स्पर्श के किसी भी महान दिमाग का अस्तित्व नहीं होता है।
2246 बिना प्रयत्न किए धन प्राप्ति की इच्छा करना बालू  में से तेल निकालने के समान है।  
2247 बिना प्रयत्न के जहां जल उपलब्ध हो, वही कृषि करनी चाहिए।
2248 बिना प्रयास के कभी सफलता नहीं मिलती और सच्चा प्रयास कभी असफल नहीं होता।
2249 बिना प्रेम के कार्य करना दासता है।
2250 बिना राज्य के रहना उत्तम है, परन्तु दुष्ट राजा के रहना अच्छा नहीं है। बिना मित्र के रहना अच्छा है, किन्तु दुष्ट मित्र के साथ रहना उचित नहीं है। बिना शिष्य के रहना ठीक है, परन्तु नीच शिष्य को ग्रहण करना ठीक नहीं है। बिना स्त्री के रहना उचित है, किन्तु दुष्ट और कुल्टा स्त्री के साथ रहना उचित नहीं है।
2251 बिना विचार कार्ये करने वालो को भाग्यलक्ष्मी त्याग देती है।
2252 बिना विचार के खर्च करने वाला, अकेले रहकर झगड़ा करने वाला और सभी जगह व्याकुल रहने वाला मनुष्य शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।
2253 बिना सत्य बोले तो भगवान को प्राप्त ही नहीं किया जा सकता, क्योकि सत्य ही भगवान हैं।
2254 बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है।
2255 बीज के ह्रदय में प्रतीक्षा करता हुआ विश्वास जीवन में एक महान आश्चर्य का वादा करता है, जिसे वह उसी समय सिद्ध नहीं कर सकता।
2256 बीता हुआ कल आज की स्मृति है , और आने वाला कल आज का स्वप्न है।
2257 बीते हुए कल से सीखना, आज में जीना, कल के लिए आशा रखना। सबसे महत्तवपूर्ण चीज़ है, प्रशन पूंछना बंद मत करना।
2258 बीते हुए का शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य में जो कुछ होने वाला है, उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। आए हुए समय को देखकर ही विद्वान लोग किसी कार्य में लगते है।
2259 बीते हुए वक़्त पर नियंत्रण है तो ही आने वाले समय पर नियंत्रण रहेगा।
2260 बीमारी खरगोश की तरह आती है और कछुए की तरह जाती है जबकि पैसा कछुए की तरह आता है और खरगोश की तरह जाता है!
2261 बीमारी में, विपत्तिकाल में,अकाल के समय, दुश्मनो से दुःख पाने या आक्रमण होने पर, राजदरबार में और श्मशान-भूमि में जो साथ रहता है, वही सच्चा भाई अथवा बंधु है।
2262 बुद्दिमान व्यक्तियों को चाहिए की वे अपने पुत्रो को चरित्र निर्माण करने वाले कार्यो में लगाएं, क्योकि नीति को समझने वाले, श्रदालु तथा शील सवभाव वाले व्यक्ति ही विश्व में पूज्य समझे जाते हैं।
2263 बुद्धि आश्चर्ये में शुरू होती है।
2264 बुद्धि कभी किसी से मिल नहीं सकती, न ही आप इसे किसी से ले सकते हैं। यह ऐसा सफर है जिस पर आपको खुद और अकेले ही चलना पड़ता है। 
2265 बुद्धि का सही संकेत ज्ञान नहीं बल्कि कल्पनाशीलता है।
2266 बुद्धिजीवी व्यक्ति का दिमाग हर वक़्त खुद के दिमाग की तरफ ध्यान देता है।
2267 बुद्धिमता का अर्थ कोई गलती न करना नहीं है, बल्कि आप कितनी जल्दी गलती को सुधारते है, वह बुद्धिमता है।
2268 बुद्धिमान  पुरूष  को बगुले  से एक  गुण सीखना चाहिए  कि  अपनी  सारी इन्द्रियो( चितवृतियो) को नियन्त्रण  मे करके  तथा स्थान  , समय और अपनी शक्ति  का  अनुमान  लगाकर  कार्यसिद्धि मे जुट जाना चाहिए ।अर्थात  एकाग्रता  स्थान  की  उपयुक्तता,  समय की अनुकलता तथा अपनी सामर्थ्य के  नापतोल किए बिना कार्यसिद्धि  संदिग्ध  है।इन्द्रियाणी च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः। देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।।
2269 बुद्धिमान आदमी बोलता है क्योंकि उसके पास कहने के लिए कुछ होता है जबकि मुर्ख आदमी बोलता है क्योंकि उसे कुछ कहना होता है।
2270 बुद्धिमान का उद्देश्य ख़ुशी को सुरक्षित रखना नहीं होता है बल्कि दुःख को दूर रखना होता है।
2271 बुद्धिमान पुरुष अपने दिन का प्रातःकाल महाभारत के, मध्यान्ह काल रामायण के और रात्रि का समय श्रीमदभागवत पुराण के अध्ययन-श्रवण से सार्थक करते हैं।
2272 बुद्धिमान पुरुष को चाहिए की वह खाने-पीने की चिंता न करके एकमात्र धर्म के अनुष्ठान में ही प्रवर्त रहे, क्योंकि आहार तो मनुष्य के जन्म के साथ उत्पन्न होता हैं अथार्थ जो उसके भाग्य में हैं वह तो उसे मिलना ही हैं अत:
2273 बुद्धिमान पुरुष को भोजन की चिंता नहीं करनी चाहिए। उसे केवल एक धर्म का ही चिंतन-मनन करना चाहिए। वास्तव में मनुष्य का आहार (माँ का दूध)तो उसके जन्म के साथ-साथ ही पैदा होता है।
2274 बुद्धिमान पुरुष धन के नाश को, मन के संताप को, गृहिणी के दोषो को, किसी धूर्त ठग के द्वारा ठगे जाने को और अपमान को किसी से नहीं कहते।
2275 बुद्धिमान लोग बोलते हैं क्योंकि की उनके पास कुछ कहने को होता है, जबकि बेवकूफ इसलिए क्योंकि उन्हें कुछ कहना होता है।
2276 बुद्धिमान लोगो का कर्तव्य होता है की वे अपनी संतान को अच्छे कार्य-व्यापार में लगाएं क्योंकि नीति के जानकार व सद्व्यवहार वाले व्यक्ति ही कुल में सम्मानित होते है।
2277 बुद्धिमान वही है जो अति सिद्ध दवा को, धर्म के रहस्य को, घर के दोष को, मैथुन अर्थात सम्भोग की बात को, स्वादहीन भोजन को और अतिकष्टकारी मृत्यु को किसी को न बताए। भाव यह है कि कुछ बातें ऐसी होती है, जिन्हे समाज में छिपाकर ही रखना चाहिए।
2278 बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे।
2279 बुद्धिमान व्यक्ति को कुलीन घर की कन्या से ही विवाह करना चाहिए, उसे सोंदर्य के पीछे नहीं भागना चाहिए कुलीन घर की कन्या का रूप भले ही सामान्य हो, परन्तु व्यक्ति को अपना सम्बन्ध कुलीन घराने की कन्या से ही करना चाहिए इसके विपरीत नीच कुल की सुन्दर कन्या से केवल उसका रूप देखकर सम्बन्ध स्थापित करना उचित नहीं
2280 बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी पुत्री का विवाह अच्छे परिवार में करे उसको चाहिए कि वह अपनी संतान को अच्छी शिक्षा दे तथा उसे खूब पढाये-लिखाये चाणक्य ने यहाँ गूढ़नीति की बात कही है, कि व्यक्ति को चाहिए कि वह शत्रु को कोई ऐसी लत लगा दे जिससे उसका पिंड छुटना मुश्किल हो जाए इसी प्रकार यह भी प्रयत्न करना चाहिए कि उसका मित्र धर्माचरण करता रहे और धर्माचरण में आने वाले कष्ट भी उसे धर्य से विमुख न होने दे।
2281 बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए की बार-बार यह सोचता रहे कि हमारे मित्र कितने हैं, हमारा समय कैसा हैं-अच्छा हैं या बुरा और यदि बुरा हैं तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए, हमारा निवास स्थान कैसा हैं, हमारी आय कितनी हैं और व्यय कितना हैं, मैं कौन हूं आत्मा हूं अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी हैं।
2282 बुद्धिमान व्यक्ति को तब तक ही भय से डरना या घबराना चाहिए, जब तक भय उसके सामने नहीं आ जाता, जब एक बार भय अथवा या कष्ट आ ही जाए तो उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए भय के सामने आ जाने पर शंकित होना अथवा घबराना समझदारी का काम नहीं।
2283 बुद्धिमान व्यक्ति को बार-बार यह सोचना चाहिए कि हमारे मित्र कितने है, हमारा समय कैसा है-अच्छा है या बुरा और यदि बुरा है तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए। हमारा निवास-स्थान कैसा है (सुखद,अनुकूल अथवा विपरीत), हमारी आय कितनी है और व्यय कितना है, मै कौन हूं- आत्मा हूं, अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी है।
2284 बुद्धिमान व्यक्ति को मुर्ख, मित्र, गुरु और अपने  प्रियजनों से विवाद नहीं करना चाहिए।
2285 बुद्धिमान व्यक्ति को मुर्ग  से निम्नोक्त चार गुण सीखने चाहिए  - 1 ) ठीक समय पर  जागना ( 2)  शत्रु से युद्ध  के लिए  सदा तैयार  रहना । 3. अपने परिवार  के लोगो मे बाँट  कर  खाना , (4) आक्रामक  मुद्रा  मे प्रेयसी का भोग करना ।प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बन्धुषु।स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्वत्वारि  कुक्कुटात्  ।।
2286 बुद्धिमान व्यक्ति वही हैं जिसमें कुछ सहन-शक्ति हो, वह अपने धन के नष्ट होने से प्राप्त दुःख, दुश्चरित्र पत्नी अथवा किसी व्यक्ति द्वारा ठगे जाने और नीच शब्दों का प्रयोग किए जाने से हुए दुःख को किसी पर प्रकट नहीं करता।
2287 बुद्धिमानी से जीने वाले को मौत से भी डर नही लगता है।
2288 बुद्धिमानों के शत्रु नहीं होते।
2289 बुद्धिहीन ब्राह्मण वैसे तो चारों वेदो और अनेक शास्त्रों का अध्ययन करते है, पर आत्मज्ञान को वे नहीं समझ पाते या उसे समझने का प्रयास ही नहीं करते। ऐसे ब्राह्मण उस कलछी की तरह होते है, जो तमाम व्यंजनों में तो चलती है, पर रसोई के रस को नहीं जानती।
2290 बुद्धिहीन व्यक्ति को अच्छे कुल में जन्म लेने वाली कुरूप कन्या से भी विवाह कर लेना चाहिए, परन्तु अच्छे रूप वाली नीच कुल की कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि विवाह संबंध समान कुल में ही श्रेष्ठ होता है।
2291 बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है।
2292 बुरा आचरण अर्थात दुराचारी के साथ रहने से, पाप दॄष्टि रखने वाले का साथ करने से तथा अशुद्ध स्थान पर रहने वाले से मित्रता करने वाला शीघ्र नष्ट हो जाता है।
2293 बुराई अवश्य रहना चाहिए जभी जो अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है।
2294 बुराई कभी भी किसी की भी मत करो।  क्योकिँ  बुराई नाव  मे  छेद समान  है।।  बुराई छोटी हो बडी नाव तोह डुबो ही देती  है..!
2295 बुरी संगत में रहने से अच्छा अकेले रहना है .
2296 बुरे ग्राम का वास, झगड़ालू स्त्री, नीच कुल की सेवा, बुरा भोजन, मूर्ख लड़का, विधवा कन्या, ये छः बिना अग्नि के भी शरीर को जला देते है।
2297 बुरे दिनो का एक अच्छा फायदा अच्छे-अच्छे दोस्त परखे जाते है।
2298 बुरे वक़्त की अपनी एहमियत है, ये ऐसे अवसर होते है जिन्हे कोई भी अच्छा शिक्षार्थी कभी नहीं खोना चाहेगा।
2299 बुरे व्यक्ति और सांप में मुकाबला किया जाये या दोनों में से किसी एक को चुनना पड़े तो सांप को चुनना चाहिए।
2300 बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पूर्व अपने आप पर ही क्रोध करना चाहिए।

#2101-2200



2101 पैसों के लिए की जाने वाली सभी नौकरियां हमारे दिमाग का अवशोषण और अवमूल्यन कर देती है।
2102 प्यार अच्छे की ख़ुशी, बुद्धिमान का आश्चर्य और भगवान का विस्मय है। 
2103 प्यार एक पारस्परिक यातना है। 
2104 प्यार और शक के बीच दोस्ती कभी मुमकिन नहीं है।  जहाँ प्यार वहां शक नहीं होता।
2105 प्यार की चाहत होती है, लेकिन उससे ज्यादा शायदयह अच्छा लगता है की आपको दुनिया समझ सके।
2106 प्यार के बदले प्यार मिलता है। प्यार किसी तरह के नियम-कानून को नहीं समझता है और ऐसा ही सभी के साथ है।
2107 प्यार के बिना जीवन उस वृक्ष की तरह है जिस पर कभी फल नहीं लगते है।
2108 प्यार के माध्यम से एक त्याग और विवेक स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाते हैं।
2109 प्यार दिखाई देता तो केसा होता ? उसके हाथ हमेशा दुसरो की मदद के लिए बढ़ते, उसके पैर गरीबो का दर्द कम करने के लिए उठते, उसकी आँखे दुसरो की जरूरत को समझ पाती, उसके कान दुसरो के दर्द को सुनने के लिए तैयार रहते। यही प्यार की सही परिभाषा है।
2110 प्रकर्ति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है।
2111 प्रकृति (सहज) रूप से प्रजा के संपन्न होने से नेताविहीन राज्य भी संचालित होता रहता है।
2112 प्रकृति की गति अपनाएं: उसका रहस्य है धीरज।
2113 प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्रुत है।
2114 प्रकृति बेकार में कुछ नहीं करती है।
2115 प्रकृति या पर्यावरण हर चीज़ का कम से कम फायदा लेना पसंद करते है।
2116 प्रकृति से जुड़े लोगों का सिर्फ साधारण चीज़ों से लगाव होता है।
2117 प्रकृति से प्रेम करे। अपने आस-पास एक प्राकर्तिक वातावरण बनाये फिर ठंडी हवा के झोको और सूर्य के ताप को अपने चेहरे पर महसुसू करे, यह जैव-रासायनिक क्रिया आपको शक्ति प्रदान करेगी।
2118 प्रकृति से सिखो जहां सब कुछ छिपा है।
2119 प्रगति मृग-मरीचिका नहीं है।  यह वास्तव में होती है, लेकिन इसकप्रक्रिया धीमी और निराश करने वाली होती है।
2120 प्रचार में कई तत्व होते है।  इनमे नेतृत्व सबसे पहला है।  बाकी सारे तत्व दूसरे स्थान पर है।
2121 प्रजा की रक्षा के लिए भ्रमण  करने वाला राजा सम्मानित होता है, भ्रमण  करने वाला योगी और ब्राह्मण सम्मानित होता है, किन्तु इधर-उधर घूमने वाली स्त्री भ्रष्ट होकर नष्ट हो जाती है।
2122 प्रजातंत्र लोगों की, लोगों के द्वारा, और लोगों के लिए बनायीं गयी सरकार है।
2123 प्रतिभा ईश्वर से मिलती है, आभारी रहें,  ख्याति समाज से मिलती है,  आभारी रहें,  लेकिन  मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से  मिलते हैं, सावधान रहें।
2124 प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत पसीना है।
2125 प्रत्यक्ष और परोक्ष साधनों के अनुमान से कार्य की परीक्षा करें।
2126 प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।
2127 प्रत्येक अवस्था में सर्वप्रथम माता का भरण-पोषण करना चाहिए।
2128 प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।
2129 प्रत्येक इंसान जीनियस है।  लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करेंगे तो वो अपनी पूरी ज़िन्दगी यह सोच कर जिएगी की वो मुर्ख है।
2130 प्रत्येक कलाकार एक दिन नौसिखिया ही होता है।
2131 प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो।
2132 प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता।
2133 प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता .
2134 प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है  खो चुकी है।
2135 प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बल के कारण ही जीवित रहता हैं। उसे किसी न किसी शक्ति को आवश्कता होती हैं ब्राह्मण की शक्ति उसकी विधा हैं, राजा की शक्ति उसकी सेना हैं, वैश्य की शक्ति उसका धन हैं और शूद्र की शक्ति उसके द्वारा किया जाने वाला सेवाकार्य हैं।
2136 प्रत्येक व्यक्ति को यह फैसला कर लेना चाहिए कि वह रचनात्मक परोपकारिता के आलोक में चलेगा या विनाशकारी खुदगर्जी के अंधेरे मे।
2137 प्रभाव तो उन लोगो पर पड़ता हैं जिनमे कुछ सोचने–समझने अथवा ग्रहण करने की शक्ति होती हैं, जिस व्यक्ति के पास स्वयं सोचने समझने की बुद्धि नहीं, वह अन्य किसी के गुणों को क्या ग्रहण करेगा।
2138 प्रभु की मूर्ति को अपने हाथ से गुथी माला पहनाने से, अपने ही हाथ से घिसा चन्दन लग्गाने से तथा अपने हाथ से लिखे स्त्रोत्र से स्तुति करने से मनुष्य इन्द्र की सम्पदा को भी अपने वश में करने में समर्थ हो जाता हैं।
2139 प्रभु के भक्तो के लिए तो तीनो लोक उनके घर के समान ही हैं, श्रदालु भक्तो के लिए लक्ष्मी माता तथा श्रीविष्णु नारायण पिता हैं भगवान के भक्त ही भक्तो के बन्धु-बांधव हैं और तीनो लोक ही उनका अपना देश अथवा निवास-स्थान हैं।
2140 प्रयत्न न करने से कार्य में विघ्न पड़ता है।
2141 प्रलय काल में सागर भी अपनी मर्यादा को नष्ट कर डालते है परन्तु साधु लोग प्रलय काल के आने पर भी अपनी मर्यादा को नष्ट नहीं होने देते।
2142 प्रश्न करने का अधिकार मानव प्रगति का आधार है.
2143 प्रश्न पूछना एक अच्छे छात्र की निशानी हैं इसलिए उन्हें प्रश्न करने दो।
2144 प्रसन्नता अनमोल खजाना है छोटी -छोटी बातों पर उसे लूटने न दे।
2145 प्रसन्नता और नैतिक कर्तव्य एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं.
2146 प्रसन्नता करने में पाई जाती है, रखने में नहीं।
2147 प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है।  ये आप ही के कर्मों से आती है।
2148 प्रसन्नता स्वयं हमारे ऊपर निर्भर करती है।
2149 प्राणी अपनी देह को त्यागकर इंद्र का पद भी प्राप्त करना नहीं चाहता।
2150 प्रातःकाल जुआरियो की कथा से (महाभारत की कथा से), मध्याह्न (दोपहर) का समय स्त्री प्रसंग से (रामायण की कथा से) और रात्रि में चोर की कथा से (श्री मद् भागवत की कथा से) बुद्धिमान लोग अपना समय काटते है।
2151 प्रातःकाल ही दिन-भर के कार्यों के बारें में विचार कर लें।
2152 प्रायः पुत्र पिता का ही अनुगमन करता है।
2153 प्रार्थना इस तरह कीजिये की सब कुछ भगवान पर निर्भर करता है। काम इस तरह कीजिये कि सब कुछ केवल आप पर निर्भर करता है।
2154 प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है।  यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है।
2155 प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है।
2156 प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता।
2157 प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है।
2158 प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं .
2159 प्रेम एक गंभीर मानसिक रोग है।
2160 प्रेम एकमात्र ऐसी शक्ति है, जो शत्रु को मित्र में बदल सकती है।
2161 प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलासिता नहीं  उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती।
2162 प्रेम और संदेह में कभी बात-चीत नहीं रही है।
2163 प्रेम करने से प्रेम मिलता है, "नफरत नहीं!
2164 प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है।
2165 प्रेम की शुरुआत निकट लोगो और संबंधो की देखभाल और दायित्व से होती है, वो निकट सम्बन्ध जो आपके घर में हैं।
2166 प्रेम के बिना जीवन उस वृक्ष के सामान है जिसपे ना बहार आये ना फल हों .
2167 प्रेम के स्पर्श से सभी कवी बन जाते हैं।
2168 प्रेम को कारण की ज़रुरत नहीं होती. वो दिल के तर्कहीन ज्ञान से बोलता है.
2169 प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।
2170 प्रेम मे बार बार न्यौछावर होना ही आपका सर्वोपरि और प्रथम कर्तव्य है.
2171 प्रेम विस्तार है , स्वार्थ  संकुचन  है।  इसलिए  प्रेम  जीवन  का  सिद्धांत  है। वह  जो  प्रेम  करता  है  जीता  है , वह  जो  स्वार्थी  है  मर  रहा  है।    इसलिए  प्रेम  के  लिए  प्रेम  करो , क्योंकि  जीने  का  यही  एक  मात्र  सिद्धांत  है , वैसे  ही  जैसे  कि  तुम  जीने  के  लिए  सांस  लेते  हो।
2172 प्रेम हर ऋतू में मिलने वाले फल की तरह है जो प्रत्येक की पहुँच में है।
2173 प्रोडक्शन मॉडल पर तौयार किया गया समाज सिर्फ प्रोडक्टिव होता है, क्रिएटिव नहीं।
2174 प्रौद्योगिकी का जितना अधिक उपयोग कर सकते हो करो, इससे आप कल से भी एक कदम आगे रहोगे।
2175 प्रौढ़ता अक्सर युवावस्था से अधिक बेतुकी होती है और कई बार तो युवाओं पर अन्न्यापूर्ण भी थी।
2176 पढ़ते रहने से दिमाग को जानकारी बढ़ाने के लिए सामग्री मिलती है। लेकिन जो पढ़ा है उसके बारे में सोचने से ही उन जानकारियो को अपनाया जा सकता है।
2177 पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान।ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
2178 फल कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार होती है, तब भी बुद्धिमान लोग और महान लोग सोच-विचार करके ही कोई कार्य करते है।
2179 फल की कामना छोड़ कर कर्म करना ही मनुष्य का अधिकार हैं अत: कर्म के फल की इच्छा न करो तथा कर्म करने में अरुचि न रखो अथार्थ सदा कर्मशील बने रहो।
2180 फल मनुष्य के कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है, तथापि विद्वान और महात्मा लोग अच्छी तरह विचारकर ही कोई काम करते है। 
2181 फलासक्ति छोड़ो और कर्म करो ,  आशा रहित होकर कर्म करो ,  निष्काम होकर कर्म करो,  यह गीता की वह ध्वनि है जो भुलाई नहीं जा सकती। जो कर्म छोड़ता है वह गिरता है। कर्म करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है वह चढ़ता है। 
2182 फायदा कमाने के लिए न्योते की ज़रुरत नहीं होती। 
2183 फिलोसॉफी एक बीमारी की तरह है, जो हर समय हर जगह पहुंचना चाहती है।
2184 फूलों की इच्छा  रखने वाला सूखे पेड़ को नहीं सींचता।
2185 फ्रैंकलिन  रूजवेल्ट  से  मिलना  शैम्पेन  की  अपनी  पहली  बोतल  खोलने  जैसा  था ; उन्हें  जानना  उसे  पीने  के  समान  था।
2186 बंधन और मुक्ति केवल अकेले मन के विचार हैं।
2187 बंधन तो मन का है और स्वतंत्रता भी मन की है। यदि आप कहते हैं कि ‘मैं एक मुक्त आत्मा हूँ, मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ और वो ही मुझे बाँध सकता हूँ ‘ तो तुम निश्चय ही स्वतन्त्र हो जाओगे।
2188 बगावत करना और आवाज उठाना हर व्यक्ति का अधिकार है।
2189 बच्चों की सार्थक बातें ग्रहण करनी चाहिए।
2190 बच्चों को उन्हीं चीजों के बारे में सच्ची जानकारी होती है, जिन्हे वे खुद सीखते है। जब कभी हम समय से पहले उन्हें कुछ सीखाने की कोशिश करते है, उन्हें खुद सिखने का मौका नहीं देते।
2191 बच्चों को शिक्षित करें तो आगे चलकर व्यस्कों को दंड देने की जरुरत नहीं होगी।
2192 बड़प्‍पन सदैव ही दूसरों की कमज़ोरियों, पर पर्दा डालना चाहता है, लेकिन ओछापन, दूसरों की कमियों बताने के सिवा और कुछ करना ही नहीं जानता।
2193 बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं.
2194 बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं।
2195 बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो| विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है.
2196 बडी सफलता प्राप्‍त करने के लिए आपको कभी-कभी बडा Risk भी लेना पडता है।
2197 बदला लेने के बाद दुश्मन को क्षमा कर देना कहीं अधिक आसान होता है। 
2198 बदलाव का सबसे ज्यादा विरोध तभी होता हैं जब उसकी सबसे ज्यादा जरुरत होती हैं।
2199 बदलाव लाना मुश्किल होता हैं, लेकिन यह जरुरी हैं जो विचार पुराने हो चुके हैं उनको जाने दीजिए।
2200 बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत की जरुरत पड़ती है। सिल्क के बने दस्ताने पहनकर कोई रेवोल्यूशन नही ला सकता है।

Thursday, March 24, 2016

#2001-2100




2001 पति का अनुगमन करना, इहलोक और परलोक दोनों का सुख प्राप्त करना है।
2002 पति की आज्ञा के बिना जो स्त्री उपवास और व्रत करती है, वह अपने पति की आयु को कम करने वाली होती है, अर्थात पति को नष्ट करके सीधे नर्क में जाती है।
2003 पति के लिए आदर्श पत्नी वही होती हैं, जो मन, वचन तथा कर्म से पवित्र हो, जो शरीर और अन्त:करण से शुद्ध हो, जिसके आचार-विचार स्वच्छ हो, जो गृहकार्यो तथा भोजन, पीसना, कातना, धोना, सीना-पिरोना और साज-सज्जा आदि में निपुण हो, जो मन, वचन और शरीर से पति में अनुरुक्त हो और जो उसको प्रसन्न करना ही अपना कर्तव्य-कर्म मानती हो तथा निरंतर सत्य बोलती हो।
2004 पति के वश में रहने वाली पत्नी ही व्यवहार के अनुकूल होती है।
2005 पत्थर के हर टुकड़े में एक खूबसूरत प्रतिमा छिपी है। इसकी खोज करना मूर्तिकार का काम है।
2006 पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है, पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य बोलती है।
2007 पदार्थों में समस्या नहीं है हमारे उपयोग करने में समस्या है। कभी-कभी विष की एक अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है और दवा की अत्याधिक मात्रा भी विष बन जाती है। विवेक से, संयम से, जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है। 
2008 पब्लिक  ओपिनियन  जैसी  कोई  चीज  नहीं  होती , केवेल  पब्लिश्ड ओपिनियन  होते  हैं।
2009 पर दुख को जो दुख न माने,पर पीड़ा में सदय न हो। सब कुछ दो पर प्रभु किसी को,जग में ऐसा हृदय न दो।
2010 परम तत्वज्ञान प्राप्त होने पर जब मनुष्य देह के अभिमान को छोड़ देता है अर्थात जब उसे आत्मा-परमात्मा की नित्यता और शरीर की क्षणभंगुरता का ज्ञान हो जाता है तो वह इस शरीर के मोह को छोड़ देता है। तदुपरांत उसका मन जहां-जहां भी जाता है, वहां-वहां उसे सिद्ध पुरुषों की समाधियों की अनुभूति होती है।
2011 परमात्मा तुमसे ये न पूछेगा कि कौन-कौन सी गलतियां तुमने की.... परमात्मा तुमसे ये पूछेगा की मैंने तुमको इतने अवसर दिए सुख भोगने के तुमने भोगे क्यों नही
2012 पराई वस्तु को पाने की लालसा नहीं रखनी चाहिए।
2013 पराए घर में रहने से कौन छोटा नहीं हो जाता ? यह देखो अमृत का खजाना, ओषधियों का स्वामी, शरीर और शोभा से युक्त यह चन्द्रमा, जब सूर्य के प्रभा-मंडल में आता है तो प्रकाशहीन हो जाता है।
2014 पराए धन को छीनना अपराध है।
2015 परिचय हो जाने के बाद दोष नहीं छिपाते।
2016 परिणाम! भाइयों, मुझे तो बहुत सारे परिणाम मिल गए हैं। मुझे बहुत सारे हजारो ऐसे तरीके पता चल गए हैं जो कि काम नहीं करेंगे।
2017 परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा,  छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
2018 परिवार और करीबी दोस्त सबसे ऊपर हैं, उनको अपने जीवन में हमेशा अहम् स्थान दे।
2019 परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। 
2020 परीक्षा करके विपत्ति को दूर करना चाहिए।
2021 परीक्षा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है।
2022 परीक्षा किये बिना कार्य करने से कार्य विपत्ति में पड़ जाता है।
2023 परेशानी के मध्य ही अवसर छिपा होता है।
2024 परेशानी पैदा करने वाली सोच के साथ उस समस्या का समाधान ढूंढना मुश्किल है।
2025 पर्यावरण में आ रहे बदलावों को देखकर बच्चे की तरह खुशी मिलनी चाहिए। मेरे साथ पूरा जीवन ऐसा ही होता रहा है। अद्भुत खुशी का अनुभव।
2026 पवित्र पुस्तकों में बहुत सारी अच्छी बातें पढ़ी जा सकती हैं लेकिन शायद ही कोई ऐसे पुस्तक होगी जिसे पड़कर धर्म को बनाया जा सकता हैं।
2027 पवित्रता, धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सारी बाधाये दूर हो जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं की महान कार्य सभी धीरे -धीरे होते है।
2028 पसंद की चीज़ों से ही हमारे व्यक्तित्व का पता चलता है।
2029 पहला धन सेहत है।
2030 पहली दौलत सेहत है।
2031 पहली बार सफलता मिलने पर निश्चिंत होकर मत बैठिए क्योंकि अगर आप दूसरी बार असफल हो गए, तो यह कहने वालों की कमी नहीं होगी कि पहली सफलता तो आपको सिर्फ अच्छी किस्मत की वजह से मिली।
2032 पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है।
2033 पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें।
2034 पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।
2035 पहले हम माहौल बनाते है फिर माहौल हमें बनता है- ब्रायन ट्रेसी
2036 पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है, और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
2037 पांच प्रतिशत लोग सोचते हैं, दस प्रतिशत लोग सोचते हैं कि वे सोचते हैं और बाकी बचे पचासी प्रतिशत लोग सोचने से ज्यादा मरना पसंद करते हैं।
2038 पांव उठाने से पहले ये देख लेना चाहिए की पांव कहाँ पड़ेगा, अंको से भली प्रकार मार्ग की परीक्षा करके उस पर ही चलना प्रारंभ करना चाहिए, वस्त्र से छान कर ही जल पीना चाहिए, शास्त्र द्वारा संशोधित सत्य, शुद्ध और मधुर वाणी बोलनी चाहिए तथा पवित्र मन से ही दूसरों के साथ व्यवहार-आचरण करना चाहिए।
2039 पाखंडी वह आदमी है जो सिर्फ और सिर्फ अपनी आँखों से देखता है।
2040 पात्र के अनुरूप दान दें। 
2041 पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है, उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है। अंतर केवल यह है कि एक परीमीत है दूसरा अनंत है एक परतंत्र है दूसरा स्वतंत्र है।
2042 पानी चाहे जितना भी गहरा हो, कमल का फूल पानी के ऊपर ही खिलता है।  उसी तरह से इंसान कितना महान है, ये उसकी अंदरुनी और मानसिक ताकत पर निर्भर करता है।
2043 पानी में तेल, दुष्ट व्यक्तियों में गोपनीय बातें, उत्तम पात्र को दिया गया दान और बुद्धिमान के पास शास्त्र-ज्ञान यदि थोड़ा भी हो तो स्वयं वह अपनी शक्ति से विस्तार पा जाता है।
2044 पाने से पहले दीजिये।
2045 पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती। 
2046 पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
2047 पापा कहते थे की सपने मत देखो, सपने कभी पुरे नहीं होते। पर मैंने एक सपना देखा और वो भी हुआ।
2048 पापी की आत्मा उसके पापों को प्रकट कर देती है।
2049 पावर होना बुरा नहीं, किसके पास होना चाहिए यह महत्वपूर्ण है।
2050 पिरामिडों की इन ऊंचाइयों से चालीस सदियाँ हमे देख रही है। 
2051 पीछे रहकर नेतृत्व करना और टीमको आगे करना सबसे अच्छा तरीका है।  खास कर जब जीत की खुशियाँ मनाई जाएँ। तभी आगे आए जब खतरा दिखे या टीम गलत राह  दिखे। इससे दूसरों की नज़रों में आपकी इज़्ज़त बढ़ जायेगी। 
2052 पीठ पीछे रहकर दुसरे की बुराई करना अथवा किसी व्यक्ति के कार्यो में हानि का प्रयत्न करना और उसके मुख पर अथवा उसके सामने मीठी-मीठी बाते करना, बहुत अनुपयुक्त हैं ऐसे व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए।
2053 पुत्र की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।
2054 पुत्र के गुणवान होने से परिवार स्वर्ग बन जाता है।
2055 पुत्र के बिना स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती।
2056 पुत्र के सुख से बढ़कर कोई दूसरा सुख नहीं है।
2057 पुत्र को पिता के अनुकूल आचरण करना चाहिए।
2058 पुत्र को सभी विद्याओं में क्रियाशील बनाना चाहिए।
2059 पुत्र प्राप्ति के लिए ही स्त्री का वरण किया जाता है।
2060 पुत्र वे है जो पिता भक्त है। पिता वही है जो बच्चों का पालन-पोषण करता है। मित्र वही है जिसमे पूर्ण विश्वास हो और स्त्री वही है जिससे परिवार में सुख-शांति व्याप्त हो।
2061 पुत्र से पांच वर्ष तक प्यार करना चाहिए। उसके बाद दस वर्ष तक अर्थात पंद्रह वर्ष की आयु तक उसे दंड आदि देते हुए अच्छे कार्य की और लगाना चाहिए। सोलहवां साल आने पर मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए। संसार में जो कुछ भी भला-बुरा है, उसका उसे ज्ञान कराना चाहिए।
2062 पुत्र से ही कुल को यश मिलता है।
2063 पुराना होने पर भी शाल के वृक्ष से हाथी को नहीं बाँधा जा सकता।
2064 पुरानी गलतियाँ का ताना देने वाले लोग अच्छे नहीं होते। वे आपके विकास में रुकावट खड़ी करेंगे क्योकि उनको आपका आगे बढ़ना मंजूर नहीं।
2065 पुराने काम की नक़ल करने से सीखने के लिए बहुत कुछ हैं जबकि Modern-Workकी नक़ल करने से कुछ हासिल नहीं होगा।
2066 पुराने निशानों को खरोंचना और उनका हिसाब रखना, आपको हमेशा जो आप हैं उससे कम ही बनाता है।
2067 पुराने मित्र छूटते हैं , नए मित्र बनते हैं . यह दिनों की तरह ही है।  एक पुराना दिन बीतता है, एक नया दिन आता है.महत्त्वपूर्ण यह है कि हम उसे सार्थक बनाएंएक सार्थक मित्र  या एक सार्थक दिन।
2068 पुरुष के लिए कल्याण का मार्ग अपनाना ही उसके लिए जीवन-शक्ति है।
2069 पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का भोजन दुगना, लज्जा चौगुनी, साहस छः गुना और काम (सेक्स की इच्छा) आठ गुना अधिक होता है।
2070 पुरूषों में नाई धूर्त होता है, पक्षियों में कौवा, पशुओं में गीदड़ और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है।
2071 पुष्पहीन होने पर सदा साथ रहने वाला भौरा वृक्ष को त्याग देता है।
2072 पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं।
2073 पुस्तकों में लिखी विधा और दूसरों के हाथो में गया हुआ धन आवश्कता पड़ने पर कभी काम नहीं आता। विधा वही काम आती हैं जो मनुष्य ने सीख कर अपनी बना ली हो और पैसा वही काम आता हैं जो अपने पास हो।
2074 पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।
2075 पूंजीवाद  की  बुराई  है  अच्छी  चीजों  का  बराबर  से  ना  बंटना , समाजवाद  की  अच्छाई   है  बुरी  चीजों  का  बराबर  से  बंटना।
2076 पूरा समाज लम्बे समय तक एक ही भाषा में बातचीत नहीं कर सकता।  क्योंकि यह युद्धरत समूहों में बटा हुआ है।
2077 पूरी दुनिया में आधी-अधूरी आज़ादी जैसी कोई बात नहीं है।
2078 पूर्ण धारणा के साथ बोला गया "नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है।
2079 पूर्ण सच्चाई जानने के बाद किया कार्य सच्चे रूप में क्षमा करना नहीं है, क्षमा करना तो एक प्रवृति है जिसके बाद आप हर क्षण में प्रवेश कर सकते हैं।
2080 पूर्वाग्रह से ग्रसित दंड देना लोकनिंदा का कारण बनता है।
2081 पृथ्वी  द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास हैं ये पेड़।
2082 पृथ्वी के अन्दर और ऊपर का सारा सोना भी सद्गुणों के बदले देना पर्याप्त नहीं है।
2083 पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाला जल शुद्ध-पवित्र होता हैं, पतिव्रता स्त्री शुद्ध-पवित्र होती हैं, प्रजा का कल्याण करने वाला राजा पवित्र अथवा श्रेष्ठ माना गया हैं और सन्तोषी यानी सहज प्राप्ति में प्रसन्न-ब्राहमण शुद्ध-पवित्र होता हैं सन्तोष सभी के लिए उत्तम हैं।
2084 पृथ्वी पर हर एक चीज एक खेल है। एक खत्म हो जाने वाली चीज।  हम सभी एक दिन मर जाते हैं।  हम सभी का एक ही अंत है , नहीं ?
2085 पृथ्वी सत्य के बल पर ही स्थिर हैं, सत्य की शक्ति से ही सूर्य मैं ताप हैं तेज हैं, सत्य की शक्ति से ही दिन और रात वायु चलती हैं इस प्रकार सारी सृष्टि टिकी हुई हैं।
2086 पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।
2087 पेड़, फूल और पौधे शांति में विकसित होते हैं, सितारे, सूर्य और चंद्रमा शांति से गतिमान रहते हैं, शांति हमें नयी संभावनाएं देती है.
2088 पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है।
2089 पैर से अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कन्या, वृद्ध और बालक को कभी नहीं छूना चाहिए।
2090 पैरो के धोने से बचा हुआ, पीने के बाद पात्र में बचा हुआ और संध्या से बचा हुआ जल कुत्ते के मूत्र के समान है। उसे पीने के बाद ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य चंद्रायण व्रत को करे, तभी वे पवित्र हो सकते है।
2091 पैसा -  मैं बोलता नहीं....मगर सबकी बोलती बंद करवा सकता हूँ
2092 पैसा -  मैं भगवान् नहीं मगर  लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते
2093 पैसा - मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते, मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ
2094 पैसा - मैं कुछ भी नहीं हूँ मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है
2095 पैसा - मैं नमक की तरह हूँ जो जरुरी तो है,  मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है
2096 पैसा - मैं सारे फसाद की जड़ हूँ मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं
2097 पैसा कमाने के लिए कई विकल्प हो सकते है, लेकिन जन्नत में जाने के लिए सिर्फ एक- अच्छे कर्म करना।
2098 पैसे या मौज मस्ती के जीवन से नहीं, लेकिन जो काम करते है उसी से ख़ुशी का अनुभव किया जा सकता है।
2099 पैसे से सब कुछ नहीं बल्कि केवल थोडा बहुत किया जा सकता.
2100 पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"