Wednesday, March 23, 2016

#1901-2000


1901 धर्म, धन, काम, मोक्ष इनमे से जिसने एक को भी नहीं पाया, उसका जीवन व्यर्थ है।
1902 धर्मार्थ विरोधी कार्य करने वाला अशांति उत्पन्न करता है।
1903 धर्य शान्ति, निग्रह नियंत्रण, पवित्रता, करुणा, मधुर वाणी, मित्रो के प्रति सदभाव-ये सातो गुण जिसमे होते हैं, वह सभी प्रकार से श्रीसंपन्न होता हैं।
1904 धार्मिक अनुष्ठानों में स्वामी को ही श्रेय देना चाहिए।
1905 धार्मिक कथा सुनने पर, श्मशान में चिता को जलते देखकर, रोगी को कष्ट में पड़े देखकर जिस प्रकार वैराग्य भाव उत्पन्न होता है, वह यदि स्थिर रहे तो यह सांसारिक मोह-माया व्यर्थ लगने लगे, परन्तु अस्थिर मन श्मशान से लौटने पर फिर से मोह-माया में फंस जाता है।
1906 धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है
1907 धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।
1908 धैर्य कड़वा है पर इसका फल मीठा है।
1909 धैर्य दरिद्रता का, शुद्धता वस्त्र की साधारणता का, उष्णता अन्न की क्षुद्रता का और सदाचार कुरूपता का आवरण हैं निर्धन या दरिद्र होने पर धैर्य, सस्ता परन्तु साफ़ वस्त्र, ताजा-गरम भोजन और कुरूप होने पर सदाचारी होना श्रेष्ठ हैं।
1910 धैर्य ही सफलता की एकमात्र कुँजी हैं।
1911 धैर्य, दृढ़ता और कड़ी मेहनत सफलता के लिए एक अपराजित समीकरण का निर्माण करती है।
1912 ध्यम से आपको बता रहा हूँ जो कि काफी प्रेरणादायी सिद्ध होंगे ।
1913 न किसी का फेंका हुआ मिले, न किसी से छीना हुआ मिले, मुझे बस मेरे नसीब मे  लिखा हुआ मिले, ना मिले ये भी तो कोई ग़म नही मुझे बस मेरी मेहनत का किया हुआ मिले
1914 न जाने योग्य जगहों पर जाने से आयु, यश और पुण्य क्षीण हो जाते है।
1915 न तो तेज ही सदा श्रेष्ठ है और न ही क्षमा। 
1916 न तो हमें कायर होना चाहिए न ही अविवेकी बल्कि हमें साहसी होना चाहिए।
1917 न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है फिर तुम क्या हो?
1918 नई तकनीकों या अविष्कारों से भयभीत होने की जरुरत नहीं है, लेकिन उन तकनीकों के मौजूद न होने से डरना चाहिए।
1919 नए विचारो को हमेशा शक की नजर से देखा जा सकता है। उनकी आलोचना भी होती है। कोई उसे अपनाना पसंद नहीं करता है। इसका कोई खास कारण नहीं। कारण इतना है की ये विचार बिलकुल कॉमन नहीं होते है।
1920 नकली सुख की बजाय ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये।
1921 नकारात्मक बाते करना काँटों को पोषण देने के सामान है 
1922 नक्षत्रों द्वारा भी किसी कार्य के होने, न होने का पता चल जाता है।
1923 नग्न होकर जल में प्रवेश न करें।
1924 नदी के किनारे खड़े वृक्ष, दूसरे के घर में गयी स्त्री, मंत्री के बिना राजा शीघ्र ही नष्ट हो जाते है। इसमें संशय नहीं करना चाहिए।
1925 नफ़रत नापसंदगी की तुलना में अधिक स्थायी होती है। 
1926 नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं।
1927 नया काम करने से पहले सबकी रजामंदी की जरुरत नहीं हैं।
1928 नया सीखने के बाद बदलाव नहीं दिख रहा तो कुछ गलत है।
1929 नयी खोज एक लीडर और एक अनुयायी के बीच अंतर करती है।
1930 नहीं कहने की आदत डाले। हाँ कहने से पहले एक बार सोचे और नहीं कहना सीखें क्योकि अगर कोई काम आप नहीं कर सकते हैं तो उसके लिए हाँ कहनें से आप को वह काम करना होगा और यदि आप सही न कर पाए तो लोगो को आपकी बुराई करने का मौका मिलेगा।
1931 नहीं केवल धन से सेवा नहीं होती सेवा का हर्द्य चाहिए अस्पताल के डॉक्टर नर्स भी तो सेवा करते हैं उस सेवा में प्रेम का स्पर्श है भी या नहीं, यही विचारणीय बात हैं प्रेम के विश्व में छल-धोखे के लिए कोई स्थान नहीं हैं मुहँ से नहीं कार्य से समझाना होगा कि हम उन्हें प्यार करते हैं
1932 ना  खोजो  ना  बचो , जो  आता  है  ले  लो।
1933 ना मैं एक बच्चा हूँ, ना एक नवयुवक, ना ही मैं पौराणिक हूँ, ना ही किसी जाति का हूँ.
1934 ना शब्द मुझे सुनाई नहीं देता। 
1935 नाई के घर जाकर केश कटवाना, पत्थर पर चंदन आदि सुगन्धित द्रव्य लगाना, जल में अपने चेहरे की परछाई देखना, यह इतना अशुभ माना जाता है कि देवराज इंद्र भी स्वयं इसे करने लगे तो उसके पास से लक्ष्मी अर्थात धन-सम्पदा नष्ट हो जाती है।
1936 नाव जल में रहे, लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिए। इसी प्रकार साधक जग में रहे, लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिए।
1937 नि:स्वार्थ काम के माध्यम से परमेश्वर के प्रति प्रेम, दिल में बढ़ता है।
1938 निःसंदेह नमक में एक विलक्षण पवित्रता है, इसीलिए वह हमारे आँसुओं में भी है और समुद्र में भी।
1939 निकट के राज्य स्वभाव से शत्रु हो जाते है।
1940 निकम्मे अथवा आलसी व्यक्ति को भूख का कष्ट झेलना पड़ता है।
1941 निकालने वाले तो स्वर्ग में भी कमी ढूढ लेंगे 
1942 निकृष्ट उपायों से प्राप्त धन की अवहेलना करने वाला व्यक्ति ही साधू होता है।
1943 निकृष्ट मित्र पर विश्वास करने की बात तो दूर, अच्छे मित्र के सम्बन्ध में भी चाणक्य का कहना हैं की उस पर भी पूरा विश्वास न किया जाए, क्योकि उससे इस बात की आशंका बनी रहती हैं की किसी बात पर क्रुद्ध हो जाने पर वह सारे भेद प्रकट न कर दे।
1944 निकृष्ट लोग धन की कामना करते है, मध्यम लोग धन और यश दोनों चाहते है और उत्तम लोग केवल यश ही चाहते है क्योंकि मान-सम्मान सभी प्रकार के धनो में श्रेष्ठ है।
1945 निपुणता एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, यह एक घटना मात्र नहीं है ।
1946 निम्न अनुष्ठानों (भूमि, धन-व्यापार  उधोग-धंधों) से आय के साधन भी बढ़ते है।
1947 निरंतर अभ्यास से विद्या की रक्षा होती हैं, सदाचार के संरक्षण से कुल का नाम उज्जवल होता हैं, गुणों के धारण करने से श्रेष्ठता का परिचय मिलता हैं तथा नेत्रों से क्रोध की जानकारी मिलती हैं।
1948 निरंतर पैदल यात्रा मनुष्यो के लिए, निरन्तर घोड़ों का खुटें से बंधे रहना, अमैथुन स्त्रियों के लिए और कड़ी धुप कपड़ो के लिए हानिकारक हैं।
1949 निरंतर विकास जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने  के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पंहुचा देता है।
1950 निरर्थक बिताए समय से ज्यादा दुखदायी कुछ नहीं हो सकता।
1951 निर्धन एवं अभावग्रस्त व्यक्ति के लिए भी सभी कुछ सूना हैं, क्योकि वह जहां कहीं भी जाता हैं, लोग उससे किनारा कर लेते हैं कि वह किसी चीज की मांग न कर बैठे।
1952 निर्धन धन चाहते है, पशु वाणी चाहते है, मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करते है और देवगण मोक्ष चाहते है।
1953 निर्धन रहने का एक पक्का तरीका है कि ईमानदार रहिये। 
1954 निर्धन व्यक्ति की पत्नी भी उसकी बात नहीं मानती।
1955 निर्धन व्यक्ति की हितकारी बातों को भी कोई नहीं सुनता।
1956 निर्धन व्यक्ति धन की कामना करते हैं और पशु बोलने की शक्ति चाहते हैं, मनुष्य स्वर्ग की इच्छा रखता हैं और स्वर्ग में रहने वाला देवता मोक्ष –प्राप्ति की इच्छा करते हैं।
1957 निर्धन व्यक्ति हीन अर्थात छोटा नहीं है, धनवान वही है जो अपने निश्चय पर दृढ़ है, परन्तु विदया रूपी धन से जो हीन है, वह सभी चीजो से हीन है।
1958 निर्धन होकर जीने से तो मर जाना अच्छा है।
1959 निर्धन होने पर मनुष्य को उसके मित्र, स्त्री, नौकर, हितैषी जन छोड़कर चले जाते है, परन्तु पुनः धन आने पर फिर से उसी के आश्रय लेते है।
1960 निर्धनता अथवा गरीबी हटाने का अचूक उपाय है निरंतर परिश्रम, परिश्रमी व्यक्ति कभी निर्धन नहीं रह सकता,  उधम करने वाले को ही प्रारंभ में लिखा धन मिलता हैं सोते सिंह के मुह में पशु अपने आप नहीं आते परिश्रम के बिना तो उसे भी भूखे मरना पड़ता हैं।
1961 निर्बल राजा की आज्ञा की भी अवहेलना कदापि नहीं करनी चाहिए।
1962 निर्बल राजा को तत्काल संधि करनी चाहिए।
1963 निश्चित उद्देश्य वाले व्यक्ति कुछ भी पा सकते है 
1964 निश्चित रूप से जो नाराजगी युक्त विचारो से मुक्त रहते है वही शांति पाते है।
1965 निश्चित रूप से मूर्खता दुःखदायी है और यौवन भी दुःख देने वाला है परंतु कष्टो से भी बड़ा कष्ट दूसरे के घर पर रहना है।
1966 निष्काम कर्म ईश्वर को ऋणी बना देता है और ईश्वर उसे सूद सहित वापस करने के लिए बाध्य हो जाता है। 
1967 निसंदेह मेरे बच्चों के पास कम्प्यूटर होगा लेकिन पहली चीज़ जो वो प्राप्त करेंगे वो बुक्स (पुस्तकें) होगी।
1968 नींद लेना शरीर के लिए बहुत  जरुरी है, लेकिन बहुत ज्यादा सोना भी घातक हो सकता है।
1969 नीच और उत्तम कुल के बीच में विवाह संबंध नहीं होने चाहिए।
1970 नीच की विधाएँ पाप कर्मों का ही आयोजन करती है।
1971 नीच मनुष्य दुसरो की यशस्वी अग्नि की तेजी से जलते है और उस स्थान पर (उस यश को पाने के स्थान पर) न पहुंचने के कारण उनकी निंदा करते है।
1972 नीच लोगों की कृपा पर निर्भर होना व्यर्थ है।
1973 नीच व्यक्ति की शिक्षा की अवहेलना करनी चाहिए।
1974 नीच व्यक्ति के सम्मुख रहस्य और अपने दिल की बात नहीं करनी चाहिए।
1975 नीच व्यक्ति को अपमान का भय नहीं होता।
1976 नीच व्यक्ति को उपदेश देना ठीक नहीं।
1977 नीच व्यक्ति ह्र्दयगत बात को छिपाकर कुछ और ही बात कहता है।
1978 नीचे की ओर देखती एक अधेड़ वृद्ध स्त्री से कोई पूछता है -----'हे बाले ! तुम नीचे क्या देख रही हो ? पृथ्वी पर तुम्हारा क्या गिर गया है ? तब वह स्त्री कहती है -----'रे मूर्ख ! तुम नहीं जानते, मेरा युवावस्था रूपी मोती नीचे गिरकर नष्ट हो गया है।'
1979 नीतिवान पुरुष कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही देश-काल की परीक्षा कर लेते है।
1980 नीम के वृक्ष की जड़ को कितना ही दूध और घी से सींचने पर भी नीम का वृक्ष जिस प्रकार अपना कडवापन छोड़ कर मीठा नहीं हो सकता, उसी प्रकार दुष्ट व्यक्ति को कितना भी समझाने की चेष्टा की जाए, वह अपनी दुर्जनता को छोड़ कर सज्जनता को नहीं अपना सकता।
1981 नेकी से विमुख हो बदी करना निस्संदेह बुरा है।  मगर सामने मुस्कान और पीछे चुगली करना और भी बुरा है।
1982 नेता या अभिनेता बनना आसान है, लेकिन  खुशियों की तलाश करना बहुत मुश्किल होता है।
1983 नेतृत्व (leadership) में थोड़ी सी ढील अवश्य बरते। नेता होने का अर्थ हैं नहीं हैं की आप जानता के भगवान बन गए हैं इसलिए अपने अधीन लोगो को आजादी दे, फिर वे आपके निर्देशों का सख्ती से पालन करेंगे।
1984 नेतृत्व की कला … एक एकल दुश्मन के खिलाफ लोगों का ध्यान संगठित करने और यह सावधानी बरतने में है कि कुछ भी इस ध्यान को तोड़ न पाए।
1985 नॉलेज इतिहास का एक पड़ाव भर है। यह लगातार बदलता रहता है। कई बार इसमें बदलाव की रफ़्तार इतिहास से भी ज्यादा होती है।
1986 नॉलेज होना सिर्फ आधी बात है, और बाकी आधी बात विश्वास करना है।
1987 नौकरी में ख़ुशी, काम में निखार लाती है।
1988 नौकरों को बाहर भेजने पर, भाई-बंधुओ को संकट के समय तथा दोस्त को विपत्ति में और अपनी स्त्री को धन के नष्ट हो जाने पर परखना चाहिए, अर्थात उनकी परीक्षा करनी चाहिए।
1989 न्याय विपरीत पाया धन, धन नहीं है।
1990 न्याय ही धन है।
1991 न्यूटन के बारे में सोचने का अर्थ है उनके महान कार्यो को याद करना। उनके जैसे व्यक्तित्व के बारे में इसी से अंदेशा लगाया जा सकता है कि उन्हें एक सर्वव्यापी सत्य को सिद्ध करने में कितना संघर्ष करना पड़ा।
1992 नज़रिया एक छोटी चीज़ होती है,लेकिन बड़ा फर्क डालती है। 
1993 पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।
1994 पक्का कर लीजिए, आश्वस्त हो जाइये की आपके पैर सही जगह पर है। फिर डट कर खड़े रहिये।
1995 पक्ष अथवा विपक्ष में साक्षी देने वाला न तो किसी का भला करता है, न बुरा।
1996 पक्षियों में कौवा, पशुओं में कुत्ता, ऋषि-मुनियों में क्रोध करने वाला और मनुष्यो में चुगली करने वाला चांडाल अर्थात नीच होता है।
1997 पक्षियों में सबसे अधिक दुष्ट और नीच कौआ होता हैं इसी प्रकार पशुओ में कुत्ता और साधुओ में वह व्यक्ति नीच व चांडाल माना जाता हैं जो अपने नियमों को भंग करके पाप-कर्म में प्रवृत हो जाये, सबसे अधिक चांडाल दूसरों की निन्दा करने वाला व्यक्ति होता हैं।
1998 पचास दुश्मनो का एन्टीडोट एक मित्र है। (एन्टीडोट - किसी चीज़ के विषैल प्रभाव को ख़त्म करने के लिए दी जाने वाली दवा )
1999 पडोसी राज्यों से सन्धियां तथा पारस्परिक व्यवहार का आदान-प्रदान और संबंध विच्छेद आदि का निर्वाह मंत्रिमंडल करता है।
2000 पतंगे हवा के विपरीत सबसे अधिक उंचाई छूती है उसके साथ नहीं।

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