Friday, May 13, 2016

#2701-2800



2701 मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
2702 मौत से डरो मत, यह आधे-अधूरे जीवन की तुलना में कम भयावह होती है।
2703 मौत हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है क्योकि जब तक हम जीवित है उसका कोई अस्तित्व नहीं है और जब वो आएगी तब हम नहीं रहेंगे। 
2704 मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।
2705 मौसम में बदलाव आने के साथ खुद को बदलना सीखे और नई दुनिया बनाएं। 
2706 यज्ञ न करने वाले का वेद पढ़ना व्यर्थ है। बिना दान के यज्ञ करना व्यर्थ है। बिना भाव के सिद्धि नहीं होती इसलिए भाव अर्थात प्रेम ही सब में प्रधान है।
2707 यथार्थ महापुरुष वह आदमी है जो न दूसरे को अपने अधीन रखता है और न स्वयं दूसरों के अधीन होता है।
2708 यथार्थ में अच्छा वही है जो उन सब लोगों से मिलकर रहता है जो बुरे समझे जाते हैं।
2709 यदि  आप  दृढ  संकल्प  और  पूर्णता  के  साथ  काम  करेंगे  तो  सफलता  ज़रूर  मिलेगी.
2710 यदि  आप  नरक  से  गुज़र रहे  हों  तो  चलते  जाइये।
2711 यदि  आप  सचमुच  विश्व – स्तरीय  होना  चाहते  हैं – जितने   अच्छे  हो  सकते  हैं   होना  चाहते  हैं  तो अंतत:   ये  आपकी  तैयारी  और  अभ्यास  पर  निर्भर  करेगा.
2712 यदि  आपकी  कोई विशेष निष्ठा या धर्म है, तो अच्छा है। लेकिन आप उसके बिना भी जी सकते हैं।
2713 यदि  स्वयं  में  विश्वास  करना  और  अधिक  विस्तार  से  पढाया  और  अभ्यास  कराया   गया  होता  , तो  मुझे  यकीन  है  कि  बुराइयों  और  दुःख  का  एक  बहुत  बड़ा  हिस्सा  गायब  हो  गया होता।
2714 यदि  हम  भूत  और  भविष्य  के  विवाद  में  फंसते  हैं  तो  हम  पायेंगे  कि  हमने  भविष्य  खो  दिया  है।
2715 यदि अतिथि नहीं होते तो सब घर कब्र बन जाते।
2716 यदि आप  100 शेरो की एक सेना बनाते है जिसका सेनापति एक कुत्ता है तो युद्ध में सारे शेर कुत्तों की मौत मारे जाएंगे। लेकिन यदि आप  100 कुत्तों की एक सेना बनाते है जिसका सेनापति एक शेर है तो सारे कुत्ते युद्ध में शेर की तरह लड़ेंगे। 
2717 यदि आप अपनी ड्यूटी को सैल्यूट करोगे तो आपको किसी भी व्यक्ति को सैल्यूट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी लेकिन यदि आप  अपनी ड्यूटी को पोल्यूट करेंगे तो आपको हर किसी को सैल्यूट करना पडेगा।
2718 यदि आप अपने सपने पुरे नहीं करोंगे तो कोई और आपको अपने सपने पुरे करने के काम में लगाएगा।
2719 यदि आप एक अच्छे काठ साज़ बनना चाहते है तो सबसे खराब घोड़े की काठ बनाए ; यदि आप ने उस एक को वश में कर लिया तो आप सब को वश में कर सकते है।
2720 यदि आप एक बड़ा झूठ बोलते हैं और उसे अक्सर बोलते हैं तो उस पर यकीन कर लिया जायेगा। 
2721 यदि आप एक बार अपने साथी का भरोसा तोड़ दें तो फिर कभी उनका सत्कार और सम्मान नहीं पा सकेंगे।
2722 यदि आप किसी चीज़ को साधारण तरीके से नहीं समझा सकते है तो इसका मतलब है की आप उसको सही ढंग से नहीं समझ पाए हैं।
2723 यदि आप किसी व्यक्ति से उस भाषा में बात करें जो वो समझता है , तो बात उसके सर में जाती है , यदि आप उससे उसकी भाषा में बात करते हैं, तो बात उसके दिल तक जाती है।
2724 यदि आप केवल मुस्कुराएंगे तो आप पाएंगे की ज़िन्दगी अभी भी मूल्यवान है ।
2725 यदि आप गरीब जन्मे है तो यह आपकी गलती नहीं है लेकिन यदि आप गरीब मरते है तो यह आपकी गलती है।
2726 यदि आप जीतते है तो आप को कुछ भी एक्सप्लेन करने की जरूरत नहीं होती है लेकिन यदि आप हार जाते है तो आपको वहां एक्सप्लेन करने के लिए नहीं होना चाहिए।
2727 यदि आप दुसरो को खुश देखना चाहते है तो सहानुभूति को अपनाइये। यदि आप खुश होना चाहते है तो सहानुभूति अपनाइये।
2728 यदि आप दूसरों की मदद कर सकते हैं, तो अवश्य करें; यदि नहीं कर सकते हैं तो कम से कम उन्हें नुकसान नही पहुचाइए।
2729 यदि आप दूसरों को प्रसन्न देखना चाहते हैं तो करुणा का भाव रखें।  यदि आप स्वयं प्रसन्न रहना चाहते हैं तो भी करुणा का भाव रखें।
2730 यदि आप दृढ संकल्प और पूर्णता के साथ काम करेंगे तो सफलता ज़रूर मिलेगी.
2731 यदि आप दृढ़ संकल्प के साथ और पूर्णता के साथ काम करते हैं, तो सफलता आपका पीछा करेगी।
2732 यदि आप पागल ही बनना चाहते हैं तो सांसारिक वस्तुओं के लिए मत बनो, बल्कि भगवान के प्यार में पागल बनों।
2733 यदि आप प्रसन्नतापूर्वक जीना चाहते हो तो इसे एक व्यक्ति या वस्तु के बजाय एक लक्ष्य से बांधो।
2734 यदि आप रोते हो क्योंकि सूरज आपके जीवन से  बाहर चला गया है और आपके आँसू  आपको सितारों को  देखने के लिए रोकेंगे।
2735 यदि आप वास्तव में बहुत बारीकी से देखोगे तो आप पाओगे की रातो रात मिलने वाली अधिकतर सफलताओ में बहुत लम्बा वक़्त लगा है।
2736 यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा।
2737 यदि आप सौ लोगो को नहीं खिला सकते तो एक को ही खिलाइए।
2738 यदि आपकी नज़र लाभ पर रहेगी तो आपका ध्यान उत्पाद की गुणवत्ता से हट जायेगा। लेकिन यदि आप एक अच्छा उत्पाद बनाने पर ध्यान लगाओगे तो लाभ अपने आप आपका अनुसरण करेंगा।
2739 यदि आपको अपने चुने हुए मार्ग पर विश्वास है, इस पर चलने का साहस है और मार्ग की हर कठिनाई को जीतने की शक्ति है; तो आपका सफल होना निश्चित है।
2740 यदि आपको लगता है कि आप कर सकते हैं - तो आप कर सकते हैं! अगर आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते - तो आप नहीं कर सकते दोनों ही सूरतों में आप सही हैं 
2741 यदि आपने अपनी मनोवृतियों पर विजय प्राप्त नहीं की, तो मनोवृत्तियां आप पर विजय प्राप्त कर लेंगी।
2742 यदि उद्देश्य नेक ना हो तो ज्ञान बुराई बन जाता है।
2743 यदि एक ही कर्म से समस्त संसार को वश में करना चाहते हो तो पंद्रह मुखों से विचरण करने वाले मन को रोको, अर्थात उसे वश में करो। पंद्रह मुख है ------मुंह, आँख, नाक, कान, जीभ, त्वक, हाथ, पैर, लिंग, गुदा, रस, गंध, स्पर्श और शब्द।
2744 यदि काम किसी काम के लिए माकूल अवसर, आईडिया या परिस्थियों की प्रतीक्षा कर रहे है तो आप कुछ भी हासिल नहीं कर पायेंगे।
2745 यदि किसी कार्य के सम्बन्ध में कोई योजना बनाई हो तो उसे वाणी से प्रकट नहीं करना चाहिए अथार्त उसे कार्यरूप में परिणत करने तक गुप्त मात्र के समान सुरक्षित रखना चाहिए।
2746 यदि किसी को अपने मित्र के रहस्य यानि गुप्तकार्य मालूम हैं तो उन्हें प्रकट नहीं करना चाहिए, इससे कोई लाभ नहीं केवल शत्रुता पैदा होती हैं, जिससे दोनों को हानि होती हैं।
2747 यदि किसी रहस्य को बनाए रखना चाहते है, तो इसे खुद से भी छुपा कर रखिए।
2748 यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा के लिए कोई भय नहीं होना चाहिए.
2749 यदि कोई दुर्बल मनुष्य अपमान करे तो उसे क्षमा कर दो, क्योंकि क्षमा करना ही वीरो का काम है, परन्तु यदि अपमान करने वाला बलवान हो तो उसको अवश्य दंड दो। 
2750 यदि जनरल मोटर्स कम्प्यूटर इंडस्ट्री के हिसाब से अपनी टेक्नोलॉजी का विकास करता तो आज हम $25 की कार चला रहे होते जो 1000 माईल्स पर गैलन के हिसाब से चलती।
2751 यदि जन्म-जन्मांतर से प्राणी ने दान देने तथा शास्त्रों के अध्ययन और तप करने का जो अभ्यास किया होता हैं तो नया शरीर मिलने पर उसी अभ्यास के कारण ही वह सत्कर्मो की ओर परवर्त होता हैं।
2752 यदि तुम अपने अंदर कुछ लिखने की प्रेरणा का अनुभव करो तो तुम्हारे भीतर ये बातें होनी चाहिए- 1. ज्ञान कला का जादू, 2. शब्दों के संगीत का ज्ञान और 3. श्रोताओं को मोह लेने का जादू।
2753 यदि तुम ईश्वर की दी हुई शक्तियो का सदुपयोग नहीं करोगे तो वह अधिक नहीं देगा। इसलिए प्रयत्न आवश्यक है ईश-कृपा के योग्य बनने के लिए भी पुरुषार्थ चाहिए।
2754 यदि तुम उड़ नहीं सकते हो तो दौड़ो, यदि तुम दौड़ नहीं सकते हो तो चलो, यदि तुम चल नहीं सकते हो तो रेंगो।  लेकिन, तुम जैसे भी करो, तुम्हे आगे बढ़ना ही होगा।
2755 यदि तुम जाति, देश और व्यक्तिगत पक्षपातों से जरा ऊँचे उठ जाओ तो निःसंदेह तुम देवता के समान बन जाओगे।
2756 यदि तुम्हारे हाथ रुपए से भरे हुए हैं तो फिर वे परमात्मा की वंदना के लिए कैसे उठ सकते हैं।
2757 यदि तुम्हारे हृदय में ईर्ष्या, घृणा का ज्वालामुखी धधक रहा है, तो तुम अपने हाथों में फूलों के खिलने की आशा कैसे कर सकते हो?
2758 यदि परिवार के एक व्यक्ति के बलिदान अथवा परित्याग से कुल की रक्षा होती हैं तो उसके परित्याग में संकोच नहीं करना चाहिए, क्योकि एक से अनेक का महत्व अधिक हैं। यदि पूरे परिवार के त्याग-बलिदान से गाँव की रक्षा होती हैं को कुल के बलिदान में सोच-विचार नहीं करना चाहिए इसी प्रकार यदि अपने बचाव के लिए परिवार के एक व्यक्ति की नहीं, पुरे परिवार की नहीं, गाँव की नहीं अपुतु यदि पुरे संसार की भी बलि देनी पड़े तो निसंकोच दे देनी चाहिए क्योकि अपने के बढ़कर कुछ नहीं।
2759 यदि पुत्र हो तो पिता का भक्त हो अथार्त माता-पिता के दुखों को दूर करने में जो सहायक होता है, वही पुत्र कहलाने का अधिकारी होता हैं इसी प्रकार संतान का भरण-पोषण करने वाला, उनके सुख-दुःख का ध्यान रखने वाला व्यक्ति ही सच्चे अर्थो में पिता कहला सकता हैं। विश्वास करने योग्य व्यक्ति को ही अच्छा मित्र कहा गया है और अपने पति को सुख देने वाली स्त्री को ही सच्चे अर्थो में पत्नी माना गया हैं।
2760 यदि पुराने आइडिया को भी नए तरीके से पेश कर सके तो इसका मतलब है कि हमारा दिमाग सक्रिय है।
2761 यदि भगवान जगत के पालनकर्ता है तो हमें जीने की क्या चिंता है? यदि वे रक्षक न होते तो माता के स्तनों से दूध क्यों निकलता? यही बार-बार सोचकर हे लक्ष्मीपति ! अर्थात विष्णु ! मै आपके चरण-कमल में सेवा हेतु समय व्यतीत करना चाहता हूं।
2762 यदि भारत को एक महान राष्ट्र बनना चाहता है, तो हमें भरोसा करने का साहस होना चाहिए. यह मेरा विश्वास है।
2763 यदि मद मस्त हाथी अपने माथे से टपकने वाले रस को पीने वाले भौरों को कान हिलाकर उड़ा देता है, तो भौरों का कुछ नहीं जाता, वे कमल से भरे हुए तालाब की ओर ख़ुशी से चले जाते है। हाथी के माथे का श्रृंगार कम हो जाता है उसी प्रकार धनी लोगो को चाहिए कि याचको को निराश न लौटाएं।
2764 यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।
2765 यदि माता दुष्ट है तो उसे भी त्याग देना चाहिए।
2766 यदि मानव जीवन को जीवित रखना है तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी।
2767 यदि मानवो में पृथ्वी के समान क्षमाशील पुरुष न हो तो मानवों में कभी संधि हो ही नही सकती, क्योंकि झगडे की जड़ तो क्रोध ही है। 
2768 यदि मुक्ति चाहते हो तो समस्त विषय-वासनाओं को विष के समान छोड़ दो और क्षमाशीलता, नम्रता, दया, पवित्रता और सत्यता को अमृत की भांति पियो अर्थात अपनाओ।
2769 यदि मेहनत करने के बाद भी सपने पुरे न हो तो रास्ता बदलो सिद्धान्त नहीं, क्योंकि वृक्ष भी हमेशा पते बदलते है अपना मूल नही |
2770 यदि ये सात व्यक्ति – विधार्थी, नौकर, राह चलने वाले मुसाफिर, भूखा, भय से घबराया हुआ, भण्डारी अथार्त भोजन-सामाग्री के संग्रालय का अधिकारी तथा द्वारपाल – सो रहे हो, तो इन्हें निसंकोच भाव से जगा देना चाहिए, क्योकि इनके कर्तव्य-कर्म का निर्वाह इनके जागते रहने में ही है, सोने में नहीं। इनका सोना इनके प्रमाद का सूचक और हानिकारक है। यही कारण है कि इन सोये हुओ को जगाने पर कृतज्ञता मिलती है जगाने वाले को अच्छा ही कहा जायेगा।
2771 यदि लोगों को पता लग जाए की अपनी कला  महारत हासिल करने के लिए मुझे कितनी मेहनत करनी पड़ी है तो उन्हें यह इतनी खूबसूरत नहीं लगेगी। 
2772 यदि विष में भी अमृत की प्राप्ति होती हैं तो उसको ग्रहण कर लेना चाहिए,उसका परित्याग नहीं करना चाहिए इसी प्रकार यही किसी गन्दी जगह सोना आदि मूल्यवान वस्तु पड़ी हो तो उसको उठा लेना चाहिए, अथार्थ यदि किसी नीच व्यक्ति के पास अच्छी विधा हैं अच्छा गुण हैं तो उसको ग्रहण करने में संकोच नहीं करना चाहिए और कोई नीच कुल की शालीन स्त्री अच्छे गुण से युक्त हैं तो उसको ग्रहण करने में कोई हानि नहीं हैं
2773 यदि व्यक्ति ज्ञान के अनुरूप आचरण नहीं करता तो वह ज्ञान व्यर्थ हैं, अज्ञानी मनुष्य का जीवन व्यर्थ हैं सेनापति के बिना सेना व्यर्थ हैं और पुरुष अथार्थ पति के बिना स्त्री का जीवन व्यर्थ हैं।
2774 यदि व्यक्ति संसार के सभी प्राणियों के वशीकरण का मंत्र सचमुच में ही जानना चाहता हैं तो एक बड़ा ही सरल और सर्वथा अव्यर्थ जाने वाला उपाय यह हैं कि व्यक्ति को अपनी वाणी को परनिंदा से बचाना चाहिए। दूसरों को अपने वश में करने के इच्छुक व्यक्ति को कभी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए।
2775 यदि शत्रु अपने से अधिक बलवान हो तो उसके साथ विनय और दुष्ट शत्रु को बल–प्रयोग द्वारा वश में किया जाए इसका अर्थ यह है कि मनुष्य को समय के अनुरूप बल अथवा विनय का प्रयोग करना चाहिए।
2776 यदि स्त्री सुन्दर हो और घर में लक्ष्मी हो, पुत्र विनम्रता आदि गुणों से युक्त हो और पुत्र का पुत्र घर में हो तो इससे बढ़कर सुख तो इन्द्रलोक में भी नहीं। ऐसी स्थिति में स्वर्ग घर में ही है।
2777 यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।
2778 यदि हम अपने काम में लगे रहे तो हम जो चाहें वो कर सकते हैं.
2779 यदि हम भूत और भविष्य के विवाद में फंसते है तो हम पाएंगे की हमने भविष्य खो दिया है।
2780 यदि हम युद्ध को खत्म नहीं करेंगे तो वह हमें खत्म कर देगा।
2781 यदि हम विश्वास के साथ लड़ते हैं तो हमारी शक्ति दुगनी हो जाती है।
2782 यदि हम सवतंत्र नहीं है तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा।
2783 यदि हम हर वो चीज कर दें जिसके हम सक्षम हैं, तो सचमुच हम खुद को ही चकित कर देंगे।
2784 यदि हम ज़िन्दगी मिलने से खुश हैं तो मृत्यु के लिए भी शिकायत नहीं करनी चाहिए क्योंकि दोनों देनेवाला तो एक ही है।
2785 यदि हमारे मन में शांति नहीं है तो इसकी वजह है कि हम यह भूल चुके हैं कि हम एक दुसरे के हैं।
2786 यद्पि मेरी बुद्धि देववाणी (संस्कृत) में श्रेष्ठ है, तब भी मै दूसरी भाषा का लालची हूं। जैसे अमृत पीने पर भी देवताओं की इच्छा स्वर्ग की अप्सराओं के ओष्ट रूपी मद्ध  को पीने की बनी रहती है।
2787 यद्यपि आप अल्पमत में हों, पर सच तो सच है।
2788 यवन से बढ़कर अथार्थ धर्मविरोधी व्यक्ति से बढ़कर संसार में कोई और बड़ा नीच नहीं हैं इसलिए उससे तो सवर्था दूर ही रहना चाहिए।
2789 यश शरीर को नष्ट नहीं करता।
2790 यह  भगवान  से  प्रेम  का  बंधन  वास्तव  में ऐसा है  जो  आत्मा  को  बांधता  नहीं  है  बल्कि  प्रभावी  ढंग  से  उसके  सारे  बंधन  तोड़  देता  है।
2791 यह आश्चर्यजनक बात है बहुत से लोगों ने अपने दिमाग से सुव्यस्थित निश्चित रूप से कार्य करने के लिए प्रयास किया हैं।
2792 यह उचित है की हर व्यक्ति को वह दिया जाये जिसके वो योग्य है।
2793 यह एक निश्चित तथ्य है कि बहुत से लोगो का समूह ही शत्रु पर विजय प्राप्त करता है, जैसे वर्षा की धार को धारण करने वाले मेघों के जल को तिनको के द्वारा (तिनके का बना छप्पर) ही रोका जा सकता है।
2794 यह एक रणक्षेत्र है, मेरा शरीर, जिसने बहुत कुछ सहा है.
2795 यह काम वैसे तो आसन नहीं हैं लेकिन ये है बहुत ही जरुरी, अगर आप बात बात अपना आपा खो देंगे तो लोक-वयवहार में कमी आएगी और आपको अपने लक्ष्य प्राप्त करने में ज्यादा समय लगेगा।
2796 यह ज़रूरी है कि हम अपना दृष्टिकोण  और ह्रदय जितना सभव  हो अच्छा करें।  इसी से हमारे और अन्य लोगों के जीवन में, अल्पकाल और  दीर्घकाल दोनों में ही खुशियाँ आयंगी।
2797 यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दुसरो के लिए जीते है, वे वास्तव में जीते है।
2798 यह दुनिया एक किताब की तरह है, जो लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते नहीं है, वह इस किताब का सिर्फ एक ही पन्ना पढ़ते है।
2799 यह दुनिया खुशियों से भर जाएगी अगर मनुष्य के पास चुप रहने की उतनी ही ताकत हो, जितनी बोलने की है।
2800 यह नश्वर शरीर जब तक निरोग व स्वस्थ है या जब तक मृत्यु नहीं आती, तब तक मनुष्य को अपने सभी पुण्य-कर्म कर लेने चाहिए क्योँकि अंत समय आने पर वह क्या कर पाएगा।

Thursday, May 12, 2016

#2601-2700



2601 मेरा विश्वास है की यदि आप लोगो को समस्याएं दिखाओंगे और उनका हल सुझाओगे, तो लोग उसको अपनाने के लिए आकर्षित होंगे।
2602 मेरी अनुमति के बिना कोई भी मुझे ठेस नहीं पहुंचा सकता।
2603 मेरी चिंता ये नहीं है की भगवान मेरे साथ है या नहीं। मेरी चिंता ये है की मै भगवान के साथ हूं या नहीं। क्योंकि भगवान हमेशा सही होता है।
2604 मेरी ज़िन्दगी में कई तकलीफे है पर मेरे होठ उनको नहीं जानते है।  वो हमेशा मुस्कुराते है।
2605 मेरे काम शुरू करने से पहले ही पत्थर के अंदर कलाकृति मौजूद होती है, मैं तो केवल बेकार की चीज़ें बाहर निकालता हूँ।
2606 मेरे देश में लोग पहले जेल जाते हैं और फिर राष्ट्रपति बन जाते हैं।
2607 मेरे पास वो दोस्त हैं, जिनकी दोस्ती को दुनिया के राजाओं तक के पक्ष के लिए बदला नहीं किया जा सकता हैं।
2608 मेरे पीछे न चलिए, शायद मैं नेतृत्व न कर पाऊं।  मेरे आगे न चलिए, शायद मैं पीछा करने में विफल रहूँ। एक दोस्त बनकर मेरे साथ, कंधे से कन्धा मिलाकर चलिए।  जीवन सुंदर बन जाएगा।
2609 मेरे भूत, वर्तमान और भविष्य के बीच एक आम कारक है – रिश्ते और विश्वास| यही हमारे विकास की नीव हैं.
2610 मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं आता जिसमें मौत कीछाया नहीं दिखती हो।
2611 मेरे लिए नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज़ नहीं है।
2612 मेरे शब्दकोष में असंभव शब्द नहीं है। 
2613 मेहनत हमेशा धन से पहले और धन से स्वतंत्र है। धन तो मेहनत का केवल एकमात्र फल है। और अगर मेहनत नहीं की जाती तो ये कभी अस्तित्व में नहीं आता। मेहनत धन से बड़ी है, और उससे ज्यादा महत्व रखती है।
2614 मै आगे भी श्रीमदभागवत गीता के articles share करूँगा, अगर आपको ये पोस्ट पसंद आये तो share करना मत भूलियेगा।
2615 मै जानता हूं वो किताबो में है।  सच्चा दोस्त वो है जो मुझे ऐसी किताब लेकर दे, जो मैने अभी तक नहीं पड़ी।
2616 मै हमेशा सीखने के लिये तैयार हू ,पर मै हमेशा सिखाया जाना पसंद नहीं करता।
2617 मै हिंदी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता, किन्तु उनके साथ हिंदी को भी मिला देना चाहता हूं।
2618 मैं  यकीन नहीं करता कि जनता जानती है कि  उसे क्या चाहिए; मैंने अपने करीयर से यही निष्कर्ष निकाला है।
2619 मैं अपनी सबसे बड़ी ख़ुशी और अपना इनाम उस काम में प्राप्त कर लेता हूँ, जिसे दुनिया सफलता कहती है।
2620 मैं अपनी साड़ी सफलता का श्रेय इस तथ्य को देता हूँ कि मेरे कार्यस्थल पर कभी घड़ी नही रहती थी।
2621 मैं अपने जीवन को एक पेशा नहीं मानता। मैं कर्म में विश्वास रखता हूं। मैं परिस्थितियों से शिक्षा लेता हूं। यह पेशा या नौकरी नहीं है यह तो जीवन का सार है। 
2622 मैं असफल नहीं हुआ हूँ बल्कि मैंने बस 10, 000 ऐसे तरीके खोज लिए हैं जो काम नहीं करते हैं।
2623 मैं आपको एक सत्य बताता हूँ आप इस दुनिया में हैं इसमें कुछ भी गलत नहीं हैं परन्तु आपको अपना ध्यान भगवान की और लगाना चाहिए नहीं तो आप सफल नहीं हो पाओगे। एक हाथ से अपने कर्तव्य का निर्वाह करों और दुसरे हाथ से भगवान की भक्ति करते रहो, जब आपकी ड्यूटी ख़तम हो जाएगी तो आप अपने दोनों हाथों से भगवान की भक्ति कर पाओगे।
2624 मैं इतना अच्छा इंसान हूँ कि तुम्हे क्षमा कर दूं पर इतना मूर्ख नहीं कि तुम्हारा विश्वास करूँ।
2625 मैं ईश्वर के साथ शांति से हूँ। मेरा टकराव इंसानों के साथ है।
2626 मैं उस  आदमी  को  पसंद  करता  हूँ  जो  झगड़ते  वक़्त  मुस्कुराता  है।
2627 मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए....
2628 मैं एक आशावादी होने का अपना ही संसकरण बन गया हूँ. यदि मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाता तो दुसरे से जाऊंगा- या एक नया दरवाजा बनाऊंगा. वर्तमान चाहे जितना भी अंधकारमय हो कुछ शानदार सामने आएगा।
2629 मैं एक कठिन काम को करने के लिए एक आलसी इंसान को चुनुंगा क्योकि आलसी इंसान उस काम को करने का एक आसान तरीका खोज लेगा।
2630 मैं एक गरीब आदमी हूँ।  साधारण हैसियत वाला।  ईश्वर ने मुझे एक कला दी है। उसी के सहारे अपनी ज़िन्दगी को लम्बा खीचने की कोशिश कर रहा हूँ।
2631 मैं एक गरीब राजा की तुलना में जल्द ही एक सफल धूर्त कहलाना चाहूँगा।
2632 मैं एक छोटी पेंसिल के समान हूँ जो ईश्वर के हाथ में है जो इस संसार को प्रेम का सन्देश भेज रहे हैं।
2633 मैं एक बेवकूफ स्वर्ग की अपेक्षा बुद्धिमान नरक को पसंद करूँगा।
2634 मैं एक विजेता हूँ।
2635 मैं एक हैंडसम इंसान नहीं हूँ लेकिन मैं  अपना हैंड उस किसी भी व्यक्ति को दे सकता हूँ जिसको की मदद की जरूरत है। सुंदरता हृदय में होती है, चेहरे में नहीं।
2636 मैं ऐसी सुन्दरता के साथ धैर्यपूर्वक नहीं रह सकता जिसे समझने के लिए किसी को व्याख्या करनी पड़े।
2637 मैं ऐसे  धर्म  को  मानता  हूँ  जो  स्वतंत्रता , समानता , और  भाई -चारा  सीखाये .
2638 मैं कभी  कारवाई  के  बारे  में  चिंता  नहीं  करता  हूँ , पर  निष्क्रियता  के  बारे  में  करता  हूँ।
2639 मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है; मैं हमेशा देखता हूँ कि क्या किया जाना बाकी है।
2640 मैं कभी लोमड़ी बनता हूँ तो कभी शेर। शासन का पूरा रहस्य ये जानने में है कि कब क्या बनना है।
2641 मैं कभी शेयर बाज़ार से पैसे बनाने की कोशिश नहीं करता. मैं इस धारणा के साथ शेयर खरीदता हूँ कि बाज़ार अगले दिन बंद हो जायेगा और पाच साल तक नहीं खुलेगा.
2642 मैं किसी को भी कुछ नहीं सीखा सकता हूँ, मैं उन्हें केवल सोचने लायक बना सकता हूँ।
2643 मैं किसी को भी गंदे पाँव के साथ अपने मन से नहीं गुजरने दूंगा।
2644 मैं केवल उस चीज़ के लिए लड़ सकता हूँ जिसे मैं प्यार करता हूँ, उसे प्यार करता हूँ जिसे मैं आदर देता हूँ,  और उसे आदर देता हूँ जो मैं जानता हूँ।
2645 मैं गीता में जीता हूँ।
2646 मैं चाहता हूँ की आप अपने पडोसी के लिए भी चिंतित हों, क्या आप जानते हैं की आपका पडोसी है कौन ?
2647 मैं जातिवाद से घृणा करता हूँ, मुझे यह बर्बरता लगती है , फिर चाहे वह अश्वेत व्यक्ति से आ रही हो या श्वेत व्यक्ति से।
2648 मैं जानता हूँ, ये दुनिया अनंत बुद्धि द्वारा शासित होती है। हमारे आस -पास जो। कुछ भी है और जिस किसी चीज का भी अस्तित्व है वह यह साबित करता है कि उसके पीछे असंख्य नियम हैं। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता। ये अपनी सटीकता में गणितीय है।
2649 मैं जो भी  हूँ, या  होने की  आशा  करता  हूँ, उसका श्रेय मेरी माँ को जाता  है.
2650 मैं जो भी हूँ, या होने की आशा करता हूँ, उसका श्रेय मेरी माँ को जाता है। 
2651 मैं ज्यादातर लोगों के लिए भावना का प्रयोग करता हूँ और कुछ के लिए कारण बचा कर रखता हूँ।
2652 मैं झूठ  बोल  सकता  हूँ  कि  मेरी  बीवी  मेरे  लिए  खाना  बनाती  है , लेकिन  ऐसा  नहीं   है . मेरी  बीवी  ने  कभी  खाना  बनाना  नहीं  सीखा  लेकिन  उसके  पास  घर  पे  बहुत  अच्छे   कुक्स  हैं .
2653 मैं डगमगाता या हिलता नहीं हूँ.
2654 मैं तुमसे प्रेम करता हूँ जब तुम अपने मस्जिद में झुकते हो , अपने मंदिर में घुटने टेकते हो , अपने गिरजाघर में प्रार्थना करते हो। क्योंकि तुम और मैं एक ही धर्म की संतान हैं , और यही भावना है।
2655 मैं तुम्हे एक नया आदेश देता हूँ: एक दूसरे से प्रेम करो. जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया है, तुम एक दूसरे से प्रेम करो.
2656 मैं तुम्हे शांति का प्रस्ताव देता हूँ. मैं तुम्हे प्रेम का प्रस्ताव देता हूँ. मैं तुम्हारी सुन्दरता देखता हूँ.मैं तुम्हारी आवश्यकता सुनता हूँ.मैं तुम्हारी भावना महसूस करता हूँ।
2657 मैं तैयारी करूँगा और  मेरा मौका आएगा।
2658 मैं नकारात्मक परिणाम भी प्राप्त करना चाहता हूँ ये भी सकारात्मक परिणाम कि ही तरह मूल्यवान हैं। मुझे सबसे अच्छी कार्य करने वाली वस्तु तब तक नहीं मिल सकती जब तक कि वो सब (चीजे) नहीं मिल जाती जो कि कार्य अच्छे नहीं कर सकती।
2659 मैं नहीं जानता मेरे दादाजी कौन थे; मेरा सारा ध्यान यह जानने में है की उनका पोता क्या होगा।
2660 मैं परीक्षा में कुछ विषयो में फ़ैल हो गया। और मेरे सभी दोस्त पास हो गये! अब वे माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी में इंजीनियर है और मै माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी का मालिक हूँ।
2661 मैं पैसों के लिए बिजनेस में गया, और वहीँ से कला पैदा हुई। यदि इस टिपण्णी से लोगों का मोह भंग होता है तो मैं कुछ नहीं कर सकता। यही सच है।
2662 मैं भारत को एक महान आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना देखता हूँ।
2663 मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ।
2664 मैं माफ़ कर सकता हूँ लेकिन भूल नहीं सकता, मैं माफ़ नहीं करूँगा कहने का एक और तरीका है। 
2665 मैं यह कर सकता हूँ।
2666 मैं ये पता कर लेता हूँ कि दुनिया को क्या चाहिए। फिर मैं आगे बढ़ता हूँ और उसका आविष्कार करने का प्रयास करता हूँ।
2667 मैं लोगों के लिए हूँ। इसका मैं कुछ नहीं कर सकता।
2668 मैं वहां से कार्य शुरू करता हूँ जहाँ से आखिरी प्रयासरत व्यक्ति ने छोड़ा था।
2669 मैं वास्तव  में  यकीन  करता  हूँ  कि  मेरा  काम  ये  सुनिश्चित  करना  है  की  लोग  हंसें।
2670 मैं शायद ही कभी ऐसे गणितज्ञ से मिला हूँ जो तर्क करना जानता हो।
2671 मैं सफलता के लिए प्रार्थना नहीं करता मैं सच्चाई के लिए करता हूँ।
2672 मैं सबसे  अच्छे  से  आसानी  से  संतुष्ट  हो  जाता  हूँ।
2673 मैं सबसे अच्छा हूँ।
2674 मैं सभी जीवित लोगों में सबसे बुद्धिमान हूँ, क्योंकि मैं ये जानता हूँ कि मैं कुछ नहीं जानता हूँ। 
2675 मैं सम्पूर्ण नहीं हूँ, मैं गलतियाँ करता हूँ, मैं लोगों को ठेस पहुंचता हूँ, लेकिन जब मैं किसी से क्षमा मांगता हूँ तो मैं दिल से मांगता हूँ।
2676 मैं सिर्फ और सिर्फ एक चीज रहता हूँ और वो है एक जोकर। ये मुझे राजनीतिज्ञों की तुलना में कहीं ऊँचे स्थान पर स्थापित करता है।
2677 मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है।
2678 मैं हमेंशा इसी बात से परेशान रहता हूँ कि मानव स्थिति को सुधारने के लिए महत्‍वपूर्ण मापदण्‍ड क्‍या होने चाहिए।
2679 मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता।
2680 मैं हमेशा पहले  से  भविष्यवाणी  करने  से  बचता  हूँ , क्योंकि  घटना  घट जाने  के  बाद भविष्यवाणी  करना  काफी  बेहतर  होता  है।
2681 मैं हमेशा बरसात में घूमना पसंद करता हूँ ताकि कोई मुझे रोते हुए ना देख पाए।
2682 मैं हर एक वस्तु में हूँ और उससे परे भी. मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ.
2683 मैं हिंसा का विरोध करता हूँ क्योंकि जब ऐसा लगता है कि वो अच्छा कर रही है तब वो अच्छाई अस्थायी होती है; और वो जो बुराई करती है वो स्थायी होती है।
2684 मैं ७ फुट के अवरोध को पार करने की नहीं सोचता: मैं १ फुट का अवरोध ढूंढता हूँ जिसे मैं पार कर सकूँ.
2685 मैं-मैं करने से कोई लाभ नहीं, कर्म ही जीवन हैं
2686 मैंने अपने जीवन में एक भी दिन काम नहीं किया जो किया। वो सब तो मनोरंजन था।
2687 मैंने ऊपर श्रीमदभागवत गीता के कुछ श्लोक का Hindi Translation प्रस्तुत किया हैं आशा हैं आपको पसंद आएगा।
2688 मैंने कभी भी कोई करने योग्य चीज संयोग से नहीं की, ना ही मेरे कोई आविष्कार इत्तफाक से हुए, वो काम करने से आये।
2689 मैंने कुछ भी दुर्घटनावश नहीं किया, ना ही मेरे कोई आविष्कार दुर्घटना की वजह से हुए;वे सब काम द्वारा आये और कार्य करने का ही परिणाम हैं।
2690 मैंने पत्थर में परी को देखा और तब तक तराशता रहा जब तक की वह पत्थर से बाहर नहीं निकल आई। 
2691 मैंने प्रेम को ही अपनाने का निर्णय किया है। द्वेष करना तो बेहद बोझिल काम है।
2692 मैंने बातूनियों से शांत रहना सीखा है , असहिष्णु व्यक्तियों से सहनशीलता सीखी है , निर्दयी व्यक्तियों से दयालुता सीखी है ; पर फिर भी कितना अजीब है कि मैं उन शिक्षकों का आभारी नहीं हूँ।
2693 मैंने ये जाना है कि डर का ना होना साहस नही है , बल्कि डर पर  विजय पाना साहस है. बहादुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता , बल्कि वह है जो इस भय को परास्त करता है।
2694 मैथुन गुप्त स्थान में करना चाहिए, छिपकर चलना चाहिए, समय-समय पर सभी इच्छित वस्तुओं का संग्रह करना चाहिए, सभी कार्यो में सावधानी रखनी चाहिए और किसी का जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए। ये पांच बातें कौवे से सीखनी चाहिए।
2695 मैले-कुचैले वस्त्र पहनने वाला, गन्दे-मैले दांतों वाला, अधिक खाने वाला, कानो पर हथौड़ा पड़ने जैसी कर्कश वाणी बोलने वाला, सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोता रहने वाला यदि साक्षात् विष्णु भी हो तो लक्ष्मी भी उसे अवश्य छोड़ देती हैं।दूसरों के विषय में तो फिर कहना ही क्या।
2696 मोमबत्ती जलाकर मुर्दों को याद करना, और मोमबत्ती बुझाकर जन्मदिन मनाना...
2697 मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने कि तरह हैं, यह तब तक ही सच लगता है जब तक आप अज्ञान की नींद में सो रहे होते है।  जब नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है।
2698 मौकों की तलाश करने से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं मौके पैदा करना।
2699 मौत कुछ भी नहीं है , लेकिन हार कर और लज्जित होकर जीना रोज़ मरने के बराबर है। 
2700 मौत के बाद ज़िन्दगी कैसी होगी, इस बारे में सोचने की जरुरत नहीं है। ऐसा करने से आप न तो नरक से भयभीत होंगे और न ही स्वर्ग की बोरियत के बारे में सोचेंगे।

Wednesday, May 11, 2016

#2501-2600


2501 मल का त्याग करने वाली इन्द्रिय को कितनी ही बार स्वच्छ किया जाये, साबुन पानी से सैकड़ो बार धोने पर भी वह स्पर्श करने योग्य नहीं बन पाती, इसी प्रकार इस संसार में दुर्जनों को सुधरने का प्रयास निरर्थक ही हैं।
2502 मलेच्छ अर्थात नीच की भाषा कभी शिक्षा नहीं देती।
2503 मलेच्छ अर्थात नीच व्यक्ति की भी यदि कोई अच्छी बात हो अपना लेना चाहिए।
2504 मशवरा तो खूब देते हो "खुश रहा करो" कभी कभी वजह भी दे दिया करो...
2505 मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए....अभिमान मर जाएगा | आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए .....पत्थर दिल पिघल जाएगा | दांतों को आराम देकर देखिए ........स्वास्थ्य सुधर जाएगा | जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए .....क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा | इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए ......खुशियों का संसार नज़र आएगा | पूरी जिंदगी हम इसी बात में गुजार देते हैं कि "चार लोग क्या कहेंगे", और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि "राम नाम सत्य है
2506 मस्तिष्क   की  शक्तियां  सूर्य  की  किरणों  के  समान  हैं।  जब  वो  केन्द्रित  होती  हैं ; चमक  उठती  हैं।
2507 महत्व विद्या का हैं, वंश का नहीं, हाँ यदि वंश भी श्रेष्ठ हो और व्यक्ति विद्वान और चरित्रवान भी हो तो वह निश्चित रूप से उत्कष्ट और आदरणीय होता हैं शास्त्रों ने कहा भी हैं कि विधाहीन व्यक्ति पशु के समान हैं।
2508 महर्षि वशिष्ठ राम से कहते है ------'हे राम ! धर्म के निर्वाह में सदैव तत्पर रहने, मधुर वचनों का प्रयोग करने, दान में रूचि रखने, मित्र से निश्छल व्यवहार करने, गुरु के प्रति सदैव विनम्रता रखने, चित्त में अत्यंत गंभीरता को बनाए रखने, ओछेपन को त्यागने, आचार-विचार में पवित्रता रखने, गुण ग्रहण करने के प्रति सदैव आग्रह रखने, शास्त्रों में निपुणता प्राप्त करने तथा शिव के प्रति सदा भक्ति-भाव रखने के गुण केवल तुम्हारे भीतर ही दिखलाई पड़ते है इसीलिए लोग तुम्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहते है।'
2509 महाजन द्वारा अधिक धन संग्रह प्रजा को दुःख पहुँचाता है।
2510 महात्मा को पराए बल पर साहस नहीं करना चाहिए।
2511 महात्मा लोग बहुत विचित्र होते हैं वे एक ओर तो लक्ष्मी को तिनके के समान तुच्छ समझते हैं, उन्हें धन की चिंता नहीं होती और दूसरी और यदि उनके पास लक्ष्मी आ जाती हैं तो वे अत्यधिक नम्र हो जाते हैं।
2512 महान  और  अच्छा   कभी – कभार  ही  एक  ही  आदमी  होता  है।
2513 महान असत्यवादी महान जादूगर भी होते हैं।
2514 महान आदमी हमेशा उदास प्रकर्ति के होते है।
2515 महान कार्य के लिए लम्बे समय तक धैर्य बनाए रखना जरुरी है। 
2516 महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं।
2517 महान कार्ये करने का  एक मात्र तरीका यह है की आप अपने काम से प्यार करे।
2518 महान विचार तो मांसपेशियों में उत्पन्न होते हैं।
2519 महान व्यक्तियों का उपहास नहीं करना चाहिए।
2520 महान सपने देखने वाले महान लोगों के सपने हमेशा पूरे होते हैं ।
2521 महापुरुषों के अनमोल विचार / सफलता के अचूक मंत्र / सर्वश्रेष्ठ विचार
2522 मांस खाना सभी के लिए अनुचित है।
2523 माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती.. यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!
2524 माता द्वारा प्रताड़ित बालक माता के पास जाकर ही रोता है।
2525 माता-पिता अपने बच्चों को वसीयत में धन नहीं बल्कि श्रद्धा की भावना दें।
2526 माता-पिता और बच्चे के बीच का सम्बन्ध केवल बंदिशों का नहीं होता। इसमें आपसी स्नेह की बड़ी भूमिका होती है जिसे देखकर बच्चा उदारता और त्याग जैसी चीजे सीखती है।
2527 मानव की प्रगति कभी अपने आप नहीं होती। न्याय के लक्ष्य की ओर बढ़ाए गए हर कदम पर बलिदान, संघर्ष और तकलीफे होती है। लक्ष्य के लिए समर्पित व्यक्तियों का अथक परिश्रम और जूनून होता है।
2528 मानव के जीवन में सभी बातें पूर्व-निर्धारित होती हैं अर्थात जब जीव माँ के गर्भ में आता हैं, तो उसी समय अर्थात उसके जन्म लेने से पूर्व ही उस प्राणी की पांच बातें – कितने समय उसे इस धरती पर जीना हैं, उसकी मृत्यु का स्थान, समय और प्रकार, उसके कर्मो के मिलने वाले अच्छे बुरे फल अर्थात सुख-दुःख, हानि लाभ, यश – अपयश आदि, उसके भाग्य का धन तथा उसे प्राप्त होने वाली विधा-भगवान् पहले से ही लिख देते हैं।
2529 मानव को जन्म देने वाला, यज्ञोपवित संस्कार करने वाला पुरोहित, विद्या देने वाला आचार्य, अन्न देने वाला व्यक्ति तथा भय से मुक्ति दिलाने अथवा रक्षा करने वाला, ये पांचो पिता के समान माने जाते हैं।
2530 मानव को दान का, तप का, शूरता का, विद्धता का, सुशीलता का और नीतिपुणता का कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योकि इस धरती पर एक से बढ़कर एक दानी, तपस्वी, शूरवीर और विद्वान आदि हैं।
2531 मानव विकास के दो चरण हैं- कुछ होने से कुछ ना होना;और कुछ ना होने से सबकुछ होना. यह ज्ञान दुनिया भर में योगदान और देखभाल ला सकता है.
2532 मानव सभ्यता का इतिहास धीरे-धीरे शिक्षा और विनाश के बीच दौड़ बनता जा रहा हैं। 
2533 मानव-समाज के लिए यज्ञ जहाँ महान उपकारक हैं, बादलो को जन्म देकर अन्न और धन-धान्य की बढ़ोतरी करता हैं, वही यदि उसमे सावधानी न बरती जाएँ, उसे ठीक ढंग से न किया जाए और उसके संपादन में त्रुटिया रह जाए तो वह शत्रु के समान हानिकारक भी होता हैं उसी तरह यदि पुरोहित यज्ञ में ठीक से उच्चारण ना करे तो यज्ञ उसे खत्म कर देता है. और यदि यजमान लोगो को दान एवं भेटवस्तू ना दे तो वह भी यज्ञ द्वारा खत्म हो जाता है.
2534 मानवजाति शाश्वत संघर्ष से शक्तिशाली हुई है और ये सिर्फ अनंत शांति के माध्यम से नष्ट होगी। 
2535 मानवता एक हास्य भूमिका है।
2536 मानवता कभी उतनी सुन्दर नहीं होती जितनी की जब वो क्षमा के लिए प्रार्थना करती है, या जब किसी को क्षमा करती है। 
2537 मानवतावाद मूर्खता और कायरता की अभिव्यक्ति है। 
2538 माफ करने के लिए एक व्यक्ति की ज़रुरत होती है, पुनः संगठित होने के लिए दो की। 
2539 माफ़ करना बहादुरों का गुण है। 
2540 माफ़ करने का मतलब किसी कैदी को आज़ाद करना है और ये जानना है कि आप ही वो कैदी थे। 
2541 माफ़ करने जैसा पूर्ण कोई बदला नहीं है। 
2542 माफ़ी मांगने का मतलब ये नहीं है कि आप गलत हैं और दूसरा व्यक्ति सही है। इसका मतलब ये है कि आप अपने अहम् से ज्यादा अपने सम्बंधों की कदर करते हैं।
2543 माफ़ी मांगने के लिए व्यक्ति को मजबूत होना पड़ता है और एक मजबूत व्यक्ति ही माफ़ कर सकता है।
2544 मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है।
2545 मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो, और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो।
2546 मित्र क्षमा नहीं किये जाते, शत्रु को क्षमा भले ही मिल जाए। 
2547 मित्र बनाने का एक ही तरीका है, खुद दूसरों के मित्र बनिए।
2548 मित्र वो है जिसके शत्रु वही हैं जो आपके शत्रु हैं।
2549 मित्रता का मतलब है तालमेल, न कि अनुबंध। इसका मतलब है क्षमा करना न कि भूला देना। इसका मतलब है सम्पर्क टूट जाने के बाद भी अमिट स्मृतियाँ।
2550 मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
2551 मित्रता बराबर वालों में शोभा पाती है,नौकरी राजा की अच्छी होती है, व्यवहार में कुशल व्यापारी और घर में सुंदर स्त्री शोभा पाती है।
2552 मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है।
2553 मिली थी  जिन्दगी  , किसी के  काम  आने के लिए….. पर  वक्त  बीत रहा है , “कागज” के “टुकड़े” “कमाने” के लिए………
2554 मुझे इस तथ्य पर गर्व है कि मैंने कभी भी हत्या करने के लिए हथियारों का आविष्कार नहीं किया।
2555 मुझे उस ज्ञान से दूर रखो जो रोता न हो , उस दर्शन से दूर रखो जो हँसता न हो और उस महानता से दूर रखो जो बच्चों के सामने सर न झुकाता हो।
2556 मुझे कैरेक्टर के बारे में कुछ पता नहीं था। लेकिन जैसे ही मैं तैयार हुआ, कपडे और मे-कप मुझे उस व्यक्ति की तरह महसूस कराने लगे। मैं उसे जानने लगा, और स्टेज पे जाते-जाते वो पूरी तरह से पैदा हो गया।
2557 मुझे बताइए , यहाँ का मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है? भारत में हम अपनी अच्छाइयों, अपनी उपलब्धियों को दर्शाने में इतना शर्मिंदा क्यों होते हैं? हम एक माहान राष्ट्र हैं. हमारे पास ढेरों सफलता की गाथाएँ हैं, लेकिन हम उन्हें नहीं स्वीकारते. क्यों?
2558 मुझे यकीन है कि सफल और असफल उद्यमियों में आधा फर्क तो केवल दृढ विश्वास का ही है।
2559 मुझे लगता है कि सही समय पर गलत काम करना जीवन की विडंबनाओं में से एक है।
2560 मुझे लगता है हम लोगो का दुखी होना अच्छा है, मेरे लिए यह यीशु के चुम्बन की तरह है।
2561 मुझे सफलताओ से मत आंकिए, बल्कि जितनी बार गिरा हुँ और गिरकर उठा हुँ उस बल पर आंकिए। 
2562 मुनष्य को ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए जहां लोगो का लोक और परलोक की प्रति अथवा ईश्वर की विधमानता में कोई भरोसा न हो उन्हें किसी प्रकार के कर्म में लज्जा अथवा भय नहीं हो जहां के लोग चतुर न हो, उनमें त्याग करने की भावना न हो
2563 मुर्ख  गलती से सीखता है, समझदार दुसरो की गलती से।
2564 मुर्ख लोग कार्यों के मध्य कठिनाई उत्पन्न होने पर दोष ही निकाला करते है।
2565 मुर्ख लोगों का क्रोध उन्हीं का नाश करता है।
2566 मुर्ख व्यक्ति उपकार करने वाले का भी अपकार करता है। इसके विपरीत जो इसके विरुद्ध आचरण करता है, वह विद्वान कहलाता है।
2567 मुर्ख व्यक्ति को अपने दोष दिखाई नहीं देते, उसे दूसरे के दोष ही दिखाई देते हैं।
2568 मुर्ख व्यक्ति से बचना चाहिए। वह प्रत्यक्ष में दो पैरों वाला पशु है। जिस प्रकार बिना आँख वाले अर्थात अंधे व्यक्ति को कांटे भेदते है, उसी प्रकार मुर्ख व्यक्ति अपने कटु व अज्ञान से भरे वचनों से भेदता है।
2569 मुर्ख शिष्य को उपदेश देने, दुष्ट और कुलटा स्त्री के भरण-पोषण करने तथा दुखी व्यक्तियों के संग में रहने से बुद्धिमान व्यक्ति को भी कष्ट हो सकता हैं यहाँ चाणक्य ने यह स्पष्ट किया है की मुर्ख शिष्य को भली बात के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए इसी प्रकार दुष्ट आचरण वाली स्त्री का संग करना भी अनुचित हैं और दुखी व्यक्तियों के पास बैठने-उठने समागम से ज्ञानवान पुरुषो को भी दुःख उठाना पड़ सकता है
2570 मुर्गे से ये चार बाते सीखे 1.सही समय पर उठ 2.नीडर बने और लढे 3.संपत्ति का रिश्तेदारों से उचित बटवारा करे 4.अपने कष्ट से अपना रोजगार प्राप्त करे।
2571 मुश्किल परिस्थितियों में रोने की जरुरत नहीं है। जरुरत है तो उन परिस्थितियों को खूबसूरती के साथ समझनें की।
2572 मुश्किल से मुश्किल काम भी अगर कई छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर किया जाएँ तो वह भी आसन हो जाता हैं। जैसे कि आप खुद को बदलना चाहते हैं, तो पहले छोटे और सकारात्मक बदलाव कीजियें और ऐसे छोटे बदलाव को लगातार करते रहियें। अच्छा पौष्टिक भोजन कीजियें, कसरत कीजियें, धीरे –धीरे और Productive आदत विकसित कीजियें यह सब आप में उत्साह पैदा करेगी और आपको और अधिक सफलता की और बढ़ने में सहयता करेगी।
2573 मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....
2574 मुस्करा कर देखो तो सारा जहाॅ रंगीन है वर्ना भीगी पलको से तो आईना भी धुधंला नजर आता है।
2575 मुस्कुराओ..... क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।
2576 मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों, इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो!!!
2577 मूर्ख छात्रों को पढ़ाने तथा दुष्ट स्त्री के पालन पोषण से और दुखियों के साथ संबंध रखने से, बुद्धिमान व्यक्ति भी दुःखी होता है। तात्पर्य यह कि मूर्ख शिष्य को कभी भी उपदेश नहीं देना चाहिए, पतित आचरण करने वाली स्त्री की संगति करना तथा दुःखी मनुष्यो के साथ समागम करने से विद्वान तथा भले व्यक्ति को दुःख ही उठाना पड़ता है।
2578 मूर्ख व्यक्ति की समृद्धता से समझदार व्यक्ति का दुर्भाग्य कहीं अधिक अच्छा होता है
2579 मूर्खता और बुद्धिमता में यह फर्क है की बुद्धिमता की एक सीमा होती है।
2580 मूर्खो के पंडित, दरिद्रो के धनी, विधवाओं की सुहागिनें और वेश्याओं की कुल-धर्म रखने वाली पतिव्रता स्त्रियां शत्रु होती है।
2581 मूलतः, वही इंसान सफल है जो कुछ काम कर रहा है यही बात फर्क पैदा करती है।
2582 मूल्यहीन व्यक्ति केवल खाने और पीने के लिए जीते हैं; मूल्यवान व्यक्ति केवल जीने के लिए खाते और पीते हैं।
2583 मृत व्यक्ति का औषधि से क्या प्रयोजन।
2584 मृत, अनाथ, और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह तबाही सर्वाधिकार या फिर स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम पर लायी जाती है?
2585 मृतिका पिंड (मिट्टी का ढेला) भी फूलों की सुगंध देता है। अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवशय पड़ता है जैसे जिस मिटटी में फूल खिलते है उस मिट्टी से भी फूलों की सुगंध आने लगती है।
2586 मृत्यु को किसी व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं होता है। क्योंकि जब तक हम जीवित होते है मौत हमारे इर्द गिर्द नहीं होती है। जब हम मर जाते है तो हमारे होने का कोई अर्थ नहीं रहता है।
2587 मृत्यु संभवतः मानवीय वरदानो में सबसे महान  है। 
2588 मृत्यु हर प्रकार की समस्याओं का अंत है। न मनुष्य, न ही कोई समस्या।
2589 मृदंग से आवाज निकलती हैं धिक्तन -इसका संस्कृत में अर्थ हैं -उन्हें धिक्कार हैं इसके आगे कवि कल्पना करता हैं कि जिन लोगो का भगवान श्रीकृष्ण के चरणकमलों में अनुराग हैं, जिनकी जिव्हा को श्री राधा जी और गोपियों के गुणगान में आनन्द नहीं आता, जिनके कान श्रीकृष्ण की सुन्दर कथा को सुनने के लिए सदा उत्सुक नहीं रहते, मृदंग भी उन्हें धिक्कार हैं धिक्कार हैं कहता हैं।
2590 मेरा एक सपना है की मेरे चारो बच्चे एक दिन ऐसे राष्ट्र में रहेंगे जहां उन्हें कोई भी उनकी स्किन के रंग से नहीं पहचानेगा बल्कि उनके चरित्र के गुणों से पहचानेगा।
2591 मेरा जीवन मेरा सन्देश है।
2592 मेरा दर्द किसी के हंसने का कारण हो सकता है पर मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द कारण नहीं  होनी चाहिए।
2593 मेरा धर्म बहुत सरल है। मेरा धर्म दयालुता है।
2594 मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।
2595 मेरा नज़रिया यह है की जवानी में हम अधिक आशावादी और कल्पनाशील होते है और हम दूसरों से कम प्रभावित होते है।
2596 मेरा मानना है कि पैसे से सब कुछ नहीं बल्कि केवल थोडा बहुत किया जा सकता, ये मेरा हर जगह का अनुभव है।
2597 मेरा मानना है की आपका मौन सहमति है।
2598 मेरा मानना ​​है कि आज मेरा आचरण सर्वशक्तिमान निर्माता की इच्छा के अनुसार है।
2599 मेरा यह सन्देश विशेष रूप से युवाओ के लिए है।  उनमे अलग सोच रखने का साहस, नए रास्तो पर चलने का साहस, आविष्कार करने का साहस होना चाहिए।  उन्हें समस्याओ से लड़ना और उनसे जीतना आना चाहिए।  ये सभी महान गुण है और युवाओ को इन गुणों को अपनाना चाहिए।
2600 मेरा वायदा है कि सबसे सस्ता और गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन प्रदान करूँगा।