Showing posts with label महान विचार तो मांसपेशियों में उत्पन्न होते हैं।. Show all posts
Showing posts with label महान विचार तो मांसपेशियों में उत्पन्न होते हैं।. Show all posts

Wednesday, May 11, 2016

#2501-2600


2501 मल का त्याग करने वाली इन्द्रिय को कितनी ही बार स्वच्छ किया जाये, साबुन पानी से सैकड़ो बार धोने पर भी वह स्पर्श करने योग्य नहीं बन पाती, इसी प्रकार इस संसार में दुर्जनों को सुधरने का प्रयास निरर्थक ही हैं।
2502 मलेच्छ अर्थात नीच की भाषा कभी शिक्षा नहीं देती।
2503 मलेच्छ अर्थात नीच व्यक्ति की भी यदि कोई अच्छी बात हो अपना लेना चाहिए।
2504 मशवरा तो खूब देते हो "खुश रहा करो" कभी कभी वजह भी दे दिया करो...
2505 मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए....अभिमान मर जाएगा | आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए .....पत्थर दिल पिघल जाएगा | दांतों को आराम देकर देखिए ........स्वास्थ्य सुधर जाएगा | जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए .....क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा | इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए ......खुशियों का संसार नज़र आएगा | पूरी जिंदगी हम इसी बात में गुजार देते हैं कि "चार लोग क्या कहेंगे", और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि "राम नाम सत्य है
2506 मस्तिष्क   की  शक्तियां  सूर्य  की  किरणों  के  समान  हैं।  जब  वो  केन्द्रित  होती  हैं ; चमक  उठती  हैं।
2507 महत्व विद्या का हैं, वंश का नहीं, हाँ यदि वंश भी श्रेष्ठ हो और व्यक्ति विद्वान और चरित्रवान भी हो तो वह निश्चित रूप से उत्कष्ट और आदरणीय होता हैं शास्त्रों ने कहा भी हैं कि विधाहीन व्यक्ति पशु के समान हैं।
2508 महर्षि वशिष्ठ राम से कहते है ------'हे राम ! धर्म के निर्वाह में सदैव तत्पर रहने, मधुर वचनों का प्रयोग करने, दान में रूचि रखने, मित्र से निश्छल व्यवहार करने, गुरु के प्रति सदैव विनम्रता रखने, चित्त में अत्यंत गंभीरता को बनाए रखने, ओछेपन को त्यागने, आचार-विचार में पवित्रता रखने, गुण ग्रहण करने के प्रति सदैव आग्रह रखने, शास्त्रों में निपुणता प्राप्त करने तथा शिव के प्रति सदा भक्ति-भाव रखने के गुण केवल तुम्हारे भीतर ही दिखलाई पड़ते है इसीलिए लोग तुम्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहते है।'
2509 महाजन द्वारा अधिक धन संग्रह प्रजा को दुःख पहुँचाता है।
2510 महात्मा को पराए बल पर साहस नहीं करना चाहिए।
2511 महात्मा लोग बहुत विचित्र होते हैं वे एक ओर तो लक्ष्मी को तिनके के समान तुच्छ समझते हैं, उन्हें धन की चिंता नहीं होती और दूसरी और यदि उनके पास लक्ष्मी आ जाती हैं तो वे अत्यधिक नम्र हो जाते हैं।
2512 महान  और  अच्छा   कभी – कभार  ही  एक  ही  आदमी  होता  है।
2513 महान असत्यवादी महान जादूगर भी होते हैं।
2514 महान आदमी हमेशा उदास प्रकर्ति के होते है।
2515 महान कार्य के लिए लम्बे समय तक धैर्य बनाए रखना जरुरी है। 
2516 महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं।
2517 महान कार्ये करने का  एक मात्र तरीका यह है की आप अपने काम से प्यार करे।
2518 महान विचार तो मांसपेशियों में उत्पन्न होते हैं।
2519 महान व्यक्तियों का उपहास नहीं करना चाहिए।
2520 महान सपने देखने वाले महान लोगों के सपने हमेशा पूरे होते हैं ।
2521 महापुरुषों के अनमोल विचार / सफलता के अचूक मंत्र / सर्वश्रेष्ठ विचार
2522 मांस खाना सभी के लिए अनुचित है।
2523 माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती.. यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!
2524 माता द्वारा प्रताड़ित बालक माता के पास जाकर ही रोता है।
2525 माता-पिता अपने बच्चों को वसीयत में धन नहीं बल्कि श्रद्धा की भावना दें।
2526 माता-पिता और बच्चे के बीच का सम्बन्ध केवल बंदिशों का नहीं होता। इसमें आपसी स्नेह की बड़ी भूमिका होती है जिसे देखकर बच्चा उदारता और त्याग जैसी चीजे सीखती है।
2527 मानव की प्रगति कभी अपने आप नहीं होती। न्याय के लक्ष्य की ओर बढ़ाए गए हर कदम पर बलिदान, संघर्ष और तकलीफे होती है। लक्ष्य के लिए समर्पित व्यक्तियों का अथक परिश्रम और जूनून होता है।
2528 मानव के जीवन में सभी बातें पूर्व-निर्धारित होती हैं अर्थात जब जीव माँ के गर्भ में आता हैं, तो उसी समय अर्थात उसके जन्म लेने से पूर्व ही उस प्राणी की पांच बातें – कितने समय उसे इस धरती पर जीना हैं, उसकी मृत्यु का स्थान, समय और प्रकार, उसके कर्मो के मिलने वाले अच्छे बुरे फल अर्थात सुख-दुःख, हानि लाभ, यश – अपयश आदि, उसके भाग्य का धन तथा उसे प्राप्त होने वाली विधा-भगवान् पहले से ही लिख देते हैं।
2529 मानव को जन्म देने वाला, यज्ञोपवित संस्कार करने वाला पुरोहित, विद्या देने वाला आचार्य, अन्न देने वाला व्यक्ति तथा भय से मुक्ति दिलाने अथवा रक्षा करने वाला, ये पांचो पिता के समान माने जाते हैं।
2530 मानव को दान का, तप का, शूरता का, विद्धता का, सुशीलता का और नीतिपुणता का कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योकि इस धरती पर एक से बढ़कर एक दानी, तपस्वी, शूरवीर और विद्वान आदि हैं।
2531 मानव विकास के दो चरण हैं- कुछ होने से कुछ ना होना;और कुछ ना होने से सबकुछ होना. यह ज्ञान दुनिया भर में योगदान और देखभाल ला सकता है.
2532 मानव सभ्यता का इतिहास धीरे-धीरे शिक्षा और विनाश के बीच दौड़ बनता जा रहा हैं। 
2533 मानव-समाज के लिए यज्ञ जहाँ महान उपकारक हैं, बादलो को जन्म देकर अन्न और धन-धान्य की बढ़ोतरी करता हैं, वही यदि उसमे सावधानी न बरती जाएँ, उसे ठीक ढंग से न किया जाए और उसके संपादन में त्रुटिया रह जाए तो वह शत्रु के समान हानिकारक भी होता हैं उसी तरह यदि पुरोहित यज्ञ में ठीक से उच्चारण ना करे तो यज्ञ उसे खत्म कर देता है. और यदि यजमान लोगो को दान एवं भेटवस्तू ना दे तो वह भी यज्ञ द्वारा खत्म हो जाता है.
2534 मानवजाति शाश्वत संघर्ष से शक्तिशाली हुई है और ये सिर्फ अनंत शांति के माध्यम से नष्ट होगी। 
2535 मानवता एक हास्य भूमिका है।
2536 मानवता कभी उतनी सुन्दर नहीं होती जितनी की जब वो क्षमा के लिए प्रार्थना करती है, या जब किसी को क्षमा करती है। 
2537 मानवतावाद मूर्खता और कायरता की अभिव्यक्ति है। 
2538 माफ करने के लिए एक व्यक्ति की ज़रुरत होती है, पुनः संगठित होने के लिए दो की। 
2539 माफ़ करना बहादुरों का गुण है। 
2540 माफ़ करने का मतलब किसी कैदी को आज़ाद करना है और ये जानना है कि आप ही वो कैदी थे। 
2541 माफ़ करने जैसा पूर्ण कोई बदला नहीं है। 
2542 माफ़ी मांगने का मतलब ये नहीं है कि आप गलत हैं और दूसरा व्यक्ति सही है। इसका मतलब ये है कि आप अपने अहम् से ज्यादा अपने सम्बंधों की कदर करते हैं।
2543 माफ़ी मांगने के लिए व्यक्ति को मजबूत होना पड़ता है और एक मजबूत व्यक्ति ही माफ़ कर सकता है।
2544 मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है।
2545 मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो, और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो।
2546 मित्र क्षमा नहीं किये जाते, शत्रु को क्षमा भले ही मिल जाए। 
2547 मित्र बनाने का एक ही तरीका है, खुद दूसरों के मित्र बनिए।
2548 मित्र वो है जिसके शत्रु वही हैं जो आपके शत्रु हैं।
2549 मित्रता का मतलब है तालमेल, न कि अनुबंध। इसका मतलब है क्षमा करना न कि भूला देना। इसका मतलब है सम्पर्क टूट जाने के बाद भी अमिट स्मृतियाँ।
2550 मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
2551 मित्रता बराबर वालों में शोभा पाती है,नौकरी राजा की अच्छी होती है, व्यवहार में कुशल व्यापारी और घर में सुंदर स्त्री शोभा पाती है।
2552 मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है।
2553 मिली थी  जिन्दगी  , किसी के  काम  आने के लिए….. पर  वक्त  बीत रहा है , “कागज” के “टुकड़े” “कमाने” के लिए………
2554 मुझे इस तथ्य पर गर्व है कि मैंने कभी भी हत्या करने के लिए हथियारों का आविष्कार नहीं किया।
2555 मुझे उस ज्ञान से दूर रखो जो रोता न हो , उस दर्शन से दूर रखो जो हँसता न हो और उस महानता से दूर रखो जो बच्चों के सामने सर न झुकाता हो।
2556 मुझे कैरेक्टर के बारे में कुछ पता नहीं था। लेकिन जैसे ही मैं तैयार हुआ, कपडे और मे-कप मुझे उस व्यक्ति की तरह महसूस कराने लगे। मैं उसे जानने लगा, और स्टेज पे जाते-जाते वो पूरी तरह से पैदा हो गया।
2557 मुझे बताइए , यहाँ का मीडिया इतना नकारात्मक क्यों है? भारत में हम अपनी अच्छाइयों, अपनी उपलब्धियों को दर्शाने में इतना शर्मिंदा क्यों होते हैं? हम एक माहान राष्ट्र हैं. हमारे पास ढेरों सफलता की गाथाएँ हैं, लेकिन हम उन्हें नहीं स्वीकारते. क्यों?
2558 मुझे यकीन है कि सफल और असफल उद्यमियों में आधा फर्क तो केवल दृढ विश्वास का ही है।
2559 मुझे लगता है कि सही समय पर गलत काम करना जीवन की विडंबनाओं में से एक है।
2560 मुझे लगता है हम लोगो का दुखी होना अच्छा है, मेरे लिए यह यीशु के चुम्बन की तरह है।
2561 मुझे सफलताओ से मत आंकिए, बल्कि जितनी बार गिरा हुँ और गिरकर उठा हुँ उस बल पर आंकिए। 
2562 मुनष्य को ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए जहां लोगो का लोक और परलोक की प्रति अथवा ईश्वर की विधमानता में कोई भरोसा न हो उन्हें किसी प्रकार के कर्म में लज्जा अथवा भय नहीं हो जहां के लोग चतुर न हो, उनमें त्याग करने की भावना न हो
2563 मुर्ख  गलती से सीखता है, समझदार दुसरो की गलती से।
2564 मुर्ख लोग कार्यों के मध्य कठिनाई उत्पन्न होने पर दोष ही निकाला करते है।
2565 मुर्ख लोगों का क्रोध उन्हीं का नाश करता है।
2566 मुर्ख व्यक्ति उपकार करने वाले का भी अपकार करता है। इसके विपरीत जो इसके विरुद्ध आचरण करता है, वह विद्वान कहलाता है।
2567 मुर्ख व्यक्ति को अपने दोष दिखाई नहीं देते, उसे दूसरे के दोष ही दिखाई देते हैं।
2568 मुर्ख व्यक्ति से बचना चाहिए। वह प्रत्यक्ष में दो पैरों वाला पशु है। जिस प्रकार बिना आँख वाले अर्थात अंधे व्यक्ति को कांटे भेदते है, उसी प्रकार मुर्ख व्यक्ति अपने कटु व अज्ञान से भरे वचनों से भेदता है।
2569 मुर्ख शिष्य को उपदेश देने, दुष्ट और कुलटा स्त्री के भरण-पोषण करने तथा दुखी व्यक्तियों के संग में रहने से बुद्धिमान व्यक्ति को भी कष्ट हो सकता हैं यहाँ चाणक्य ने यह स्पष्ट किया है की मुर्ख शिष्य को भली बात के लिए प्रेरित नहीं करना चाहिए इसी प्रकार दुष्ट आचरण वाली स्त्री का संग करना भी अनुचित हैं और दुखी व्यक्तियों के पास बैठने-उठने समागम से ज्ञानवान पुरुषो को भी दुःख उठाना पड़ सकता है
2570 मुर्गे से ये चार बाते सीखे 1.सही समय पर उठ 2.नीडर बने और लढे 3.संपत्ति का रिश्तेदारों से उचित बटवारा करे 4.अपने कष्ट से अपना रोजगार प्राप्त करे।
2571 मुश्किल परिस्थितियों में रोने की जरुरत नहीं है। जरुरत है तो उन परिस्थितियों को खूबसूरती के साथ समझनें की।
2572 मुश्किल से मुश्किल काम भी अगर कई छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर किया जाएँ तो वह भी आसन हो जाता हैं। जैसे कि आप खुद को बदलना चाहते हैं, तो पहले छोटे और सकारात्मक बदलाव कीजियें और ऐसे छोटे बदलाव को लगातार करते रहियें। अच्छा पौष्टिक भोजन कीजियें, कसरत कीजियें, धीरे –धीरे और Productive आदत विकसित कीजियें यह सब आप में उत्साह पैदा करेगी और आपको और अधिक सफलता की और बढ़ने में सहयता करेगी।
2573 मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का.....
2574 मुस्करा कर देखो तो सारा जहाॅ रंगीन है वर्ना भीगी पलको से तो आईना भी धुधंला नजर आता है।
2575 मुस्कुराओ..... क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।
2576 मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों, इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो!!!
2577 मूर्ख छात्रों को पढ़ाने तथा दुष्ट स्त्री के पालन पोषण से और दुखियों के साथ संबंध रखने से, बुद्धिमान व्यक्ति भी दुःखी होता है। तात्पर्य यह कि मूर्ख शिष्य को कभी भी उपदेश नहीं देना चाहिए, पतित आचरण करने वाली स्त्री की संगति करना तथा दुःखी मनुष्यो के साथ समागम करने से विद्वान तथा भले व्यक्ति को दुःख ही उठाना पड़ता है।
2578 मूर्ख व्यक्ति की समृद्धता से समझदार व्यक्ति का दुर्भाग्य कहीं अधिक अच्छा होता है
2579 मूर्खता और बुद्धिमता में यह फर्क है की बुद्धिमता की एक सीमा होती है।
2580 मूर्खो के पंडित, दरिद्रो के धनी, विधवाओं की सुहागिनें और वेश्याओं की कुल-धर्म रखने वाली पतिव्रता स्त्रियां शत्रु होती है।
2581 मूलतः, वही इंसान सफल है जो कुछ काम कर रहा है यही बात फर्क पैदा करती है।
2582 मूल्यहीन व्यक्ति केवल खाने और पीने के लिए जीते हैं; मूल्यवान व्यक्ति केवल जीने के लिए खाते और पीते हैं।
2583 मृत व्यक्ति का औषधि से क्या प्रयोजन।
2584 मृत, अनाथ, और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह तबाही सर्वाधिकार या फिर स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम पर लायी जाती है?
2585 मृतिका पिंड (मिट्टी का ढेला) भी फूलों की सुगंध देता है। अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवशय पड़ता है जैसे जिस मिटटी में फूल खिलते है उस मिट्टी से भी फूलों की सुगंध आने लगती है।
2586 मृत्यु को किसी व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं होता है। क्योंकि जब तक हम जीवित होते है मौत हमारे इर्द गिर्द नहीं होती है। जब हम मर जाते है तो हमारे होने का कोई अर्थ नहीं रहता है।
2587 मृत्यु संभवतः मानवीय वरदानो में सबसे महान  है। 
2588 मृत्यु हर प्रकार की समस्याओं का अंत है। न मनुष्य, न ही कोई समस्या।
2589 मृदंग से आवाज निकलती हैं धिक्तन -इसका संस्कृत में अर्थ हैं -उन्हें धिक्कार हैं इसके आगे कवि कल्पना करता हैं कि जिन लोगो का भगवान श्रीकृष्ण के चरणकमलों में अनुराग हैं, जिनकी जिव्हा को श्री राधा जी और गोपियों के गुणगान में आनन्द नहीं आता, जिनके कान श्रीकृष्ण की सुन्दर कथा को सुनने के लिए सदा उत्सुक नहीं रहते, मृदंग भी उन्हें धिक्कार हैं धिक्कार हैं कहता हैं।
2590 मेरा एक सपना है की मेरे चारो बच्चे एक दिन ऐसे राष्ट्र में रहेंगे जहां उन्हें कोई भी उनकी स्किन के रंग से नहीं पहचानेगा बल्कि उनके चरित्र के गुणों से पहचानेगा।
2591 मेरा जीवन मेरा सन्देश है।
2592 मेरा दर्द किसी के हंसने का कारण हो सकता है पर मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द कारण नहीं  होनी चाहिए।
2593 मेरा धर्म बहुत सरल है। मेरा धर्म दयालुता है।
2594 मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।
2595 मेरा नज़रिया यह है की जवानी में हम अधिक आशावादी और कल्पनाशील होते है और हम दूसरों से कम प्रभावित होते है।
2596 मेरा मानना है कि पैसे से सब कुछ नहीं बल्कि केवल थोडा बहुत किया जा सकता, ये मेरा हर जगह का अनुभव है।
2597 मेरा मानना है की आपका मौन सहमति है।
2598 मेरा मानना ​​है कि आज मेरा आचरण सर्वशक्तिमान निर्माता की इच्छा के अनुसार है।
2599 मेरा यह सन्देश विशेष रूप से युवाओ के लिए है।  उनमे अलग सोच रखने का साहस, नए रास्तो पर चलने का साहस, आविष्कार करने का साहस होना चाहिए।  उन्हें समस्याओ से लड़ना और उनसे जीतना आना चाहिए।  ये सभी महान गुण है और युवाओ को इन गुणों को अपनाना चाहिए।
2600 मेरा वायदा है कि सबसे सस्ता और गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन प्रदान करूँगा।