Thursday, March 24, 2016

#2001-2100




2001 पति का अनुगमन करना, इहलोक और परलोक दोनों का सुख प्राप्त करना है।
2002 पति की आज्ञा के बिना जो स्त्री उपवास और व्रत करती है, वह अपने पति की आयु को कम करने वाली होती है, अर्थात पति को नष्ट करके सीधे नर्क में जाती है।
2003 पति के लिए आदर्श पत्नी वही होती हैं, जो मन, वचन तथा कर्म से पवित्र हो, जो शरीर और अन्त:करण से शुद्ध हो, जिसके आचार-विचार स्वच्छ हो, जो गृहकार्यो तथा भोजन, पीसना, कातना, धोना, सीना-पिरोना और साज-सज्जा आदि में निपुण हो, जो मन, वचन और शरीर से पति में अनुरुक्त हो और जो उसको प्रसन्न करना ही अपना कर्तव्य-कर्म मानती हो तथा निरंतर सत्य बोलती हो।
2004 पति के वश में रहने वाली पत्नी ही व्यवहार के अनुकूल होती है।
2005 पत्थर के हर टुकड़े में एक खूबसूरत प्रतिमा छिपी है। इसकी खोज करना मूर्तिकार का काम है।
2006 पत्नी वही है जो पवित्र और चतुर है, पतिव्रता है, पत्नी वही है जिस पर पति का प्रेम है, पत्नी वही है जो सदैव सत्य बोलती है।
2007 पदार्थों में समस्या नहीं है हमारे उपयोग करने में समस्या है। कभी-कभी विष की एक अल्प मात्रा भी दवा का काम करती है और दवा की अत्याधिक मात्रा भी विष बन जाती है। विवेक से, संयम से, जगत का भोग किया जाये तो कहीं समस्या नहीं है। 
2008 पब्लिक  ओपिनियन  जैसी  कोई  चीज  नहीं  होती , केवेल  पब्लिश्ड ओपिनियन  होते  हैं।
2009 पर दुख को जो दुख न माने,पर पीड़ा में सदय न हो। सब कुछ दो पर प्रभु किसी को,जग में ऐसा हृदय न दो।
2010 परम तत्वज्ञान प्राप्त होने पर जब मनुष्य देह के अभिमान को छोड़ देता है अर्थात जब उसे आत्मा-परमात्मा की नित्यता और शरीर की क्षणभंगुरता का ज्ञान हो जाता है तो वह इस शरीर के मोह को छोड़ देता है। तदुपरांत उसका मन जहां-जहां भी जाता है, वहां-वहां उसे सिद्ध पुरुषों की समाधियों की अनुभूति होती है।
2011 परमात्मा तुमसे ये न पूछेगा कि कौन-कौन सी गलतियां तुमने की.... परमात्मा तुमसे ये पूछेगा की मैंने तुमको इतने अवसर दिए सुख भोगने के तुमने भोगे क्यों नही
2012 पराई वस्तु को पाने की लालसा नहीं रखनी चाहिए।
2013 पराए घर में रहने से कौन छोटा नहीं हो जाता ? यह देखो अमृत का खजाना, ओषधियों का स्वामी, शरीर और शोभा से युक्त यह चन्द्रमा, जब सूर्य के प्रभा-मंडल में आता है तो प्रकाशहीन हो जाता है।
2014 पराए धन को छीनना अपराध है।
2015 परिचय हो जाने के बाद दोष नहीं छिपाते।
2016 परिणाम! भाइयों, मुझे तो बहुत सारे परिणाम मिल गए हैं। मुझे बहुत सारे हजारो ऐसे तरीके पता चल गए हैं जो कि काम नहीं करेंगे।
2017 परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा,  छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
2018 परिवार और करीबी दोस्त सबसे ऊपर हैं, उनको अपने जीवन में हमेशा अहम् स्थान दे।
2019 परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। 
2020 परीक्षा करके विपत्ति को दूर करना चाहिए।
2021 परीक्षा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है।
2022 परीक्षा किये बिना कार्य करने से कार्य विपत्ति में पड़ जाता है।
2023 परेशानी के मध्य ही अवसर छिपा होता है।
2024 परेशानी पैदा करने वाली सोच के साथ उस समस्या का समाधान ढूंढना मुश्किल है।
2025 पर्यावरण में आ रहे बदलावों को देखकर बच्चे की तरह खुशी मिलनी चाहिए। मेरे साथ पूरा जीवन ऐसा ही होता रहा है। अद्भुत खुशी का अनुभव।
2026 पवित्र पुस्तकों में बहुत सारी अच्छी बातें पढ़ी जा सकती हैं लेकिन शायद ही कोई ऐसे पुस्तक होगी जिसे पड़कर धर्म को बनाया जा सकता हैं।
2027 पवित्रता, धैर्य तथा प्रयत्न के द्वारा सारी बाधाये दूर हो जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं की महान कार्य सभी धीरे -धीरे होते है।
2028 पसंद की चीज़ों से ही हमारे व्यक्तित्व का पता चलता है।
2029 पहला धन सेहत है।
2030 पहली दौलत सेहत है।
2031 पहली बार सफलता मिलने पर निश्चिंत होकर मत बैठिए क्योंकि अगर आप दूसरी बार असफल हो गए, तो यह कहने वालों की कमी नहीं होगी कि पहली सफलता तो आपको सिर्फ अच्छी किस्मत की वजह से मिली।
2032 पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है।
2033 पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें।
2034 पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।
2035 पहले हम माहौल बनाते है फिर माहौल हमें बनता है- ब्रायन ट्रेसी
2036 पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है, और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
2037 पांच प्रतिशत लोग सोचते हैं, दस प्रतिशत लोग सोचते हैं कि वे सोचते हैं और बाकी बचे पचासी प्रतिशत लोग सोचने से ज्यादा मरना पसंद करते हैं।
2038 पांव उठाने से पहले ये देख लेना चाहिए की पांव कहाँ पड़ेगा, अंको से भली प्रकार मार्ग की परीक्षा करके उस पर ही चलना प्रारंभ करना चाहिए, वस्त्र से छान कर ही जल पीना चाहिए, शास्त्र द्वारा संशोधित सत्य, शुद्ध और मधुर वाणी बोलनी चाहिए तथा पवित्र मन से ही दूसरों के साथ व्यवहार-आचरण करना चाहिए।
2039 पाखंडी वह आदमी है जो सिर्फ और सिर्फ अपनी आँखों से देखता है।
2040 पात्र के अनुरूप दान दें। 
2041 पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है, उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है। अंतर केवल यह है कि एक परीमीत है दूसरा अनंत है एक परतंत्र है दूसरा स्वतंत्र है।
2042 पानी चाहे जितना भी गहरा हो, कमल का फूल पानी के ऊपर ही खिलता है।  उसी तरह से इंसान कितना महान है, ये उसकी अंदरुनी और मानसिक ताकत पर निर्भर करता है।
2043 पानी में तेल, दुष्ट व्यक्तियों में गोपनीय बातें, उत्तम पात्र को दिया गया दान और बुद्धिमान के पास शास्त्र-ज्ञान यदि थोड़ा भी हो तो स्वयं वह अपनी शक्ति से विस्तार पा जाता है।
2044 पाने से पहले दीजिये।
2045 पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती। 
2046 पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
2047 पापा कहते थे की सपने मत देखो, सपने कभी पुरे नहीं होते। पर मैंने एक सपना देखा और वो भी हुआ।
2048 पापी की आत्मा उसके पापों को प्रकट कर देती है।
2049 पावर होना बुरा नहीं, किसके पास होना चाहिए यह महत्वपूर्ण है।
2050 पिरामिडों की इन ऊंचाइयों से चालीस सदियाँ हमे देख रही है। 
2051 पीछे रहकर नेतृत्व करना और टीमको आगे करना सबसे अच्छा तरीका है।  खास कर जब जीत की खुशियाँ मनाई जाएँ। तभी आगे आए जब खतरा दिखे या टीम गलत राह  दिखे। इससे दूसरों की नज़रों में आपकी इज़्ज़त बढ़ जायेगी। 
2052 पीठ पीछे रहकर दुसरे की बुराई करना अथवा किसी व्यक्ति के कार्यो में हानि का प्रयत्न करना और उसके मुख पर अथवा उसके सामने मीठी-मीठी बाते करना, बहुत अनुपयुक्त हैं ऐसे व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए।
2053 पुत्र की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।
2054 पुत्र के गुणवान होने से परिवार स्वर्ग बन जाता है।
2055 पुत्र के बिना स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती।
2056 पुत्र के सुख से बढ़कर कोई दूसरा सुख नहीं है।
2057 पुत्र को पिता के अनुकूल आचरण करना चाहिए।
2058 पुत्र को सभी विद्याओं में क्रियाशील बनाना चाहिए।
2059 पुत्र प्राप्ति के लिए ही स्त्री का वरण किया जाता है।
2060 पुत्र वे है जो पिता भक्त है। पिता वही है जो बच्चों का पालन-पोषण करता है। मित्र वही है जिसमे पूर्ण विश्वास हो और स्त्री वही है जिससे परिवार में सुख-शांति व्याप्त हो।
2061 पुत्र से पांच वर्ष तक प्यार करना चाहिए। उसके बाद दस वर्ष तक अर्थात पंद्रह वर्ष की आयु तक उसे दंड आदि देते हुए अच्छे कार्य की और लगाना चाहिए। सोलहवां साल आने पर मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए। संसार में जो कुछ भी भला-बुरा है, उसका उसे ज्ञान कराना चाहिए।
2062 पुत्र से ही कुल को यश मिलता है।
2063 पुराना होने पर भी शाल के वृक्ष से हाथी को नहीं बाँधा जा सकता।
2064 पुरानी गलतियाँ का ताना देने वाले लोग अच्छे नहीं होते। वे आपके विकास में रुकावट खड़ी करेंगे क्योकि उनको आपका आगे बढ़ना मंजूर नहीं।
2065 पुराने काम की नक़ल करने से सीखने के लिए बहुत कुछ हैं जबकि Modern-Workकी नक़ल करने से कुछ हासिल नहीं होगा।
2066 पुराने निशानों को खरोंचना और उनका हिसाब रखना, आपको हमेशा जो आप हैं उससे कम ही बनाता है।
2067 पुराने मित्र छूटते हैं , नए मित्र बनते हैं . यह दिनों की तरह ही है।  एक पुराना दिन बीतता है, एक नया दिन आता है.महत्त्वपूर्ण यह है कि हम उसे सार्थक बनाएंएक सार्थक मित्र  या एक सार्थक दिन।
2068 पुरुष के लिए कल्याण का मार्ग अपनाना ही उसके लिए जीवन-शक्ति है।
2069 पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का भोजन दुगना, लज्जा चौगुनी, साहस छः गुना और काम (सेक्स की इच्छा) आठ गुना अधिक होता है।
2070 पुरूषों में नाई धूर्त होता है, पक्षियों में कौवा, पशुओं में गीदड़ और स्त्रियों में मालिन धूर्त होती है।
2071 पुष्पहीन होने पर सदा साथ रहने वाला भौरा वृक्ष को त्याग देता है।
2072 पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं।
2073 पुस्तकों में लिखी विधा और दूसरों के हाथो में गया हुआ धन आवश्कता पड़ने पर कभी काम नहीं आता। विधा वही काम आती हैं जो मनुष्य ने सीख कर अपनी बना ली हो और पैसा वही काम आता हैं जो अपने पास हो।
2074 पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।
2075 पूंजीवाद  की  बुराई  है  अच्छी  चीजों  का  बराबर  से  ना  बंटना , समाजवाद  की  अच्छाई   है  बुरी  चीजों  का  बराबर  से  बंटना।
2076 पूरा समाज लम्बे समय तक एक ही भाषा में बातचीत नहीं कर सकता।  क्योंकि यह युद्धरत समूहों में बटा हुआ है।
2077 पूरी दुनिया में आधी-अधूरी आज़ादी जैसी कोई बात नहीं है।
2078 पूर्ण धारणा के साथ बोला गया "नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है।
2079 पूर्ण सच्चाई जानने के बाद किया कार्य सच्चे रूप में क्षमा करना नहीं है, क्षमा करना तो एक प्रवृति है जिसके बाद आप हर क्षण में प्रवेश कर सकते हैं।
2080 पूर्वाग्रह से ग्रसित दंड देना लोकनिंदा का कारण बनता है।
2081 पृथ्वी  द्वारा स्वर्ग से बोलने का अथक प्रयास हैं ये पेड़।
2082 पृथ्वी के अन्दर और ऊपर का सारा सोना भी सद्गुणों के बदले देना पर्याप्त नहीं है।
2083 पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाला जल शुद्ध-पवित्र होता हैं, पतिव्रता स्त्री शुद्ध-पवित्र होती हैं, प्रजा का कल्याण करने वाला राजा पवित्र अथवा श्रेष्ठ माना गया हैं और सन्तोषी यानी सहज प्राप्ति में प्रसन्न-ब्राहमण शुद्ध-पवित्र होता हैं सन्तोष सभी के लिए उत्तम हैं।
2084 पृथ्वी पर हर एक चीज एक खेल है। एक खत्म हो जाने वाली चीज।  हम सभी एक दिन मर जाते हैं।  हम सभी का एक ही अंत है , नहीं ?
2085 पृथ्वी सत्य के बल पर ही स्थिर हैं, सत्य की शक्ति से ही सूर्य मैं ताप हैं तेज हैं, सत्य की शक्ति से ही दिन और रात वायु चलती हैं इस प्रकार सारी सृष्टि टिकी हुई हैं।
2086 पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।
2087 पेड़, फूल और पौधे शांति में विकसित होते हैं, सितारे, सूर्य और चंद्रमा शांति से गतिमान रहते हैं, शांति हमें नयी संभावनाएं देती है.
2088 पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है।
2089 पैर से अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कन्या, वृद्ध और बालक को कभी नहीं छूना चाहिए।
2090 पैरो के धोने से बचा हुआ, पीने के बाद पात्र में बचा हुआ और संध्या से बचा हुआ जल कुत्ते के मूत्र के समान है। उसे पीने के बाद ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य चंद्रायण व्रत को करे, तभी वे पवित्र हो सकते है।
2091 पैसा -  मैं बोलता नहीं....मगर सबकी बोलती बंद करवा सकता हूँ
2092 पैसा -  मैं भगवान् नहीं मगर  लोग मुझे भगवान् से कम नहीं मानते
2093 पैसा - मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते, मगर जीते जी मैं आपको बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ
2094 पैसा - मैं कुछ भी नहीं हूँ मगर मैं निर्धारित करता हूँ कि लोग आपको कितनी इज्जत देते है
2095 पैसा - मैं नमक की तरह हूँ जो जरुरी तो है,  मगर जरुरत से ज्यादा हो तो जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता है
2096 पैसा - मैं सारे फसाद की जड़ हूँ मगर फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतना पागल हैं
2097 पैसा कमाने के लिए कई विकल्प हो सकते है, लेकिन जन्नत में जाने के लिए सिर्फ एक- अच्छे कर्म करना।
2098 पैसे या मौज मस्ती के जीवन से नहीं, लेकिन जो काम करते है उसी से ख़ुशी का अनुभव किया जा सकता है।
2099 पैसे से सब कुछ नहीं बल्कि केवल थोडा बहुत किया जा सकता.
2100 पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"

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