Sunday, January 10, 2016

#401-500


401 आपको बड़ा पाना है या बड़ा बनना हैं तो बड़ा जोखिम लेना सीखो।
402 आपको लगता हैं कि आपका टीचर सख्त हैं तो अपने Boss का इंतजार करें।
403 आपको लोगों को क्षमा करना होगा, इसलिए नहीं कि वे इस के योग्य हैं बल्कि इसलिए कि आप उनसे मुक्ति के योग्य हैं।
404 आपको शक्ति (पॉवर) की तभी जरूरत होती है जब आप किसी को नुकसान पहुंचाना चाहे, अन्यथा प्यार काफी है हर काम को करने के लिए।
405 आपकों खुद की skills पर मेहनत करने की जरुरत हैं।
406 आपत्ति से बचने के लिए धन की रक्षा करे क्योंकि पता नहीं कब आपदा आ जाए। लक्ष्मी तो चंचल है। संचय किया गया धन कभी भी नष्ट हो सकता है।
407 आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ। और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ।
408 आपमें चाहे कितनी भी योग्यता क्यों ना हो, आप एकाग्रचित्त होकर ही अपना महान कार्य कर सकते हैं।
409 आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये।
410 आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है।
411 आमतौर पर महान उपलब्धियां महान बलिदानों का फल होती हैं, और कभी भी स्वार्थ का परिणाम नहीं होतीं।
412 आमतौर पर सिपाही लड़ाइयाँ जीतते हैं; सेनापति उसका श्रेय ले जाते हैं। 
413 आयु सोचती है, जवानी करती है।
414 आलसी का न वर्तमान होता है, न भविष्य।
415 आलसी राजा अपने विवेक की रक्षा  नहीं कर सकता।
416 आलसी राजा अप्राप्त लाभ को प्राप्त नहीं करता।
417 आलसी राजा की प्रशंसा उसके सेवक भी नहीं करते।
418 आलसी राजा प्राप्त वास्तु की रक्षा करने में असमर्थ होता है।
419 आलसी व्यक्ति से सबसे कठिन कार्य करवाओ वो उस काम को सबस आसान रास्ते से उसको हल करेगा और आपको वह कार्य करने का आसान मार्ग मिल जायेगा।
420 आलस्य के कारण तथा अभ्यास के अभाव में प्राप्त विद्या भी नष्ट हो जाती हैं, दुसरे के हाथ में गया हुआ धन काम नहीं आता और न लौट कर वापस ही आता हैं, थोडा बीज डालने से खेत फलता-फूलता नहीं है तथा सेनापतिरहित सेना विजयी नहीं होती।
421 आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है।
422 आलस्य से  विध्या नष्ट हो जाती है। दूसरे के पास गई स्त्री, बीज की कमी से खेती और सेनापति के न होने से सेना नष्ट हो जाती है।
423 आलस्‍य में दरिद्रता बसती है, लेकिन जो, व्‍यक्ति आलस्‍य नहीं करते उनकी मेहनत में लक्ष्‍मी का निवास होता है।
424 आलोचना से बचने का एक ही तरीका हैकुछ मत करो, कुछ मत कहो और कुछ मत बनों।
425 आवश्यकता, आविष्कार की जननी है।
426 आवाप अर्थात दूसरे राष्ट्र से संबंध नीति का परिपालन मंत्रिमंडल का कार्य है।
427 आविष्कार करने के लिए, आपको एक अच्छी कल्पना और कबाड़ के ढेर की जरूरत होती है।
428 आशा जागते हुए देखा गया स्वप्न है।
429 आशावादी बने। मैं ऐसा चाहता हूँ की जगह में आशा करता हूँ कहें यह आपके अन्दर आशावादी  द्रष्टिकोण (hope) पैदा करेगा।
430 आश्चर्य , दार्शनिक की भावना है और दर्शन आश्चर्य से शुरू होता है। 
431 आश्चर्य, भय, तोड़-फोड़, हत्या के ज़रिये दुश्मन को अन्दर से हतोत्साहित कर दो। यह भविष्य का युद्ध है।
432 आसमान को छूने के लिए संकल्प की जरुरत होती हैं, मेहनत की नहीं। पक्के इरादों की जरुरत होती हैं, संसाधनों की नहीं। होंसलो की जरुरत होती हैं, ताकत की नहीं।
433 आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है।
434 आज़ाद होने के लिए पूरी दुनिया में कोई भी आसान रास्ता नहीं है।
435 आज़ादी खुद को बेहतर बनाने के तरीके से ज्यादा कुछ नहीं है।
436 इंतज़ार करने वालो को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है।
437 इंतज़ार मत करिए, सही समय कभी नहीं आता।
438 इंतजार करने वाले लोगो को केवल उतना मिलता है, जितना कोशिश करने वाले लोग छोड़ देते है।
439 इंतजार करने वालो को केवल प्राप्त होता है, जो मेहनत करने वाले छोड़ जाते है। 
440 इंद्रियों के अत्यधिक प्रयोग से बुढ़ापा आना शुरू हो जाता है।
441 इंसान की तरह बोलना न आये तो जानवर की तरह मौन रहना अच्छा है।
442 इंसान को कठिनाइयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने कि लिए ये ज़रूरी हैं.
443 इंसान को जीवन में मुश्किलों की जरुरत हैं क्यूंकि यही मुश्किलें सफलता का सुख अनुभव कराती हैं।
444 इंसान को सबसे बड़ा धोखा अपने विचारो से ही मिलता हैं।
445 इंसान खुश तभी रह सकता है जब वह इस जीवन का उद्देश्य समझना छोड़ दे।
446 इंसान तब तक नहीं हारता है जब तक की वो अपने दिमाग में हार ना मान ले।
447 इंसान भीतर से जितना मजबूत होगा उतना ही उसका कद ऊंचा होगा।
448 इंसान वो है जो की उनकी माँ उन्हें बनाती है।
449 इंसानो को नियंत्रित करने के लिए यदि क़ानून जरुरी हो जाए तो फिर ऐसे कानून से स्वतंत्रता की अपेक्षा न रखे।
450 इंसानों की नफरत ख़तम हो जाएगी, तानाशाह मर जायेंगे, और जो शक्ति उन्होंने लोगों से छीनी वो लोगों के पास वापस चली जायेगी। और जब तक लोग मरते रहेंगे, स्वतंत्रता कभी ख़त्म नहीं होगी।
451 इच्छा आधा जीवन है और उदासीनता आधी मौत।
452 इच्छा और ख्वाहिशों के अनुरूप हर व्यक्ति अपना भगवान खुद बनाता है।
453 इच्छा ही सभी उपलब्धियों का प्रारंभिक बिंदु है।   
454 इच्छाओं को काबू में रखने से खुशियों का अनुभव होता है। इच्छाओं को पूरा करते रहने की दौड़ में नुकसान पहुँचता है।
455 इतनी चाहत तो लाखो रु पाने की भी नही होती, जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती है.......
456 इतिहास  पढ़िए ,इतिहास  पढ़िए . इतिहास  में  ही  राज्य  चलाने  के  सारे  रहस्य  छिपे  हैं।
457 इतिहास को पढ़ने से पता चलता है की सरकार कितनी बुरी होती है।
458 इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा गया हैं। 
459 इतिहास सहमती से किया गया झूठ का संग्रह है। 
460 इतिहास से हम क्या सिख सकते है, यही की कोई व्यक्ति इतिहास से कभी -कुछ नहीं सीख सकता है।
461 इतिहास, जीतेने  वालों  द्वारा  लिखा  जाता  है।
462 इन छ: चीजों से सावधानी बरतनी चाहिए ये हैं आग, जल, स्त्री, मुर्ख पुरुष, सर्प और राजकुल से व्यवहार। क्योकि जहा ये अनुकूल होने पर अभीष्ट फल देती हैं, वहीँ थोड़ी सी असावधानी होने पर तक्षण प्राण भी हर लेती हैं।
463 इन सातो को जगा दे यदि ये सो जाए 1. विद्यार्थी 2. सेवक 3. पथिक 4. भूखा आदमी 5. डरा हुआ आदमी 6. खजाने का रक्षक 7. खजांची
464 इन सातो को नींद से नहीं जगाना चाहिए1. साप 2. राजा 3. बाघ 4. डंख करने वाला कीड़ा 5. छोटा बच्चा 6. दुसरो का कुत्ता 7. मुर्ख
465 इन्द्रियों को वश में करना ही तप का सार है। 
466 इन्द्रियों पर विजय का आधार विनर्मता है।
467 इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए.
468 इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए।
469 इन्स्पीरेशन  सोच  है जबकि मोटीवेशन कार्रवाई है।
470 इरादों में मजबूती होने से आगे बढ़ना आसान होता है, लेकिन व्यर्थ बैठे रहने से कुछ भी हासील नहीं हो पाता है।
471 इस  दस्तावेज़  की  लम्बाई  इस  पढ़े  जाने  के  जोखिम  से  बचाती  है।
472 इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, आग नहीं जला सकती, जल गीला नहीं कर सकता और वायु सुखा नहीं सकती, इस संसार में ज्ञान के समान कोई पविता वस्तु नहीं हैं उस ज्ञान को योग से सिद्ध और समय से व्यक्ति स्वयं आत्मा में प्राप्त करता हैं।
473 इस कार्य को करने का एक बेहतर तरीका है – उसे खोजो।
474 इस खूबसूरत धरती से बेहतर स्वर्ग का रास्ता मेरे लिए नहीं हो सकता। 
475 इस जगत में क्षमा वशीकरण रूप है। भला क्षमा से क्या नहीं सिद्ध होता ? जिसके हाथ में शांति रूपी तलवार है, उसका दुष्ट पुरुष क्या कर लेंगे। 
476 इस जीवन को जी-जान से प्यार करना होगा दरिद्रता को आभूषण बनाकर हर एक के बीच काम करने के लिए जाना होगा भगवान के प्रति प्यार की मूर्ति ही यह कार्य हैं हमारे प्यार का स्पर्श किसी न किसी के लिए तो निर्दिर्ष्ट हैं ही
477 इस दुनिया मे कोई किसी का हम दर्द नहीं होता लोग ज़नाजे के साथ भी होते हैं तो सिर्फ अपनी हाजिरी गिनवाने केलिए 
478 इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।😔"और कितना वक़्त लगेगा"...
479 इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।
480 इस दुनिया में सम्मान से जीने का सबसे महान तरीका है कि हम वो बनें जो हम होने का दिखावा करते हैं। 
481 इस धरती पर कर्म करते हुए सौ साल तक जीने की इच्छा रखो, क्योंकि कर्म करने वाला ही जीने का अधिकारी है। जो कर्मनिष्ठा छोड़कर भोगवृत्ति रखता है, वह मृत्यु का अधिकारी बनता है।  
482 इस धरती पर कोई भी दो चीजे पूर्ण रूप से सामान नहीं होती 
483 इस पृथ्वी पर तीन ही रत्न है -----जल, अन्न, और मधुर वचन ! बुद्धिमान व्यक्ति इनकी समझ रखता है, परन्तु मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ो को ही रत्न कहते है।
484 इस पृथ्वी पर दुर्जन व्यक्ति को सज्जन बनाने का कोई उपाय नहीं है, जैसे सैकड़ो बार धोने के उपरांत भी गुदा-स्थान शुद्ध इन्द्री नहीं बन सकता।
485 इस बात को भी खुद से जाने दीजिए कि सभी काम एक ही पल में पुरे हो जायेंगे, हर काम को करने में अलग अलग समय लगता हैं।
486 इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी ज़िन्दगी  के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार मौत के बारे में सोचता हूँ तब सारी उम्मीद, सारा गर्व, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है। इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा  तरीका है। आप पहले से ही नंगे हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने। 
487 इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये.
488 इस बात में कोई सच्चाई नहीं की सभी रूढ़िवादी, बेवकूफ होते है। यह सच है की सभी बेवकूफ, रूढ़िवादी जरूर होते है।
489 इस बात से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई भी बात हो सकती जब दो लोग एक-दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर देखते है, घर को अपनेपन से भर देते है, दुश्मनो को घर से बाहर और दोस्तों को भरपूर प्यार देते है।
490 इस मक्कार दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है, यहाँ तक की हमारी परेशानिया भी नहीं।
491 इस राजनीति शास्त्र का विधिपूर्वक अध्ययन करके यह जाना जा सकता है कि कौनसा कार्य करना चाहिए और कौनसा कार्य नहीं करना चाहिए। यह जानकर वह एक प्रकार से धर्मोपदेश प्राप्त करता है कि किस कार्य के करने से अच्छा परिणाम निकलेगा और किससे बुरा। उसे अच्छे बुरे का ज्ञान हो जाता है।
492 इस विचार को खुद से अलग कर दे कि दूसरे लोगों के पास आपसे बेहतर चीजें हैं क्योकिं जैसा आप सोच रहे हैं, वैसा ही अगला व्यक्ति भी सोच रहा होगा।
493 इस विचार को भी अपने दिल से जाने दे कि आपकी तुलना में दूसरा व्यक्ति ज्यादा कमजोर हैं हर व्यक्ति मज़बूत होता हैं और कोई भी कमजोर नहीं हैं।
494 इस विचार को भी छोड़ दीजिए कि सभी लोग आपकों पसंद करें ही ये मुमकिन नहीं हैं अत: इसे छोड़ दें।
495 इस संसार के दुखो से संतप्त लोगो को तीन बातों से ही शान्ति मिल सकती हैं – अच्छी संतान, पतिवर्ता स्त्री और सज्जन महात्माओं की संगति।
496 इस संसार में आज तक किसी को भी प्राप्त धन से, इस जीवन से, स्त्रियों से और खान-पण से पूर्ण तृप्ति कभी नहीं मिली। पहले भी, अब भी और आगे भी इन चीजो से संतोष होने वाला नहीं है। इनका जितना अधिक उपभोग किया जाता है, उतनी ही तृष्णा बढ़ती है।
497 इस संसार में ऐसा कोई मूल्यवान पदार्थ नहीं हैं। जिसे गुरु को अर्पण करके शिष्य गुरु के इस ऋण (एकाक्षर का ज्ञान अथार्त मिथ्या मायामोह से हटाकर ब्रह्म से साक्षात्कार कराना) से उऋण हो सके।
498 इस संसार में कामवासना के समान कोई भयंकर रोग नहीं हैं काम एक ऐसा रोग हैं जो मनुष्य के शरीर को खोखला करके उसे सवर्था अशक्त बना देता हैं, मोह जैसा कोई अजेय-शत्रु नहीं, क्रोध जैसी कोई दूसरी आग नहीं ज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं।
499 इस संसार में कोई भाग्यशाली व्यक्ति ही मोह-माया से छूटकर मोक्ष प्राप्त करता है। उनका कहना है -----'धन-वैभव को प्राप्त करके ऐसा कौन है जो इस संसार में अहंकारी न हुआ हो, ऐसा कौनसा व्यभिचारी है, जिसके पापो को परमात्मा ने  नष्ट न कर दिया हो, इस पृथ्वी पर ऐसा कौन धीर पुरुष है, जिसका मन स्त्रियों के प्रति व्याकुल न हुआ हो, ऐसा कौन पुरुष है, जिसे मृत्यु ने न दबोचा हो, ऐसा कौन सा भिखारी है जिसे बड़प्पन मिला हो, ऐसा कौनसा दुष्ट है जो अपने सम्पूर्ण दुर्गुणों के साथ इस संसार से कल्याण-पथ पर अग्रसर हुआ हो।'
500 इस संसार में कोई मनुष्य स्वभावतः किसी के लिए उदार, प्रिय या दुष्ट नहीं होता। अपने कर्म ही मनुष्य को संसार में गौरव अथवा पतन की ओर ले जाते है।  

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