Sunday, January 17, 2016

#701-800


701 कई बार हमारी दिनचर्या काफी व्यस्त होती हैं। कई तरह की Meetings, Phone calls, E-mails से जबाब और रोजाना के काम हमें लगातार busy रखते हैं। व्यस्त दिनचर्या महत्वपूर्ण होने का अहसास भी कराने लगती हैं लेकिन कभी-कभी यह सिर्फ भ्रम होता हैं क्योकि इतनी व्यस्तता के बीच कुछ भी उत्पादन काम (Productive work) नहीं कर पातें हैं। इसका एक ही समाधान हैं थोडा रुकियें, अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को दोहरियें, और जो सबसे जरुरी हो, उसे सबसे पहले कीजिएं और एक समय में एक ही काम कीजिए।
702 कई लोग इसके बारे में बहुत ज्‍यादा सोचते हैं कि वे अगले 1 साल में क्‍या कर सकते हैं लेकिन वे इस बारे में बहुत कम सोचते हैं कि अगले 10 सालों में किया जा सकता हैं।
703 कई लोग बन्दूक या हथियार रखना पसंद करते है, लेकिन सपने में भी कभी इनका व्यापार करना नहीं चाहते है।
704 कई लोग मानते है और मैं खुद भी मानता हूँ की मुझे इस काम के लिए ईश्वर ने चुना है। उम्र ज्यादा होने के बावजूद मैं यह काम नहीं छोड़ना चाहता।  मुझे ईश्वर से प्यार है और मेरी सारी उम्मीदें उसी पर टिकी है। 
705 कई लोगो पर असफलता का दर इतना हावी हो जाता हैं कि वे किसी भी महत्वपूर्ण काम में हाथ डालने से हिचकिचाते हैं, उनकी जुबान पर बस एक ही वाक्य रहता हैं।
706 कई सच ऐसे है जिनके असली अर्थ को समझना तब तक मुमकिन नहीं है जब तक निजी तौर उनसे सीखने के लिए कुछ मिल न जाए।
707 कच्चा पात्र कच्चे पात्र से टकराकर टूट जाता है।
708 कटटरपंथी वो होता है,जो अपना दिमाग बदल नही सकता और विषय वो बदलता नहीं है।
709 कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं।
710 कठिन कार्य करवा लेने के उपरान्त भी नीच व्यक्ति कार्य करवाने वाले का अपमान ही करता है।
711 कठिन समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए।
712 कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को मत छोड़िये और विपत्ति को अवसर में बदलिए।
713 कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करें।  कठिनाइयों को अवसरों में तब्दील करें. असफलताओं के बावजूद, अपना मनोबल ऊँचा रखें. अंत में सफलता आपको अवश्य मिलेगी।
714 कठीन समय मे समझदार व्यक्ति रास्ता खोजता है ओर कायर बहाना।
715 कठोर दंड से सभी लोग घृणा करते है।
716 कठोर वाणी अग्निदाह से भी अधिक तीव्र दुःख पहुंचाती है। 
717 कड़ी मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
718 कथन के अनुसार ही उत्तर दें।
719 कन्या का विवाह अच्छे कुल में करना चाहिए। पुत्र को विध्या के साथ जोड़ना चाहिए। दुश्मन को विपत्ति में डालना चाहिए और मित्र को अच्छे कार्यो में लगाना चाहिए।
720 कभी  नहीं , कभी  नहीं , कभी  नहीं  हार  मानो।
721 कभी कभी कक्षा से बंक मारकर दोस्तों के साथ मस्ती करना अच्छा होता है, क्योंकि आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो ये सिर्फ हंसाता ही नहीं है, बल्कि अच्छी यादे भी देता है।
722 कभी कभी ज़िंदगी आपके सर में पत्थर से चोट करती है। पर विश्वास मत खोना।
723 कभी नाकाम नहीं होना सबसे बड़ी ख़ुशी की बात नहीं है।  सबसे बड़ी ख़ुशी की बात यह है कि आप हर बार नाकाम हो और फिर से उठ खड़े हो।
724 कभी नैतिक मूल्यों को सही काम करने के रास्ते में आने न दीजिए।
725 कभी भी अपने पास रखे तीन संसाधनों को मत भूलिए: प्रेम, प्रार्थना, और क्षमा। 
726 कभी भी चीज़ों की गहराई में उतरने से डरिए नहीं, क्योंकि सच हमेशा सबसे नीचे ही कहीं दबा होता है। 
727 कभी भी जब आपका शत्रु कोई गलती कर रहा हो तो उसके काम में बाधा मत डालिए। 
728 कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्वाद नहीं करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्वाद करती है.
729 कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्वाद नहीं करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्वाद करती है।
730 कभी भी यह न सोचे की आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है।
731 कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है. अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.
732 कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.अगर कोई  पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल  हो या अन्य निर्बल हैं.
733 कभी यह न सोचिए की आपको कुछ नहीं आता या आपकी कोई अहमियत नहीं है। क्योंकि लोग आपको उसी तरीके से लेते हैं जैसा आप खुद के बारे में सोचते है।
734 कभी ये न कहिए - मैंने सच ढूंढ लिया है।  ये बोलिए- मैंने एक सच की तलाश कर ली है।
735 कभी-कभार, class छोड़ कर दोस्तों के साथ वक़्त गुजारना भी अच्छा होता है, क्योंकि अब, जब मैं वापस पलट कर देखता हूँ, तो marks कभी मुझे हंसा नहीं पाते जबकि यादें मेरे चहरे पर मुस्कान ला देती हैं।
736 कभी-कभो सपने देखना खतरनाक है तो उसका तोड़ यह नहीं की सपने देखना ही छोड़ दें।  सपने देखने। ज्यादा सपने देखें। हर वक़्त, हर समय सपनो की दुनिया में रहे। 
737 कम चीजो के साथ जीवन जीना सबसे बड़ी दौलत है।
738 कम से कम दो गरीब बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिए उनकी शिक्षा में मदद करो।
739 कम ही लोग इस बात की तरफ ध्यान देते हैं कि क्या हो चुका है, जबकि ज्यादातर लोगों की रुचि इसी बात में रहती है कि क्या बाकी रह गया है।
740 कम ही लोग मंदिर, मस्जिद या चर्च में प्रार्थना करने के लिए आते है।  ज्यादातर लोग भगवान के सपने देखने यहाँ आते हैं।
741 कमज़ोर लोग सुरक्षा की तलाश में रहते है जबकि विजेता अवसरों की 
742 कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण।
743 कमजोर लोग भाग्य में यकीं करते है जबकि साहसी आदमी अपनी मेहनत में यकीं करते है।
744 कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता, क्षमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है। 
745 कमाए हुए धन का दान करते रहना ही उसकी रक्षा है। जैसे तालाब के पानी का बहते रहना उत्तम है।
746 कर्जदार पिता शत्रु है, व्यभिचारिणी माता शत्रु है, मूर्ख लड़का शत्रु है और सुन्दर स्त्री शत्रु है।
747 कर्म करना बहुत अच्छा है, पर वह विचारो से आता है, इसलिए अपने मस्तिष्क को उच्च विचारो एवं उच्चतम आदर्शो से भर लो, उन्हें रात-दिन अपने सामने रखो, उन्हीं में से महान कर्मो का जन्म होगा। 
748 कर्म करने और उसका फल पाने के बीच लम्बा समय लगता है, जिसकी प्रतीक्षा धैर्य पूर्वक करनी पड़ती है। बीज को वृक्ष बनने में कुछ समय लगता है। अखाड़े में दाखिल होते ही कोई पहलवान नहीं हो जाता। विद्यालय में प्रवेश पाते ही कोई ज्ञानी नहीं हो जाता। कामयाबी धैर्य से मिलती है, कर्मक्षेत्र चाहे कोई भी हो। 
749 कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।
750 कर्म करने वाले को मृत्यु का भय नहीं सताता।
751 कर्म करने से ही तत्त्वज्ञान को समझा  जा सकता है।
752 कर्म का मूल्य उसके बाहरी रूप और बाहरी फल में इतना नहीं है, जितना की उसके द्वारा हमारे भीतर दिव्यता की वृद्धि होने में है। 
753 कर्म का सिद्धांत कहता है - 'जैसा कर्म वैसा फल'. आज का प्रारब्ध पुरुषार्थ पर अवलम्बित है। 'आप ही अपने भाग्यविधाता है'.  यह बात ध्यान में रखकर कठोर परिश्रम पुरुषार्थ में लग जाना चाहिये।
754 कर्म की परिसमाप्ति ज्ञान में और कर्म का मूल भक्ति अथवा सम्पूर्ण आत्म-समर्पण में है। 
755 कर्म के बिना दूरदर्शिता एक दिवास्वप्न है। दूरदर्शिता के बिना कर्म दुःस्वप्न है।
756 कर्म के लिए भक्ति का आधार होना आवश्यक है।
757 कर्म वह आइना है, जो हमारा स्वरूप हमे दिखा देता है। अतः हमे कर्म का अहसानमंद होना चाहिए। 
758 कर्म सदैव सुख न ला सके परन्तु कर्म के बिना सुख नहीं मिलता। 
759 कर्म सरल है, विचार कठिन।
760 कर्म ही पूजा है और कर्तव्य- पालन भक्ति है। 
761 कर्म ही मनुष्य के जीवन को पवित्र और अहिंसक बनाता है। 
762 कर्मठ इहलोक-परलोक का ध्यान कर कर्म नहीं करता, वह तो बस क्रियारत रहता है। 
763 कर्मयोगी अपने लिए कुछ करता ही नहीं। अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता और अपना कुछ मानता भी नहीं। इसलिए उसमे कामनाओं का नाश सुगमता पूर्वक हो जाता है। 
764 कर्मशील लोग शायद ही कभी उदास रहते हो। कर्मशीलता और उदासी दोनों साथ-साथ नहीं रहती है। 
765 कर्मशील व्यक्ति के लिए हवाएँ मधु बहाती है, नदियों में मधु बहता है और ओषधियाँ मधुमय हो जाती है। 
766 कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं.... 
767 कल ऐसी चीज़ है जिनके जरिए हम खुद के बारे में जान सकते हैं और हमें यह भी पता चलता है की दूसरा व्यक्ति क्या देख रहा है या किस बारे में सोच रहा है। 
768 कल का कार्य आज ही कर ले।
769 कल की हज़ार कौड़ियों से आज की एक कौड़ी भली।  अर्थात संतोष सबसे बड़ा धन है।
770 कल के मोर से आज का कबूतर भला।  अर्थात संतोष सब बड़ा धन है।
771 कल गिर गए थे तो क्या हुआ, आज फिर से खड़े हो जाइए। 
772 कल जा चुका है, कल अभी आया नहीं है, हमारे पास केवल आज है, चलिए शरुआत करते हैं।
773 कल जो चीजें मुमकिन थी, वे आज मुमकिन हो सकती हैं।
774 कला क्या है ? यह इंसान की रचनात्मक आत्मा की यथार्थ के पुकार के प्रति प्रतिक्रिया है।
775 कला जो स्पष्ठ और अच्छी तरह से ज्ञात है उससे रहस्य और छिपे हुए की तरफ बढाया हुआ एक कदम है।
776 कला में व्यक्ति खुद को उजागर करता है कलाकृति को नहीं।
777 कलियुग के दस हजार वर्ष बीतने पर श्री विष्णु (पालनकर्ता) इस पृथ्वी को छोड़ देते है, उसके आधा बीतने पर गंगा का जल समाप्त हो जाता है और उसके आधा बीतने पर ग्राम के देवता भी पृथ्वी को छोड़ देते है।
778 कल्पना दुनिया पर शासन करती है। 
779 कल्पना शक्ति का विस्तार करे। आपका मस्तिष्क बहुत से स्त्रोतों से ideas को ग्रहण करता हैं परन्तु कल्पना शक्ति का विस्तार करने के लिए उन विचारों को छोड़ना पड़ता हैं जिनके साथ आप वर्षो से चिपके हुए हैं, ऐसा करने से ही आपके मस्तिष्क में नए विचार आने शुरू हो जाएंगे।
780 कवि का दर्ज़ा बहुत ऊचा होता हैं वह ऐसी उपमा देता हैं कि लोग सोच भी नहीं सकते, उसकी सूझ वहां तक पहुचती हैं जहाँ पर सामान्य जन नहीं पहुच सकते, स्त्री जो भी कर गुजरे कम हैं शराबी का क्या पता कब क्या बकने लगे और कौए को यह नहीं पता होता की क्या खाने योग्य हैं और क्या नहीं।
781 कविता बहुत अधिक ख़ुशी और दुःख में ही उत्पन्न होती हैं।
782 कवी ऐसी महान और ज्ञान भरी बातें कहते हैं जो वो खुद नहीं समझते।
783 कष्ट सह कर ही सबसे मजबूत  लोग निर्मित होते हैं ; सबसे महान चरित्रों  पर घाव के निशान   होते हैं।
784 कस्तूरी मृग उस गंध के स्रोत को पूरी दुनिया भर में खोजता है, जोकि स्वयं उसमें से आती हैं।
785 कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो।
786 कांसे का पात्र राख द्वारा मांजने से शुद्ध होता है, तांबे का पात्र खटाई के रगड़ने से शुद्ध होता है। स्त्री रजस्वला होने से पवित्र होती है और नदी तीव्र गति से बहने से निर्मल हो जाती है।
787 कांसे के पात्र को यदि राख से साफ़ किया जाए तो वह चमकने लगेगा इसी प्रकार तांबे के बर्तन को शुद्ध करने के लिए खटाई की आवश्कता होती हैं, स्त्री की शुद्धता के लिए आवश्यक हैं कि वह रजोदर्शन कर चुकी हो, इसी प्रकार नदी की शुद्धि उसके वेगपूर्ण बहाव में होती हैं।
788 कानून ऐसी व्यवस्था है जिसमे आप किसी को दर्द नहीं पहुंचाते और न ही किसी को दर्द पहुचाने की इजाजत देते है।
789 कानून के प्रति इज्जत बरकरार रखना चाहते है तो उनके बनने की प्रक्रिया को कभी मत देखिये।
790 कानून बनाने का एक मात्र उद्देश्य उन लोगों का शोषण करना है जो इनके बारे में नहीं जानते। ताकि वे चुपचाप अपने दुखों को सहते रहे।
791 कानून बनाने का मतलब किसी चीज को जड़ से खत्म करना नहीं होता है। इसका मतलब आजादी के दायरे को फैलाना और इसे महफूज रखने से है।
792 कानून-व्यवस्था न्याय की स्थापना के लिए होते है और जब वे इसमें नाकाम रहते है तो वे खतरनाक ढंग से बने बांध की तरह हो जाते है, जो सामाजिक प्रगति के प्रवाह को थाम लेते हैं।
793 काभी-कभी लोग कुछ कह कर अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं, और कभी-कभी लोग चुप रहकर अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं।
794 काम  से आपकी पहचान मिलती है, आपसे काम की पहचान नहीं होती।
795 काम (व्यभिचार), क्रोध (अभीष्ट की प्राप्ति न होने पर आपे से बाहर होना), लालच (धन-प्राप्ति की लालसा), स्वाद (जिह्वा को प्रिय लगने वाले पदार्थो का सेवन), श्रृंगार (सजना-धजना), खेल और अत्यधिक सेवा (दुसरो की चाकरी) आदि दुर्गुण विद्यार्थी के लिए वर्जित है। विद्यार्थी को इन आठों दुर्गुणों का सर्वथा त्याग कर देना चाहिए।
796 काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।
797 काम की शुरुआत करना ही उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
798 काम कीजिए! जिम्मेदारी उठाइए! जिन चीजों में आप भरोसा करते हैं उन चीजों के लिए काम कीजिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो फिर आप अपनी किस्मत दुसरे लोगों के हवाले कर रहे हैं।
799 काम के बिना जीवन बेकार है।  लेकिन काम बेकार हो तो ज़िन्दगी बेमतलब है।
800 काम को आरम्भ करो और अगर काम शुरू कर दिया है, तो उसे पूरा करके ही छोड़ो। 

No comments:

Post a Comment