701 | कई बार हमारी दिनचर्या काफी व्यस्त होती हैं। कई तरह की Meetings, Phone calls, E-mails से जबाब और रोजाना के काम हमें लगातार busy रखते हैं। व्यस्त दिनचर्या महत्वपूर्ण होने का अहसास भी कराने लगती हैं लेकिन कभी-कभी यह सिर्फ भ्रम होता हैं क्योकि इतनी व्यस्तता के बीच कुछ भी उत्पादन काम (Productive work) नहीं कर पातें हैं। इसका एक ही समाधान हैं थोडा रुकियें, अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को दोहरियें, और जो सबसे जरुरी हो, उसे सबसे पहले कीजिएं और एक समय में एक ही काम कीजिए। |
702 | कई लोग इसके बारे में बहुत ज्यादा सोचते हैं कि वे अगले 1 साल में क्या कर सकते हैं लेकिन वे इस बारे में बहुत कम सोचते हैं कि अगले 10 सालों में किया जा सकता हैं। |
703 | कई लोग बन्दूक या हथियार रखना पसंद करते है, लेकिन सपने में भी कभी इनका व्यापार करना नहीं चाहते है। |
704 | कई लोग मानते है और मैं खुद भी मानता हूँ की मुझे इस काम के लिए ईश्वर ने चुना है। उम्र ज्यादा होने के बावजूद मैं यह काम नहीं छोड़ना चाहता। मुझे ईश्वर से प्यार है और मेरी सारी उम्मीदें उसी पर टिकी है। |
705 | कई लोगो पर असफलता का दर इतना हावी हो जाता हैं कि वे किसी भी महत्वपूर्ण काम में हाथ डालने से हिचकिचाते हैं, उनकी जुबान पर बस एक ही वाक्य रहता हैं। |
706 | कई सच ऐसे है जिनके असली अर्थ को समझना तब तक मुमकिन नहीं है जब तक निजी तौर उनसे सीखने के लिए कुछ मिल न जाए। |
707 | कच्चा पात्र कच्चे पात्र से टकराकर टूट जाता है। |
708 | कटटरपंथी वो होता है,जो अपना दिमाग बदल नही सकता और विषय वो बदलता नहीं है। |
709 | कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं। |
710 | कठिन कार्य करवा लेने के उपरान्त भी नीच व्यक्ति कार्य करवाने वाले का अपमान ही करता है। |
711 | कठिन समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए। |
712 | कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को मत छोड़िये और विपत्ति को अवसर में बदलिए। |
713 | कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करें। कठिनाइयों को अवसरों में तब्दील करें. असफलताओं के बावजूद, अपना मनोबल ऊँचा रखें. अंत में सफलता आपको अवश्य मिलेगी। |
714 | कठीन समय मे समझदार व्यक्ति रास्ता खोजता है ओर कायर बहाना। |
715 | कठोर दंड से सभी लोग घृणा करते है। |
716 | कठोर वाणी अग्निदाह से भी अधिक तीव्र दुःख पहुंचाती है। |
717 | कड़ी मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। |
718 | कथन के अनुसार ही उत्तर दें। |
719 | कन्या का विवाह अच्छे कुल में करना चाहिए। पुत्र को विध्या के साथ जोड़ना चाहिए। दुश्मन को विपत्ति में डालना चाहिए और मित्र को अच्छे कार्यो में लगाना चाहिए। |
720 | कभी नहीं , कभी नहीं , कभी नहीं हार मानो। |
721 | कभी कभी कक्षा से बंक मारकर दोस्तों के साथ मस्ती करना अच्छा होता है, क्योंकि आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो ये सिर्फ हंसाता ही नहीं है, बल्कि अच्छी यादे भी देता है। |
722 | कभी कभी ज़िंदगी आपके सर में पत्थर से चोट करती है। पर विश्वास मत खोना। |
723 | कभी नाकाम नहीं होना सबसे बड़ी ख़ुशी की बात नहीं है। सबसे बड़ी ख़ुशी की बात यह है कि आप हर बार नाकाम हो और फिर से उठ खड़े हो। |
724 | कभी नैतिक मूल्यों को सही काम करने के रास्ते में आने न दीजिए। |
725 | कभी भी अपने पास रखे तीन संसाधनों को मत भूलिए: प्रेम, प्रार्थना, और क्षमा। |
726 | कभी भी चीज़ों की गहराई में उतरने से डरिए नहीं, क्योंकि सच हमेशा सबसे नीचे ही कहीं दबा होता है। |
727 | कभी भी जब आपका शत्रु कोई गलती कर रहा हो तो उसके काम में बाधा मत डालिए। |
728 | कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्वाद नहीं करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्वाद करती है. |
729 | कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्वाद नहीं करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्वाद करती है। |
730 | कभी भी यह न सोचे की आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। |
731 | कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है. अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं. |
732 | कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं. |
733 | कभी यह न सोचिए की आपको कुछ नहीं आता या आपकी कोई अहमियत नहीं है। क्योंकि लोग आपको उसी तरीके से लेते हैं जैसा आप खुद के बारे में सोचते है। |
734 | कभी ये न कहिए - मैंने सच ढूंढ लिया है। ये बोलिए- मैंने एक सच की तलाश कर ली है। |
735 | कभी-कभार, class छोड़ कर दोस्तों के साथ वक़्त गुजारना भी अच्छा होता है, क्योंकि अब, जब मैं वापस पलट कर देखता हूँ, तो marks कभी मुझे हंसा नहीं पाते जबकि यादें मेरे चहरे पर मुस्कान ला देती हैं। |
736 | कभी-कभो सपने देखना खतरनाक है तो उसका तोड़ यह नहीं की सपने देखना ही छोड़ दें। सपने देखने। ज्यादा सपने देखें। हर वक़्त, हर समय सपनो की दुनिया में रहे। |
737 | कम चीजो के साथ जीवन जीना सबसे बड़ी दौलत है। |
738 | कम से कम दो गरीब बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिए उनकी शिक्षा में मदद करो। |
739 | कम ही लोग इस बात की तरफ ध्यान देते हैं कि क्या हो चुका है, जबकि ज्यादातर लोगों की रुचि इसी बात में रहती है कि क्या बाकी रह गया है। |
740 | कम ही लोग मंदिर, मस्जिद या चर्च में प्रार्थना करने के लिए आते है। ज्यादातर लोग भगवान के सपने देखने यहाँ आते हैं। |
741 | कमज़ोर लोग सुरक्षा की तलाश में रहते है जबकि विजेता अवसरों की |
742 | कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। |
743 | कमजोर लोग भाग्य में यकीं करते है जबकि साहसी आदमी अपनी मेहनत में यकीं करते है। |
744 | कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता, क्षमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है। |
745 | कमाए हुए धन का दान करते रहना ही उसकी रक्षा है। जैसे तालाब के पानी का बहते रहना उत्तम है। |
746 | कर्जदार पिता शत्रु है, व्यभिचारिणी माता शत्रु है, मूर्ख लड़का शत्रु है और सुन्दर स्त्री शत्रु है। |
747 | कर्म करना बहुत अच्छा है, पर वह विचारो से आता है, इसलिए अपने मस्तिष्क को उच्च विचारो एवं उच्चतम आदर्शो से भर लो, उन्हें रात-दिन अपने सामने रखो, उन्हीं में से महान कर्मो का जन्म होगा। |
748 | कर्म करने और उसका फल पाने के बीच लम्बा समय लगता है, जिसकी प्रतीक्षा धैर्य पूर्वक करनी पड़ती है। बीज को वृक्ष बनने में कुछ समय लगता है। अखाड़े में दाखिल होते ही कोई पहलवान नहीं हो जाता। विद्यालय में प्रवेश पाते ही कोई ज्ञानी नहीं हो जाता। कामयाबी धैर्य से मिलती है, कर्मक्षेत्र चाहे कोई भी हो। |
749 | कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही। |
750 | कर्म करने वाले को मृत्यु का भय नहीं सताता। |
751 | कर्म करने से ही तत्त्वज्ञान को समझा जा सकता है। |
752 | कर्म का मूल्य उसके बाहरी रूप और बाहरी फल में इतना नहीं है, जितना की उसके द्वारा हमारे भीतर दिव्यता की वृद्धि होने में है। |
753 | कर्म का सिद्धांत कहता है - 'जैसा कर्म वैसा फल'. आज का प्रारब्ध पुरुषार्थ पर अवलम्बित है। 'आप ही अपने भाग्यविधाता है'. यह बात ध्यान में रखकर कठोर परिश्रम पुरुषार्थ में लग जाना चाहिये। |
754 | कर्म की परिसमाप्ति ज्ञान में और कर्म का मूल भक्ति अथवा सम्पूर्ण आत्म-समर्पण में है। |
755 | कर्म के बिना दूरदर्शिता एक दिवास्वप्न है। दूरदर्शिता के बिना कर्म दुःस्वप्न है। |
756 | कर्म के लिए भक्ति का आधार होना आवश्यक है। |
757 | कर्म वह आइना है, जो हमारा स्वरूप हमे दिखा देता है। अतः हमे कर्म का अहसानमंद होना चाहिए। |
758 | कर्म सदैव सुख न ला सके परन्तु कर्म के बिना सुख नहीं मिलता। |
759 | कर्म सरल है, विचार कठिन। |
760 | कर्म ही पूजा है और कर्तव्य- पालन भक्ति है। |
761 | कर्म ही मनुष्य के जीवन को पवित्र और अहिंसक बनाता है। |
762 | कर्मठ इहलोक-परलोक का ध्यान कर कर्म नहीं करता, वह तो बस क्रियारत रहता है। |
763 | कर्मयोगी अपने लिए कुछ करता ही नहीं। अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता और अपना कुछ मानता भी नहीं। इसलिए उसमे कामनाओं का नाश सुगमता पूर्वक हो जाता है। |
764 | कर्मशील लोग शायद ही कभी उदास रहते हो। कर्मशीलता और उदासी दोनों साथ-साथ नहीं रहती है। |
765 | कर्मशील व्यक्ति के लिए हवाएँ मधु बहाती है, नदियों में मधु बहता है और ओषधियाँ मधुमय हो जाती है। |
766 | कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ों कि दुआयें दे गया, पता ही नहीँ चला की, गरीब वो था की मैं.... |
767 | कल ऐसी चीज़ है जिनके जरिए हम खुद के बारे में जान सकते हैं और हमें यह भी पता चलता है की दूसरा व्यक्ति क्या देख रहा है या किस बारे में सोच रहा है। |
768 | कल का कार्य आज ही कर ले। |
769 | कल की हज़ार कौड़ियों से आज की एक कौड़ी भली। अर्थात संतोष सबसे बड़ा धन है। |
770 | कल के मोर से आज का कबूतर भला। अर्थात संतोष सब बड़ा धन है। |
771 | कल गिर गए थे तो क्या हुआ, आज फिर से खड़े हो जाइए। |
772 | कल जा चुका है, कल अभी आया नहीं है, हमारे पास केवल आज है, चलिए शरुआत करते हैं। |
773 | कल जो चीजें मुमकिन थी, वे आज मुमकिन हो सकती हैं। |
774 | कला क्या है ? यह इंसान की रचनात्मक आत्मा की यथार्थ के पुकार के प्रति प्रतिक्रिया है। |
775 | कला जो स्पष्ठ और अच्छी तरह से ज्ञात है उससे रहस्य और छिपे हुए की तरफ बढाया हुआ एक कदम है। |
776 | कला में व्यक्ति खुद को उजागर करता है कलाकृति को नहीं। |
777 | कलियुग के दस हजार वर्ष बीतने पर श्री विष्णु (पालनकर्ता) इस पृथ्वी को छोड़ देते है, उसके आधा बीतने पर गंगा का जल समाप्त हो जाता है और उसके आधा बीतने पर ग्राम के देवता भी पृथ्वी को छोड़ देते है। |
778 | कल्पना दुनिया पर शासन करती है। |
779 | कल्पना शक्ति का विस्तार करे। आपका मस्तिष्क बहुत से स्त्रोतों से ideas को ग्रहण करता हैं परन्तु कल्पना शक्ति का विस्तार करने के लिए उन विचारों को छोड़ना पड़ता हैं जिनके साथ आप वर्षो से चिपके हुए हैं, ऐसा करने से ही आपके मस्तिष्क में नए विचार आने शुरू हो जाएंगे। |
780 | कवि का दर्ज़ा बहुत ऊचा होता हैं वह ऐसी उपमा देता हैं कि लोग सोच भी नहीं सकते, उसकी सूझ वहां तक पहुचती हैं जहाँ पर सामान्य जन नहीं पहुच सकते, स्त्री जो भी कर गुजरे कम हैं शराबी का क्या पता कब क्या बकने लगे और कौए को यह नहीं पता होता की क्या खाने योग्य हैं और क्या नहीं। |
781 | कविता बहुत अधिक ख़ुशी और दुःख में ही उत्पन्न होती हैं। |
782 | कवी ऐसी महान और ज्ञान भरी बातें कहते हैं जो वो खुद नहीं समझते। |
783 | कष्ट सह कर ही सबसे मजबूत लोग निर्मित होते हैं ; सबसे महान चरित्रों पर घाव के निशान होते हैं। |
784 | कस्तूरी मृग उस गंध के स्रोत को पूरी दुनिया भर में खोजता है, जोकि स्वयं उसमें से आती हैं। |
785 | कहने की प्रकृति छोडो, करने का अभ्यास करो। |
786 | कांसे का पात्र राख द्वारा मांजने से शुद्ध होता है, तांबे का पात्र खटाई के रगड़ने से शुद्ध होता है। स्त्री रजस्वला होने से पवित्र होती है और नदी तीव्र गति से बहने से निर्मल हो जाती है। |
787 | कांसे के पात्र को यदि राख से साफ़ किया जाए तो वह चमकने लगेगा इसी प्रकार तांबे के बर्तन को शुद्ध करने के लिए खटाई की आवश्कता होती हैं, स्त्री की शुद्धता के लिए आवश्यक हैं कि वह रजोदर्शन कर चुकी हो, इसी प्रकार नदी की शुद्धि उसके वेगपूर्ण बहाव में होती हैं। |
788 | कानून ऐसी व्यवस्था है जिसमे आप किसी को दर्द नहीं पहुंचाते और न ही किसी को दर्द पहुचाने की इजाजत देते है। |
789 | कानून के प्रति इज्जत बरकरार रखना चाहते है तो उनके बनने की प्रक्रिया को कभी मत देखिये। |
790 | कानून बनाने का एक मात्र उद्देश्य उन लोगों का शोषण करना है जो इनके बारे में नहीं जानते। ताकि वे चुपचाप अपने दुखों को सहते रहे। |
791 | कानून बनाने का मतलब किसी चीज को जड़ से खत्म करना नहीं होता है। इसका मतलब आजादी के दायरे को फैलाना और इसे महफूज रखने से है। |
792 | कानून-व्यवस्था न्याय की स्थापना के लिए होते है और जब वे इसमें नाकाम रहते है तो वे खतरनाक ढंग से बने बांध की तरह हो जाते है, जो सामाजिक प्रगति के प्रवाह को थाम लेते हैं। |
793 | काभी-कभी लोग कुछ कह कर अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं, और कभी-कभी लोग चुप रहकर अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं। |
794 | काम से आपकी पहचान मिलती है, आपसे काम की पहचान नहीं होती। |
795 | काम (व्यभिचार), क्रोध (अभीष्ट की प्राप्ति न होने पर आपे से बाहर होना), लालच (धन-प्राप्ति की लालसा), स्वाद (जिह्वा को प्रिय लगने वाले पदार्थो का सेवन), श्रृंगार (सजना-धजना), खेल और अत्यधिक सेवा (दुसरो की चाकरी) आदि दुर्गुण विद्यार्थी के लिए वर्जित है। विद्यार्थी को इन आठों दुर्गुणों का सर्वथा त्याग कर देना चाहिए। |
796 | काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। |
797 | काम की शुरुआत करना ही उसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। |
798 | काम कीजिए! जिम्मेदारी उठाइए! जिन चीजों में आप भरोसा करते हैं उन चीजों के लिए काम कीजिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो फिर आप अपनी किस्मत दुसरे लोगों के हवाले कर रहे हैं। |
799 | काम के बिना जीवन बेकार है। लेकिन काम बेकार हो तो ज़िन्दगी बेमतलब है। |
800 | काम को आरम्भ करो और अगर काम शुरू कर दिया है, तो उसे पूरा करके ही छोड़ो। |
Sunday, January 17, 2016
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