2301 | बुरे व्यक्ति पश्चाताप से भरे होते हैं। |
2302 | बुरे व्यवहार या बुरी आदतो वाले व्यक्ति से बात करना वैसा है, जैसे टॉर्च की मदद से पानी के नीचे डूबते आदमी को तलाशना। |
2303 | बुरे समय मैं अपने मित्र पर भी विश्वास नही करना चाहिए क्योंकि कभी नाराज होने पर सम्भवतः आपका विशिष्ट मित्र भी आपके सारे रहस्यों को प्रकट कर सकता है। |
2304 | बुढ़ापे में स्त्री का मर जाना, बंधु के हाथो में धन का चला जाना और दूसरे के आसरे पर भोजन का प्राप्त होना, ये तीनो ही स्थितियां पुरुषों के लिए दुःखदायी है। |
2305 | बेवकूफ बनकर खुश रहिये और इसकी पूरी उम्मीद हैं कि आप अंत में सफलता प्राप्त करेंगे। |
2306 | बेवकूफ व्यक्ति न तो क्षमा करता है और न ही भूलता है, भोला व्यक्ति क्षमा भी कर देता है और भूल भी जाता है, बुद्धिमान व्यक्ति क्षमा कर देता है लेकिन भूलता नहीं है। |
2307 | बेहतरीन अवसर मिले तो उसे पकड़ ले और सर्वश्रेष्ठ काम ही करे। |
2308 | बैलगाड़ी से पांच हाथ, घोड़े से दस हाथ, हठी से हजार हाथ दूर बचकर रहना चाहिए और दुष्ट पुरुष (दुष्ट राजा) का देश ही छोड़ देना चाहिए। |
2309 | बैलट, बुलेट से ज्यादा शक्तिशाली है। |
2310 | बोधिक सम्पदा किसी केले की बाहरी खोल की तरह होती हैं। |
2311 | बोलचाल अथवा वाणी में पवित्रता, मन की स्वछता और यहां तक कि इन्द्रियों को वश में रखकर पवित्र करने का भी कोई महत्व नही, जब तक कि मनुष्य के मन में जीवनमात्र के लिए दया की भावना उत्पन्न नहीं होती। सच्चाई यह है कि परोपकार ही सच्ची पवित्रता है। बिना परोपकार की भावना के मन, वाणी और इन्द्रियां पवित्र नहीं हो सकती। व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने मन में दया और परोपकार की भावना को बढ़ाए। |
2312 | बौद्धिक सम्पदा किसी कैले की बाहरी खोल की तरह होती हैं। |
2313 | ब्रह्मज्ञानियो की दॄष्टि में स्वर्ग तिनके के समान है, शूरवीर की दॄष्टि में जीवन तिनके के समान है, इंद्रजीत के लिए स्त्री तिनके के समान है और जिसे किसी भी वस्तु की कामना नहीं है, उसकी दॄष्टि में यह सारा संसार क्षणभंगुर दिखाई देता है। वह तत्व ज्ञानी हो जाता है। |
2314 | ब्रह्मतेज की रक्षा के लिए ब्राह्मण को न तो अपना ज्ञान बेचना चाहिए और न ही नीच व्यक्ति का भोजन ग्रहण करना चाहिए, विधा का दान भी करना चाहिए न की सोदेबाजी। |
2315 | ब्रह्मा को शायद कोई बताने वाला नहीं मिला जो की उन्होंने सोने में सुगंध, ईख में फल, चंदन में फूल, विद्वान को धनी और राजा को चिरंजीवी नहीं बनाया। |
2316 | ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है! |
2317 | ब्रह्माण्ड में तीन चीजें हैं जिन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता, आत्मा, जागरूकता और प्रेम. |
2318 | ब्रह्मुहूर्त में जागना, रण में पीछे न हटना, बंधुओ में किसी वस्तु का बराबर भाग करना और स्वयं चढ़ाई करके किसी से अपने भक्ष्य को छीन लेना, ये चारो बातें मुर्गे से सीखनी चाहिए। मुर्गे में ये चारों गुण होते है। वह सुबह उठकर बांग देता है। दूसरे मुर्गे से लड़ते हुए पीछे नहीं हटता, वह अपने खाध्य को अपने चूजों के साथ बांटकर खाता है और अपनी मुर्गी को समागम में संतुष्ट रखता है। |
2319 | ब्राहमणों को खिलाने के उपरान्त अवशिष्ट भोजन ही सर्वोतम भोजन हैं, दूसरों का हित करने वाली सहानुभूति ही सच्ची सहर्दियता हैं। पाप से निवृत करने वाली बुद्धि ही निर्मला प्रज्ञा हैं। छल-कपट से रहित शुद्ध आचरण ही सच्चा धर्म हैं। |
2320 | ब्राह्मण केवल भोजन से तृप्त हो जाते हैं और मोर बादल के गरजने भर से संतुष्ट हो जाता हैं, संत और सज्जन व्यक्ति दूसरे की सम्रद्धि देखकर प्रसन्न होते हैं, परन्तु दुष्ट व्यक्ति को तो प्रसन्नता तभी होती हैं, जब वे किसी दुसरे को संकट में पड़ा हुआ देखते हैं। |
2321 | ब्राह्मण को सन्तोषी, राजा को महत्वकांक्षी, वेश्या को निर्लज्ज और परिवार की सद्गृहस्थ स्त्री को शील-संकोच की देवी होना चाहिए। |
2322 | ब्राह्मण तत्वज्ञान रूपी वृक्ष हैं, संध्या प्रात दोपहर सायं अथार्थ दो कालो की सन्धि-बेला में की जानी वाली पूजा –उपासना उस वृक्ष की जड़े हैं, वेद उस वृक्ष की शाखा हैं तथा धर्म-कर्म उसके पत्ते हैं। प्रयत्नपूर्वक मूल की रक्षा करने से ही वृक्ष भली प्रकार फलता-फूलता हैं और यदि कहीं जड़ ही कट जाए तो न शाखा का ही कोई महत्व रहता हैं और न पत्ते ही हरे भरे रह पाते हैं। |
2323 | ब्राह्मण दक्षिणा ग्रहण करके यजमान को, शिष्य विद्याध्ययन करने के उपरांत अपने गुरु को और हिरण जले हुए वन को त्याग देते है। |
2324 | ब्राह्मण भोजन से संतुष्ट होते है, मोर बादलों की गर्जन से, साधु लोग दूसरों की समृद्धि देखकर और दुष्ट लोग दुसरो पर विपत्ति आई देखकर प्रसन्न होते है। |
2325 | ब्राह्मण वृक्ष है, संध्या उसकी जड़ है, वेद शाखाए है, धर्म तथा कर्म पत्ते है इसीलिए ब्राह्मण का कर्तव्य है कि संध्या की रक्षा करे क्योंकि जड़ के कट जाने से पेड़ के पत्ते व् शाखाए नहीं रहती। |
2326 | ब्राह्मणों का आभूषण वेद है। |
2327 | ब्राह्मणों का बल विद्या है, राजाओं का बल उनकी सेना है, वेश्यो का बल उनका धन है और शूद्रों का बल छोटा बन कर रहना, अर्थात सेवा-कर्म करना है। |
2328 | ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए, दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए, पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आए उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए। |
2329 | ब्राह्मणों, क्षत्रियों तथा वैश्यों को द्विजाति कहा जाती कहा गया हैं, क्योकि उनका जन्म दो बार होता हैं, एक बार माता के गर्भ से दूसरा गुरु द्वारा अपना शिष्य बनाये जाने पर, उनका आराध्यदेव अग्नि(तपस्या) हैं मुनुयो का आराध्य देव उनके ह्र्दय में विधमान देवता होता हैं अल्प बुद्धि वाले मूर्ति में ही ईश्वर मान लेते हैं समान द्रष्टि रखने वाले तत्वज्ञ सिद्ध महात्माओं के लिए तो ईश्वर सर्वव्यापक हैं वे तो कण-कण में ईश्वर की सत्ता देखते हैं, परन्तु इस प्रकार के तत्वज्ञानी व्यक्ति बहुत ही कम होते हैं। |
2330 | ब्लैक कलर भावनात्मक रूप से बुरा होता है लेकिन हर ब्लैक बोर्ड विधार्थियों की जिंदगी ब्राइट बनाता है। |
2331 | बड़े कार्य, छोटे कार्यों से आरम्भ करने चाहिए। |
2332 | बड़े गर्व की बात कभी न गिरने में नहीं है बल्कि हर बार गिर कर उठने में है। |
2333 | बड़े लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें नहीं हासिल कर पाना बुरा है, लेकिन इससे भी खरनाक है छोटे लक्ष्य हासिल कर संतुष्ट हो जाना। |
2334 | बड़े-बड़े हाथियों और बाघों वाले वन में वृक्ष का कोट रूपी घर अच्छा है, पके फलों को खाना, जल का पीना,तिनको पर सोना,पेड़ो की छाल पहनना उत्तम है, परन्तु अपने भाई-बंधुओ के मध्य निर्धन होकर जीना अच्छा नहीं है। |
2335 | बढ़ती उम्र के साथ सब चीज़ें धुंधली होने लगती हैं, दिमाग भी। |
2336 | भक्ष्याभक्ष्य का विचार त्याग कर मासं खाने वाले, मदिरा पीने वाले, निरक्षर, अनपढ़, काला अक्षर भैस बराबर व्यक्ति पुरुष के रूप में पशु हैं क्योकि इनकी चेष्टाएं बिना विवेक के होती हैं इस प्रकार के विधा और विवेकरहित मनुष्यो-पुरुष-रूपधारी पशुओ के भार से ही यह धरती दुखी हैं, अथार्थ ऐसे लोग भूमि का भार हैं। |
2337 | भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है. |
2338 | भगवान का कोई धर्म नहीं है। |
2339 | भगवान की तरफ विशुद्ध प्रेम बेहद जरूरी बात है और बाकी सब असत्य और काल्पनिक है। |
2340 | भगवान की भक्ति या प्रेम के बिना किया गए कार्य को पूर्ण नहीं किया जा सकता। |
2341 | भगवान की सेवा सहनीय है जबकि इंसान की असहनीय। |
2342 | भगवान के अनेको नाम हैं और उनको अनेक तरीको से प्राप्त किया जा सकता हैं, आप उसको किस नाम से पुकारते हैं और किस तरह से उनकी पूजा करते हैं यह matter नहीं करता बल्कि महत्व्य्पूर्ण यह हैं कि आप उसको अपने अन्दर कितना महसूस करते हैं। |
2343 | भगवान को सभी पथो और माध्यमों के द्वारा महसूस किया जा सकता हैं, सभी धर्म सच्चे और सही हैं। महत्वपूर्ण बात यह यह कि आप उस तक उस तक पहुँच पाते हैं या नहीं। आप वहां तक जानें के लिए कोई भी रास्ता अपना सकते हैं रास्ता महत्व नहीं रखता। |
2344 | भगवान ने आपको जो कुछ दिया है उसे देखिये फिर उसमे से जितना आपको चाहिए उतना खुद के पास रखिये और बाकी बची चीजों को दुसरो के लिए छोड़ दीजिये। |
2345 | भगवान ने किसी भी चीज़ को दूसरी चीज़ पर निर्भर नहीं बनाया है, लेकिन हमारे आर्ट या रचनात्मकता के कारण चीज़ें एक दूसरे पर निर्भर हो जाती है। |
2346 | भगवान ने हमारे मष्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं। ईश्वर की प्रार्थना, हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती है। |
2347 | भगवान ने हर मनुष्य को कॉमन सेन्स एक जितना दिया है और किसी को भी ये नहीं लगता कि उनके पास जितनी कॉमन सेन्स है उससे ज्यादा की आवश्यकता है। |
2348 | भगवान ने हर व्यक्ति को जीवन जीने की कोई या कोई वजह दी है। इसे पहचानिए और ज़िन्दगी का मज़ा उठाएं। |
2349 | भगवान भी मज़ाक के शौक़ीन होते है। |
2350 | भगवान यह अपेक्षा नहीं करते कि हम सफल हों। वे तो केवल इतना ही चाहते हैं कि हम प्रयास करें। |
2351 | भगवान श्री विष्णुनारायण सारे संसार का भरण-पोषण करने वाले कहे जाते हैं तो फिर मुझे जीवन में किस प्रकार की चिंता हैं यदि श्रीनारायण नहीं होते तो गर्भ्रस्थ शिशु के लिए माँ के स्तनों में दूध कहाँ से आता हे लक्ष्मीपति आपके विश्व-पोषक होने पर विश्वास करके ही मैं आपके –कमलों की सेवा में अपना सारा समय बिताता हूँ। |
2352 | भगवान सभी पुरुषों में है, लेकिन सभी पुरुषों में भगवान नहीं हैं, इसीलिए हम पीड़ित हैं। |
2353 | भगवान से उन चीजो के लिए प्रार्थना करना व्यर्थ होता है जिन चीजो को आप खुद हासिल करने के योग्य होते है। |
2354 | भगवान से प्यार करना सबसे बड़ा रोमांस है। भगवान को हासिल करना सब्सर बड़ा एडवेंचर और उसे पा लेना, सबसे बड़ी उपलब्धि। |
2355 | भगवान से प्रार्थना करो कि धन, नाम, आराम जैसी अस्थायी चीजो के प्रति लगाव दिन-दिन अपने आप कम होता चला जाएँ। |
2356 | भगवान हमेशा मेरे साथ है। |
2357 | भगवान हर जगह है और कण-कण में हैं, लेकिन वह एक आदमी में ही सबसे अधिक प्रकट होते है, इस स्थिति में भगवान के रूप में आदमी की सेवा ही भगवान की सबसे अच्छी पूजा है। |
2358 | भगवान हर मनुष्य को एक जितना प्यार करते है, क्योंकि हम सभी उनके लिए एक है। |
2359 | भगवान ही ऐसा है जो हर समय सोचता रहता है। |
2360 | भगवान, हमारे निर्माता ने हमारे मष्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं। ईश्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती है। |
2361 | भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है। |
2362 | भगवान् की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए , इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर। |
2363 | भय और अधूरी इच्छाएं ही समस्त दुःखो का मूल है। |
2364 | भय से तभी तक डरना चाहिए, जब तक भय आए नहीं। आए हुए भय को देखकर निशंक होकर प्रहार करना चाहिए, अर्थात उस भय की परवाह नहीं करनी चाहिए। |
2365 | भय से शांति नहीं लाई जा सकती। शांति तो तब आती है जब हम आपसी विश्वास के लिए ईमानदारी से कोशिश करे। |
2366 | भय ही पतन और पाप का मुख्य कारण है। |
2367 | भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते। |
2368 | भला कविता को अर्थपूर्ण होने की क्या आवश्यकता है ? |
2369 | भले लोग दूसरों के शरीर को भी अपना ही शरीर मानते है। |
2370 | भले ही schools में हार-जीत होती हो, लेकिन जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं होता हैं। कुछ school में fail होने वाली grade ख़त्म हो चुकी हैं, इस लिहाज से भी इसका real life से कोई तालमेल नहीं हैं। |
2371 | भले ही मणि को ठोकर मारी जाए और कांच को सर पर धारण किया जाए, परन्तु खरीद-फरोख्त के समय मणि का मूल्य और होता हैं और शीशे का और। |
2372 | भविष्य के अन्धकार में छिपे कार्य के लिए श्रेष्ठ मंत्रणा दीपक के समान प्रकाश देने वाली है। |
2373 | भविष्य के सन्दर्भ में सबसे बढ़िया बात यह है की ये एक दिन निश्चित समय पर आता है। |
2374 | भविष्य को लेकर सपने देखना, अतीत से जुड़े इतिहास से कई ज्यादा सुंदर है। |
2375 | भविष्य को सुन्दर बनाने के लिए पास जो है उसे अपने समर्पित आज को समर्पित कर दे। |
2376 | भविष्य चाहे कितना ही सुन्दर हो विश्वास न करो, भूतकाल की चिंता न करो, जो कुछ करना है उसे अपने पर और ईश्वर पर विश्वास रखकर वर्तमान में करो। |
2377 | भविष्य में आने वाली संभावित विपत्ति और वर्तमान में उपस्थित विपत्ति पर जो तत्काल विचार करके उसका समाधान खोज लेते है, वे सदा सुखी रहते है। इसके अलावा जो ऐसा सोचते रहते है कि 'यह होगा, वैसा होगा तथा जो होगा, देखा जाएगा ' और कुछ उपाय नहीं करते, वे शीघ्र ही नष्ट हो जाते है। |
2378 | भविष्य में क्या होगा, मै यह नहीं सोचना चाहता। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है। |
2379 | भाग्य का शमन शांति से करना चाहिए। |
2380 | भाग्य की महिमा अपरम्पार हैं तथा उसकी शक्ति पर किसी का भी कोई वश नहीं चलता, कल क्या होने वाला हैं कोई नहीं जानता। |
2381 | भाग्य की शक्ति अत्यंत प्रबल है। वह पल में निर्धन को राजा और राजा को निर्धन बना देती है। वह धनी को निर्धन और निर्धन को धनी बना देती है। |
2382 | भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुखदायी हो जाता है। |
2383 | भाग्य के सहारे न रहकर आने वाले संकट से बचने का पहले से उपाय सोच लेना अथवा संकट आने के समय सोचना ही अच्छा हैं। मनुष्य को पुरुषार्थ अवश्य करना चाहिए पुरुषार्थी व्यक्ति संकट को पार कर लेता हैं जो यह सोचता हैं की जो कुछ होगा देखा जायेगा, वह नष्ट हो जायेगा। व्यक्ति को उधम करना चाहिए भाग्य के भरोसे नहीं बैठा रहना चाहिए। |
2384 | भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है। |
2385 | भाग्यशाली पुण्यात्मा लोगो को खाद्य-सामग्री और धन-धान्य आदि का संग्रह न करके, उसे अच्छी प्रकार से दान करना चाहिए। दान देने से कर्ण, दैत्यराज बलि और विक्रमादित्य जैसे राजाओ की कीर्ति आज तक बनी हुई है। इसके विपरीत शहद का संग्रह करने वाली मधुमक्खियां जब अपने द्वारा संग्रहित मधु को किसी कारण से नष्ट हुआ देखती है तो वे अपने पैरो को रगड़ते हुए कहती है कि हमने न तो अपने मधु का उपयोग किया और न किसी को दिया ही। |
2386 | भाग्यशाली पुण्यात्माओ को खाध्य पदार्थ अथार्थ खाने पीने की सामग्री और धन-धान्य आदि का संग्रह न करके उन्हें जरुरतमंद लोगो को दान में दे देना चाहिए दान देने के कारण ही आज तक बलि, कर्ण और विक्रमादित्य जैसे राजाओ की कीर्ति इस सारे संसार में व्यापत हैं। |
2387 | भारत को अपनी ही छाया चाहिए, और हमारे पास स्वयं के विकास का प्रतिरूप होना चाहिए। |
2388 | भारत को एक मूल्य प्रधान राष्ट्र के साथ, एक विकसित राष्ट्र, एक समृद्ध राष्ट्र और एक स्वस्थ राष्ट्र के रूप में तब्दील होना होगा। |
2389 | भारत में हम बस मौत, बीमारी , आतंकवाद और अपराध के बारे में पढ़ते हैं. |
2390 | भावनाओं में न बहे। भावनाओ को उमड़ने से न रोके क्योकि जब आप अपनी भावनाओ को दूसरों के सामने व्यक्त करते हैं तब खुद को हल्का महसूस करते हैं इसलिए अपनी भावनाओ को एक इमारत के रूप में देखे क्योकि जब आप अपनी भावनाओ को दबा कर उन पर नकारात्मकता की लम्बी इमारत कड़ी करेंगे तब वह ढह सकती हैं। |
2391 | भाषा वही अच्छी होती है जिसे साहित्य के विद्वान और मजदूर मिलकर बनाएं। |
2392 | भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है। |
2393 | भूखा आदमी किताब की और जाता है यह एक हथियार है। |
2394 | भूखा व्यक्ति अखाद्य को भी खा जाता है। |
2395 | भूखे रहो, मुर्ख रहो। (इनोवेशन के सन्दर्भ में) |
2396 | भूत और भविष्य पर विचार करने की अपेक्षा वर्तमान का चिन्तन करने में ही बुद्धिमता हैं, क्योंकि वर्तमान ही अपना हैं। |
2397 | भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है। |
2398 | भूल जाना क्षमा करना नहीं है। बल्कि मन से निकल जाने देना ही क्षमा करना है। |
2399 | भूल जाना वो चीज़ है जो समय पर निर्भर करती है। लेकिन किसी को क्षमा करना स्वैच्छिक कार्य है और जिसका निर्णय सिर्फ पीड़ित व्यक्ति ही ले सकता है। |
2400 | भूलना माफ़ करना है। |
Monday, May 9, 2016
#2301-2400
Tuesday, March 29, 2016
#2201-2300
2201 | बन्दूक या बम की तुलना में आइडिया सबसे ज्यादा ताकतवर है। अगर हम चाहते है कि हमारे दुश्मन के पास बन्दूक या हथियार न हो तो हमे यह क्यों चाहते है कि उनके पास अच्छा आइडिया हो। |
2202 | बर्तन में रखा पानी चमकता है; समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है. लघु सत्य स्पष्ठ शब्दों से बताया जा सकता है, महान सत्य मौन रहता है। |
2203 | बर्बाद करना(waste), नुकसान(loss) से भी बदतर है, नुकसान मतलब आपने प्रयास तो किया समय आने पर जब व्यक्ति अपनी क्षमता का दावा रखेगा, तो समय उससे बर्बादी(waste) करने के सवाल रखेगा, बचत की गुंजाइश असीम है। |
2204 | बल प्रयोग के स्थान पर क्षमा करना अधिक प्रशंसनीय होता है। |
2205 | बलवान से युद्ध करना हाथियों से पैदल सेना को लड़ाने के समान है। |
2206 | बस वही जीते हैं ,जो दूसरों के लिए जीते हैं। |
2207 | बस इसलिए कि कोई वस्तु वो काम नहीं करती, जिस काम के लिए आपने उसे बनाया था, इसका ये मतलब कतई नहीं कि वो बेकार है। |
2208 | बहुत आगे देखना गलत है। एक बार में नियति की श्रृंखला की एक कड़ी से ही निपटा जा सकता है। |
2209 | बहुत ज्यादा पैदल चलना मनुष्यों को बुढ़ापा ला देता है, घोड़ो को एक ही स्थान पर बांधे रखना और स्त्रियों के साथ पुरुष का समागम न होना और वस्त्रों को लगातार धुप में डाले रखने से बुढ़ापा आ जाता है। |
2210 | बहुत बार लोग अलग-अलग परिस्थितियों में फंस जाते है और उनके पास कोई जवाब नहीं होता है। |
2211 | बहुत बार लोगों को लगता है की दुनिया में कई चीज़ें चल रही है या कुछ ऐसा हो रहा है जो उनकी समझ से बाहर है। |
2212 | बहुत बड़ा कनेर का वृक्ष भी मूसली बनाने के काम नहीं आता। |
2213 | बहुत बड़ी आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा पैदा होते ही जो मर गया, वह अच्छा है क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए ही कष्ट देता है, परन्तु मूर्ख पुत्र जीवनभर जलाता है। |
2214 | बहुत भोजन करने की शक्ति रखने पर भी थोड़े भोजन से ही संतुष्ट हो जाए, अच्छी नींद सोए, परन्तु जरा-से खटके पर ही जाग जाए, अपने रक्षक से प्रेम करे और शूरता दिखाए, इन छः गुणों को कुत्ते से सीखना चाहिए। |
2215 | बहुत मुश्किल हैं मैं नहीं कर पाऊंगा इसे- Leave this attitude |
2216 | बहुत समय से पानी से भरे हुए तालाब को सड़ांध, दुर्गन्ध और कीचड से बचाने के लिए आवश्यक हैं कि उसके पानी को बदला जाए इसी प्रकार बहुत यत्न से जोड़े हुए धन को भी दान देने से ही बचाया जा सकता हैं। |
2217 | बहुत सारे लोग आपके साथ शानदार गाड़ियों में घूमना चाहते हैं, पर आप चाहते हैं की कोई ऐसा हो जो गाड़ी खराब हो जाने पर आपके साथ बस में जाने को तैयार रहे. |
2218 | बहुत से गुणों को एक ही दोष ग्रस लेता है। |
2219 | बहुत-सी स्त्रियाँ पुरुषों के मन को मोह लेती हैं। परंतु बिरली ही स्त्रियाँ हैं जो अपने वश में रख सकती हैं। |
2220 | बहुमत का विरोध करने वाले एक व्यक्ति का अनुगमन नहीं करना चाहिए। |
2221 | बादल के जल के समान दूसरा जल नहीं है, आत्मबल के समान दूसरा बल नहीं है, अपनी आँखों के समान दूसरा प्रकाश नहीं है और अन्न के समान दूसरा प्रिय पदार्थ नहीं है। |
2222 | बादलो से बरसते हुए जल के समान कोई दूसरा स्वच्छ पानी नहीं होता, आत्मबल के समान कोई दूसरा बल नहीं होता, आँखों की ज्योति के समान कोई दूसरा उत्कृष्ट प्रकाश नहीं होता तथा अन्न के समान कोई दूसरा कोई भोज्य पदार्थ रुचिकर नहीं हो सकता। |
2223 | बार बार असफल होने पर भी उत्साह न खोने में ही सफलता है। |
2224 | बार-बार अभ्यास न करने से विध्या विष बन जाती है। बिना पचा भोजन विष बन जाता है, दरिद्र के लिए स्वजनों की सभा या साथ और वृद्धो के लिए युवा स्त्री विष के समान होती है। |
2225 | बारात मे दुल्हे सबसे पीछे और दुनिया आगे चलती है, मय्यत मे जनाजा आगे और दुनिया पीछे चलती है.. यानि दुनिया खुशी मे आगे और दुख मे पीछे हो जाती है..! |
2226 | बारिश की दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही अवॉयड कर देते है। समस्याए कॉमन है, लेकिन आपका एटीट्यूड इनमे डिफरेंस पैदा करता है। |
2227 | बावड़ी, कूप तलब बैग और देव मंदिरों को तोड़ने –फोड़ने में संकोच न करने वाला ब्राह्मण अपने निक्रस्त कर्मो के कारण म्लेच्छ कहलाता हैं। |
2228 | बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है। |
2229 | बाहरी दुनिया के बारें में ज्ञान की शुरुआत इसी से होती है कि आप जरूरी चीजों को इस्तेमाल करने का तरीका समझ ले, लेकिन इसके साथ ही खुद को समझने की प्रक्रिया रुक जाती है। |
2230 | बाहरी सुंदरता से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। यह हमेशा नहीं रहती है। |
2231 | बिंदी 1 रुपये की आती है व ललाट पर लगायी जाती है। पायल की कीमत हजारों में आती है पर पैरों में पहनी जाती है। इन्सान आदरणीय अपने कर्म से होता है, |
2232 | बिना जोखिम कुछ नहीं मिलता . और जोखिम वही उठाते हैं जो साहसी होते हैं . |
2233 | बिना अधिकार के किसी के घर में प्रवेश न करें। |
2234 | बिना उपाय के किए गए कार्य प्रयत्न करने पर भी बचाए नहीं जा सकते, नष्ट हो जाते है। |
2235 | बिना किसी स्वार्थ के काम करने वाले आदमी, वास्तव में खुद के लिए हमेशा अच्छा करता है। |
2236 | बिना कुछ करे कल्पना का कोई मतलब नहीं है। |
2237 | बिना कोई स्पष्ट सवाल पूंछे "हाँ" में जवाब मिलने को ही लुभाना कहते है। |
2238 | बिना क्रिया के ज्ञान व्यर्थ है, ज्ञानहीन मनुष्य मृतक के समान है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है और पति के बिना स्त्रियां पतित हो जाती है, अर्थात पति के बिना उनका जीवन व्यर्थ है। |
2239 | बिना क्षमा के कोई प्रेम नहीं है, और बिना प्रेम के कोई क्षमा नहीं है। |
2240 | बिना क्षमा के कोई भविष्य नहीं है। |
2241 | बिना जोते हुए स्थान के फल, अर्थात ईश्वर की कृपा से प्राप्त हर भोजन से संतुष्ट होने वाला, निरन्तर वन से प्रेम रखने वाला और प्रतिदिन श्राद्ध करने वाला ब्राह्मण ऋषि कहलाता है। |
2242 | बिना तराशा हुआ पत्थर महान कलाकार की हर सोच को स्वरुप दे सकता है। |
2243 | बिना दिल को शिक्षित किए दिमाग को शिक्षित करना, वास्तव में शिक्षा नहीं है। |
2244 | बिना न्याय के ज्ञान को बुद्धिमानी नहीं चालाकी कहा जाना चाहिए। |
2245 | बिना पागलपन के स्पर्श के किसी भी महान दिमाग का अस्तित्व नहीं होता है। |
2246 | बिना प्रयत्न किए धन प्राप्ति की इच्छा करना बालू में से तेल निकालने के समान है। |
2247 | बिना प्रयत्न के जहां जल उपलब्ध हो, वही कृषि करनी चाहिए। |
2248 | बिना प्रयास के कभी सफलता नहीं मिलती और सच्चा प्रयास कभी असफल नहीं होता। |
2249 | बिना प्रेम के कार्य करना दासता है। |
2250 | बिना राज्य के रहना उत्तम है, परन्तु दुष्ट राजा के रहना अच्छा नहीं है। बिना मित्र के रहना अच्छा है, किन्तु दुष्ट मित्र के साथ रहना उचित नहीं है। बिना शिष्य के रहना ठीक है, परन्तु नीच शिष्य को ग्रहण करना ठीक नहीं है। बिना स्त्री के रहना उचित है, किन्तु दुष्ट और कुल्टा स्त्री के साथ रहना उचित नहीं है। |
2251 | बिना विचार कार्ये करने वालो को भाग्यलक्ष्मी त्याग देती है। |
2252 | बिना विचार के खर्च करने वाला, अकेले रहकर झगड़ा करने वाला और सभी जगह व्याकुल रहने वाला मनुष्य शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। |
2253 | बिना सत्य बोले तो भगवान को प्राप्त ही नहीं किया जा सकता, क्योकि सत्य ही भगवान हैं। |
2254 | बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है। |
2255 | बीज के ह्रदय में प्रतीक्षा करता हुआ विश्वास जीवन में एक महान आश्चर्य का वादा करता है, जिसे वह उसी समय सिद्ध नहीं कर सकता। |
2256 | बीता हुआ कल आज की स्मृति है , और आने वाला कल आज का स्वप्न है। |
2257 | बीते हुए कल से सीखना, आज में जीना, कल के लिए आशा रखना। सबसे महत्तवपूर्ण चीज़ है, प्रशन पूंछना बंद मत करना। |
2258 | बीते हुए का शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य में जो कुछ होने वाला है, उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए। आए हुए समय को देखकर ही विद्वान लोग किसी कार्य में लगते है। |
2259 | बीते हुए वक़्त पर नियंत्रण है तो ही आने वाले समय पर नियंत्रण रहेगा। |
2260 | बीमारी खरगोश की तरह आती है और कछुए की तरह जाती है जबकि पैसा कछुए की तरह आता है और खरगोश की तरह जाता है! |
2261 | बीमारी में, विपत्तिकाल में,अकाल के समय, दुश्मनो से दुःख पाने या आक्रमण होने पर, राजदरबार में और श्मशान-भूमि में जो साथ रहता है, वही सच्चा भाई अथवा बंधु है। |
2262 | बुद्दिमान व्यक्तियों को चाहिए की वे अपने पुत्रो को चरित्र निर्माण करने वाले कार्यो में लगाएं, क्योकि नीति को समझने वाले, श्रदालु तथा शील सवभाव वाले व्यक्ति ही विश्व में पूज्य समझे जाते हैं। |
2263 | बुद्धि आश्चर्ये में शुरू होती है। |
2264 | बुद्धि कभी किसी से मिल नहीं सकती, न ही आप इसे किसी से ले सकते हैं। यह ऐसा सफर है जिस पर आपको खुद और अकेले ही चलना पड़ता है। |
2265 | बुद्धि का सही संकेत ज्ञान नहीं बल्कि कल्पनाशीलता है। |
2266 | बुद्धिजीवी व्यक्ति का दिमाग हर वक़्त खुद के दिमाग की तरफ ध्यान देता है। |
2267 | बुद्धिमता का अर्थ कोई गलती न करना नहीं है, बल्कि आप कितनी जल्दी गलती को सुधारते है, वह बुद्धिमता है। |
2268 | बुद्धिमान पुरूष को बगुले से एक गुण सीखना चाहिए कि अपनी सारी इन्द्रियो( चितवृतियो) को नियन्त्रण मे करके तथा स्थान , समय और अपनी शक्ति का अनुमान लगाकर कार्यसिद्धि मे जुट जाना चाहिए ।अर्थात एकाग्रता स्थान की उपयुक्तता, समय की अनुकलता तथा अपनी सामर्थ्य के नापतोल किए बिना कार्यसिद्धि संदिग्ध है।इन्द्रियाणी च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः। देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।। |
2269 | बुद्धिमान आदमी बोलता है क्योंकि उसके पास कहने के लिए कुछ होता है जबकि मुर्ख आदमी बोलता है क्योंकि उसे कुछ कहना होता है। |
2270 | बुद्धिमान का उद्देश्य ख़ुशी को सुरक्षित रखना नहीं होता है बल्कि दुःख को दूर रखना होता है। |
2271 | बुद्धिमान पुरुष अपने दिन का प्रातःकाल महाभारत के, मध्यान्ह काल रामायण के और रात्रि का समय श्रीमदभागवत पुराण के अध्ययन-श्रवण से सार्थक करते हैं। |
2272 | बुद्धिमान पुरुष को चाहिए की वह खाने-पीने की चिंता न करके एकमात्र धर्म के अनुष्ठान में ही प्रवर्त रहे, क्योंकि आहार तो मनुष्य के जन्म के साथ उत्पन्न होता हैं अथार्थ जो उसके भाग्य में हैं वह तो उसे मिलना ही हैं अत: |
2273 | बुद्धिमान पुरुष को भोजन की चिंता नहीं करनी चाहिए। उसे केवल एक धर्म का ही चिंतन-मनन करना चाहिए। वास्तव में मनुष्य का आहार (माँ का दूध)तो उसके जन्म के साथ-साथ ही पैदा होता है। |
2274 | बुद्धिमान पुरुष धन के नाश को, मन के संताप को, गृहिणी के दोषो को, किसी धूर्त ठग के द्वारा ठगे जाने को और अपमान को किसी से नहीं कहते। |
2275 | बुद्धिमान लोग बोलते हैं क्योंकि की उनके पास कुछ कहने को होता है, जबकि बेवकूफ इसलिए क्योंकि उन्हें कुछ कहना होता है। |
2276 | बुद्धिमान लोगो का कर्तव्य होता है की वे अपनी संतान को अच्छे कार्य-व्यापार में लगाएं क्योंकि नीति के जानकार व सद्व्यवहार वाले व्यक्ति ही कुल में सम्मानित होते है। |
2277 | बुद्धिमान वही है जो अति सिद्ध दवा को, धर्म के रहस्य को, घर के दोष को, मैथुन अर्थात सम्भोग की बात को, स्वादहीन भोजन को और अतिकष्टकारी मृत्यु को किसी को न बताए। भाव यह है कि कुछ बातें ऐसी होती है, जिन्हे समाज में छिपाकर ही रखना चाहिए। |
2278 | बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे। |
2279 | बुद्धिमान व्यक्ति को कुलीन घर की कन्या से ही विवाह करना चाहिए, उसे सोंदर्य के पीछे नहीं भागना चाहिए कुलीन घर की कन्या का रूप भले ही सामान्य हो, परन्तु व्यक्ति को अपना सम्बन्ध कुलीन घराने की कन्या से ही करना चाहिए इसके विपरीत नीच कुल की सुन्दर कन्या से केवल उसका रूप देखकर सम्बन्ध स्थापित करना उचित नहीं |
2280 | बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी पुत्री का विवाह अच्छे परिवार में करे उसको चाहिए कि वह अपनी संतान को अच्छी शिक्षा दे तथा उसे खूब पढाये-लिखाये चाणक्य ने यहाँ गूढ़नीति की बात कही है, कि व्यक्ति को चाहिए कि वह शत्रु को कोई ऐसी लत लगा दे जिससे उसका पिंड छुटना मुश्किल हो जाए इसी प्रकार यह भी प्रयत्न करना चाहिए कि उसका मित्र धर्माचरण करता रहे और धर्माचरण में आने वाले कष्ट भी उसे धर्य से विमुख न होने दे। |
2281 | बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए की बार-बार यह सोचता रहे कि हमारे मित्र कितने हैं, हमारा समय कैसा हैं-अच्छा हैं या बुरा और यदि बुरा हैं तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए, हमारा निवास स्थान कैसा हैं, हमारी आय कितनी हैं और व्यय कितना हैं, मैं कौन हूं आत्मा हूं अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी हैं। |
2282 | बुद्धिमान व्यक्ति को तब तक ही भय से डरना या घबराना चाहिए, जब तक भय उसके सामने नहीं आ जाता, जब एक बार भय अथवा या कष्ट आ ही जाए तो उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए भय के सामने आ जाने पर शंकित होना अथवा घबराना समझदारी का काम नहीं। |
2283 | बुद्धिमान व्यक्ति को बार-बार यह सोचना चाहिए कि हमारे मित्र कितने है, हमारा समय कैसा है-अच्छा है या बुरा और यदि बुरा है तो उसे अच्छा कैसे बनाया जाए। हमारा निवास-स्थान कैसा है (सुखद,अनुकूल अथवा विपरीत), हमारी आय कितनी है और व्यय कितना है, मै कौन हूं- आत्मा हूं, अथवा शरीर, स्वाधीन हूं अथवा पराधीन तथा मेरी शक्ति कितनी है। |
2284 | बुद्धिमान व्यक्ति को मुर्ख, मित्र, गुरु और अपने प्रियजनों से विवाद नहीं करना चाहिए। |
2285 | बुद्धिमान व्यक्ति को मुर्ग से निम्नोक्त चार गुण सीखने चाहिए - 1 ) ठीक समय पर जागना ( 2) शत्रु से युद्ध के लिए सदा तैयार रहना । 3. अपने परिवार के लोगो मे बाँट कर खाना , (4) आक्रामक मुद्रा मे प्रेयसी का भोग करना ।प्रत्युत्थानं च युद्धं च संविभागं च बन्धुषु।स्वयमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्वत्वारि कुक्कुटात् ।। |
2286 | बुद्धिमान व्यक्ति वही हैं जिसमें कुछ सहन-शक्ति हो, वह अपने धन के नष्ट होने से प्राप्त दुःख, दुश्चरित्र पत्नी अथवा किसी व्यक्ति द्वारा ठगे जाने और नीच शब्दों का प्रयोग किए जाने से हुए दुःख को किसी पर प्रकट नहीं करता। |
2287 | बुद्धिमानी से जीने वाले को मौत से भी डर नही लगता है। |
2288 | बुद्धिमानों के शत्रु नहीं होते। |
2289 | बुद्धिहीन ब्राह्मण वैसे तो चारों वेदो और अनेक शास्त्रों का अध्ययन करते है, पर आत्मज्ञान को वे नहीं समझ पाते या उसे समझने का प्रयास ही नहीं करते। ऐसे ब्राह्मण उस कलछी की तरह होते है, जो तमाम व्यंजनों में तो चलती है, पर रसोई के रस को नहीं जानती। |
2290 | बुद्धिहीन व्यक्ति को अच्छे कुल में जन्म लेने वाली कुरूप कन्या से भी विवाह कर लेना चाहिए, परन्तु अच्छे रूप वाली नीच कुल की कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि विवाह संबंध समान कुल में ही श्रेष्ठ होता है। |
2291 | बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है। |
2292 | बुरा आचरण अर्थात दुराचारी के साथ रहने से, पाप दॄष्टि रखने वाले का साथ करने से तथा अशुद्ध स्थान पर रहने वाले से मित्रता करने वाला शीघ्र नष्ट हो जाता है। |
2293 | बुराई अवश्य रहना चाहिए जभी जो अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है। |
2294 | बुराई कभी भी किसी की भी मत करो। क्योकिँ बुराई नाव मे छेद समान है।। बुराई छोटी हो बडी नाव तोह डुबो ही देती है..! |
2295 | बुरी संगत में रहने से अच्छा अकेले रहना है . |
2296 | बुरे ग्राम का वास, झगड़ालू स्त्री, नीच कुल की सेवा, बुरा भोजन, मूर्ख लड़का, विधवा कन्या, ये छः बिना अग्नि के भी शरीर को जला देते है। |
2297 | बुरे दिनो का एक अच्छा फायदा अच्छे-अच्छे दोस्त परखे जाते है। |
2298 | बुरे वक़्त की अपनी एहमियत है, ये ऐसे अवसर होते है जिन्हे कोई भी अच्छा शिक्षार्थी कभी नहीं खोना चाहेगा। |
2299 | बुरे व्यक्ति और सांप में मुकाबला किया जाये या दोनों में से किसी एक को चुनना पड़े तो सांप को चुनना चाहिए। |
2300 | बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पूर्व अपने आप पर ही क्रोध करना चाहिए। |
#2101-2200
2101 | पैसों के लिए की जाने वाली सभी नौकरियां हमारे दिमाग का अवशोषण और अवमूल्यन कर देती है। |
2102 | प्यार अच्छे की ख़ुशी, बुद्धिमान का आश्चर्य और भगवान का विस्मय है। |
2103 | प्यार एक पारस्परिक यातना है। |
2104 | प्यार और शक के बीच दोस्ती कभी मुमकिन नहीं है। जहाँ प्यार वहां शक नहीं होता। |
2105 | प्यार की चाहत होती है, लेकिन उससे ज्यादा शायदयह अच्छा लगता है की आपको दुनिया समझ सके। |
2106 | प्यार के बदले प्यार मिलता है। प्यार किसी तरह के नियम-कानून को नहीं समझता है और ऐसा ही सभी के साथ है। |
2107 | प्यार के बिना जीवन उस वृक्ष की तरह है जिस पर कभी फल नहीं लगते है। |
2108 | प्यार के माध्यम से एक त्याग और विवेक स्वाभाविक रूप से प्राप्त हो जाते हैं। |
2109 | प्यार दिखाई देता तो केसा होता ? उसके हाथ हमेशा दुसरो की मदद के लिए बढ़ते, उसके पैर गरीबो का दर्द कम करने के लिए उठते, उसकी आँखे दुसरो की जरूरत को समझ पाती, उसके कान दुसरो के दर्द को सुनने के लिए तैयार रहते। यही प्यार की सही परिभाषा है। |
2110 | प्रकर्ति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है। |
2111 | प्रकृति (सहज) रूप से प्रजा के संपन्न होने से नेताविहीन राज्य भी संचालित होता रहता है। |
2112 | प्रकृति की गति अपनाएं: उसका रहस्य है धीरज। |
2113 | प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्रुत है। |
2114 | प्रकृति बेकार में कुछ नहीं करती है। |
2115 | प्रकृति या पर्यावरण हर चीज़ का कम से कम फायदा लेना पसंद करते है। |
2116 | प्रकृति से जुड़े लोगों का सिर्फ साधारण चीज़ों से लगाव होता है। |
2117 | प्रकृति से प्रेम करे। अपने आस-पास एक प्राकर्तिक वातावरण बनाये फिर ठंडी हवा के झोको और सूर्य के ताप को अपने चेहरे पर महसुसू करे, यह जैव-रासायनिक क्रिया आपको शक्ति प्रदान करेगी। |
2118 | प्रकृति से सिखो जहां सब कुछ छिपा है। |
2119 | प्रगति मृग-मरीचिका नहीं है। यह वास्तव में होती है, लेकिन इसकप्रक्रिया धीमी और निराश करने वाली होती है। |
2120 | प्रचार में कई तत्व होते है। इनमे नेतृत्व सबसे पहला है। बाकी सारे तत्व दूसरे स्थान पर है। |
2121 | प्रजा की रक्षा के लिए भ्रमण करने वाला राजा सम्मानित होता है, भ्रमण करने वाला योगी और ब्राह्मण सम्मानित होता है, किन्तु इधर-उधर घूमने वाली स्त्री भ्रष्ट होकर नष्ट हो जाती है। |
2122 | प्रजातंत्र लोगों की, लोगों के द्वारा, और लोगों के लिए बनायीं गयी सरकार है। |
2123 | प्रतिभा ईश्वर से मिलती है, आभारी रहें, ख्याति समाज से मिलती है, आभारी रहें, लेकिन मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं, सावधान रहें। |
2124 | प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत पसीना है। |
2125 | प्रत्यक्ष और परोक्ष साधनों के अनुमान से कार्य की परीक्षा करें। |
2126 | प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है। |
2127 | प्रत्येक अवस्था में सर्वप्रथम माता का भरण-पोषण करना चाहिए। |
2128 | प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता। |
2129 | प्रत्येक इंसान जीनियस है। लेकिन यदि आप किसी मछली को उसकी पेड़ पर चढ़ने की योग्यता से जज करेंगे तो वो अपनी पूरी ज़िन्दगी यह सोच कर जिएगी की वो मुर्ख है। |
2130 | प्रत्येक कलाकार एक दिन नौसिखिया ही होता है। |
2131 | प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो। |
2132 | प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता। |
2133 | प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता . |
2134 | प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है खो चुकी है। |
2135 | प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बल के कारण ही जीवित रहता हैं। उसे किसी न किसी शक्ति को आवश्कता होती हैं ब्राह्मण की शक्ति उसकी विधा हैं, राजा की शक्ति उसकी सेना हैं, वैश्य की शक्ति उसका धन हैं और शूद्र की शक्ति उसके द्वारा किया जाने वाला सेवाकार्य हैं। |
2136 | प्रत्येक व्यक्ति को यह फैसला कर लेना चाहिए कि वह रचनात्मक परोपकारिता के आलोक में चलेगा या विनाशकारी खुदगर्जी के अंधेरे मे। |
2137 | प्रभाव तो उन लोगो पर पड़ता हैं जिनमे कुछ सोचने–समझने अथवा ग्रहण करने की शक्ति होती हैं, जिस व्यक्ति के पास स्वयं सोचने समझने की बुद्धि नहीं, वह अन्य किसी के गुणों को क्या ग्रहण करेगा। |
2138 | प्रभु की मूर्ति को अपने हाथ से गुथी माला पहनाने से, अपने ही हाथ से घिसा चन्दन लग्गाने से तथा अपने हाथ से लिखे स्त्रोत्र से स्तुति करने से मनुष्य इन्द्र की सम्पदा को भी अपने वश में करने में समर्थ हो जाता हैं। |
2139 | प्रभु के भक्तो के लिए तो तीनो लोक उनके घर के समान ही हैं, श्रदालु भक्तो के लिए लक्ष्मी माता तथा श्रीविष्णु नारायण पिता हैं भगवान के भक्त ही भक्तो के बन्धु-बांधव हैं और तीनो लोक ही उनका अपना देश अथवा निवास-स्थान हैं। |
2140 | प्रयत्न न करने से कार्य में विघ्न पड़ता है। |
2141 | प्रलय काल में सागर भी अपनी मर्यादा को नष्ट कर डालते है परन्तु साधु लोग प्रलय काल के आने पर भी अपनी मर्यादा को नष्ट नहीं होने देते। |
2142 | प्रश्न करने का अधिकार मानव प्रगति का आधार है. |
2143 | प्रश्न पूछना एक अच्छे छात्र की निशानी हैं इसलिए उन्हें प्रश्न करने दो। |
2144 | प्रसन्नता अनमोल खजाना है छोटी -छोटी बातों पर उसे लूटने न दे। |
2145 | प्रसन्नता और नैतिक कर्तव्य एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं. |
2146 | प्रसन्नता करने में पाई जाती है, रखने में नहीं। |
2147 | प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है। ये आप ही के कर्मों से आती है। |
2148 | प्रसन्नता स्वयं हमारे ऊपर निर्भर करती है। |
2149 | प्राणी अपनी देह को त्यागकर इंद्र का पद भी प्राप्त करना नहीं चाहता। |
2150 | प्रातःकाल जुआरियो की कथा से (महाभारत की कथा से), मध्याह्न (दोपहर) का समय स्त्री प्रसंग से (रामायण की कथा से) और रात्रि में चोर की कथा से (श्री मद् भागवत की कथा से) बुद्धिमान लोग अपना समय काटते है। |
2151 | प्रातःकाल ही दिन-भर के कार्यों के बारें में विचार कर लें। |
2152 | प्रायः पुत्र पिता का ही अनुगमन करता है। |
2153 | प्रार्थना इस तरह कीजिये की सब कुछ भगवान पर निर्भर करता है। काम इस तरह कीजिये कि सब कुछ केवल आप पर निर्भर करता है। |
2154 | प्रार्थना माँगना नहीं है। यह आत्मा की लालसा है। यह हर रोज अपनी कमजोरियों की स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना में बिना वचनों के मन लगाना, वचन होते हुए मन ना लगाने से बेहतर है। |
2155 | प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है। |
2156 | प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता। |
2157 | प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता , बल्कि स्वतंत्रता देता है। |
2158 | प्रेम एक ऐसा फल है, जो हर मौसम में मिलता है और जिसे सभी पा सकते हैं . |
2159 | प्रेम एक गंभीर मानसिक रोग है। |
2160 | प्रेम एकमात्र ऐसी शक्ति है, जो शत्रु को मित्र में बदल सकती है। |
2161 | प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलासिता नहीं उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती। |
2162 | प्रेम और संदेह में कभी बात-चीत नहीं रही है। |
2163 | प्रेम करने से प्रेम मिलता है, "नफरत नहीं! |
2164 | प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। |
2165 | प्रेम की शुरुआत निकट लोगो और संबंधो की देखभाल और दायित्व से होती है, वो निकट सम्बन्ध जो आपके घर में हैं। |
2166 | प्रेम के बिना जीवन उस वृक्ष के सामान है जिसपे ना बहार आये ना फल हों . |
2167 | प्रेम के स्पर्श से सभी कवी बन जाते हैं। |
2168 | प्रेम को कारण की ज़रुरत नहीं होती. वो दिल के तर्कहीन ज्ञान से बोलता है. |
2169 | प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है। |
2170 | प्रेम मे बार बार न्यौछावर होना ही आपका सर्वोपरि और प्रथम कर्तव्य है. |
2171 | प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है। वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो। |
2172 | प्रेम हर ऋतू में मिलने वाले फल की तरह है जो प्रत्येक की पहुँच में है। |
2173 | प्रोडक्शन मॉडल पर तौयार किया गया समाज सिर्फ प्रोडक्टिव होता है, क्रिएटिव नहीं। |
2174 | प्रौद्योगिकी का जितना अधिक उपयोग कर सकते हो करो, इससे आप कल से भी एक कदम आगे रहोगे। |
2175 | प्रौढ़ता अक्सर युवावस्था से अधिक बेतुकी होती है और कई बार तो युवाओं पर अन्न्यापूर्ण भी थी। |
2176 | पढ़ते रहने से दिमाग को जानकारी बढ़ाने के लिए सामग्री मिलती है। लेकिन जो पढ़ा है उसके बारे में सोचने से ही उन जानकारियो को अपनाया जा सकता है। |
2177 | पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान।ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है। |
2178 | फल कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार होती है, तब भी बुद्धिमान लोग और महान लोग सोच-विचार करके ही कोई कार्य करते है। |
2179 | फल की कामना छोड़ कर कर्म करना ही मनुष्य का अधिकार हैं अत: कर्म के फल की इच्छा न करो तथा कर्म करने में अरुचि न रखो अथार्थ सदा कर्मशील बने रहो। |
2180 | फल मनुष्य के कर्म के अधीन है, बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है, तथापि विद्वान और महात्मा लोग अच्छी तरह विचारकर ही कोई काम करते है। |
2181 | फलासक्ति छोड़ो और कर्म करो , आशा रहित होकर कर्म करो , निष्काम होकर कर्म करो, यह गीता की वह ध्वनि है जो भुलाई नहीं जा सकती। जो कर्म छोड़ता है वह गिरता है। कर्म करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है वह चढ़ता है। |
2182 | फायदा कमाने के लिए न्योते की ज़रुरत नहीं होती। |
2183 | फिलोसॉफी एक बीमारी की तरह है, जो हर समय हर जगह पहुंचना चाहती है। |
2184 | फूलों की इच्छा रखने वाला सूखे पेड़ को नहीं सींचता। |
2185 | फ्रैंकलिन रूजवेल्ट से मिलना शैम्पेन की अपनी पहली बोतल खोलने जैसा था ; उन्हें जानना उसे पीने के समान था। |
2186 | बंधन और मुक्ति केवल अकेले मन के विचार हैं। |
2187 | बंधन तो मन का है और स्वतंत्रता भी मन की है। यदि आप कहते हैं कि ‘मैं एक मुक्त आत्मा हूँ, मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ और वो ही मुझे बाँध सकता हूँ ‘ तो तुम निश्चय ही स्वतन्त्र हो जाओगे। |
2188 | बगावत करना और आवाज उठाना हर व्यक्ति का अधिकार है। |
2189 | बच्चों की सार्थक बातें ग्रहण करनी चाहिए। |
2190 | बच्चों को उन्हीं चीजों के बारे में सच्ची जानकारी होती है, जिन्हे वे खुद सीखते है। जब कभी हम समय से पहले उन्हें कुछ सीखाने की कोशिश करते है, उन्हें खुद सिखने का मौका नहीं देते। |
2191 | बच्चों को शिक्षित करें तो आगे चलकर व्यस्कों को दंड देने की जरुरत नहीं होगी। |
2192 | बड़प्पन सदैव ही दूसरों की कमज़ोरियों, पर पर्दा डालना चाहता है, लेकिन ओछापन, दूसरों की कमियों बताने के सिवा और कुछ करना ही नहीं जानता। |
2193 | बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं. |
2194 | बड़ा वेतन और छोटी जिम्मेदारी शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं। |
2195 | बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो| विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है. |
2196 | बडी सफलता प्राप्त करने के लिए आपको कभी-कभी बडा Risk भी लेना पडता है। |
2197 | बदला लेने के बाद दुश्मन को क्षमा कर देना कहीं अधिक आसान होता है। |
2198 | बदलाव का सबसे ज्यादा विरोध तभी होता हैं जब उसकी सबसे ज्यादा जरुरत होती हैं। |
2199 | बदलाव लाना मुश्किल होता हैं, लेकिन यह जरुरी हैं जो विचार पुराने हो चुके हैं उनको जाने दीजिए। |
2200 | बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत की जरुरत पड़ती है। सिल्क के बने दस्ताने पहनकर कोई रेवोल्यूशन नही ला सकता है। |
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