Wednesday, January 20, 2016

#1001-1100


1001 क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है।
1002 क्रोध में न हमें कुछ बोलना चाहिए, न कोई काम करना चाहिए।
1003 क्रोध यमराज की मूर्ति है, लालच वैतरणी नदी (नरक में बहने वाली नदी) है, विद्या कामधेनु गाय है और संतोष इंद्र के नंदन वन जैसा सुख देने वाला है।
1004 क्रोध से  भ्रम  पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.
1005 क्रोध से अविवेक उत्पन्न होता हैं, अविवेक से स्मरण शक्ति भ्रमित हो जाती हैं, स्मरण शक्ति के भ्रमित हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता हैं और बुद्दी के नाश से व्यक्ति का ही विनाश हो जाता हैं।
1006 क्लिफ के कोने पर खड़े होने का साहस रखिए, क्योंकि वहां खड़े होने से ऐसी चीज़ें देखने को मिलती है जिन्हें बीच में खड़े होकर नहीं देखा जा सकता है।  इसका अर्थ है- समस्याओं या परेशानियों को समझने के लिए अंदर तक उतरने की कोशिश करें। बाहर खड़े होने से सब ठीक-ठाक  ही लगेगा।
1007 क्षमा अशक्तों के लिए गुण है और समर्थवान के लिए भूषण है। 
1008 क्षमा एक ऐसा उपहार है जो हम स्वयं को देते हैं। 
1009 क्षमा एक ऐसा तोहफा है जो आप स्वयं को देते हैं।
1010 क्षमा एक विचित्र चीज है। यह ह्रदय को सुकून देती है और डंक को ठंडा करती है। 
1011 क्षमा कर देना दुश्मन पर विजय पा लेना है। 
1012 क्षमा करना कार्यवाही और स्वतंत्रता के लिए महत्त्वपूर्ण है। 
1013 क्षमा करना, एक मधुर प्रतिशोध है।
1014 क्षमा करने का मतलब है जो बीत गया उसे जाने देना। 
1015 क्षमा करने वाला अपने सारे काम आसानी से कर लेता है।
1016 क्षमा का दान सबसे बड़ा दान है। वास्तव में क्षमा का जीवन में क्या महत्व है ? क्षमा कौन कर सकता है ? क्षमा का क्या लाभ है ? क्षमा करने वाले को क्या प्राप्त होता है ? क्षमा न करने से क्या हानि होती है ? क्षमा किसे करना चाहिए और किसे नहीं ? इन सभी प्रश्नो का शास्त्र-सम्मत विश्लेषण किया है हमारे मनीषियों एवं विश्वविख्यात चिंतको ने। 
1017 क्षमा कोई प्रासंगिक कृत्य नहीं है। ये तो एक स्थायी प्रवृति है।
1018 क्षमा तेजस्वी पुरुषों का तेज है, क्षमा तपस्वियों का ब्रह्म है, क्षमा सत्यवादी पुरुषों का सत्य है। क्षमा यज्ञ है और क्षमा (मनोविग्रह) है। 
1019 क्षमा दंड से अधिक पुरुषोचित है। 
1020 क्षमा दंड से बड़ी है। दंड देता है मानव, किन्तु क्षमा प्राप्त होती है देवता से। दंड में उल्लास है पर शांति नहीं और क्षमा में शांति भी है और आनंद भी। 
1021 क्षमा धर्म है, क्षमा यज्ञ है, क्षमा वेद है और क्षमा शास्त्र है। जो इस प्रकार जानता है, वह सब कुछ क्षमा क्षमा करने योग्य हो जाता है। 
1022 क्षमा पर मनुष्य का अधिकार है, वह पशु के पास नहीं मिलती। प्रतिहिंसा पाशव धर्म है। 
1023 क्षमा प्रतिशोध से बेहतर है, क्षमा करना विनम्र व्यवहार का सूचक है लेकिन प्रतिशोध असभ्य व्यवहार का सूचक है।
1024 क्षमा प्रेम का अंतिम रूप है। 
1025 क्षमा मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ तथा सर्वोच्च गुण है, क्षमा दंड देने के समान है। 
1026 क्षमा में जो महत्ता है, जो औदार्य है, वह क्रोध और प्रतिकार में कहाँ ? प्रतिहिंसा हिंसा पर ही आघात कर सकती है, उदारता पर नहीं। 
1027 क्षमा विश्वास की तरह है। आपको इसे जीवित रखना होता है। 
1028 क्षमा वीरों का गुण है .
1029 क्षमा वो इत्र है जिसे गुलाब मसले जाने के बाद एडी पर छोड़ देता है।
1030 क्षमा वो उपकार नहीं है जो हम दूसरों पर करते हैं। बल्कि ये उपकार हम अपने लिए करते हैं –क्षमा करो, भूल जाओ और आगे बड़ो।
1031 क्षमा वो खुशबू है जो फूल उन पैरों पर बिखेरता है जिसने उसे कुचल दिया हो। 
1032 क्षमा से बढ़कर और किसी बात में पाप को पुण्य बनाने की शक्ति नहीं है। 
1033 क्षमावानों के लिए यह लोक है। क्षमावानों के लिए ही परलोक है। क्षमाशील पुरुष इस जगत में सम्मान और परलोक में उत्तम गति पाते है। 
1034 क्षमाशील व्यक्ति का तप बढ़ता रहता है। 
1035 क्षमाशीलता आपके ह्रदय का अर्थ प्रबन्धन है...क्षमा क्रोध से होने वाले खर्चे को बचाता है.घृणा के मूल्य को कम करता है और उत्साह की फ़िज़ूलखर्ची से बचाता है.
1036 ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों.
1037 ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों।
1038 ख़ुशी परफ्यूम की तरह है।  जब तक इसे खुद पर नहीं छिड़केंगे, औरों को खुश नहीं कर सकते है।
1039 खाना-पीना, निंद्रा, दर, मैथुन- स्त्री-सम्भोग और संतान उत्पन्न करना अदि सभी क्रियाएं तो पशु और मनुष्यों में समान हैं, परन्तु मनुष्यों को पशुओ से अलग करने वाला गुण हैं- धर्म और नैतिकता।
1040 खाने पीने के पदार्थो का सुलभ होना और खाने-पीने की सामर्थ्य होना, भोग-विलास की शक्ति के साथ-साथ उसकी तृप्ति के लिए सुन्दर स्त्री का मिलना और धन-सम्पति के होने पर उसके उपभोग के साथ दान आदि की प्रवृति होना, ये बातें पूर्वजन्म के संयोग के कारण ही होती हैं।
1041 खाली बैठना दुनिया में सबसे थकाने वाला काम है क्योंकि सर्वस्व त्याग देना और आराम करना असंभव है।
1042 खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
1043 खुद  को  कमजोर  समझना  सबसे  बड़ा  पाप  है।
1044 खुद के लिए कुछ अच्छा करना और इसे खुद के अंदाज़ में करने के तरीके को तभी आज़ादी कहा जाएगा जब आप दूसरे लोगों को भी ऐसा ही करने का मौका दें।
1045 खुद को आगे ले जाते जाए। खुद को आगे बढ़ाते जाए। अपने जीवन में हर व्यक्ति हर तरह की गलती करता है। हर गलती के बाद आगे बढ़ते रहना बहुत जरूरी है।
1046 खुद को जानों यह इसलिए जरुरी हैं क्योकि एक बार खुद को जान लिया तो यह सीख जायेंगे कि खुद को आगे कैसे बढ़ाना हैं।
1047 खुद को परखते रहे। जब आप किसी गम्भीर मामले में गलती करते है तब खुद को उस आधार पर परखे, जिस पर आप दूसरों को परखते हैं।
1048 खुद को बदलने का संकल्प लें
1049 खुद को भीतर से खुबसूरत बनाये और प्राथना करे कि आप बाहर और भीतर से एक जैसे रहे।
1050 खुद जल्दी सीखते है बच्चे. जल्दबाजी करना ठीक नहीं।
1051 खुद पर भरोसा रखे अपना काम ठीक से करें, अच्छी आदतों को अपनाएं साथ ही अपनी छिपी हुई प्रतिभा का विकास भी करें फिर अपने व्यक्तित्व के दुसरे पहलु की खोज करें, उसके बाद आप पायंगे की आपको खुद पर भरोसा होने लगा हैं और यह आपको अपने लक्ष्य की और बढ़ने में मदद करेगा।
1052 खुद पर भरोसा रखें। 
1053 खुद पर भरोसा ही सबसे सर्वश्रेष्ठ और सबसे सुरक्षित रास्ता है।
1054 खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
1055 खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं।
1056 खुबसूरत तरह से गुजारी जाने वाली जिंदगी लम्बी ही गुजरती हैं
1057 खुश रहना एक विशेषता है, न कि ईनाम।
1058 खुश रहना बहुत सरल है …लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है। 
1059 खुश रहना शरीर के लिए जरूरी है। लेकिन नई चीज़ों को जानंने की तड़प होने से दिमाग का विकास होता है। खुशी मिलती है।  
1060 खुश रहने का सीधा सा मंत्र. उम्मीद अपने आप से रखो किसी और से नहीं।...ज़िंदगी में कितने भी आगे निकल जाएँ,  फिर भी सैकड़ों लोगों से पीछे रहेंगे। ज़िंदगी में कितने भी पीछे रह जाएँ, फिर भी सैकड़ों लोगों से आगे होगें। ईसीलिए आप अपनी जगह का लुत्फ़ उठाएँ, बाक़ी आगे पीछे तो दुनिया में चलता रहेंगा।!!!
1061 खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो ।
1062 खुश हूं और सबको खुश रखता हुँ लापरवाह हुँ फिर भी सबकी परवाह करता हुँ मालुम है कोई मोल नही मेंरा फिर भी अनमोल लोगो से रिस्ता रखता हुँ
1063 खुशियां और उदासी इस बात पर निर्भर करती है कि जिन चीज़ो से हमारा जुड़ाव है या जिन चीज़ो को हम पसंद करते है, उनकी असली कीमत क्या है।
1064 खुशियां बड़ा काम नहीं करती है।  लेकिन वे उदासी को करीब नहीं आने देती है। 
1065 खुशी और ग़म का अनुभव करने से बहुत पहले ही हम इनका चुनाव कर चुके होते है।
1066 खुशी हम पर निर्भर करती है।
1067 खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है...
1068 खूबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते। लेकिन अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत होते है।
1069 खूबसूरत लोगो में और युवाओ में समझदारी होती है, लेकिन उनमे समझदारी काफी कम होती है।
1070 खूबसूरत हाथ वे होते हैं जोकि अपना काम ईमानदारी, बहादुरी और सच्चाई के साथ करते हैं – हरेक पल, दिन भर।
1071 खेद है की टेक्नोलॉजी में विकास की रफ़्तार, लोगों में बुद्धिमानी बढ़ाने की रफ़्तार से भी ज्यादा तेज है।
1072 खेल में हम सदा ईमानदारी का पल्ला पकड़कर चलते है, पर अफ़सोस है कि कर्म में हम इस ओर ध्यान तक नहीं देते। 
1073 खेलना, किस्मत के साथ प्रयोग करना है।
1074 खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते भगवान को हैं...
1075 खोज का मतलब नई चीज़ों की तलाश करना नहीं होता, लेकिन आस-पास की चीज़ों को अलग नज़रिए से देखना भी है। 
1076 खड़े हो जाओ, हिम्मतवान बनो, ताकतवर बन जाओ, सब जवाबदारिया अपने सिर पर ओढ़ लो, और समझो की अपने नसीब के रचियता आप खुद हो।
1077 गंदे वस्त्र धारण करने वाले, दांतो पर मैल जमाए रखने वाले, अत्यधिक भोजन करने वाले, कठोर वचन बोलने वाले, सूर्योदय से सूर्यास्त तक सोने वाले, चाहे वह साक्षात विष्णु ही क्यों न हो, लक्ष्मी त्याग देती है।
1078 गठरी बाँध बैठा है अनाड़ी साथ जो ले जाना था वो कमाया ही नहीं
1079 गधे से ये तीन बाते सीखे 1.अपने लक्ष्य की प्राप्ति और सिद्धि के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए 2.फल की चिंता न करें 3.सदा संतुष्ट रहे।
1080 गन्ना और गन्ने का रस, पानी, दूध, जड़ी-बूटी, पान, फल तथा औषध आदि का सेवन करने के उपरान्त भी संध्यापुजन, दान-तर्पण आदि नित्यकर्म किये जा सकते हैं।
1081 गन्ना, तिल, क्षुद्र(मुर्ख व्यक्ति), स्त्री, सोना, धरती, चन्दन, दही और पान को जितना अधिक मसला जाये, उतने ही उनके गुणों में वृदि होती हैं।
1082 गरीबी आपको उदास करती है, तो यह बुद्धिमान भी मनाती है।
1083 गरीबी क्रांति और अपराध की जनक है।
1084 गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है ।
1085 गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किये  गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में।
1086 गलत काम करने का कोई सही तरीका नहीं हैं।
1087 गलत कार्यों में लगने वाले  व्यक्ति को  शास्त्रज्ञान ही रोक पाते है।
1088 गलत चीजो पर विश्वास हैं तो उनको खुद से अलग कर दीजिए।  हर कुछ समय के बाद रुकिए और खुद से पूछिए कि सच क्या हैं?
1089 गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
1090 गलती करने का कारण समझना ही उन्नति की राह में आगे बढ़ने जैसा है।
1091 गलतीयां हमेशा क्षम्य होती हैं, यदि व्यक्ति में उन्हें स्वीकार करने का साहस हो। 
1092 गाय के पीछे चलते बछड़े के समान सुख-दुःख भी आदमी के साथ जीवन भर चलते है।
1093 गाय के स्वभाव को जानने वाला ही दूध का उपभोग करता है।
1094 गुण भी उसी व्यक्ति को फलीभूत होते हैं जो गुणी अर्थात विवेकी होते हैं। क्योकि उसी व्यक्ति में गुणों को अपनी सार्थकता नज़र आती हैं उदाहरण के लिए सोने में जड़ा हुआ रत्न ही शोभा प्राप्त करता हैं।
1095 गुण से रूप की शोभा होती है, शील से कुल की शोभा होती है, सिद्धि से विद्या की शोभा होती है और भोग से धन की शोभा होती है।
1096 गुणवत्ता  का मापदंड बनिए। कुछ लोग ऐसे वातावरण के आदि नहीं होते जहाँ उत्कृष्टता की उम्मीद की जाती है। 
1097 गुणवत्ता प्रचुरता से अधिक महत्वपूर्ण है।  एक छक्का दो-दो रन बनाने से कहीं बेहतर है। 
1098 गुणहीन पुरुष की सुन्दरता, दुराचारी पुरुष का उच्चकुल में उत्पन्न होना, आजीविका सुलभ न कराने वाली विधा और उपभोग में न आने वाला धन व्यर्थ ही हैं इनकी न कोई उपयोगिता हैं और न इनका कोई महत्व ही हैं।
1099 गुणहीन व्यक्ति की सुंदरता व्यर्थ है, दुष्ट स्वभाव वाले व्यक्ति का कुल नष्ट होने योग्य है, यदि लक्ष्य की सिद्धि न हो तो विद्या व्यर्थ है, जिस धन का सदुपयोग न हो, वह धन व्यर्थ है।
1100 गुणी पुत्र माता-पिता की दुर्गति नहीं होने देता।

Tuesday, January 19, 2016

#901-1000


901 किसी व्यक्ति के लिए स्वयं पर विजय पाना सभी जीतों में सबसे पहली और महान है।
902 किसी व्यक्ति को खुद जैसा बनाना चाहते है या उसे बदलना चाहते है तो उसका हाथ पकड़िए और सहीं मार्ग पर ले जाए।
903 किसी समस्या का हल ऐसे निकाले कि वे दूसरी समस्याओं को हल करने का नियम बन जाए। और उस एक नियम से दूसरी समस्याओं का हल निकाला जा सके।
904 किसी समस्या का हल निकालने के लिए उस समस्या को इतने हिस्सों में बाटे जितना की हल निकालने के लिए जरूरी है। ऐसा करने से ज्यादा हल निकल आएंगे।
905 किसी से दोस्ती करने में धीमे रहिये, लेकिन अगर दोस्ती हो जाएँ तो उसे मजबूती से निभाइए और हमेशा जरुरत के समय दोस्तों के साथ रहिये।
906 किसी से नफरत करना आसान है, मगर प्यार करना मुश्किल है। इन्हीं दो बातो के इर्द गिर्द पूरी दुनिया घूमती है। अच्छी चीजे बहुत मुश्किल से मिलती है और बुरी आदते उतनी ही मुश्किल से जाती है।
907 किसी से भी मिलते वक़्त आवशयकता से अधिक अच्छे रहो।  प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी तरह का युद्ध लड़ रहा है।
908 किसी ख़ास समुदाय को ध्यान में रखकर उत्पादों को डिजाइन करना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि  बहुत से लोग नहीं जानते है की वो क्या चाहते है जब तक की आप उन्हें दिखाए नहीं।
909 की ब्राह्मण-कुल में उत्पन्न अगस्त्य ऋषि ने गुस्से में मेरे पिता समुद्र को ( जो मेरे पिता है) पी लिया।
910 कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।
911 कीड़ों तथा मलमूत्र का घर यह शरीर पुण्य और पाप को भी जन्म देता है।
912 कुछ  मत  पूछो , बदले  में  कुछ  मत  मांगो ,जो  देना  है  वो  दो ; वो  तुम  तक  वापस  आएगा , पर  उसके  बारे  में  अभी  मत  सोचो।
913 कुछ  सच्चे , इमानदार  और  उर्जावान  पुरुष  और  महिलाएं ;  जितना  कोई  भीड़  एक  सदी  में  कर  सकती  है  उससे  अधिक  एक  वर्ष  में  कर  सकते  हैं।
914 कुछ उपाय हैं गुस्सा कम करने के  रोज नारियल पानी पियें।  चन्दन के पेस्ट को अपने माथे पर लगाये। तले हुए मसालेदार खाने से परहेज करे। और लाल रंग से दूर रहने का प्रयास करें क्योकि यह आपके अन्दर गुस्सा उत्पन्न करता हैं।
915 कुछ करने का जूनून होना और समझदारी दोनों एक ही बात है।
916 कुछ करने में, या तो उसे प्रेम से करें या उसे कभी करें ही नहीं।
917 कुछ न समझना ही सब कुछ क्षमा कर देने का रहस्य है.
918 कुछ पढने कि इच्छा न होने के बावजूद कुछ पढ़ने से memory का नुकसान होता हैं, ऐसे में आप जो कुछ पढ़ते हैं उसमे से कुछ भी याद नहीं रहता हैं।
919 कुछ बातें ऐसी है जो एक पीढ़ी के लोगों के लिए खराब या गलत हो सकती है। लेकिन वही बातें आने वाली पीढ़ियों के लिए सही साबित हो सकती है।
920 कुछ भी उपयुक्त हासिल करने के लिए तीन महत्त्वपूर्ण चीजें हैं कड़ी मेहनत, दृढ़ता और Common sense।
921 कुछ लोग आपकी ज़िन्दगी में आशीर्वाद की तरह  कुछ लोग एक सबक की तरह।
922 कुछ लोग तीन तरह के दुःख झेलते हैं- एक जो वे पहले भुगत चुके हैं, दूसरा जो अभी भुगत रहे हैं और तीसरा आने वाली समस्याओं का डर। 
923 कुछ लोग निजी उद्यमों को आदमखोर शिकारी मानते है ,जिसे गोली मार देनी चाहिये।कुछ इसे ऐसी गाय मानते है, जिसका वे दूध निकाल सकते है।लेकिन बहुत कम देख पते है की वह एक स्वस्थ घोडा है जो एक भारी वेगन खींच रहा है।
924 कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।
925 कुछ लोग सोचते हैं कि अवसर केवल किस्मत वालो को मिलते हैं लेकिन मेरा विश्वास हैं कि अवसर तो हमारें चारो तरफ हैं कुछ लोग इसको भुनाना जानते हैं और कुछ लोग खड़े रहते हैं और इसको जाने देते हैं।
926 कुछ लोगो के द्वारा प्राप्त की गई महान सफलता इस बात का प्रमाण है की बाकी सारे लोग भी इसे प्राप्त कर सकते है।
927 कुछ लोगों को लगता है की वे सब जानते है। इस किस्म के लोग उन लोगों के लिए ज्यादा परेशानी का कारण बनते है जो वाकई जानकार है।
928 कुछ सुखों की इच्छा ही मेरे दुःखों का अंश है।
929 कुत्ते  से छः गुण ग्रहण  करने  चाहिए  -1. बहुत  अधिक  खाने की शक्ति ,  (2) यथाप्राप्त स्वल्प भोजन से सन्तुष्ट  रहना , (3) गहरी निद्रा , (4) जरा सी आहट से झटपट  जाग जाना, (5) स्वामीभक्ति तथा (6) शत्रु पर शूरवीरता के साथ झपटना ।वहवाशी  स्वल्पसन्तुष्टः सनिद्रो  लघुचेतनः  ।स्वामिभक्तश्च शूरश्च षेडते श्वानतो गुणाः ।।
930 कुमुदिनी के पत्तो के मध्य विकसित उसके पराग कणो से मस्त हुआ भौंरा, जब भाग्यवश किसी दूसरी जगह पर जाता है तो वहा मिलने वाले कटसरैया के फूलों के रस को भी अधिक महत्व देने लगता है।
931 कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है।
932 कुलटा (चरित्रहीन) स्त्रियों का प्रेम एकान्तिक न होकर बहुजनीय होता है। उनका कहना है की कुलटा स्त्रियां पराए व्यक्ति से बातचीत करती है, कटाक्षपूर्वक देखती है और अपने ह्रदय में पर पुरुष का चिंतन करती है, इस प्रकार चरित्रहीन स्त्रियों का प्रेम अनेक से होता है।
933 कुशल और निरंतर प्रचार के ज़रिये, कोई लोगों को स्वर्ग भी नर्क की तरह दिखाया जा  सकता है या एक बिलकुल मनहूस जीवन को स्वर्ग की तरह दिखाया जा  सकता है। 
934 कुशल लोगों को रोजगार का भय नहीं होता।
935 कृतघ्न अर्थात उपकार न मानने वाले व्यक्ति को नरक ही प्राप्त होता है।
936 कृत्रिम सुख की बजाये ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये।
937 केवल आशा के सहारे ही लक्ष्मी प्राप्त नहीं होती।
938 केवल इंसानों में अपने विचारों को भौतिक वास्तविकता में बदलने की शक्ति होती है; केवल इंसान सपने देख सकता है और उन्हें साकार कर सकता है।
939 केवल एक गुणवान और विद्वान बेटा सैकडो गुणहीन निकम्मे बेटों से अच्छा होता हैं, जिस प्रकार एक ही चाँद रात्रि के अंधकार को दूर करता हैं असंख्य तारे मिलकर भी रात्रि के गहन अंधकार को दूर नहीं कर सकते उसी प्रकार एक गुणी पुत्र ही अपने कुल का नाम रोशन करता हैं, उसे ऊँचा उठाता हैं।
940 केवल तर्क ही शाश्वत है, बाक़ी सभी चीज़ें नष्ट हो जाती हैं।
941 केवल धन देने भर से संतुष्ट न हों, धन पर्याप्त नहीं है, वह पाया जा सकता है लेकिन उन्हें आपके प्रेम की आवश्यकता है, तो जहाँ भी आप जायें अपना प्रेम सबमे बांटे।
942 केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दुसरो पर छिड़के तो उसकी कुछ बुँदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती है।
943 केवल प्रेम ही वास्तविकता है , ये महज एक भावना नहीं है.यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता है।
944 केवल मृत लोगों ने युद्ध का अंत देखा है।
945 केवल वही व्यक्ति सब की उपेक्षा उत्तम रूप से करता है जो पूर्णतया निस्वार्थी है, जिसे न धन की  लालसा है, न कीर्ति की और न अन्य किसी वस्तु की। 
946 केवल वही, जो युवाओं का मालिक होता है, भविष्य में लाभ उठता है। 
947 केवल साहस से कार्य-सिद्धि संभव नहीं।
948 कॉम्पिटिशन का सामना न करने वाले लोग ही लड़ाई-झगड़े करने लगते है।
949 कोई  भी व्यक्ति उस क्षेत्र में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता जिसे वह पसंद ना करता हो।
950 कोई अपराध इतना बड़ा नही है,जितना की श्रेष्ठ बनने की धृष्टता करना।
951 कोई आदमी कितना सच्चा है या उसकी मान्यता है यह नहीं, बल्कि वह सच्चाई तक पहुंचने के लिए क्या प्रयत्न करता है यह उसका मोल या महत्व दर्शाता है।
952 कोई आपको धोखा दें यह उसकी गलती है वही इन्सान अगर आपको दोबारा धोखा दे तो यह आपकी गलती है।
953 कोई आपको ज़ख्म देता है तो बेशक आप उसे एक बार भूल जाए, लेकिन अगर आप किसी को दर्द पहुंचाते हो तो उसे जीवन भर नहीं भूल पाते हो।
954 कोई इंसान बिना किसी कठिनाई के जीतता है तो यह केवल एक विजय है; लेकिन यदि कोई इंसान बहुत सी कठिनाइयों के बावजूद जीतता है तो यह इतिहास है।
955 कोई एक दिन निश्चित करें कि उस दिन कोई भी नेगेटिव चीजे नहीं सोचंगे Gossip झूठ या धोखा हम सबके साथ होता हैं इससे आप भी नहीं बच सकते, लेकिन कई चीजे अच्छी भी होती हैं उनके बारें में सोचिये इससे अलग तरह कि उर्जा मिलेगी।
956 कोई क़ानून या अध्यादेश समझ से शक्तिशाली नहीं हैं।
957 कोई कुछ मांगे तो उसे दे दीजिए, लेकिन आपसी समझ के आधार पर किसी को कुछ देना सबसे सर्वश्रेष्ठ है।
958 कोई चुनाव मत करिए. जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है.
959 कोई तर्क अकेले ही इतना मजबूत नहीं हो सकता जो मानव ज्ञान की सम्पूर्णता को बयां कर सके।
960 कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा।
961 कोई नई बात या नई चीज़ सीखना अच्छा लगता है, लेकिन किसी नए कार्य को करने से जिस तरह के आनंद का अनुभव होता है, वे अतुलनीय है।
962 कोई नया काम या किसी नई चीज की खोज यह सोचकर मत करिए कि इससे कोई फायदा होगा की। आप सिर्फ खोज करिए। अच्छी खोज दूसरों की भलाई के काम आ जाती है।
963 कोई भी अच्छा निर्णय जानकारियो पर निर्भर करता है। आंकड़ों या संख्याओ पर नहीं।
964 कोई भी इस बात से नुकसान नहीं पहुंचा सकता है की भगवान एक है, बीस है, भगवान या है ही नहीं।
965 कोई भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जिससे वो डरता है।
966 कोई भी कानून आपकी समझदारी से ज्यादा अहमियत नहीं रखता है।
967 कोई भी चीज जो बिके नहीं, मैं उसका आविष्कार नहीं करना चाहूँगा उसका बिकना उपयोगिता का प्रमाण है और उपयोगिता ही सफलता है।
968 कोई भी निर्णय लेने के पहले हज़ारों बार सोचो पर एक बार निर्णय लेने के बाद कभी उसे मत पलटो चाहे इसके लिए आपको हज़ारों तकलीफे उठानी पड़े।
969 कोई भी पुजारी या पंडित उस वक़्त तक अच्छा इंसान नहीं बन सकता है। जब तक वे अपने टाइटल को प्यार करे, न की अपने काम को।
970 कोई भी मनुष्य ख़ुशी या उत्साह के बिना जीवित नहीं रह सकता है। इसलिए अगर मनुष्य को उत्साह नहीं मिले तो उसका रुझान दूसरी चीज़ों की तरफ होने लगता है।
971 कोई भी व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति का दोस्त नहीं हो सकता है, जिससे उसे प्यार न मिले।
972 कोई भी व्यक्ति किसी को आसानी से नुकसान पंहुचा सकता है, लेकिन हर व्यक्ति दूसरों के साथ अच्छा नहीं कर सकता है।
973 कोई भी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती यदि वह अपने को हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते।
974 कोई भी समस्या चेतना के उसी स्तर पर रह कर नहीं हल की जा सकती है जिस पर वह उत्पन्न हुई है। 
975 कोई भी सुझाव, योजना, या उद्देश्य मन में विचार को बार-बार दोहरा कर बैठाया जा सकता है।
976 कोई वहां तक माफ़ करता है जहाँ तक वो प्यार करता है। 
977 कोई व्यक्ति अपने अधिकारों से ज्यादा अपने हितों के लिए लडेगा। 
978 कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं.
979 कोई व्यक्ति यदि कुछ मामलो में अपना विवेक नहीं खो देता है तो इसका मतलब है उसके पास खोने  के लिए कुछ नहीं है।
980 कोई व्यक्ति सिर्फ चाह कर नास्तिक नहीं बन सकता।
981 कोए से पांच  बाते सीखनी चाहिए - 1 गुप्त  स्थान  पर  मादा का भोग (2) चारो ओर दृष्टि  रखना अर्थात  चौकन्ना रहना, (3) उचित समय पर भविष्य  के लिए  संग्रह करना 4 .  कभी आलस्य  न करना ,  (5) किसी पर विश्वास    करना ।गूढमैथुन चारित्वं काले काले च संग्रहम् ।अप्रमतम विश्वासं पञ्च  शिक्षेच्च  वायसात् ।।
982 कोमल स्वभाव वाला व्यक्ति अपने आश्रितों से भी अपमानित होता है।
983 कोयल की कुक सबको अच्छी  है।
984 कोयल की मीठी वाणी अथार्थ उसका कर्णप्रिय स्वर ही उसका रूप है कोयल भी कौए के समान काली और कुरूप होती है परन्तु उसका स्वर लोगो के कानो को इतना मधुर और प्रिय लगता हैं कि वे उसके कुरूप होने की उपेक्षा करके उससे स्नेह करने लगते हैं, इसी प्रकार स्त्रियों का सच्चा सौन्दर्य उनका पतिवर्ता होना हैं यदि रूपवती युवती चरित्रहीन हैं तो उसके रूप-सौन्दर्य का कोई लाभ नहीं, वह सुंदरी होने पर भी समाज की द्रष्टि में पतिता मानी जाती हैं।
985 कोयल की वाणी तभी तक मौन रहती है, जब तक कि सभी जनों को आनंद देने वाली वाणी प्रारम्भ नहीं हो जाती।
986 कोयल की शोभा उसके स्वर में है, स्त्री की शोभा उसका पतिव्रत धर्म है, कुरूप व्यक्ति की शोभा उसकी विद्वता में है और तपस्वियों की शोभा क्षमा में है।
987 कौवे से ये पांच बाते सीखे 1.अपनी पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करे 2.नीडरता 3.उपयोगी वस्तुओ का संचय करे 4.सभी ओर द्रष्टि घुमाये 5.दुसरो पर आसानी से विश्वास ना करे।
988 क्या कभी किसी  ने सोचा है कि वे  जो चाहता था वो उन्हें  इसलिए नहीं मिला क्योंकि उनके पास प्रतिभा नहीं थी, या शक्ति नहीं थी , या धीरज नही था , या प्रतिबद्धता नहीं थी ?
989 क्या तुम लोहे की धधकती छड़ सिर्फ इसलिए अपने हाथ में पकड़ सकते हो क्योंकि कोई तुम्हे ऐसा करना चाहता है ? तब , क्या तुम्हारे लिए ये सही होगा कि तुम सिर्फ अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दूसरों से ऐसा करने को कहो। यदि तुम अपने शरीर या दिमाग पर दूसरों के शब्दों या कृत्यों द्वारा  चोट बर्दाश्त नहीं कर सकते हो तो तुम्हे दूसरों के साथ अपनों शब्दों  या कृत्यों द्वारा ऐसा करने का क्या अधिकार है ?
990 क्या तुम्हे मालूम है कि सात्विक प्रकृति का मनुष्य कैसे ध्यान करता है वह आधी रात को अपने बिस्तर में ध्यान करता है, जिससे लोग उसे देख ना सके।
991 क्या पैसा मुझे प्रोत्साहित करता हैं, नहीं मैं तो अपने शेयर होल्डर्स के लिए पैसा कमा रहा हूँ मुझे तो केवल उपलब्धि चाहिए, मैं हमेशा कुछ कठिन कार्य करना चाहता हूँ।
992 क्या भगवान हमें नहीं देख रहे हैं?
993 क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म-सम्मान आत्म-निर्भरता के साथ आता है?
994 क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है,  न मरती है।
995 क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है। 
996 क्रोध एक उपहार है।
997 क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं।
998 क्रोध की शुरुआत गलती से होती है और अंत प्रायश्चित से।
999 क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।
1000 क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं।

Monday, January 18, 2016

#801-900


801 काम को ठीक से समझने के बाद ही उसे करने के लिए आगे आएं।  काम शुरू करने के बाद उसे पूरा न कार पाना या बहाने बनाने से आपका ही अपमान होगा।  कुछ करने से पहले दस बार सोचें।
802 काम छोटा हो या बड़ा, उसे एक बार हाथ में लेने के बाद छोड़ना नहीं चाहिए। उसे पूरी लगन और सामर्थ्य के साथ करना चाहिए।  जैसे सिंह पकड़े हुए शिकार को कदापि नहीं छोड़ता। सिंह का यह एक गुण अवश्य लेना चाहिए।
803 काम में कमियाँ निकालने वालों पर ज्यादा ध्यान दें।
804 काम-वासना के समान दूसरा रोग नही, मोह के समान शत्रु नहीं, क्रोध के समान आग नहीं और ज्ञान से बढ़कर सुख नहीं।
805 काम-विषय-चिंतन, क्रोध (अभीष्ट प्राप्ति न होने पर आपने से बहार होना ), लोभ (धन प्राप्ति की तृष्णा), स्वाद(जिव्हा को प्रिय लगने वाले पदार्थो का सेवन), श्रंगार (सजना-धजना), कौतुक (खेल-तमाशे, सिनेमा, टीवी आदि देखना), अतिनिद्रा (बहुत अधिक सोना) और अतिसेवा किसी दुसरे की बहुत अधिक चाकरी करना इन आठ में से एक दुर्गुण भी उसे अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँचने देगा।
806 कामनाएं समुद्र की भांति अतृप्त है, पूर्ति का प्रयास करने पर उनका कोलाहल और बढ़ता है।
807 कामयाब और सफल लोगों में हमसे कुछ खास अलग नहीं होता, अलग होता है तो बस उनके काम करने का तरीका और खुद को समय के हिसाब से बदलने की आदत ये ही Secrets of success, सफल लोग अपने अंदर कुछ सकारात्मक बदलाव (Positive attitude) करते हैं जो न सिर्फ उन्हें भीड़ से अलग करते हैं बल्कि सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाते हैं।
808 कामयाबी  और  नाकामयाबी  दोनों  ज़िन्दगी  के  हिस्से  है. दोनों   ही  स्थायी  नहीं  हैं .
809 कामी पुरुष कोई कार्य नहीं कर सकता।
810 कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।
811 कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना।
812 कार्य असफल नहीं होता, उसकी गलत दिशा सफल हो जाती है 
813 कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।
814 कार्य करते समय शत्रु का साथ नहीं करना चाहिए।
815 कार्य करने वाले के लिए उपाय सहायक होता है।
816 कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है।
817 कार्य की अधिकता से उकताने वाला व्यक्ति, कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता।
818 कार्य की सिद्धि के लिए उदारता नहीं बरतनी चाहिए।
819 कार्य के अनुरूप प्रयत्न करें।
820 कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।
821 कार्य के लक्षण ही सफलता-असफलता के संकेत दे देते है।
822 कार्य में प्रार्थना प्यार है, कार्य में प्यार सेवा है।
823 कार्य-अकार्य के तत्वदर्शी ही मंत्री होने चाहिए।
824 कार्य-सिद्धि के लिए हस्त-कौशल का उपयोग  करना चाहिए।
825 कार्यवाही बुद्धिमत्ता का असल मापदंड है।
826 काल (समय, मृत्यु) ही पंच भूतो (पृथ्वी,जल, वायु, अग्नि, आकाश) को पचाता है और सब प्राणियों का संहार भी काल ही करता है। संसार में प्रलय हो जाने पर वह सुप्तावस्था अर्थात स्वप्नवत रहता है। काल की सीमा को निश्चय ही कोई भी लांघ नहीं सकता।
827 काला रंग भावनात्मक रूप से बुरा होता है परन्तु हर ब्लैक बोर्ड विद्ध्यार्थियों की जिंदगी रौशन करता है।
828 काव्य इतिहास से ज्यादा सत्य के नज़दीक है। 
829 काव्य शब्दकोष के छीटों के साथ ख़ुशी , दर्द और आश्चर्य का सौदा है।
830 कितना भाग्यापूर्ण है उन सरकारों के लिए कि जिन लोगों पर वो शासन करते हैं वे सोचते नहीं। 
831 कितने दूर निकल गए, रिश्तो को निभाते निभाते.. खुद को खो दिया हमने, अपनों को पाते पाते..
832 कितने सही रूप से क़ानून अपराध को खत्म कर सकता है ? बहुत तेजी से कारवाई करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। नियम कुछ ऐसे हो की उन्हें पकड़ो और सजा दो। 
833 किसकी को हराना बहुत आसान है लेकिन किसी को जितना बहुत आसान है।
834 किसी  चीज  से  डरो मत।  तुम  अद्भुत  काम  करोगे।  यह  निर्भयता  ही  है  जो   क्षण  भर  में  परम  आनंद  लाती  है।
835 किसी  दिन  , जब  आपके  सामने  कोई   समस्या  ना  आये  – आप  सुनिश्चित  हो  सकते  हैं  कि  आप  गलत  मार्ग  पर  चल  रहे  हैं।
836 किसी  वृक्ष  को  काटने  के  लिए  आप  मुझे  छ:  घंटे  दीजिये  और  मैं  पहले  चार  घंटे  कुल्हाड़ी  की  धार  तेज  करने  में  लगाऊंगा।
837 किसी अंतिम निर्णय का इंतज़ार न करिए, क्योंकि हर दिन नए निर्णय आते है।
838 किसी अच्छे कार्य को बार-बार करने से किसी का कोई नुकसान नहीं होता है।
839 किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
840 किसी आदमी का असली चरित्र तब सामने आता है जब वो नशे में होता है।
841 किसी एक व्यक्ति को त्यागने से यदि कुल की रक्षा होती हो तो उस एक को छोड़ देना चाहिए। पूरे गांव की भलाई के लिए कुल को तथा देश की भलाई के लिए गांव को और अपने आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए सारी पृथ्वी को छोड़ देना चाहिए।
842 किसी काम को आप बीच में ही छोड़ देते है या आधा ही करते है तो आप अन्धो की दुनिया में काने राजा की तरह है।
843 किसी काम को करने का हुनर आप में नहीं है और आप इस बात की तरफ प्रेरित है तो कोई फायदा नहीं होगा।
844 किसी काम को करने के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचना अक्सर उसके बिगड़ जाने का कारण बनता है।
845 किसी काम को करने से अगर आपको ख़ुशी का एहसास होता है तो आपका काम ठीक है। लेकिन किसी काम को करने में दर्द मिलता है तो आप निश्चित ही कुछ गलत कर रहे है।
846 किसी कारण वश खुश होना एक दूसरे तरह का दुःख है क्योंकि कारण कभी भी हमसे छीना जा सकता है.
847 किसी कार्य को करने के लिए जो प्रिंसिपल बनाए गए है, अगर आप उन्हें सच समझ रहे है तो  मतलब है कि आप कभी उस काम को प्रैक्टिकल रूप देने का प्रयास नही करेंगे।
848 किसी कार्य को खूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिये। 
849 किसी कार्यारंभ के समय को विद्वान और अनुभवी लोगों से पूछना चाहिए।
850 किसी की  संगत से आप के विचार शुद्ध होने लगें....  तो समझ लेना  वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है
851 किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर, 'ईश्वर' बैठा है, तू हिसाब ना कर....
852 किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
853 किसी की बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस 'मक्खी' की तरह है जो सारे खूबसूरत जिस्म कोछोडकर केवल जख्म पर ही बैठती है।
854 किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जिओ और दुसरो को भी जीने दो।
855 किसी के जीवन में उजाला लाओ।
856 किसी के साथ नफरत करना नर्क के द्वार पर खड़े होने जैसा है। यह बात उन लोगो के लिए सटीक है जो अपने दिल में किसी बात को छिपाते है और दूसरा व्यक्ति सबके सामने बोल देता है।
857 किसी को इतनी आज़ादी न दें की वह आपसे ऐसा कोई काम करवा ले या कुछ बोलने को मजबूर कर दें जो आपके लिए अच्छा नहीं है।
858 किसी को क्षमा करना या किसी से क्षमा पा लेने का अवर्णनीय आनंद एक ऐसा हर्षोन्माद विकसित करता है जो कि ईश्वर के प्रति ईर्ष्या को भी जगा सकता है।
859 किसी को क्षमा करने से इनकार करना खुद विश पीकर दुसरे के मरने का इंतज़ार करने जैसा है।
860 किसी को धोका न दे क्योकि ये आदत बन जाती है और आदत से व्यक्तित्व।
861 किसी को हरा देना बेहद आसान है, लेकन किसी को जीतना बेहद मुश्किल।
862 किसी चीज को पसंद या नापसंद करने से पहले उसे सही तरीके से समझना जरुरी हैं।
863 किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।
864 किसी चीज़ की गहराई को तभी समझ पाएंगे जब आपके पास पूरी आज़ादी हो।
865 किसी चीज़ को कितनी भी बारीकी से काटिए, उसके दो टुकड़े होते ही है।
866 किसी चीज़ को महत्तवपूर्ण होने के लिए दुनिया को बदलने की जरुरत नहीं है।
867 किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से  ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है।
868 किसी झूठ को ज्यादा बार बताया जाये तो वह सच्चाई का रूप धारण कर लेता है।
869 किसी डिग्री का ना होने दरअसल फायेदेमंद है. अगर आप इंजिनियर या डाक्टर हैं तब आप एक ही काम कर सकते हैं.पर यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है , तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
870 किसी देश का नाश केवल जूनून के तूफ़ान से रोका जा सकता है, लेकिन केवल वो जो खुद जुनूनी होते हैं दूसरों में जूनून पैदा कर सकते हैं।
871 किसी देश को जितने के लिए सबसे पहले उसके नागरिकों को काबू में करो।
872 किसी दोस्त के लिए मर मिटना मुश्किल नहीं है, लेकिन ऐसे दोस्त की तलाश करना जिसके लिए आप वाकई मरना चाहेंगे, यह मुश्किल है।
873 किसी निन्दनीय कुकर्म के करने के उपरान्त पछताने वाले मनुष्य की जैसी निर्मल बुद्धि होती हैं, यदि वह निर्मल बुद्धि कुकर्म करने से पहले रहती तो मनुष्य का कल्याण कैसे न हो जाता? फिर उसको पश्चाताप करने की आवश्कता न पड़ती।
874 किसी नेता की प्रतीक्षा मत करो, अकेले करो, व्यक्ति से व्यक्ति द्वारा।
875 किसी प्रदेश में न रहना अच्छा हैं किन्तु किसी दुष्ट राजा के राज्य में रहना अच्छा नहीं हैं दुष्ट मित्रो की अपेक्षा कोई मित्र न होना अच्छा हैं। दुष्ट शिष्यों की अपेक्षा कोई शिष्य न होना अच्छा हैं, इसी प्रकार बुरी स्त्री के बजाय बिना स्त्री के रहना अच्छा हैं।
876 किसी प्रशन को समझ लेना आधा उत्तर है।
877 किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिये, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।
878 किसी बात की साधना अथवा तप अकेले और एकांत स्थान में ही किया जा सकता हैं पढाई दो व्यक्तियों के बीच ;दो से अधिक होंगे तो बाते होंगी, पढाई नहीं होगी गाने के अभ्यास के लिए तीन की संख्या पर्याप्त हैं यात्रा के लिए चार की संख्या अपेक्षित हैं, क्योंकि 2-2 का मेल हो जायेगा तो यात्रा अच्छी तरह से कट जाएगी खेत बोने के लिए पांच व्यक्तियों की आवश्कता होती हैं और युद्ध के लिए बहुत से लोगो की आवश्कता होती हैं।
879 किसी भी इंसान को अपनों श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए हर   साल में अपनी रणनीति बदल लेनी चाहिए। 
880 किसी भी काम को लेकर इतना संकोच और डर न रखे। ज़िंदगी एक प्रयोग है। जितने ज्यादा प्रयोग करेंगे, उतने बेहतर होते जाएंगे।
881 किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब न करें। 
882 किसी भी जगह हो रहा अन्याय हर स्थान पर न्याय के लिए खतरा है।
883 किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है।
884 किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया.
885 किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया।
886 किसी भी नींव का सबसे मजबूत पत्थर सबसे निचला ही होता है।
887 किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन आसान नहीं है। फिर क्या किया जाए? इससे बाहर निकलने का एक ही रास्ता है, खुद पर विश्वास रखिए। हर व्यक्ति को सोचना चाहिए कि भगवान ने उन्हें कोई न कोई खास तोहफा दिया है और उस तोहफे को बनाए रखना है।
888 किसी भी व्यक्ति को उसके और अपने विचार में नीचा दिखाए बिना क्षमा कर देना, एक बहुत ही संवेदनशील कार्य है।
889 किसी भी शिक्षक के लिए कमांड या नियंत्रण करना, पढ़ाने से ज्यादा जरूरी होता है।
890 किसी भी स्थिति में पैसे से अच्छे गुण हासिल नहीं कियें जा सकते हैं, लेकिन अच्छे गुणों से पैसा जरुर कमाया जा सकता हैं।
891 किसी मकसद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह, गिरो तो बीज की तरह। ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए जंग कर सको।
892 किसी मनुष्य का स्वभाव ही उसे विश्वसनीय बनाता है, न कि उसकी सम्पत्ति।      
893 किसी मूर्ख व्यक्ति की पहचान उसके वाचालता से होती है, तथा बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान उसके मौन रहने से होती है।
894 किसी योग्य व्यक्ति को निम्न स्थान पर और अयोग्य व्यक्ति को उच्च पद पर रख देने से उनके मूल्य में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो जाता, अपितु उससे गलत स्थान पर रखने वाले व्यक्ति की ही निन्दा होती हैं।
895 किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है।
896 किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी शत्रु का साथ न करें।
897 किसी विचार का मूल्य केवल उसके उपयोग में निहित है।
898 किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।
899 किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है।
900 किसी व्यक्ति के दिल और दिमाग को समझने के लिए यह न देखिए की वह क्या हासिल कर चूका है। इस बात की तरफ ध्यान दीजिए की वह क्या हासिल करने की ख्वाहिश रख रहा है।