Friday, July 8, 2016

#3301- 3400


3301 सफलता की कहानियां मत पढ़ो, उससे आपको केवल एक सन्देश मिलेगा। असफलता की कहानियां पढ़ो, उससे आपको सफल होने के कुछ ideas (विचार) मिलेंगे।
3302 सफलता की खुशियां मनाना ठीक है लेकिन असफलताओं से सबक सीखना अधिक महत्वपूर्ण है।
3303 सफलता की सीढ़ियों में शिखर पर कभी भी भीड़ नहीं होती।   
3304 सफलता क्या हैं? यह हर किसी व्यक्ति के लिए अलग-अलग परिभाषित हैं। किसी के लिए पैसा कमाना, किसी के लिए यश कमाना, किसी के लिए ज्ञान अर्जित करना और किसी के लिए सांसारिक त्याग #अपनी इच्छाओं का त्याग)।
3305 सफलता हासिल करने के लिए ज्यादातर लोगो को कठिन से कठिन परिश्रम करना पड़ता है।
3306 सब जानते है की दूसरा व्यक्ति क्या सोचता है। जो वे करते है उसी तरफ ध्यान दे। जो वे कहते है उस ओर ज्यादा ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है।
3307 सबका चहेता बनने की कोशिश करे।
3308 सबके प्रति दयावान रहो, क्योंकि जिससे भी तुम मिलते हो वह जीवन की एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है। 
3309 सबको प्यार करके ही हम भगवान के पास पहुंच पाएंगे इसके अतिरिक्त किसी अन्य मार्ग से वहां पंहुचा जा सकता हैं या नहीं, यह मुझे नहीं मालूम
3310 सबसे  बड़ा  धर्म  है  अपने  स्वभाव  के  प्रति  सच्चे  होना। स्वयं  पर  विश्वास  करो।
3311 सबसे अच्छा वक्त, सबसे जल्दी गुजर जाता है।
3312 सबसे अच्छी सोच एकांत में की गयी होती है और सबसे बेकार उथल-पुथल के माहौल में।
3313 सबसे आसान और विनर्म तरीका यह है की आप दुसरो को कुचले नहीं बल्कि खुद में सुधार करे।
3314 सबसे खतरनाक फल उस नफरत से पैदा होता है जो टूटी हुई दोस्ती पर उगता है।
3315 सबसे गर्मजोशी वाले प्यार का सबसे ठंडा अंत होता है।
3316 सबसे ज्यादा खूबसूरती, सर्वाधिक स्पष्टता में ही निहित होती है।
3317 सबसे ज्यादा भयंकर बात क्या है? वे यह है की एक दिन आप उठते है और देखते है की दसवी की कक्षा के छात्र देश चला रहे है।
3318 सबसे दुखद चीज जिसकी मैं कल्पना कर सकत हूँ वो है विलासिता का आदी होना।
3319 सबसे बड़ा धन काम में संतोषपूर्वक जीना है।
3320 सबसे बड़ा रोग किसी के लिए भी कुछ न होना है।
3321 सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है , बल्कि अवांछित होना ही सबसे बड़ी बीमारी है।
3322 सबसे बड़ी त्रासदी बुरे व्यक्तियों का अत्याचार और दमन नहीं बल्कि इस पर अच्छे लोगो का मौन रहना है।
3323 सबसे महत्वपूर्ण बात इतिहास रचना है, न की इतिहास लिखना।
3324 सभा के मध्य जो दूसरों के व्यक्तिगत दोष दिखाता है, वह स्वयं अपने दोष दिखाता है।
3325 सभा के मध्य शत्रु पर क्रोध न करें।
3326 सभी  के  दिन  आते  हैं  और  कुछ  दिन  औरों  से  ज्यादा  लम्बे  होते  हैं।
3327 सभी आदमियों की प्रकृति ज्ञान चाहने वाली होती है।
3328 सभी औषधियों में अमृत प्रधान है, सभी सुखो में भोजन प्रधान है, सभी इन्द्रियों में नेत्र प्रधान है सारे शरीर में सिर श्रेष्ठ है।
3329 सभी औषधियों में अमृत प्रधान हैं, क्योकि इसमें सभी रोगों के समन करने की अदभुत क्षमता होती हैं सभी प्रकार के सुखो में भोजन प्रधान हैं क्योकि भूख की निवृति के बिना मनुष्य को शान्ति प्राप्त हो ही नहीं पाती, सभी इन्द्रियों- आँख, कान, नाक, जिव्ह्या आदि में नेत्र प्रधान हैं क्योकि द्रष्टि के बिना तो सर्वत्र अंधकार ही अंधकार हैं तथा शरीर के सभी अंगो में सर अथार्थ चिंतनशक्ति –अंग ही प्रधान अथार्थ सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं।
3330 सभी के साथ विनम्र रहे, पर कुछ ही के साथ अन्तरंग हों, और इन कुछ को अपना विश्वास देने से पहले अच्छी तरह परख लें.
3331 सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
3332 सभी प्रकार की सम्पति का सभी उपायों से संग्रह करना चाहिए।
3333 सभी प्रचार लोकप्रिय होने चाहिए और इन्हें  जिन तक पहुचाना है उनमे से सबसे कम बुद्धिमान व्यक्ति के भी समझ में आने चाहियें .
3334 सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएं मूल रूप से एक ही संदेश देती हैं – प्रेम , दया,और  क्षमा , महत्वपूर्ण बात यह है कि ये  हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होनी चाहियें।
3335 सभी बुरे कार्य  मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
3336 सभी भुगतान युक्त नौकरियां दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती हैं।   
3337 सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
3338 सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं।  वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं , जो कि विनाश की देवी या  लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं .
3339 सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं। वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं, जो कि विनाश की देवी या  लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं।        
3340 सभी मार्गों से मंत्रणा की रक्षा करनी चाहिए।
3341 सभी लोग ख़ुशी-ख़ुशी एक दूसरे के साथ कैसे रह सकते है ? ऐसा मुमकिन है ,अगर सभी को मालूम हो की सब लोग एक ही ईश्वर को प्रेम करते है।  उससे जुड़े है।
3342 सभी लोगों के समान योग्यता नहीं होती, लेकिन सभी लोगों को अपनी योग्यता को विकसित करने के लिए समान अवसर अवश्य मिलता है।
3343 सभी लोगों में सही का अनुसरण करने का साहस होना चाहिए न की जो स्थापित है उसका।
3344 सभी व्यक्ति प्राकृतिक रूप से सामान हैं, एक ही मिटटी से एक ही कर्मकार द्वारा बनाये गए;और भले ही हम खुद को कितना भी धोखें में रख लें पर भगवान को  जितना प्रिय एक शसक्त राजकुमार है उतना ही एक गरीब किसान।
3345 सभी व्यक्तियों का आभूषण धर्म है।
3346 सभी शरीर नाशवान है, सभी धन-संपत्तियां चलायमान है और मृत्यु के निकट है। ऐसे में मनुष्य को सदैव धर्म का संचय करना चाहिए। इस प्रकार यह संसार नश्वर है। केवल सद्कर्म ही नित्य और स्थाई है। हमें इन्हीं को अपने जीवन का अंग बनाना चाहिए।
3347 सभी ख़ुशी के पीछे भागते है, जबकि वे नहीं जानते की ख़ुशी उनके क़दमों के नीचे है।
3348 समझदार व्यक्ति इसीलिए बोलता है क्योंकि उसके पास बोलने के लिए या दुसरो से बांटने के लिए कई अच्छी बाते होती है, लेकिन एक बेवकूफ व्यक्ति इसीलिए बोलता है क्योंकि उसे कुछ न कुछ बोलना होता है।
3349 समझने का अर्थ है क्षमा कर देना, खुद को भी। 
3350 समय का ज्ञान न रखने वाले राजा का कर्म समय के द्वारा ही नष्ट हो जाता है।
3351 समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता।
3352 समय के साथ अच्छे लोगो के साथ की गई दोस्ती गहरी होन लगती हैं।  ठीक वैसे ही जैसे उम्र के साथ अच्छी किताब और ज्यादा पसंद आने लगती हैं।
3353 समय के साथ किसी भी चीज को जोड़ा जा सकता हैं तो वे सच ही हो सकता हैं।
3354 समय को समझने वाला कार्य सिद्ध करता है।
3355 समय परिवर्तन का धन है, परन्तु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं। 
3356 समय सीमा पर काम ख़तम कर लेना काफी नहीं है ,मैं समय सीमा से पहले काम ख़तम होने की अपेक्षा करता हूँ।
3357 समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की मुश्किलों को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मों को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं।
3358 समर्थ एवं शक्तिशाली पुरुषों के लिए कुछ भी कर सकना कठिन नहीं वो जो सोचते हैं उसे कर गुजरते हैं, व्यवसायी लोगो के लिए दूरी कोई अर्थ नहीं रखती, इसी प्रकार प्रिय और मधुर बोलने वाले का कभी कोई शत्रु नहीं होता।
3359 समर्थ को भार कैसा ? व्यवसायी के लिए कोई स्थान दूर क्या ? विद्वान के लिए विदेश कैसा? मधुर वचन बोलने वाले का शत्रु कौन ?
3360 समर्थ व्यक्ति को कोई दोष देना कठिन हैं। जो बात सामर्थ्यवान के लिए सिद्धदायक हो सकती हैं, वही सामान्य व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकती हैं। देखिये अमृत पीना तो अच्छा है लेकिन राहू की मौत अमृत पीने से ही हुई। विष पीना नुकसानदायी है लेकिन भगवान् शंकर ने जब प्राणघातक विष पिया तो वह भी उनके गले का आभूषण बन गया।
3361 समर्थ व्यक्ति द्वारा किया गया गलत कार्य भी अच्छा कहलाता है और नीच व्यक्ति के द्वारा किया गया अच्छा कार्य भी गलत कहलाता है। ठीक वैसे, जैसे अमृता प्रदान करने वाला अमृत राहु के लिए मृत्यु का कारण बना और प्राणघातक विष भी शंकर के लिए भूषण हो गया।
3362 समस्त कार्य पूर्व मंत्रणा से करने चाहिए।
3363 समस्त दुखों को नष्ट करने की औषधि मोक्ष है।
3364 समस्या जितनी बड़ी होती है, उसे हल करने का स्वाद उतना ही मीठा होता है।
3365 समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं , कभी सुना है   कि  " अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो "
3366 समाज की सबसे अच्‍छी सेवा उन लोगों का चुनाव करके की जा सकती है, जो Hardworking, Intelligent हों और Long Term की सोचते हों।
3367 समाज में एक चीज़ जरुरी है वह है बदलाव, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले ये मत सोचिये की दुनिया कैसी है? यह जरुर सोचिए की दुनिया कैसी हो सकती है? भविष्य का ध्यान रखिए।
3368 समाज में से धर्म को निकाल फेंकने का प्रयत्न बांझ के पुत्र करने जितना ही निष्फल है और अगर कहीं सफल हो जाय तो समाज का उसमे नाश होता है।
3369 समान गुण, कर्म, स्वभाव और आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति से ही प्रेम-सम्बन्ध ठीक रहता हैं, इसी प्रकार सेवा अथवा नौकरी आदि करने हो तो सरकारी नौकरी ही करनी चाहिए, लोक –व्यहार में निपुण व्यक्ति ही समाज में श्रद्धा प्राप्त करता हैं इसी प्रकार रूपवती स्त्री की शोभा अपने घर में ही होती हैं।
3370 समुंद्र ने गुणी मेघ को जल का दान करके एक ओर अपने खारे जल को मीठा बना दिया, दूसरी और जड़-चेतन को जीवन प्रदान करने का पुण्य भी अर्जन किया तथा दिए गए जल से अधिक परिणाम में जल पुन: प्राप्त कर लिया इस प्रकार स्पष्ट हैं कि गुणी को दिया गया दान ही सफल होता हैं अतः गुणवान को ही दान देना चाहिए।
3371 समुंद्र में बादलो का बरसना व्यर्थ हैं, जिसका पेट भरा हुआ हो ऐसे आदमी को भोजन कराना बेकार हैं, धनी व्यक्ति को दान देना व्यर्थ हैं और सूर्य के प्रकाश में दिन में दीपक जलाना व्यर्थ हैं।
3372 समुद्र के पानी से प्यास नहीं बुझती।
3373 समुद्र में वर्षा का होना व्यर्थ है, तृप्त व्यक्ति को भोजन करना व्यर्थ है, धनिक को दान देना व्यर्थ है और दिन में दीपक जलाना व्यर्थ है।
3374 समुद्र शांत हो तो कोई भी जहाज चला सकता है.
3375 समृद्धता से कोई गुणवान नहीं हो जाता।
3376 समृद्धि की चाहत न करना और समृद्धि आने पर उदण्ड न होना महापुरुषों का लक्षण हैं, वे सदा नम्र बने रहते हैं।
3377 सम्पन्नता धन के कब्जे में नहीं उसके उपयोग में है। 
3378 सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।
3379 सर्वशक्तिमान तीनो लोको के स्वामी श्री विष्णु भगवान को शीश नवाकर मै अनेक शास्त्रों से निकाले गए राजनीति सार के तत्व को जन कल्याण हेतु समाज के सम्मुख रखता हूं।
3380 सर्वश्रेष्ठ किताबें वही बातें बताती हैं जो आप पहले से जानते है।
3381 सहिष्णुता के अभ्यास में, आपका शत्रु ही आपका सबसे अच्छा शिक्षक होता है।
3382 सही उद्यमशीलता जोखिम लेने से ही आता है।
3383 सही काम करना जितना जरुरी हैं, उतना ही जरुरी सही तरीके से करना हैं इसी तरह, सही काम करें न कि आसानी से होने वाला काम हर काम का shortcut ढूंढेंगे तो गलत रास्ता अख्तियार करना होगा।
3384 सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता है।
3385 सही मार्ग पर ही सही दौड़ना तो आपको ही पड़ेगा 
3386 सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
3387 सांप में विष हो अथवा न हो, उसकी फुंकार ही डराने के लिए काफी हैं यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह लोगो के कोप का पात्र बन जाता हैं लोग उसे पत्थर मारते हैं उसकी उपेक्षा करते हैं इसी प्रकार आदमी को अपना प्रभाव स्थिर रखना चाहिए।
3388 सांप, राजा, सिंह, बर्र (ततैया) और बालक, दूसरे का कुत्ता तथा मूर्ख व्यक्ति, इन सातो को सोते से नहीं जगाना चाहिए।
3389 साख बनाने में बीस साल लगते हैं और उसे गंवाने में बस पांच मिनट. अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो आप चीजें अलग तरह से करेंगे.
3390 सागर की तुलना में धीर-गम्भीर पुरुष को श्रेष्ठतर माना है वे कहते है कि जिस सागर को लोग इतना गम्भीर समझते है, प्रलय आने पर वह भी अपनी मर्यादा भूल जाता हैं और किनारों को तोड़ कर जल-थल एक कर देता हैं परन्तु साधू अथवा श्रेष्ट व्यक्ति संकटों का पहाड़ टूटने पर भी श्रेष्ठ मर्यादायो का उलंघन नहीं करता।
3391 सात घनघोर पाप: काम के बिना धन;अंतरात्मा के बिना सुख;मानवता के बिना विज्ञान;चरित्र के बिना ज्ञान;सिद्धांत के बिना राजनीति;नैतिकता के बिना व्यापार ;त्याग के बिना पूजा।
3392 सादगी से जिए ताकि दूसरे भी जी सकें।
3393 साधारण  दिखने  वाले  लोग  ही  दुनिया  के  सबसे  अच्छे  लोग  होते  हैंयही  वजह  है  कि  भगवान  ऐसे  बहुत  से  लोगों का निर्माण करते हैं।
3394 साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं, यही वजह है कि भगवान ऐसे बहुत से लोगों का निर्माण करते हैं।
3395 साधारण दोष देखकर महान गुणों को त्याज्य नहीं समझना चाहिए।
3396 साधारण पुरुष परम्परा का अनुसरण करते है।
3397 साधु अर्थात महान लोगो के दर्शन करना पुण्य तीर्थो के समान है। तीर्थाटन का फल समय से ही प्राप्त होता है, परन्तु साधुओं की संगति का फल तत्काल प्राप्त होता है।
3398 साधु पुरुषो की रक्षा के लिए और दुष्कर्म करने वाले के नाश के लिए तथा धर्म की स्थापना करने के लिए में युग- युग में प्रकट होता हूँ।
3399 साधु महात्माओ के संसर्ग से पुत्र, मित्र, बंधु और जो अनुराग करते है, वे संसार-चक्र से छूट जाते है और उनके कुल-धर्म से उनका कुल उज्जवल हो जाता है।
3400 साधु-महात्मा साक्षात तीर्थ-स्वरुप हैं अथार्थ तीर्थो के सेवन जैसा पुण्य ही साधुओ के दर्शनों से भी प्राप्त होता हैं। तीर्थयात्रा का फल तो समय आने पर मिलता हैं परन्तु साधु-सज्जनों के संग और दर्शन से तत्काल लाभ हो जाता हैं क्योकि वे कोई अच्छी बात ही कहेंगे या कोई अच्छी सीख ही देंगे।

Thursday, July 7, 2016

#3201-3300


3201 शेर से यह बढ़िया बात सीखे कि कार्य छोटा हो या बड़ा उसे पूरा करने के लिए पूरा सामर्थ्य लगा देना चाहिए किसी भी कार्य को महत्वहीन समझना और उसकी उपेक्षा करना अच्छी बात नहीं।
3202 शौक और दुःख देने वाले बहुत से पुत्रों को पैदा करने से क्या लाभ है ? कुल को आश्रय देने वाला तो एक पुत्र ही सबसे अच्छा होता है।
3203 श्रदावान और जितेन्द्र्य व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता हैं, ज्ञान प्राप्त करने पर शीघ्र परम शान्ति मिलती हैं।
3204 श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास।
3205 श्रेष्ठ और सुहृदय जन अपने आश्रित के दुःख को अपना ही दुःख समझते है। 
3206 श्रेष्ठ व्यक्ति अपने समान ही दूसरों को मानता है।
3207 श्रेष्ठ स्त्री के लिए पति ही परमेश्वर है।
3208 संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है.
3209 संकट में बुद्धि ही काम आती है।  
3210 संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, लेकिन बड़ी उम्र के लोगों के लिए धिक्कार।  
3211 संगठित होने पर क्षुद्र प्राणियों का एक छोटा समूह भी बड़े-बड़े शत्रुओ को पराजीत कर देता हैं। इसके विपरीत बलशाली होने पर भी अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
3212 संतान को जन्म देने वाली स्त्री पत्नी कहलाती है।
3213 संतुष्टि प्रकर्ति की दौलत हैं और वैभव इंसान के द्वारा बनायीं हुई गरीबी वे ही धनवान हैं जो कम में संतुष्टि करना जानते हैं।
3214 संधि और एकता होने पर भी सतर्क रहे।
3215 संधि करने वालो में तेज़ ही संधि का हेतु होता है।
3216 संपन्न और दयालु स्वामी की ही नौकरी करनी चाहिए।
3217 संभव की सीमा जानने केवल एक ही तरीका है असम्भव से आगे निकल जाना।
3218 संयोग भगवान का बचा हुआ गोपनीय रास्ता है। 
3219 संयोग से तो एक कीड़ा भी स्तिथि में परिवर्तन कर देता है।
3220 संविधान छोटा और अस्पष्ट होना चाहिए। 
3221 संसार का विरोध करके कोई इससे मुक्त नहीं हुआ। बोध से ही इससे ज्ञानीजनों ने पार पाया है। संसार को छोड़ना नहीं, बस समझना है। परमात्मा ने पेड़-पौधे, फल-फूल, नदी, वन, पर्वत, झरने और ना जाने क्या- क्या हमारे लिए नहीं बनाया ? हमारे सुख के लिए, हमारे आनंद के लिए ही तो सबकी रचना की है। 
3222 संसार की निंदा करने वाला अप्रत्यक्ष में भगवान् की ही निंदा कर रहा है। किसी चित्र की निंदा चित्र की नहीं अपितु चित्रकार की ही निंदा तो मानी जाएगी। हर चीज भगवान् की है, कब, कैसे, कहाँ, क्यों और किस निमित्त उसका उपयोग करना है यह समझ में आ जाये तो जीवन को महोत्सव बनने में देर ना लगेगी।
3223 संसार की प्रत्येक वास्तु नाशवान है।
3224 संसार के उद्धार के लिए जिन लोगो ने विधिपूर्वक परमेश्वर का ध्यान नहीं किया, स्वर्ग में समर्थ धर्म का उपार्जन नहीं किया, स्वप्न में भी सुन्दर युवती के कठोर स्तनों और जंघाओं के आलिंगन का भोग नहीं किया, ऐसे व्यक्ति का जन्म माता के यौवन रूपी वन को काटने वाली कुल्हाड़ी के समान है।
3225 संसार के चारो कोनो में यात्रा कीजियें, लेकिन फिर भी आपको कहीं भी कुछ भी नहीं मिलेगा। जो आप प्राप्त करना चाहते हैं वह तो यही आपके अन्दर विराजमान हैं।
3226 संसार के विषयों पर ज्ञान, सामान्य रूप से मनुष्य को जिद्दी बना देता हैं, ज्ञान का अभिमान एक बंधन हैं।
3227 संसार को चलाने के लिए पहले हमें स्वयं को चलना होगा।
3228 संसार में अत्यंत सरल और सीधा होना भी ठीक नहीं है। वन में जाकर देखो की सीधे वृक्ष ही काटे जाते है और टेढ़े-मेढे वृक्ष यों ही छोड़ दिए जाते है।
3229 संसार में आजतक कोई भी व्यक्ति धन, जीवन, स्त्रियों तथा खाने-पीने के उत्तम पदार्थों से न तो तृप्त हुआ हैं। और न ही होगा और न हो रहा हैं भूतकाल में इन विषयों में सभी प्राणी अतृप्त होकर ही गए हैं। और वर्तमान में भी अतृप्त ही दिखाई देते हैं तथा भविष्य में भी यहीं स्थिति बनी रहेगी।
3230 संसार में ऐसा कौन व्यक्ति है जिसके वंश में कोई न कोई दोष, या अवगुण न हो, कहीं न कहीं कोई दोष निकल ही आता हैं। संसार में कोई ऐसा प्राणी भी नहीं है जो कभी न कभी, किसी न किसी रोग से पीड़ित न हुआ हो, अथार्त रोग कभी न कभी सभी मनुष्यों को घेर ही लेता हैं। संसार में ऐसा कौन व्यक्ति हैं जिसे कोई न कोई व्यसन न हो अथार्त जब वह संकट में न पड़ा हो संसार में किसी को लगातार सुख भी नहीं मिलता, कभी न कभी कोई संकट अथवा कष्ट आ ही जाता हैं।
3231 संसार में ऐसे अपराध कम ही है जिन्हे हम चाहे और क्षमा न कर सके। 
3232 संसार में कुछ दुःख ऐसे हैं जिन्हें मुनष्य अपने जीवन में सरलतापूर्वक न भुला पता हैं और न उन्हें सहन कर सकता हैं ये दुःख हैं – अपनी पत्नी से अलग होना, अपने परिवार वालें और सम्बन्धियों से अपमानित होना, क़र्ज़ का न चूका पाना, दुष्ट स्वामी की नौकरी करना तथा दरिद्र बन कर मूर्खो के समाज में रहना।
3233 संसार में केवल दो तत्व हैं- एक सौंदर्य और दूसरा सत्य। सौंदर्य प्रेम करने वालों के हृदय में है और सत्य किसान की भुजाओं में।
3234 संसार में जिसके पास धन है, उसी के सब मित्र होते है, उसी के सब बंधु-बांधव होते है, वहीं श्रेष्ठ पुरुष गिना जाता है और वही ठाठ-बाट से जीता है।
3235 संसार में निर्धन व्यक्ति का आना उसे दुखी करता है।
3236 संसार में प्रत्येक कार्य, प्रत्येक गुण, प्रत्येक बात की एक सीमा होती हैं प्रत्येक अच्छी-बुरी वस्तु अपनी सीमा में ही शोभा देती हैं जहां सीमा का अतिक्रमण होता हैं वहा अति करने वाले को दुर्गति का शिकार होता पड़ता हैं इसीलिए आचार्य ने कहा हैं कि अति का तो सभी जगह से परित्याग कर देना चाहिए।
3237 संसार में मानव के लिए क्षमा एक अलंकार है। 
3238 संसार में लोग जान-बूझकर अपराध की ओर प्रवर्त्त होते हैं।
3239 संसार में विद्वान की ही प्रशंसा होती है, विद्वान व्यक्ति ही सभी जगह पूजे जाते है। विद्या से ही सब कुछ मिलता है, विद्या की सब जगह पूजा होती है।
3240 संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है.
3241 सकारात्मक सोच (पॉजिटिव थिंकिंग) के साथ सकारात्मक किर्या (पॉजिटिव एक्शन) का परिणाम सफलता है।
3242 सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति को वहां भी रोशनी दिखाई देती है जहां रोशनी का का कोई स्त्रोत नहीं होता है। लेकिन जाने क्यों एक नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा उस रोशनी को रोकने के लिए भागता है।
3243 सच और समय का गहरा नाता है।  दोनों बातों को अपने जीवन में उतारने को लेकर कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
3244 सच कहूँ तो मैं कभी  आइकन  ,  सुपरस्टार , इत्यदि विश्लेषणों के चक्कर में नहीं पड़ा. मैं हमेशा खुद को एक अभिनेता के रूप में देखता हूँ जो अपनी काबीलियत के अनुसार जितना अच्छा कर सकता है कर रहा है.
3245 सच में हंसने के लिए आपको अपनी पीड़ा के साथ खेलने में सक्षम होना चाहिए।
3246 सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता।
3247 सच्चा ज्ञान केवल यह जानने में है की आप कुछ नहीं जानते है।
3248 सच्चा ज्ञान दृढ़ संकल्प है। 
3249 सच्चाई तक पहुंचने के लिए सबसे पहले उस बात पर विश्वास मत करिए, उससे मुंह फेरिए और उस पर विश्वास भी मत करिए।
3250 सच्ची  सफलता  और  आनंद  का  सबसे  बड़ा  रहस्य   यह  है वह  पुरुष  या स्त्री जो  बदले  में  कुछ  नहीं  मांगता , पूर्ण  रूप  से  निस्स्वार्थ  व्यक्ति  , सबसे  सफल  है।
3251 सच्ची आध्यात्मिकता, जिसकी शिक्षा हमारे पवित्र ग्रंथो में दी हुई है, वह शक्ति है, जो अंदर और बाहर के पारस्परिक शांतिपूर्ण संतुलन से निर्मित होती है। 
3252 सच्ची क्षमा तब है जब आप कह सके – उन सारे अनुभवों के लिए धन्यवाद।
3253 सच्ची बुद्धिमानी उसी वक्त आ सकती हैं, जब हम यह मान ले कि हम जिन्दगी खुद के बारे में और हमारे आस-पास कि दुनिया के बारें में कितना कम जानते हैं कुछ ही जानते हैं।
3254 सच्ची शिक्षा का लक्ष्य चरित्र के साथ बुद्धिमता का विकास करना है। पूरी एकाग्रता से विचार करने की क्षमता देना ही शिक्षा का कार्य है।
3255 सच्ची ख़ुशी कैंसर को हराने से या चाँद-सितारों की चढ़ाई करने से नहीं होगी, लेकिन पुरानी सभ्यता को महफूज रखने से अद्भुत ख़ुशी का अनुभव जरुरु होगा।
3256 सच्चे दोस्त से तुलना करना  मुश्किल है।
3257 सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं।
3258 सज्जन की राय का उल्लंघन न करें।
3259 सज्जन को बुरा आचरण नहीं करना चाहिए।
3260 सज्जन तिल बराबर उपकार को भी पर्वत के समान बड़ा मानकर चलता है।
3261 सज्जन थोड़े-से उपकार के बदले बड़ा उपकार करने की इच्छा से सोता भी नहीं।
3262 सज्जन दुर्जनों में विचरण नही करते।
3263 सत वाणी से स्वर्ग प्राप्त होता है।
3264 सतत प्रयास – न कि ताकत या बुद्धिमानी – ही हमारे सामर्थ्य को साकार करने की कुंजी है।
3265 सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमे अनेक फल आते हुए नजर आते है, उनका अंत ही नहीं होता।
3266 सत्य एक है, मार्ग कई।
3267 सत्य और ज्ञान की खोज में लगे रहना ही किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी विशेषता हो सकती है।
3268 सत्य और तथ्य में बहुत बड़ा अंतर है. तथ्य सत्य को छिपा सकते हैं.
3269 सत्य कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो उचित हो।
3270 सत्य का क्रियान्वन ही न्याय है।
3271 सत्य की कोई भाषा नहीं है।  भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है। लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं, आविष्कार है। सत्य को बनाना या प्रमाणित नहिं करना पड़ता, सिर्फ़ उघाड़ना पड़ता है।
3272 सत्य की खोज इसे पाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
3273 सत्य की परिभाषा क्या है ? सत्य की इतनी ही परिभाषा है की जो सदा था, जो सदा है और जो सदा रहेगा।
3274 सत्य के मार्ग पे चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है; पूरा रास्ता ना तय करना, और इसकी शुरआत ही ना करना।
3275 सत्य को जानना चाहिए पर उसको कहना कभी-कभी चाहिए।
3276 सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
3277 सत्य पर पृथ्वी टिकी है, सत्य से सूर्य तपता है, सत्य से वायु बहती है, संसार के सभी पदार्थ सत्य में निहित है।
3278 सत्य पर संसार टिका हुआ है।
3279 सत्य पर ही देवताओं का आशीर्वाद बरसता है।
3280 सत्य बताते समय बहुत ही एक्राग और नम्र होना चाहिए क्योकि सत्य के माध्यम से भगवान का अहसास किया जा सकता हैं।
3281 सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।
3282 सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए।
3283 सत्य मेरी माता है, पिता मेरा ज्ञान है, धर्म मेरा भाई है, दया मेरी मित्र है, शांति मेरी पत्नी है और क्षमा मेरा पुत्र है, ये छः मेरे बंधु-बांधव है।
3284 सत्य से बढ़कर कोई तप नहीं।
3285 सत्य से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
3286 सत्संग से स्वर्ग में रहने का सुख मिलता है।
3287 सदा सांसारिक कार्यो में व्यस्त रहने वाला, पशुओ का पालक, व्यापार तथा कृषि-कर्म से अपनी आजीविका चलाने वाला ब्राह्मण, ब्राह्मण –कुल में उत्पन्न होकर भी वैश्य कहलाता हैं।
3288 सदाचार से मनुष्य का यश और आयु दोनों बढ़ती है।
3289 सदैव आर्यों (श्रेष्ठ जन) के समान ही आचरण करना चाहिए।
3290 सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।
3291 सपने के बारे में ध्यान से सोचे।  सुबह उठ कर सबसे पहले अपने उस सपने के बारे में सोचे, जो आपने जागने से पहले देखा था उससे आपको एक अदभुद शक्ति प्राप्त होगी फिर उनकी व्याख्या करे यदि वह आपको अच्छा लगे, तब उस पर काम करना शुरू कर दे फिर आपका वह सपना हकीकत में बदलना शुरू हो जायेगा।
3292 सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हो, सपने वो है जो आपको सोने नहीं देते।
3293 सफर करने का मतलब दूसरी दुनिया के लोगो से मिलना और उनके जैसे बनना है।
3294 सफल लोग और अधिक सफल होते हैं क्योकि वो सीक्रेट ऑफ़ सक्सेस / Secrets of success जानते हैं जबकि दुसरे लोग असफल हो जाते हैं और फिर उनकी स्थिति उस मकड़ी के समान हो जाती हैं, जो एक हवा के झोकें से नीचे गिर पड़ती हैं।
3295 सफल लोग सफलता के लिए सिर्फ काम और मेहनत ही नहीं करते हैं बल्कि उनका आकलन (Work evaluation) भी करते हैं वे अपने कामों को लगातार जांचते रहते हैं दूसरों से Advice भी लेते हैं इस तरह से उनको पता रहता की आगे क्या करना हैं और कहाँ गलती हुई हैं जब तक आप अपने काम की जांच और आकलन नहीं कर लेते, आप उसे नियंत्रित नहीं कर सकते।
3296 सफल व्यक्ति वही है जो बगुले के समान अपनी सम्पूर्ण इन्द्रियों को संयम में रखकर अपना शिकार करता है। उसी के अनुसार देश, काल और अपनी सामर्थ्य को अच्छी प्रकार से समझकर सभी कार्यो को करना चाहिए। बगुले से यह एक गुण ग्रहण करना चाहिए, अर्थात एकाग्रता के साथ अपना कार्य करे तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी, अर्थात कार्य को करते वक्त अपना सारा ध्यान उसी कार्य की और लगाना चाहिए, तभी सफलता मिलेगी।
3297 सफलता  अंत  नहीं  है , असफलता  घातक  नहीं  है! लगे  रहने  का साहस  ही  मायने  रखता  है।
3298 सफलता  की  ख़ुशी  मानना  अच्छा  है  पर  उससे  ज़रूरी  है  अपनी  असफलता  से  सीख  लेना .
3299 सफलता एक ऐसी चीज हैं जिसे हर एक व्यक्ति पाना चाहता हैं, लोग कैसे एक के बाद एक सफलता हासिल करते जातें हैं? वो ऐसा क्या अलग करते हैं, क्या आपने कभी जाना, वो सब भी प्रकृति द्वारा निर्मित मनुष्य हैं आइयें जानते हैं और आप कैसे उनसे प्रेरणा ले सकते हैं?
3300 सफलता एक घटिया शिक्षक है। यह लोगों में यह सोच विकसित कर देता है कि वो असफल नहीं हो सकते।

Wednesday, July 6, 2016

#3101-3200


3101 व्यक्ति को उचित समय पर ही बोलना चाहिए। वसन्त में फैलने वाली आम्र्मंज़री के स्वाद से प्राणिमात्र को आनन्दित करने वाली कोयल की वाणी जब तक सुमधुर और कर्णप्रिय नहीं हो जाती, तब तक कोयल मौन रहकर ही अपने दिन बिताती हैं।
3102 व्यक्ति को उट-पटांग अथवा गवार वेशभूषा धारण नहीं करनी चाहिए।
3103 व्यक्ति को किसी संकट से बचने के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए धन जमा करना चाहिए, क्योंकि धन अथवा लक्ष्मी को चंचल माना गया है उसके सम्बन्ध में यह नहीं कहा जा सकता कि वह कब नष्ट हो जायेगी, परन्तु प्रारंभ की बात पर यह प्रश्न उठता हैं कि यदि आदमी विपति के लिए धन का संचय करता हैं, दुःख से बचने के लिए धन बचाता है तो उसे दुःख प्राप्त होने की संभावना ही कहां रह जाती हैं
3104 व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी स्त्री से ही सन्तोष करे, इसी प्रकार उसे अपने भोजन से भी सन्तोष करना चाहिए तथा आजीविका से प्राप्त धन में भी आदमी को सन्तोष करना चाहिए, इसके विपरीत शास्त्रों के अध्ययन, प्रभु के नाम का स्मरण और दान-कार्य में कभी सन्तोष नहीं करना चाहिए, ये तीनो अधिक से अधिक करने की इच्छा करनी चाहिए।
3105 व्यक्ति को जो करना है, वह करना ही  चाहिये चाहे इसके व्यक्तिगत नतीजे कुछ भी क्यों न हो। बाधाए हो, खतरे हों या दबाव पड़ रहा हो और यही मानवीय नैतिकता का आधार है।
3106 व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ न कुछ स्वाध्याय अवश्य करना चाहिए। आचर्य का कहना हैं की मनुष्य को चाहिए के वह प्रतिदिन शास्त्र कम-से-कम एक श्लोक पढ़े व उसका अर्थ समझे यदि उसके पास समय नहीं हैं तो पूरा श्लोक न पढ़कर आधा अथवा आधे से आधे श्लोक का ही अध्यन करके अपने दिन को सार्थक बनाये, जो व्यक्ति दिन-भर में किसी शास्त्र अथवा उत्तम पुस्तक का एक अक्षर भी नहीं पढता उस व्यक्ति को समझ लेना चाहिए कि उसके जीवन का वह दिन निरर्थक हो गया। इसके अतिरिक्त आचार्य के अनुसार दिन को सार्थक करने का दूसरा उपाय दान करना हैं।
3107 व्यक्ति को राजपुत्रो से विनयशीलता और नम्रता की, पण्डितो से बोलने के उत्तम ढंग की, जुआरियो से असत्य-भाषण के रूप-भेदों की तथा स्त्रियों से छल-कपट की शिक्षा लेनी चाहिए।
3108 व्यक्ति जब तक व्यक्तिगत चिन्ताओ के दायरे से ऊपर उठकर पूरी मानवता की वृहद चिंताओं के बारे में नहीं सोचता तब तक उसने जिंदगी जीना ही शुरू नहीं किया है।
3109 व्यक्ति दुसरो पर राज करना चाहता है वह कभी राज नहीं कर सकता। वैसे ही जैसे कोई व्यक्ति किसी को पढ़ाने का दबाव महसूस करके अच्छा शिक्षक नहीं बन सकता है।
3110 व्यक्ति संसार में अकेला ही जन्म लेता हैं तथा अकेला ही मरता हैं उसके द्वारा कमाई हुई धन-सम्पति, भाई बन्धु सब यही रह जाते हैं इस संसार में न कोई किसी के साथ आता हैं और न ही किसी के साथ जाता हैं भला-बुरा सब-कुछ व्यक्ति को अपने आप भुगतना पड़ता हैं इसमें कोई किसी का साथ नहीं देता।
3111 व्यक्ति स्वयं अच्छे बुरे काम करता हैं, इसलिए उसे अच्छे बुरे कर्म भी खुद भुगतने पड़ते हैं वह संसार के मोह-मायाजाल में स्वयं ही फँसता हैं और उससे मुक्त भी स्वयं ही होता हैं।
3112 व्यक्तिगत ख़ुशी के दिन बीत चुके हैं। 
3113 व्यक्तित्व सुनने या देखने से नहीं बनता, मेहनत और काम करने से बनता है।
3114 व्यवस्तिथ ज्ञान का अभाव साहितियक महत्वाकांक्षा को जितना निष्फल बनाता है उतनी कोई और चीज़ नहीं बनाती। 
3115 व्यवहार मीठा ना हों तो हिचकियाँ भी नहीं आती, बोल मीठे न हों तो कीमती मोबाईलो पर घन्टियां भी नहीं आती। घर बड़ा हो या छोटा, अग़र मिठास ना हो, तो ईंसान तो क्या, चींटियां भी नजदीक नहीं आती।
3116 व्यसनी व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता। 
3117 व्यसनी व्यक्ति लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही रुक जाता है।
3118 व्यस्त होने का मतलब हमेशा हकीकत में काम होना नहीं है। सभी काम का एक ही मकसद होता हैं उत्पादन या उपलब्धि, और यह परिणाम प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में पूर्वविवेक, सिद्धि और व्यवस्था, योजना, बुद्धि, और ईमानदार उद्देश्य, होना चाहिए। केवल प्रतीत होने के लिए कार्य करना कार्य नहीं कहलाता हैं।
3119 व्यस्त ज़िन्दगी प्रार्थना को कठिन बनाती है, मगर प्रार्थना कठिन ज़िन्दगी को आसान बनाती है
3120 व्याकुलता असंतोष है और असंतोष प्रगति की पहली आवश्यकता है। आप मुझे कोई पूर्ण रूप से संतुष्ट व्यक्ति दिखाइए और मैं उस व्यक्ति में आपको एक असफल व्यक्ति दिखा दूंगा।
3121 व्यापार का व्यापार सम्बन्ध हैं ; जीवन का  व्यपार मानवीय लगाव है.
3122 व्यापार, कुछ नियमो आर बहुत सारे जोखिम के साथ एक पैसों का खेल (मनी गेम) है।
3123 शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है। शक लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़तम करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है। यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है।
3124 शक्ति  जीवन  है , निर्बलता  मृत्यु  है . विस्तार  जीवन  है , संकुचन  मृत्यु  है . प्रेम  जीवन  है  , द्वेष  मृत्यु  है।
3125 शक्ति बचाव में नहीं आक्रमण में निहित है। 
3126 शक्ति या बुद्धिमता से नही, सतत प्रयासों से ही हमारी क्षमताए सामने आती है।
3127 शक्तिशाली राजा लाभ को प्राप्त करने का प्रयत्न करता है।
3128 शक्तिशाली शत्रु को कमजोर समझकर ही उस पर आक्रमण करे। 
3129 शक्तिहीन को बलवान का आश्रय लेना चाहिए।
3130 शक्तिहीन पुरुष प्रायः ब्रह्मचारी बन जाता हैं और निर्धन और आजीविका कमाने में अयोग्य व्यक्ति साधू बन जाता हैं। उसी प्रकार असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति देवों का भक्त बन जाता हैं और बूढी स्त्री पतिव्रता बन जाती हैं।
3131 शक्तिहीन मनुष्य साधु होता है, धनहीन व्यक्ति ब्रह्मचारी होता है,रोगी व्यक्ति देवभक्त और बूढ़ी स्त्री पतिव्रता होती है।
3132 शत्रु  के प्रयत्नों की समीक्षा करते रहना चाहिए।
3133 शत्रु का पुत्र यदि मित्र है तो उसकी रक्षा करनी चाहिए।
3134 शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।
3135 शत्रु की निंदा सभा के मध्य नहीं करनी चाहिए।
3136 शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए।
3137 शत्रु के साथ आपको शांति अगर चाहिए, तो आपको अपने शत्रु के साथ काम करना होगा। फिर वह आपका साथी बन जाएगा।
3138 शत्रु दण्डनीति के ही योग्य है।  
3139 शत्रु द्वारा किया गया स्नेहिल व्यवहार भी दोषयुक्त समझना चाहिए।
3140 शत्रु भी उत्साही व्यक्ति के वश में हो जाता है।
3141 शत्रुओ से द्वेष बनाये रखने से प्राणों के साथ धन का भी नाश होता हैं, राजा तथा राजपरिवार से शत्रुता करने से सर्वस्व अथार्थ धन-सम्मान तथा प्राण का नाश होता हैं। और ब्राह्मणों से द्वेष करने से प्राण, धन-सम्मान के साथ पूरे वंश का नाश हो जाता हैं।
3142 शत्रुओं को मित्र बना कर क्या मैं उन्हें नष्ट नहीं कर रहा ?
3143 शत्रुओं से अपने राज्य की पूर्ण रक्षा करें।
3144 शब्द अज्ञात क्षेत्रों में पुल का निर्माण करते हैं। 
3145 शब्द मौन से ज्यादा कीमती हों नहीं तो चुप रहना ही बेहतर।
3146 शब्दों की बजाय मन को पढ़ने की कोशिश कीजिए, क्योंकि कलम दिल की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता।
3147 शराबी व्यक्ति का कोई कार्य पूरा नहीं होता है।
3148 शरीर अपनी असंख्य कोशिकाओं या निवासियों से बना एक समुदाय है।
3149 शरीर का सबसे मुख्य कार्य मस्तिष्क को इधर-उधर ले जाना है।
3150 शरीर की बजाए अपनी आत्मा को मजबूत बनाइए।
3151 शरीर के लिए सबसे अच्छा इलाज़ एक शांत मन है। 
3152 शरीर को पहुचने वाले कष्ट को ही सबसे बड़ा दर्द माना जाता है।
3153 शरीर में  तेल लगाने पर, चिता का धुआं लगने पर, स्त्री संभोग करने पर, बाल कटवाने पर, मनुष्य तब तक चांडाल, अर्थात अशुद्ध ही रहता है, जब तक वह स्नान नहीं कर लेता।
3154 शर्म की अमीरी से इज्जत की गरीबी अच्छी है।
3155 शांत चित्त वाले संतोषी व्यक्ति को संतोष रुपी अमृत से जो सुख प्राप्त होता है, वह इधर-उधर भटकने वाले धन लोभियों को नहीं होता।
3156 शांत व्यक्ति सबको अपना बना लेता है।
3157 शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है।
3158 शांति का कोई रास्ता नहीं है, केवल शांति है।
3159 शांति की शुरुआत मुस्कराहट से होती है।
3160 शांति के बराबर दूसरा तप नहीं है, संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है, लालच से बड़ा कोई रोग नहीं है और दया से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
3161 शांति जोर डालकर प्राप्त नहीं की जा सकती, सिर्फ समझकर प्राप्त की जा सकती है।     
3162 शांति मन के अन्दर से आती है, इसके बिना इसकी तलाश मत करो।
3163 शांति शक्ति के द्वारा नहीं रखी जा सकती है। यह केवल समझ से प्राप्त की जा सकती है।
3164 शांतिपूर्ण देश में ही रहें।
3165 शादी ना तो स्वर्ग है ना नर्क है यह तो केवल यातना है।
3166 शादी या ब्रह्मचर्य, आदमी चाहे जो भी रास्ता चुन ले, उसे बाद में पछताना ही पड़ता है।
3167 शान्ति अथार्थ आवेग-उद्वेग पर काबू पाने के समान दूसरा कोई उत्कष्ट तप नहीं, सन्तोष अथार्थ सहज में प्राप्त वस्तु से प्रसन्नता जैसा कोई दूसरा सुख नहीं, तृष्णा अथार्थ अधिक से अधिक पाने से चाह जैसा दूसरा कोई घटिया और दुःख देने वाला रोग नहीं तथा दया अथार्थ दूसरों के दुःख से द्रवित होने जैसा कोई बढ़िया दूसरा कोई धर्मं नहीं।
3168 शायद ही कोई व्यक्ति एक साथ दो कलाओं या व्य्वसाओं को करने की क़ाबिलियत रखता हो।
3169 शारीरिक , बौद्धिक  और  आध्यात्मिक  रूप  से  जो  कुछ  भी आपको कमजोर बनाता  है - , उसे  ज़हर की तरह  त्याग  दो।
3170 शारीरिक उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न हो तो वह दम्भपूर्ण और हानिकारक हो सकता है।
3171 शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।
3172 शास्त्र का ज्ञान आलसी को नहीं हो सकता।
3173 शास्त्र शिष्टाचार से बड़ा नहीं है।
3174 शास्त्रों का अंत नहीं है, विद्याएं बहुत है, जीवन छोटा है, विघ्न-बाधाएं अनेक है। अतः जो सार तत्व है, उसे ग्रहण करना चाहिए, जैसे हंस जल के बीच से दूध को पी लेता है।
3175 शास्त्रों के ज्ञान से इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है। 
3176 शास्त्रों के न जानने पर श्रेष्ठ पुरुषों के आचरणों के अनुसार आचरण करें।
3177 शिकारपरस्त राजा धर्म और अर्थ दोनों को नष्ट कर लेता है।
3178 शिक्षा एक लौ जलाने के समान है नाकि एक बहुत बड़ा बरतन भरने के समान।
3179 शिक्षा ऐसी चीज़ है जो कभी खत्म नहीं होती है। यह बढ़ती जाती है।
3180 शिक्षा तेज़ धार वाले हथियार की तरह है। इसका नतीजा क्या होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि किसने इसे अपने हाथ में पकड़ा है और निशाना किस पर है।
3181 शिक्षा बहुत ही आवश्यक चीज हैं अगर यह आवश्यक नहीं होती तो मैं मेरे बेटो को शिक्षा नहीं दिलवाता मुझे कठिन मार्ग पता हैं, लेकिन शिक्षित व्यक्ति उसी काम को जल्दी और अच्छा कर सकता हैं बिना कठिनाई के।
3182 शिक्षा बुढ़ापे के लिए सबसे अच्छा प्रावधान है।
3183 शिक्षा भीतर से आती है, आप इसे संघर्ष, प्रयास और विचारों से पाते हैं।
3184 शिक्षा वो है जो आपको तब भी याद रहे जब आप सब कुछ भूल गए हो जो आपको याद था।
3185 शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है.एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.
3186 शिक्षा सबसे मत्वपूर्ण हथियार है।  क्योंकि इसी से ही दुनिया बदली जा सकती है।
3187 शिक्षाविद को छात्रों में रचनात्मकता, जानने की भावना और नैतिक नेतृत्व की क्षमता का निर्माण कर उनका आदर्श बन जाना चाहिए।
3188 शिक्षित और अशिक्षित में उतना ही फर्क है जितना की ज़िन्दगी और मौत में।
3189 शिक्षित मन की यह पहचान है की वो किसी भी विचार को स्वीकार किए बिना उसके साथ सहज रहे।    
3190 शिखर पर पहुँचने के लिए सामर्थ्य चाहिए।  फिर वो चाहे माउंट एवेरेस्ट का शिखर हो या आपके केरियर का।
3191 शिष्य को गुरु के वश में होकर कार्य करना चाहिए।
3192 शीशा मेरा सबसे अच्छा मित्र है क्योंकि जब मै रोता हूं तो वह कभी नहीं हँसता।
3193 शुक्रगुजार हूँ उन तमाम लोगो का जिन्होने बुरे वक्त मे मेरा साथ छोङ दिया क्योकि उन्हे भरोसा था कि मै मुसीबतो से अकेले ही निपट सकता हूँ।
3194 शुद्ध किया हुआ नीम भी आम नहीं बन सकता।
3195 शुद्ध ज्ञान और शुद्ध प्रेम एक ही चीज हैं। ज्ञान और प्रेम से जिस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता हैं वो एक ही हैं और इसमें भी प्रेम वाला रास्ता ज्यादा आसान है।
3196 शुभ एवं स्वस्थ विचारो वाला ही सम्पूर्ण स्वस्थ प्राणी है।
3197 शून्य ह्रदय पर कोई उपदेश लागू नहीं होता। जैसे मलयाचल के सम्बन्ध से बांस चंदन का वृक्ष नहीं बनता।
3198 शेर और बगुले से एक-एक, गधे से तीन, मुर्गे से चार, कौए से पांच और कुत्ते से छः गुण (मनुष्य को) सीखने चाहिए।
3199 शेर दिन में 20 घन्टे सोता है अगर मेहनत सफलता की कुंजी होती तो गधे जंगल के राजा होते।
3200 शेर द्वारा संचालित भेड़ों की सेना, भेड़ द्वारा संचालित शेरो की सेना से हमेशा जीतेगी।