Thursday, July 7, 2016

#3201-3300


3201 शेर से यह बढ़िया बात सीखे कि कार्य छोटा हो या बड़ा उसे पूरा करने के लिए पूरा सामर्थ्य लगा देना चाहिए किसी भी कार्य को महत्वहीन समझना और उसकी उपेक्षा करना अच्छी बात नहीं।
3202 शौक और दुःख देने वाले बहुत से पुत्रों को पैदा करने से क्या लाभ है ? कुल को आश्रय देने वाला तो एक पुत्र ही सबसे अच्छा होता है।
3203 श्रदावान और जितेन्द्र्य व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता हैं, ज्ञान प्राप्त करने पर शीघ्र परम शान्ति मिलती हैं।
3204 श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास।
3205 श्रेष्ठ और सुहृदय जन अपने आश्रित के दुःख को अपना ही दुःख समझते है। 
3206 श्रेष्ठ व्यक्ति अपने समान ही दूसरों को मानता है।
3207 श्रेष्ठ स्त्री के लिए पति ही परमेश्वर है।
3208 संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है.
3209 संकट में बुद्धि ही काम आती है।  
3210 संकोच युवाओं के लिए एक आभूषण है, लेकिन बड़ी उम्र के लोगों के लिए धिक्कार।  
3211 संगठित होने पर क्षुद्र प्राणियों का एक छोटा समूह भी बड़े-बड़े शत्रुओ को पराजीत कर देता हैं। इसके विपरीत बलशाली होने पर भी अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता।
3212 संतान को जन्म देने वाली स्त्री पत्नी कहलाती है।
3213 संतुष्टि प्रकर्ति की दौलत हैं और वैभव इंसान के द्वारा बनायीं हुई गरीबी वे ही धनवान हैं जो कम में संतुष्टि करना जानते हैं।
3214 संधि और एकता होने पर भी सतर्क रहे।
3215 संधि करने वालो में तेज़ ही संधि का हेतु होता है।
3216 संपन्न और दयालु स्वामी की ही नौकरी करनी चाहिए।
3217 संभव की सीमा जानने केवल एक ही तरीका है असम्भव से आगे निकल जाना।
3218 संयोग भगवान का बचा हुआ गोपनीय रास्ता है। 
3219 संयोग से तो एक कीड़ा भी स्तिथि में परिवर्तन कर देता है।
3220 संविधान छोटा और अस्पष्ट होना चाहिए। 
3221 संसार का विरोध करके कोई इससे मुक्त नहीं हुआ। बोध से ही इससे ज्ञानीजनों ने पार पाया है। संसार को छोड़ना नहीं, बस समझना है। परमात्मा ने पेड़-पौधे, फल-फूल, नदी, वन, पर्वत, झरने और ना जाने क्या- क्या हमारे लिए नहीं बनाया ? हमारे सुख के लिए, हमारे आनंद के लिए ही तो सबकी रचना की है। 
3222 संसार की निंदा करने वाला अप्रत्यक्ष में भगवान् की ही निंदा कर रहा है। किसी चित्र की निंदा चित्र की नहीं अपितु चित्रकार की ही निंदा तो मानी जाएगी। हर चीज भगवान् की है, कब, कैसे, कहाँ, क्यों और किस निमित्त उसका उपयोग करना है यह समझ में आ जाये तो जीवन को महोत्सव बनने में देर ना लगेगी।
3223 संसार की प्रत्येक वास्तु नाशवान है।
3224 संसार के उद्धार के लिए जिन लोगो ने विधिपूर्वक परमेश्वर का ध्यान नहीं किया, स्वर्ग में समर्थ धर्म का उपार्जन नहीं किया, स्वप्न में भी सुन्दर युवती के कठोर स्तनों और जंघाओं के आलिंगन का भोग नहीं किया, ऐसे व्यक्ति का जन्म माता के यौवन रूपी वन को काटने वाली कुल्हाड़ी के समान है।
3225 संसार के चारो कोनो में यात्रा कीजियें, लेकिन फिर भी आपको कहीं भी कुछ भी नहीं मिलेगा। जो आप प्राप्त करना चाहते हैं वह तो यही आपके अन्दर विराजमान हैं।
3226 संसार के विषयों पर ज्ञान, सामान्य रूप से मनुष्य को जिद्दी बना देता हैं, ज्ञान का अभिमान एक बंधन हैं।
3227 संसार को चलाने के लिए पहले हमें स्वयं को चलना होगा।
3228 संसार में अत्यंत सरल और सीधा होना भी ठीक नहीं है। वन में जाकर देखो की सीधे वृक्ष ही काटे जाते है और टेढ़े-मेढे वृक्ष यों ही छोड़ दिए जाते है।
3229 संसार में आजतक कोई भी व्यक्ति धन, जीवन, स्त्रियों तथा खाने-पीने के उत्तम पदार्थों से न तो तृप्त हुआ हैं। और न ही होगा और न हो रहा हैं भूतकाल में इन विषयों में सभी प्राणी अतृप्त होकर ही गए हैं। और वर्तमान में भी अतृप्त ही दिखाई देते हैं तथा भविष्य में भी यहीं स्थिति बनी रहेगी।
3230 संसार में ऐसा कौन व्यक्ति है जिसके वंश में कोई न कोई दोष, या अवगुण न हो, कहीं न कहीं कोई दोष निकल ही आता हैं। संसार में कोई ऐसा प्राणी भी नहीं है जो कभी न कभी, किसी न किसी रोग से पीड़ित न हुआ हो, अथार्त रोग कभी न कभी सभी मनुष्यों को घेर ही लेता हैं। संसार में ऐसा कौन व्यक्ति हैं जिसे कोई न कोई व्यसन न हो अथार्त जब वह संकट में न पड़ा हो संसार में किसी को लगातार सुख भी नहीं मिलता, कभी न कभी कोई संकट अथवा कष्ट आ ही जाता हैं।
3231 संसार में ऐसे अपराध कम ही है जिन्हे हम चाहे और क्षमा न कर सके। 
3232 संसार में कुछ दुःख ऐसे हैं जिन्हें मुनष्य अपने जीवन में सरलतापूर्वक न भुला पता हैं और न उन्हें सहन कर सकता हैं ये दुःख हैं – अपनी पत्नी से अलग होना, अपने परिवार वालें और सम्बन्धियों से अपमानित होना, क़र्ज़ का न चूका पाना, दुष्ट स्वामी की नौकरी करना तथा दरिद्र बन कर मूर्खो के समाज में रहना।
3233 संसार में केवल दो तत्व हैं- एक सौंदर्य और दूसरा सत्य। सौंदर्य प्रेम करने वालों के हृदय में है और सत्य किसान की भुजाओं में।
3234 संसार में जिसके पास धन है, उसी के सब मित्र होते है, उसी के सब बंधु-बांधव होते है, वहीं श्रेष्ठ पुरुष गिना जाता है और वही ठाठ-बाट से जीता है।
3235 संसार में निर्धन व्यक्ति का आना उसे दुखी करता है।
3236 संसार में प्रत्येक कार्य, प्रत्येक गुण, प्रत्येक बात की एक सीमा होती हैं प्रत्येक अच्छी-बुरी वस्तु अपनी सीमा में ही शोभा देती हैं जहां सीमा का अतिक्रमण होता हैं वहा अति करने वाले को दुर्गति का शिकार होता पड़ता हैं इसीलिए आचार्य ने कहा हैं कि अति का तो सभी जगह से परित्याग कर देना चाहिए।
3237 संसार में मानव के लिए क्षमा एक अलंकार है। 
3238 संसार में लोग जान-बूझकर अपराध की ओर प्रवर्त्त होते हैं।
3239 संसार में विद्वान की ही प्रशंसा होती है, विद्वान व्यक्ति ही सभी जगह पूजे जाते है। विद्या से ही सब कुछ मिलता है, विद्या की सब जगह पूजा होती है।
3240 संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है.
3241 सकारात्मक सोच (पॉजिटिव थिंकिंग) के साथ सकारात्मक किर्या (पॉजिटिव एक्शन) का परिणाम सफलता है।
3242 सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति को वहां भी रोशनी दिखाई देती है जहां रोशनी का का कोई स्त्रोत नहीं होता है। लेकिन जाने क्यों एक नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा उस रोशनी को रोकने के लिए भागता है।
3243 सच और समय का गहरा नाता है।  दोनों बातों को अपने जीवन में उतारने को लेकर कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
3244 सच कहूँ तो मैं कभी  आइकन  ,  सुपरस्टार , इत्यदि विश्लेषणों के चक्कर में नहीं पड़ा. मैं हमेशा खुद को एक अभिनेता के रूप में देखता हूँ जो अपनी काबीलियत के अनुसार जितना अच्छा कर सकता है कर रहा है.
3245 सच में हंसने के लिए आपको अपनी पीड़ा के साथ खेलने में सक्षम होना चाहिए।
3246 सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता।
3247 सच्चा ज्ञान केवल यह जानने में है की आप कुछ नहीं जानते है।
3248 सच्चा ज्ञान दृढ़ संकल्प है। 
3249 सच्चाई तक पहुंचने के लिए सबसे पहले उस बात पर विश्वास मत करिए, उससे मुंह फेरिए और उस पर विश्वास भी मत करिए।
3250 सच्ची  सफलता  और  आनंद  का  सबसे  बड़ा  रहस्य   यह  है वह  पुरुष  या स्त्री जो  बदले  में  कुछ  नहीं  मांगता , पूर्ण  रूप  से  निस्स्वार्थ  व्यक्ति  , सबसे  सफल  है।
3251 सच्ची आध्यात्मिकता, जिसकी शिक्षा हमारे पवित्र ग्रंथो में दी हुई है, वह शक्ति है, जो अंदर और बाहर के पारस्परिक शांतिपूर्ण संतुलन से निर्मित होती है। 
3252 सच्ची क्षमा तब है जब आप कह सके – उन सारे अनुभवों के लिए धन्यवाद।
3253 सच्ची बुद्धिमानी उसी वक्त आ सकती हैं, जब हम यह मान ले कि हम जिन्दगी खुद के बारे में और हमारे आस-पास कि दुनिया के बारें में कितना कम जानते हैं कुछ ही जानते हैं।
3254 सच्ची शिक्षा का लक्ष्य चरित्र के साथ बुद्धिमता का विकास करना है। पूरी एकाग्रता से विचार करने की क्षमता देना ही शिक्षा का कार्य है।
3255 सच्ची ख़ुशी कैंसर को हराने से या चाँद-सितारों की चढ़ाई करने से नहीं होगी, लेकिन पुरानी सभ्यता को महफूज रखने से अद्भुत ख़ुशी का अनुभव जरुरु होगा।
3256 सच्चे दोस्त से तुलना करना  मुश्किल है।
3257 सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं।
3258 सज्जन की राय का उल्लंघन न करें।
3259 सज्जन को बुरा आचरण नहीं करना चाहिए।
3260 सज्जन तिल बराबर उपकार को भी पर्वत के समान बड़ा मानकर चलता है।
3261 सज्जन थोड़े-से उपकार के बदले बड़ा उपकार करने की इच्छा से सोता भी नहीं।
3262 सज्जन दुर्जनों में विचरण नही करते।
3263 सत वाणी से स्वर्ग प्राप्त होता है।
3264 सतत प्रयास – न कि ताकत या बुद्धिमानी – ही हमारे सामर्थ्य को साकार करने की कुंजी है।
3265 सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमे अनेक फल आते हुए नजर आते है, उनका अंत ही नहीं होता।
3266 सत्य एक है, मार्ग कई।
3267 सत्य और ज्ञान की खोज में लगे रहना ही किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी विशेषता हो सकती है।
3268 सत्य और तथ्य में बहुत बड़ा अंतर है. तथ्य सत्य को छिपा सकते हैं.
3269 सत्य कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचाता जो उचित हो।
3270 सत्य का क्रियान्वन ही न्याय है।
3271 सत्य की कोई भाषा नहीं है।  भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है। लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं, आविष्कार है। सत्य को बनाना या प्रमाणित नहिं करना पड़ता, सिर्फ़ उघाड़ना पड़ता है।
3272 सत्य की खोज इसे पाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
3273 सत्य की परिभाषा क्या है ? सत्य की इतनी ही परिभाषा है की जो सदा था, जो सदा है और जो सदा रहेगा।
3274 सत्य के मार्ग पे चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है; पूरा रास्ता ना तय करना, और इसकी शुरआत ही ना करना।
3275 सत्य को जानना चाहिए पर उसको कहना कभी-कभी चाहिए।
3276 सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
3277 सत्य पर पृथ्वी टिकी है, सत्य से सूर्य तपता है, सत्य से वायु बहती है, संसार के सभी पदार्थ सत्य में निहित है।
3278 सत्य पर संसार टिका हुआ है।
3279 सत्य पर ही देवताओं का आशीर्वाद बरसता है।
3280 सत्य बताते समय बहुत ही एक्राग और नम्र होना चाहिए क्योकि सत्य के माध्यम से भगवान का अहसास किया जा सकता हैं।
3281 सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।
3282 सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए।
3283 सत्य मेरी माता है, पिता मेरा ज्ञान है, धर्म मेरा भाई है, दया मेरी मित्र है, शांति मेरी पत्नी है और क्षमा मेरा पुत्र है, ये छः मेरे बंधु-बांधव है।
3284 सत्य से बढ़कर कोई तप नहीं।
3285 सत्य से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
3286 सत्संग से स्वर्ग में रहने का सुख मिलता है।
3287 सदा सांसारिक कार्यो में व्यस्त रहने वाला, पशुओ का पालक, व्यापार तथा कृषि-कर्म से अपनी आजीविका चलाने वाला ब्राह्मण, ब्राह्मण –कुल में उत्पन्न होकर भी वैश्य कहलाता हैं।
3288 सदाचार से मनुष्य का यश और आयु दोनों बढ़ती है।
3289 सदैव आर्यों (श्रेष्ठ जन) के समान ही आचरण करना चाहिए।
3290 सपना वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।
3291 सपने के बारे में ध्यान से सोचे।  सुबह उठ कर सबसे पहले अपने उस सपने के बारे में सोचे, जो आपने जागने से पहले देखा था उससे आपको एक अदभुद शक्ति प्राप्त होगी फिर उनकी व्याख्या करे यदि वह आपको अच्छा लगे, तब उस पर काम करना शुरू कर दे फिर आपका वह सपना हकीकत में बदलना शुरू हो जायेगा।
3292 सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हो, सपने वो है जो आपको सोने नहीं देते।
3293 सफर करने का मतलब दूसरी दुनिया के लोगो से मिलना और उनके जैसे बनना है।
3294 सफल लोग और अधिक सफल होते हैं क्योकि वो सीक्रेट ऑफ़ सक्सेस / Secrets of success जानते हैं जबकि दुसरे लोग असफल हो जाते हैं और फिर उनकी स्थिति उस मकड़ी के समान हो जाती हैं, जो एक हवा के झोकें से नीचे गिर पड़ती हैं।
3295 सफल लोग सफलता के लिए सिर्फ काम और मेहनत ही नहीं करते हैं बल्कि उनका आकलन (Work evaluation) भी करते हैं वे अपने कामों को लगातार जांचते रहते हैं दूसरों से Advice भी लेते हैं इस तरह से उनको पता रहता की आगे क्या करना हैं और कहाँ गलती हुई हैं जब तक आप अपने काम की जांच और आकलन नहीं कर लेते, आप उसे नियंत्रित नहीं कर सकते।
3296 सफल व्यक्ति वही है जो बगुले के समान अपनी सम्पूर्ण इन्द्रियों को संयम में रखकर अपना शिकार करता है। उसी के अनुसार देश, काल और अपनी सामर्थ्य को अच्छी प्रकार से समझकर सभी कार्यो को करना चाहिए। बगुले से यह एक गुण ग्रहण करना चाहिए, अर्थात एकाग्रता के साथ अपना कार्य करे तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी, अर्थात कार्य को करते वक्त अपना सारा ध्यान उसी कार्य की और लगाना चाहिए, तभी सफलता मिलेगी।
3297 सफलता  अंत  नहीं  है , असफलता  घातक  नहीं  है! लगे  रहने  का साहस  ही  मायने  रखता  है।
3298 सफलता  की  ख़ुशी  मानना  अच्छा  है  पर  उससे  ज़रूरी  है  अपनी  असफलता  से  सीख  लेना .
3299 सफलता एक ऐसी चीज हैं जिसे हर एक व्यक्ति पाना चाहता हैं, लोग कैसे एक के बाद एक सफलता हासिल करते जातें हैं? वो ऐसा क्या अलग करते हैं, क्या आपने कभी जाना, वो सब भी प्रकृति द्वारा निर्मित मनुष्य हैं आइयें जानते हैं और आप कैसे उनसे प्रेरणा ले सकते हैं?
3300 सफलता एक घटिया शिक्षक है। यह लोगों में यह सोच विकसित कर देता है कि वो असफल नहीं हो सकते।

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