Friday, July 8, 2016

#3301- 3400


3301 सफलता की कहानियां मत पढ़ो, उससे आपको केवल एक सन्देश मिलेगा। असफलता की कहानियां पढ़ो, उससे आपको सफल होने के कुछ ideas (विचार) मिलेंगे।
3302 सफलता की खुशियां मनाना ठीक है लेकिन असफलताओं से सबक सीखना अधिक महत्वपूर्ण है।
3303 सफलता की सीढ़ियों में शिखर पर कभी भी भीड़ नहीं होती।   
3304 सफलता क्या हैं? यह हर किसी व्यक्ति के लिए अलग-अलग परिभाषित हैं। किसी के लिए पैसा कमाना, किसी के लिए यश कमाना, किसी के लिए ज्ञान अर्जित करना और किसी के लिए सांसारिक त्याग #अपनी इच्छाओं का त्याग)।
3305 सफलता हासिल करने के लिए ज्यादातर लोगो को कठिन से कठिन परिश्रम करना पड़ता है।
3306 सब जानते है की दूसरा व्यक्ति क्या सोचता है। जो वे करते है उसी तरफ ध्यान दे। जो वे कहते है उस ओर ज्यादा ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है।
3307 सबका चहेता बनने की कोशिश करे।
3308 सबके प्रति दयावान रहो, क्योंकि जिससे भी तुम मिलते हो वह जीवन की एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है। 
3309 सबको प्यार करके ही हम भगवान के पास पहुंच पाएंगे इसके अतिरिक्त किसी अन्य मार्ग से वहां पंहुचा जा सकता हैं या नहीं, यह मुझे नहीं मालूम
3310 सबसे  बड़ा  धर्म  है  अपने  स्वभाव  के  प्रति  सच्चे  होना। स्वयं  पर  विश्वास  करो।
3311 सबसे अच्छा वक्त, सबसे जल्दी गुजर जाता है।
3312 सबसे अच्छी सोच एकांत में की गयी होती है और सबसे बेकार उथल-पुथल के माहौल में।
3313 सबसे आसान और विनर्म तरीका यह है की आप दुसरो को कुचले नहीं बल्कि खुद में सुधार करे।
3314 सबसे खतरनाक फल उस नफरत से पैदा होता है जो टूटी हुई दोस्ती पर उगता है।
3315 सबसे गर्मजोशी वाले प्यार का सबसे ठंडा अंत होता है।
3316 सबसे ज्यादा खूबसूरती, सर्वाधिक स्पष्टता में ही निहित होती है।
3317 सबसे ज्यादा भयंकर बात क्या है? वे यह है की एक दिन आप उठते है और देखते है की दसवी की कक्षा के छात्र देश चला रहे है।
3318 सबसे दुखद चीज जिसकी मैं कल्पना कर सकत हूँ वो है विलासिता का आदी होना।
3319 सबसे बड़ा धन काम में संतोषपूर्वक जीना है।
3320 सबसे बड़ा रोग किसी के लिए भी कुछ न होना है।
3321 सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है , बल्कि अवांछित होना ही सबसे बड़ी बीमारी है।
3322 सबसे बड़ी त्रासदी बुरे व्यक्तियों का अत्याचार और दमन नहीं बल्कि इस पर अच्छे लोगो का मौन रहना है।
3323 सबसे महत्वपूर्ण बात इतिहास रचना है, न की इतिहास लिखना।
3324 सभा के मध्य जो दूसरों के व्यक्तिगत दोष दिखाता है, वह स्वयं अपने दोष दिखाता है।
3325 सभा के मध्य शत्रु पर क्रोध न करें।
3326 सभी  के  दिन  आते  हैं  और  कुछ  दिन  औरों  से  ज्यादा  लम्बे  होते  हैं।
3327 सभी आदमियों की प्रकृति ज्ञान चाहने वाली होती है।
3328 सभी औषधियों में अमृत प्रधान है, सभी सुखो में भोजन प्रधान है, सभी इन्द्रियों में नेत्र प्रधान है सारे शरीर में सिर श्रेष्ठ है।
3329 सभी औषधियों में अमृत प्रधान हैं, क्योकि इसमें सभी रोगों के समन करने की अदभुत क्षमता होती हैं सभी प्रकार के सुखो में भोजन प्रधान हैं क्योकि भूख की निवृति के बिना मनुष्य को शान्ति प्राप्त हो ही नहीं पाती, सभी इन्द्रियों- आँख, कान, नाक, जिव्ह्या आदि में नेत्र प्रधान हैं क्योकि द्रष्टि के बिना तो सर्वत्र अंधकार ही अंधकार हैं तथा शरीर के सभी अंगो में सर अथार्थ चिंतनशक्ति –अंग ही प्रधान अथार्थ सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं।
3330 सभी के साथ विनम्र रहे, पर कुछ ही के साथ अन्तरंग हों, और इन कुछ को अपना विश्वास देने से पहले अच्छी तरह परख लें.
3331 सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
3332 सभी प्रकार की सम्पति का सभी उपायों से संग्रह करना चाहिए।
3333 सभी प्रचार लोकप्रिय होने चाहिए और इन्हें  जिन तक पहुचाना है उनमे से सबसे कम बुद्धिमान व्यक्ति के भी समझ में आने चाहियें .
3334 सभी प्रमुख धार्मिक परम्पराएं मूल रूप से एक ही संदेश देती हैं – प्रेम , दया,और  क्षमा , महत्वपूर्ण बात यह है कि ये  हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होनी चाहियें।
3335 सभी बुरे कार्य  मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
3336 सभी भुगतान युक्त नौकरियां दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती हैं।   
3337 सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
3338 सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं।  वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं , जो कि विनाश की देवी या  लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं .
3339 सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं। वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं, जो कि विनाश की देवी या  लोगों के बीच बोले गए शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं।        
3340 सभी मार्गों से मंत्रणा की रक्षा करनी चाहिए।
3341 सभी लोग ख़ुशी-ख़ुशी एक दूसरे के साथ कैसे रह सकते है ? ऐसा मुमकिन है ,अगर सभी को मालूम हो की सब लोग एक ही ईश्वर को प्रेम करते है।  उससे जुड़े है।
3342 सभी लोगों के समान योग्यता नहीं होती, लेकिन सभी लोगों को अपनी योग्यता को विकसित करने के लिए समान अवसर अवश्य मिलता है।
3343 सभी लोगों में सही का अनुसरण करने का साहस होना चाहिए न की जो स्थापित है उसका।
3344 सभी व्यक्ति प्राकृतिक रूप से सामान हैं, एक ही मिटटी से एक ही कर्मकार द्वारा बनाये गए;और भले ही हम खुद को कितना भी धोखें में रख लें पर भगवान को  जितना प्रिय एक शसक्त राजकुमार है उतना ही एक गरीब किसान।
3345 सभी व्यक्तियों का आभूषण धर्म है।
3346 सभी शरीर नाशवान है, सभी धन-संपत्तियां चलायमान है और मृत्यु के निकट है। ऐसे में मनुष्य को सदैव धर्म का संचय करना चाहिए। इस प्रकार यह संसार नश्वर है। केवल सद्कर्म ही नित्य और स्थाई है। हमें इन्हीं को अपने जीवन का अंग बनाना चाहिए।
3347 सभी ख़ुशी के पीछे भागते है, जबकि वे नहीं जानते की ख़ुशी उनके क़दमों के नीचे है।
3348 समझदार व्यक्ति इसीलिए बोलता है क्योंकि उसके पास बोलने के लिए या दुसरो से बांटने के लिए कई अच्छी बाते होती है, लेकिन एक बेवकूफ व्यक्ति इसीलिए बोलता है क्योंकि उसे कुछ न कुछ बोलना होता है।
3349 समझने का अर्थ है क्षमा कर देना, खुद को भी। 
3350 समय का ज्ञान न रखने वाले राजा का कर्म समय के द्वारा ही नष्ट हो जाता है।
3351 समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता।
3352 समय के साथ अच्छे लोगो के साथ की गई दोस्ती गहरी होन लगती हैं।  ठीक वैसे ही जैसे उम्र के साथ अच्छी किताब और ज्यादा पसंद आने लगती हैं।
3353 समय के साथ किसी भी चीज को जोड़ा जा सकता हैं तो वे सच ही हो सकता हैं।
3354 समय को समझने वाला कार्य सिद्ध करता है।
3355 समय परिवर्तन का धन है, परन्तु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में दिखाती है, धन के रूप में नहीं। 
3356 समय सीमा पर काम ख़तम कर लेना काफी नहीं है ,मैं समय सीमा से पहले काम ख़तम होने की अपेक्षा करता हूँ।
3357 समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की मुश्किलों को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मों को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं।
3358 समर्थ एवं शक्तिशाली पुरुषों के लिए कुछ भी कर सकना कठिन नहीं वो जो सोचते हैं उसे कर गुजरते हैं, व्यवसायी लोगो के लिए दूरी कोई अर्थ नहीं रखती, इसी प्रकार प्रिय और मधुर बोलने वाले का कभी कोई शत्रु नहीं होता।
3359 समर्थ को भार कैसा ? व्यवसायी के लिए कोई स्थान दूर क्या ? विद्वान के लिए विदेश कैसा? मधुर वचन बोलने वाले का शत्रु कौन ?
3360 समर्थ व्यक्ति को कोई दोष देना कठिन हैं। जो बात सामर्थ्यवान के लिए सिद्धदायक हो सकती हैं, वही सामान्य व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकती हैं। देखिये अमृत पीना तो अच्छा है लेकिन राहू की मौत अमृत पीने से ही हुई। विष पीना नुकसानदायी है लेकिन भगवान् शंकर ने जब प्राणघातक विष पिया तो वह भी उनके गले का आभूषण बन गया।
3361 समर्थ व्यक्ति द्वारा किया गया गलत कार्य भी अच्छा कहलाता है और नीच व्यक्ति के द्वारा किया गया अच्छा कार्य भी गलत कहलाता है। ठीक वैसे, जैसे अमृता प्रदान करने वाला अमृत राहु के लिए मृत्यु का कारण बना और प्राणघातक विष भी शंकर के लिए भूषण हो गया।
3362 समस्त कार्य पूर्व मंत्रणा से करने चाहिए।
3363 समस्त दुखों को नष्ट करने की औषधि मोक्ष है।
3364 समस्या जितनी बड़ी होती है, उसे हल करने का स्वाद उतना ही मीठा होता है।
3365 समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं , कभी सुना है   कि  " अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो "
3366 समाज की सबसे अच्‍छी सेवा उन लोगों का चुनाव करके की जा सकती है, जो Hardworking, Intelligent हों और Long Term की सोचते हों।
3367 समाज में एक चीज़ जरुरी है वह है बदलाव, इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले ये मत सोचिये की दुनिया कैसी है? यह जरुर सोचिए की दुनिया कैसी हो सकती है? भविष्य का ध्यान रखिए।
3368 समाज में से धर्म को निकाल फेंकने का प्रयत्न बांझ के पुत्र करने जितना ही निष्फल है और अगर कहीं सफल हो जाय तो समाज का उसमे नाश होता है।
3369 समान गुण, कर्म, स्वभाव और आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति से ही प्रेम-सम्बन्ध ठीक रहता हैं, इसी प्रकार सेवा अथवा नौकरी आदि करने हो तो सरकारी नौकरी ही करनी चाहिए, लोक –व्यहार में निपुण व्यक्ति ही समाज में श्रद्धा प्राप्त करता हैं इसी प्रकार रूपवती स्त्री की शोभा अपने घर में ही होती हैं।
3370 समुंद्र ने गुणी मेघ को जल का दान करके एक ओर अपने खारे जल को मीठा बना दिया, दूसरी और जड़-चेतन को जीवन प्रदान करने का पुण्य भी अर्जन किया तथा दिए गए जल से अधिक परिणाम में जल पुन: प्राप्त कर लिया इस प्रकार स्पष्ट हैं कि गुणी को दिया गया दान ही सफल होता हैं अतः गुणवान को ही दान देना चाहिए।
3371 समुंद्र में बादलो का बरसना व्यर्थ हैं, जिसका पेट भरा हुआ हो ऐसे आदमी को भोजन कराना बेकार हैं, धनी व्यक्ति को दान देना व्यर्थ हैं और सूर्य के प्रकाश में दिन में दीपक जलाना व्यर्थ हैं।
3372 समुद्र के पानी से प्यास नहीं बुझती।
3373 समुद्र में वर्षा का होना व्यर्थ है, तृप्त व्यक्ति को भोजन करना व्यर्थ है, धनिक को दान देना व्यर्थ है और दिन में दीपक जलाना व्यर्थ है।
3374 समुद्र शांत हो तो कोई भी जहाज चला सकता है.
3375 समृद्धता से कोई गुणवान नहीं हो जाता।
3376 समृद्धि की चाहत न करना और समृद्धि आने पर उदण्ड न होना महापुरुषों का लक्षण हैं, वे सदा नम्र बने रहते हैं।
3377 सम्पन्नता धन के कब्जे में नहीं उसके उपयोग में है। 
3378 सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।
3379 सर्वशक्तिमान तीनो लोको के स्वामी श्री विष्णु भगवान को शीश नवाकर मै अनेक शास्त्रों से निकाले गए राजनीति सार के तत्व को जन कल्याण हेतु समाज के सम्मुख रखता हूं।
3380 सर्वश्रेष्ठ किताबें वही बातें बताती हैं जो आप पहले से जानते है।
3381 सहिष्णुता के अभ्यास में, आपका शत्रु ही आपका सबसे अच्छा शिक्षक होता है।
3382 सही उद्यमशीलता जोखिम लेने से ही आता है।
3383 सही काम करना जितना जरुरी हैं, उतना ही जरुरी सही तरीके से करना हैं इसी तरह, सही काम करें न कि आसानी से होने वाला काम हर काम का shortcut ढूंढेंगे तो गलत रास्ता अख्तियार करना होगा।
3384 सही काम करने के लिए समय हर वक्त ही ठीक होता है।
3385 सही मार्ग पर ही सही दौड़ना तो आपको ही पड़ेगा 
3386 सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
3387 सांप में विष हो अथवा न हो, उसकी फुंकार ही डराने के लिए काफी हैं यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह लोगो के कोप का पात्र बन जाता हैं लोग उसे पत्थर मारते हैं उसकी उपेक्षा करते हैं इसी प्रकार आदमी को अपना प्रभाव स्थिर रखना चाहिए।
3388 सांप, राजा, सिंह, बर्र (ततैया) और बालक, दूसरे का कुत्ता तथा मूर्ख व्यक्ति, इन सातो को सोते से नहीं जगाना चाहिए।
3389 साख बनाने में बीस साल लगते हैं और उसे गंवाने में बस पांच मिनट. अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो आप चीजें अलग तरह से करेंगे.
3390 सागर की तुलना में धीर-गम्भीर पुरुष को श्रेष्ठतर माना है वे कहते है कि जिस सागर को लोग इतना गम्भीर समझते है, प्रलय आने पर वह भी अपनी मर्यादा भूल जाता हैं और किनारों को तोड़ कर जल-थल एक कर देता हैं परन्तु साधू अथवा श्रेष्ट व्यक्ति संकटों का पहाड़ टूटने पर भी श्रेष्ठ मर्यादायो का उलंघन नहीं करता।
3391 सात घनघोर पाप: काम के बिना धन;अंतरात्मा के बिना सुख;मानवता के बिना विज्ञान;चरित्र के बिना ज्ञान;सिद्धांत के बिना राजनीति;नैतिकता के बिना व्यापार ;त्याग के बिना पूजा।
3392 सादगी से जिए ताकि दूसरे भी जी सकें।
3393 साधारण  दिखने  वाले  लोग  ही  दुनिया  के  सबसे  अच्छे  लोग  होते  हैंयही  वजह  है  कि  भगवान  ऐसे  बहुत  से  लोगों का निर्माण करते हैं।
3394 साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं, यही वजह है कि भगवान ऐसे बहुत से लोगों का निर्माण करते हैं।
3395 साधारण दोष देखकर महान गुणों को त्याज्य नहीं समझना चाहिए।
3396 साधारण पुरुष परम्परा का अनुसरण करते है।
3397 साधु अर्थात महान लोगो के दर्शन करना पुण्य तीर्थो के समान है। तीर्थाटन का फल समय से ही प्राप्त होता है, परन्तु साधुओं की संगति का फल तत्काल प्राप्त होता है।
3398 साधु पुरुषो की रक्षा के लिए और दुष्कर्म करने वाले के नाश के लिए तथा धर्म की स्थापना करने के लिए में युग- युग में प्रकट होता हूँ।
3399 साधु महात्माओ के संसर्ग से पुत्र, मित्र, बंधु और जो अनुराग करते है, वे संसार-चक्र से छूट जाते है और उनके कुल-धर्म से उनका कुल उज्जवल हो जाता है।
3400 साधु-महात्मा साक्षात तीर्थ-स्वरुप हैं अथार्थ तीर्थो के सेवन जैसा पुण्य ही साधुओ के दर्शनों से भी प्राप्त होता हैं। तीर्थयात्रा का फल तो समय आने पर मिलता हैं परन्तु साधु-सज्जनों के संग और दर्शन से तत्काल लाभ हो जाता हैं क्योकि वे कोई अच्छी बात ही कहेंगे या कोई अच्छी सीख ही देंगे।

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